गुलाब की तीन पंखुड़ियां-15

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

गुलाब की तीन पंखुड़ियां-14

गुलाब की तीन पंखुड़ियां-16

दोस्तों उम्मीद है कहानी के आगे बढ़ने के साथसाथ आपका मजा भी बढ़ता जा रहा होगा. रात्रि भोजन (डिनर) निपटाने के बाद मधुर ने मेरी ओर इशारा करते हुए गौरी को समझाया- आज से सर तुम्हें नियमित रूप से रात को अंग्रेजी पढ़ाया करेंगे। मैं रसोई में तुम्हारी मदद कर दिया करुँगी. काम को जल्दी निपटा लिया करना ताकि ठीक से पढ़ाई हो सके।
“हओ …” अब बेचारी तोतेजान ‘हओ’ के अलावा और क्या बोल सकती थी।

“और प्रेम, अगर यह पढ़ाई में कोई कोताही बरते (आनाकानी करे) तो एक डंडा रख लो चाहो तो उससे इसकी अच्छी तरह पिटाई भी कर देना।”
डंडे वाली बात पर हम तीनों ही हंस पड़े। मेरा डंडा तो वैसे ही आजकल अटेंशन रहता है अब तो मधुर ने भी इजाजत दे दी है। अब डंडे का इस्तेमाल कहाँ, कब और कैसे करना है मैं सही समय पर अपने आप कर लूंगा। लिंग देव इस पढ़ाकू कबूतरी का भला करे।

“मैं सोने जा रही हूँ। आज से ही पढ़ाई शुरू कर दो। और गर्मी के सीजन में ये क्या पैंट-कमीज पहन रखी है वो शॉर्ट्स क्यों नहीं पहनती?” और फिर मेरी ओर मुस्कुराते हुए ‘गुड नाईट’ कहकर मधुर बेड रूम की ओर चली गई।

मेरी तोतेजान तो बेचारी सकपका कर रह गई।
“ग … गौरी तुम अपनी बुक्स वगैरह ले आओ.”
“हओ …” कहकर गौरी सुस्त कदमों से चलकर स्टडी रूम अपने कमरे में चली गई।

अब मैं सोच रहा था यह साली मधुर मेरे साथ कोई गेम तो नहीं खेल रही? जिस प्रकार उसने गौरी को शॉर्ट्स पहनने के लिए कहा था और बाद में मेरी ओर मुस्कुराते हुए देखा था, मुझे कुछ थोड़ी शंका भी होती है और डर भी लगता है। औरतों के बारे में एक बात जो जग जाहिर है कि वे अपनी पति को दूसरी लड़की या औरत के पास फटकने भी नहीं देती तो मधुर इस प्रकार मुझे और गौरी को खुली छूट कैसे दे रही है? पता नहीं इसके दिमाग में क्या खिचड़ी पक रही है?

प्रिय पाठको और पाठिकाओ! आप सभी तो बहुत ही अनुभवी और गुणी हैं आपको क्या लगता है मधुर के ऐसा करने के पीछे कोई प्लान या साज़िश तो नहीं? कहीं वह मेरी परीक्षा तो नहीं ले रही? मुझे गौरी के साथ अपने सम्बन्धों को आगे विस्तार देना चाहिए या यहीं विराम दे देना चाहिए? मैं आपकी अनमोल राय का मुन्तजिर और आभारी रहूंगा।

गौरी ने अपने कपड़े बदल लिए थे अब वह छोटी वाली निक्कर और सफ़ेद रंग का स्लीवलेस टॉप (जिसपर फूलों वाली डिजाईन बनी थी) पहन कर आ गई।
हे भगवान् … पतली कमर में बंधे निक्कर के ऊपर गोल गहरी नाभि तो किसी योगी की तपस्या भी भंग कर दे। उसने अपने बालों की दो चोटी बना रखी थी और इन शॉर्ट्स में तो वह टेनिस की खिलाड़ी जैसी लग रही थी।

आप सोच सकते हैं मुझे उस समय सिमरन की कितनी याद आयी होगी? पुष्ट और गुलाबी रंग की मादक जांघें देखकर तो मेरा पप्पू उछलने ही लगा। मैं तो उसे अपलक देखता ही रह गया। मेरे मुंह से ‘वाओ’ निकलते-निकलते बचा।

उसने अपनी 2-3 किताबें और कापियां अपनी छाती से चिपका रखी थी। साली इन किताबों की किस्मत भी कितनी बढ़िया है, गौरी की छाती से चिपकी हुई हैं। गौरी अपनी कॉपी-किताबें टेबल पर रखकर वहीं खड़ी हो गई।

“ब… बैठो गौरी! और अब यह बताओ तुम्हें अंग्रेजी में क्या-क्या आता है?”
“एत मिनट लुतो?” (एक मिनट रुको)

और फिर गौरी झुककर मेरे पैरों को छूने की कोशिश करने लगी। मुझे कुछ समझ नहीं आया कि गौरी ये क्या कर रही है? मैं तो उसके कुंवारे बदन और स्लीवलेस टॉप में उसकी रोम विहीन कांख से आती मदहोश करने वाली खुशबू में ही खोया था। याल्लाह… अगर कांख इतनी कोमल और साफ़ सुथरी है तो आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इसने अपनी बुर (सॉरी… सु-सु) को कितनी चिकनी चमेली बनाया होगा?

मेरा ख्याल है उसने अपनी केशर क्यारी को रेज़र या हेयर रिमूविंग (बालसफा) क्रीम के बजाय वैक्सिंग से साफ़ किया होगा। अब तो उसके पपोटे मोटे-मोटे और गुलाबी नज़र आने लगे होंगे और दोनों पपोटों के बीच की दरार (झिर्री) तो कामरस में भीगी होगी। हे भगवान् उसके पपोटों को अगर थोड़ा सा खोल कर उसकी झिर्री पर जीभ फिराई जाए तो जन्नत यहीं यही उतर आये।

बस इन मुंहासों को ठीक करने वाला मेरा आईडिया उसे जम जाए तो अब मंजिले मक़सूद ज्यादा दूर नहीं रहेगी। हे लिंग देव ! अब इस वीर्य पान वाले सोपान को निर्विघ्न पूरा करवा देना अब अंतिम समय में लौड़े मत लगा देना प्लीज…!!!

“आप मुझे आशिल्वाद दो?”
“ओह… हाँ…” गौरी की आवाज सुनकर मैं अपने ख्यालों से वापस आया।
मैंने कहा- सदा प्रसन्न रहो और तुम्हारे मुंहासे जल्दी ठीक हो जाए।
मुझे लगा गौरी मुंहासे ठीक होने के लिए आशीर्वाद मांग रही है।

“अले… नहीं… अच्छी पढ़ाई ता आशिल्वाद?”
“ओह.. हाँ …” पता नहीं आजकल मेरा तो जैसे दिमाग ही काम नहीं करता मैं तो सुबह से इसके मुंहासों का इलाज करने के बारे में बहुत ही गंभीरता पूर्वक विचार किये जा रहा था।
“खूब पढ़ो। मेरा आशीर्वाद और प्रेम सदा तुम्हारे साथ रहेगा। मैं आज से तुम्हें अपनी प्रिय शिष्या के रूप में स्वीकार करता हूँ। कबूल है, कबूल है, कबूल है।”

अब हम दोनों ही हंसने लगे। गौरी मेरे दोनों पैर छूकर अपना हाथ अपने सिर पर लगाया और सोफे पर बैठ गई।
“गौरी तुमने तो कबूल है बोला ही नहीं?”
“हां… तबूल है.” गौरी ने मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखकर कहा।
“तीन बार बोलो.” मैंने हंसते हुए उसे टोका।
“ऐसा तो शादी में बोला जाता है?” कहते हुए गौरी रहस्यमई ढंग से मुस्कुराई और फिर उसने बड़ी अदा से (सलाम बजाने के अंदाज़ में) तीन बार ‘कबूल है’ कहा।

“देखो तुमने मुझे गुरु स्वीकार किया है अब मेरी हर बात और आज्ञा तुम्हें माननी पड़ेगी और कुछ बताने में शर्म भी छोड़नी पड़ेगी.”
“हओ… ठीत है गुलुजी।” गौरी ने हंसते हुए कहा।
“गौरी एक काम तो आज से करो?”
“त्या?”
“एक तो ‘हओ’ और ‘किच्च’ की जगह अब ‘यस’ और ‘नो’ बोलना शुरू करो। और अंग्रेजी के छोटे-छोटे वाक्य बोलना शुरू करो जैसे थैंक यू, सॉरी, प्लीज, ओके, वेलकम, स्योअर … आदि।”
“हओ… सोल्ली… इ..यस” गौरी के मुंह से फिर हओ निकल गया।
“शुरू-शुरू में थोड़ा गड़बड़ होगा पर धीरे धीरे तुम्हें अंग्रेजी आने लगेगी। अब यस सर बोलो?” मैंने हंसते हुए कहा।
“यस सल” इस बार गौरी ने पूरे विश्वास के साथ बोला।

“अच्छा अब बताओ तुम्हें अंग्रेजी में क्या-क्या आता है?”
“मुझे तल्लस (कलर्स), वेजिटेबल ओल दिनों ते नेम, थ्लस्टी त्रो ती स्टोली, माय फ्लेंड ओल दिवाली का एस्से भी याद है ओल लीव एप्लीतेशन भी आती है।”
“अरे वाह … तुम्हें तो बहुत कुछ आने लगा है।”
“सब दीदी … सोल्ली मैडम ने पढ़ाया है? मुझे बस मीनिंग याद नहीं लहते।”

“गौरी, तुम्हें पार्ट्स ऑफ़ बॉडीज के नाम आते हैं क्या?”
“यस … आपतो सुनाऊं?”
“हाँ… हाँ सुनाओ.”
“नोज, टीथ, हैण्ड, फिन्गल, लिप्स, चिन, हेड, लेग, इअल, आइज, एब्डोमेन साले याद हैं.” गौरी ने अपनी अंगुली इन सभी अंगों पर लगाते हुए बताया।
बाकी सब तो ठीक था पर साली ने चूत, गांड, बोबे और नितम्बों के नाम नहीं बताये।

“वाह… बहुत बढ़िया!”
“अच्छा… घुटनों को क्या कहते हैं?”
“नीज”
“और… जीभ को?”
“टोंग”
“अंगूठे को?”
“हाथ वाले तो थंब ओल पैल वाले तो टो बोलते हैं।”

“वाह … शाबास तुम्हें तो सारे याद हैं. गौरी अगर तुम शरमाओ नहीं तो एक-दो मीनिंग और पूछूं?”
“हम?” उसने मेरी ओर आश्चर्य मिश्रित मुस्कान के साथ देखा।
“वो… दूद्दू को क्या बोलते हैं?”
“मिल्त” (मिल्क)
“अरे उस मिल्क की नहीं मैं तुम्हारे वाले दूद्दू की बात कर रहा हूँ?”
“ओह…” गौरी ने अपने दुद्दुओं को देखते हुए थोड़ा शर्माते हुए जवाब दिया- इनतो ब्लेस्ट बोलते हैं।
“हम्म… और प्राइवेट पार्ट को क्या बोलते हैं?”

गौरी कुछ सोचने लगी थी। मुझे लगा इस बार वह ‘हट’ बोलते हुए जरूर शर्मा जायेगी।
“प्लाइवेट पाल्ट तो प्लाइवेट पाल्ट ही होता है?” उसने बिना झिझके जवाब दिया।
“अरे नहीं … स्त्री के प्राइवेट पार्ट को वजिना और पुरुष के प्राइवेट पार्ट को पेनिस बोलते हैं।”
“पल… मैडम ने यही समझाया था?”
“ओके…”

“तल मैडम ने मुझे 20 मीनिंग याद तरने दिए थे?”
“फिर?”
“मैंने याद तल लिए.”
“अरे वाह… तुम सब काम मन लगाकर करती हो ना इसीलिए जल्दी याद हो जाते हैं।”
गौरी अपनी बड़ाई सुनकर मंद-मंद मुस्कुने लगी थी।
“गौरी मैं आज तुम्हें सेल्फ इंट्रोडक्शन देना सिखाता हूँ?”
“सेल्फ… इंट्लो…” शायद गौरी को समझ नहीं आया था।
“सेल्फ इंट्रोडक्शन माने अपने बारे में किसी को बताना?”
“ओके”

और फिर मैंने उसे अगले आधे घंटे तक सेल्फ इंट्रोडक्शन के बारे में 8-10 वाक्य अंग्रेजी में रटा दिए। गौरी अभी भी आँखें बंद किये मेरे बताये वाक्यों को रट्टा लगा रही थी। मेरी निगाहें बार-बार उसकी जाँघों के संधि स्थल के उभरे हुए भाग चली जा रही थी। एक-दो बार गौरी ने भी इसे नोटिस तो किया पर वह अपनी पढ़ाई में लगी रही।

उसकी जांघें इतनी चिकनी और गोरी थी कि उन पर नीले से रंग की हल्की-हल्की शिरायें सी नज़र आ रही थी। और घुटनों के ऊपर का भाग तो मक्खन जैसा लग रहा था। आज उसने जो फूलों वाली डिजाईन का स्लीवलेस टॉप पहना था वह पीछे से डोरी से बंधा था। उसमें कसे हुए उरोज किसी हठी बच्चे की मानिंद लग रहे थे जैसे जिद कर रहे हों हमें आजाद कर दो। जब वह पढ़ते समय थोड़ा झुकती है तो कई बार उसके नन्हे परिंदे अपनी गर्दन बाहर निकालने की कोशिश में लगे दिखते हैं।

मैंने एक बात नोटिस की है। आजकल गौरी ब्रा और पैंटी नहीं पहनती है। हो सकता है मधुर ने रात में सोते समय ब्रा पैंटी पहनने के लिए मना किया हो पर गौरी तो आजकल दिन में भी इन्हें कहाँ पहनती है। कच्छीनुमा निक्कर में इसके नितम्ब इतने कसे हुए लगते हैं कि किक मारने का मन करने लगता है।

अब तक लगभग 11 बज गए थे। गौरी को भी उबासी (जम्हाई) सी आने लगी थी। अब आज के सबक की एक और आहुति देनी बाकी थी।
“अरे गौरी!”
“यस?”
“एक बात तो बताओ?”
“त्या?”
“वो तुमने अपने मुंहासों का कोई इलाज़ किया या नहीं?”
“किच्च… नहीं” गौरी ने एक बार मेरी ओर देखा फिर अपनी मुंडी झुका ली।

“कोई दिक्कत?”
“मेली तिस्मत ही खलाब है?”
“क्यों? ऐसा क्या हुआ है?”
“वो आपने जो बताया मैं खां से लाऊँ?”
“ओह… गौरी यार अजीब समस्या है?”
गौरी ने प्रश्नवाचक निगाहों से मेरी ओर देखा।

“यार मैं तुम्हारी हेल्प तो कर सकता हूँ… पर…”
“पल… त्या?” गौरी ने मेरी ओर आशा भरी नज़रों से ताका।
“अब पता नहीं तुम मुझे गलत ना समझ लो?” मैंने जानबूझ कर बात अधूरी छोड़ दी।
“नहीं … आप बोलो?”
“गौरी तुम कल बाकी चीजों का इंतजाम कर लेना फिर मैं उस 8वीं चीज के लिए कुछ करता हूँ।”

मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा था। पता नहीं क्यों गौरी से सीधे नज़रें मिलाने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। क्या पता गौरी क्या सोच रही होगी या क्या प्रतिक्रिया करेगी.
“हओ”
“अच्छा गौरी! सवा ग्यारह हो गए हैं अब बाकी कल पढ़ेंगे। आज जो पढ़ाया उसे दिन में अच्छे से याद कर लेना।”
“ओके सल … गुड नाईट.”
“ओके डीअर शुभ रात्रि.”

हे लिंग देव तेरी जय हो। मैं तो इस सावन में सोमवार के बाकी बचे सभी व्रत बड़ी ही श्रद्धापूर्वक करूंगा और तुम कहोगे तो भादों महीने में भी व्रत रख लूंगा बस… तुम अपनी कृपा दृष्टि मेरे और इस तोतापरी के ऊपर इसी प्रकार बनाए रखना।

कहानी जारी रहेगी.
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