मेरा नाम विनीत कुमार है. मैं राजस्थान के एक गांव का रहने वाला हूँ. मेरी आयु 23 साल है, कद साढ़े पांच फीट का है.
बेरोजगारी के चलते मैंने अपने गांव में ही मोबाईल ठीक करने की दुकान खोल ली थी.
पहले पहल कम ही ग्राहक आते थे. फिर धीरे धीरे ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी और मुझे अच्छा ख़ासा मुनाफा होने लगा.
मोबाईल ठीक करने के साथ मैं रिचार्ज भी कर देता था.
साथ ही मैंने मोबाईल की बैटरीज, हेडफोन्स, चार्जर आदि चीजें भी बेचने के लिए रख ली थीं.
मेरा धंधा ठीक चल रहा था.
कुछ लड़कियां मेरी दुकान पर मोबाईल ठीक करवाने या रिचार्ज करवाने आ जाती थीं.
जब कुछ लड़कियां मेरी दुकान में अक्सर आने लगीं तो मैंने उनके साथ थोड़ी हंसी मजाक करना शुरू कर दिया.
कुछ लड़कियां मुझे घिसने की कोशिश भी करतीं मगर मैं पूरा दुकानदार बन गया था, किसी के छलावे में नहीं आता था.
इस तरह से मेरे दिन मजे में कटने लगे थे.
एक दिन एक लड़की मेरी दुकान पर आई.
उसका नाम प्रवीण कुंवर (पर्वी) था.
गांवों में लड़कियों को ‘बाईसा.’ कहा जाता है.
यह देसी Xxx कहानी इसी लड़की की चुदाई की है.
मैंने उसे कहा- आईए बाईसा, क्या हाल हैं?
वो मुस्कुरा दी.
प्रवीण दिखने में गोरी चिट्ठी और मादक लड़की थी.
उसकी चलने की अदा तो इतनी सेक्सी थी कि चलते समय उसके हिलते हुए चूतड़ों को देखकर किसी का भी लंड बेकाबू हो सकता था.
वो बिल्कुल नागिन की तरह कमर और गांड मटकाते हुए चलती थी.
उसकी हाईट 5 फिट से कुछ कम थी और 32-28-34 का फिगर था. उसकी नशीली आंखें किसी भी मर्द को उसकी ओर आकर्षित करने के लिए काफी थीं.
जब वो मेरी दुकान पर आई तो उसने जींस और टॉप पहन रखा था.
जींस टाईट होने के कारण उसकी गांड का उभार साफ दिख रहा था.
जब मेरे हाल चाल पूछने पर उसने मुझ पर अपनी मुस्कान फेंकी तो मैं आनन्द से भर गया.
मेरा लंड सख्त होने लगा.
मुझे ‘बाईसा’ का मदमस्त जिस्म तड़पा रहा था.
जी में आ रहा था कि अभी अपना लंड इसकी गांड से भिड़ा दूँ और इसकी मस्त पतली कमर पकड़कर धक्के मारूं.
ऐसी कल्पना करते ही मैं उत्तेजना से भर गया. मेरी गर्म सांसें निकलने लगीं और धड़कन तेज हो गईं.
हो सकता है कि पर्वी ने मेरी हालत नोट की हो लेकिन वो नॉर्मल लग रही थी.
प्यार से उसको उसके जानने वाले पर्वी कहकर ही बुलाते हैं.
फिर पर्वी ने मुझे पैसे दिए और रिचार्ज करने के लिए बोला.
रिचार्ज होने के बाद वो चली गयी.
इसके बाद कई दिनों तक वो नहीं आई.
मैं उसके नशीले जिस्म की याद करके आह भर लेता था और जब कभी ज्यादा ही याद आने लगती तो मुझे मुठ मारकर अपने मन और लंड को शांत करना पड़ता था.
दूसरी लड़कियां भी आती रहती थीं.
एक लड़की का नाम फुल्ली था. वो मुझसे ज्यादा ही हिल मिल गयी थी.
मैं कभी कभी उसकी चूत पर हाथ भी फिरा लेता था.
लेकिन इससे आगे वो मुझे नहीं बढ़ने देती थी.
एक दिन मैंने उसकी चूत पर हाथ फिराते समय उसकी चूत भींच ली.
उसने मेरा हाथ छुड़ाया, वो शर्म और डर से लाल होकर चली गई.
काफी दिनों के बाद पर्वी (प्रवीण) फिर से मेरी दुकान पर आई.
इस बार उसके साथ उसकी छोटी बहन बिन्नी भी थी.
बिन्नी का असली नाम ब्रजकुंवर था लेकिन प्यार से उसे बिन्नी ही कहा जाता था.
बिन्नी, पर्वी से 3-4 साल छोटी थी. उन दोनों को देखकर उनकी उम्र के अंतर का अंदाजा लगाया जा सकता था.
बिन्नी का फिगर पर्वी के फिगर से एक या आधा इंच ही कम होगा.
लेकिन उसमें पर्वी से भी ज्यादा मादकता भरी हुई थी.
बिन्नी का चेहरा तो हर समय मुस्कुराता हुआ ही रहता था.
उसकी मादक, शर्मीली मुस्कान, नागिन जैसी चाल और जिस्म का कटाव देखकर कोई भी उस पर फिदा हो सकता था.
पर्वी ने आज भी रिचार्ज करवाया और जाने लगी,
तो मैंने कहा- इतनी क्या जल्दी है बाईसा? हाल चाल तो बताकर जाइए. कहिए पढ़ाई चल रही है या बंद कर दी?
वो रूक गई और मुस्कुराती हुई बोली- पढ़ाई तो बंद कर दी. घर पर खाली बैठकर मक्खियां मारती रहती हूं.
ये कहती हुई वो थोड़ी हंस दी.
मैंने कहा- अरे आपको टाईमपास करने के लिए मक्खियां मारनी पड़ती हैं. हम किस दिन काम आएंगे?
वो आंखें नचाकर बोली- आप क्या करेंगे?
मैंने कहा- हम आपका टाईमपास करेंगे, आपको चुटकुले सुनाएंगे.
पर्वी- अच्छा, तो सुनाइए.
मैं- ऐसे नहीं, अभी मैं काम में बिजी हूँ. फुर्सत मिलने पर सुना दूंगा.
पर्वी- कितने चुटकुले याद हैं आपको?
मैं- मेरे पास चुटकुलों की किताब है. उसमें एक हजार से भी ज्यादा चुटकुले हैं.
पर्वी- तो वो किताब मुझे दे दीजिए, मैं पढ़कर लौटा दूंगी.
मैं- नहीं, अगर आपको किताब दे देंगे, तो आप एक ही दिन में सारे चुटकुले पढ़ लोगी. उसमें आपको उतना मजा नहीं आएगा. मैं आपको हर दिन पांच-पांच चुटकुले सुनाऊंगा.
पर्वी- हर दिन कैसे सुनाएंगे, हम तो महीने में एक बार रिचार्ज करवाने आते हैं.
मैं- मैं आपको फोन पर सुनाऊंगा.
पर्वी- फोन पर?
वो थोड़ा झिझकने लगी.
लेकिन मैंने थोड़ी और बातें करके उसे मना लिया.
वो फोन पर बातें करने के लिए राजी हो गई.
अब हम दोनों फोन पर बातें करने लगे.
फोन पर चुटकुले सुनना-सुनाना, हंसी मजाक आदि चलने लगा.
फिर एक दिन मैंने उसे एक नॉनवेज जोक सुना दिया.
उसने धत्त कहकर फोन काट दिया.
इस तरह दिन-ब-दिन मेरा साहस बढ़ने लगा.
मैं गंदा मजाक भी करने लगा.
वो धत्त बोल देती थी लेकिन उसे भी अच्छा लगता था.
अब हम दोनों लंबे समय तक बातें करने लगे थे.
मेरी दुकान पर भी वो 7-8 दिन में एक बार आने लगी थी. बिन्नी उसके साथ ही होती थी.
हम दोनों खूब बातें करते थे, कभी कभी तो मैं पर्वी का हाथ भी दबा देता था.
अब मैंने उसकी चूत दबाना शुरू किया.
पहले तो उसने ऐतराज किया लेकिन फिर वो सहज हो गई.
इस तरह से हमारी बातें भी चलती थीं और मेरे हाथ उसकी चूत और गांड पर भी चलने लगे थे.
एक दिन दोपहर के समय वो मेरी दुकान पर आई.
आज वो अकेली ही थी.
उसको रिचार्ज करवाना था.
टाईट कपड़ों में उसका कातिलाना फिगर और मदमस्त नागिन जैसी चाल देखकर मैं तो कामवासना से भर गया.
मैंने उसकी ओर देखकर आंख मारते हुए एक सेक्सी आह भरी.
मैंने कहा- लगता है आज मुझे तड़पाने आई हो.
वो हंस कर बोली- नहीं तो, ऐसा क्यों कहा?
मैंने कहा- आज बहुत सेक्सी लग रही हो. अन्दर आ जाओ, रगड़ पेलाई खेलते हैं.
वो इधर उधर देखकर मुझे झिड़कती हुई बोली- चुप करो, यहां लोग देखेंगे.
मैंने कहा- दोपहर के वक्त यहां कौन है जो देखेगा? और तुम तो वैसे भी इस मौहल्ले की हो ही नहीं, तुम्हें कौन पहचानेगा?
वो कुछ नहीं बोली, बस सिर झुकाकर खड़ी रही.
मैं उसकी चूत पर हाथ फिराने लगा.
उसने सहमकर मेरी ओर देखा और मेरा हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी.
मैंने उसकी चूत को भींच लिया.
वो ड्रामा करती हुई रोनी सूरत बनाकर बोली- प्लीज यार, माना करो … कोई देख लेगा.
मैंने उसे हाथ से खींचकर अन्दर कर लिया और दुकान का शटर अन्दर से बंद कर दिया.
“अब कोई नहीं देखेगा मेरी जान.” ये कहते हुए मैं उसे चूमने लगा.
मेरा लंड लेने के लिए उसकी चूत भी आतुर हो रही थी लेकिन उसके मन में डर था कि कहीं कोई बाहर से शटर न खटका दे.
अब हमारी चुम्मा चाटी तेज हो चुकी थी.
उसका डर भी हिरन हो चुका था.
मैं उसके कूल्हे और मम्मे मसलते हुए उसके गाल, होंठ और गर्दन को चूमने चाटने में लग गया और हल्का हल्का काट रहा था.
वो भी इसी तरह से में चुम्मा-चाटी-काटी का जवाब दे रही थी.
मेरा लंड और उसकी चूत बुरी तरह आपस में टकरा रहे थे और एक दूसरे से मिलने के लिए बेचैन हो रहे थे.
कुछ देर बाद मैंने उसका टॉप और जींस उतार दिया और खुद भी कमीज और निक्कर उतारकर उसकी ब्रा और पैंटी खींचने लगा.
उसको पूरी तरह से नंगी करने के बाद मैंने भी अपना अंडरवियर उतारकर फैंक दिया और हम दोनों पूरी तरह नंगे एक दूसरे से लिपट गए.
फिर मैंने उसको जमीन पर लिटा दिया और उसकी चूत चाटने लगा.
वो पैरों के बीच मेरा मुँह भींच रही थी और चुत चटवाने का मजा ले रही थी.
उसको अपनी चुत की झांटें साफ़ किए हुए 20-25 दिन हो चुके थे, इसलिए चूत पर झांटें आई हुई थीं.
मुझे झांटों वाली चूत कुछ ज्यादा ही बहुत पसंद है.
उसकी काले बालों वाली चूत देखकर मेरे मन में वासना का ज्वर हिलोरें मारने लगा था.
मैं उसकी चूत में जीभ घुसाकर दाने को चाट रहा था.
मेरी जुबान की हरकत से उसे बेहद सनसनी हो रही थी.
वो अत्यधिक उत्तेजित होकर झड़ गयी. उसके झड़ने से मैं और ज्यादा उत्तेजित हो गया और मेरे लंड से प्रीकम निकलने लगा.
कुछ देर तक और चुत चाटकर मैंने उसे फिर से रेडी कर दिया था.
फिर मैंने उसकी चूत पर लंड रख दिया और रगड़ने लगा.
वो कुछ ही पलों में गांड उठाने लगी.
मैंने एक धक्का दे दिया.
पर्वी ने आनन्द और दर्द के मिले जुले भाव से ‘ऊंह मर गई …’ की आवाज निकाली.
अभी मेरा लंड 2 इंच तक उसकी चूत में धंस चुका था.
मैं उतना ही लंड पेले उसको चूमने लगा और धीरे धीरे धक्के मारने लगा.
कुछ ही देर में उसका दर्द खत्म हो चुका था और मेरा पूरा लंड भी उसकी चूत में एडजस्ट हो चुका था.
अब मैं हचक हचक कर पर्वी को चोद रहा था और उसको चूमे भी जा रहा था.
वो भी मचलने लगी थी और गांड उठा कर जवाब दे रही थी.
मैंने अपनी चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी.
वो भी कामुक आहें भरने लगी और अपने दोनों पैर मेरी कमर में लपेटकर चुदवाने लगी.
हम दोनों वासना के आनन्द में डूबकर एक दूसरे के अन्दर गड्ड-मड्ड से हो गए थे.
उसकी कामरस से गीली चिकनी चूत चोदने में मुझे बहुत आनन्द आ रहा था.
दस मिनट बाद उसका शरीर अकड़ने लगा.
उसने आंखें बंद कर लीं और मुझसे बुरी तरह लिपट गयी.
उसी समय उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
चुत पानी पानी हो गई थी. लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा था.
मैं दुगुनी उत्तेजना से भर गया और जोर जोर से धक्के मारते हुए पर्वी की चुत चोदने लगा.
मैं एक हाथ से उसकी कमर को सहलाते हुए और एक हाथ से उसके एक दूध को मसलते हुए उसकी फुद्दी को ताबड़तोड़ चोदने लगा.
वो फिर से गर्मा गई और आह आह करती हुई मुझे मजा देने लगी.
मुझे अपने तनबदन में तीव्र आनन्द उठता महसूस हो रहा था.
मैंने आंखें बंद करके चार पांच करारे घस्से मारे और फिर एकदम से लंड बाहर खींच लिया.
मेरा सुपारा पूरी तरह फूल चुका था और मुझे असीम आनन्द की अनुभूति हो रही थी.
तभी लंड ने दम तोड़ दी और मेरा वीर्य पर्वी की जांघों पर गिरने लगा.
काफी देर तक लंड झटके झटके खाकर पिचकारी मारता रहा जिससे पर्वी की जांघें और पेट सन गया.
मेरे लंड से इतना सारा रस निकला था कि पर्वी के पूरे शरीर की मालिश हो सकती थी.
मैंने उसके शरीर पर लगा, मेरा लंड रस खुद ही चाटकर साफ कर दिया.
मुझे अपना लंड रस चाटने में बड़ा मजा आया.
थोड़ी देर बाद वो उठकर कपड़े पहनने की कोशिश करने लगी लेकिन मेरा लंड एक बार फिर तैयार होने लगा था.
मैंने उसे पकड़कर घोड़ी बना दिया और पीछे से लंड उसकी गांड पर रगड़ने लगा.
वो ‘उन्ह आंह छोड़ो छोड़ो …’ कहने लगी.
मैं उसकी कमर सहलाते हुए अंगूठे से उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा.
इससे उसकी भी चुदास फिर से जाग गयी और वो लंड लेने के लिए तड़फने लगी.
मैंने लंड उसकी चूत पर जमाया और एक धक्का मारा.
फच्च्च की आवाज के साथ मेरा लंड उसकी गीली चूत में दाखिल हो गया.
मैं मजे से आगे पीछे होकर चोदने लगा.
वो भी ‘आह ऊंह आह्ह ऊंह उम्म्म …’ की मादक आवाज निकालती हुई गांड हिला हिलाकर चुदवाने लगी.
मैं उसकी कमर पर हाथ रगड़ रहा था जिससे उससे गुदगुदी हो रही थी.
वो बार बार अपनी चूत भींच ले रही थी.
उसकी चूत के कसावट से मेरा लंड और उत्तेजित हो जाता और मैं ज्यादा जोश में आकर उसे चोदने लग जाता.
मैंने उसको थोड़ा सा ऊपर उठाकर दीवार के सहारे झुकाकर डॉगी स्टाईल में ही खड़ा किया और उसके शरीर को अपने हाथों में भींचकर चोदने लगा.
मैं चुदाई के दौरान उसके मम्मे भी मसल रहा था और उसकी पीठ पर चूमते हुए एक्सप्रेस ट्रेन की रफ्तार से धक्के मार रहा था.
कुछ देर बाद मैंने उसे सीधा खड़ा किया और उसकी टांग उठा कर उसकी चुदाई करने लगा.
इस पोजिशन में मुझे एक अलग ही तरह का सेक्स का मजा मिल रहा था.
वो भी इस पोजिशन से खुश थी और आनन्द से आहें भरती हुई लंड ले रही थी.
उसकी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी. अब मेरा लंड भी उसकी चूत में साँप की तरह फुंफकार रहा था और किसी भी पल अपना जहर छोड़ सकता था.
मैंने इसी तरह खड़े खड़े उसके शरीर को भींचकर जकड़ लिया और पूरी स्पीड से चोदने लगा.
तभी मेरा शरीर अकडने लगा, आनन्द की मीठी धारा उठने लगी.
मैं एड़ियों के सहारे उठ गया.
तभी मेरे शरीर ने एक के बाद एक कई झटके खाए और पूरा माल पर्वी की चूत में छूट गया.
मैं तब तक पर्वी की चूत में लंड डालकर खड़ा रहा जब तक रस का एक एक कतरा उसकी चूत में न छूट गया.
फिर मैंने लंड बाहर निकाला.
उसकी चूत से मेरा और उसका संयुक्त कामरस बहकर उसकी टांगों पर गिरने लगा.
उसके बाद वो कपड़े पहनकर घर चली गयी.
अब अवसर पाकर हम दोनों अक्सर सेक्स का आनन्द ले लेते हैं.
जब कभी गलती से या उत्तेजना में मैं अपना वीर्य उसकी चुत के अन्दर ही गिरा देता हूँ तो उसे गर्भ रोकने की गोली भी दे देता हूँ.
बिन्नी को हमारे बारे में पता चल गया है.
वो और पर्वी दोनों, आपस में बहनों से ज्यादा सहेलियां हैं … इसलिए एक दूसरे की बात किसी से नहीं करती हैं.
पर्वी की चूत का स्वाद तो मेरे लंड ने चख लिया था.
अब मेरा लंड बिन्नी की चूत मांग रहा है.
मैं कोशिश करूंगा कि भी मेरे लौड़े के नीचे आ जाए.
उसकी चुत मिलते ही मैं आपको बिन्नी की चुदाई की कहानी सुनाऊंगा.