देवर भाभी की सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मेरी नयी आयी भाबी बहुत सेक्सी हैं. भाई ड्यूटी पर गए हुए थे तो मैं भाई के बिस्तर पर सोया. रात में भाबी ने क्या किया?
मेरा नाम संदीप है. अभी मैं 21 साल का एक सुन्दर और आकर्षक लौंडा हूँ. मेरी हाइट 6 फिट की है.
मैं झारखण्ड के हज़ारीबाग ज़िले का रहने वाला हूँ.
ये एक मस्त देसी सेक्स कहानी है, जिसे मैं आप सभी से शेयर कर रहा हूँ, शत प्रतिशत सच्ची है. इसमें मैंने कोई फालतू मसाला नहीं डाला है.
ये देवर भाबी Xxx कहानी सन 2019 के दिसम्बर के आखिर की है.
मेरे भैया का विवाह अप्रैल 2019 में हुआ था. भाबी के घर में आ जाने के कारण घर में एक सदस्य का इजाफा हो गया था.
उस वक्त मेरे घर में सिर्फ मेरे माता-पिता, भाबी-भैया और मैं ही था.
जब भैया की शादी हुई थी, तो मैं उस टाइम बोर्ड कम्पलीट करने सिक्किम गया था. मैं वहां से दिसम्बर की 14 तारीख को वापस आया था.
भैया की शादी होने के बाद आज ही मैंने भाबी को देखा था. मैं अपनी भाबी के बारे में आपको बता देता हूँ.
मेरी भाबी का नाम सुनीता है. उनकी उम्र 2019 में 19 साल थी. भाबी का फिगर 32-26-38 का था. एकदम कमाल का फिगर था. उनकी ऊंचाई 5.5 इंच है. भाबी साड़ी में बहुत सेक्सी लगती हैं. उनकी अड़तीस इंच की उठी हुई गांड के कारण साड़ी में भाबी पीछे से क़यामत ढाती हैं. उस समय मैं अपनी भाबी से सिर्फ चार महीने ही छोटा था.
जब मैं घर आया, तो मेरे भैया कुछ दिन पहले ही मुंबई अपनी ड्यूटी पर गए हुए थे.
घर पर सिर्फ चार लोग ही थे.
गांवों में रात का खाना जल्दी होता है, सो हम सभी 8 बजे तक सो जाते हैं.
भैया तो घर में थे नहीं, भाबी भी एक ही रूम सो जाती थीं. अब मैं आ गया, तो मुझे भी वहीं सोना था.
मैंने खाना खाया और सोने के लिए बिस्तर पर लेट गया.
जल्दी ही मुझे नींद आ गई.
भाबी मम्मी पापा को खाना खिला कर आईं और वो भी मेरे ही बिस्तर पर सो गईं.
हालांकि उनका बिस्तर मेरे बाजू में ही था.
अब जैसे एक लड़का और लड़की दोस्त नहीं हो सकते, उसी प्रकार जवान भाबी और देवर एक साथ सो जाएं और कोई कांड न हो, ऐसा हो नहीं सकता है.
मुझे उस रात पता नहीं था कि भाबी मेरे साथ सो रही हैं. पर रात में वो कभी-कभी तकिये की तरह मुझे अपने सीने से लगा रही थीं.
मुझे लगा शायद पापा मेरे पास सोए हुए हैं.
सुबह हुई, सब कोई अपने अपने काम में लग गए.
दूसरे दिन अकेले में भाबी मुझसे बात करने लगीं- तुम तो बड़े बेसुध होकर सोते हो!
मैंने कहा- क्या हुआ भाबी … कोई गलती हो गई थी क्या?
भाबी बोलीं- हां गलती हुई थी.
मैं सकपका गया कि मुझसे भला क्या हो गया. मैंने भाबी से पूछा- भाबी मैंने क्या गलती कर दी थी!
भाबी- मैं तुम्हें कितना जगाने की कोशिश की मगर तुम जागे ही नहीं.
मैंने कहा- क्या मुझसे कोई काम था भाबी?
भाबी मुस्कुराने लगी- हां काम तो था मगर तुम किसी काम के लगते नहीं हो.
ये कहते हुए भाबी ने एक आंख दबा दी.
अब मैं समझ गया कि मामला कहीं और जा रहा है. मैंने इधर उधर देखा तो कोई नहीं था.
मैंने भाबी से कहा- आपको मुझसे क्या काम करवाना है भाबी!
भाबी ने एक आह भरी और बोलीं- पूरे पप्पू हो क्या … अब तक कोई सहेली नहीं बनाई है क्या!
मैं समझ गया कि भाबी पहुंची हुई चीज हैं.
मैंने भाबी से कहा- हां भाबी मैं अब तक कुंवारा ही हूँ … आपकी कृपा रही तो पूरा मर्द बन जाऊंगा.
भाबी हंस दीं.
वो खुल कर बोलीं- जब मैं रात में तेरे सर को अपनी तरफ खींच बूब्स में दबा रही थी, तो तुमने कुछ किया क्यों नहीं!
मैं भाबी की बात सुनकर हैरान रह गया.
भाबी एकदम से सेक्स की बात करने लगी थीं.
मैंने कहा- आप अपने मम्मों में मुझे क्यों लगा रही थीं?
भाबी सर पटकते हुए बोलीं- हाय राम किधर सर मार रही हूँ मैं … तुम क्या जन्म से ही ऐसे हो … या मुझे चूतिया बना रहे हो?
उनकी इस अदा पर मैं हंस पड़ा.
तभी मम्मी की आवाज आई, तो मैं वहां से चला गया.
जाते जाते मैंने भाबी को आंख मार दी.
भाबी ने भी हंस कर आंख दबा दी.
रात हुई तो कल के जैसे भाबी मेरे बाजू में सो गईं.
अब जब भाबी फिर से मुझे सीने से लगा रही थीं, तो मैं समझ गया कि इनकी भट्टी सुलग रही है और ये मुझसे चुदना चाहती हैं.
जैसे ही भाबी ने मुझे अपनी बांहों में लिया, मैंने जवाब देते हुए उनके मम्मों को हाथ में पकड़ना चाहा.
तो ब्रा सामने आ गई.
अभी उनके मम्मों की सुरक्षा में ब्रा थी, तो मेरा हाथ भाबी की ब्रा में फंस गया.
हालांकि भाबी की सांसें बेकाबू होने लगी थीं.
मैंने भाबी को चूमा, तो भाबी ने अपनी सांसें कम करते हुए मेरे हाथों के लिए जगह बना दी.
मतलब उन्होंने ब्रा ढीली कर दी थी. जिससे अब मैंने भाबी के मक्खन से मम्मों को पकड़ लिया था.
मैं भाबी के दूध मसलने लगा और यही तो वो चाहती थीं.
जैसा कि मैंने बताया कि दिसम्बर की ठंडी की रात थी. हम दोनों अपने ऊपर से कम्बल ओढ़े हुए थे.
कम्बल के अन्दर का तापमान काफी बढ़ चुका था.
हम दोनों एक दूसरे से चूमाचाटी करने लगे थे. मेरी मस्त भाबी अपने मम्मों को पकड़ कर मेरे मुँह में दे रही थीं.
मैं भी कामुक हो उठा था तो मैंने भी मज़ा लेते हुए भाबी के मम्मों को चूसना और दबाना शुरू कर दिया.
भाबी ने चुदाई की पूरी तैयारी कर रखी थी. वो सिर्फ दूध चुसवाने तक कैसे रुक सकती थीं.
दूध पिलाते हुए भाबी ने कहा- अब दूध ही पियोगे या आगे भी कुछ करोगे?
मैंने भाबी से कहा- आप मार्गदर्शन कीजिए.
ये सुनते ही भाबी ने मेरी चड्डी में हाथ डाल दिया और मेरा लंड मसलने लगीं.
आज पहली बार कोई लड़की ने मेरा लंड अपने हाथ में लिया था.
इससे पहले तो अपना हाथ, जगन्नाथ था.
मैं भाबी के हाथों का पूरा मज़ा ले रहा था. वो मेरे लंड दबातीं, तो मैं उनके मम्मों को दबाता, कभी चूसता. मुझे भाबी के दूध बड़े मुलायम महसूस हो रहे थे.
अब भाबी ने मेरा हाथ अपने चुचे से हटा दिया और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी फुद्दी पर ले गईं.
मगर भाबी की फुद्दी पर भी दरवाजा लगा था, मेरा मतलब वो पैंटी पहनी हुई थीं.
मैंने कहा- भाबी ढक्कन तो हटाओ.
भाबी ने मेरे कान में कहा- फाड़ दो पैंटी को.
पर मैं भाबी की पैंटी को फाड़ नहीं सका क्योंकि चिर्र की आवाज होने का भय था.
मेरी मम्मी कहीं जाग न जाएं तो मैंने भाबी से कहा.
भाबी ने थोड़ी सी अपनी कमर उठा कर पैंटी को नीचे सरका दिया.
मैं अपनी हथेली को भाबी की फुद्दी पर लगाए हुआ था.
फिर मैंने अपनी एक उंगली भाबी की चूत में डालनी चाही, पर गलती से उनकी जीरो (गांड) में चली गई.
वो एकदम से चीख पड़ीं और भाबी ने मेरा हाथ वहां से हटा दिया.
मम्मी भी पूछने लगीं- क्या हुआ?
भाबी ने कहा- कुछ नहीं मम्मी जी … मैं कोई सपना देख रही थी.
मम्मी बोलीं- ठीक है सो जाओ.
अब मेरे से रुका नहीं जा रहा था.
चूंकि भाबी ने तो मेरा लंड सहला कर महसूस लिया था मगर मुझे अब तक चुत की गर्मी अन्दर से महसूस नहीं थी.
अब मैं भी भाबी की चूत देखने के लिए उत्तेजित हो रहा था. मैं फिर से अपने हाथ को भाबी की चूत तक ले गया.
पर भाबी ने मेरा हाथ हटा दिया.
मुझे गुस्सा आया और मैं बाहर उठ कर चला गया टॉयलेट के बहाने. मुझे लगा वो बाहर आएगी.
पर भाबी नहीं आईं.
मुझमें पूरी उत्तेजना चढ़ गई थी, कुछ सूझ ही नहीं रहा था. मैं अपने आपको रोक नहीं सका और फिर से भाबी के साथ सोने चला गया.
इस बार मैं भाबी से दूर हटके चुपचाप सो गया.
वो समझ गईं कि उनका प्यारा देवर गुस्सा हो गया है.
कुछ देर बाद भाबी ने मुझे अपनी ओर खींचने का प्रयास किया, पर मैं उनके करीब नहीं आया.
तो वो खुद ही मेरी तरफ आ गईं. मेरे नजदीक आते ही भाबी ने मेरे लंड को पकड़ लिया.
अब मेरा गुस्सा शांत होने लगा और मैं फिर से जोश में आ गया.
मैंने भी देर ना करते हुए अपना हाथ भाबी की चूत पर ले गया और भाबी की चूत को सहलाने लगा.
कुछ देर बाद मैंने फिर से चुत में उंगली डालनी चाही, पर फिर से मिस फायर हो गया.
मैं भाबी की झांटों पर अपनी उंगली चला रहा था.
फिर भाबी खुद मेरा हाथ पकड़ कर चुत के दरवाजे के अन्दर तक ले गईं.
मैं पहली बार सेक्स का मज़ा ले रहा था तो मुझे चुत का कोई अनुभव नहीं था.
भाबी की पूरी चूत पानी से गीली हो गई थी. मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा.
चूंकि भाबी अभी मेरा लंड हिला रही थीं, तो मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था. मैं उस पल को काश रोक पाता.
भाबी अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थीं. वो भी मुझसे चुदवाने के लिए रेडी थीं.
मैं भी उंगली से उनकी चुत रगड़ रहा था. मैं उंगलियों से भाबी की चुत को और वो हाथों से मुझे चोद रही थीं.
जैसे मैं उनकी चूत में उंगली डालता, तो वो ‘उह्ह्ह अह्ह उईई मां मार डाला रे …’ की मादक आवाजें निकाल देतीं.
मेरी सांसें भी अब तेज होने लगी थीं.
भाबी भी लंड के लिए तड़पने लगी थीं और अपनी गांड उठा उठा कर मेरे हाथ से अपनी चुत चुदाई के मज़े लेने लगीं.
मुझे भी भाबी की चूत में अपना लंड डालने के लिए तड़प मच रही थी, पर हम ऐसा नहीं कर सकते थे.
मेरे माता पिता भी उसी कमरे के दूसरे किनारे पर सो रहे थे. इसलिए हम दोनों ने सिर्फ हाथ से ही काम करते हुए अपना अपना पानी निकाल देने का सोचा.
तभी भाबी ने मेरा हाथ अपनी चूत से निकालने का बोला … क्योंकि वो झड़ चुकी थीं.
पर मुझे अभी और मजा चाहिए था … मैं नहीं रुका. मैंने उंगली करना जारी रखी.
अब भाबी ने भी मेरे लंड हिलाने की गति तेज कर दी और मैं भी कुछ देर बाद झड़ गया.
भाबी ने मुझे बहुत सारी किस की, वो मुझे काटने लगीं.
मैंने भी उनके दूध चूसे.
फिर हम दोनों बांहों में चिपक कर सो गए.
उस दिन हमारी इच्छा अधूरी रह गई पर हमने मज़े को पूरा किया, जल्द ही हमने अपनी अधूरी इच्छा पूरी की.
सेक्स पिक्चर अभी खत्म नहीं हुए मेरे दोस्त.
भाबी की चुत चुदाई अभी बाकी है.
जल्द ही मैं अपनी अगली देवर भाबी Xxx कहानी में आगे हुई भाबी की चुदाई को लिखूंगा कि हम दोनों ने अपनी अधूरी इच्छा कैसे पूरी की.
मुझे उम्मीद है कि आपने मेरी इस देवर भाबी Xxx कहानी का मजा लिया होगा. आपको मेरे बिस्तर में भाबी की गर्म जवानी कैसी लगी, कमेंट्स में जरूर लिखें.
लेखक के आग्रह पर ईमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.