मैं बहुत गरीब था. मेरी एक बहन थी बस … मेरे माँ बाप नहीं थे.
जब मैं बड़ा हो चुका था लेकिन मेरी गरीबी अभी भी वैसी ही थी.
मैं अभी मेहनत करके ही अपना गुजारा करता था.
मेहनत करते-करते मैं मेरा शरीर पत्थर की तरह बन चुका था लेकिन मैं कभी मेहनत से नहीं भागता था.
पर मुझे अपनी बहन को खुश करना था और उसके लिए ढेर सारे पैसे कमाने थे ताकि मैं उसकी किसी अच्छे घराने में शादी करवा सकूं और खुद भी अच्छे से जीवन जी सकूं.
मैं बहुत ही मेहनत कर रहा था लेकिन अभी मुझे सफलता नहीं मिल पा रही थी.
लेकिन पहले मैं आपको अपने बीते समय में ले चलता हूँ.
यह तब की समय की बात है जब मैं और मेरी बहन छोटे थे.
तो मैं अपनी बहन की हर जरूरत को पूरा करना चाहता था क्योंकि परिवार के नाम पर मेरे साथ सिर्फ मेरी बहन ही थी.
मैं चाय की एक दुकान में चाय देने का काम करता था. तब मैं दुकान से चाय लेकर लोगों के दफ्तरों में जाया करता था और वहीं से थोड़े बहुत पैसे कमा लेता था.
इसी तरह से मैं पैसे कमा कर अपनी बहन के लिए कुछ ना कुछ लेकर जाता था.
वह घर पर अकेली रहती थी. मुझे उसकी चिंता भी रहती थी कि वह क्या कर रही होगी.
लेकिन अगर मैं यह काम नहीं करूंगा तो उसके लिए उसकी जरूरत का सामान कैसे खरीदूंगा.
मैं अपनी बहन से बहुत प्यार करता था.
एक दिन मैं अपनी बहन को लेकर बाजार गया तो वहां उसे एक फ्रॉक पसंद आई.
तब उसने वह फ्राक लेने की जिद की.
फिर हम दोनों दुकान पर गए और दुकान वाले से वह फ्रॉक दिखाने को कहा.
वह मेरी बहन को बहुत पसंद आई थी लेकिन मेरे पास तो इतने पैसे ही नहीं थे तो दुकानदार ने पैसे ना होने की वजह से हमें वहां से भगा दिया और कहा- पहले पैसे लेकर आओ उसके बाद फ्रॉक खरीदना.
मुझे बहुत बुरा लगा क्योंकि मेरी बहन को वही फ्रॉक चाहिए थी.
उस दिन मैंने सोच लिया था कि वह फ्राक मैं अपनी बहन के लिए लेकर ही रहूंगा.
एक दिन मैं सोच रहा था कि कल वैलेंटाइन डे है. लड़का और लड़की दोनों आपस में मिलने जाएंगे. मुझे वैलेंटाइन का मतलब तो पता नहीं था लेकिन जो भी था बहुत अच्छा था.
मुझे पता था कि इस दिन गुलाब बहुत बिकते हैं.
मेरे पार थोड़े पैसे जमा थे, उनसे मैंने उस दिन काफी सारे गुलाब के फूल लिए और ₹10 का गुलाब ₹50 में बेचने की सोची क्योंकि उस दिन तो यह गुलाब बिकने ही थे.
इसलिए मैं ढेर सारे गुलाब लेकर जगह जगह घूमने लगा और सबको गुलाब बेचने की कोशिश करने लगा.
मैंने एक भैया से कहा- गुलाब ले लो भैया!
उन्होंने मुझसे पूछा- यह गुलाब कितने का है?
मैंने कहा- ₹50 का.
तो उन्होंने कहा- ₹10 का गुलाब तुम 50 का दे रहे हो.
मैंने कहा- भैया आज वैलेंटाइन है तो मैंने सोचा आज यह 50 में भी बिक जाएगा.
फिर उसने मेरी मासूमियत देखकर सारे गुलाब खरीदने के लिए कहा- यह सारे गुलाब कितने में दोगे?
मैंने कहा- हजार रुपए में.
लेकिन उसने कहा- हजार बहुत ज्यादा हैं, थोड़ा कम करो.
तो मैंने कहा- 800 दे दो भैया.
फिर उन्होंने मुझे ₹700 दिए और सारे गुलाब खरीद लिए.
मैं बहुत खुश हुआ कि मेरे सारे गुलाब बिक गए.
सारे गुलाब बिकने के बाद मैं फिर से उसी दुकान पर गया जिस दुकान पर उस दिन मैं और मेरी बहन फ्रॉक देने गए थे.
मैंने उन्हें कहा- अंकल वह फ्रॉक दिखा दो.
लेकिन उन्होंने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया.
उन्हें लगा कि आज भी मैं ऐसे ही बिना पैसों के आया हूं और उनसे फ्रॉक मांग रहा हूं.
मैंने उनसे कई बार फ्राक दिखाने को कहा लेकिन वे मेरी तरफ देख ही नहीं रहे थे.
फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे वहां से जाने को कहा.
लेकिन मैंने उनसे पूछा- यह फ्रॉक कितने की है?
तो उन्होंने बताया- 500 की.
फिर मैंने वह फ्रॉक उनसे मांगी तो उन्होंने कहा- पहले पैसे लेकर आओ, फिर फ्रॉक लेने आना.
मैंने उन्हें पैसे दिखाएं तो उन्होंने कहा- कि आज तुम्हारे पास इतने सारे पैसे कहां से आए?
तब मैंने उन्हें बताया कि गुलाब बेच कर मैंने यह पैसे कमाए थे.
तो उन्होंने मुझे वह फ्रॉक दे दी.
फ्राक खरीदने के बाद मैं अपनी बहन के लिए कुछ खाने की चीजें भी लेकर गया.
जब मैं घर पहुंचा तो मैंने अपनी बहन को जोर-जोर से आवाज़ लगाई और मेरी बहन दौड़ती हुई बाहर आई.
मैंने उसे वह फ्रॉक दी और कहा- हैप्पी वैलेंटाइन डे.
उस दिन वह उस फ्राक को देखकर बहुत खुश हुई.
प्यार तो प्यार होता है … चाहे वह बहन ही क्यों ना हो.
इसी तरह मैं अपनी बहन की छोटी-छोटी ख्वाहिशों को पूरी करता रहता था.
लेकिन अब :
मुझे सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिल गई थी क्योंकि मेरा शरीर बहुत ही कड़क है.
तो उसे देखते हुए मुझे एक जगह गार्ड की नौकरी मिल गई.
उस घर में सिर्फ मियां-बीवी रहते थे जो हमारे मालिक थे.
साहब कम ही घर पर रहते थे और हमारी मालकिन घर पर रहती थी.
अब मेरी बहन शादी लायक हो गयी थी तो उसकी शादी के लिए पैसे जमा करने थे.
एक दिन उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और कहा- तुम्हें बहुत पैसे की जरूरत है. तो मैं तुम्हें पैसे दिलवा सकती हूं.
मैंने उसे कहा- हां ठीक है. उसके लिए मुझे क्या करना होगा?
तो उसने मुझे कहा- तुम्हें एक जिगोलो बनना पड़ेगा. मुझे और मेरी सहेलियों को खुश करना पड़ेगा.
मुझे पता नहीं था कि जिगोलो क्या होता है, फिर भी मैंने उन्हें कहा- ठीक है, आप जो कहेंगी, मैं करूंगा.
पर इतना मुझे पता था कि सेक्स क्या होता है और मालकिन सेक्स की बात कर रही हैं.
उन्होंने मुझे कहा- रात को तुम घर के अंदर आ जाना.
उन्होंने उस दिन रात को अपने घर पर अपने दो सहेलियों को और बुला लिया.
मैं रात को घर में गया तो मैंने देखा उन तीनों ने बहुत ही सेक्सी ड्रेस पहनी हुई है.
मुझे उन्हें देखकर सच में सेक्स चढ़ गया था.
उन तीनों ने मेरे कपड़े खोल दिए.
जैसे ही उन्होंने मेरे कपड़े खोले तो वे कहने लगी- तेरा शरीर तो बहुत ही सख्त और कड़क है.
मैंने उन्हें कहा- मालकिन, मेहनत करने से शरीर ऐसा ही हो जाता है.
अब उन्होंने मेरे लंड को जैसे ही बाहर निकाला तो बोली- तेरा लंड भी बहुत कड़क है.
और वे तीनों बारी-बारी से मेरे लंड को चूसने लगी.
वे तीनों बहुत ही खुश हो गई.
पहले मेरी मालकिन मेरे आगे लेट गई और कहने लगी- मेरी चूत को चाट कर गीला कर और फिर इसमें अपना लंड डाल दे.
मैंने पहले तो उनकी योनि को थोड़ा सा चाटा और अब उसकी चूत में लंड डाल दिया.
जैसे ही मेरा लंड अंदर गया, वे चिल्लाने लगी और कहने लगी- तेरा लंड बहुत ही मोटा है.
मैं ऐसे ही धक्के मारता रहा और काफी समय तक अपने लंड को अंदर बाहर करता रहा.
उनकी गर्मी निकलने लगी थी तो मेरा भी काम तमाम होने को था.
मालकिन को आभास हो गया कि मैं झड़ने वाला हूँ. वो बहुत तजुर्बा जो रखती थी चुदाई का!
उन्होंने मेरा लंड अपनी चूत से निकाल कर अपने चेहरे पर ले लिया.
मेरा लंड जैसे ही झड़ा तो मैंने उसके मुंह में पूरा माल गिरा दिया.
अब मालकिन की दूसरी सहेली भी मेरे आगे लेट गई और कहने लगी- मेरी भी चूत की खुजली मिटा दे.
मैंने उसके स्तनों को पहले तो अच्छे से चूसा और उसके दूध को भी पी लिया.
मुझे बहुत मजा आया.
इतने में मेरा लंड फिर खड़ा हो गया.
उसके स्तन बहुत बड़े-बड़े थे और मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रख लिया, उसकी योनि में अपना लंड डाल दिया.
जैसे ही मैंने उसकी योनि में अपना लंड डाला; वह बहुत चिल्लाने लगी.
मैंने बहुत समय तक उसको झटके मारे क्योंकि वह दिखने में बहुत ही सुंदर थी. मुझे उसको छोड़ने का मन नहीं कर रहा था.
मैं उसे झटके मार रहा था और वह बड़ी तेज से चिल्ला रही थी.
वह अपने चूतड़ों को मेरी तरफ धक्के मार कर ला रही थी.
मैं यह देख कर बहुत खुश हो रहा था.
अब मेरा वीर्य निकलने वाला था.
मैंने उसकी योनि में ही अपने वीर्य को गिरा दिया.
उसके बाद उन तीनों ने मेरे लंड को चूसना शुरू किया. वे बहुत ही अच्छे से चूस रही थी. वे मेरे अंडे को भी अपने मुंह में लेकर चूस रही थी.
इतने में मेरा लंड फिर खड़ा हो गया तो उनकी तीसरी सहेली को मैंने घोड़ी बना दिया और उसकी गांड में अपने लंड को डाल दिया.
जैसे ही मैंने उसकी गांड में अपने लंड को डाला तो वह बहुत चिल्लाने लगी और छटपटाने लगी.
लेकिन मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और मैं उसे इतनी तेज तेज झटके मार रहा था कि उसका पूरा बदन काम्प रहा था.
मैंने उसके पूरे शरीर को हिला कर रख दिया था और उसकी चूतड़ बहुत बड़ी-बड़ी थी तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था.
मैं इतने तेज तेज धक्के मार रहा था.
वो कहने लगी- मुझसे तो सहन नहीं हो पा रहा है.
लेकिन मैंने उसे छोड़ा नहीं!
अब जब मेरा वीर्य निकलने वाला था तो मैंने उसकी गांड के अंदर ही अपने वीर्य को निकाल दिया और वह उसकी गांड से धीरे-धीरे टपक रहा था.
वे तीनों सहेलियाँ मेरी चुदाई से बहुत खुश हुई और उन्होंने मुझे बहुत पैसे दिए.
उसके बाद वह अपनी सहेलियों को अपने घर पर ही बुलाती थी और मैं उन्हें वहीं पर चोदता था.
अब मुझे Xxx जिगोलो सेक्स का मतलब समझ आ गया था.
मैं ऐसे में ही बहुत पैसे कमाने लगा था और सिर्फ कहने के लिए गार्ड की नौकरी करता था.
लेकिन मैं था एक जिगोलो.
कुछ समय बाद मैंने अपनी बहन की भी एक अच्छे घर में शादी कर दी और अब मैं भी एक अच्छा जीवन जी रहा था.