यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
दोस्तो! मुझे लगता है मैं कोई पिछले जन्म की अभिशप्त आत्मा हूँ। पता नहीं मैं अभी तक अपनी सिमरन को क्यों नहीं भूल पा रहा हूँ? सच कहूं तो मिक्की, पलक, अंगूर, निशा, सलोनी और अब गौरी, मीठी या सुहाना में कहीं ना कहीं मुझे सिमरन का ही अक्स (छवि) नज़र आता है। जब भी मैं सुतवां जाँघों के ऊपर कसे हुए नितम्ब देखता हूँ मुझे बरबस वह सिमरन की याद दिला देती है।
मुझे लगता है मैं किसी भूल भुलैया में भटक रहा हूँ और इस मृगतृष्णा में कहीं ना कहीं अपनी सिमरन को ही खोज रहा हूँ पता नहीं यह तलाश कब ख़त्म होगी?मैं अभी इन विचारों में खोया हुआ था कि बैडरूम का दरवाज़ा खुला और …
मधुर और गौरी ने हँसते हुए नितम्बों को ख़ास अंदाज़ में मटकाते हुए हॉल में प्रवेश किया। दोनों ने एक जैसे कपड़े और मेकअप कर रखा था।
सच कहता हूँ दोनों ऐसी लग रही थी जैसे अचानक किसी विवाह के मंडप से उठकर आई हों।
दोनों ने एक जैसा गहरे सुनहरे रंग का वैसा ही लाचा पहना था जैसा सानिया ने पहन रखा था। पैरों में जोधपुरी कामदार जूतियाँ। दोनों किसी दुल्हन की तरह सजी हुई थी।
इन कपड़ों में दोनों एक जैसी लग रही थी जैसे जुड़वां बहनें हों।
मधुर की कमर 2-4 इंच ज्यादा रही होगी बाकी नितम्ब तो दोनों के एक जैसे गोल मटोल ही लग रहे थे।
सिर के बालों का जूड़ा बना रखा था और उस पर भी एक गज़रा पहना हुआ था। कानों में वही जानलेवा सोने की पतली-पतली बालियाँ। दोनों हाथों की कलाइयों में लाल और हरे रंग की चूड़ियाँ और दोनों बाजुओं पर बाजूबंद की तरह गज़रे बांधे हुए थे।
आँखों के मेकअप से तो यही लगता है आज दोनों ने ब्यूटी पार्लर में जाकर रूप सज्जा करवाई होगी। जिस प्रकार उन दोनों ने तीखे आई ब्रो बनवाये थे मुझे लगता है नीचे की केशर क्यारी भी आज जरुर वैक्सिंग से हटाई होगी।
आइलाआआ … अपनी मुनिया को उन दोनों ने कितनी चिकनी बनाया होगा आप अंदाज़ा लगा सकते हैं। ऐसा मेकअप तो मधुर ने हमारी सुहागरात (सॉरी … मधुर प्रेम मिलन) को किया था। मेरा लंड तो उछालने ही लगा था।
बालों की एक आवारा लट जानबूझ कर माथे के बाईं तरफ छोड़ी हुई थी। आँखों में काजल, माथे पर बिंदी की जगह गोल रखड़ी (विवाहित महिलाओं के माथे पर पहनने का एक गहना) पहनी थी। आँखें तो आज कटार की तरह लग रही थी।
पतली कमर में बंधा नाभि दर्शाना घाघरा और ऊपर तंग कुर्ती जो बस उनके उरोजों को ही ढक रही थी। मेरी आँखें तो जैसे फटी की फटी ही रह गई। मैं तो मुंह बाए उन दोनों को देखता ही रह गया। आज तो मेरे क़त्ल करने का पूरा इंतजाम किया था उन दोनों नहीं बल्कि तीनों ने।
“अरे आप कब आये?” मधुर ने मेरी ओर देखते हुए पूछा।
“हुजूर हम तो कब से महारानी मधुर और गौरी का इंतज़ार फरमा रहे हैं.” मैंने सिर झुकाकर कोर्निश के अन्दाज़ में सलाम बजाया तो दोनों हंस पड़ी।
“आप भी तैयार हो जाओ फिर सेलिब्रेट करते हैं.” कहकर मधुर डाईनिंग टेबल की ओर जाने लगी तो मैंने पहले तो हाथों से गौरी की ओर खूबसूरत लगने का इशारा किया और फिर उसकी तरफ आँख मार दी।
गौरी तो बेचारी शर्माकर मधुर के पीछे लपकी।
फिर मधुर ने सानिया को आवाज लगाई और फिर उन दोनों को कुछ समझाने लगी।
मैं बाथरूम में घुस गया।
मैंने नहाकर बढ़िया खुशबूदार बॉडी स्प्रे किया था और सुनहरी रंग का कामदार कुर्ता और पतला चूड़ीदार पजामा और पैरों में जोधपुरी कामदार जूतियाँ पहन ली थी।
मैंने असली गुलाब का इत्र लगाया भी लगाया था। यह इत्र मुझे मधुर ने मेरे किसी जन्मदिन पर गिफ्ट किया था और बहुत ही ख़ास मौकों पर मैं इसे लगाता हूँ। और आज तो मौक़ा ख़ास ही नहीं ख़ासमखास था।
आपको शायद अटपटा लगे … मैंने अपने होंठों पर हलकी सी गुलाबी रंग की लिपस्टिक भी लगा ली थी। अब तो मेरे होंठ थोड़े गुलाबी से नज़र आने लगे थे।
फिर मैंने शीशे में अपने आप को देखा। मैंने शीशे में अपने अक्श को आँख मारते हुए कहा- क्या जंच रहे हो गुरु!
जब तक मैं तैयार होकर हॉल में आया, मधुर और गौरी ने सारा सामान डाईनिंग पर सजा दिया था। हॉल के एक कोने में दो छोटे स्पीकर लगाए हुए थे। दीवार पर दिल के आकार के थर्मोकोल शीट पर बीच में हैप्पी बर्थडे मधुर लिखा हुआ था जिसके चारों ओर रंगीन लाइटें जगमगा रही थी।
डाईनिंग टेबल पर दिल की आकर का मेगा साइज़ केक रखा था जिसपर अंग्रेजी में ‘हैप्पी बर्थ डे मधुर’ लिखा था और नीचे PG लिखा हुआ था।
अब यह तो मधुर ही बता सकती है यह प्रेमगुरु वाला PG था या प्रेम गौरी वाला?
मुझे बाहर आया देखकर मधुर मेरी ओर आई बोली- आओ, सभी पहले भगवान का आशीर्वाद ले लेते हैं।
और फिर हम सभी हॉल के कोने में बने में बने भगवान के मंदिर के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए। मधुर ने दीपक जलाया और अपना सिर झुकाकर मन्नत सी मांगी।
हम तीनों ने भी भगवान के सामने हाथ जोड़कर सिर झुकाकर आशीर्वाद लिया। और फिर हम वापस डाइनिंग टेबल के पास आ गए।
मधुर ने केक के पास रही मोमबत्तियां जला दी। मुझे हैरानी हो रही थी मधुर पहले तो केवल दो मोमबत्तियां ही जलाया करती थी आज पता नहीं 3 क्यों जलाई हैं?
और अब केक काटने की बारी थी।
“प्रेम आओ केक काटते हैं.” मधुर ने मेरी ओर देखते हुए कहा।
“भई इतने सुन्दर दिल के आकार के केक पर छुरी चलाने का काम तो बस आप जैसी हसीनाएं ही कर सकती हैं.” मेरी इस बात कर सभी हंसने लगे।
“आओ ना … प्लीज …” मधुर ने मुस्कुराते हुए कहा।
अब मैंने भी मधुर के हाथ में पकड़ा चाक़ू पकड़ लिया। फिर मधुर ने गौरी की ओर इशारा किया। गौरी बेचारी शर्माती हुई पास आ गई और उसने भी मेरे हाथ के पास से चाकू को पकड़ लिया। सानिया यह सब देख रही थी।
मैंने उसकी ओर देखा तो मधुर ने उसे भी पास बुला लिया। सानिया ने पास आकर आकर चाकू को थोड़ा सा पकड़ लिया। उसके कमसिन बदन की खुशबू मेरे नथुनों में एक बार फिर से समा गई। फिर हम सब ने मिलकर उस केक के सीने पर चाक़ू चला दिया।
सबसे पहले मैंने मधुर को हैप्पी बर्थ डे बोलते हुए उसे जन्मदिन बधाई दी और केक का छोटा सा टुकड़ा लेकर खिलाया। अब मधुर ने भी केक का एक बड़ा सा टुकड़ा लिया और आधा मेरे मुंह में डाल दिया और बाकी का हंसते हुए मेरे गालों पर लगा दिया।
मैंने उसे गले से लगाते हुए एकबार फिर से विश किया और अपने गालों को उसके गालों से रगड़ दिया। ऐसा करने से मेरे गालों पर लगा केक उसके गालों पर भी लग गया।
“ओह … क्या करते हो.”
“जैसे को तैसा.” कहकर मैं हंसने लगा।
अब गौरी की बारी थी उसने भी एक चम्मच में थोड़ा सा केक लिया और मधुर को खिलाते हुए उसे हैप्पी बर्थ डे विश किया। मधुर ने गौरी को अपने गले लगाकर चूम लिया।
मधुर जब गौरी को चूम रही थी तो मैंने उसे अपने गले लगने का इशारा करते हुए उसकी ओर आँख मार दी।
गौरी शरमाकर दूसरी ओर देखने लगी।
फिर सानिया ने भी मधुर को थोड़ा केक खिलाया और विश किया। मधुर ने उसे भी गले लगाकर किस किया। मैंने गौर किया गौरी के चहरे पर अब मुस्कान की जगह थोड़े तनाव के से भाव थे, लगता है उसे सानिया का पास आना उसे शायद अच्छा नहीं लगा है।
नारी सुलभ ईर्ष्या तो हर स्त्री में होती ही है अब बेचारी गौरी का इसमें क्या दोष है।
और फिर मधुर ने सबके साथ सेल्फी ली। एक सेल्फी तो अपने होंठों को मेरे गालों पर चूमते हुए ली। पता नहीं कभी-कभी मधुर इतनी चुलबुली और रोमांटिक कैसे हो जाती है? और फिर गौरी और सानिया को मेरे दोनों तरफ खड़ा करके भी मोबाइल से 2-3 फोटो लिए।
मैं मधुर के लिए डाईमण्ड का एक सेट लेकर आया था। इसमें गले का एक हार और उससे मिलते जुलते कानों के बूँदे और एक अंगूठी थी।
एकबार मधुर ने यह सेट किसी ज्वेलरी की दुकान पर देखा था। उसे पसंद तो बहुत था पर बजट के कारण उस दिन हम ले नहीं पाए थे।
जब मधुर ने इसे देखा तो उसकी ख़ुशी देखने लायक थी, उसने एक बार फिर मेरे गले से लगकर थैंक यू कहा।
अब उसने टेबल पर रखे 2 पैकेट उठाये और सानिया को पकड़ाते हुए कहा- इसमें तुम्हारे लिए एक पैकेट में विडियो गेम है और दूसरे में तुम्हारे लिए एक बढ़िया लेडीज रिस्ट वाच है। एक और गिफ्ट है इसमें तुम्हारे लिए एक टीशर्ट और जीन पैंट है इनमें तुम बहुत खूबसूरत लगोगी।
कहकर मधुर ने उसके उसके गालों को प्यार से थपका दिया।
सानिया तो ख़ुशी के मारे झूम ही उठी। उसने उन पैकेट्स को इस प्रकार अपनी छाती से लगा लिया जैसे थोड़ा सा ढीला छोड़ते ही कोई इसे छीन लेगा।
“थैंक यू दीदी.” सानिया ने मासूमियत के साथ कहा।
अब मधुर ने एक छोटा सा पैकेट और उठाया और गौरी को पकड़ा दिया। इसमें डाईमंड की एक अंगूठी और कानों के बुँदे थे। गौरी ने झट से उस गिफ्ट के पैकेट को पकड़ लिया और बहुत देर तक उस पर हाथ फिराती रही।
लगता है मधुर ने तो आज गौरी और सानिया के लिए जैसे खजाना ही खोल दिया है। गौरी को कानों की बालियाँ, पायल और कपड़े (लाचा) आदि तो पहले ही मधुर ने दे दी थी और अब सब गिफ्ट पाकर तो दोनों की ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था।
मैं सोच रहा था मधुर आजकल इतनी उदार हृदय कैसे हो चली है.
“देखो यह तो बिलकुल ही नाइंसाफी है?” अचानक मैंने कहा तो सबने हैरानी से मेरी ओर देखा।
“क्या मतलब?” मधुर ने पूछा।
“मुझे तो किसी ने कोई गिफ्ट दिया ही नहीं? ना मधुर ने ना ही गौरी ने?” मैंने किसी छोटे बच्चे की तरह ठुमकते हुए कहा।
“हा … हा … हा …” सभी जोर जोर से हंसने लगे।
माहौल खुशनुमा हो गया था। गौरी ने कनखियों से मेरी ओर देखा शायद उसकी आँखें कह रही थी ‘मैंने जो गिफ्ट दिया है उसके आगे सारे गिफ्ट तो फीके हैं।’
अब गौरी और सानिया ने सब के लिए प्लेट्स में केक और मिठाइयां आदि डाल दी। भरपूर नाश्ता करने के बाद डांस का प्रोग्राम चला। गौरी ने अपना मोबाइल स्पीकर्स के साथ जोड़ कर गाना लगा दिया था।
पहले गौरी ने घूमर डांस किया और जबरदस्त ठुमके लगाए और उसके बाद सानिया ने भी कबीर सिंह फिल्म के गाने ‘तुम्हें कितना चाहने लगे’ पर डांस किया। उसका डांस देखकर तो ऐसा लग रहा था जैसे यह कोई प्रोफेशनल डांसर है।
और उसके बाद ‘ओ साकी-साकी’ गाने पर मधुर ने जो बेली डांस किया मैं तो उसकी कमर और बेली (पेट और कमर को घुमाते हुए) डांस देखते ही रह गया। ऐसे में उसके नितम्ब कितने खूबसूरत लगते हैं। काश आज की रात वह महारानी (गांड) की सेवा करने का मौक़ा दे दे तो पिछले एक महीने का सूखा एक ही रात में ख़त्म हो जाए।
कमाल का डांस करती है मधुर भी। उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे भी डांस में शामिल कर लिया और दिलबर दिलबर गाने पर मैंने भी अपने हाथ पैरों को हिला लिया।
आप तो जानते ही हैं मुझे ज्यादा डांस नहीं आता बस थोड़ा बहुत हाथ पैर चला लेता हूँ।
इस गाने में डांस के दौरान गौरी औरे सानिया भी शामिल हो गई। फिर हम चारों ने एक साथ डांस किया। मधुर और गौरी ने मिलकर डांस किया और मैंने सानिया के साथ मिलकर खूब ठुमके लगाए।
उसकी पीठ और कमर पर हाथ फिराने से मैं अपने आप को नहीं रोक पाया। एक दो बार तो सानिया के नितम्बों पर भी हाथ फिराया।
हे भगवान, इतने कसे हुए गोल नितम्ब … उफ़ … मेरा लंड तो हिनहिनाने ही लगा था। मेरा मन तो उसे बांहों में भर कर चूम लेने को करने लगा था पर इस समय वो सब कहाँ संभव था।
और उसके बाद गौरी ने और मधुर ने एक मारवाड़ी गाने ‘म्हारी हथेल्यां रै बीच छाला पड़ग्या म्हारा मारुजी म्हे पालो कैयां काटां जी’ पर डांस किया।
जिस प्रकार गौरी रहस्यमई ढंग से मुस्कुराते हुए अपने हाथों और आँखों का एक्शन कर रही थी मुझे लग रहा था जैसे वह मुझे उलाहना दे रही हो कि आपने मेरी चूत रानी को बजा-बजा के इतना सुजा दिया कि अब और चुदाई नहीं हो सकती.
और अंत में तो सानिया ने कमाल ही कर दिया था। उसने एक पुरानी फिल्म गाइड के एक क्लासिकल गाने पर डांस किया जिसके बोल थे ‘मोसेSS … छल किये जा … सैंया बे-ईमान’
मेरी तो जैसे सिट्टी-पिट्टी ही गुम हो गई। अब पता नहीं इस गाने का चुनाव मधुर के कहने पर किया था या मात्र एक संयोग था।
और फिर यह पार्टी और डांस प्रोग्राम रात के बारह-साढ़े बारह एक बजे तक चला।
गौरी और सानिया स्टडी रूम में सोने चली गई और मैं और मधुर बैडरूम में आ गए।
बैडरूम में आते ही मैंने मधुर को अपनी बाहों में भर लिया।
“ओहो … क्या कर रहे हो?”
“मेरी जान अब मैं तुम्हारी एक भी नहीं सुनूँगा। आज पूरा एक महीना हो गया है तुम्हें क्या पता यह सूखा मैंने कैसे काटा है.”
“नहीं आज नहीं … मैं बहुत थक गई हूँ.” मधुर ने अपने उसकी पुराने चिर परिचित अंदाज़ बहना बनाया।
पर मैं आज कहाँ मानने वाला था। मैंने उसे बाहों में दबोच लिया और पलंग पर पटक कर उसके ऊपर आ गया। मैंने तड़ा-तड़ कई चुम्बन उसके गालों पर ले लिए और उसकी मुनिया को घाघरे के ऊपर से ही जोर से अपने हाथों में भींच लिया।
“उईईईईईइ … ओहो … रुको तो सही!” मधुर ने कसमसाते हुए कहा- ओहो मुझे कपड़े तो बदल लेने दो प्लीज!
और फिर मधुर ने बाथरूम में जाकर अपने कपड़े बदल लिए। आज उसने वही लाल रंग वाली नाइटी पहनी थी जो उसने सुहागरात में पहनी थी। साली यह मधुर भी चीजों को किसी ख़ास मौकों के लिए कितना संभाल कर रखती है कमाल है।
मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और फिर हमारा यह प्रेम-युद्ध अगले आधे पौन घंटे तक निर्विघ्न चला था। अब आप जैसे प्रबुद्ध पाठकों और पाठिकाओं को यह सब विस्तार से बताना कहाँ जरूरी है।
मैं मधुर के गालों को चूमते हुए और उसके नितम्बों पर हाथ फिराते हुए यही सोच रहा था पता नहीं गौरी के नितम्बों को चूमने और मसलने का मौक़ा कब मिलेगा।
एक बात मैं आपसे जरूर सांझा करूंगा कि मुझे पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा था मधुर आज प्रेम के इन लम्हों में भी ज्यादा रूचि नहीं दिखा रही थी।
पता नहीं क्या बात थी?
यही सोचते हुए एक दूसरे की बाहों में लिपटे हुए पता नहीं कब हमारी आँख लग गई।
कथानक के अगले भाग में हम नया सोपान “ये गांड मुझे दे दे गौरी!” बस थोड़ा सा इंतज़ार …
कहानी जारी रहेगी.
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