यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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मेरी गर्लफ्रेंड की बहन ने मुझे सेक्स के लिए अपने घर बुलाया था. मैं वहां पहुंचा तो वो मुझे अपना नंगा बदन दिखा कर ललचा रही थी. मेरी कामवासना भी उफन चुकी थी.
उसने अपनी कच्छी उतारी और अपनी चूत पर रगड़ कर मेरी ओर फेंक दी. फिर उसने अपनी ब्रा भी उतार कर मेरी और फेंक दी- अब आप दोनों की महक लो!
बोलकर बाथरूम को जाने लगी.
मैं उसको जाते हुए देख रहा था. उसके चलने से उसकी गोरी नंगी गांड ऊपर नीचे मटक रही थी.
उसका बाथरूम ऊपर था. तो जब वो सीढ़ियों तक पहुँची तो मैं भी उठ कर सीढ़ियों के पास आ गया और उसे सीढ़ियां चढ़ते देखने लगा. उसे तो क्या उसकी गांड को देखने लगा. क्या गज़ब लग रही थी.
वो ऐसे मटक मटक कर सीढ़िया चढ़ रही थी जैसे कोई नागिन लहरा कर चल रही हो.
मेरा लन्ड बिल्कुल तन चुका था और दर्द भी करने लगा था. मैंने वहीं खड़े खड़े अपनी पैंट और कमीज उतार दी और कच्छे बनियान में ही बैठ कर उसकी कच्छी और ब्रा को सूंघते हुए शराब पीने लगा.
पेग खत्म होने के बाद मैंने सिगरेट जलाई और कश खींचने लगा. दो कश के बाद मैंने दूसरा पेग बनाया.
इतने में वन्दना नहा कर आ गयी. उसने अब काले रंग की बेबी डॉल ड्रेस पहनी थी, नीचे उसने नेट वाली काली पेंटी पहनी थी जो आगे से सिर्फ उसकी चूत को ढके हुई थी और पीछे से एक पतली डोरी उसकी गांड में घुसी हुई थी.
उसके बाल भी अभी गीले थे और उसके जिस्म से मादक खुशबू आ रही थी. कुल मिला कर वो सेक्स की देवी लग रही थी.
वो मुझे कच्छे बनियान में बैठा देख कर मेरे पास आई और फिर से मेरी गोद में अपनी दोनों टांगें इधर उधर लटका कर बैठ गयी. मेरे मुंह से सिगरेट निकाल कर कश लगा कर उसने धुआं हवा में उड़ाते हुए अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. हम दोनों एक दूसरे को ऐसे चूमने लगे जैसे हम कई दिनों बाद मिले हों.
हम दोनों की जीभ आपस में खेल रही थी जिससे हमारा थूक एक दूसरे के मुंह में जा रहा था. फिर मैंने अपनी एक उंगली उसकी पैंटी की साइड से उसकी चूत में घुसा दी, जिससे वो एकदम से उछल गयी और हमारा चुम्बन टूट गया.
तो वो बोली- जीजू, आशा (उनकी नौकरानी जिसकी उम्र 35 से 40 साल के बीच होगी रंग सांवला आंखें काली और बड़ी बड़ी उसके चुचे 36 कमर 30 और गांड का साइज38 था) के आने में डेढ़ घण्टा रह गया है. हम ऊपर बैडरूम में चलते हैं.
तो मैंने उसे गोद में उठाया और ऊपर जाने लगा. जाते जाते मैंने नीचे से फिर उसकी चूत में उंगली डाल दी. उसने चिहुंक कर मेरी छाती पर हल्की सी चपत लगा कर बहुत ही मादक अंदाज़ में मुझे नॉटी बॉय बोला.
मैंने बैडरूम में जाकर उसे बेड पर उल्टा लिटा दिया और उसकी गांड को चूसने लगा. फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी पैंटी को साइड में करके उसकी चुत चाटने लगा. वो जोर जोर से सिसकारियां लेते हुए अपनी गांड को मेरे मुंह की तरफ दबाने लगी और उफ्फ उफ्फ आह आह करके झड़ गयी.
कुछ देर बाद वो सीधी हुई और फिर से मुझे चूमने लगी. मेरे होंठों पर उसकी चूत का रस लगा था, जिसे वो चाट गयी.
फिर उसने मुझे सीधा लिटाया और मेरा कच्छा बनियान उतार दिया और मेरे लन्ड से खेलने लगी, बोली- आह जीजू, आपका लन्ड बहुत ही मस्त है. नीरू दीदी बहुत किस्मत वाली है जो जब चाहे इसे अपनी चुत और मुंह में ले लेती है.
और यह बोल कर वो मेरे लन्ड को चूसने लगी.
उसने मेरा लन्ड चूस चूस कर अपने थूक से बिल्कुल गीला कर दिया. फिर वो अपनी जीभ को नुकीली कर के मेरे लन्ड के छेद में डालने लगी. मैं भी पीछे से उसकी चुत में उंगली डाल कर आगे पीछे कर रहा था.
फिर हम अलग हुए और मैंने उसकी फ्रॉक और पेंटी उतार दी और हम 69 की पोजीशन में हो गए. वन्दना बहुत जोर जोर से मेरा लन्ड चूस रही थी. मैंने भी अपनी जीभ उसकी चूत में अंदर तक डाल कर चूसना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद वो बोली- जीजू अब देर मत करो, बस अब अपना लन्ड मेरी चूत में डाल दो.
मैंने उसे पीठ के बल लेटा दिया और उसकी गांड के नीचे तकिया रख दिया जिससे उसकी चूत ऊपर की ओर हो गयी. मैंने उसकी दोनों टांगें अपने कंधों पर रखी और एक ही झटके में अपना पूरा लन्ड उसकी चूत में उतार दिया.
वो इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी. वो ‘आहह आहह उफ्फ उफ्फ जीजू ऊऊ मार डाला’ बोलने लगी.
मैं उसके चुचों को मुंह में लेकर चूसने लगा.
जब उसे थोड़ा आराम मिला तो मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए. वो भी अब मजे में अपनी गांड उठा कर चुदने लगी और बोलने लगी- आह जीजू, बहुत ही मस्त लन्ड है आपका! मेरआआ तो दिल ही नहीं भरता! आह आह … और जोर से चोदो जीजू! बहुत मजा आ रहा है!
मैंने यह सुन कर अपनी स्पीड बढ़ा दी.
कोई दस पन्द्रह धक्कों के बाद उसका शरीर कांप उठा, उसने बेड शीट को अपने हाथों से नोचना शुरू कर दिया. मैं समझ गया कि वो फिर से झड़ गयी है.
मैंने लन्ड उसकी चूत से निकाला तो मैंने देखा कि उसकी चूत का पानी उसकी गांड की तरफ बह रहा था. मेरा लन्ड भी उसके पानी से सना हुआ था.
अपना लन्ड मैंने उसके मुंह की तरफ किया तो पहले उसने मेरे लन्ड को ऊपर से नीचे तक चाटा फिर उसे पूरा मुंह में लेकर चूसने लगी.
फिर उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे लन्ड को अपनी चूत में लेकर कूदने लगी. ऐसा करने से उसके चुचे हवा में झूल रहे थे.
मैं उसके चुचों के निप्पल को चुटकी में पकड़ कर मसलने लगा.
फिर मैं अपनी गांड उठा कर नीचे से धक्के मारने लगा. वो मस्ती में ‘आह … आह … आहह यस यस’ करने लगी और बोली- हाय जीजू क्या लन्ड है आपका! जितनी तारीफ करो, उतनी कम है.
अब मैंने उसे दोबारा से पीठ के बल लिटा कर उसकी टांगें छत की तरफ उठा दी और खुद बेड से नीचे उतर कर उसकी चूत में लन्ड पेल दिया. अब तक वो कोई तीन चार बार झड़ चुकी थी. मैं लगातार धक्के मार मार कर उसे चोद रहा था, वो भी मस्ती में अपनी गांड को उठा उठा कर मेरा लन्ड अपनी चूत में ले रही थी.
फिर मैंने वन्दना को घोड़ी बनाया और नीचे खड़ा खड़ा ही उसे चोदने लगा. अब मेरा भी लावा फूटने वाला था तो मैंने वन्दना को सीधे लिटाया और फिर से उसकी टांगों के बीच आकर उसकी चूत में लन्ड डाल कर कोई दस पन्द्रह धक्के मारे और अपना सारा माल वन्दना के चेहरे और चुचों पर गिरा दिया.
वन्दना ने वो सारे माल को अपने पेट पर ऐसे मसला जैसे कोई बॉडी लोशन लगा रही हो. फिर अपने चेहरे को टॉवल से साफ किया और मुझसे लिपट कट लेट गयी.
मैंने उससे पूछा- कैसे लगा?
तो वो बोली- जीजू सच बताऊं तो आज मुझे सोलन से भी ज्यादा मजा आया. आपका लन्ड तो आज बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था. सच में आपके लन्ड के आगे साहिल लन्ड तो कुछ भी नहीं!
मैं उसकी बातों को सुनते हुए उसके चुचे और गांड को दबाये जा रहा था और वो भी मेरे लन्ड को सहलाये जा रही थी.
वो बोली- जीजू देखो, मेरी चूत बिल्कुल सूज गयी है.
मैंने उसकी टांगें चौड़ी करके देखा तो सही में उसकी चूत अंदर और बाहर से सूज कर लाल हो गयी थी.
उसे मैंने गर्म पानी से सिकाई करने को कहा तो वो बोली- अब रात को भी आपके साथ चुदाई करनी है. तो जब फ्री हो कर सोने लगेंगे तो कर लूंगी.
मैंने सिगरेट जलाई और कश लगाते हुए वन्दना को पेग बनाने को बोला.
तो वन्दना नंगी ही उठ कर टेबल पर रखी बोतल में से दो ड्रिंक बना कर लायी. मुझे गिलास देते हुए मुझसे सिगरेट ली और कश लगाते हुए बोली- जीजू, आप ड्रिंक खत्म करके जल्दी कपड़े पहन लो. आशा डुक्कू को ले कर आती ही होगी.
मुझे याद आया कि दोनों के कपड़े तो नीचे ड्राइंग रूम में ही हैं. मैंने उसे कहा- मैं जब तक ड्रिंक खत्म करता हूँ तुम नीचे से मेरे और अपने कपड़े ले आओ.
वो एक ही सांस में अपना पेग खींच गयी और सिगरेट के कश लगते हुए नंगी ही कपड़े लेकर आ गयी.
मैं कपड़े पहनने लगा तो वन्दना ने मुझे रोका और झुक के मेरे लन्ड को चूसा फिर चूम कर अपने कपड़े पहनते हुए बोली- कसम से जीजू, आपके लन्ड से तो जी ही नहीं भरता.
मैंने भी कपड़े पहन लिए थे मैंने भी जाते हुए उसकी चुचियों को मसला और नीचे हॉल में आकर बैठ गया.
फिर मैंने एक ड्रिंक बनाया और खड़की का पर्दा हटा कर बाहर गार्डन में देखते हुए शराब की चुस्की लेने लगा.
इतने में वन्दना भी कपड़े बदल कर नीचे आ गयी. उसने अब एक जीन्स और टीशर्ट पहन ली थी. मैं उसे देख कर सोफे पे आकर बैठ गया.
वन्दना ने भी अपने लिए एक पेग बनाया और मेरी गोद में बैठ कर पीने लगी.
फिर उसने गिलास साइड पे रख कर मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए और हम एक दूसरे को बेहताशा चूमने लगे. मैं उसकी टीशर्ट में हाथ डाल कर उसके चुचे दबाने लगा.
मैं उसकी जीन्स खोलने लगा तो वो बोली- जीजू, अभी जो करना है, कपड़ों के ऊपर से ही कर लो. आशा के आने का टाइम हो गया है.
तो मैंने उसे लन्ड चूसने को बोला.
उसने मेरी जीन्स की ज़िप खोल कर लन्ड बाहर निका लिया और चूसने लगी.
अभी उसने कोई पांच मिनट मेरे लन्ड को चूसा होगा कि तभी बेल बजी तो वन्दना जल्दी से लन्ड मुंह से बाहर निकाल कर दरवाजा खोलने चली गयी.
मैंने भी लन्ड को पैंट में किया और पेग लगाने लगा.
आशा डुक्कू को ले कर आ गयी थी. मैंने गौर किया कि आशा जोर जोर से सांस ले रही थी और बार बार मेरी ओर देख रही थी. मुझे कुछ समझ नहीं आया कि वो ऐसा क्यों कर रही है.
फिर उसने डुक्कू को डाइनिंग टेबल पर बिठा कर खाना खिलाया.
इतने में नीतू भी बाजार से आ गयी. उसके हाथ में तीन चार छोटे छोटे पैकेट थे और एक बड़ा पैकेट था.
बड़े पैकेट में वो खाना लायी थी, उसने खाना वन्दना को देते हुए कहा- खिड़की का पर्दा क्यों हटा हुआ है?
यह सुन कर आशा मेरी ओर देख कर हल्का सा मुस्कुराई.
अब मैं समझ गया कि उसने वन्दना को मेरा लन्ड चूसते हुए देख लिया है.
फिर नीतू बोली- मैं नहा कर आती हूँ.
तब तक डुक्कू ने भी खाना खा लिया तो आशा उसे नीतू के कमरे में सुलाने चली गयी क्योंकि डुक्कू नीतू के पास ही सोता है.
वन्दना ने खाना टेबल पर लगा दिया और मुझसे बोली- नीतू के सामने मुझे शराब सिगरेट को मत पूछना!
इतने में नीतू एक गुलाबी रंग का शार्ट और आसमानी टीशर्ट पहन कर आ गयी.
खाना खाने के बाद आशा कॉफ़ी लेकर आ गयी. सबने बैठ कर कॉफ़ी पी.
साढ़े दस का टाइम हो गया था तो नीतू मेरी तरफ उसके कमरे में आने का इशारा करके बोली- मुझे नींद आ रही है, मैं सोने जा रही हूं.
तो वन्दना बोली- जीजू आपका कमरा वो सामने वाला है जो कि नीतू के कमरे के साथ नीचे ही था.
सब एक दूसरे को गुड नाईट बोल कर सोने चले गए.
आशा भी अपना सब काम निबटा कर घर के बाहर सर्वेंट रूम में चली गयी.
रात को साढ़े गयारह बजे किसी ने मेरा दरवाजा खटखटाया.
मैंने दरवाजा खोला तो वो वन्दना थी. वो मेरे लन्ड को दबाते हुए बोली– आप ऊपर रूम में जाओ, मैं जरा देख कर आती हूँ कि नीतू सो गई या नहीं.
मैं ऊपर चला गया. इतने में वन्दना भी आ गयी. उसने बताया कि नीतू भी सो रही है. फिर वो मेरा लन्ड चूसने लगी. उस रात हमने तीन बजे तक जम कर चुदाई की और फिर मैं नीचे अपने रूम में आ गया.
मुझे अब अंदर बेचैनी सी हो रही थी तो मैं सिगरेट जला कर बाहर पार्क में टहलने लगा.
थोड़ी देर बाद मेरी नज़र आशा के रूम में गयी उसके कमरे की लाइट जल रही थी. मैं खिड़की के पास गया तो देखा वो उसका वाशरूम था.
मैंने देखा कि आशा ने काला ब्लाउज और पेटीकोट पहना था वो कमोड पर बैठ कर अपनी आंखें बंद करके अपनी चूत में उंगली कर रही थी.
मैं उसकी चूत नहीं देख पा रहा था क्योंकि ऊपर पेटीकोट गिरा हुआ था. उसे ऐसे देख कर मेरा लन्ड फिर से खड़ा ही गया.
जब वो झड़ गयी तो उसकी नज़र खिड़की पर गयी और मुझे देख कर वो डर गई.
उसे मैंने दरवाजा खोलने को कहा तो वो काली साड़ी पहन कर आई और दरवाजा खोल कर आंखें झुका कर मेरे सामने खड़ी हो गयी.
कहानी जारी रहेगी.
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