नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम टोनी है. आप सबका अन्तर्वासना में स्वागत है. उम्मीद है आप सब मस्ती में होंगे. मेरी ये नई सच्ची दास्तां जो कुछ ही दिन ही पुरानी है आप लोगों को अपनी चूत में उंगली और मुट्ठ मारने पर मजबूर कर देगी।
तो आइए कहानी शुरू करते हैं।
मेरी कहानी
सेक्सी अन्तर्वासना फैन गर्ल मस्त चुदाई
पढ़कर मेरे पास बहुत सारे लोगों के मेल आये और कहानी को बहुत सराहा।
उन्हीं में से मुझे एक हिसार के लड़के अंकुर का मेल मिला। अंकुर ने मेरी कहानी को बहुत सराहा और मुझसे एक बार फोन पर बात करने के लिए बोला।
मैंने उसको मेल पर ही बात बताने के लिए बोला लेकिन उसके बार बार जिद करने पर मैंने उसे अपना नम्बर दे दिया।
उसकी उसी दिन शाम को कॉल आई।
सबसे पहले तो उसने मेरी सारी कहानियों की बहुत प्रशंसा की और फिर उसने कहा कि वो मुझसे एक काम करवाना चाहता है।
जब मैंने उसको खुलकर बात करने के लिए कहा तो उसने बताया कि वो हिसार का रहने वाला है और अपने माँ-बाप की इकलौती औलाद है।
उसने बताया कि उसके पिताजी आर्मी में जॉब करते हैं और माँ हाउस वाइफ है।
फिर उसने थोड़ा रुककर कहा कि वो मुझसे अपनी माँ को चुदवाना चाहता है।
यह बात सुनकर एक बार तो मैं खुद हैरान हो गया; फिर भी मैंने उसको पूरी बात बताने को बोला।
उसने बताया कि उसने कुछ दिन पहले अपनी माँ को उसके चचेरे भाई के साथ चुदते हुए पकड़ा था। उस दिन वो चाहकर भी अपनी माँ और चचेरे भाई को कुछ नहीं बोल पाया।
बाद में उसकी माँ ने उसे बताया कि वो सेक्स के लिए तरसती है क्योंकि उसके पापा कई कई महीनों में घर आते हैं और उसके साथ कुछ करते भी नहीं।
उस दिन से वो और उसकी माँ आपस में बिल्कुल खुल चुके हैं।
उसने बताया कि उसकी माँ उसके पापा से 12 साल छोटी है। वो ये सब अपनी माँ की खुशी के लिए कर रहा है।
अंकुर की बात सुनकर मैं हक्का-बक्का रह गया। मैंने उसको कहा- तुम खुद ही अपनी माँ के साथ सेक्स क्यों नहीं करते, घर की बात घर में रह जाएगी।
उसने मुझे बताया कि उसको औरतों में कोई रूचि नहीं है। वो गे है और उसकी माँ को भी यह बात पता है। एक बार उसकी माँ ने उसको भी उनके घर में ही उसे उसके दोस्त से चुदते हुए देखा था।
ये सब सुनकर मुझे सच में यकीन नहीं हुआ लेकिन फिर भी दरवाजे पर आई हुई एक नई चूत के बारे में सोचकर मैंने उसको व्हाट्सएप्प पर उसकी माँ की कुछ पिक्स भेजने को कहा।
उसने तभी एक सेक्सी हॉट औरत की कुछ पिक्स भेजी, कुछ में तो वो उसके साथ था। कसम से तस्वीरें देख कर बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि ये औरत एक 20 साल के लड़के की माँ होगी। पिक्स को देखते ही मेरा 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लन्ड मेरी लोअर में हिचकोले मारने लगा।
मैंने उससे मिलने के लिए पूछा तो उसने अगले ही दिन मुझे आने के लिए बोल दिया।
मेरे दिल में अभी तक हलचल हो रही थी कि जाऊं या ना जाऊ … लेकिन एक नई चूत के लिए मैंने रिस्क उठाना बेहतर समझा।
रात को हमारी एक बार फिर बात हुई और उसने रात को अपनी माँ से मेरी व्हाट्सएप्प पर बात करवाई। अब जाकर मुझे ये सब ठीक लग रहा था। लेकिन मैंने उसको साफ साफ बता दिया कि मैं सिर्फ उसकी माँ के साथ ही चुदाई करूँगा, उसके साथ नहीं!
तो उसने मेरी इस बात को मान लिया।
अगले दिन सुबह मैं घर से तैयार होकर हिसार के लिए निकल गया।
रोहतक पहुँचकर मैंने एक मेडिकल स्टोर से दो पैकेट कंडोम के लिए। फिर वहां से हिसार की बस पकड़कर हिसार के लिए चल दिया। हिसार पहुँचने से कुछ देर पहले ही मैंने उसको फोन करके आने के लिए बोल दिया।
करीब 11 बजे जब मैं हिसार बस अड्डे पर पहुँचा तो वो वहां पहले से आकर मेरा इंतज़ार कर रहा था। वहां से हम दोनों उसकी गाड़ी में हिसार के सेक्टर में उसके घर गए।
उसका घर एक आलीशान कोठी था, घर से पता चल रहा था कि वे एक बहुत अमीर परिवार के हैं।
घर के अंदर पहुचकर में उसकी माँ से मिला। उसकी माँ दिखने में एकदम गोरी, चिट्टी कड़क माल थी। अंकुर की मां कविता की उम्र करीब 39-40 साल, करीब 5.2″ की हाइट, गोरा रंग, नशीले नयन और लाल सूट और पजामी में एकदम कड़क सेक्सी गर्म माल लग रही थी।
कविता को देखकर ही मेरा लन्ड जीन्स में हिचकोले मारने लगा।
थोड़ी देर बाद इधर उधर की बातें करने के बाद उसने हमारे लिए खाना बनाया और हम तीनों ने साथ में खाना खाया। खाना खाने के बाद हम उनके ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठकर बातें करने लगे।
उसके बाद अंकुर ने कहा कि वो थोड़ी देर के लिए अपने दोस्त के घर जा रहा है और इतना कहकर वहाँ से निकल गया।
उसके जाने के बाद उसकी माँ और मैं दोनों ही अकेले रह गए थे। चूंकि मैं थोड़ा शर्मीले स्वभाव का हूँ तो मेरी पहल करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
थोड़ी देर बातें करने के बाद अंकुर की माँ कविता ने खुद मेरा हाथ पकड़ लिया और एक हाथ से मेरी जांघों को सहलाने लगी।
अब मेरा लौड़ा भी तनकर तैयार हो चुका था। मैंने फिर देर ना करते हुए कविता को वहीं सोफे पर लेटा दिया और उसके उपर चढ़कर उसके होठों को चूमने लगा।
वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।
उसको चूमते हुए मैं उसके चूचों को भी दबा रहा था। कुछ ही देर में कविता के मुँह से जोर जोर से आहें निकलने लगी।
फिर मैंने उसके शर्ट को ऊपर उठाया और उसकी चूचियों को चूसने लगा।
अब तक मेरा एक हाथ उसकी पजामी के अंदर जा चुका था और मैं उसकी पैंटी के अंदर हाथ देकर उसकी चूत को सहलाने लगा।
उसकी चूत एकदम से क्लीन शेव थी जैसे कि थोड़ी देर पहले ही झांटों की सफाई की हो। उसकी चूत एकदम से गीली हो रही थी।
मैंने अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दी और जोर जोर से आगे पीछे करने लगा।
2 ही मिनट में उसकी चूत ने गाढ़ा पानी छोड़ दिया जिससे मेरा पूरा हाथ गीला हो गया।
फिर कविता ने मुझे आने ऊपर से हटाया और अपने साथ मुझे उसके बेडरूम में ले गयी।
वहाँ जाकर कविता एक बार फिर मेरे ऊपर भूखे शेर की तरह टूट पड़ी और मेरे कपड़े निकालने लगी। इधर मेरे लन्ड का भी बहुत बुरा हाल हो गया था।
एक मिनट में उसने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और फिर अपने भी सारे कपड़े निकाल दिए। अब मैं और कविता बिल्कुल नंगे थे।
कविता ने देर न करते हुए मेरा लौड़ा अपने मुँह में भर किया और जोर जोर से चूसने लगी। कुछ ही मिनट में ही मेरे लौड़े ने वीर्य छोड़ दिया जिसको वो सारा पी गयी।
उसके बाद भी उसने मेरे लन्ड को बाहर नहीं निकाला और चूसती रही। मेरे लण्ड में हल्का हल्का दर्द होने लगा और मैं उसको लन्ड बाहर निकलने की कहने लगा लेकिन उसने मेरी एक न सुनी और घूमकर अपनी चूत को मेरे मुंह पर रख दिया।
अब हम दोनों 69 की पोजीशन में थे। वो अपनी चूत से मेरे मुंह को दबा रही थी और मैं भी उसकी चूत को जमकर चाट रहा था।
कुछ देर बाद ही मेरा लौड़ा फिर से तनकर खड़ा हो चुका था और वो इसको लॉलीपॉप की तरह चूसे जा रही थी।
थोड़ी देर बाद कविता मेरे ऊपर से हटी और बेड पर सीधी लेट गयी और मुझे अपना लन्ड उसकी चूत में डालने को बोला।
मैंने मेरी जीन्स से कंडोम का पैकेट निकला और एक कंडोम निकाल कर इस पर चढ़ाया। फिर कविता की दोनों टांगें खोलकर एक ही झटके में पूरा लौड़ा उसकी चूत की गहराई में उतार दिया और जोर से तेज तेज झटके मारने लगा।
कविता ने दोनों टांगें मेरी कमर के चारों और लपेट दी और अपने नाखून मेरी कमर में गाड़ दिए। अपने दांतों से वो मेरे बदन को काटने लगी। मुझे हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था लेकिन जोश भी पूरा चढ़ा हुआ था।
5 मिनट ऐसे ही चोदने के बाद मैंने कविता को घोड़ी बनाया और पीछे से अपना लन्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया। इस दौरान कविता जी एक बार झड़ चुकी थी लेकिन वो फिर भी और जोश में थी।
ऐसे चोदते हुए जब मेरा माल निकलने को हुआ तो उसने कहा कि उसको माल पीना है.
तो मैंने लन्ड उसकी चूत में से निकलकर उसके मुंह में दे दिया और कुछ देर बाद उसके मुंह के अंदर ही सारा माल छोड़ दिया जिसको वो सारे का सारा पी गयी।
अब हम दोनों निढाल होकर बेड पर एक दूसरे से चिपके पड़े थे।
फिर कविता ने मुझे बताया कि उसका पति उसे कभी कभी ही चोद पाता है और वो पहले भी कई लोगों से चुद चुकी है।
उसके चेहरे पर सन्तुष्टि के भाव साफ नजर आ रहे थे।
कुछ देर बाद फिर वो मेरे लौड़े को चूसने लगी। फिर हमने दो बार और चुदाई की। एक बार मैंने उसकी गांड भी मारी।
4 बजे उसने अपने बेटे अंकुर को फोन करके घर बुला लिया। फिर मैंने उनसे जाने के लिए कहा तो कविता ने मुझे फिर से मिलने का वादा किया। फिर करीब 5 बजे अंकुर ने मुझे हिसार बस अड्डे पर छोड़ दिया और में वह से बस पकड़कर घर आ गया।
तो दोस्तो, यह थी मेरी और एक गांडू की माँ की चुदाई की कहानी। कहानी कैसी लगी मुझको मेल करके जरूर बताइयेगा अगर लिखने में कोई गलती हो गयी हो तो उसके लिए क्षमा चाहूंगा।
धन्यवाद
आपका दोस्त टोनी, सोनीपत, हरियाणा
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