नमस्ते दोस्तो, मैं राज शर्मा, मैं रतलाम में रहता हूँ. मेरी उम्र 22 साल है. आज मैं अन्तर्वासना पर अपनी पहली कामुकता भरी कहानी लिख रहा हूँ जिसमें मैंने अपने पड़ोस की चुदासी आंटी को चोदा था. आंटी की फ्री चुदाई स्टोरी में कोई गलती हो तो माफ़ कर दीजिएगा.
ये बात जब की है, जब मेरी उम्र जवानी की दहलीज पर थी. उस वक्त मेरे घर के पास एक आंटी रहती थीं. उनका नाम गोरी था. वे अपने नाम के जैसे ही बहुत गोरी थीं. उनका फिगर 32-30-36 का था. मैं हमेशा उनके गोरे रंग को निहारता रहता था. उनका भी मेरे घर बहुत आना जाना लगा रहता था. उनके पति कोई मार्केटिंग की जॉब करते थे, जिससे वो घर पर कम ही रहते थे. इसलिए आंटी के घर के लिए बाजार आदि के सारे काम में ही करता था. मेरा भी इसी वजह से आंटी के पास आना जाना लगा रहता था, जिससे मुझे आंटी के मम्मों के दर्शन हो जाते थे.
एक दिन ऐसे ही मैं आंटी के घर किसी काम से गया और आंटी को आवाज लगाई- कहां हो आंटी?
मगर आंटी ने जब कोई जबाब नहीं दिया तो मैं आंटी के कमरे में आ गया. मुझे बाथरूम से कुछ आवाज आई, तो मैंने सोचा शायद आंटी नहा रही होंगी.
मैं दबे पाँव से दरवाजे के पास गया और छेद में से देखा तो आंटी पूरी नंगी होकर नहा रही थीं और उनके सफ़ेद दूध जैसे चूचे और मस्त चिकनी चुत देखकर मेरे पजामे में मेरा लंड तम्बू बन गया.
आंटी नहाते वक्त अपनी चुत में उंगली कर रही थीं और “ऊंहां… ऊऊऊऊ… स्स्स्स्स्…” जैसी कुछ कामुक आवाजें निकाल रही थीं.
मैं आंटी का ये रूप देख कर गरम हो गया और ना जाने मुझे क्या हुआ कि मेरा हाथ मेरे लंड पर चला गया. मैं अपने खड़े होते लंड को दबाने की कोशिश करने लगा, मगर वो और दर्द करने लगा.
मैंने एक बार एक पोर्न वीडियो में देखा था कि आदमी अपने लंड को आगे पीछे करके औरत की चुत में लंड डाल कर मजा लेता है. मगर इस वक्त मेरे पास तो चुत नहीं थी. लेकिन तब भी मैं लंड की चमड़ी को आगे पीछे करने लगा, तो कुछ ही देर में कुछ सफ़ेद सा झाग जैसा मेरे लंड से निकल कर बाथरूम के दरवाजे पर गिरने लगा. उसके बाद मुझे आराम मिल गया. इतने में आंटी भी नहा कर बाहर आने वाली थीं, तो जल्दी से में नीचे भाग आया. मगर मुझे याद आया कि मैं वो सफ़ेद झाग साफ करना भूल गया, कहीं आंटी ने देख लिया तो और घर पर बोल दिया तो खूब बेइज्जती होगी, मगर क्या करूँ… मुझे समझ नहीं आ रहा था.
मैं डर के मारे अपने घर चला गया और दो दिन आंटी के घर नहीं गया. तीसरे दिन आंटी किसी काम से मेरे घर पर आईं और गलती से मैं उनके सामने आ गया.
उन्होंने कहा- क्या बात है राज आज कल घर नहीं आते.
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है, पढ़ाई का बोझ ज्यादा था तो आ नहीं सका.
फिर उन्होंने मां से कहा- मुझे कुछ सामान मंगाना है, तो राज को मेरे साथ भेज दो.
मेरी माँ ने “हां” कर दिया, मैं डरते हुए आंटी के साथ उनके घर गया.
उन्होंने कहा- तुम यहीं रुको, मैं अभी आई.
जब आंटी वापस नीचे आईं तो मैं उन्हें देखता ही रह गया. आंटी ने लाल साड़ी और नीला स्लीबलैस ब्लाउज पहना हुआ था. आंटी क्या मस्त माल लग रही थीं.
आंटी ने मेरे पास आकर नशीले अंदाज में कहा- चलो…
मगर मैं तो उनकी हसीन जवानी में इतना खो गया था कि मुझे ये ध्यान ही नहीं रहा कि आंटी कब मेरे पास आ गईं.
आंटी ने मेरा कंधा पकड़ कर हिलाया, तब मुझे होश आया. मैंने उनको सॉरी कहा, उन्होंने कहा- चलें?
फिर हम एक बड़े शॉपिंग मॉल गए, वहां उन्होंने दो साड़ी लीं और फिर ब्रा पेन्टी के स्टोर में चली गईं. वो अपने लिए ब्रा लेने आई थीं.
आंटी ने मुझे एक ब्रा दिखा कर पूछा- ये कैसी लग रही है?
मैंने मन में सोचा कि ये मुझसे क्यों पूछ रही हैं. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.
उन्होंने फिर पूछा, मैंने कहा- ये अच्छी नहीं है.
आंटी- तो फिर कौन से अच्छी लग रही है?
मैंने कहा- मैं निकाल कर बताता हूँ.
मैंने उनसे उनका साइज़ पूछा तो उन्होंने बिना शरमाए कह दिया कि 32 नम्बर है.
मैंने उनके साइज़ की ब्लैक रंग की जालीदार ब्रा और सफ़ेद रंग की पेंटी निकाली, जो उन्हें भी बहुत पसंद आई.
फिर हम शॉपिंग करके घर आ गए.
शाम को माँ ने कहा- आज रात आंटी के घर ही रुक जाना.
मैंने पूछा- क्यों?
माँ ने कहा- कल रात गली में जो चोरी हुई थी… उससे गोरी आंटी डर गई है. उसने तुम्हें आज रात रुकने के लिए बोला था.
मैंने सोचा कि कहीं आंटी वो झाग वाली बात न मालूम हो और मुझे रात को उसी बात को लेकर डांटेगी तो नहीं.
यह सोच कर मैं डरते हुए उनके घर गया मगर आंटी के चेहरा देखने के बाद ऐसा कुछ नहीं लगा. फिर मैं भी वो बात भूल गया.
आंटी ने पूछा- राज खाना खा लिया तुमने?
मैंने कहा- हां आंटी.
थोड़ी देर में खाने के बाद आंटी बोलीं- राज तुम मेरे रूम में ही सो जाना.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं और आंटी रूम में आ गए और टीवी देखने लगे. आंटी सास बहू के नाटक देख रही थीं.
मैंने कहा- आंटी कोई फ़िल्म लगाओ ना.
आंटी ने मना कर दिया तो मैंने फिर से कहा, तो उन्होंने इठला कर कहा- तुम्हें सोना हो तो सो जाओ मगर मुझे इतना जल्दी नींद नहीं आती है.
मैंने आंटी से रिमोट छीनने की कोशिश की और उनको धक्का मारकर उनके ऊपर चढ़ कर उनके हाथ से रिमोट छीनने की कोशिश करने लगा. इसी छीना झपटी में गलती से मेरे हाथ से उनका एक चूचा दब गया, उनके मुँह से एक “आह्ह्ह…” निकल गई.
मैंने हंसते हुए पूछा- क्या हुआ आंटी?
आंटी ने भी हंस कर कहा- कुछ नहीं.
फिर थोड़ी देर टीवी देखने के बाद मैं वहीं उनके साथ सो गया. अचानक रात को मुझे लगा कि कोई मेरे लंड को हिला रहा है. मैं जैसे ही उठा, देखा कि आंटी मेरे लंड को मुँह में लेकर चूस रही हैं.
मैंने कहा- आंटी ये क्या कर रही हो?
आंटी बोलीं- पानी पी रही हूँ.
“मगर ये गन्दा काम है आंटी…!”
“चुपचाप मजे लो.”
“नहीं आंटी ये गन्दा काम है, ये बात माँ को कह दूँगा.”
आंटी बोलीं- जब बाथरूम में झाँक कर मुझे नंगी नहाते हुए देख रहे थे, वो गन्दा काम नहीं कर रहे थे.
मैंने कहा- वो तो गलती से हो गया, अब आप मेरे साथ ये गन्दा काम ना करें, नहीं तो मैं सबको बता दूँगा.
आंटी ने मुझे छोड़ दिया, फिर अन्दर से वे एक रस्सी लेकर आईं और उन्होंने मेरे हाथ बाँधने लगीं.
मैंने कहा- ये क्या कर रही हैं आंटी?
आंटी कामुकता से बोली- तू सीधी तरह से मानेगा नहीं, इसलिए आज मैं तेरे साथ जबरदस्ती करूँगी और तुझे पूरा खा जाऊंगी!
मैंने कहा- आंटी ऐसा मत करो छोड़ दो.
मगर आंटी नहीं मानी, उन्होंने पहले मेरी शर्ट निकाल दी और मेरे सीने पर किस करने लगीं जिससे मुझे कुछ कुछ होने लगा.
मैंने फिर से उनसे कहा- प्लीज़ आंटी मुझे छोड़ दीजिए.
मगर अबकी बार आंटी होंठों पर किस करने लगीं और मेरा मुँह को दबाकर मेरी जीभ को चूसने लगी, जिससे मुझे भी मस्ती आने लगी.
फिर आंटी ऊपर से किस करते हुए नीचे लंड पर आकर लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं, “घप्प्प… प्पप्प…” की आवाज आने लगी. मैं आंख बंद करके लंड चुसाई का मजा लेने लगा.
फिर आंटी ने अपनी नाइटी खोली, उन्होंने अन्दर कुछ कुछ नहीं पहना था. उनके सफ़ेद मम्मों के ऊपर भूरे रंग के दाने और भी मस्त लग रहे थे.
आंटी ने फिर से मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं, जिससे मुझे मजा आ रहा था. अब मेरी कामुकता भी जाग उठी थी, मैं भी आंटी के साथ ये खेल खेलना चाहता था मगर मेरे हाथ बंधे हुए थे, मैं कुछ कर ही नहीं सकता था.
इतने में आंटी लंड को चुत पर सैट करके ऊपर बैठ गईं और उनके मुँह से एक “अह्ह्ह…” निकली. उसी वक्त मेरे मुँह से भी दर्द की आवाज निकल गई.
फिर आंटी मेरे लंड के ऊपर नीचे होने लगीं और “आह्ह्ह्ह्ह… उह्स्स्स्स…” करने लगीं. मैं भी नीचे से धक्के मारने लगा तो आंटी समझ गईं कि अब मैं उनके साथ इस खेल में तैयार हूँ, तो उन्होंने मेरे हाथ खोल दिए.
मैंने गुस्से में आंटी को पकड़ कर उनको अपने नीचे लिटाया और जोरों से होंठों पर किस करना चालू कर दिया.
आंटी भी मेरे किस का जवाब मेरे लंड को आगे पीछे करके दे रही थीं. फिर मैं नीचे से उनके मम्मों को चूसने लगा. आंटी को मजा आने लगा तो वे मेरे सर पर हाथ फेरने लगीं.
मैंने एक उंगली उनकी गांड में डाल कर आगे पीछे कर रहा था, साथ ही उनके मम्मों को दबा कर चूस रहा था. मम्मों को मसलते हुए पीने में जो मजा आ रहा था… उसका आनन्द ही अलग था.
आंटी कामवासना से “आआस्सस्स…” कर रही थीं और कह रही थीं- आह… और जोर से राज… आज इनका सारा दूध पी जाओ… खा जाओ इनको… ये आज से तेरे लिए ही हैं… जब तेरी इच्छा हो, मुझे चोदने आ जाना.
मैंने आंटी की चूत से लंड निकाल लिया और उनको नीचे किस करते हुए उनकी चुत पर आ कर चुत चाटने लगा. आंटी मेरा सर पकड़ कर चुत पर दबाने लगी थीं. चुत को भी चाटने में मजा आ रहा था.
फिर थोड़ी देर में आंटी झड़ गईं और उनका पूरा रस मेरे मुँह में चला गया, जो नमकीन और टेस्टी था.
मैंने आंटी से कहा- आंटी अब आपकी चुत मैं ऊपर से मारूँगा… आप तैयार हो जाओ.
आंटी बोलीं- मैं तो बस तेरे लंड के लिए ही बनी हूँ… जल्दी से घुसा दे और मेरी इतने दिनों की प्यास भी बुझा दे.
मैंने आंटी की चुत के मुँह में लंड सैट किया और अपनी पूरी ताकत से एक ही बार में लंड को चुत में पेल दिया, जिससे आंटी और मुझे थोड़ा दर्द हुआ.
आंटी चिल्ला पड़ीं- उई मादरचोद… आराम से कर राज… जल्दी नहीं है मुझे…
मैंने हंसते हुए आंटी को चूमा और उनकी चुत चोदना चालू किया. आंटी की चुदाई के साथ-साथ मैं किस करते हुए उनके मम्मों को भी दबा रहा था.
दस मिनट में आंटी फिर से झड़ गईं. आंटी ने हांफते हुए कहा- राज अब हो गया… अब मुझसे और न हो पाएगा… मुझे दर्द हो रहा है.
मगर मैं नहीं माना, मेरी चुदास बाक़ी थी और मैं उनको और जोर से चोदने लगा. थोड़ी देर में मेरा भी माल उनकी चुत में निकल गया.
आंटी आज मुझसे चुद कर बहुत ख़ुश थीं. उन्होंने मुझे खूब किस किया और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो गए.