नमस्कार दोस्तों! मेरा नाम रवि खन्ना है. उम्मीद है आपने मेरी पहले की कहानियां पढ़ी होंगी और अच्छी भी लगी होंगी. लगती क्यों नहीं, जब कोई दिल से और सच्ची कहानी लिखता है, तो वो पसन्द आती ही हैं.
आप मेरे बारे में पिछली कहानियों में पढ़ चुके होंगे, जिन्होंने नहीं पढ़ा है, उनको बता देता हूं.
मैं रवि, कद 5 फुट 10 इंच का कद, सीना चौड़ा, रंग ऐसा सुहावना, जो लड़कियों को देखते ही पसन्द आ जाता है.
उसके जाने के बाद मेरा दोस्त वापस आया, जो उम्र में मुझसे बड़ा था. दोस्त ने आकर बोला- तू मुझे यहां से भगवाएगा, ये सब गलत है.
उसे मैंने कुछ ख़ास नहीं कहा, बस इतना बोला- भाई मैं तो फिर भी पड़ोसन को ठोक रहा हूँ, तू तो मकान मालिक की लड़की को ही लगभग रोज चोदता है.
मैंने उसे इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा क्योंकि कहीं ना कहीं मैं भी नीरजा को चोदना चाहता था. जब मैं उसे पटा रहा था, तो साथ के साथ हमारे बाजू में अमीषी (बदला हुआ नाम) एक मकान छोड़ कर रहती थी, जिस पर भी मैं ट्राई मार रहा था. किस्मत से 2 दिन पहले ही उसका फ़ोन आया था और हमारी बातें स्टार्ट हुई थीं.
मैंने सोनू को बुला कर नीरजा के लिए मना कर दिया. वो शायद मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी. पर जो होता है सब अच्छे के लिए होता है.
अब मैं आपको अमीषी के बारे में बता देता हूं. वो तब मुश्किल से 19 साल की होगी. वो 12वीं में पढ़ती थी. उसका मदमस्त फिगर 34-32-36 का था. वो देखने में एकदम गोरी थी, जब जींस टॉप पहनती थी, तो बस उसको देखते रहने का मन करता था. ऐसा लगता था कि कहीं ऐसे देखने से भी ये गंदी ना हो जाए, वो इतनी गोरी थी. उसका कद 5’4″ होगा. कुल मिला कर उसे देख कर और उसके बारे में सोच कर मैं पागल हो जाता था कि जब वो मेरे नीचे आएगी, तो क्या हालत होगी उसकी और उसको चोदते टाइम मेरी क्या हालत होगी.
मेरे रूममेट को भी शायद मुझसे ये ही जलन थी कि मेरे पास दोनों एक से बढ़कर एक माल हैं और उसके पास एक ही है, वो भी डेली अलग अलग लंड लेती है. किसी एक खूंटे से उसका मन ही नहीं भरता था.
मैं जाटनी नीरजा के साथ साथ हमसे एक घर छोड़ कर रह रही अमीषी पर भी लाइन मारता था और जब मुझको लगा वो भी मुझमें दिलचस्पी ले रही है, तब मैंने एक कागज में अपना मोबाइल नंबर लिख कर, छोटे पत्थर में उसे लपेट कर उसकी छत पर हिम्मत करके, उस वक्त उसकी छत पर फेंक दिया, जब वो छत पर थी.
मुझे हिम्मत ज्यादा इसलिए भी करनी पड़ी क्योंकि उसका भाई उस गली का दादा था. वो शरीर से हल्का था, पर लोग उससे डरते थे. शायद अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है इसलिए उसका जूता चल रहा था.
अमीषी ने पत्थर देखा तो वे नीचे भाग गई, मैं भी डरा कि अब बुला के लाएगी किसी को.
मैं छुप कर उसे देखने लगा कि किसी को लाई तो भाग सकूँ. कुछ देर बाद वो खुद आई और उसने आसपास देखा और कागज को लेकर नीचे चली गई.
अगले दिन जब मैं कॉलेज मैं था तब उसकी मिस कॉल आई.
मैं तो इसी इंतज़ार में था, मैंने कॉल बैक की. दूसरी तरफ से लड़की की इतनी प्यारी आवाज सुनकर मेरे दिल में लड्डू फूटने लगे. फिर मैंने अपने आपको सम्भाल कर उसे सवाल किया- हां जी कौन?
उसने कहा- मैं अमीषी.
मैंने कहा- कौन अमीषी?
वो बोली- जिसकी छत पर अपने अपना नंबर फैंका था.
मैंने मन ही मन सोचा कि कहीं उसका भाई फ़ोन न करा रहा हो, ये सोच कर मैंने उसको ऐसा फील कराया जैसे उसने नंबर गलत मिलाया हो.
नतीजा ये हुआ कि वो फ़ोन कट करके चली गई.
मैं रूम पर जाते ही छत पर चढ़ा, वो भी स्कूल से आते ही छत पर आई और मुझको वहां पाकर नीचे चली गई.
उसने मुझको कॉल की और कहा- जब मुझको जानते नहीं हो, तो छत पर क्यों आए.
मैंने कहा- आप कौन हैं मैडम, मैं आपको अभी भी नहीं जान पाया?
वो झट से मेरे सामने आई और कहा- अब पहचाना.
मैं हंस कर बोला- हां.
फिर मैंने उसे बताया कि मैंने ये नाटक क्यों किया क्यों तुम्हारे भाई के डर से मैं हर कदम सोच समझ कर उठाना चाहता था.
मेरी इस बात पर वो भी हंस दी और फ़ोन कट करके उसने मुझको एसएमएस किया कि रात को सोना नहीं, मैं कॉल करूंगी.
इतना बता कर वो नीचे चली गई.
रात को उसकी कॉल आई, फोन काट करके मैंने वापस फोन किया. हमारे बीच सब बातें हुईं कि स्कूल कब जाती हो, कब आती हो, कॉल मैं पहले ना करूँ, वो करेगी, छत पर ज्यादा ना जाओ, वो कहेगी, तब आऊं … वो भी उसके स्कूल से आने के बाद आऊं.
इतने नियम तय होने के बाद काफी कुछ मामला सैट हो गया था.
मैंने जिद करके उसे स्कूल छोड़ने के लिए मना लिया, जो उसके घर से 3 किलोमीटर था. वो मार्किट से होते हुए पैदल जाती थी, मैं उसके साथ जाने लगा. जहां कोई नहीं होता, हम हाथ में हाथ डाल कर चलते.
ऐसे ही एक महीना गुजर गया. फिर उसने बताया परसों उसका बर्थडे है.
मैंने पूछा- क्या चहिए?
उसने कपड़े मांगे.
मैंने उसके साथ बाजार जाकर उसको दिला दिए. वो खुश हो गई क्योंकि वो घर से कपड़ों के लिए अपनी माँ से 500 रुपए मांग कर लाई थी और वो भी अंडरगारमेंट्स के लिए लाई थी. मैंने उसे अंडरगारमेंट्स के साथ साथ उसकी पसन्द की जींस और टॉप भी दिला दिया. उसने 3500 के कपड़े लिए, जिसके पैसे मैंने दिए और उसके 500 भी उसको दे दिए. फिर उस दिन के बाद हमारी बातों में सेक्स की मिठास आने लगी.
कुछ दिन बाद मेरा बर्थ डे आया, जो उसको पता था. वो भी कुछ पैसे जोड़कर तैयार थी. उसने मुझको सुबह साथ जाते हुए स्कूल अपने गले लग कर मुझको विश किया और मेरे गाल पर किस की.
वो बोली- दोपहर को मार्किट में मिलना मुझको, मुझे कुछ दिलवाना है आपको.
मैं बोला- क्या?
वो बोली- कपड़े.
मैंने कहा- कितने के?
वो बोली- मेरे पास बस 2000 हैं.
मैंने कहा- कुछ ऐसा करो कि पैसे भी बच जाएं और मेरा बर्थ डे स्पेशल भी हो जाए.
वो बोली- क्या?
मैंने उसको हंस कर आंख मारी. वो शायद समझ गई थी.
फिर मैंने कहा- आज रात को मुझको अपनी छत पर मिलने बुलाओ, तब समझाता हूं.
तब तक उसका स्कूल आ गया, मैं वापस आ गया. स्कूल से आते ही उसने कॉल किया कि आज मुझको स्कूल से लेने क्यों नहीं आए?
मैंने कहा- आज अच्छे से रात को ही मिलेंगे.
बोली- नहीं, आज नहीं.
मैंने कहा- क्यों?
वो बोली- बस 5-10 मिनट के लिए मिलना है, तो ठीक है आज मिल लो और अगर अच्छे से मिलना है, तो कल माँ और भाई किसी रिश्तेदार की शादी में जाएंगे, तब मिल लेना. अब तुम्हारे ऊपर है.
मैंने सोच समझ कर कल के लिए हां कहा. तभी मुझको याद आया तो मैंने उससे पूछा- अमीषी तुम्हारे पापा? वो कहां रहेंगे?
वो बोली- उनको होश ही नहीं रहता, वे दारू में टुन्न रहते हैं, उनकी कोई दिक्कत नहीं है. यदि उनको नींद नहीं आएगी, तो मैंने उनके लिए नींद की टैबलेट ला कर रखी है, वो कल उनको दे दूँगी.
मैं समझ गया कि इसकी चूत में भी खुजली बड़ी जोर की लगी हुई है.
इसके बाद हम दोनों ने कल का इंतज़ार किया और सो गए.
अगले दिन वो स्कूल नहीं गई. नहीं जाने की वजह उसने बताई कि माँ भाई जल्दी चले गए थे, सुबह का उसने ही घर का सारा काम किया. जिस रूम में हम मिलने वाले थे, वो उसके भाई का था, उसको हमारे मिलन के लिए भी सजाना था.
खैर … रात हुई, हम दिन भर बात करते रहे. उसने रात का खाना टाइम से बनाया और अपने पापा को दारू पीने की खुली छूट दे दी, जबकि उसकी माँ ने मना किया था कि ज्यादा मत पीने देना.
अमीषी ने बताया कि उसने खुद ही एक दो तगड़े पैग बना दिए थे ताकि वो पीते रहें, साथ ही अमीषी ने दूसरे पैग में ही 2-3 टैबलेट भी डाल दी थीं, जैसा मैंने उससे कहा था.
आखिर वो टाइम आ ही गया, जिसका शायद हम दोनों को ही बेसब्री से इंतज़ार था.
उसने कॉल किया कि लगभग 11 बजे आ जाना. मैं छत से चढ़ कर उसकी छत पर पहुंचा. अंधेरा कुछ ज्यादा ही था, सर्दियां थीं, तो सब सोए हुए थे.
वो मेरे इंतज़ार में सीढ़ियों पर लाइट जला कर खड़ी थी. उसने इस वक्त ब्लैक जींस और रेड टॉप पहना था … जिसमें वो कयामत लग रही थी. आज ये क़यामत मुझ पर गिरने वाली थी. वो भी मुझको देख कर खुश थी. मैं उसके पास गया और उसे गले से लगा लिया. मैंने टाइटली पकड़ा, उसने भी मुझको जकड़ लिया और मेरे सीने में अपना सर दबा लिया.
मैंने अपने दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ कर अपने चेहरे के सामने किया. उसने अपनी आंखें बंद की हुई थीं. मैंने धीरे से अपने होंठों से उसके नीचे वाले होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच लिया और उसे चूसने लगा.
वो चुप खड़ी रही.
फिर मैंने उसके ऊपर वाले होंठ को किस किया. उसने अब तक अपनी आंखें नहीं खोली थीं. ये हमारा पहला किस था. फिर मैं जोर जोर और जल्दी जल्दी उसे किस करने लगा. शायद मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, इसलिए मैं ऐसा कर रहा था.
मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर उसके दोनों चूतड़ों अपने दोनों हाथों में पकड़ लिए, जो मेरे हाथों में समा चुके थे. उसके इतने छोटे और मुलायम चूतड़ थे कि बस मजा आ गया. मैंने किस करते हुए उनको जोर से दबाया तो उसकी आंखें खुलीं और वो भी मुझको बेसब्र बन कर किस करने लगी.
मैंने उसका टॉप उतारा. उसने ब्लैक आर पार दिखने वाली ब्रा पहनी हुई थी, जो उसके बर्थ डे पर मैंने दिलाई थी. उसमें उसकी चूचियां साफ दिख रही थीं. फिर मैंने अपने घुटनों के बल बैठ कर उसकी जींस के बटन को खोला और धीरे धीरे उसकी जींस उतार दी, जो बड़ी मुश्किल से उतरी. वो भी जब, तब जब अमीषी ने उसे उतारने में मेरा साथ दिया.
उसने पैंटी भी ब्रा के साथ वाली पहनी थी, जिसमें से मुझको उसकी चूत के दर्शन हो चुके थे … क्योंकि मैं उसकी जींस उतारने के लिए नीचे बैठा था.
फिर मैं उठा और उसको किस करने लगा. इस बार वो भी मेरा साथ दे रही थी.
मैंने उसकी ब्रा उतारी. नीबू से थोड़ी बड़ी बड़ी चुचियों को अपने हाथों से सहलाने लगा और दिल ही दिल सोचने लगा कि शायद आज फिर सील तोड़ने का मौका मुझको ऊपर वाले ने दिया है.
दोस्तो, आगे जो हुआ उसकी उम्मीद मुझको भी नहीं थी. तो अगली कहानी के अगले भाग को जरूर पढ़ना. इस भाग पर आपके मेल की प्रतीक्षा रहेगी.
आपका रवि खन्ना
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