यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
मैं उसे मना करने लगी ‘नहीं… प्लीज नहीं!’
मैं ऊपर ऊपर से ना कह रही थी.
वो अपना एक हाथ मेरे योनि पे लाया, मेरी योनि ने बहुत पानी छोड़ दिया था, उसने उंगलियों से मेरी योनि को छेड़ा तो मेरा पानी उसकी उंगलियों पर लग गया.
‘साली छिनाल, नौटंकी करती है, चूत ने देख कितना पानी छोड़ा है!’ उसने अपनी उंगलियों को सूंघ लिया.
‘वाह क्या खुशबू है तेरी चूत के रस की!’ फिर उसने अपनी उंगलियों को चाट लिया- रंडी साली, तेरी चूत का स्वाद भी बहुत अच्छा है!
उसका गन्दा बोलना शुरू रखते हुए उसने अपना लंड मेरे योनि तक लाया, मुझे एक हाथ से जोर से पकड़ा, फिर अपना लंड मेरी योनि मुख पे रखा और मुझे कुछ समझ में आने से पहले एक जोर का धक्का दिया.
‘आह ! माँऽऽऽ’ मैं जोर से चिल्लाई और अपने नाख़ून उसके कंधे में गड़ा दिए.
उसने मेरी तकलीफ पर जरा भी ध्यान नहीं दिया और फिर एक बार जोर से धक्का देकर अपना लंड जोर से मेरी योनि के और अंदर डाल दिया.
‘आऽऽऽह! हे भगवान! बहुत बड़ा है तुम्हारा!’ मैं चिल्लाई.
‘बहुत टाइट चूत है तेरी, मजा आ रहा है!’ वो धक्कों पे धक्के लगाते जा रहा था.
‘कुत्ते कितना बड़ा लंड है तेरा, उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरी योनि फट गई.’
‘आऽऽह आऽऽह आऽऽह’ उसके हर धक्के के साथ मैं सिसकारियाँ लेने लगी, मैं भी उसके रंग मैं रंगने लगी थी.
‘योनि नहीं चूत बोल!’ उसने स्पीड से धक्के देना चालू रखा.
‘नालायक कितना बड़ा लंड है तेरा, रुकने का नाम ही नहीं ले रहा, चूत फड़ेगा आज मेरी!’ मैं चुदाई के नशे में कुछ भी बोल रही थी.
कुछ भी कहो ‘बड़ा लंड चूत में लेने का मजा ही कुछ और है.’
उसका मजबूत शरीर, जंगली जैसा मेरे शरीर से खेलना, गन्दी बातें करना और सबसे ज्यादा अपने विशाल लंड से जोरदार और न रुकते हुए धक्के लगाना… इन सबसे आगे में कब तक टिकने वाली थी?
और मैं जोर से झड़ गई, मैं अब ठीक से खड़ी भी नहीं रह सकती थी, मेरी पूरी ताकत खत्म हो गई थी, मैंने अपना पूरा शरीर उसकी बांहों में छोड़ दिया.
‘बस रुको अब… मैं झड़ गई!’ मैं उसको बोली.
लेकिन वो तो हरामी निकला, मुझे बांहों में पकड़ के उसने मेरी चूत को फाड़ना चालू ही रखा, उल्टा उसका जोश और भी बढ़ गया, मैं उसकी बांहों में दब गई थी और उसका मेरी बुर को पेलना चालू ही था, मैं अब चिल्लाने लगी, झड़ने के बाद अब मुझे उसके धक्के सहन नहीं हो रहे थे- हरामखोर… झड़ गई हूँ फिर भी मेरी चूत को कूट रहा है… निकाल बाहर… प्लीज, प्लीज ना!’ मैं उसे गाली भी दे रही थी और रिक्वेस्ट भी कर रही थी.
मैं पूरी थक गई थी, मुझे आराम चाहिये था, उसने उसका लौड़ा बाहर निकाला तो मुझे कुछ सुकून मिला, उसने मुझे मेरे दोनों हाथों से सीढ़ी को पकड़ने के लिए बोला.
‘क्या कर रहा है ये? मुझे सीढ़ी क्यों पकड़ने के लिए बोल रहा है?’ मैं मन ही मन सोच रही थी, और उसके कहे जैसे सीढ़ी पकड़ ली.
मेरे पीछे खड़ा रहकर उसने भी मेरे जैसे ही सीढ़ी पकड़ ली, उसका लंड मेरी गांड को चुभ रहा था, उसने एक हाथ से मेरा एक पैर पकड़ के हवा में उठा लिया, और पीछे से अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया.
‘ओह गॉड! तो उसको पीछे से चोदना था इसलिए मुझे ऐसा खड़ा किया है!’
उसने पीछे से एक जोर का धक्का दिया, वैसे मैं दर्द से चिल्ला उठी- आऽऽऽह…
मैं अपना पूरा मुँह खोल कर चिल्लाई पर उस पर कोई असर नहीं हुआ.
‘ऐसा चोदता है क्या तेरा पति?’ उसने मुझसे पूछा.
‘हरामखोर छोड़ मुझे!’ मैं दर्द से बोली.
‘अब गालियाँ दे… मजा आता है तेरे मुँह से गालियाँ सुनने में!’ ऐसा कहकर वो मेरी कमर पकड़कर जोरदार धक्के लगाने लगा और मेरी गांड पे चपत लगाने लगा. एक हाथ से वो मेरे स्तन दबा रहा था, दूसरे हाथ से मेरी गांड पे चपत लगा रहा था और अपने विशाल लंड से मेरी चूत को कूट रहा था, ऐसे तीनों तरफ से चढ़ाई कर रहा था.
‘भोसडी के जल्दी कर…’ मैंने अपने पति से सुनी हुई गाली उसको दी.
‘अच्छी गाली देती हो, पति ने सिखाई क्या?’
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गाली के साथ मुझे मेरा पति भी याद आ गया और उसका खाने का टाइम भी याद आ गया, मैंने घबरा कर दीवार पर देखा पर वहाँ पर घड़ी ही नहीं थी, पेंट करने के लिए उतार कर रखी थी.
‘मेरे पति का घर आने का टाइम हो गया है!’ मैंने घबराते हुए उससे कहा.
उसने झट से अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मुझे हाथ से हिलाने के लिए बोला, उसने नीचे से मेरी पेंटी उठाई और अपना सारा वीर्य मेरी पेंटी पे गिरा दिया, उसके लंड से वीर्य की पिचकारी निकल रही थी और मेरी पेंटी पर गिर रही थी.
उसने फिर अपना शर्ट हैंगर से लिया और मोबाइल निकाल के टाइम देखा- अभी तो 12:30 ही बजे हैं, तेरे पति के आने में अभी एक घंटा बाकी है.
‘हाँ… पर मुझे खाना तो बनाना है ना, हटो अब मुझे खाना बनाने दो!’ मैं उसे बाजु करने लगी तो उसने मुझे अपने पास खींचा और एक किस किया- मजा आया ना?
मुझसे पूछा.
मैंने हाँ में सर हिलाया तो वो मुझे और एक किस करके बाजु हट गया.
मैंने अपने सारे कपड़े ढूंढे, पेंटी मिली पर वो पेंटर के सफ़ेद रंग से रंगी हुई थी, पर ब्रा नहीं मिल रही थी. मैंने बाकी के कपड़े पहन लिए पर ब्रा मिल नहीं रही थी, मैं परेशान हो गई.
पेंटर ने अपने कपड़े पहन कर काम करना शुरू कर दिया था, उसने प्राइमर का डिब्बा उठाया तो मेरी ब्रा उस डिब्बे में मिली, उसने ब्रा बाहर निकली, पेंटी पे उसने खुद रंग डाला था, और मेरी ब्रा निकाल कर उसने डिब्बे में डाली थी, इस तरह से उसने मेरे दोनों अंडर गारमेंट्स को रंग दिया था.
मैंने ब्रा को कचरे में फेंक दिया और पेंटी को धो दिया.
फिर नहा कर फ्रेश हो गई, गाऊन पहना और नीचे आकर खाना बनाया.
पेंटर नीचे के रूम को रंग रहा था, थोड़ी देर में मेरे पति आ गये, बाकी सब जगह सामान पड़ा था तो हम किचन में ही खाना खाने वाले थे, मैं किचन काउंटर पे खड़ी थी, मेरे पति ने पीछे से आकर मुझे गले लगा लिया, आज वो बहुत मूड में दिख रहे थे, पर उसको क्या पता था एक घंटे पहले ही मैं जम कर चुदी थी.
‘क्या कर रहे हो, पेंटर घर में है!’ मैंने पेंटर के डर से मेरे पति को दूर धकेल दिया.
‘आज तुम्हारी स्मेल कुछ अलग ही आ रही है!’ मैं डर गई पर चेहरे पर कुछ नहीं दिखाया.
‘घर में पेंट चालू है, तो बीवी से फूलों जैसी स्मेल थोड़ी आएगी!’ मैंने उससे कहा.
‘उसने मुझे पीछे से जोर से पकड़ लिया और मेरे कान में बोला- बहुत बड़ा आर्डर मिला है, मुझे दिल्ली जाना पड़ेगा.
‘अरे वाह…’ मैंने कहा.
‘जाने से पहले मेरा मुँह मीठा कर दो!’ उनका मुँह मीठा करना मतलब सेक्स करना!
‘हे भगवान… अभी एक घंटे पहले मुझे पेंटर ने जमकर चोदा था, इतनी जल्दी मैं कैसे सेक्स करने वाली थी, मेरा तो जान ही जानी बाकी रह गई थी, पर ना बोला तो उनको शक होगा!’ मैंने मन ही मन सोचा.
‘क्या हुआ मेरी जान… इतना क्या सोच रही हो?’ उसने मुझे पूछा.
‘कुछ नहीं, अभी घर में पेंटर है, काम चालू है, कैसे करेंगे?’ मैंने पूछा.
‘अरे हम किचन में ही करेंगे क्या, ऊपर जाते हैं ना बैडरूम में!’ पति ने बोला.
‘पर उसे कुछ चीज़ की जरुरत पड़ी तो?’ मैंने पूछा.
‘एक बार काम शुरू किया तो उनको कुछ नहीं लगता!’ ऐसा कह कर हम खाने से पहले सेक्स करने का प्लान बना कर ऊपर जाने लगे, मेरे पति पहले चले गए.
मैं पेंटर के कमरे में गई और उसे बोला कि कुछ जरूरत हो तो आवाज देना, हम ऊपर हैं.
‘चुदाई करने जा रहे हो क्या?’
मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया और हंस कर वहाँ से ऊपर जाने लगी, ऊपर जाके मैंने दरवाजा बंद किया.
मेरी सेक्सी कहानी जारी रहेगी.
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