दोस्तो, मैं अंश राजस्थान से हूँ. यहां ये मेरी पहली देसी कॉलेज सेक्स कहानी है. यह एक सच्ची सेक्स कहानी है … आपको बहुत पसन्द आएगी.
इस सेक्स कहानी में मेरी गर्लफ्रेंड की बहन की चुदाई हुई है, जिसको मैंने पूरी रात जमकर चोदा था. उसका नाम अंजलि (नाम बदला) है.
यह घटना उस समय की है, जब मैं जयपुर में किराये पर रूम लेकर रहता था.
मेरा एक फ्रेंड है, उसका नाम नरेश है. नरेश का बिजनेस पार्टनर उसकी बहन अंजलि के एग्जाम के लिए जयपुर लेकर उसे आया था. अंजलि को एक महीने तक जयपुर में रुकना था.
नरेश ने मुझे एक रूम के लिए कॉल किया, तो मैंने उसको एक बढ़िया घर दिलवा दिया. ये घर मेरे पड़ोस में ही था और दो कमरे का था.
उसके बाद मैंने अपना फोन नंबर नरेश की बहन को दे दिया और उससे कहा- तुम्हें कोई जरूरत हो, तो कॉल कर लेना.
फिर मैं अपने रूम पर आ गया.
दो दिन बाद मुझे एक नए नम्बर से कॉल आया.
मैंने कॉल उठाया तो उधर से आवाज आई- मैं अंजलि बोल रही हूँ.
मैंने उसे पहचान लिया और उससे पूछा- हां बताओ … क्या काम है!
उसने कहा- मैं खाना बाहर खाती हूँ तो बहुत महंगा पड़ रहा है और मुझसे बाहर का खाना खाया भी नहीं जा रहा है. तुम मुझको एक गैस सिलेंडर दिलवा दो, मैं अपने रूम पर ही खाना बनाकर खा लिया करूंगी.
चूंकि मैं एक प्राइवेट कंपनी में करता हूँ, तो अक्सर बाहर ही रहता हूँ और मेरा खाना अक्सर बाहर ही होता था.
मैंने ये कहते हुए उसे अपना गैस चूल्हा और सिलेंडर दे दिया कि मैं बाद में दूसरे सिलेंडर और चूल्हे का इंतजाम कर लूंगा.
उस दिन मैं अपनी कंपनी के काम से बाहर निकल गया.
उसके अगले दिन शाम को मेरे फोन पर अंजलि का कॉल आया.
हम एक-दूसरे से बात करने लगे.
वो बोली- कुछ नहीं कर रहे हो, तो मेरे कमरे पर आ जाओ.
मैं उसके कमरे पर चला गया.
वो एक बहुत ही सेक्सी सा स्कर्ट टॉप पहनी हुई थी. उसके स्कर्ट से उसकी चिकनी जांघें साफ़ दिख रही थीं और टॉप भी बहुत कसा हुआ था … तो उसके चूचे बड़े ही मादक लग रहे थे.
मेरी निगाहें अंजलि के कामुक बदन पर एकटक देखे जा रही थीं, ये उसने भी ताड़ लिया था.
फिर कुछ पल बाद मैंने सोचा कि ये मेरे दोस्त की बहन है … इसके साथ मुझे ऐसा भाव नहीं लाना चाहिए.
उस दिन हम दोनों ने काफी देर तक बात की और उसी बीच अंजलि ने मुझे खाना खाने का कहा.
मैंने हां कह दिया और खाना खाकर मैं अपने रूम पर आ गया.
अब हमारे बीच ऐसा अक्सर होने लगा.
कुछ दिन बाद उसने मुझसे बोला- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
मैंने मना कर दिया- मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
उसने बोला- तुमको मुझसे बात करने में कोई ऐतराज तो नहीं होता है?
मेरे मन तो किया कि उससे कह दूँ कि मैं तुमको ही अपनी गर्लफ्रेंड बना लेता हूँ. क्योंकि मुझे वो काफी पसंद आ गई थी.
मैं भी उससे बात करना चाहता था. पर मैंने उसको मना कर दिया कि तुमसे कैसे बात करूँ यार … तुम तो मेरे फ्रेंड की बहन हो.
जबकि मेरे मन में अंजलि के लिए लड्डू फूट रहे थे.
फिर मैं ऐसे ही उससे बात करने लगा और मजे लेने लगा था.
वो भी मेरे साथ काफी सहज होकर बात करने लगी थी.
उसके सेक्सी कपड़ों को देख कर मुझे बड़ी आग लग जाती थी लेकिन मैं कसमसा कर रह जाता था.
कुछ ही दिन बाद उसने मुझसे ऐसी बात बोल दी कि मेरे होश उड़ गए.
उसने बोला कि तुम मुझसे बात नहीं कर सकते हो तो क्या मैं अपनी बहन से तुम्हारी बात करवा दूँ?
मैंने एक बार को तो मना कर दिया.
फिर बोला कि ओके मैं सोचकर बताता हूँ.
मैं सोचने लगा कि इसकी बहन भी मेरे दोस्त की बहन है … मगर जब ये खुद से कह रही है तो मुझे हां कर ही देनी चाहिए.
मैं उसे हां कह दी.
उसने कुछ देर बाद अपनी बहन से मेरी बात करवाई और वो भी जयपुर आ गयी.
वो अपनी सिस्टर के पास रहने लगी और हम दोनों रोजाना बात करने लगे.
अब हम तीनों खाना भी साथ में खाते थे और कभी-कभी मैं उनके रूम पर ही सो जाता था.
एक दिन मैं और अंजलि की सिस्टर दोनों बगल वाले रूम में सोने चले गए.
हमारे बीच अब सेक्स भी होने लगा था, ये बात अंजलि को मालूम थी.
मैं उसकी बहन को बगल वाले रूम में ले जाकर जब तब चोद देता था.
उस रात को मैं अंजलि की बहन की चुदाई कर रहा था.
उसकी चुदाई करते समय मुझको ऐसा लग रहा था कि गेट के पास कोई आवाजें सुन रहा है.
मुझे समझ आ गया कि अंजलि ही हमारी आवाजें सुन रही थी.
मैंने उसकी बहन से कहा- गेट पर शायद अंजलि है.
उसकी बहन बोली- है तो खड़ी रहे … मैं क्या कर सकती हूँ.
ये कह कर अंजलि की बहन हंसने लगी.
मुझे समझ आ गया कि ये दोनों बहनें बिंदास हैं और मुझे पसंद करती हैं.
मगर उस समय मैं अंजलि को नहीं चोद सकता था क्योंकि उसकी बहन शायद इस बात से बुरा मान सकती थी.
उस रात को मैंने चुदाई खत्म की और सो गया.
फिर सुबह जल्दी उठकर मैं अपने रूम पर चला गया.
बहुत दिनों तक ऐसा चलता रहा.
फिर अंजलि के एग्जाम ख़त्म हो गए और वो दोनों घर पर चली गईं.
मैं कभी अंजलि को कॉल करता तो अंजलि कॉलेज का बहाना बनाकर जयपुर आ जाती थी.
परंतु अब अंजलि अपनी बहन को नहीं लेकर आती थी.
एक दिन अंजलि का कॉल आया कि मैं जयपुर आ रही हूँ. मुझे कॉलेज में कुछ काम है. मुझे दो दिन लगेंगे तो मैं तुम्हारे रूम पर रुक जाऊंगी.
मैंने उसको बोल दिया- ठीक है, आ जाना.
अंजलि ने जयपुर आकर मुझको कॉल किया कि मैं आ गयी हूँ. तुम मेरे को लेने आ जाओ.
मैं उसको लेकर आ गया और उससे बोला- तुम फ्रेश हो जाओ और ड्रेस चेंज कर लो. अपन बाहर खाना खाकर आते हैं.
अंजलि ने फ्रेश होकर ड्रेस चेंज कर ली और आ गयी.
हम दोनों बाहर खाना खाने चले गए.
फिर रूम पर आकर हम दोनों लेट गए और एक ही बेड पर दूर दूर सो गए.
मुझको नींद आ गयी.
रात में मुझे प्यास लगी तो मैं उठने वाला था.
मैंने देखा कि अंजलि मेरे पास आकर एक पैर मेरे ऊपर रख कर सो रही थी.
मैंने सोचा कि ये सोते समय हो गया होगा. कोई बात नहीं, हो जाता है.
मैं उठा और पानी पीकर वापस लेट गया.
मगर अब मुझे नींद नहीं आ रही थी. मन कर रहा था कि अंजलि को अभी चोद दूँ, पर कुछ सोच कर छोड़ दिया और सो गया.
फिर अगले दिन रात को खाना खाने के बाद मैं सोने चला गया.
कुछ देर बाद अंजलि स्कर्ट और टीशर्ट पहनकर मेरे पास सो गयी.
कुछ देर बाद मैंने उसको देखा तो देखता ही रह गया.
वो ढीली सी टी-शर्ट पहनकर मेरे बाजू में सो रही थी.
उसकी स्कर्ट ऊपर उठ गई थी.
मेरा मन बहुत कर रहा था कि इसको चोद दूँ, पर डर लग रहा था कि कहीं ये बुरा न मान जाए. ये इस बात को अपनी बहन यानि मेरी गर्लफ्रेंड को बोल ना दे.
जब मुझसे रहा न गया तो मैंने हिम्मत करके अपना एक हाथ उसके पेट पर रख दिया और धीरे-धीरे उसके बूब्स की तरफ बढ़ाने लगा.
अंजलि उस टाइम जाग रही थी.
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
वो बोली- मैं बहुत टाइम से तुमसे सेक्स करना चाहती थी परंतु मुझे मौका ही नहीं मिला.
ये कह कर उसने मेरे हाथ को अपनी चूत पर रख दिया.
मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा और साथ-साथ में अंजलि को किस भी कर रहा था.
अंजलि के मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं.
यूं ही दस मिनट तक चलता रहा.
इसके बाद उसने बोला- अंश, अब मुझसे रुका नहीं जाता, तुम मेरी चूत में अपना लंड डालकर मुझे चोद दो.
मेरे सामने अंजलि अपनी टांगें खोल कर ऐसे पड़ी थी जैसे उसे मेरे लंड का इंतजार हो.
मेरी नजरें उसके मम्मों को निहारने लगीं और मैंने उसके बूब्स को धीरे धीरे सहलाना चालू कर दिया.
दस मिनट तक मैंने अंजलि को किस किया और उसके मादक जिस्म से खेला, तो मुझे लगने लगा कि मैं तो जन्नत में आ गया.
मेरा 6 इंच का लंड लोहे की रॉड की तरह टाइट हो गया था. मैंने चुदाई की पोजीशन सैट की और उसकी चुत की दरार पर टिका दिया.
लंड की चुभन से उसकी मस्त सीत्कार निकल गई. मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
अब उससे रहा नहीं जा रहा था, वो नीचे से अपनी गांड उठा रही थी.
अंजलि ने मुझसे कहा- अब क्यों देर कर रहे हो … जल्दी से मेरे अन्दर डाल दो प्लीज़.
मैंने अंजलि की दोनों टांगें ऊपर की ओर करके फैला दीं और लंड उसकी चूत में डालने लगा.
परन्तु मेरा लंड मोटा होने के कारण उसकी चुत के अन्दर नहीं जा रहा था.
मैंने फांकों में लंड का सुपारा सैट किया और एक जोर का झटका लगा दिया.
मेरा मोटा लंड उसकी चूत फाड़ता हुआ अन्दर चला गया.
वो जोर से चिल्लाने लगी- आंह मम्मी रे मर गई … आह मेरी फट गई.
उसकी आंखों से आंसू आने लगे थे, तो मैंने लंड को उसकी चूत में थोड़ी देर तक यूं ही घुसेड़े रखा.
कुछ पल बाद वो चुप हुई, तो मैं धीरे-धीरे लंड अन्दर-बाहर करने लगा.
अब उसको दर्द कम हो रहा था.
थोड़ी ही देर के बाद दोनों के मुँह से कामुकता भरे स्वर निकल रहे थे.
‘आह्ह … ओह्ह … जान … यस … आह्ह … मजा आ रहा है … चोदो … और तेज अंश … फाड़ दो….’
मैं भी कुछ ऐसे ही बड़बड़ा रहा था- हाय मेरी अंजलि रानी तेरी चूत … आह्ह … कितनी गर्म है … बहुत मजा आ रहा है तेरी चूत चोदने में…. आह्ह … चोद दूंगा तुझे … .. फाड़ दूंगा आज तेरी चूत.
इसी तरह 10 मिनट तक चुत चुदवाने के बाद अंजलि झड़ गयी.
मैं फिर भी उसकी चूत को पेलता रहा.
फिर 5 मिनट बाद मैंने भी उसकी चूत के अन्दर ही मेरा सारा माल भर दिया और मैं उसके ऊपर लेट गया.
कुछ मिनट में मेरा लंड चुत में ही वापिस खड़ा हो गया और मैं उसको चोदने लगा.
ऐसे करके मैंने पूरी रात में अंजलि को कई बार चोदा.
फिर मैं भी थक गया था, तो मुझे भी नींद आ गयी.
मैं सुबह उठा तो देखा कि अंजलि नहाकर तैयार हो गयी थी, क्योंकि उसको कॉलेज जाना था.
उसका काम पूरा होने में चार दिन लग गए. मैं उसे हर रात हचक कर चोदा और उसे खुश करके वापस भेजा.
फ़्रेंड्स ये मेरी सच्ची देसी कॉलेज सेक्स कहानी थी आपको कैसी लगी …