नमस्ते दोस्तों, मैं अजमेर, राजस्थान का रहने वाला एक लड़का, राज हूँ. अभी मेरी उम्र 28 साल है. मेरा रंग गोरा है. मेरा लंड 7 इंच का है. मुझे सेक्स बहुत पसंद है. जब मुझे चुत नहीं मिलती, तो मुठ मार के काम चला लेता हूं. यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी है. आप अपने लौड़े को निकाल लो, मुठ मारने में आसानी होगी.
मुझे सेक्स कहानियां पढ़ने का भी बहुत शौक है. मैं रोज अन्तर्वासना की सेक्स कहानी पढ़ता हूं और मुठ मार लेता हूं. मेरी जॉब ब्यावर राजस्थान में लगी थी. मैं सुबह तैयार होकर जाने के लिए निकला. बस स्टॉप पर पहुंच कर मैंने टिकट लिया और विंडो सीट पर बैठ गया. मेरे साइड वाली सीट पर एक लड़की बैठी थी, जो एकदम गोरी थी. उसके बूब्स करीब 34 इंच के होंगे. वो दिखने में बड़ी हॉट लग रही थी. मैं उसे देखता ही रह गया.
तभी अचानक उसने मेरी तरफ देखा, मुझे जैसे होश ही नहीं था और मैं उसे देखता रहा. मेरा लंड खड़ा हो गया था, जिसे वो अच्छे से देख रही थी. मेरा खड़ा लंड देखकर उसकी भी शायद मस्ती करने की इच्छा होने लगी. उसने मुझे प्यारी सी स्माइल दी. मुझे लगा गोरी फंस गई.
इतने में कॉडेक्टर आ गया और टिकट देखने लगा. हमने उसे टिकट दिखा दिया. उसके बाद फिर हमारी नजरें मिलीं. वो मुझे देखकर स्माइल दिए जा रही थी. मैंने उसे इशारा किया कि मेरे बगल वाली सीट पर आ जाओ.
उसने इधर उधर देखा, फिर मेरी ओर देखकर बोली- क्या मैं विंडो सीट पर बैठ सकती हूं?
ऐसा उसने इसलिए कहा क्योंकि किसी को शक ना हो.
मैंने भी खुश होकर बोला- जी … क्यों नहीं, आ जाइए.
वो अपनी सीट से उठ कर मेरी सीट पर आ गई. उसके स्पर्श मात्र से मेरे को लगा कि आज चुत मिल कर रहेगी.
उसने मेरा नाम पूछा.
मैंने उसे बता दिया- मैं राज हूं. आपका नाम?
उसने अपना नाम खुशी बताया.
मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- अरे वाह क्या मस्त नाम है आपका … बिल्कुल आपकी तरह.
वो हंसते हुए बोली- आप भी बहुत अच्छे हो.
मैं तो जैसे खुश हो गया. फिर बहुत देर तक हमारे बीच बातें चलीं. उसे भी ब्यावर ही जाना था, वो वहीं रहती थी. इस बीच मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया. वो कुछ नहीं बोली, इससे मेरी हिम्मत बढ गई और मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर फेरना चालू कर दिया. उसने मेरी तरफ एक सेक्सी स्माइल दी और मेरा हाथ पकड़ लिया. पहले तो मैं डर गया और अपना हाथ हटाने की कोशिश करने लगा, पर उसने मेरा हाथ नहीं छोड़ा.
खुशी मेरे हाथ को धीरे धीरे अपनी चुत पर ले गई और मेरे कान में धीरे से बोली- यहां बहुत गर्मी है, इसे मिटा दो.
मैं खुश हो गया. मेरे पास एक बैग था, जिसे मैंने अपने पैरों पर रख लिया. अब खुशी की चुत किसी को दिखाई नहीं दे रही थी. मैं उसकी चुत के मज़े लेने के लिए आजाद महसूस कर रहा था. मेरा तो सोचकर ही पानी निकल रहा था.
मैंने जल्दी से खुशी की चुत पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा. खुशी तो जैसे मदहोश हो गई. उसने अपनी आंखें बन्द कर लीं और अपने पैर चौड़े कर लिए, जिससे आसानी से मेरा हाथ उसकी चुत पर घूमने लगा.
मैं जोश में आ गया था, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि पहले क्या करूं.
मैंने सोचा कि खुशी अभी गर्म हो गई है. लोहा गरम है, हथौड़ा मारने का सही वक्त है.
मैंने जल्दी से खुशी की पेंटी में हाथ डाल दिया.
हाय … क्या मस्त चुत थी उसकी … बिल्कुल चिकनी. चुत पर एक भी बाल नहीं था. मेरा हाथ रखते ही खुशी उछल पड़ी, जैसे उसे झटका लगा हो. वो तो जैसे हवा में उड़ने लगी. उसके मुँह से हल्की सिसकारी निकालने लगी.
मैंने अपना काम चालू रखा और उसकी चुत में उंगली डाल दी, वो गांड उछालने लगी. उसकी चुत से बहुत पानी निकल रहा था, जिससे मेरा पूरा हाथ उसके पानी से भीग गया.
हमारा काम चल ही रहा था कि अचानक बस रुक गई, तो हम दोनों अलग हो गए. खुशी तो जैसे कहीं खो गई थी.
मैंने देखा कि हमारा स्टॉप आ गया था. मैंने उससे कहा कि चलो उठो ब्यावर आ गया. मैं उठ कर जाने लगा. तभी वो भी मुझे जाता देख कर अपना बैग लेकर मेरे पीछे आ गई. हम दोनों बस से उतर गए थे.
वो मेरे पास आकर बोली- थैंक्स … आपने तो मुझे जन्नत की सैर करा दी. मैं अब आपकी हो चुकी हूं, आप मेरे साथ जो चाहो कर सकते हो.
मैं बस उसे देखे जा रहा था.
खुशी मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर बोली- जब आप अपनी उंगली से इतना मज़ा से सकते हो, तो अपने लंड से तो मार ही डालोगे. मेरी चुत बेहद प्यासी है. प्लीज राज मेरी प्यासी चुत की प्यास बुझा दो.
मैंने कहा- खुशी तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारी चुत को अपने पानी से भर दूंगा. पर आज नहीं, आज मुझे जाना होगा.
खुशी थोड़ी उदास हुई और बोली- कोई बात नहीं … आज से हम दोस्त हैं.
उसने मेरा मोबाइल नम्बर लिया और हम चले गए.
मुझे सरकारी फ्लैट मिल गया था.
फिर मैं अपने घर आ गया. मेरे दिमाग में उसी का चेहरा घूम रहा था. मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था.
थोड़ी देर में उसका मैसेज आया- क्या कर रहे हो?
मैं- तुम्हारे बारे में सोच रहा हूं.
खुशी- अच्छा जी … क्या सोच रहे हो?
मैं- यही कि तुम्हारी चुत कैसे चोदूँ.
ख़ुशी- हाय … सोचना क्या … बस चोद डालो.
मैं- तुम्हारी चुत के बारे में सोच कर मैंने दो बार मुठ मारी है.
ख़ुशी- नहीं ऐसा मत करो मेरे लंड का पानी बेकार मत करो, सारा पानी मुझे पीना है. कल तुम क्या कर रहे हो?
मैं- कुछ नहीं.
ख़ुशी- कल मिल सकते हो क्या? मैं घर में अकेली हूं.
यह सुन कर मेरा लौड़ा हर्ष से झूम उठा.
मैंने बिना सोचे उससे कह दिया कि कल सुबह दस बजे मैं तुम्हें कुतिया बना कर चोदूंगा और अपना पानी पिलाऊंगा.
खुशी बोली- हां अब मैं आपकी कुतिया ही हूँ … जो चाहो बना लो.
इसी तरह काफी देर तक बात करने के बाद हम दोनों सो गए.
सुबह दस बजे मैं उसके बताए पते पर पहुंच गया.
जैसे ही मैंने बेल बजाई, खुशी ने दरवाजा खोला. मैं तो उसे देखता ही रह गया. क्या माल लग रही थी वो, उसने रेड कलर का वन पीस पहन रखा था. जो सिर्फ उसके आधे बूब्स ही ढक पा रहा था. उसमें से उसके मोटे चूचे साफ दिख रहे थे. मैं तो उसे देखता ही रहा.
कुछ देर बाद वो बोली- बस देखते ही रहोगे या अन्दर आकर कुछ और भी करोगे.
खुशी ने ऐसा बोल कर आंख मारी और अपने होंठों पर जीभ घुमाई.
ये देख कर मेरा लौड़ा उफान में आ गया. उसने मेरे लंड को फूलते हुए देख लिया.
मैं तो बेकाबू हो गया था. मुझसे रहा ही नहीं जा रहा था. मैं उसे अन्दर धकेल कर खुद घर में घुस गया. अन्दर जाते ही मैंने जल्दी से गेट बन्द किया. फिर उसकी तरफ देखने लगा, वो भी मेरी तरफ देख रही थी. धीरे धीरे हम दोनों पास आए, फिर अचानक एक दूसरे पर टूट पड़े.
मैं उसके होंठों को मुँह में लेकर चूस रहा था. वो भी मेरा साथ दे रही थी. हम पागलों की तरह एक दूसरे को किस कर रहे थे.
दस मिनट तक हम दोनों ने किस किया. फिर मैं उसके मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा.
वो उछल रही थी और बोल रही थी- आह्ह्ह राज, ये दूध तुम्हारे हैं. इन्हें जितना चाहो दबाओ, चूसो, निचोड़ दो … आंह इनका सारा दूध … आह्ह आह्ह.
मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए. कुछ ही पलों बाद वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी. उसके मस्त कसे हुए चूचे देखकर रहा नहीं गया. मैं जोर से दबाने लगा और एक चूचे को मुँह में ले कर चूसने लगा. खुशी पागलों की तरह उछलने लगी, मेरे सिर को अपने बूब्स पर दबाने लगी. धीरे से मैंने एक उंगली उसकी चुत में डाल दी.
अचानक से हुए हमले से वो चिल्ला दी- आह्हह राज आई … आह्हह!
वो मचलते हुए मुझे नोंचने सी लगी और जल्दी ही उसने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए. वो नीचे बैठ कर मेरे लौड़े को पकड़ कर जोर जोर से हिलाने लगी और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने उसे कुछ इस तरह से कर लिया कि मैं भी उसकी चुत का मजा ले सकूँ, वो पागलों की तरह लंड को ऐसे चूस रही थी, जैसे पहले कभी लंड देखा ही ना हो. साथ में उसकी चुत में उंगली कर रहा था.
खुशी पागलों की तरह मेरा लंड चूसते हुए बोल रही थी- राज ऐसे ही करते रहो. … बड़ा मज़ा आ रहा है.
थोड़ी देर बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए थे. उसने मेरा सारा माल पी लिया. एक पोर्न स्टार की तरह मेरे लौड़े को चाट चाट कर उसने साफ़ कर दिया और हांफने लगी.
मैंने उसे अपनी ओर खींचा, फिर उसकी चुत पर मुँह लगा कर जोर से उसकी चुत चाटने लगा.
खुशी बेकाबू हो गई थी, उसने मेरे सिर को अपनी चुत पर दबा दिया और चिल्ला रही थी- राज मैं तुम्हारी कुतिया हूं … पी जाओ मेरा रस, निचोड़ दो मुझे.
मैं भी खुशी की मदहोशी देखकर पूरा पागल हो गया. खुशी दो बार फ्री हो चुकी थी.
अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. वो गालियां बकने लगी- कुत्ते, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा. मैं तेरी कुतिया हूं, साले फंसा दे अपने लौड़े को इस कुतिया की चुत में, फाड़ दे मादरचोद इसे … आज चाहे कुछ भी हो जाए … भैन के लंड अपना लौड़ा बाहर मत निकालना. आह जी भर के चुदूंगी आज.
उसकी इस तरह की खुली बातें सुनकर मैं जोश में आ गया. मैंने उसे धक्का दे दिया. वो भी भूखी कुतिया की तरह चुत खोल कर लेट गई. मैंने अपने लौड़े को उसकी चुत पर रखा, तो वो एक बार के लिए तो सिहर गई.
एक झटके में मैंने पूरा लौड़ा घुसेड़ दिया. वो चिल्ला दी- उन्ह मार डाला रे … मर गई!
मैंने उसका मुँह दबा दिया.
कुछ देर बाद मैंने हाथ हटाया, तो वो बोली- चाहे मेरी चुत फट जाए, तुम रुकना मत … बस चोदते जाओ … मुझे इतना चोदो कि एक हफ्ते तक चुत को प्यास ना लगे.
मैंने उसे जोर जोर से धक्के देने शुरू कर दिए. वो भी नीचे से अपनी गांड उठा कर जोर मार रही थी, जिससे में जोश में आकर उसे और जोर से चोदने लगा.
कुछ देर बाद वो चौथी बार झड़ने वाली थी. वो चिल्लाने लगी- आंह और जोर से चोदो मुझे … फाड़ दो मेरी कमीनी कुतिया चुत को … चुदक्कड़ कुतिया की चुत को.
तभी वो अकड़ते हुए झड़ गई थी. मैं भी उसकी गर्मी को सहन नहीं कर पाया और उससे बोला- आह मेरी रंडी कुतिया … मेरा रस निकलने वाला है … आजा भैन की लौड़ी मुँह खोल दे.
खुशी तपाक से बोली- साले मेरे कुत्ते इस बार तो तू मेरी चुत को अपने माल से नहला दे … अगली बार मुँह में लूँगी.
बस फिर क्या था … मैं ख़ुशी को जोर जोर से चोदने लगा और मेरे लौड़े ने उसकी चुत में रस की पिचकारी दे मारी. ख़ुशी पांचवी बार फिर से झड़ गई. हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो गए.
जब मेरी नींद खुली, तो खुशी मेरा लौड़ा मुँह में लेकर चूस रही थी.
मैंने उससे पूछा कि मेरी प्यारी कुतिया और चूसने की चुदने की इच्छा है?
वो बोली- मुझे तो जब चाहे चोद लो.
मैंने उससे लंड खड़ा करवाया और इस बार उसे घोड़ी बनाकर चोदा.
अब तो ये सिलसिला चलता रहा. वो भूखी कुतिया की तरह मेरे लौड़े से चिपकी रहने लगी. आए दिन मैं उसे चोद देता.
पर अभी काफी दिन हो गए चुदाई नहीं हुई है. वो कहीं और चली गई है. अब मुझे चुत चाहिए … देखो कब मिलती है.
आप मुझे मेल लिखो कि सेक्स कहानी कैसी लगी.
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