नमस्कार दोस्तों. सबसे पहले आपको अपना परिचय दे दूँ. मैं गौरव हूँ आउटर दिल्ली में रहता हूँ. अभी मेरी उम्र 27 साल की है, जोकि लगती नहीं है. मैं शरीर से सामान्य जैसा हूँ, ना दुबला, ना ही मोटा.
मेरी लम्बाई 5 फुट 10 इंच है, वजन 86 किलो है. मैं दिखने में हैंडसम हूँ. मेरी खेलों में काफी रुचि है और सेक्स में मैं एक तरह से कामातुर घोड़ा जैसा हूँ.
यह मेरी पहली कहानी है. ये बात करीब 8-9 साल पहले की है. मेरी एक लड़की के साथ बातचीत शुरू हुई. लड़की ने खुद से मुझ पर ऑफर मारा था. लड़की मस्त लगी, तो मैंने उसका ऑफर स्वीकार कर लिया. उसका फिगर 32-28-32 का रहा होगा. उसकी लम्बाई साढ़े पांच फुट की थी, जो कि उसको काफी सेक्सी बना रही थी.
हम दोनों में फोन नंबर का आदान प्रदान हुआ. हमारी बातचीत धीरे धीरे बढ़ती गई. उससे कभी कभार मिलना भी हो जाने लगा था. हम दोनों थोड़ा अच्छा समय साथ में बिताने लगे थे.
जैसे जैसे हमारी बातें आगे बढ़ीं, बातें और भी मजेदार होने लगीं.
उस समय स्मार्टफोन तो होता नहीं था, मेरे पास में सिंपल की-पैड वाला फ़ोन था. फिर धीरे धीरे बातें फोन पर पप्पी सप्पी की होने लगी और बातों का सिलसिला बढ़ता गया.
हम दोनों में सेक्स की बातें शुरू हो गईं. एक बार सेक्स की बात शुरू हुई, फिर तो ज्यादातर हमारा फ़ोन सेक्स होना शुरू हो गया.
फिर एक दिन उसे कहीं जाना था, उसने मुझे बताया.
मैंने बोला- मैं तुम्हें वहां पर छोड़ आ जाऊंगा.
उसने हंस कर हामी भर दी.
उसके साथ जाने वाला दिन आ गया. मैं समय से बाइक लेकर पहुंच गया. वो मेरे पीछे चिपक कर बैठ गयी और मैं चल दिया. गड्डों और स्पीड ब्रेकर्स के मजे लेते हुए हम दोनों अपने शरीर रगड़ने लगे.
फिर मैं सुनसान रास्ते की तरफ लेकर चल दिया. मैंने बाइक चलाते चलाते ही उसकी किस लेना चालू कर दिया. साथ ही उसकी चूचियों को दबा दबा कर मैंने फुला दिया, जिससे कि उसकी सीत्कार भी निकलने लगी. वो ‘आह. … आह.. … अम्म दबाते रहो..’ कहने लगी.
जब भी कोई सामने से आता, तो हम सामान्य हो जाते. फिर मौका मिलते ही शुरू हो जाते. धीरे धीरे उसका हाथ मेरी पैंट पर आ गया और वो मेरे लंड को दबाने लगी.
तभी मैंने सोचा कि इसको अपने शैतान (लंड) का दर्शन करा ही दिया जाए. मैंने जगह देख कर पेशाब करने के बहाने से बाइक को रोका और उसी समय उसको शैतान के दर्शन करा दिए.
लंड के दर्शन करते ही उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं. फिर जैसे कि ज्यादातर हर लड़कियों वाला सवाल ‘ये बहुत बड़ा है, अन्दर नहीं जा पाएगा. मैं मर जाऊँगी, मैं नहीं ले पाऊँगी..’ आने लगा.
मैंने उसे समझाया कि चुत एक अंधा कुआं जैसी होती है, जो सब कुछ अपने अन्दर समा सकती है. लंड खाना तो छोड़ो, ये पूरी औलाद को बाहर निकाल देती है.
उसकी समझ में आ गया कि लंड कोई ख़ास चीज नहीं होती … और मेरा मतलब हल हो गया. लेकिन अब भी वो डर रही थी, जो कि लंड घुसने के बाद ही खत्म हो सकता था.
मेरी उससे फिर से छेड़छाड़ चालू हो गयी. कुछ देर बाद उसकी मंजिल आ गयी. मैंने उसको उतार दिया. वो मुझसे 2-4 मीठी मीठी बातें बोल कर चली गयी.
मुझे उसको छोड़ कर ही वापस आना था … उसको वहां कुछ दिन रुकना था.
वापस आने के बाद भी मेरा उसके साथ फोन पर बातों का सिलसिला जारी रहा. साथ में मेरे लंड का डर भी उसके जहन में कायम था. कुछ दिन बाद वो अपने किसी रिश्तेदार के साथ वापस आ गयी.
हम ज्यादातर फ़ोन पर ही लगे रहते थे औऱ सेक्स की बातें करते रहते थे. मैं उसको इतना गर्म कर देता था कि उसको बस अपने चुदने का इंतज़ार हो गया था. वो अपनी चुत में उंगली करने लगती और उंगली से ही रस निकाल कर शांत हो जाती.
एक दिन मैंने उसको मिलने के लिए मना लिया. चुदाई के लिए जगह भी हो गयी, बाकी सारे इंतज़ाम भी हो गए. अब बस इंतज़ार था, तो उस दिन का, जब उसकी जमकर चुदाई होनी थी.
आखिर वो दिन आ ही गया, जिसका हमें बहुत इंतज़ार था. उस दिन वो खूब तैयार होकर आई. मस्त फिटिंग का काला सूट, लंबी चोटी, आंखों में काजल, पैरों में जूती … एकदम मस्त कांटा बन कर आई थी … बिल्कुल हूर की परी लग रही थी.
उसको देखते ही मुझे अक्षय कुमार का वो गाना याद आ गया
एक उच्चा लम्बा कद
दूजी सोनी तू हद
रूप तेरा चम चम करदा नी.
मेरे मन में सिर्फ यही बात थी कि आज तो इसकी खूब अच्छे से लेनी है. उसने आते ही मुझे किस किया और हम दोस्त के घर के लिए निकल लिए, जहां पर हमें चुदाई का नेक काम करना था.
थोड़ी ही देर में हम दोनों पहुंच गए. वहां पहुंच कर मुझे ऐसा लगा, जैसे कि सदियों का इंतज़ार खत्म हो गया.
अन्दर पहुंचते ही हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे, हमारे होंठों से होंठ मिल गए, हमारी जीभ एक दूसरे की जीभ के साथ लड़ने लगीं और फिर हम फेविकोल के जोड़ की तरह चिपक गए.
मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया और उसे जोर से जकड़ लिया. फिर धीरे धीरे उसकी कमर पर हाथ चलाने लगा, जिसमें वो भी मेरा साथ देने लगी. वो मुझे इतने जोर से जकड़ने लगी, जैसे कि मुझे अपने समा लेगी.
मैं धीरे से उसकी चूचियों को दबाने लगा, जिसके उसके मुँह से सिसकारियां निकलनी चालू हो गईं. फिर मैं उसकी गांड दबाने लगा, चुत सहलाने लगा. धीरे धीरे छेद में उंगली करने लगा और वो मस्त होने लगी.
‘आहहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… और जोर से दबाओ … निचोड़ दो इन्हें चूस लो इन्हें … खा जाओ. … अब चोद दो मुझे … सहन नहीं होता.’
वो मेरे लंड को दबाने लगी. मैंने हल्का सा इशारा किया, तो उसने नीचे आकर पैंट की चैन खोल दी. अपने हाथ से लंड बाहर निकाल कर चूसने लगी.
उसके लंड चूसने से मुझे ऐसा मजा आने लगा, जैसे पता नहीं मैं कहां आ गया होऊं. फिर मैं भी जोर जोर से उसके मुँह को चोदने लगा. वो पूरे लंड को कभी गपागप मुँह में अन्दर तक लेती, तो कभी सुपारे तक लंड निकाल कर सुपारा चाटने लगती.
फिर उसने मुझे बेड पर बैठा दिया औऱ मेरे कपड़े उतारने लगी. मैं भी उसके कपड़े उतारने लगा. नंगी होकर वो मेरी गोद में बैठ गयी. मैं फिर से उसकी चूची चूसने लगा. उसके चूचों के निप्पलों को छेड़ने लगा.
फिर मैं उसको उल्टा लेटा कर उसकी कमर पर किस करने लगा … जिससे उसकी चुदास से भरी सिसकारियां निकलने लगीं. वो तड़पने लगी- आह अब तो चोद दो … आज मेरी फाड़ दो … आह मेरी चिकनी गुलाबी चुत को ठंडी कर दो … आह आज से ये तुम्हारी है.
मैंने कहा- डार्लिंग अभी तो शुरुवात है … अभी तो और तड़पाना है.
मैंने नीचे की तरफ आकर उसकी चिकनी चुत का दीदार किया. चिकनी चूत को देख मेरी आंखों में चमक आ गई. सच में एकदम तर गुलाबी चुत थी. बहुत कम देखने मिलती है, ब्लू फिल्म में भी ऐसी चिकनी गुलाबी चुत नहीं दिखती है. आज ऐसी चुत मेरे नसीब में होना, किसी चमत्कार से कम नहीं था.
ताजमहल की तरह बेदाग़ चुत थी उसकी … जिसको मैंने उंगलियों से खोलने की कोशिश की. जो थोड़ी देर बाद खुली.
उसके बाद मैंने उसकी चुत पर अपनी जीभ लगाई और चूत चाटने लगा. उसकी चूत पहले से थोड़ी गीली हो रखी थी. उसकी चुत का स्वाद बड़ा ही अद्भुत आया. मैं उसकी चुत चाटता रहा और उसकी चुचियों को दबाने लगा. मैं कभी उसके मुँह में उंगली करने लगता. मैं उसकी चुत के अन्दर बाहर अपनी जीभ करता रहा.
इतना सुखद एहसास मुझे पहले कभी नहीं हुआ था.
फिर हम दोनों 69 की पोजिशन में आ गए. वो मेरे लंड को गप से मुँह में लेकर चुसकने लगी और मैं उसकी चुत को चाटने लगा. उसकी चुत में से भी रह रह कर हल्का नमकीन स्वाद वाला पानी बहने लगा … जिसे मैं चाटता रहा.
थोड़ी देर चूत चटवाने के बाद वो अकड़ने लगी और निढाल हो गई. फिर मैंने वक़्त न गंवाते हुए उसको सीधा लेटा कर उसकी टांगें खोल दीं. उसकी चुत एकदम गीली थी. मैं उसके ऊपर आ गया और अपना लंड उसकी चुत पर रगड़ने लगा. उसकी चुत किसी आग की भठ्ठी की तरह गर्म हो रही थी. ये सब उसके सहन से बाहर हो रहा था.
उसने खुद से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चुत के छेद पर लगा दिया और बोली कि अब इसे तुम मेरी चूत के अन्दर डाल दो. अगर मैं बाहर निकालने की भी बोलूं, तो बाहर मत निकालना. तुम बस जम कर चुदाई करते रहना.
मैंने अपना एक हाथ उसके कंधों पर रख लिया और दूसरे से लंड पकड़ कर अन्दर घुसाने लगा. जैसे ही थोड़ा सा जोर लगाया. हल्का सा ही लंड उसकी चुत में घुसा था कि उसकी चीख निकल गयी, आंखें फट गईं.
वो दर्द से कराहते हुए बोली कि बाहर निकाल लो इसे … ये नहीं जा पाएगा. बहुत बड़ा है … मैंने आज पेशाब करने के अलावा अपनी गुलाबो के साथ कुछ नहीं किया है.
मैंने बोला- जानेमन बिल्कुल आराम से डालूंगा … परेशान मत हो, अगर तुम्हें दर्द हो रहा है, तो मैं आगे नहीं डालूंगा.
मैं ऐसे ही उसे बहलाता हुआ उसकी चुचियां दबाने लगा. कभी किस करने लगा.
धीरे धीरे जब वो शांत हुई, तो मैंने हल्का सा दबाव और लगा दिया. मेरा तकरीबन आधा लंड अन्दर चला गया औऱ उसी वक्त मैंने किस करके उसका मुँह बंद कर दिया. वो छटपटाई मगर मैं लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
थोड़ी देर मैं सब सामान्य होने लगा और उसे भी मजा भी आने लगा. मैंने भी रेल की स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से धक्के मारने लगा. हर धक्के पर वो मेरा साथ देने लगी और वो सिसकारियां निकालने लगी.
वो बड़बड़ाने लगी- आह इस राजधानी एक्सप्रेस रेल को बुलेट ट्रेन बना लो, चोद दो मुझे … बिल्कुल भी रहम मत करो मेरी इस गुलाबो पर … इसको गुलाबो से लाली बना दो.
मैं लंड को पूरी तरह अन्दर बाहर करने लगा, जिसमें हमें और ज्यादा मजा आने लगा. फिर दोबारा से अकड़ कर वो झड़ गयी.
थोड़ी देर बाद में मेरा भी झड़ने का समय हो गया. मैंने उससे पूछा- कहां निकालूं?
तो उसने बोला- मैं इसे महसूस करना चाहती हूँ.
फिर मैंने उसके अन्दर ही अपना वीर्य निकाल दिया. जैसे ही मैंने लंड बाहर निकाला, तो देखा कि वो खून में लाल हुआ पड़ा था. उसकी चुत में से भी खून टपक रहा था. बेडशीट भी खून में हो गयी थी.
ये सब देख कर थोड़ी सी घबराई, पर समझाने पर समझ गई.
मेरे पूछने पर बोली- बहुत अच्छी फीलिंग आई … जब ये अमृत मेरे अन्दर गया, ये बहुत गर्म था तुम्हारी तरह.
दूसरे राउंड की बेला आई, तो उसे काफी देर एक पोजीशन में चोदने से बेहतर मैंने बदलना बेहतर समझा. मैंने उसे घोड़ी बनने के लिए बोला. वो घोड़ी बनने के लिए तैयार हो गयी. मैंने उसे घोड़ी बना दिया और उसके हाथ में अपना लंड दे दिया.
मैंने कहा- लगा दे रानी इसको अपनी गुलाबो के निशाने पर.
उसने देरी न करते हुए उसने हल्का गीला करके लंड को चुत पर रख दिया और अपनी गांड पीछे करकर पूरा लंड धीरे धीरे चुत में ले गयी.
सच कहूँ तो घोड़ी बना कर चोदने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था. ये सही है कि घोड़ी बनाए बिना सेक्स करना अधूरा सेक्स है. घोड़ी बना कर चोदने में उसकी चुत और भी ज्यादा टाइट लग रही थी. हम दोनों को एक अलग ही मजा आ रहा था.
मेरा मन कर रहा था कि इसे ऐसे ही चोदता रहूं. धक्कों के साथ साथ उनकी चूतड़ों पर चाटें लगाने लगा … जिससे उसकी गांड लाल हो गयी. फिर मैंने उसके लंबे बालों को पकड़ लिया और बिल्कुल घोड़ी की लगाम की तरह उसकी चोटी पकड़ कर घपाघप धक्के मारने लगा. पहली बार घुड़सवारी कर रहा था, जिससे कि बहुत मजा आ रहा था.
काफी देर तक घुड़सवारी करने के बाद हम दोनों फिर से डिस्चार्ज होने के करीब आ गए. थोड़ी देर में उसने अकड़ना शुरू कर दिया और बेजान सी होने लगी.
तब मैंने बोला- साली अपना तो निकाल लिया, मेरा भी निकलने वाला है. रुक जा … थोड़ी देर और घोड़ी बनी रह.
वो बोली- मेरे से अब नहीं हो पा रहा है. मैं मुँह में लेकर तुम्हारा निकाल दूंगी.
मैंने भी मौसम बिगड़ने से पहले जल्दी से उसके मुँह में लंड दे दिया. जिसमें बड़ा मजा आ रहा था. जब मेरा वीर्य निकलने को हुआ, तो मैंने उसको बताया.
वो बोली- मैं इसका स्वाद चखना चाहती हूँ.
और लंड चूसने लगी.
थोड़ी देर में मेरे शैतान ने जहर उगलना चालू कर दिया और वो बड़े मजे से सारा जहर पी गयी. उसने चाट चाट कर मेरा लंड भी साफ कर दिया. फिर हम दोनों फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चले गए. कुछ देर में हम दोनों नहा कर बाहर आ गए. हल्की चुम्मा चाटी करने के बाद हम दोनों ने साथ में लाया हुआ खाना खाया.
फिर उसके घर जाने का समय हो गया. घर से निकलने से पहले एक जोर की हग और पप्पी दी.
उसने बोला- आज का दिन मैं ज़िन्दगी भर याद रखूंगी. आज से पहले कभी इतना सुखद अनुभव कभी नहीं हुआ, इतना मजा कभी भी नहीं आया.
मैं उसे उसके घर के पास छोड़ आया. उसने जल्द मिलने का वादा किया. उसके जाते समय देखा कि उसकी चाल थोड़ी बदल गयी थी, जिसे वो छिपाने की कोशिश कर रही थी.
आज जो भी हुआ था, मजा बहुत आया. ज़िन्दगी का एक यादगार लम्हा था. मेरी भगवान से यही दुआ है कि ऐसा दिन रोजाना आए.
आगे की बातें आपसे फिर कभी बताऊंगा. तब तक अपने लंड और चुत को थाम कर बैठिए.
मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी, जरूर बताइएगा.
आपका अपना गौरव
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