झलक ने अपनी लाइफ़ के बारे में मुझे बताया कि वो विधवा है. उनके हस्बैंड की डेथ ऐक्सिडेंट में हो गयी थी. अब वो अपनी सास के साथ ही रहती है. धीरे धीरे झलक खुलकर बात करने लगी और हम दोनों मेल से हैंगआउट पर बात करने लगे. जब उसको विश्वास हो गया तो उसने अपना नम्बर दिया और कॉल पर बात करने लगी.
तब उसने अपनी शादीशुदा जिन्दगी के बारे में बताया कि उसका पति ड्रिंक करता था. फिर शादी के दो साल बाद ही एक ऐक्सिडेंट में उसकी मौत हो गयी थी.
उसके बाद से झलक काफ़ी अकेली हो गयी थी.
झलक ने बताया कि उसने मेरी कहानी पढ़ी जो उसको बहुत ज़्यादा पसन्द आयी और इसलिए ही उसने मुझसे बात की और मिलने की इच्छा ज़ाहिर की.
फिर उसने अपनी फ़ोटो भेजी जिसे देख कर लगा कि वो बहुत ख़ूबसूरत है. एक अच्छे बदन की मालकिन है. उसका साइज़ 34-28-32 के लगभग रहा होगा.
उसके बाद उसने मुझसे मिलने के लिए पूछा.
फिर शनिवार रात को मैंने चंडीगढ़ आने को कहा.
शनिवार को मैं 4 बजे अम्बाला से चला.
पाँच बजे चंडीगढ़ पहुँच कर झलक को कॉल की तो उसने कहा कि बस स्टैंड पर रुको, मैं दस मिनट में आती हूं.
थोड़ी देर इन्तज़ार करने के बाद एक सफ़ेद रंग की स्विफ्ट कार आयी और तभी मेरे फ़ोन पर झलक की कॉल आयी.
उसने मुझे कार के पास आने को कहा.
जैसे ही मैं कार के पास गया उसने ख़ुद ही खिड़की खोली.
उसने मुझे कार में बैठने को बोला.
कार में बैठते ही झलक को देखा तो उसको देखता ही रह गया.
वो काले रंग की साड़ी में आयी थी और बहुत ही ज़्यादा ख़ूबसूरत लग रही थी.
कार में बैठकर मैं बस झलक को ही देखता रहा.
मेरा ध्यान तब टूटा जब झलक की आवाज़ मेरे कानों में गूँजी.
झलक ने कहा- कहाँ खो गये जनाब? ऐसे क्या देख रहे हो?
मैं- झलक जी, लेडीज़ तो बहुत देखीं, मगर आप जैसी नहीं देखी.
झलक- कोई बात नहीं, आज पूरा मौका मिलेगा आपको! आप सब कुछ देखना जो भी देखना है, जी भर कर देख लेना.
ये बोलकर वो हँसने लगी.
मैं झलक को देखता रहा और ख़ुद को काफ़ी ख़ुशक़िस्मत समझ रहा था जो आज झलक जैसी ख़ूबसूरत औरत आज मुझसे चुदने वाली थी.
कुछ ही देर ड्राइव करने के बाद झलक ने कार को एक कोठी के सामने रोक दिया.
हम दोनों कार से उतर कर उस कोठी में चले गये जिसको देखकर लगता था कि झलक काफ़ी बड़े घर की बहू है.
झलक आगे चल रही थी और मैं उसके पीछे पीछे उसकी गांड को मटकते देख रहा था.
अन्दर जाकर झलक ने मुझे बैठने को कहा और ख़ुद पानी लेने के लिए चली गयी और दो गिलास में पानी लेकर आयी.
उसने एक गिलास मुझे दिया और वहीं पड़े सोफ़े पर मेरे पास ही बैठ गयी.
पानी पीते हुए उससे यहां वहां कि बातें हुईं और उसने बताया कि उसकी सास अपनी बेटी यानि उसकी ननद के यहां गई हुई है. घर में वो अकेली ही थी.
घर में अकेली के बारे में सुनते ही मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया था.
मैंने गिलास को साइड में रखते ही झलक को अपनी बांहों में भर लिया; उसके गालों पर किस करते हुए उसके नाज़ुक से होंठों को अपने होंठों में दबाकर उनका रस चूसने लगा.
झलक भी जैसे पहले से ही इंतजार में थी, वो मेरा पूरा साथ दे रही थी.
धीरे धीरे उसको किस करते हुए मैंने अपनी जीभ से ही उसको अपना मुँह खोलने का इशारा दिया और उसकी जीभ को खींचकर चूसने लगा.
कभी मैं अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल देता जिसे झलक चूसने लगती थी और कभी वो मेरे मुंह में जीभ डाल देती.
काफ़ी देर तक किस करते हुए मैंने एक हाथ से उसकी साड़ी को साइड किया और उसके ब्लाउज के उपर से ही उसके बड़े बड़े चूचों को दबाने लगा जिससे उसके मुँह से आह्ह … की आवाज़ निकली.
मैंने चूचों को तेज तेज दबाना शुरू कर दिया और उसकी सिसकारियां निकलने लगीं.
झलक और ज्यादा तड़पने लगी, वो और ज़ोर से किस करने लगी.
अब मैंने एक हाथ से उसके ब्लाउज़ को खोलने की कोशिश की.
जब ब्लाउज नहीं खुला तो मैंने ज़ोर से पकड़ कर एक ही झटके में फाड़ कर उसको झलक के जिस्म से अलग कर दिया.
मैं उसके दोनों बूब्स को बाहर निकालकर एक को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को दबाने लगा.
उसके बूब्स एकदम टाइट और बहुत ही गोरे थे जिनको देखकर बस खा जाने को दिल कर रहा था.
जैसे जैसे मैं झलक के बूब्स को चूसता जा रहा था उसके मुँह से निकलती आवाज़ें तेज़ होती जा रही थीं.
मैंने एक हाथ को नीचे ले जाकर झलक की साड़ी को खोलकर साइड किया और उसके पेटीकोट का नाड़ा एक ही झटके में खींच कर खोल दिया.
फिर झलक की पैंटी में जैसे ही हाथ डाला तो उसकी चिकनी चूत पर मेरा हाथ लगा.
उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसकी चूत बहुत ही गीली महसूस हो रही थी.
मैंने जैसे ही एक उंगली उसकी चूत में डाली तो पता चला कि उसकी चूत बहुत ज़्यादा कसी हुई है.
झलक के मुँह से एक ज़ोर की आह निकली और उसने मुझे अपने से लपेट लिया.
वो बहुत ज्यादा गर्म होने लगी.
जैसे ही मैं उंगली उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा तो उसकी सांसें बहुत तेज तेज चलने लगीं और उसकी चूचियां ऊपर नीचे होने लगीं.
जब जब मेरी उंगली उसकी चूत में अंदर जाती तो उसकी जांघें फैल जाती थीं.
वो चूत को उठाकर जैसे मेरे पूरे हाथ को ही अंदर लेने की कोशिश करने लगती.
अब उसकी तड़प बढ़ती चली गई और एक समय ऐसा आया कि उसका पूरा बदन कांपने लगा.
उसने मेरी शर्ट को खींच कर खसोटना शुरू कर दिया और उसकी चूत से गर्म गर्म रस का एक फव्वारा फूट पड़ा जिसने मेरे हाथ और उसकी पैंटी को पूरा भिगो दिया.
मैंने अपने हाथ को जीभ से चाट लिया और उसकी चूत के रस का चाटकर स्वाद लिया.
पानी निकलने के बाद वो शांत हो गयी.
उसकी पैंटी पूरी गीली हो गयी थी जिसको उसने अभी भी चूत पर पहन रखा था.
पूरी भीग चुकी पैंटी में उसकी चूत की फांकें अलग से पता लग रही थीं और बहुत रसीली लग रही थीं.
फिर हम कुछ देर शांत होकर एक दूसरे के बदन को सहलाते रहे और गालों को चूमते रहे.
थोड़ी देर बाद मैं फिर से उसके चूचों से खेलने लगा.
वो मुझे किस करने लगी.
मैं उसकी चूत पर हाथ फिराने लगा जो अभी भी गीली थी.
जब वो फिर से गर्म होने लगी तो उसने मुझे बेडरूम में चलने के लिए कहा.
बेडरूम में जाते ही फिर से दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे.
किस करते हुए मैंने उसको बेड पर लिटा दिया.
मैं ऊपर से नीचे की तरफ़ बढ़ने लगा और उसके गले और बूब्स को चूसते हुए उसकी नाभि को चूमते हुए उसकी पैंटी तक पहुंच गया.
मैंने उसकी गीली पैंटी को निकाल दिया और उसकी रसीली चूत को चाटने लगा.
अब मैं उसकी चूत के आस पास चुम्बन करने लगा.
मेरे ऐसा करने से झलक और ज़्यादा तड़पने लगी और मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी.
झलक की हालत ख़राब होने लगी और वो अपने हाथों से मेरे सिर को अपनी चूत पर और कस कर दबाने लगी.
मैं भी अपनी ही मस्ती में उसकी मस्त चूत को चाटने और चूसने में लगा था.
उसकी चूत पूरी नदी की तरह बह रही थी.
झलक की हालत देखने लायक़ थी; उसके बाल बिखरे हुए थे, चेहरे पर पसीना और चेहरा एकदम से लाल हो गया था.
उसकी आँखें बंद थीं और चुदास चेहरे पर साफ झलक रही थी.
बस जैसे जैसे मैं उसकी चूत को चाटने और चूसने में लगा था उसकी बेताबी बढ़ती जा रही थी.
झलक के चूचे एकदम सीधे खड़े थे जैसे दो पहाड़ खड़े हों और उन पर अँगूर के जैसे उसके भूरे निप्पल बहुत ही प्यारे लग रहे थे.
जैसे जैसे झलक की तड़प बढ़ रही थी उसको देख कर लग रहा था कि जल्द ही वो चरम सुख के पास पहुँचने वाली है.
फिर ऐसा ही हुआ, जल्द ही उसका शरीर अकड़ने लगा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया जिसे मैं पूरा पी गया.
अब झलक ने मोर्चा संभाला और मुझे अपने ऊपर खींच लिया. वो मेरे होंठों पर ज़ोर से किस करने लगी.
उसके बाद उसने मुझे साइड में लेट जाने का इशारा किया और ख़ुद मुझे किस करती हुई मेरे सारे कपड़े निकालने लगी.
मुझे नंगा करते हुए आखिर में उसने मेरे अंडरवियर को निकाल कर मेरे लोहे की रॉड की तरह खड़े लंड को अपने हाथ में थाम लिया.
हाथ में लिए हुए ही वो लंड को ऊपर नीचे करने लगी और उस पर किस करने लगी.
उसके बाद अचानक से उसने झुक कर मेरे लंड को पूरा मुंह में समा लिया.
और मेरी आह्ह … निकल गयी.
वो लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.
झलक मेरे लंड को पूरा मुँह में ले लेती और फिर चूसने लगती.
कभी टोपे के ऊपर जीभ फेरने लगती तो कभी पेशाब वाले छेद में जीभ डालने लगती.
उसने थोड़ी ही देर में मेरी हालत ख़राब कर दी.
मेरा शरीर भी अकड़ने लगा तो मैंने झलक को इशारा किया मगर उसने लंड को चूसना बंद नहीं किया.
फिर जल्द ही मेरे लंड ने पिचकारी मारी और उसका सारा मुँह मेरे लंड की मलाई से भर गया.
मेरे लंड के रस की उसने एक बूँद भी बाहर नहीं आने दी. वो उसे अंदर की अंदर पी गयी जैसे कि बहुत दिनों से उसकी प्यासी हो.
उसने मेरे लंड को चाट-चाटकर साफ कर दिया.
अब मैंने झलक को अपनी तरफ़ खींचा और उसके होंठों को किस करने लगा.
थोड़ी देर किस करने से ही लंड झटके मारने लगा.
झलक एक हाथ से लंड को पकड़ कर हिलाने लगी और लंड खड़ा होता देखकर ख़ुश हो गयी.
फिर ज़्यादा देर न करते हुए झलक मेरे लंड के ऊपर आ गयी और लंड को अपनी चूत पर सेट कर लिया.
उसने थोड़ा सा थूक अपने हाथ पर लेकर लंड पर लगाया और धीरे धीरे लंड पर बैठती चली गयी.
जैसे जैसे लंड उसकी चूत में जा रहा था, उसके चेहरे पर दर्द साफ़ नज़र आ रहा था.
झलक पता नहीं कब से लंड के लिए तड़प रही थी तो उसने दर्द को आराम से बर्दाश्त कर लिया.
पूरा लंड चूत में लेकर ही उसने दम लिया.
मैं झलक के नीचे लेटे हुए बस उसके चेहरे को देखता रहा.
झलक चूत में पूरा लंड लेकर मेरे ऊपर झुक कर किस करने लगी और फिर धीरे धीरे अपनी गांड को ऊपर नीचे करने लगी.
मुझे मजा आने लगा.
उसकी मोटी गांड और उसकी गर्म चूत का अहसास मेरे लंड में पूरा कड़कपन ले आया था.
लग रहा था कि लंड फट ही जाएगा आज!
धीरे धीरे उसकी स्पीड तेज होने लगी और दो मिनट बाद वो फ़ुल स्पीड में चुदाई करने लगी.
मैंने भी अपने हाथों को उसकी गांड के नीचे ले जाकर उसकी मदद की और जल्द ही झलक फिर से झड़ने के कगार पर पहुँच गयी.
पांच मिनट तक मेरे लंड की सवारी करने के बाद वो 8-10 झटके मारकर मेरे ऊपर ही ढेर हो गयी, उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
अब बारी मेरी थी.
मैंने झलक की चूत से लंड को बिना बाहर निकाले ही पलटी मारी और ख़ुद मोर्चा संभाला, मैं झलक के ऊपर आ गया.
पहले मैंने झलक की गांड ऊपर उठाकर उसके नीचे एक तकिया लगा दिया.
फिर उसकी दोनों टांगों को उसके सीने तक मोड़ दिया जिससे उसकी चूत ऊपर को उठ गयी.
अब उसे किस करते हुए मैंने फिर से उसकी चुदाई शुरू कर दी.
मैं लंड को पूरा बाहर खींचता और फिर पूरा अंदर तक धक्का लगाता जिससे लंड सीधा उसकी बच्चेदानी को टच करता.
मैं उसको दे धक्के … दे धक्के चोदने लगा. झलक के मुँह से लम्बी लम्बी आह निकलने लगीं.
एक तो उसकी चूत की जड़ में लंड टकरा रहा था जिससे उसको दर्द और मजा दोनों मिल रहे थे.
दूसरा मैं उसकी चूचियां पी रहा था और निप्पलों को दांतों से काट देता था जिससे उसकी चुदास और बढ़ जाती थी.
वो मेरा पूरा साथ दे रही थी, अपनी गांड को हवा में उछाल कर लंड को पूरा अंदर तक ले रही थी.
थोड़ी देर ऐसे ही चुदाई करने के बाद मैंने झलक को घोड़ी बन जाने को कहा और वो झट से घोड़ी बन गयी.
मैंने घोड़ी बनी झलक की चूत को पीछे से ही चाटना शुरू किया और थोड़ी देर चाटने के बाद फिर लंड को उसकी चूत पर सेट करके फिर से चुदाई शुरू कर दी.
मैं उसको अब फ़ुल स्पीड में चोदने लगा और इसी पोजीशन में उसको आधे घंटे तक चोदता रहा.
फिर नहीं पता कि झलक की चूत ने कितनी बार पानी छोड़ा.
जब मुझे लगा कि मेरा होने वाला है तो मैंने झलक को कहा- झलक मैं आ रहा हूं!
तब झलक ने कहा- मेरा भी होने वाला है!
उसने ज़ोर से आह भरते हुए एक झटका लिया और वो ढीली पड़ती चली गयी.
उसकी चूत के रस से मेरा लंड नहा लिया और इतने में ही मेरे लंड ने भी उसकी चूत में पानी छोड़ दिया.
हम दोनों को परमसुख की प्राप्ति हो गई.
झलक ऐसे झुके हुए ही नीचे पसर गयी और उसके ऊपर ही मैं भी पसर गया.
उसके बाद हम कुछ देर लेटे रहे और फिर से चुदाई का राउंड शरू हो गया.
दोस्तो, हमने उस पूरी रात चुदाई की.
अगली सुबह उठकर हमने फिर से मिलने का वादा किया और फिर मैं वहां से आ गया.
मैं कई बार उसको चोद चुका हूं और हमारा ये रिश्ता अभी भी कायम है. हम दोनों बहुत इंजॉय करते हैं.