नमस्कार अन्तर्वासना के दोस्तों! मेरा नाम गोविन्द है. मैं मेरठ का रहने वाला हूं. मेरी उम्र बीस वर्ष है. मेरा कद पांच फुट छह इंच है. मैं एक प्राइवेट जॉब करता हूँ और साथ ही पढ़ाई भी कर रहा हूं.
मैं अन्तर्वासना.कॉम का बहुत पुराना पाठक हूँ और इस पटल पर ये मेरी पहली कहानी है. मैं आशा करता हूं आप सबको मेरी ये सेक्स कहानी जरूर पसंद आएगी.
अभी तक मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनी थी, लेकिन मेरा एक पक्का दोस्त है, उसका नाम अविनाश है. अविनाश मेरे बचपन का दोस्त है. हम दोनों बचपन से एक साथ ही पढ़ाई करते हुए आए हैं. अविनाश की एक गर्लफ्रेंड है, उसका नाम साक्षी है. वो भी मेरठ की ही रहने वाली है.
बात एक साल पहले की है. मैं, मेरा दोस्त अविनाश और उसकी गर्लफ्रेंड साक्षी साथ ही पढ़ाई करते थे. साक्षी एक अमीर परिवार की थी, वो हमेशा मॉडर्न कपड़े पहन कर बड़ी छैल छबीली सी बन ठन कर रहती थी. वो हमेशा टाइट कपड़े पहनती थी और बिना परफ्यूम के तो वो कहीं जाती ही नहीं थी. साक्षी के मम्मों का साइज तीस इंच का होगा. उसकी कद्दू सी उठी हुई गांड को देख कर हर कोई उसकी गांड मारने की सोचने लगता था.
मैं और अविनाश हमेशा एक साथ ही कॉलेज जाते थे और रास्ते में हमें साक्षी मिल जाया करती थी, तो हम तीनों ही एक साथ कॉलेज पहुंचते थे. कॉलेज के अलावा भी हम तीनों जहाँ भी जाते साथ ही जाते. हमारी ये बात देख कर साक्षी हमेशा मुझसे एक ही बात बोलती- यार, तुम भी ना एक गर्लफ्रेंड बना ही लो.
लेकिन मैं हमेशा उसकी बात को टाल देता.
बस इस तरह से सब कुछ सही चल रहा था. फिर एक दिन साक्षी और अविनाश की लड़ाई हो गई. इस लड़ाई के बाद वो दोनों कई दिन तक आपस में नहीं बोले. मैं उनके बीच में फंस गया. फिर मैंने किसी तरह उन दोनों को फिर से एक किया लेकिन उनकी इस लड़ाई से मैं और साक्षी कुछ ज्यादा खुल गए थे. अब वो अपना सब कुछ मुझसे शेयर करने लगी थी.
फिर एक दिन अविनाश को ये बात पसन्द नहीं आई कि वो मुझसे ज्यादा बात करे. बस फिर क्या था हम दोनों की बचपन की दोस्ती में दरार आ गई. इस घटना के बाद बात इतनी अधिक बढ़ गई कि हम दोनों का कॉलेज साथ में जाना छूट गया. वो मुझसे बात भी नहीं करता था.
एक दिन कॉलज में साक्षी मुझे अकेले में मिली. वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई. मैं भी उसे देख कर पागल सा हो गया. मुझे ऐसा लगा कि वो जैसे मेरी ही गर्लफ्रेंड है … और न जाने कितने साल में मिली हो.
वो जरा जल्दी में थी, तो उससे ज्यादा बात नहीं हो पाई, लेकिन न जाने क्यों मेरे कलेजे को एक अजीब सी ठंडक मिली.
उसने जाते जाते मुझसे मेरा मोबाइल नंबर मांगा, मैंने झट से उसे नम्बर दे दिया. वो उस वक्त जल्दी में थी, तो इसलिए मैंने उसका नम्बर नहीं लिया.
उस वक्त तो हम दोनों अलग हो गए. फिर मैं रात को उसके ही बारे में सोचता रहा. उस रात मुझे नींद ही नहीं आ रही थी. रात को करीब एक बज गया था.
तभी मेरे मोबाइल पर एक मेसेज आया- हैलो.
मैंने रिप्लाई किया- हैलो.
फिर उसने लिखा कि मैं साक्षी हूँ.
मैंने उससे कहा- इतनी रात को मेसेज कर रही हो?
वो बोली- यार मुझे नींद नहीं आ रही थी. इसलिए मैंने सोचा कि तुमसे बात कर लूं. लेकिन तुम इतनी रात को जाग कर क्या कर रहे थे.
मैंने भी हंस कर लिख दिया- तुम्हारे मैसेज का वेट कर रहा था.
बस वो हंस पड़ी और उसने सीधे मुझे फोन ही लगा लिया. हम दोनों फोन पर बात करने लगे. हम दोनों रोज इसी तरह बातें करने लगे.
फिर एक दिन वो रात को मेसेज पर मुझसे बोली- मुझे वीडियो कॉल पर तुमसे बात करनी है.
मैंने कहा- ओके आ जाओ.
उसने वीडियो कॉल की, जिसमें वो केवल एक सफेद ब्रा पहने हुए थी, जिसमें से उसके टाइट मम्मे दिखाई दे रहे थे. चूंकि मैं भी रात में कपड़े उतार कर ही लेटता हूँ, तो मेरी नंगी छाती भी उसे दिख रही थी.
मैंने उससे कह ही दिया- साक्षी आज तुम बहुत सेक्सी लग रही हो.
तो वो शरमा गई.
फिर मैंने उससे कहा- एक वादा करोगी?
वो बोली- हां बोलो?
मैंने कहा- जो मैं बोलूंगा, वो करोगी?
वो मेरी बात मान गई.
मैंने उससे कहा- तुमको मैं इस वक्त कैसा दिख रहा हूँ?
वो बोली- तुम्हारी नंगी मर्दाना छाती दिख रही है.
मैंने कहा- तुम भी ऐसे ही दिखो न.
वो बोली- मतलब?
मैंने कहा- तुम भी अपनी ब्रा उतार दो.
वो हंस कर बोली- साले गोविंद, तुम बहुत हरामी हो.
मैंने कहा कि अब जो हूँ सो हूँ, तुम जल्दी से ब्रा उतार दो ना.
मुझे उसकी बिंदास भाषा से ये मालूम चल गया था कि अब वो मुझसे ही इस तरह की दोस्ती वाली बातें किया करती थी. जब मैंने उससे ब्रा हटाने का कहा तो वो इसी लिए मेरी बात मान गई. उसने अगले ही पल अपनी ब्रा उतार दी.
आह सनाका खिंच गया … क्या मस्त चुचियां थीं. मेरा मन करने लगा था कि मोबाइल में घुस कर इसकी चूचियों को पी लूँ.
लेकिन साक्षी भी पूरी कमीनी थी, उसने भी मुझसे वायदा लिया.
मैंने हां बोल दिया.
उसने भी गर्म होते हुए कह दिया कि मुझे तुम्हारा लंड देखना है.
मैंने कहा- हां जान … क्यों नहीं.
मैंने झट से अपना सात इंची का लंड अंडरवियर से निकाला और उसके मुँह की तरफ करके हिलाया, उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और लंड चाटने का अश्लील इशारा करते हुए दूध दबाने लगी.
अब हम दोनों गर्म हो गए और सेक्सी बातें करने लगे.
उस रात हम दोनों ने फ़ोन पर सेक्स चैट करते हुए ही एक दूसरे के सामने मुठ मारी और अपना अपना रस झाड़ दिया.
इस घटना के बाद से हम दोनों में ही चुदाई की आग लग रही थी. ये आग बुझानी जरूरी थी. अगले ही दिन मुझे साक्षी का फोन आया, उसने पूछा- तुम कहां पर हो?
मैंने कहा- मैं कॉलज में हूँ.
उसने मुझे बताया- उसके घर के सब लोग बाहर घूमने जा रहे हैं … लेकिन मैंने कॉलेज की पढ़ाई का बहाना बना कर मना कर दिया. मैं कल से तीन दिन तक घर पर अकेली ही रहूँगी.
यह सुनकर तो बस मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं था.
अगले दिन सुबह मैंने उसे कॉल किया- कहां पर हो जान?
वो बोली- कॉलज जाने की तैयारी कर रही हूँ.
मैंने उससे कहा- कॉलेज जाना कैंसल कर दो … आज तुम्हारे ही घर पर क्लास चलेगी.
वो बोली- क्या मतलब?
मैंने कहा- तुम कॉलेज मत आना, मैं तुम्हारे घर पर आता हूं. उधर आकर ही सब बताता हूँ.
वो बोली- ओके.
फिर मैं भी घर से कॉलज के नाम पर निकला और साक्षी के घर पर पहुँच गया. उसके घर आकर मैंने घंटी बजाई तो वो आई और उसने दरवाजा खोला. जैसे ही मैंने उसे देखा, तो मैं तो वहीं पागल सा हो गया. साक्षी क्या मस्त माल लग रही थी … क्या खुशबू थी. इस वक्त उसने बस एक झीनी सी मैक्सी पहनी हुई थी, जिसमें वो और भी ज्यादा हॉट एंड सेक्सी लग रही थी.
मैं उसे घूरता ही रह गया.
उसने हंसते हुए कहा- क्या हुआ … क्या यहीं खड़े रहोगे या अन्दर भी आओगे … चलो जल्द से अन्दर आओ … वर्ना कोई देख लेगा.
मैं झट से अन्दर घुस गया. उसने दरवाजा बंद कर दिया. वो मुझे अपने रूम में लेकर गई.
मैंने उससे पूछा- ये मैक्सी किसकी है, जो तुमने पहनी हुई है?
वो बोली- मेरी भाबी की है.
मैंने आंख दबाते हुए कहा- मतलब भाभी के माल पर मजा ले रही हो.
वो हंस दी और मेरे लिए चाय लेने किचन में चली गई. वो शायद मेरे आने की सुनकर चाय पहले से बना कर रख चुकी थी. वो एक ट्रे में दो कप चाय लेकर आई.
मैंने उससे कहा- साक्षी चाय क्यों ले आई … मुझे तो तुम्हारा दूध पीना है.
वो बोली- क्या?
मैंने कहा- कुछ नहीं.
मेरी बात को समझ तो वो भी गई थी. इसलिए हंस दी.
फिर हम दोनों बात करने लगे. वो मुझसे बोली- आज तुमने कॉलेज जाना क्यों कैंसिल करा दिया?
मैंने कहा- यार आज ही तो मौका है मज़े लेने का.
वो समझ गई और कहने लगी- अच्छा जी इस लिए क्लास घर पर लगाने की कह रहे थे.
मैंने कहा- हां तुमने ही तो बता दिया था कि घर सूना है … आ जाओ.
इस पर उसने हंसते हुए आंख दबा दी
मैंने धीरे से अपने होंठों को उसके होंठों से लगा दिए. उसने कोई ऐतराज नहीं किया. बस मैं उसके होंठों का रसपान करने लगा. हम दोनों मस्ती से चूमाचाटी कर रहे थे. हम दोनों करीब दस मिनट तक इसी तरह एक दूसरे के होठों का रस पीते रहे.
फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी मैक्सी के अन्दर से ले जाकर उसके चूचों को दबाना शुरू कर दिया. मम्मों पर हाथ लगाने भर से वो पूरी तरह से गर्म हो गई थी. मेरी भी सब्र की दीवार गिरने वाली थी. मैंने उसकी मैक्सी उसके बदन से अलग कर दी. उसने एक नीले कलर की पैंटी पहनी हुई थी. ऊपर एक जालीदार नीली ब्रा उसके मम्मों को मजबूती से जकड़े हुए थी. अब वो मेरे सामने बेड पर चुदने के लिए ऐसे चित पड़ी थी, जैसे वो मेरी रखैल हो.
उसने अपने एक हाथ से मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और मेरी जीन्स का बटन भी खोल दिया. मेरा खड़ा लंड देख कर वो हंसने लगी और कहने लगी- तुम तो मेरी चूत को फाड़ दोगे.
मैंने कहा- तुम पागल हो … यार जब इस चूत में से पूरा बच्चा निकल सकता है, तो तेरी चूत क्या सात इंची के लंड से ही फट जाएगी?
वो मेरी बात से सहमत हो गई और उसने चुदने का मन बना लिया.
अब मैं और साक्षी बेड पर नंगे थे. मैंने उसे लंड मुँह में लेने का कहा तो उसने मना कर दिया. मैंने कहा कि कोई बात नहीं.
फिर मैंने उसकी पैंटी को उतार दिया. उसकी चूत पर बहुत बारीक बारीक झांट के बाल थे, जिससे उसकी चूत सजी हुई थी. मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में दे दी और उसे चूसने लगा. चूत चुसने से वो एकदम से कराहने लगी ‘उई उम्म्ह… अहह… हय… याह… उइच …’
मैं भी पूरे मजे से उसकी चूत पी रहा था और उसके एक चुचे को दबा रहा था. कुछ ही देर मैं उसने पानी छोड़ दिया. मैंने उसके नमकीन पानी को पी लिया. उसकी चूत झड़ जाने के बाद भी मैं उसकी चूत को चाटता रहा, जिससे वो फिर से गर्म हो गई.
मैंने एक बार फिर से कोशिश की और उसके मुँह की तरफ अपना लंड हिलाया तो उसने अपना मुँह खोल दिया. मैंने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया. अब उसने अपने मुँह में मेरे लंड को लेने में कोई ऐतराज नहीं किया. बल्कि वो मेरे लंड को ऐसे चूसने लगी, जैसे सॉफ्टी आइस क्रीम चूस रही हो.
कुछ ही देर में मैंने भी अपना पानी उसके मुँह में ही छोड़ दिया.
एक बार मैं फिर से शुरू हो गया. मैंने धीरे से साक्षी की टांगें चौड़ी कीं और अपना फनफनाता लंड उसकी चूत में ठेल दिया. वो अचानक लंड घुस जाने से चिल्ला उठी- ऊई आ आ मर गई …
जबकि अभी तो मेरा लंड उसकी चूत में पूरा अन्दर गया भी नहीं था.
तब भी मैं कुछ पल के लिए रुक गया. उसके चूचों को पीने लगा. उसके जिस्म की खुशबू मुझे उसका और भी दीवाना बना रही थी.
मैंने धीरे धीरे अपना पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया और आहिस्ता आहिस्ता लंड को उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा. अब साक्षी को भी मजा आ रहा था और वो ‘ऊऊई ऊऊई आ आ हम्म..’ की आवाज निकाल रही थी.
फिर मैंने चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी और उसे हचक कर चोदने लगा. कुछ देर बाद वो मेरे ऊपर आ गई थी … तो उसके चुचे मेरे मुँह पर ही रगड़ रहे थे. मैं उसके दोनों मम्मों को बारी बारी से चूस कर पी रहा था.
कुछ देर बाद मैंने फिर से पोजीशन बदली. अब मैंने उसकी एक टांग अपने कंधे पर ऱखी और उसकी चूत में बेदर्दी से तेज तेज धक्के मारने लगा.
वो दर्द से चिल्लाते हुए कह रही थी- आह फट गई गोविंद … आराम से चोद ले … मर जाऊंगी … ऊऊईमाँआ … मैं … मर गई … आ ऊह!
इधर मैं पूरे मजे में था और उसे चोदता रहा. तभी उसने मुझे बहुत कसके जकड़ा और निढाल होकर बिस्तर पर गिर गई. अब तक वो दो बार झड़ चुकी थी.
उसके झड़ने के बाद मैं भी कुछ ही पल में झड़ गया. हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे.
फिर हम एक और बार गर्म हो गए. हालांकि वो इस बार मना कर रही थी.
वो बोल रही थी- गोविंद अब नहीं … बस करो यार.
लेकिन मैं अभी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हुआ था. मैं उसके चूचों को पीने लगा. तो वो फिर से गर्म होने लगी.
मैंने उसकी चूत मैं अपनी दो उंगलियां दे दीं.
वो कहने लगी- आह बस करो डार्लिग … क्या आज ही मेरी चूत का भोसड़ा बनाओगे?
इतने मैं ही उसके ब्वॉय फ्रेंड अविनाश का फोन आ गया. उसने उसका फोन की स्क्रीन पर उसका नाम देखते ही उसे गाली देनी शुरू कर दी.
मैंने कहा- क्या हुआ?
वो बोली- उसी चूतिया का फोन आ रहा है.
मैंने कहा कि किस चूतिया का?
वो बोली- अविनाश का … साला मेरे पैसों का भूखा है.
यह बात सुनकर मैं एक पल के लिए चौंक गया.
मेर पूछने पर उसने मुझे बताया कि उसने मेरे साथ बस एक ही बार सेक्स किया है … नहीं तो साला बस किस ही करके रह जाता है. मुझसे जब तब पैसे भी ऐंठता रहता है.
मैंने कहा- अच्छा चलो, आज उसकी जगह भी मैं ही तुमको चोद दूँगा.
वो बोली- नहीं यार … अब नहीं, बस करो.
लेकिन मैं नहीं माना और इस बार उसे जबरदस्ती अपने नीचे लिटा कर अपना लंड उसकी चूत में अन्दर तक घुसेड़ दिया.
वो लंड निकालने की कोशिश कर रही थी. लेकिन कामयाब नहीं हुई. आखिर में वो मेरे नीचे ही पड़ी रही और एक बार फिर मेरा साथ देने लगी. इस बार करीब बीस मिनट तक हम दोनों ने चुदाई का मजा लिया. फिर हम दोनों झड़ गए.
अब हम दोनों ही थक कर निढाल हो गए थे. हम दोनों एक दूसरे की बांहों में ही सो गए.
करीब शाम के चार बजे साक्षी की आंखें खुलीं और उसी ने मुझे उठाया. हम दोनों बाथरूम में गए और दोनों साथ में ही नहाए. मैंने देखा कि साक्षी की चूत ऐसे फूल गई थी, जैसे रसभरी हो. वो सही से चल भी नहीं पा रही थी. फिर हम दोनों बाथरूम से बाहर आए.
मैंने उससे कहा- अब मैं जाता हूं.
उसने मना कर दिया और बोली- नहीं मैं खाना बना रही हूँ … खाना खा कर जाना.
मैंने कहा- साक्षी यार तुम सही से चल भी नहीं पा रही हो, खाना कैसे बनाओगी?
मैंने उसे मना कर दिया और कहा- कल आऊंगा, तब खाना खिलाना.
वो मान गई. मैंने उसे एक किस किया और फिर साक्षी के घर से आ कर अगले दिन का इंतजार करने लगा.
दोस्तो, आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी … मेल करके जरूर बताना.
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