यह कहानी मेरी पड़ोसन की है, जब मैं गुडगाँव में एक किराए का घर लेकर अपनी जॉब कर रहा था. जब मैं गुडगाँव आया था.. उस वक्त फरवरी का महीना था, जब मैं यहां आया तब यहाँ पर कोई मेरे जान पहचान का नहीं था. इसके कारण मुझे घर लेने की थोड़ी तकलीफ़ हुई. मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि उसका एक दोस्त मेरे लिए रूम अरेंज कर देगा और उसने कर भी दिया.
अब मैं इस कमरे में रहने के लिए आ गया. शुरुआत में मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि उधर, मुझे छोड़ कर बाकी सब किरायेदार फैमिली वाले थे.
खैर जो भी था.. धीरे धीरे सब कुछ ठीक ठाक हो गया. मेरे मकान मालिक बहुत अच्छे थे. मेरा रूम फर्स्ट फ्लोर पर था.
मेरे साइड की कमरे में एक कपल रह रहा था, उनका एक लड़का था. कुछ दिन रहने के बाद उनसे थोड़ी बातचीत बढ़ी, वो लोग भी बहुत अच्छे स्वभाव के थे. मैं उनको भैया भाबी कह कर बुलाने लगा था. भैया का नाम धर्म था और भाबी का नाम रजनी था.
भैया इन्फ़ोसिस में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे और भाबी जी एक अच्छी हाउसवाइफ थीं.
अब मैं घटना क्या हुई थी, उसको बता रहा हूँ. मेरी पड़ोसन जिनको मैं रजनी भाबी कहा करता था, उसकी उम्र लगभग 23-24 साल की थी, वो दिखने में बेहद सुंदर थी. उसका फिगर 36-30-36 का था. मैंने जब उसको पहली बार देखा तो मुझे वो बहुत मस्त लगी. उसका कामुक फिगर देख कर कोई भी उससे प्यार करना चाहेगा. हालांकि पहली नज़र में मुझे उसके प्रति कोई गलत भाव नहीं था
फर्स्ट फ्लोर में सिर्फ़ हम दोनों के रूम होने की कारण हमारा एक दूसरे के घर आना जाना चल रहा था. भैया अपनी जॉब की सिलसिले में ज़्यादातर बिज़ी रहा करते थे. महीने में एक दो बार उन्हें सिटी के बाहर जाना पड़ता था. उनका लड़का चिंटू दिखने में अपनी माँ पे गया था, वो ज़्यादातर मेरे संग खेला करता था. कभी कभी तो दिन में वो मेरे पास ही सो जाता था. मैं उनकी फैमिली के साथ हिल मिल गया था, इस कारण मुझे भी अब अकेला महसूस नहीं होता था.
एक दिन भैया मेरे रूम में आए और मुझसे बात करने लगे- सत्या कैसे हो?
मैंने कहा- ठीक हूँ भैया आप कैसे हैं?
वो बोले- क्या तुम बिज़ी हो?
मैंने कहा- नहीं भैया.. क्या मुझसे कुछ काम था?
उन्होंने कहा- तुम्हारी भाबी को कुछ शौपिंग करनी थी और चिंटू की तबियत थोड़ी खराब है. क्या तुम उनको जरा मार्केट तक ले जाओगे, मुझे थोड़ा काम भी है.
मैंने कहा- ठीक है भैया, मैं चला जाता हूँ.
यह सुनते ही भैया धन्यवाद कह कर चले गए.
फिर मैं बाथरूम जाकर नहा धो कर रेडी होने लगा. मैं बाथरूम से आकर अपना ड्रेस पहन रहा था, तभी भाबी ने आकर मेरे कमरे के दरवाजे को बाहर से धक्का लगाकर खोल दिया. उस वक्त में सिर्फ़ अपना अंडरवियर में था.
भाबी मुझे ऐसे देख कर थोड़ी सी मुस्कुराईं और चली गई.
उस वक्त मुझे भाबी का मुस्कुराना कुछ ठीक नहीं लगा.
दस मिनट के बाद मैं अपना बाइक की चाभी लेकर रूम लॉक करके बाहर आ गया. मैंने देखा भाबी चिंटू को लेकर गेट के पास खड़ी थी.
शाम की वक्त था करीब 6:30 का टाइम हुआ था. मैंने बाइक स्टार्ट करके भाबी को बैठने के लिए कहा. तभी चिंटू ने बाइक पर आगे बैठने के लिए ज़िद की. भाबी ने उसको टंकी के ऊपर बैठा दिया और खुद बाइक के पीछे बैठ गई.
थोड़ी देर बाद जाने के बाद मैंने भाबी से पूछा- भाबी, हम कहाँ जाएँगे?
तब उसने बताया कि पहले डॉक्टर के पास जाएँगे, फिर मार्केट के लिए जाएँगे.
मैं हामी भरता हुआ आगे देख कर बाइक चलाने लगा. पांच मिनट के बाद हम मेन रोड पर आ गए. शाम की समय गुडगाँव की सड़कें काफ़ी भीड़ युक्त रहती हैं. इसके कारण मुझे बार बार ब्रेक लगाना पड़ रहा था. जिस कारण भाबी के बड़े बड़े स्तन मेरी पीठ को टच कर रहे थे.
भाबी के मम्मों की रगड़ मुझे अच्छी लग रही थी. शायद उसको भी अच्छा लग रहा था. भाबी ने अपनी मॉर्डन सोच होने की कारण कुछ भी नहीं कहा.
कुछ देर बाद हम डॉक्टर को चिंटू को दिखा कर मार्केटिंग के लिए चले गए. तभी भाबी को एक फोन आया, भाबी ने कहा- सत्या थोड़ा रुको.. तुम्हारे भैया का फोन है.
मैंने बाइक को साइड में ले लिया. फोन कट करने के बाद भाबी ने कहा कि भैया को कुछ काम के लिए ऑफिस जाना पड़ गया है, वो शायद रात को वहीं पर रहेंगे.
मैंने सहज भाव से कहा- ठीक है.
हम फिर से चलने लगे. थोड़ी देर के बाद हम लोग बिग बाज़ार आ गए.
मैंने उनसे पूछा कि भाबी क्या लेना है?
उसने कहा- क्या भाबी भाबी लगा रखे हो, तुम मुझे मेरे नाम से पुकारो ना, तुम तो मेरी उम्र के हो.
मैंने कहा- भाबी, यह भैया को अच्छा नहीं लगेगा.
उसने मुस्कुराते हुए बोला- फिर भाबी?
मैंने ‘सॉरी..’ कहा और पूछा- रजनी भाबी, क्या लेना है?
फिर उसने कहा- सिर्फ़ रजनी चलेगा.. अभी ज़रा तुम चिंटू को पकड़ो.
चिंटू को भाबी के हाथ से लेते हुए मेरा हाथ उसके बड़े बड़े मम्मों को टच कर गया. लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और मेरे साथ शॉप की तरफ चल पड़े.
कुछ देर बाद हम दोनों एक लेडीज अंडरगारमेंट की दुकान के सामने पहुँच गए.
मैंने भाबी से कहा- भाबी तुम अन्दर जाओ.. मैं यहाँ चिंटू के साथ हूँ.
उसने बोला- क्या मेरी साथ दुकान में जाने में शर्म आती है?
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं.
उसने कहा- तो चलो मेरे साथ.
फिर मैं उसके साथ चल पड़ा. अन्दर जाकर मैंने एक सेल्सगर्ल से कहा- अंडर गारमेंट चाहिए.
उसने मुझसे पूछा कि साइज़ कितना है? मुझे थोड़ा अजीब सा फील हुआ, तभी भाबी ने अपना साइज़ 36 बताया.
यह सुनते ही सेल्स गर्ल ने भाबी से हंसते हुए कहा- भाबी जी क्या भैया को आपकी साइज़ की बारे में पता नहीं.
तभी भाबी और सेल्स गर्ल हंसने लगीं.
मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, इसलिए मैं शॉप के बाहर चला आया. फिर 15 मिनट के बाद रजनी भाबी बाहर आ गईं.
अब तक चिंटू मेरे कंधे पर सो गया था. भाबी ने कुछ और मार्केटिंग की और चलने लगे.
भाबी ने कहा- सत्या, मुझे जोर से भूख लग रही है, चलो चल कर कहीं खाना खाते हैं.
फिर हम दोनों पिज़्ज़ा हट की तरफ चल पड़े. हम दोनों ने वहाँ पर पिज़्ज़ा ऑर्डर किया और कुछ इधर उधर की बातें कर रहे थे. तभी अचानक से भाभी ने मुझसे पूछ लिया- दीनू क्या तुम्हारी कोई जीएफ है?
मैंने मना कर दिया.
उसने आगे पूछा- क्यों? तुम तो इतने हैंडसम हो.. इतने स्ट्रोंग हो, तुम पर तो बहुत सी लड़कियां मरती होंगी. तुम्हारे कॉलेज में भी बहुत सी लड़कियां होंगी?
फिर मैंने कहा- हां बहुत सारी लड़कियाँ हैं लेकिन तुम्हारी जैसी कोई नहीं है.
रजनी ने मुस्कुरा कर कहा- चलो एक काम करते हैं, तुम मुझे अपनी जीएफ बना लो.
मैंने कुछ नहीं कहा, तब उसने फिर से पूछा- क्या मैं तुम्हें पसंद नहीं हूँ?
मैंने कहा- तुम तो बहुत सुंदर हो, तुम्हें तो कोई भी अपनी जीएफ बनाना चाहेगा.
तभी पिज़्ज़ा आ गया.. और हम दोनों बातें करते करते पिज़्ज़ा खाने लगे.
अब रात के 8:45 बज चुके थे. तभी भैया का फोन आया कि उन्हें आज रात की ट्रेन में हैदराबाद जाना पड़ेगा और 4-5 दिन वहाँ रहना पड़ेगा. यह सुनते ही मैं खुश हो गया.
फिर हम गाड़ी निकाल कर वापस चलने लगे. कुछ देर चलने के बाद रजनी ने मुझसे कहा कि एक मेडिसिन शॉप के पास रोक लेना.
मैंने पूछा- क्यों?
भाबी ने कहा कि कुछ दवा लेनी है.
मैंने एक मेडिकल स्टोर के पास बाइक को साइड में लेते हुए रुक गया. तब भाबी ने मुझे एक पर्ची में कुछ लिखके कहा कि ये मेडीसिन ले आओ.
मैं जल्दी से गया और दवा का पैकेट लेकर वापस आ गया. हम फिर घर की तरफ चलने लगे.
रास्ते में रजनी ने पूछा कि तुम उस लेडीज शॉप से बाहर क्यों चले आए थे.
मैंने कहा- वो तुमको मेरी बीवी समझ रही थी.. और मुझे अच्छा नहीं लग रहा था.
भाबी ने हंस कर कहा- अच्छा यही बात थी या कुछ और बात थी?
मैंने कहा- ये भी बात थी और उसने मुझे साइज़ के बारे में पूछा, अब मुझे कैसे पता होगा कि तुम्हारी साइज़ क्या है?
यह सुन कर रजनी हंस पड़ी और बोली- अरे मैंने तो तुम्हें अपना कुछ कभी दिखाया ही नहीं तो तुमको कैसे पता होगा?
अब मुझे लगने लगा कि रजनी की इरादा कुछ और है. अब वो बाइक पर मुझसे कुछ ज्यादा चिपकी हुई थी. उसके दोनों मम्मों को मैं भरपूर महसूस कर रहा था. कुछ देर में हम दोनों घर आ गए.
मैंने रजनी से कहा- तुम चलो.. मैं बाइक रख कर आता हूँ.
फिर मैंने देखा कि वो अपनी बड़े चूतड़ हिलाते हुए ऊपर चली गई. मैं उसको पीछे देख कर हैरान था.. क्या मस्त माल लग रही थी.
अब रात के 9:30 बज चुके थे. मैं जब बाइक लगा कर उसके रूम में गया तो देखा कि लिविंग रूम में कोई नहीं था. फिर मैं रजनी को बुलाते हुए उसके बेडरूम की तरफ चल पड़ा.
तभी उसने मुझे आवाज देकर कहा- में बाथरूम में हूँ.. तुम एक काम करो लिविंग रूम जाके टीवी देखो. तब तक मैं चेंज करके आती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है.
इस बीच मैंने भी मेरे कमरे में जाके चेंज कर लिया. रात को मैं लुंगी पहना करता था.
तभी रजनी की आवाज़ मुझे सुनाई दी- किधर गए?
मैंने कहा- क्या हुआ भाबी?
उसने कहा- ज़रा मुझे तौलिया दे देना, मैं लाना भूल गई.. बेड के ऊपर छोड़ आई हूँ.
मैंने कहा- ठीक है आता हूँ.
मैं उसके बेड रूम के अन्दर गया तो देखा कि बाथरूम का दरवाजा थोड़ा सा खुला था. थोड़ा सा करीब जाकर देखा कि रजनी बिना कपड़ों में नहा रही थी.
मुझे उसके बड़े चूचे साफ दिख रहे थे. वो ऐसी लग रही थी मानो कोई स्वर्ग की अप्सरा नंगी खड़ी हो.
पहली बार मैं किसी लड़की को नंगे बदन में देख रहा था. शायद रजनी ने जानबूझ कर बाथरूम का दरवाजा थोड़ा खुला रखा था.
फिर मैंने पूछा- भाबी तौलिया कहाँ पर है?
उधर से आवाज़ आई- शायद बेड पर पड़ा होगा.. जल्दी से ले आओ.
मैंने बेड से तौलिया उठाया और कहा कि कहाँ पर रख दूँ.
भाबी एक मीठी सी आवाज़ में बोली- यहाँ ले आओ ना.
ये कहते हुए उसने दरवाजे के बाहर हाथ निकाल लिया. फिर मैंने उसे तौलिया देते हुए कहा- रजनी तुम्हारे हाथ कितने गोरे हैं?
वो बोली- हट बेशर्म..
मैं हंसता हुआ लिविंग रूम में आकर टीवी देखने लगा. मेरी नजरों में बार बार भाबी का नंगा शरीर आ रहा था. फिर मुझसे रहा नहीं गया, मैं उधर ही अपनी लुंगी के अन्दर हाथ डाल कर मुठ मारने लगा. अचानक से रजनी लिविंग रूम में आ गई, शायद वो मुझे पीछे से देख रही थी.
उसने मुझसे कहा- एक काम करो.. हम आज रात का डिनर मेरे घर में कर लेंगे. उसकी आवाज सुनकर मैंने जल्दी से अपना हाथ लुंगी से निकाल लिया और कहा- ठीक है.. वैसे भी मैंने आज कुछ बना ही नहीं पाया.
कुछ देर बाद वो एक ब्लैक कलर की नाइटी में आई. उसको देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया. वो उस नाइटी में क्या ग़ज़ब का आइटम दिख रही थी. उसके बड़े बड़े चूचे मानो कपड़े फाड़ कर बाहर आने की कोशिश कर रहे थे. मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया. शायद रजनी ने भी यह नोटिस कर लिया था.
फिर उसने कहा- चलो आओ हम डिनर करते हैं.
मैं मुँह हाथ धोकर आकर डाइनिंग टेबल के करीब आ गया. हम लोग एक साथ खाना खाने लगे. लेकिन उस वक्त मेरी नज़र बार बार उसकी चूचियों की तरफ जा रही थी.
शायद रजनी ने इस बात को नोटिस कर लिया था. उसने पूछा- तुम क्या देख रहे हो?
मेरे मुँह से निकल गया- कुछ नहीं भाबी.
उसने कहा- फिर भाबी?
मैंने कहा- ओह सॉरी रजनी..
फिर हम हंसने लगे. इस दौरान हमारा खाना हो गया था. हम दोनों जाकर हाथ मुँह धोकर टीवी के सामने आकर बैठ गए और टीवी देखने लगे.
तभी चिंटू की रोने की आवाज़ आई. तो उसने मुझसे जाके चिंटू को लाने के लिए कहा. मैं जाके चिंटू को ले आया और रजनी को दे दिया. रजनी ने जल्दी से नाइटी का बेबी फीडिंग हुक खोला और चिंटू को दूध पिलाने लगी. उसके बड़े बड़े चूचे अब मुझे साफ दिखाई दे रहे थे.
ये सब देख कर मुझसे और रहा नहीं गया. मैं जल्द ही उठ कर बाथरूम में चला गया और मुठ मारने लगा. कुछ मिनट के बाद जब मैं वापस आया, तब मैंने देखा कि रजनी सोफे पर सो गई थी. यह देख कर मैं कमरे का मेन डोर लॉक करके उसके बेडरूम में जाकर सो गया.
दिन भर की इतनी थकान के कारण मुझे कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला.
शायद रात के 12:20 हुए होंगे, जब मेरी नींद खुली. मैंने महसूस किया कि मेरे लंड को कोई ने पकड़ा हुआ है. मुझे एक अजीब सा लगने लगा. मैंने आँख खोल कर देखा कि रजनी मेरे लंड को हिला रही थी.
मैं झट से उठ गया और पूछा कि तुम यह क्या कर रही हो?
उसने मुझसे कहा- आज मुझे तेरा लंड चूसना है.. तू ऐसे क्यों पूछ रहा है, जैसे तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है?
मुझे अब रहा नहीं गया और जल्द ही अपनी लुंगी को खींच कर फेंक दिया और उससे कहा- मुझे सब समझ है.. ले मेरी रानी.. जितना लंड चूसना है.. चूसो.. जी भर के चूसो.
मेरे मुँह से यह सुनकर वो और भी पागल हो गई. अब तो वो मानो एक जंगली बिल्ली हो.. मुझ पर झपट पड़ी. दस मिनट तक उसने मेरा लंड चूसा. मेरा 7 इंच का लंड अब लोहे की रॉड की तरह खड़ा ही चुका था.
मेरे मुँह से आअहह की आवाज़ निकल रही थी. वो बीच बीच में मेरा लंड को दाँत से भी काट रही थी?
मुझे और रहा नहीं गया मेरे अन्दर का शैतान अब जाग गया था. मैं जल्दी से उठ कर उसकी चूचियों को दबाने लगा.
आह.. क्या गजब का मजा मिल रहा था. वो कामुक आहें भर रही थी.
उसकी ये आवाज़ पूरे रूम में गूँज़ रही थी उसने अपनी नाइटी को ऊपर करते हुए उतार लिया और कहा- तुझे साइज़ पता नहीं है ना.. ले खुद ही नाप ले.
भाबी ने नाइटी के अन्दर कुछ पहना नहीं था उसकी गोल गोल 36 साइज़ की चूचियों मानो पहाड़ की तरह उठी हुई दिख रही थीं. उसका गोरा नंगी बदन मुझे पागल कर रहा था. मैं एक हाथ से बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों को दबा रहा था, साथ ही दूसरे हाथ से उसकी चुत को मसल रहा था.
वो एक बाजारू रांड की तरह गरम हो गई थी, उसने मुझे अपनी चुत की मलाई चूसने को कहा. मैं बेड से नीचे आ गया और उसकी चुत को देख कर दंग रह गया.
मैंने देखा कि उसकी चुत पर एक भी बाल नहीं था. एकदम चिकनी चमेली बुर थी. हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. अब मेरी जीभ उसकी चुत को फाड़ने की कोशिश कर रही थी. वो भी अपने हाथ से अपनी चूचियों को मसल रही थी.
मैं 15 मिनट तक उसकी चुत को चाटता रहा. इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी और उसके मुँह से ‘अहन.. म्मुहन.. आहह..’ की आवाज़ निकल रही थी.
फिर उसने मुझसे कहा- मेरे राजा अब मुझे मत तरसाओ.. चोद दो मुझे.. फाड़ डालो मेरी चुत को.. आज से मेरी चुत तेरे लंड के नाम कर रही हूँ.
मैंने सोचा कि वो अब चुदवाने के लिए तैयार तो हो ही गई है लेकिन मैं अभी उसके साथ थोड़ा और मस्ती करना चाहता था.
मैंने अपने हाथ की दो उंगलियां उसकी चुत के अन्दर डालने की कोशिश की. गीली और गरम चुत ने मेरी उंगलियों का स्वागत किया.
उसने सीत्कारते हुए बोला- और मत तरसाओ मादरचोद.. अब छोड़ दे मुझे..
उसकी मुँह से गालियां सुनने के बाद मुझमें एक अजब सी उत्तेजना भर गई. फिर मैंने उसे उठाकर डॉगी स्टाइल में होने के लिए कहा. वो जल्द ही पर्फेक्ट पोजीशन में कुतिया बन गई. मैं झट से अपना लंड को उसकी गांड के ऊपर रगड़ने लगा.
वो बोली- गांड बाद में मरवा लूँगी, मेरी जान.. अभी तो चुत के अन्दर डाल दो.
उसने अपने हाथ से मेरा लंड को लेकर अपनी चुत के ऊपर रख दिया. मैंने एक झटके से लंड उसकी चुत में 4 इंच तक घुसा दिया. लंड घुसते ही वो दर्द के मारे चिल्लाने लगी- मार दिया मुझको मादरचोद जल्दी निकाल बाहर.. नहीं तो मैं मर जाऊंगी.
वो दर्द से तड़फते हुए बोल रही थी.
मैंने उसकी एक ना सुनते हुए और एक झटका लगाया तो मेरा पूरा का पूरा 7 इंच का लंड उसकी चुत के अन्दर घुसता चला गया. वो और जोर से चिल्ला पड़ी, उसकी आँख से आंसू टपकने लगे थे. मैं थोड़ा रुक गया. वो भी थोड़ी शांत पड़ी. फिर दो मिनट के बाद मैंने फिर से एक धक्का लगाया तो उसको थोड़ा मज़ा आने लगा.
अब वो भी अपनी गांड उछाल कर मेरा साथ देने लगी. फिर मैंने थोड़ा स्पीड को बढ़ाया तो उसके कंठ से आवाज निकलने लगी- आअहह आअन्न चोद दो.. और तेज चोद दो.
उसकी कामुक आवाजें निकल रही थीं. इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी, उसको मज़ा आने लगा था. मुझे भी जन्नत का सुख मिल रहा था.
कुछ देर उसको ठोकने के बाद मैंने कहा कि मैं झड़ने वाला हूँ.
उसने कहा- आह.. पूछ क्या रहा है.. रस डाल दे अन्दर.. तेरा पूरा रस मेरी चुत का ठंडक देगा.. आह.. अन्दर ही डाल दे.. इसी लिए तो मैंने मेडीसिन मंगवाई थी.
मैंने ये सुनते ही अपनी स्पीड थोड़ी और बढ़ाई और अब मैं बड़े बड़े झटके देने लगा. फिर दो मिनट में ही मैं उसकी चुत में झड़ गया.
वाहह.. लंड का झरना क्या बहा.. आराम मिल गया.
वो थक चुकी थी, मैं भी थक गया था. फिर हम दोनों वैसे ही थोड़ी देर के लिए सो गए.
एक घंटे की बाद मुझे फिर से जोश आ गया और मैं फिर से उसकी मारने को तैयार हो गया. पूरी रात में मैंने उसकी 2 बार चुत और एक बार गांड मारी.
अब हम दोनों को जब भी मौका मिलता है.. हम एक दूसरे का खूब मजा लेते हैं.