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मेरा नाम विकी है. मेरी उम्र 23 साल की है. मैं एक जिम में जॉब करता हूँ. मैं देखने में सांवला हूँ पर हट्टा-कट्टा लड़का हूँ और एकदम फिट हूँ.
ये सेक्स कहानी मेरी और एक शादीशुदा औरत शाजिया की है, जो मुझसे उम्र में 3 साल बड़ी है. शाजिया जिम के ठीक सामने ही अपने घर में रहती थी.
एक बार मैंने उसको बुर्के में देखा था. उसकी आंखें देखकर ही मैं उस पर फिदा हो गया था. पर कुछ करने की मेरी हिम्मत नहीं होती थी … क्योंकि वो अलग समुदाय से थी.
फिर मेरा एक दोस्त है शरद. मैंने उसे शाजिया के बारे में बताया.
तो उसने भी साजिया के मदमस्त यौवन को बुर्के के ऊपर से ही निहारा और मुझसे कहा- हां यार, माल तो कंटाप है. हम इसे पटाने की कोशिश कर सकते है. अगर पट गई तभी इसके साथ मजा लेना ठीक रहेगा. वरना लफड़ा हो सकता है.
उसकी बात से मैं सहमत था. क्योंकि मुझको उसकी रजामंदी से ही उसकी चुदाई करने का मन था.
मैंने मालूम करना शुरू किया, तो पता चला कि शाजिया की शादी को लगभग 4 साल पहले हुई थी. अब तक उसके बच्चे भी नहीं हुए थे. जबकि इस समुदाय में तो बच्चे पैदा करने में देरी ही नहीं होती है.
ये जानकारी हुई तो लगा कि इसके पति में कुछ कमी होगी. बस इसी सोच के चलते लगा कि शाजिया की चुदाई करने का कुछ मौका मिल सकता है.
कम से कम वजह तो पता चलेगी कि आखिर बात क्या थी, इसकी औलाद क्यों नहीं हुई.
शरद के कहने पर मैंने जाल बिछाना शुरू किया. सबसे पहले मैंने शाजिया के पति से दोस्ती कर ली. उसको फ्री में मूवी दिखाने और खाना खिलाने ले गया. पैसे शरद ने दिए थे … क्योंकि मैं गरीब घर से आता हूँ और शरद अमीर है.
शाजिया के पति से दोस्ती होने का बाद एक दिन जब वो मेरे जिम में बैठा था.
उसने मुझसे पानी मांगा, मैंने बोतल दे दी.
उसने पानी पीकर कहा- यार, पानी तो बड़ा गर्म है. क्या दो तीन दिन का रखा है?
मैंने शायद मौक़ा पा लिया था. मैंने कह दिया- यार जिम में बोतल में पानी रखने की दिक्कत हो जाती है. बोटल में तो पानी गर्म हो ही जाता है.
उसने कहा- कोई बात नहीं, तुम मेरे घर से पानी मंगवा लिया करो न!
मैं भी तो यही चाहता था कि किसी बहाने उसके घर में एंट्री मिले.
अगले दिन शाम को 5 बजे मैं उसके घर गया और फिर उस हसीना से पहली बार मेरी मुलाक़ात हुई.
पहली बार मैंने उसको बिना बुर्के में देखा. एकदम मक्खन की तरह गोरी, काले लंबे बाल, काली आंखें, बला की खूबसूरत थी शाजिया. उसका 34-28-36 का मदमस्त फिगर, गुलाबी होंठ. मैं उसे एक झलक देख कर उसका दीवाना हो गया.
उसने भी मुझे मुस्कुरा कर देखा और बोतल को पानी से भर कर दे दिया.
मैं उसका शुक्रिया अदा करके वापस जिम में आ गया. मगर उसके सेक्सी शरीर को देख कर मेरे लौड़े ने बगावत कर दी थी.
फिर मैं पानी लेने रोज़ शाजिया के घर जाने लगा. हमारी रोज़ मुलाक़ात होना शुरू हुई, तो आंखों ही आंखों में थोड़ी बात होने लगी. कभी कभी उसकी सास भी पानी दे देती थी, पर ज्यादा वक़्त वही मुझे पानी देने आती थी.
शरद भी मेरी तरक्की देख कर खुश हो गया था.
फिर एक दिन कयामत हो गयी, शाजिया ने मुझे कंटीली स्माइल दे दी और मैंने भी रिटर्न में आंख दबाते हुए स्माइल पास कर दी. फिर मुस्कुराने का सिलसिला चलने लगा.
हर दिन वो अलग अलग पहनावे में होती थी. कभी गाउन, कभी सलवार कमीज़, कभी टॉप लैगीज, कभी साड़ी.
हर लम्हे मैं उसको ख्यालों में याद करने लगा था. मैं हर बात शरद से साझा कर देता था. वो भी शाजिया को चोदना चाहता था.
फिर शरद ने मुझसे कहा- यार अब कुछ आगे बढ़ो और उससे उसका फोन नंबर मांगो.
मैंने भी हिम्मत करके एक दिन पानी लेते समय इशारे से मोबाइल नंबर मांगा और वापस आ गया.
फिर अगले वक़्त पर जब मैं पानी लेने गया, तो उसने पानी देते समय एक पर्ची दे दी.
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था.
मैंने जिम में आकर पर्ची को खोलकर देखा तो उसका ईमेल एड्रेस था.
पहले तो मैं चौंका कि बंदी नेट वाली है. फिर सोचा कि अच्छा ही है. ये तो पोर्न भी देखती होगी. पर नम्बर मिल जाता तो ज्यादा ठीक रहता. फिर मैंने सोचा कि चलो कोई बात नहीं, जो मिला … वो ही सही.
मैंने शरद को बताया और फिर शरद और मैं शाजिया के साथ ईमेल पर बात करने लगे. मैंने शाजिया को नहीं पता चलने दिया कि शरद भी साथ में है. उससे बस मेरे नाम से बात होती थी.
शरद को भी शाजिया बहुत पसंद थी. इसलिए वो भी मेरा साथ दे रहा था. वैसे भी मैं डर के कारण ये काम अकेले नहीं करना चाहता था इसलिए मैंने शरद को भी उसके मजे देने का वादा किया था.
हम दोनों में तय हुआ था कि शाजिया को पटाने के बाद दोनों मिलकर चोदेंगे.
काफी दिन बात करने के बाद वो अब पूरी तरह मेरे कंट्रोल में आ चुकी थी.
मैंने एक दिन हिम्मत करके कह दिया- शाजिया अब इंतज़ार नहीं होता, बस मुझे तुम्हारी चूत लेनी है.
वो तो पहले से ही मेरे लंड के लिए भूखी थी. उसने भी हां कहा. पर सही वक़्त का इंतज़ार करने का कहा.
हम सही समय का इन्तजार करने लगे.
एक दिन हमें मौका मिला गया, उस दिन उसका ईमेल आया और उसने कहा कि घर के सब लोग एक शादी में जा रहे हैं.
मैंने शरद को ये बात बताई.
तो उसने कहा कि आज रात ही शाजिया को उसके घर में घुसकर चोदेंगे.
मैंने शाजिया को बताया कि रात को तुम्हारे घर में ही चुदाई का मजा लेंगे.
पर शाजिया ने घर में चुदाई करने से मना कर दिया. वो कहने लगी कि मैं रात में चुपके से खुद जिम में आ जाऊंगी.
शरद को ये बात और भी अच्छी लगी. उस रात हमने सबको जिम से जल्दी रवाना कर दिया और जिम 10 बजे ही अन्दर से बंद कर दी. शरद कहीं से एक गद्दा ले आया था. वो उसने जिम के दूसरे कमरे में लगा दी और हम दोनों शाजिया के आने का इंतज़ार करने लगे.
मैंने शरद को अलग जगह पर छुपने के लिए कहा … क्योंकि शाजिया उसको देखकर शायद लौट सकती थी. शरद के बारे में शाजिया को कुछ भी पता नहीं था.
मौका देख कर शाजिया रात के करीब 11.30 बजे के आसपास बुर्का पहन कर जिम में आयी. उसके अन्दर आते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया.
मैंने जीरो लाइट ऑन कर रखी थी. जैसे ही वो पास आयी मैंने उसे गोद में उठा लिया और जिम के दूसरे रूम में ले गया. वहां पर हमने बेड पहले से ही लगाया हुआ था.
मैंने उसका नकाब हटा दिया और उसे चुम्बन करने लगा. पहले बुर्के के ऊपर से ही मैं उसकी गांड जी भर के दबाने लगा, फिर उसके बुर्के को ऊपर करके अन्दर हाथ डाल दिया.
कुछ देर बाद मैंने उसका बुर्का निकाल दिया. बुर्के के अन्दर उसने सिर्फ गाउन पहन रखा था. गाउन के ऊपर से मैं उसके बड़े बड़े चुचे दबाने लगा.
चुदास बढ़ गई तो मैंने उसका गाउन निकाल दिया और पहली बार शाजिया मेरे सामने नंगी थी. उसने अन्दर कुछ नहीं पहना था.
उसको नंगी देखकर तो जैसे मैं पागल हो गया. उसका दूध जैसा गोरा अंग और लाजवाब गुलाबी होंठ. पहली बार उसकी खूबसूरत गुलाबी चूत मेरे सामने थी. चूत और उसके होंठ इतने गुलाबी थे कि समझ नहीं आ रहा था कि मेरा लंड पहले चूत में डालूं या मुँह में.
वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी. फिर बिना किसी देरी के मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए. मैं जब अपने कपड़े निकाल रहा था, तब वो मेरे जिस्म को देखने में लगी थी. शायद उसे भी मजबूत लंड देखने की उम्मीद थी.
मेरे पूरे नंगे होते ही बिना किसी देरी के मैंने उसको नीचे बिठाया और सीधे लंड उसके मुँह में पेल दिया. शाजिया के कुछ कहने से पहले ही मैंने उसका मुँह चोदना शुरू कर दिया.
दो मिनट तक लंड को उसके मुँह में अन्दर बाहर करने के बाद मैंने लंड बाहर निकाला, तब जाकर उसने राहत की सांस ली.
अगले पल मैंने शाजिया को बिस्तर पर लेटा दिया. हमारा बिस्तर जमीन पर ही लगा था या यूं कहें बिस्तर के नाम पर हमने एक गद्दी डाली हुई थी.
उस पर शाजिया चित लेट गई थी. मैंने उसकी टांगें खोल दीं और एक ही शॉट में पूरा लंड उसकी कोमल गोरी गुलाबी चूत में डाल दिया.
उसकी चीख निकलती, इससे पहले ही मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. लंड ने अन्दर गोता लगाना शुरू कर दिया.
शाजिया की चूत ने भी लंड की मेजबानी शुरू कर दी. शाजिया अपनी गांड उठा कर लंड को चूत की जड़ तक ले रही थी. बड़ी प्यासी चूत थी. मुझे शाजिया को चोदने में मजा आने लगा.
मैंने चुदाई करते हुए उसके दोनों मम्मे दोनों हाथों में पकड़ लिए और चूसने लगा.
मैं शाजिया के रसीले चूचों को बारी बारी से चूसने के साथ ही नीचे से उसकी मखमली चूत में ज़ोर ज़ोर से धक्के मारे जा रहा था.
शाजिया काफी दिनों की प्यासी थी. उसकी चूत काफी गीली हो चुकी थी. उसकी वासना बता रही थी कि उसको लंड का मजा न जाने कितने दिनों बाद मिला था. शाजिया जबरदस्त तरीके से अपनी गांड उठा कर चुदवाने में लगी थी.
करीब दस मिनट की दमदार चुदाई के बाद मैंने शाजिया को उल्टा कर दिया और उसकी गांड पर ज़ोर से चांटे जड़ दिए. वो आह आह करते हुए मजे लेने लगी.
मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया और एक हाथ से उसके बाल पकड़ लिए.
अब मैं अपने दूसरे हाथ से उसकी गांड पर ज़ोर ज़ोर से चांटे मारने लगा. मेरा लंड तो चूत में खलबली मचा ही रहा था. उसको भी काफी मजा आ रहा था.
उसको चोदते समय मेरी नज़र शरद पर पड़ी, वो हमें छुप कर सब देख रहा था. ये देख कर मुझे और ज़ोश आ गया और मैंने जमके चोदना चालू कर दिया अपनी स्पीड बढ़ा दी. मैं ज़ोर ज़ोर से शाजिया की चूत में लंड अन्दर बाहर करने लगा.
वो भी ‘उम्म्ह … अहह … हय … याह..’ की सीत्कारें ले रही थी.
कुछ देर की दमदार चुदाई के बाद मैंने शाजिया के अन्दर ही अपना सारा पानी छोड़ दिया. उसकी चूत मेरे वीर्य से भर गयी थी.
फिर कुछ देर यूं ही लम्बी लम्बी सांसें लेते हुए लेटने के बाद मैंने शरद को आवाज़ लगाई- शरद … कहां हो? आ जाओ.
शरद के बाहर आते ही शाजिया समझ गयी कि यहां मैं अकेला नहीं हूँ, शरद भी है.
शाजिया रोने लगी और कहने लगी- ऐसा मत करो प्लीज.
फिर मैंने शाजिया का चेहरा अपने हाथ में प्यार से लिया और कहा कि मैं कसम देता हूँ कि ये बात बाहर नहीं जाएगी … हम तीनों के बीच ही रहेगी.
शाजिया के हां बोलने से पहले ही शरद शाजिया के ऊपर चढ़ गया. उसने भी पहले शाजिया के मुँह में लंड दे दिया. फिर उसी तरह चुदाई की.
मैं एक कुर्सी पर नंगा बैठकर शाजिया और शरद की चुदाई देखने लगा. शरद उसको बेदर्दी से चोद रहा था. वो शायद मुझे दिखाना चाहता था कि वो मुझसे भी ज्यादा सख्त मर्द है.
कुछ देर आराम करने के बाद सुबह के 3 या 3.30 बज रहे होंगे. शाजिया को फिर हम दोनों जिम के कसरत करने की मशीन के पास ले गए और पोजीशन बना कर बारी बारी फिर से शाजिया की चुदाई की.
इस बार जब मैं पीछे से शाजिया की चूत में लंड पेल रहा था, तब शरद सामने से उसके होंठ को चूम रहा था. वो उसके चेहरे पर चांटे भी हल्के हल्के मार रहा था.
ये शरद का थोड़ा सा अजीब व्यवहार था, पर इससे मुझे उत्तेजना ज्यादा मिल रही थी. इस बार मैंने अपना वीर्य शाजिया की गांड के ऊपर पीठ पर छोड़ दिया.
करीब 4 बजे शाजिया ने अपने कपड़े पहने और बुर्का पहन के अपने घर के चली गयी. मैं और शरद एक दूसरे की तरफ देखकर हंस रहे थे कि हमने किला फ़तेह कर लिया.
कुछ देर शरद और मैं नंगे ही लेट गए. फिर पांच बजे वो हुआ, जिसकी उम्मीद हमने नहीं की थी. मेरे जिम के मालिक आए और हमें नंगी हालत में देखकर चिल्लाने लगे.
वे कहने लगे- ये सब जिम में मत करो … शर्म नहीं आती गे बनने में!
उनकी बात सुनकर हम दोनों की तो हंसी ही नहीं रुक रही थी … क्योंकि वो शरद और मुझे गे समझ रहे थे.
हम उन्हें शाजिया वाली बात बता नहीं सकते थे, इसलिए चुप रहके सॉरी कह दिया.
यदि आपका प्यार मिला, तो मेरी ये वासना से भरी सेक्स कहानी अभी जारी रहेगी. आपके मेल का इन्तजार रहेगा.
शाजिया ने हमारी इस चुदाई को हिन्दी सेक्स स्टोरी साईट अन्तर्वासना पर लिख दिया.
इसलिए मैंने भी उस चुदाई को अपने साइड से लिख दिया. बताना किस की साइड से आपको चुदाई अच्छी लगी. ये कहानी सत्य घटना पर आधारित है.