नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम हर्षल है. मेरी उम्र 24 साल है. मैं पुणे महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ. मेरी कदकाठी सामान्य है. पर ऊपर वाले से मुझे काफी लम्बे लंड की सौगात मिली है.
ये मादरचोद सेक्स कहानी मेरी सत्य जीवन घटना पर आधारित है. मुझे ये कहानी बताते हुए बहुत शर्म महसूस हो रही है. पर मैं करूं भी तो क्या, मुझे अपने दिल का बोझ हल्का करना है.
आज मैं फिर से अपनी पिछली मादरचोद सेक्स कहानी गलतफहमी में मां ने मुझसे चुदाई करवाई का आगे का किस्सा सुनाने के लिए हाजिर हूँ.
मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग के लिए आप लोगों के मुझे ढेरों ईमेल आए और आप सभी को मेरी कहानी अच्छी लगी.
ये जानकर मुझे बहुत अच्छा लगा.
इस मादरचोद सेक्स कहानी का अगला भाग लाने में देरी हुई, इसके लिए माफी चाहता हूं.
जैसा कि मैंने कहानी के पिछले अंक में बताया था कि कैसे गलतफ़हमी की वज़ह से मैंने अपनी प्यारी मां के साथ सम्भोग किया था और कैसे सुबह उठकर मैं पकड़ा गया.
उसके आगे क्या हुआ, ये जानकर आप भी कामवासना की हवस से मस्त हो जाओगे.
जैसे ही सुबह हुई, मैं अपने बिस्तर में अंगड़ाई लेने लगा.
और जैसे ही मेरी आंख खुली तो मेरे सामने मेरी मां खड़ी थीं. उनके चेहरे के हावभाव से साफ़ लग रहा था कि वो मुझे जी भरके मारना चाहती हैं.
लेकिन मैंने अपनी नजरें चुरा लीं और मैं नहाने के लिए बाथरूम की तरफ चला गया.
लेकिन दोस्तो, ये जवानी भी क्या चीज़ है … जैसे ही शॉवर का पानी मेरे बदन पर गिरा, मेरा लंड सांप की फन उठा कर खड़ा हो गया. मुझे पिछली रात की वो मां की चुदाई याद आने लगी.
वो उनके बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन, उनकी फूली हुई गांड और वो रसीली चूत.
मैंने जैसे-तैसे अपने आप पर काबू पाया और मैं बाथरूम से नहाकर निकल आया.
मेरे पिताजी ऑफिस के लिए निकल चुके थे. अब हम दोनों ही घर पर थे.
तभी मां ने मुझे नाश्ते के लिए बुलाया.
मैं चुपचाप जाकर खाने की मेज़ पर जाकर बैठ गया.
मां मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठी हुई थीं … और मुझे घूरे जा रही थीं.
कुछ पल बाद मां ने मुझसे धीमी आवाज में पूछा- तुझे कल रात के बारे में याद है कि तुमने क्या किया था?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया.
फिर उन्होंने कहा- जो कुछ भी हुआ एक सपना समझ कर भूल जाना.
मैंने अपनी गर्दन हिला कर हां में जवाब दे दिया.
लेकिन क्या करूं मेरी नियत फिसल चुकी थी.
उन्होंने इस समय वही नाइटी पहनी हुई थी और उनका मदमस्त यौवन से छलकता बदन मुझे अपनी ओर चुम्बक की तरह खींच रहा था. मेरा जी कर रहा था कि मैं वहीं पर ही मां की नाइटी फाड़ दूँ और उन्हें पटक कर यहीं चोद दूँ.
मैं जैसे ही अपने मेज से उठा, मेरा खड़ा लंड मेरे पाजामे में साफ़ दिख रहा था.
और मेरी मां ने उसे देखा भी लेकिन उन्होंने नजर घुमा ली.
मैं अपने कमरे में चला गया.
थोड़ी देर बाद मैंने सोचा कि अगर मां को अच्छा नहीं लगा होता … तो वो अब तक पापा के हाथों मेरी पिटाई करवा चुकी होतीं.
ये सोचते ही मेरा मूड बनने लगा और मैंने एक बार फिर से मां की चुदाई की कोशिश करने की ठान ली.
उस समय मां रसोई में खाना बना रही थीं. उन्होंने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी. उस साड़ी में उनका पिछला फूला हुआ भाग साफ़ दिख रहा था.
खिंचाव के कारण साड़ी गांड के सिरे में फंसी हुई थी. बैकलेस ब्लाउज होने के कारण उनकी गोरी पीठ साफ झलक रही थी.
मां का मदमस्त हुस्न देख कर मेरा लंड सलामी देने लगा. मैं पानी पीने के बहाने रसोई में गया. उन्होंने भी मुझे तिरछी नजर से देखा और अपने काम में जुट गईं.
पानी पीने के बाद मैं उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया; उनकी पीठ से टपकते हुई पसीने की बूंद पर मेरी नजर गई.
मैंने हल्के से अपने होंठ पीठ की घाटी के मार्ग पर रख दिए.
मेरा स्पर्श पाते ही वो बोली- मैं तुम्हारी मां हूँ.
मैंने नासमझी की ऐक्टिंग की और उनसे कहा- मां, मेरे पाजामे में कुछ तो हो रहा है.
ये कहते हुए मैंने अपना नाड़ा खोल दिया.
मेरा लंड उनके सामने तोप की तरह खड़ा था.
वो बोलीं- मैं तुम्हारी मां हूँ.
मैं बोला- लेकिन मां यह चीज जो खड़ी है, उसका क्या करूं … आप ही बताओ!
उन्होंने कहा- बाथरूम में चलो.
वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाथरूम में ले गईं.
उधर वो बोली- अपने लंड पर ठंडा पानी डालो.
उनके मुँह से लंड सुनकर मेरा और भी टाइट हो गया. मैंने वैसा ही किया, पर कुछ असर नहीं हुआ.
तब तक मां मेरे खड़े लंड को घूरे जा रही थीं.
ये बात मैं जान चुका था कि मां को लंड मस्त लग रहा है.
तो मैं मां से बोला- मां आप ही कुछ करो न!
फिर मां ने मेरा लंड अपने कोमल हाथों में ले लिया और बोलीं- यह बात किसी को नहीं बताना.
तब मां अपने हाथों से मेरे लंड पर मुठ मारने लगीं.
सूखेपन के कारण उनके हाथ ठीक से नहीं चल रहे थे. मां ने मेरे लंड पर थूक लगाया और जोर जोर से मुठियाने लगी.
थूक के गीलेपन के कारण ‘सट सट सट ..’ की आवाज गूंजने लगीं.
मां बीच में अपने होंठ काट रही थीं और मैं यह भांप गया था.
मैंने मां को बोला- कुछ असर नहीं हो रहा है.
मां बोलीं- हे भगवान … क्या मुसीबत है … तू झड़ता क्यों नहीं!
मैं बोला- पता नहीं … आप कोई और रास्ता अपनाओ न!
वो बोलीं- ठीक है.
फिर उन्होंने अपने नाजुक होंठ मेरे लंड के सुपारे पर रखे और छुआ. इससे मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई.
मां मेरा लंड चूसने लगीं.
वो पहले तो ऊपर ऊपर चूस रही थीं … लेकिन जब उनको भी मजा आने लगा तो भर भर कर लंड चूसने लगीं.
मैंने उनका सर अपने हाथों से पकड़ा और जोर जोर से उनके सर को आगे पीछे करने लगा.
लंड बड़ा होने के कारण उनके गले तक मेरा लंड जाने लगा. ‘पच पच पच ..’ की आवाज से मेरा रोमांच बढ़ गया.
मां भी मजे से लंड चूसने में लगी थीं.
मैं भी पूरा हरामी ठहरा था, मैंने उनके मुँह में वीर्य छोड़ दिया.
जैसे ही में झड़ा, उन्होंने लंड का रस थूक दिया और बोलीं- हरामी, अपनी मां के मुँह में ही झड़ गया … भाग इधर से अब कभी अपनी शक्ल नहीं दिखाना.
मैं उनके सामने गिड़गिड़ाते हुए बोला- मां माफ़ कर दो … दोबारा ऐसा नहीं करूंगा, मुझे तो पता भी नहीं कि मैं क्या कर रहा हूँ.
मेरा नाटक वो भांप नहीं पाईं और बड़बड़ाती हुई बाहर निकल गईं.
कुछ देर बाद उनकी आवाज आई- आ जा खाना खा ले.
मैं आ गया और हम दोनों ने खाना खाया.
फिर दोपहर की नींद के लिए सोने चले गए.
आज मां दूसरे कमरे सोई हुई थीं. लेकिन मेरी भी जिद थी कि मैं आज माँ की चूत चोद कर रहूँगा.
मैं मां के कमरे में गया और देखा कि मां अपने बेड पर सोयी हुई थीं; उनकी साड़ी उनकी जांघों तक उपर उठ चुकी थी. उसमें से उनकी काले रंग की निकर साफ़ दिख रही थी.
मां के गोरे पैर देख कर मेरा उन्हें चाटने का मन करने लगा.
लेकिन अगर मैं सीधे सीधे उन पर चढ़ जाता तो मां शायद नाराज हो जातीं.
इसलिए मैंने तरकीब लगायी.
मैं मां के पास जाकर खड़ा हो गया और उन्हें जगाने लगा.
नींद से उठकर मां ने पूछा- अब क्या हुआ?
मैं मां को अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोला- मुझे फिर से कुछ हो रहा है.
मां ने मुझे घूरा.
लेकिन मैं बोला- मां, इसमें मेरी क्या गलती है. मुझे पता भी नहीं कि मेरे साथ ये क्या हो रहा है और अब आप ही कुछ करो.
मैंने अपना पजामा उतारा और मां के सामने नंगा खड़ा हो गया. मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.
मेरे लंड की गरमाहट से शायद मां भी सिसक उठीं. उसने तुरंत मेरे लंड को सहलाना चालू कर दिया.
इस बार उनकी आंखें कुछ और ही जता रही थीं.
मां अपने मुँह से थूक निकाल कर लंड पर मलने लगीं और उसे हिलाने लगीं.
बीच में वो अपने होंठ भी काटने लगीं.
मैंने इस बार उनका सिर पकड़ कर सीधा मुँह में लंड घुसेड़ दिया.
वो भी जोर जोर से लंड चूसने लगीं. मैंने उनके बाल खोल दिए ताकि जोर से उसका सिर पकड़ सकूं.
मैं इसके आगे भी कुछ करना चाहता था. इसलिए मैंने अपना एक हाथ उनके स्तन पर रख दिया और जोर से दबोच लिया.
उसी के साथ वो चिहुंक उठीं और बोलीं- क्या कर रहा है … मेरे मम्मे क्यों दबा रहा है … अपनी मां के दूध छोड़ दे.
लेकिन मैं भी उनकी बात क्यों मानता, मैंने फिर से मां के मुँह में लंड दे दिया और जोर जोर से उनके दूध मसलने लगा.
मैंने उनका सिर दबोच रखा था.
थोड़ी देर के बाद वो भी मस्त होकर लंड चूसने में मगन हो गईं. मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए और ब्लाउज निकाल कर फेंक दिया.
वे कुछ नहीं बोलीं.
मैं उनके बड़े बड़े मम्मे मसलने लगा.
मां जोर जोर से सिसकारियां लेने लगीं. उसकी सांसें मेरे लंड को गर्म अहसास देने लगीं.
मैं और उत्तेजित हो गया. मैं बोला- मां, क्या मैं फिर से आपके दूध पी सकता हूं?
वो बोलीं- पगले, अब थोड़ी ना दूध आएगा … लेकिन अगर तू चाहता है तो इन्हें चूस सकता है.
बस मुझे इसी मौके का इंतजार था; मैं झट से उनके स्तनों को सहलाने लगा और एक स्तन मुँह में भरने लगा.
मां सेक्सी आवाज में बोलीं- आह चूस ले … मेरे इन दोनों को चूस ले. तेरे बाप ने इनको छुआ तक नहीं. तू आज भरपूर चूस ले … आअहह हम्मह … मसल दे आज इनको!
मैं भी जोरों से माँ की चूचियां चूसने लगा और हाथ से निचोड़ने लगा.
मां और भी तेजी से सांसें छोड़ने लगीं- आहह … ह्म्म्म … ले और मुँह में ले … भर ले पूरे मुँह में … ओहह हहआ मेरे राजा.
मैं उनकी चूचियों निप्पल को भी मसलने लगा.
वो अंगड़ाई लेने लगी थीं शायद उनकी चूत में से रस आने लगा था.
मैं उनके पूरे शरीर का लुत्फ़ उठाना चाहता था.
मां के गले को मैं पागलों की तरह चूमने लगा; उनको पूरी तरह से अपनी बांहों में भर चुका था.
फिर मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और पागलों की तरह चूमने लगा. वो भी मेरा भरपूर समर्थन कर रही थीं. वो भी मेरे लंड को हिलाए जा रही थीं.
फिर मैंने पल भर की देरी ना करते हुए अपनी उंगली उनकी नाभि के ऊपर से ले जाकर चूत की गुलाबी फांकों पर मलने लगा.
उसी समय वो सम्भल गईं और बोलीं- ये गलत है … तुम मेरे बेटे हो. हमें दुबारा ये गलती नहीं करनी चाहिए.
मैं बोला- मां, इसमें कोई गलत नहीं है, हम पहले भी ये कर चुके हैं.
मैंने उनकी जीभ को जकड़ लिया और चूसने लगा.
उनकी लार मुझे उत्तेजित कर रही थीं. मैंने धीरे से अपनी उंगली माँ की चूत में घुसा दी.
कसम से मां की चुत इतनी गीली हो गयी थी कि उंगली तक फिसल गई.
मैंने उनकी साड़ी निकाल कर फेंक दी.
दिन के उजाले में मां को नंगी देख कर मेरी रूह भिन्ना गई. उनको अपनी बांहों में लेकर चूमने लगा, उनके मम्मों को चूसने लगा.
फिर चूत का रस चाटने के लिए उनकी चड्डी निकाल कर फेंक दी.
अपनी मां को पलंग पर लुढ़का कर सीधे उनकी चूत के पास आ गया.
मां की चूत की खुशबू से दिमाग की नसें फट गईं. मां की झांटें भी गीली हो चुकी थीं.
वे बोलीं- क्या कर रहे हो?
मैं बोला- मां ये कुछ तो चिपचिपा सा लग रहा हैं, क्या मैं इसे टेस्ट करूं?
वे दबी हुई सांसों में बोलीं- जैसे स्तन को चूसा … वैसे ही इसे भी चाट ले, पूरा पानी पी जा!
बस फिर क्या था … मैं मां की चुत पर टूट पड़ा और चुत का पानी चूसने लगा.
साथ ही मैं अपनी दो उंगलियां चुत में अन्दर बाहर करने लगा और जीभ भी अन्दर डाल कर चूसने लगा.
सच कह रहा हूँ दोस्तो, इतना स्वादिष्ट रस था कि आज तक मैंने चूत रस जैसा शायद ही कुछ चखा हो.
उधर कामातुर हो चुकी मेरी मां मुझे जांघों के बीच में दबाने लगीं और बोलीं- ओह … मेरे बेटा कहां से सीख कर आया तू यह चुत चाटना … इस्शस … ऐसे ही और चूस … ओ मेरे राजा … तेरा बाप तो कभी चख नहीं पाया ये यौवन रस … अब तेरा नसीब खुल गया है … चाट ले.
मैं भी अपनी पूरी जीभ चुत में पूरी तरह घुसा चुका था.
बहुत समय चाटने के बाद मां ने मुझे बांहों में भर लिया और चूमने लगीं.
मां बोली- बेटा आज तूने सम्भोग के अंतिम चरण में पहुंचा दिया.
मगर मेरी प्यास अभी तक बुझी नहीं थी. मैंने मां से कहा- मां, आप तो संतुष्ट हो गईं … मगर मेरा क्या? अब इस लंड कौन शांत करेगा?
अब तक मैं भी ढीठ बन चुका था.
वो बोलीं- और क्या करना चाहता है?
मैं बोला- आज आपकी राजी से आपकी चुत को चोदना चाहता हूं.
वो बोलीं- हरामखोर अपनी मां को चोदेगा … साले शर्म कर!
मैंने कहा- जब आप मुँह में लंड ले लेती हो … तो चुत में भी ले लो, क्या फर्क़ पड़ेगा. गर्म तो आप हो ही चुकी हो … बस अब और नखरे मत करो और जल्दी से टांगें फैला दो.
वो बोलीं- साले मादरचोद … अपनी मां की मजबूरी का फायदा उठा रहा है. ले चोद ले, लेकिन ये आखिरी बार होगा.
मां ने अपनी टांगें फैलाते हुए चुत खोल दी.
मैंने भी झट से अपना लंड मां की चूत के मुहाने पर रखा और एक ही झटके में अन्दर घुसा दिया.
वो चिल्ला पड़ीं- आह धीरे घुसेड़ हरामी … मेरी चुत फाड़ेगा क्या!
मैंने मां की चीख को अनसुना करते हुए उनको हचक कर चोदना शुरू कर दिया.
मेरे जोर जोर से धक्के देने के कारण उनकी मादक सिसकारियां निकलने लगीं और वो जोर जोर से चिल्लाने लगीं.
मैंने मां को किस करते हुए उनके होंठों को दबा लिया ताकि उनकी तेज स्वर की मादक आवाजें बाहर ना जा सकें.
धकापेल चुदाई चलने लगी. मेरी मां भी मेरे लंड का मजा लेने लगीं.
बीस मिनट की चुदाई के दौरान मां दो बार झड़ गई थीं.
कुछ देर बाद मैंने मां को घोड़ी बनने के लिए कहा.
मेरी मां किसी बाजारू रांड के जैसे चुदाई के इतने नशे में थीं कि झट से पलट कर कुतिया बन गईं.
मैंने पीछे से मां की चुत में लंड पेल दिया. चुदाई धकापेल चालू हो गई.
लंड चूतड़ों से टकराता तो थप … थप … की आवाज आने लगी. इससे कमरा गूंज उठा था.
मां मस्ती से पागल हुए जा रही थीं- आह चोद दे भड़वे आहह चोद … मादरचोद आहहां … उफ्फ …. कितना बड़ा लंड है तेरा … उम्म आह मजा आ गया … आह अपनी मां की चुत फाड़ दे.
मैं भी अब अपनी चरम सीमा पर आ गया था. मैंने मां से कहा- मां, मेरा पानी निकलने वाला है. आप अपना मुँह खोल दो जल्दी से.
मां ने मुँह खोल दिया और मैंने अपना लंड चुत से निकाला और मां के मुँह में दे दिया.
वो मेरा लंड चूसने लगीं.
थोड़ी ही देर बाद मैं उनके मुँह में झड़ गया. इस बार मेरी रांड जैसी मां मेरे लौड़े का पूरा पानी पी गईं और निढाल हो कर पलंग पर गिर गईं.
मां की चूत पूरी तरह लाल हो चुकी थी और वो भी थक चुकी थीं.
मैंने जैसे ही मां की चुत में हाथ लगाया, वो दर्द के मारे चीख उठीं- क्या कर रहा है मां के लौड़े … साले चोद चोद कर चुत सुजा कर ला कर दी. अब तो मुझे मूतने में भी दिक्कत होगी. आह हरामी बहुत साल बाद किसी ने मुझे ऐसे चोदा है.
मां की इस बात पर मुझे शक हुआ और मैंने उनसे पूछा- इसका क्या मतलब हुआ मां … क्या आप पहले भी किसी और से चुद चुकी हैं.
मेरी बात सुनकर मां एकदम से डर गईं और उन्होंने मुझे कमरे से जाने के लिए कह दिया. मैं भी चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया.
मां की बात सुनकर आज मेरे मन में एक सवाल खड़ा हो गया था कि क्या मेरी मां वास्तव में मेरे बाप के अलावा किसी और से चुद चुकी हैं.
इसका उत्तर कभी न कभी मैं अपनी मां से निकलवा ही लूंगा.