मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम सागर है. मैं पुणे में रहता हूँ. मेरी उम्र अभी 26 साल है. आज जो गाँव में चुदाई की कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ, वो 2 साल पुरानी एक सच्ची घटना है.
उन दिनों मैं पहचान पत्र निकालने का काम करता था, तो हमें गांव गांव जाकर लोगों के पहचान पत्र बनाने थे.
इसी काम के सिलसिले में मैं एक ऐसे गांव में गया था, जो कि शहर से बहुत दूर था.
उस गांव में जाने के लिए ना तो कोई गाड़ी थी … ना ही उस गांव का रास्ता अच्छा था.
बस एक ही बात की वजह से उस गांव को चुना गया था क्योंकि उसके आस पास के बहुत सारे गांवों को हम एक बार में ही पूरा कवर कर सकते थे.
हम अपनी टीम के साथ एक कार लेकर उस गांव में पहुंचे.
वो गांव चारों तरफ से जंगल से घिरा हुआ था. मैं और मेरे साथ और 5 दोस्त थे.
हम सभी शाम करीब 4 बजे उस गांव में पहुंचे. उसके बाद गांव के सरपंच और उसकी बीवी हमें मदद करने आ पहुंचे.
सरपंच की बीवी बहुत खूबसूरत थी, मैं उसके मस्त शरीर को देखकर पागल हो गया.
सच में वो कयामत माल थी. उसके मस्त भरे हुए चुचे और ऊपर को तोप सी उठी उसकी गांड देखकर मेरा तो लंड खड़ा ही हो गया था.
लेकिन मैंने खुद पर काबू किया और उन दोनों पति पत्नी से बात की.
सरपंच ने गांव के एक मंदिर में हमें मशीन लगाने की जगह दे दी.
ये गांव काफी छोटा था. उस गांव में करीब 10 से 12 घर ही होंगे. हमने जहां कैम्प लगाया था, वो मंदिर गांव से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर था.
किसी तरह से काम शुरू हो गया. हम सब वहीं रुक गए थे. मगर रुकने के लिए वो जगह मुफीद नहीं थी.
सरपंच ने कहा कि रात तक वो उसके घर में हम सभी के रुकने की व्यवस्था कर देंगे.
उधर के करीब 84 गांव के हमें पहचान पत्र बनवाने थे, तो हमें काम करते करते काफी देर हो गई थी.
रोशनी के लिए हमारी बैकअप बैटरी थी लेकिन उसे भी रीचार्ज करने के लिए समय चाहिए था.
उधर अब भी बहुत से लोगों का पहचान पत्र बनाना चालू था.
मैं थोड़ा थका होने कारण वहीं लेट गया था.
भीड़ काफी थी.
तभी मेरी नजर एक लड़की पर गयी, वो बहुत खूबसूरत थी. उसको देखकर मेरी नींद उड़ गयी थी. वो करीब 19 साल की रही होगी.
पूरे गांव में वो सबसे ज्यादा सुंदर दिख रही थी.
उसे देख कर मैं वापस मशीन पर बैठ गया और काम करने लगा.
वो मुझे देख मुस्कुरा रही थी.
उसकी मुस्कान देख कर मैंने सोचा साली बड़ी कड़क माल है. इसको किसी तरह से चोदने का मौका मिल जाए तो बस लंड धन्य हो जाए.
वो मेरे सामने कुछ देर खड़ी रही और मैं उसे देखता रहा.
न ही वो मुझसे कुछ बोली और न ही मेरी उससे कुछ कहने की हिम्मत हुई.
पता नहीं वो क्या सोच कर मेरे सामने आई थी. कुछ देर बाद वो अपनी गांड मटकाते हुए चली गई.
मैं ठंडी आह भर कर रह गया.
बाद में मैं काफी रात होने की वजह से मशीन बंद करने लगा, तो सरपंच जी आ गए.
वो बोले- आप प्लीज काम मत बंद कीजिए. अभी बहुत से लोग हैं … ये सब बेचारे बहुत दूर से आए हैं. आप चाहें तो मेरे घर जाकर आराम कर लें. आप अपने दोस्तों को काम करने का बोल दीजिए. काम रुकना नहीं चाहिए.
मैं बोला- ठीक है.
तो उन्होंने उसी लड़की को आवाज दी, जिसे मैं देख रहा था.
सरपंच जी ने कोमल करके उसे आवाज दी तो मैं समझ गया कि इसका नाम कोमल है.
वो सरपंच की ही बेटी थी.
सरपंच ने उसे उसकी माँ को बुलाने को कहा.
कुछ देर बाद सरपंच की बीवी आ गयी और सरपंच के कहने पर वो मुझे घर चलने को बोलने लगी.
मैंने उसकी चूचियां देखते हुए अपने दोस्तों से कहा- मैं सरपंच जी के घर जा रहा हूँ. आप लोग काम खत्म करके वहीं आ जाना.
इसके बाद सरपंच की बीवी और मैं उसके घर चलने लगे.
वो मेरे आगे आगे जा रही थी और मैं उसके पीछे पीछे चल रहा था.
उसके पीछे जाते वक्त मैं उसकी ठुमकती गांड को निहार रहा था.
उसको पता नहीं कैसे इस बात का अहसास हो गया.
वो पलट कर बोली- ऐसे क्या देख रहे हो?
उस वक्त उस रास्ते पर हम दोनों ही अकेले थे और चारों तरफ घना अंधेरा था. उसकी बीवी टॉर्च लेकर मेरे साथ आगे आगे चल रही थी.
जब मैंने उसकी बात का कुछ जबाव नहीं दिया, तो वो फिर खनखनाती हुई मीठी आवाज में बोली- आपने बताया नहीं कि आप क्या देख रहे थे.
मैं बोला- आप बहुत खूबसूरत हो.
मेरी इस बात पर वो शरमा गयी. वो भी मुझे घास डाल रही थी, इधर मैं तो खुद उसे पटाने में लगा था.
उसकी मुस्कान देख कर मैं उसकी तरफ और भी ज्यादा देखता हुआ चलने लगा.
अब मैं एक गाना भी गुनगुनाने लगा था.
क्या खूब लगती हो,
बड़ी सुंदर दिखती हो …
वो मेरे इस गाने पर हंस रही थी.
इतने में मेरा पैर एक पत्थर से टकरा गया और मैं गिर गया.
उसने मुझे उठाने में मदद की.
हालांकि मुझे कुछ ख़ास नहीं हुआ था … लेकिन मुझे उसका सहारा लेने का मौक़ा मिल गया था.
अब मैंने नाटक किया और कराहते हुए बोला- आह काफी दर्द हो रहा है … मुझसे चला नहीं जा रहा है … बहुत दर्द हो रहा है.
उसने मेरा एक हाथ अपने कंधे पर रखा और मुझसे अपने सहारे से चलने को कहा.
अब मैं उसके कंधे पर अपना हाथ रख कर चल दिया.
मेरा हाथ उसकी दूसरी तरफ वाली चुची से टकरा रहा था. ये मुझे बड़ा मजा दे रहा था.
मैंने हिम्मत करके उसकी चुची पर हाथ फेरा, तो उसके कुछ नहीं कहा.
मैंने अगली बार में उसकी चूची को अपने हाथ से दबा दी. उसने इस पर भी कुछ नहीं कहा.
तो मैं बार बार उसकी चुची दबाने लगा.
वो शऱमा रही थी, पर कुछ बोल नहीं रही थी.
मुझे पता चल गया था कि वो भी गर्म हो चुकी है.
मैंने उससे रुकने को कहा.
तो उसने मुझसे कहा- क्या हुआ?
मैंने उसको अपनी बांहों में ले लिया और वहीं किस करना चालू कर दिया.
वो कुछ नहीं बोल रही थी, मगर वो शुरू में मेरा साथ भी नहीं दे रही थी.
मैंने उसे चूमना छोड़ा और उससे पूछा- क्या तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है?
वो शर्म से सर नीचे करके हां में सर हिलाने लगी.
मैंने उसे फिर से चूमना शुरू कर दिया.
अब वो भी मुझे किस करने लगी.
हम दोनों वहीं पर रास्ते में एक दूसरे को चूम रहे थे.
तभी उसने मेरे लंड पर हाथ रख दिया. मैंने भी झट से अपनी पैंट की जिप खोल दी और अपना लंड बाहर निकाल लिया.
जैसे ही मैंने लंड निकाला, वो नीचे बैठ गयी और मेरा लंड चूसने लगी.
मुझे सरपंच की मस्त बीवी से अपना लंड चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था.
कोई पांच मिनट लंड चुसवाने के बाद मैंने उसे खड़ा किया और एक पेड़ को पकड़ कर खड़े होने को कहा.
वो गांड उठा कर पेड़ से टिक कर खड़ी हो गई.
मैंने पीछे से उसकी साड़ी ऊपर उठा दी और अपना लंड उसकी चुत पर घिसने लगा.
वो आह आह करने लगी और उसने अपना हाथ पीछे करके चुत के छेद पर लंड को सैट कर दिया.
लौड़े को छेद की नमी दिखी तो मेरी कमर ने एक जोर का धक्का दे दिया.
मेरा लंड एक ही झटके में उसकी चूत में घुसता चला गया.
वो चीख उठी- आह मर गई अम्मा रे … धीरे चोदो.
मैं लगा रहा और पूरा लंड चुत के अन्दर करने के बाद मैंने उसे उसी पोज में चोद दिया.
करीब दस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मैंने लंड का पानी बाहर निकाल दिया.
वो वैसे ही पेड़ से टिकी हुई हांफने लगी और मैं पैंट पहन कर जमीन पर बैठ गया.
कुछ देर बाद हम लोग घर की ओर चल पड़े.
बीस मिनट में उसके घर पहुंच जाने के बाद वो मुझे बैठक में एक तख्त पर बिठा कर चाय बनाने चली गयी और मैं कपड़े बदलने लगा.
मेरा मन अभी भी उसे चोदना चाहता था तो मैं सीधा उसके किचन में आ गया और पीछे से उसको पकड़ कर चूमने लगा.
वो खुद भी मुझसे और चुदना चाहती थी.
वो बोली- पहले चाय पी लो, फिर खेलेंगे.
चाय पीने के बाद मैंने उसके सारे कपड़े उतारे और उसे पूरी नंगी कर दिया.
हम दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूम रहे थे.
बाद में उसने मेरा लंड चूसना चालू किया. वो अभी फुल जोश में थी.
लंड चुसाई के बाद मैंने उसको उठाकर बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया.
मैंने उसके दोनों पैर ऊपर कर दिये और नीचे से उसकी चूत में दनादन लंड पेलना चालू कर दिया.
वो भी बड़ी कामुक आवाजें निकालते हुए मेरे लंड से चुद रही थी.
कुछ मिनट बाद वो मेरे ऊपर आ गयी और फिर से मेरे लंड को अन्दर बाहर करने लगी.
मैंने उसको उठने को कहा और बाहर चलने को कहा तो हम लोग घर के बाहर आ गए.
घर के सामने के रास्ते पर मैं उस नंगी हसीना की चुदाई करने लगा.
आस पास कोई नहीं था. पूरा गांव सोया हुआ था.
कुछ लोग कैम्प में गए हुए थे, वो सब सारी रात वहीं रुकने वाले थे. हम लोग नंगे ही गांव में घूमने लगे.
मैंने उसको गांव के चौराहे पर रुकने का कहा और उसको गांव के बीच चौराहे पर चोदने लगा.
वो इस तरह की चुदाई से बड़ी मस्त हो रही थी.
चुदाई के बाद हम दोनों वापस उसके घर आ गए.
घर आने पर मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जताई.
पर वो गांड मराने के लिए नहीं मान रही थी. वो बोली- उधर बहुत दर्द होगा.
मैंने कहा- तेल लगा कर पहले ढीली कर लूंगा … बाद में तेरी गांड में लंड पेलूंगा.
जैसे तैसे वो मान गयी.
फिर मैंने उसकी गांड में बहुत सारा तेल लगाया और अपने लंड पर भी तेल लगाकर उसकी गांड पर लंड सैट करके धीरे धीरे लंड उसकी गांड में डालने लगा.
उसकी गांड बहुत टाईट थी.
उसने बताया उसके पति को बरसों हो गए. वो उसको चोदते ही नहीं हैं. आज तक एक बार भी उन्होंने मेरी गांड नहीं मारी. मैं उनकी दूसरी बीवी हूँ वो ज्यादा उम्र के हैं और मैं उनसे बीस साल छोटी हूँ.
मैं उससे यही सब बातें करते हुए धीरे धीरे से लंड उसकी गांड में डालता जा रहा था. मेरे लंड का सुपारा उसकी गांड में घुस गया था.
वो बहुत कराह रही थी … मगर मैंने उसकी एक न सुनी और एक जोर को धक्का लगा दिया.
मेरा 7 इंच का पूरा लंड उसकी गांड को चीरता हुआ अन्दर चला गया.
वो बहुत जोर से चिल्ला दी. उसे बहुत दर्द हो रहा था, तो मैं रुक गया.
उसने लंड बाहर निकालने को बोला, पर मैं वहीं रुक गया. जब उसका दर्द कम हुआ, तो मैं धीरे धीरे उसकी गांड मारने लगा.
थोड़ी देर बाद वो भी मजे से गांड मरवाने लगी और उसकी मुँह से सीत्कार निकलने लगी थी- आह फाड़ दे मेरी गांड … आह राजा … आह … बहुत मजा आ रहा है. जोर से धक्के मार … साले पूरा लंड घुसेड़ दे मेरी गांड में … मेरा गांडू पति तो मुझे चोदता ही नहीं … आह तू चोद जोर जोर से चोद ..
थोड़ी देर में मैंने उसकी गांड में ही अपना पानी छोड़ दिया.
गांड चुदाई के बाद हम दोनों ने खुद को साफ किया. बाकी लोगों के आने का इंतजार करने लगे.
इस दौरान उसने मुझे बताया था कि सरपंच की बेटी कोमल उसकी पहली बीवी की लड़की है.
मैंने उससे कहा- मेरा दिल कोमल पर आ गया है.
तो वो बोली- ठीक है उसे भी चुदवा दूंगी.
बाद में मेरे दोस्तों ने भी सरपंच की बीवी को चोद दिया.
उस चुदाई की कहानी और सरपंच की कमसिन लौंडिया कोमल की चुदाई की कहानी को मैं बाद में लिखूंगा.