नमस्ते फ्रेंड्स, उम्मीद है आपको मेरी कहानी के पहले भाग
घर में ही कुंवारी बुर को पेला-1
में मजा आया होगा. यह कहानी मेरी और प्रीति की है प्रीति की उम्र 19 साल से ऊपर है. प्रीति का भरा हुआ बदन किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित कर ले. प्रीति की चूचियां कमर और कूल्हों का साइज 34-32-34 है. प्रीति एक सेक्स बम है. जो भी उसे एक बार देख ले, उसका मन प्रीति को चोदने को जरूर करेगा.
लेकिन प्रीति किसी को भाव नहीं देती थी. वो तो उषा ने प्रीति को चुदाई के बारे में बता बता कर उसको चुदाई के लिए इतना प्रेरित कर दिया कि प्रीति को लंड की चाहत होने लगी थी. वो अपनी चूत में उंगली करने के लिए मजबूर हो गई थी, लंड खोजने लगी थी.
अब कहानी पर आता हूँ:
प्रीति की पहली चुदाई के बाद हम दोनों सो गए थे. जब हमारी आँख खुली तो प्रीति उठ कर बाथरूम की ओर चलने लगी तो प्रीति से चला नहीं जा रहा था. मैं उसे उठा कर बाथरूम ले गया और प्रीति की चूत को अच्छी तरह से धोया. उसकी चूत सूजी हुई थी.
उसके बाद हम दोनों एक साथ नहाए. नहाते वक्त मैंने प्रीति को अपनी बांहों में भर लिया. प्रीति की चूचियों पर पानी गिरता देख फिर उसे चोदने का मन करने लगा. मैंने प्रीति का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.
प्रीति समझ गई कि संजय फिर मुझे चोदना चाहता है पर उसने बहाना बनाते हुए कहा- संजय, मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज बाद में चोद लेना.
लेकिन मैं कहां मानने वाला था … मेरे ऊपर तो चुदाई का भूत सवार था. मैं प्रीति की चूचियां को चूसने में व्यस्त हो गया. फिर मैंने प्रीति की चूत में अपनी एक उंगली डाल दी और चोदने लगा.
प्रीति का मन तो नहीं था लेकिन ना चाहते हुए भी प्रीति को थोड़े समय के बाद अच्छा लगने लगा.
मैं तुरंत अपना लंड उसके मुँह में डालने लगा लेकिन प्रीति ना-नुकुर करते मेरा लंड अपने मुँह में ले ही लिया और धीरे धीरे चूसने लगी. थोड़े समय बाद प्रीति को लंड चुसाई में मजा आने लगा. मेरे लंड को प्रीति इस कदर चूसे जा रही थी जैसे लोलीपोप चूस रही हो.
कुछ देर बाद मैंने प्रीति को बाथरूम में ही डॉगी स्टाईल में पोजीशन बनाया और पीछे से उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया.
प्रीति की चीख निकल जाती अगर वक़्त पे उसके मुँह पर हाथ नहीं रखता. अब मैं अपने लंड को आगे पीछे करने लगा. मेरा पूरा लंड उसकी चूत में अब आसानी से आ जा रहा था.
उसको अब मजा आने लगा, प्रीति कहने लगी- संजय, और जोर जोर से चोदो, बहुत मज़ा आ रहा है.
मैं जोर जोर से चोदने लगा.
तभी प्रीति के फोन की रिंग मेरे कानों में सुनाई दी. मुझे मालूम पड़ा कि प्रीति का फोन बज रहा है लेकिन चुदाई में कोई इंटरफीयर करे … ये बर्दाश्त के बाहर था इसलिए मैंने फोन पर ध्यान नहीं दिया और चुदाई चालू रखी.
इधर प्रीति चरमसुख से सराबोर थी और सिसकारियाँ लेती हुई ‘आह ओह हहहम … आहह … वो वो … चोओओदो मुउउझे!’ और मैं शॉट पे शॉट मारता रहा.
लेकिन इसी बीच फिर से प्रीति की फोन बज उठी. मुझे गुस्सा तो बहुत आया लेकिन प्रीति को बोला- प्रीति, जल्दी से फोन उठाओ, कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए!
प्रीति ने जल्दी से अपने चूत से मेरा लंड निकाल कर भागते हुए फोन उठाया. उधर से प्रीति की मम्मी की आवाज आई- प्रीति बेटा, हमको आने में देर हो जाएगी. तुम अपना खाना बना कर खा लेना! हम लोग यहीं से खाकर आयेंगे.
प्रीति ने कहा- जी मम्मी जी, आप चिंता मत करो, मैं खा लूंगी.
इतने में मैं भी बाहर आ गया. अपने बदन को पौंछते हुए बैड पर लेट गया. प्रीति की चूत मुझे साफ साफ दिखाई दे रही थी कि प्रीति की चूत से पानी निकल रहा था.
मैंने प्रीति को अपने ऊपर खींच लिया और प्रीति को बोला- मेरे लंड महाराज को चूसो!
हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और प्रीति मेरे लंड को बड़े प्यार से चूसने लगी. मैं भी प्रीति की चूत को बड़े प्यार से चूसने लगा.
करीब तीन मिनट बाद प्रीति ने मेरे मुंह में अपना माल की छोड़ दिया. मैंने अपनी जीभ से प्रीति की चूत को चाट चाट कर साफ कर दिया. प्रीति सातवें आसमान पर थी.
थोड़ी देर में मैंने प्रीति को सीधा किया और अपने लंड को प्रीति की चूत पर सेट कर के उसके मुँह को अपने मुँह में दबा लिया और जोर का शॉट मारा.
प्रीति कसमसा उठी लेकिन मैंने अपना मुँह प्रीति के मुँह से नहीं हटाया. मेरा आधा से ज्यादा लंड प्रीति की चूत में समा गया था. थोड़ी देर ऐसे ही रुका रहा कुछ देर के बाद प्रीति की गांड हिलाने लगी और हल्के हल्के झटके मारने लगी.
मैं समझ गया कि प्रीति अब तैयार है चुदने के लिए!
अब मैंने भी झटके पे झटके लगाना चालू कर दिया और प्रीति को चोदने लगा. वो बहुत मस्त तरीके से चुदवा रही थी और सिसकारियां भर रही थी- अअ अहअअ चोओओद दो … फाआआड़ दो मेएएरी चूउत को … ओअअअ सनजय उं उं उं!
मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था.
तकरीबन 15 मिनट तक चुदाई में प्रीति 2 बार झड़ चुकी थी. अब मेरा भी होने वाला था और मैंने अपनी गति और तेज कर दी. प्रीति भी मेरे झटकों का जवाब झटकों से दे रही थी.
तभी मुझे अहसास हुआ कि मेरा पानी निकलने वाला है. मेरा सारा वीर्य प्रीति की चूत के अंदर ही गिर गया और प्रीति भी साथ में ही झड़ गई.
हम एक दूसरे से चिपक कर करीब 10 मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे, फिर एक दूसरे से अलग हुए.
प्रीति की चूत पूरी तरह से सूज चुकी थी. प्रीति ने तुरंत बैड की चादर हटाई और दूसरी चादर बिछा कर जिस चादर में खून लगा था उसे पानी में भिगो दिया.
घड़ी में देखा तो 3.50 हो रहे थे. मैंने प्रीति को कहा- प्रीति, कभी इस चुदाई को भूल नहीं पाऊँगा मैं!
प्रीति मेरे सामने बिना कपड़ों में मेरी गोदी में बैठी थी.
उसने भी कहा- मुझे भी चरम सुख प्राप्त हुआ संजय … मैंने तुम्हारी आभारी रहूंगी. लेकिन एक डर है कि कहीं मेरे पेट में बच्चा ठहर गया तो क्या होगा? मैं बदनाम हो जाऊँगी.
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा. मैं तुमको मेडिकल से दवा लाकर दूँगा, वो खा लेना, कुछ भी नहीं होगा.
प्रीति मेरे गले लग के चिपक गई. उसके बाद मैं अपने रूम में आ गया.
दोस्तो, चूत एक ऐसी समस्या है कि मन चोदे बिना नहीं मानता. जब लंड चूत को चोद लेता है तो सारी थकान मिट जाती है. मेरे साथ भी कुछ यही घटना हुई.
बरसात का मौसम था, मेरे ऑफिस की छुट्टी थी तो मैं अपने रूम मैं टीवी पर फिल्म देख रहा था. तभी एक सीन शरीर को गर्म कर देने वाला आया. मेरा लंड महाराज खड़ा हो गया और चूत के लिए फनफनाने लगा.
तो मैं अपनी गैलरी में आ गया और मेरी नजरें प्रीति को खोजने लगी कि वो अभी स्कूल से आई या नहीं!
क़रीब 2 बज के 50 मिनट पर स्कूल से आई. तो जैसे ही उसने मुझे देखा तो प्रीति ने मेरी आँखों में पढ़ लिया कि मुझे क्या चाहिए.
प्रीति अपने घर के अंदर चली गई.
इधर मैं इस उम्मीद से अपना लंड को पकड़ कर दबाये बैठा हुआ था कि प्रीति मेरे कमरे में चली आएगी. लेकिन वो नहीं आई तो मैंने मुठ मार कर अपने को शांत कर लिया.
शाम को प्रीति दिखाई नहीं दी तो मैं बेचैन होने लगा कि क्या बात है कि प्रीति आज कल नजर नहीं आती और मुझसे उखड़ी उखड़ी रहती है. रात को मैं सोच सोच कर परेशान हो रहा था कि क्या हुआ होगा जो मुझसे बात नहीं कर रही है.
अगले दिन जब मैं नहा रहा था तो प्रीति भी अपने बाथरूम से मुझे नहाते हुए देखने लगी. जैसे ही मैंने प्रीति को देखा तो प्रीति मुस्करा दी और मैं भी मुस्करा दिया.
मैं समझा कि कहीं स्कूल में किसी से तू तू मैं मैं हो गयी होगी तो प्रीति कुछ गुस्से में होगी.
इधर राज भी निकलने वाला था और मैं भी ऑफिस के लिए करीब 8 बजे तक निकल जाता था. लेकिन प्रीति के आज दर्शन करके निकलना चाहता था.
जैसे ही प्रीति अपने घर से निकली, सबसे पहले प्रीति का चेहरा मैंने देखा और इशारों इशारों में पूछा कि कल क्या हुआ जो बात नहीं कर रही थी?
प्रीति भी मेरा इशारा समझ गई थी और वो मुझे एक लेटर मेरे हाथ में चुपके से पकड़ा कर अपने स्कूल चली गई.
मैंने लेटर को अपने पॉकेट में रखा और ऑफिस के लिए निकल गया.
ऑफिस पहुंच कर सबसे पहले वो लेटर पढ़ा जो प्रीति ने मुझे दिया था. उसमें लिखा था कि संजय मैं जानती हूं कि तुम कल उदास थे लेकिन मेरे पीरियड चालू थे तो मैंने तुमसे दूर रहने में ही भलाई समझी. अब शाम को जल्दी आ जाना, मैं कंट्रोल नहीं कर पा रही हूँ बहुत दिन हो गए हैं.
मैं समझ गया कि आज चूत मिलेगी. मैं बहुत खुश हुआ.
मैंने राज को फोन किया- कहां हो?
तो राज ने कहा- मैं घर पर हूं, एक पार्टी का इन्तज़ार कर रहा हूं, जैसे ही वो आएगा, मैं उसको एक प्रॉपर्टी दिखाने ले जाऊँगा.
मैं 5 बजे ही घर आ गया. प्रीति भी अपने दरवाजे से मेरा इन्तज़ार कर रही थी. जैसे ही प्रीति ने मुझे देखा तो उसकी आँखों में एक चमक आ गई. और जैसे ही दरवाजा खोल कर अंदर आया वैसे ही प्रीति मेरे रूम में आकर मेरे से लिपट गई और मेरे होंटों को अपने होंटों में लेकर चूसने लगी.
मैं बोला- प्रीति, थोड़ा रुको, दरवाजा खुला है, कोई आ जाएगा. मैं दरवाजा बंद करके आता हूं.
लेकिन प्रीति मुझे छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी.
फिर जैसे ही दरवाजा बंद करने के लिए दरवाजे का पल्ला सटाया, उतने में राज आ गया और सारा प्लान चौपट हो गया.
राज प्रीति को देख कर चौंक गया और बोला- प्रीति, तुम यहाँ क्या कर रही हो?
प्रीति ने बहाना बनाते हुए कहा- ऐसे ही घूम रही हूं.
और प्रीति अपने घर चली गई.
इधर राज मेरे ऊपर जोर डालने लगा- संजय, सही सही बता, कुछ तो गड़बड़ है? तुझे मेरी कसम!
वो मेरा दोस्त था तो मैंने छुपाना मुनासिब नहीं समझा और सब बता दिया.
राज कहने लगा- बेटा, माल तो बहुत बढ़िया पटाया है. लेकिन कहीं उल्टा सीधा हो गया तो तुम लोगों के साथ साथ मैं भी बदनाम हो जाऊँगा.
मैंने राज को समझाते हुए कहा- राज, कुछ नहीं होगा! इस मामले में प्रीति को सब कुछ मालूम है.
फिर राज बोला- कुछ हेल्प चाहिए तो बोल?
मैं बोला- अभी आके तूने सारा प्लान चौपट कर दिया.
राज बोला- कोई बात नहीं, दूसरे दिन सुहागरात मना लेना.
राज की भी एक आइटम है, राज उससे फोन पर बहुत बात करता है. उसका नाम शीला है वो भी दिखने में पटाखा है शायद राज उसे चोद चुका है!
मैं और प्रीति सही मौके का इन्तज़ार करने लगे. शायद मौका भगवान भी हमें देना चाहते थे.
धन्यवाद.
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कहानी का अगला भाग: घर में ही कुंवारी बुर को पेला-3