नमस्कार दोस्तों, मैं करीब 8 सालों से अन्तर्वासना पर हिंदी सेक्स स्टोरीज पढ़ रहा हूँ. सबसे पहले आपको अपना परिचय दे दूं. मैं राजन हूँ घर में मम्मी पापा और हम दो भाई ही हैं. मेरी उम्र 24 साल है और मैं जालन्धर पंजाब का रहने वाला हूँ. ये मेरी पहली सेक्स कहानी है और शत प्रतिशत सच है. मैं देखने में एकदम गोरा-चिट्टा और हेल्थी था, पर कोई लड़की मुझे भाव नहीं देती थी. मैंने भी लड़कियों के बारे सोचना छोड़ दिया था.
मैंने जब जवानी में कदम रखा, तो गलत संगत में पड़ गया और मैं नशे की गोलियां का नशे करने लगा. हालांकि ये कोई बड़ा नशा नहीं था, पर इसको लोग शुरूआत समझते थे. मेरे नशे करने की भनक मेरे भाई को लग गयी और उसने मुझे बहुत डांटा.
वो मुझे अपने साथ ही रखने लगा था. रात को भी हम एक ही बेड पर सोते थे. मम्मी पापा अलग रूम में सोते थे.
एक रात मुझे एहसास हुआ कि कोई मेरे लंड को सहला रहा है. मैंने आंखें खोलीं और अंधेरे में अंदाजा लगाया कि ये मेरा बड़ा भाई है. मैंने सोचा करने दो, अपने भी मज़े हैं.
उसने धीरे धीरे लंड हिलाना चालू किया और मेरा हाथ अपने लंड पर रखवा दिया. मैंने नींद में होने का नाटक करते हुए कोई हरकत नहीं की. उसने मेरा लंड हिला हिला कर मेरी मुठ मार दी और मेरा माल निकल गया. बाद में उसने अपनी भी मुठ मारी. इस तरह हम सो गए.
सुबह मेरे दिमाग में आईडिया आया कि मेरे और मेरे नशे के बीच मेरा भाई ही दीवार है, अगर मैं इसको खुश कर दूं, तो फिर मुझे कोई रोकने वाला नहीं रहेगा.
पूरे दिन मेरी उससे कोई बात नहीं हुई और हम दोनों ने ऐसा व्यवहार किया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं.
अगली रात भाई ने फिर वैसा ही किया. अबकी बार मैंने उसका लंड पकड़ लिया और उसको पता चल गया कि मैं जाग रहा हूँ. चूँकि मुझे कोई आपत्ति नहीं थी. तो उसने मेरी मुठ मार दी, मैंने उसकी मार दी.
अगली रात उसने कहा- राजन, अपने सारे कपड़े उतार कर आ जा.
उसने खुद के भी सारे कपड़े उतार दिये. कमरे में अन्धेरा था. अचानक उसने लाईट ऑन कर दी. मैंने उजाले में देखा कि उसका लंड गोरा था जबकि मेरा लंड काला था. वो मेरे पास आया मैं बेड से टांगें नीचे करके बैठ गया.
वो लंड हिलाता हुआ बोला- मेरा लंड चूस.
मैंने मना कर दिया तो उसने एक थप्पड़ दे मारा.
मैं रोने लगा.
उसने कहा- देख अगर तू मुझे खुश रखेगा, तो मैं तुझे किसी बात से नहीं रोकूंगा. वरना सुबह मम्मी पापा के सामने तेरा चिट्ठा खोल दूंगा. फिर सोच तेरा क्या होगा?
मैं सोच में पड़ गया कि अब क्या करूं.
फिर मेरे दिमाग ने कहा कि भाई की बात मानने में मेरा फायदा है.
मैंने भाई से कहा- भाई तू जो भी चाहता है, मैं करूंगा, मगर एक वादा कर कि ये बात किसी को बताना मत … वर्ना मेरा मजाक बन जाएगा क्योंकि पंजाब में गांड मरवाने वाले को हिजड़ा और बहुत कुछ कह कर लोग छेड़ते हैं.
उसने कहा- तू मेरा भाई है, मैं किसी को थोड़े ही ये बात बताऊंगा.
मैं खुश हो गया और भाई के गले लग गया.
भाई बोला- आज से तू मेरा भाई नहीं मेरी बीवी है … मैं जो भी कहूँगा, तुम करोगे. दुनिया के सामने भईया अकेले में सईंया.
भाई ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा. मुझे अलग सा नशा होने लगा. फिर भाई ने मुझे बेड पर बैठा कर अपना लंड मेरे होंठों पर रगड़ना शुरू किया.
उसने कहा- मुँह खोल.
मैंने मुँह खोला, तो भाई ने अपना लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया.
भाई का लंड ज्यादा बड़ा नहीं था, न ज्यादा छोटा. पहले तो मुझे गन्दा सा लगा, पर दूसरी तरफ सोचा कि राजन सह ले … बाद में मजे आने हैं. कोई रोक टोक वाला नहीं रहेगा.
पर मुझे क्या पता था कि एक अलग नशा मुझे लगने जा रहा था.
भाई ने बोला- इसे लॉलीपॉप की तरह चूस.
मैंने लंड चूसना शुरू कर दिया. अब मुझे भी मजा आने लगा था. मैं कभी सुपारे को चूसता, कभी भाई लंड को मेरे हलक तक पहुंचा देता.
इस तरह 10 मिनट बाद भाई स्खलित हो गया और उसने अपना गर्म गर्म लावा मेरे मुँह में उड़ेल दिया.
भाई ने मेरा सर पकड़े रखा था और तब तक नहीं छोड़ा, जब तक आखिरी बूंद मेरे मुँह में नहीं गिर गई.
मैं वाशबेसिन की तरफ भागा और मैंने उल्टी कर दी. मैंने जल्दी से ब्रश किया और आकर भाई से कहा- भाई तुमने तो मार ही दिया था.
भाई हंस कर बोला- अभी शुरुआत है. तुमसे मुझे बहुत कुछ करवाना है. फिर तुझे मज़े ही मज़े आएंगे.
मैं भाई की बात नहीं समझा. भाई ने फिर से मेरी मुठ मारी.
इस बार मुझे बहुत मज़ा आया और हम दोनों कपड़े पहन कर सो गए.
अगली चार रातों को ऐसा ही चलता रहा. अब मुझे भी भाई का लंड चूसने और उसका पानी पीने में मज़ा आने लग गया था.
कुछ रोज बाद एक दिन घर में बात हुई कि अगले हफ्ते मौसी जी की बेटी की शादी है. सबको जाना होगा. मुझे क्या पता था कि इस शादी वाली रात मेरी गांड की सील टूटेगी.
हुआ यूं कि भाई ने जाने से मना कर दिया, पर मैंने हां कर दी. भाई ने मुझे घूरा, तो मैंने भी डर कर मम्मी पापा से कह दिया कि भाई अकेला कैसे रहेगा … आप दोनों चले जाओ. बस 3-4 दिन की ही बात है, हम दोनों रह लेंगे.
जिस दिन मम्मी पापा को जाना था, उसमें अभी कुछ समय बाकी था. उन दिनों एक बड़ी ताज्जुब की बात ये हुई कि भाई ने इस पूरे समय तक मुझे तंग नहीं किया और कुछ नहीं कहा.
आखिर वो दिन आ गया, जब मम्मी पापा को शादी में शामिल होने जाना था. वे दोनों रात की ट्रेन से चले गए.
मम्मी पापा के जाते ही भाई ने मुझे पैसे दिए- जा एक बोतल शराब की, चिकन और अपने नशे के लिए जुगाड़ ले आ.
मैं हैरान था कि भाई खुद मुझे ऐश करवा रहा है.
मुझे क्या था … मेरे तो मज़े थे. मैंने नशे की दवाई ली और चिकन शराब लेकर घर आ गया. भाई ने शराब की बोतल खोली और दो पैग बनाए.
मुझे नशे पर नशा मिला, तो मैं झूम उठा.
पूरे सुरूर में होने के बाद भाई बोला- चल जल्दी से अपने कपड़े उतार.
मैंने झट से अपने पूरे कपड़े उतार दिए. भाई बोला- मेरे भी उतार.
मैंने उसकी शर्ट जींस उतारी, तो भाई बोला- मेरा अंडरवियर अपने मुँह से उतार.
मैंने अंडरवियर की इलास्टिक को दांतों से पकड़ा और अंडरवियर खींच कर उतार दिया. भाई का लंड टन्न से मेरे चेहरे से टकराया.
भाई ने उठ कर मुझे गले लगा लिया और पीछे से मेरी गांड पर हाथ फिराने लगा. हाथ फिराते फिराते उसने अपनी एक उंगली मेरी गांड में घुसेड़ दी. मैं चिंहुक कर उछल पड़ा.
मैं- भाई क्या कर रहे हो?
भाई हंस कर बोला- आज इसकी ओपनिंग सेरेमनी है या यूं समझ ले कि तेरी सुहागरात है.
मैंने कहा- भाई ऐसा मत करो मेरी गांड फट जाएगी.
भाई बोला- मेरे रहते चिंता न कर … थोड़ा सा दर्द होगा, फिर तुझे बहुत मज़ा आएगा.
मैं गांड में लंड लेने से डर रहा था.
फिर भाई ने एक मोटा से पैग बना कर दिया और बोला- खींच जा इसे … तुझे कोई दर्द नहीं होगा.
मैंने पैग खत्म किया. अब मुझे काफी नशा हो गया था और भाई को भी चढ़ गई थी.
भाई ने मेरे होंठ चूसे और मेरे गालों को चूमा, तो मुझ पर भी काम हावी होने लगा. नशे में दिमाग ने काम करना बंद कर दिया. मैंने सोचा जो होगा, देखा जाएगा. बस आज भाई को खुश करना है.
भाई ने मुझे नीचे बैठने को कहा और कहा- मुँह खोल.
मैंने मुँह खोल लिया. भाई ने गर्म गर्म पेशाब मेरे मुँह में कर दी और मेरे सिर पर भी पेशाब कर दिया.
भाई बोला- चल अब रंडी की तरह डांस कर.
मैं कुतिया की तरह गांड हिलाता हिलाता घुटनों पर चलने लगा और भाई के आगे खड़ा हो गया.
भाई ने मुझे झुकने के लिए कहा और मेरी गांड के छेद में सरसों का तेल लगा दिया. फिर भाई ने अपना सुपारा मेरी गांड पर रखा और जोर से धक्का लगा दिया. मेरी चीख निकल गयी. सारा नशा काफूर हो गया. ऐसा लगा, जैसे किसी ने गांड में चाकू घुसेड़ दिया हो.
मैं रोने लगा- भाई छोड़ दो मुझे!
मगर भाई की पकड़ ज्यादा मजबूत थी. भाई ताबड़तोड़ झटके लगाता रहा और मैं दर्द से रोता रहा. दस मिनट बाद अचानक दर्द गायब हो गया. लंड का तेज़ दर्द, मीठे दर्द में बदल गया.
मेरे मुँह से कराहने की जगह मादक आवाजें निकलने लगीं- आह भाई … हम्म भाई जोर से करो भाई … बहुत मज़ा आ रहा है. … उम्म्ह… अहह… हय… याह… भाई पहले मेरी गांड क्यों नहीं मारी … आंह भाई रोज़ मारा करो. आह भाई … सीईईई उई जोर से भाई.
दस पन्द्रह मिनट बाद भाई ने अपना गर्म गर्म वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया.
इस बीच वो मेरे लंड को भी हिला रहा था तो मेरे लंड ने भी पिचकारी छोड़ दी.
इतना मज़ा मुझे कभी नहीं आया था. उस रात मैं नशे में सो गया मगर सुबह पीछे बहुत दर्द हो रहा था. मैंने गर्म पानी से सिकाई की … मगर अभी तो असली मज़ा और चुदाई बाकी थी.
सुबह से ही मेरी गांड में दर्द हो रहा था और ठीक से चला भी नहीं जा रहा था. मैंने दर्द की दवाई ली और सो गया. शाम तक राहत मिल गई. रात को भाई ने फिर दारू पी और मुझे भी पिलाई. इतना तो मैं समझ गया था कि चुदाई आज भी होगी … मगर अब मैं खुद गांड मरवाने को उत्सुक था.
भाई और मैं जब नशे में टुन्न हो गए, तो भाई बोला- आज कुछ नया करते हैं.
मैंने पूछा- क्या?
वो मुस्कुरा दिया. वो मुझे मम्मी पापा के कमरे में ले गया और बोला- तू आज औरत बनेगी … चल जल्दी से मम्मी की साड़ी पहन और मेकअप कर.
मैंने मम्मी की साड़ी पहनी. जैसे तैसे साड़ी बांध ली. वैसे हमारे पंजाब में शादी वगैरह पर ही औरतें साड़ी बांधती हैं. मैंने साड़ी बांधी मेकअप किया.
और जब मैंने खुद को आईने में देखा, तो दिल में आया राजन तू तो पक्की लौंडिया लग रहा है. भाई भी मुझे देखता रह गया.
उसके मुँह से निकला- वाह मेरी रांड … आजा मेरी गोद में बैठ जा!
मैं भी लड़कियों की तरह गांड मटकाता हुआ भाई की गोद में बैठ गया. नीचे से गांड में भाई का लंड चुभा, तो मेरे मुँह से आउच निकल गया.
मैं खुद को एक रंडी महसूस कर रहा था, जो ग्राहक को खुश करने के लिये कुछ भी करती है.
भाई ने मेरे होंठ बुरी तरह चूसे और होंठों पर काट लिया.
मैं- आह जानू … क्या करते हो जान निकालोगे मेरी.
भाई- मेरी रांड … आज तो तेरी जान ही निकाल दूंगा.
भाई ने गोद में उठा कर बेड पर पटक दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया. उसने मेरे गालों पर चुंबनों की बरसात कर दी.
मेरा वीक पॉइन्ट यही बन गया था. जब भाई मेरे गालों को मुँह में भर कर ताबड़तोड़ चुंबन करता है … तो मैं मस्त हो जाती हूँ.
मेरे चेहरे पर भाई ने लंड घिसा तो मैंने लंड पकड़ पर मुँह में ले लिया.
भाई- आंह चूस मेरी रांड … मेरा लंड चूस … निकाल दे सारा माल.
कोई 5 मिनट लंड चूसने के बाद मेरा मुँह दुखने लगा.
भाई बोला- चल अब मेरे लंड पर बैठ जा. मैं भाई के लंड पर बैठ गया.
लंड अन्दर घुसने लगा. ‘उई मां..’ मेरी कराह निकलने लगी.
भाई का लंड फंस फंस कर मेरी गांड में पूरा चला गया. पर मुझे मज़ा बहुत आ रहा था. मैं उछल उछल कर भाई का लंड अपनी गांड में ले रहा था. भाई मस्ती से मेरी गांड मारने लगा. मैं भी गांड हिला हिला कर मरवाने लगा. भाई मेरे लंड की मुठ भी मार रहा था.
दस मिनट बाद भाई ने लावा मेरी गांड में छोड़ दिया और इधर मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी. मैंने अपना माल भाई की छाती पर गिरा दिया.
इसके बाद भाई ने एक बार और गांड बजाई और हम दोनों सो गए.
अब मैं पक्का गांडू बन चुका था. रोज़ दो बार मेरी गांड में लंड न जाए, तो मुझे अधूरा सा लगता था.
एक दोपहर को हम अपने रूम में चुदाई का खेल खेल रहे थे कि अचानक पापा ने दरवाजा खोल दिया. उस दिन हम दोनों की बहुत पिटाई हुई.
कुछ दिन बाद भाई का आर्मी में सेलेक्शन हो गया और वो ट्रेनिंग पर चला गया … मगर मेरी हालत विधवा जैसी हो गयी थी. बाहर किसी से गांड मरवा नहीं सकता था क्योंकि बदनामी होती.
मगर कहते हैं कि दिल से की हुई दुआ, भगवान भी सुनता है. इत्तेफ़ाक़न कुछ ऐसा सीन बना कि खुद मेरे पापा ने मेरी गांड मारनी शुरू कर दी.
ये सब कैसे हुआ. मैं बाद में बताऊंगा. तब तक लंड हाथ में लेकर ख्यालों में मुझे चोद लें … मगर गांड मारने से पहले मेल तो लिख दे यार कि मेरी गे सेक्स कहानी कैसी लगी.
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