यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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हाई फ्रेंड्स! कहानी के आखिरी भाग में आपका स्वागत है! अब तक उसके दोनों हाथ में पाना पकड़ा हुआ था अब उसने एक हाथ का पाना रख दिया और मेरी कमर पर ले आया और धीरे-धीरे कमर और मेरे नंगे हिप्स पर घुमाने लगा.
हम दोनों की नजरें आपस में मिली और दोनों के होंठ आपस में मिलने को आतुर होने लगे. मुझे भी हल्का वाइन का नशा होने लगा.
उसने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपनी ओर खींचा. अब मेरे हाथ से भी पाना छूट चुका था और मेरे दोनों हाथ उसके पीठ पर आ चुके थे मेरे दोनों बूब्स अब उसके सीने में गड़े जा रहे थे. उसने भी अपने दूसरे हाथ का पाना नीचे गिरा दिया और मेरे हिप्स पर अपने दोनों हाथ ले आया और जोर जोर से घुमाने लगा, उसकी उंगलियां मेरी गांड की दरार में, कभी-कभी मेरी गांड के छेद को छेड़ रही थी.
उस नौजवान गबरु इस तरह से यह पहला नारी स्पर्श था और वह भी मेरे जैसी नारी का स्पर्श! उसका लंड पूरे शबाब पर था और मेरी पैन्टी के ऊपर से ही मेरी चूत पर बार बार ठोकर मार रहा था. मैं उसके शरीर पर जैसे लता पेड़ से चिपकती है वैसे चिपक चुकी थी और हमारे होंठों के बीच केवल कुछ सेंटीमीटर का फासला था.
हमने होंठों के फासले को मिटाकर दोनों के होंठ आपस में मिला दिया और एक दूसरे का रस चूसने लगे. वह मेरे होंठों के रस को ऐसे चूसने लगा जैसे एक भंवरा शहद को चूसता है. उसका एक हाथ मेरे बालों को सहलाने लगा और दूसरा हाथ हिप्स पर जोर जोर से घूमने लगा. मैंने भी अपने एक हाथ को उसके गर्दन के ऊपर बालों में घुमाना शुरू कर दिया.
मुझ पर अब सेक्स का जोरदार नशा चढ़ चुका था. मन तो ऐसा किया कि पैन्टी को खड़े खड़े ही नीचे कर दूँ और उसका लंड पकड़ कर यहीं अपनी चूत में डाल कर खड़े खड़े ही चुद जाऊं. लेकिन अब मुझे कोई जल्दी नहीं थी क्योंकि मुझे पता चल चुका था कि आज रात इस गैरेज में ही गुजरने वाली है और वह भी एक हसीन रात, शायद उसका भी यही हाल था इसलिए वह भी मेरे हिप्स को आगे दबाकर अपने लंड का दबाव मेरी चूत पर दे रहा था.
इस ठंडी और बरसात की रात में हम दोनों का यह खेल खुले में चल रहा था. रात की ठंडी ठंडी हवाएं मेरे नंगे कूल्हों से टकरा कर मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी,
मैंने अपने होंठ उसके होंठों से अलग करते हुए उसको अलग करते हुए उसको बड़े ही शरारती ढंग में पूछा- ड्यूटी से फ्री हो गए क्या? तो तुम्हारे लिए भी एक पेग बना दूं!
उसने कहा- हां शालिनी जी, अब तो आज की रात शराब और शवाब दोनों को मजा लेना चाहता हूं. आप जल्दी से मेरे लिए भी एक पैक बना दें.
मैं उसकी गिरफ्त में से आजाद होते हुए अपने नंगे चूतड़ मटकाती हुई कमरे में गई और उसको भी अंगुली से अंदर आने का इशारा किया. मैंने गिलास उठाया और बोतल में से एक पेग उसके लिए भी बनाया और उसको देने लगी.
तो वह बोला- ऐसे नहीं शालिनी जी.
मैं बोली- तो कैसे?
वह मेरे हाथ में से गिलास को लेता हुआ बोला- पहले शराब को अपने होंठों से टच कीजिए और एक घूंट लीजिए.
मैं घूंट लेने के लिए आगे बढ़ी तो उसने गिलास को मेरे होंठों से लगा दिया और मुझे शराब पिलाने लगा. जब मैंने एक घूंट ले लिया तो उसने गिलास मेज पर रख दिया और अचानक मुझे अपनी बांहों में जकड़ कर मेरे होंठों से अपने होंठ मिलाकर चूसने लगा.
पांच सात मिनट होंठों को चूसने के बाद अलग होकर बोला- शराब पीकर ही नशा करना है तो इस से अच्छा है कि आप शराब का घूंट लीजिए और जिन होंठों से आप शराब पी रही हैं, मुझे बस ये होंठ पीने दीजिए, मुझे तो नशा ऐसे ही हो जाएगा.
फिर तीन चार बार उसने ऐसा ही किया, मुझे घूंट पिलाता और तीन-चार मिनट मेरे होंठों को जोरदार चूसता.
अब हम दोनों काफी खुल चुके थे और मुझे पता था कि आज की रात एक बांके गबरु जवान का लंड मेरी चूत का बैंड बजाने वाला है. तो मैं भी अब सेक्स का मजा खुल कर लेना चाहती थी.
मुझे शराब के नशे के साथ साथ सेक्स का भी नशा चढ़ चुका था, मेरे बूब्स तन चुके थे और उनके निप्पल कड़क हो चुके थे. मेरा मन कर रहा था कि वह आगे आकर इनको पकड़कर इनकी जोरदार मालिश कर दे.
उसके तीन चार बार लगातार मेरे होंठों को चूसने से मुझे सेक्स का पूरा नशा चढ़ चुका था और मेरे बूब्स अब ऊपर नीचे होने लगे थे. उसने भी मेरे बूब्स पर नजर गड़ाई और उनको ऊपर नीचे होते हुए देखने लगा और वो बोला- शालिनी जी, मैं दरवाजा और खिड़कियां बंद कर देता हूं.
वह अचानक से बाहर गया और जल्दी से उसने गाड़ी के दरवाजे बंद किए और बोनट को नीचे करके गाड़ी को लॉक किया और अंदर आकर दरवाजे और खिड़कियां बंद करने लगा.
मुझे उसकी उत्सुकता दिखाई दे रही थी कि वह जल्दी से जल्दी मुझे मसलना चाहता है. मैंने भी सेक्स में पूरी तरह खुलना ही बेहतर समझा.
जैसे ही वह मेरे पास आया, मैंने अचानक से पैन्ट के ऊपर से ही उसके लंड को पकड़ लिया. अगले ही पल मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और उन्हें चूसने लगी। शुरूआत में उसे पता ही नहीं चला कि क्या हो रहा है पर मेरे होंठ उसके होंठों पर रगड़ खाते ही वे जोश में आ गया और मेरा साथ देने लगा।
हम दोनों जोश में एक दूसरे को चूमने लगे, मेरा हाथ उसकी पैंट के ऊपर से उसके लंड को जोर जोर से मसलने लगा.
पवन ने मुझे अपने करीब खींचा और मेरी पीठ पर हाथ घुमाने लगा। थोड़ी देर बाद हमने अपने होंठों को अलग किया, हमारी आँखें मिली तो मैंने शर्म से आँखें बंद की और उसके सीने में अपना मुँह छुपा दिया। लेकिन अभी भी मेरा हाथ उसके लंड को मसलने में लगा हुआ था.
“अरे शालिनी जी, शर्मा क्यों रही हो?” मेरी पीठ को सहलाते हुए उसने पूछा।
“प्लीज, मुझे शालिनी जी मत कहो!” मैंने उनके सीने के बालों को सहलाते हुए कहा- मुझे केवल शालू कहो, सब मुझे प्यार से शालू ही बुलाते हैं.
उसने भी मेरी आँखों में आंखे डालते हुए हामी भरी और धीरे से मेरे कान के पास अपना मुंह लेकर धीरे से मेरे कान में कहा- शालू, तुम हो बड़ी चालू!
“सच कहूँ तो तुम्हें देखते ही तुम मुझे पसंद आई थी, जब तुम्हें पहली बार रोड पर कार में लाल सूट में देखा तो तुम्हें चोदने की इच्छा पैदा हो गई थी. जब तुम गीले कपड़े बदल रही थी तब मैंने हल्का सा दरवाजा खुला छोड़ा हुआ था और तुम्हारे स्तन जब तुम सहला रही थी और आंखों को बंद करके आहह … आहहह … करके आहें भर रही थी, तब मुझे पता चला कि तुम भी बहुत प्यासी हो!”
“अच्छा … तो तुमने सब देख लिया था?” मैं उसे बोली।
“हाँ शालू …
मैंने शर्मा कर अपना मुँह अपने हाथों में छुपा लिया।
पवन ने मेरा हाथ मेरे मुँह से हटाते हुए बोले- शालू डार्लिंग … इसमें शर्माना कैसा?
“तो और क्या करूँ … कमबख्त यह शरीर पर बड़ा जालिम है, मेरे पति ने कल रात इस को बहुत जमकर मसला. फिर भी यह मानता ही नहीं और हर समय किसी से लिपटने की चाह रखता रखता चाह रखता रखता है, और नीचे यह निगोड़ी चूत हर वक्त लंड के लिए लपलपाती रहती है.”
“शालू आज तुम्हारी चूत की इस लपलापहट को में मेरे मूसल लौड़े से शांत कर दूंगा और तुम रोज अपनी गाड़ी मेरे गेरेज में ही लाओगी, अपना इंजन मेरे पाने से खुलवाने के लिए!”
मेरे सिर हिलाते ही पवन ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और हम फिर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे।
“शालू … यह सपना तो नहीं है ना, मुझे एक चुटकी काटो न!” वह मेरे होंठों पर से अपने होंठ हटाते हुए बोला।
“मैंने कभी जिंदगी में भी नहीं सोचा था कि कोई इस तरह अपना इंजन मेरे पेचकस से खुलवाएगी. आज मैं तुम्हारे इंजन में अपना ऑयल डालकर इसको एकदम नया बना दूंगा, आज के बाद तुम्हारा इंजन बहुत ज्यादा एवरेज देगा.”
“पवन यह सच है … रुको, अभी यकीन हो जाएगा!” कहकर मैंने उसकी पैंट के अंदर खड़े लंड पर होंठ रखे तो पवन सिसकार उठा।
“आह … शालू, ये क्या कर रही हो?”
“तुमको यकीन दिला रही हूँ, तुम्हारा यह लंड खाकर!” कहते हुए मैंने उनके लंड को जोर से काटा तो पवन चिल्ला उठा।
“शालू … इतना अच्छा लगा तुमको मेरा लंड?”
“हाँ पवन, तुम्हारा लंड तुम्हारे लाये हुए पाने और पेचकस से भी बड़ा है, गेरेज में जब तुमने मेरी गांड पर अपना लंड रगड़ा था, तभी मुझे अंदाज हो गया था.
“अब मैं भी तुम्हें एक राज की बात बताना चाहती हूं, जब तुम मेरी गाड़ी सही करके बाथरूम में जाकर मेरे नाम की मुठ मार रहे थे, और मुठ मारने के लिए जब तुमने हाथ में लंड को पकड़ा तभी मुझे नाप का पक्का यकीन हो गया, जब से लंड को पहली बार रोशनी में देखा तो मैं उसकी दीवानी हो गयी हूँ.” मैं उसके लंड को पैंट के ऊपर से सहलाते हुए बोली।
“इतना अच्छा लगता है तो खाओ ना मेरा लंड!” पवन आँखें बंद रखते हुए बोला।
मैंने आगे बढ़ते हुए उसकी पैंट के हुक खोले और उसकी अन्डरवियर में अपनी उंगलियाँ घुसाई तो उसने भी अपनी गांड को उठाकर मेरी मदद की फिर उसने ही अपनी पैंट पैरों से निकाल दी। मेरी नजर उसके अंडरवियर में बने तम्बू पर ही अटकी हुई थी। अपने सूखे हुए होंठों पर जीभ घुमाते हुए मैं उसके लंड को उसकी अंडरवियर के ऊपर से ही काटने लगी, उसको इस तरह से तड़पाने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था।
बहुत समय बाद मुझे एक नया लंड मिला था और वह भी दमदार लंड।
फिर मैंने अपनी उंगलियाँ उसके अंडरवियर में फंसाकर उसको उसके बदन से अलग कर दिया. अब मेरे सामने उसका नंगा काला विकराल लंड था। पहली बार उसका लंड इतने पास से देख रही थी, देख कर ही मेरी चुत में पानी आने लगा। उसके लंड की सुपारी रोशनी में चमक रही थी और नीचे गोटियाँ वीर्य से भरी हुई थी।
मैंने नीचे झुक कर उनकी गोटियों को किस किया तो पवन सिसकार उठा- क्या देख रही हो शालू रानी?
पवन ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा।
“तुम्हारे लंड को देख रही हूँ पवन!” मैं होंठों पर जबान फिरते हुए बोली।
“पसंद आया मेरा मोटा काला लंड?” उसने मुझे पूछा।
“हाँ पवन बहुत मोटा है तुम्हारा लंड, और नीचे ये वीर्य की टंकियाँ फुल भरी हुई हैं।” कहकर मैं उसके लंड को हाथ में लेकर उस पर मुठ मारने लगी।
पवन ने भी जोश में आते हुए अपना हाथ मेरी शर्ट उठा कर अंदर डाल कर मेरी पेंटी पर रखा, फिर अपना हाथ पेंटी के अंदर डालते हुए मेरी चूत के छिद्र पर उंगलियां घुमाने लगा।
“उम्म्ह… अहह… हय… याह… पवन… मेरी चूत … ओहह!” मेरी सिसकारी निकल गयी।
“शालू जी, आपकी चूत तो पहले से ही पानी छोड़ कर गीली हो चुकी है.” पवन मुझे चूमकर बोला।
“तुम्हारा लंड देखकर मेरी चूत पानी बहा रही है, अब फटाफट मेरी चुत में अपना लंड घुसा दो पवन!” मैं कामवासना से आतुर होती हुई बोली।
पवन एकदम खड़ा हुआ, मेरी टीशर्ट को मेरी पेट के ऊपर तक सरका दिया और मेरी पेंटी को जोर से खींचकर फाड़ दिया।
पेंटी खींचने से परी कमर पर रगड़ लगी और मेरी चीख निकल गयी पर मैं पवन के हाथ की ताकत की दीवानी हो गयी.
तभी पवन बोला- अब चूत की लपलपाहट मिटाने के लिए तैयार हो जाओ मेरी शालू रानी।
मैं कुछ बोल नहीं पाई बस जवाब में थोड़ा मुस्कुरा दी, अब तो मेरी चूत भी लंड मांग रही थी।
पवन मुझे अपनी गोद में उठाया और बेड पर ले जाकर लिटा दिया और वो मेरी टांगों के बीच में आ गया. मेरी चूत पानी पानी हो रही थी, डर भी लग रहा था कि कहीं कोई और इस गेरेज में ना आ जाए और हमे देख ना ले.
उसने एक बार अपने लंड को हाथ में पकड़ कर सहलाया फिर अपने लंड के अग्र भाग को मेरी चूत की दरार पर रखा तो मेरे पूरे तनबदन में सरसराहट दौड़ गई। उसने मेरी चुत के लबों पर लंड का सुपारा रगड़ा तो मेरी चुत से निकले रस से वो गीला हो गया। और वो अपना मोटा काला लंड मेरी चूत पर जोर जोर से घिसने लगा।
वैसे मेरे पति का लंड भी शानदार है पर वे काम की वजह से मुझे ज्यादा वक्त ही नहीं दे पाते। जब भी मुझे लंड की जरूरत महसूस होती तो वे अपने काम से बाहर ही होते हैं और मैं बेचारी अपनी चूत में उंगली डाल कर लंड को याद करती रहती।
कल रात में भी लगभग दस दिन बाद चुदाई हुई थी हम दोनों के बीच।
मेरी चूत की लपलपाहट बंद करवाने के लिए की पवन ने लंड को चूत पर टिका कर एक जोरदार धक्का लगा दिया और लंड चूत को लगभग चीरता हुआ अंदर घुसता चला गया और मेरे मुँह से एक जोरदार चीख निकल गई।
अभी पहले धक्के का दर्द खत्म भी नहीं हुआ था कि पवन ने दो तीन धक्के एक साथ लगा दिए और मैं दर्द से दोहरी हो गई। सच में बहुत खतरनाक लंड था पवन का! पूरा का पूरा लंड अब मेरी नाजुक सी चूत में था. तभी पवन ने अपना लगभग पूरा लंड बाहर खींचा और फिर एक जोर के धक्के से दोबारा मेरी गीली चूत में ठोक दिया। आनन्द और दर्द के मिले-जुले अहसास से मेरी चीख निकल पड़ी।
अब पवन ने धीरे-धीरे अपने लंड से मेरी चूत में धक्के लगाने लगा और फिर पूरे जोश से मेरी फुद्दी को चोदने लगा। उसका लंड मेरे गर्भाशय तक छू रहा था. मैं खुद को रोक नहीं पाई और जोर जोर से चीखने लगी- प्लीज पवन मुझे जोर जोर से चोदो … और जोर से चोदो … ओह्ह फ़क … या ओह्ह गॉड मार डाला रे… हाये हरामी ये क्या कर डाला… आज तो में एक गेरेज वाले से चुद गई अहह. मुझे पूरी रगड़ कर चोद … ये चूत की जलन मुझे बहुत तंग करती है अपना पेचकस मेरी गांड और चूत में घुसा घुसा कर मार दे मुझे!
पवन अब और जोश में आकर मुझे चोद रहा था मैं तो अब खुद ही चाह रही थी कि पवन जोर जोर से धक्के लगा कर फाड़ डाले मेरी चूत को। सच में बहुत मस्त चुदाई हो रही थी मेरी। इतना सख्त लंड पहली बार मेरी चूत में था।
लंड ने मेरी चूत को अपने हिसाब से खोल दिया था, अब मुझे चुदाई में तकलीफ नहीं हो रही थी. मैं अब मस्त होकर चिल्ला रही थी- आह्ह्ह पवन और जोर से यार … फाड़ दे आज मेरी चूत को … तूने तो मेरी सच में चूत की गर्मी ठंडी दी मेरे यार!
मैं आनन्द से ना जाने क्या क्या बड़बड़ाये जा रही थी। पवन चुपचाप मेरी चूत का चौराहा बनाने में लगा था। दिसम्बर की सर्दी में भी पवन के माथे पर पसीना दिख रहा था। काफी देर से वो मुझे चोद रहा था। मोटे लंडे लंड से मस्त झटके खाने के बाद अब मेरी चूत रज छोड़ने वाली थी। और मैं खुद को रोक नहीं पाई और मेरी चूत झड़ने लगी, पानी भर जाने से मेरी चूत अब लंड के अंदर बाहर होने पर फच फच की आवाज करने लगी।
पवन अब भी पूरे दमखम से मेरा चूत चोदन कर रहा था। पूरे कमरे में मेरी और पवन की वासनामयी आवाजें गूंज रही थी।
एक बार झड़ने के बाद मेरा शरीर कुछ पल के लिए ढीला पड़ा पर पवन की जोरदार चुदाई ने मुझे फिर उत्तेजित कर दिया और मैं अपने कूल्हे उठा उठा कर एक अनजान गैर मर्द का पूरा लंड अपनी चूत में लेने लगी।
कुछ देर बाद पवन ने मुझे कुतिया बनाया और पीछे से अपना लंड मेरी चूत में घुसाया. उसने फिर से अपने जिस्म के पूरे दम से मेरी चूत की चुदाई शुरू कर दी और फिर पूरे दस मिनट तक उसने मुझे चोदा। मैं एक बार फिर से झड़ गई इस दौरान।
अब पवन का जिस्म अकड़ने लगा और तभी पवन के लंड ने गर्मागर्म मलाई की पिचकारी मेरी चूत में मार दी। पवन ने अपना ढेर सारा गर्म वीर्य मेरी प्यासी चूत में भर दिया।
इस चुदाई से मुझे जो सुख मिला वो अवर्णनीय है. सर्दियों की बारिश में सुनसान जगह पर दिन ढलने के बाद किसी अनजान नवयुवक से चोदन … आह सोच कर ही चूत एक बार झड़ जाती है.
कुछ ही देर बाद पवन फिर से मेरे नंगे जिस्म को चूमने-चाटने लगा. मैंने देखा कि पवन का लंड अब फिर खड़ा होकर झटके मार रहा था। उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखवा दिया. मैं उसे सहलाने लगी. थोड़ी देर बाद उसने मेरी चूत को पौंछा और फिर से अपना लंड मेरी कसकती चूत में घुसेड़ दिया। मैं चुदती रही और पवन मुझे चोदता रहा। फिर तो सारी रात मेरे इंजन में उसका ऑयल भरता रहा।
सुबह मैं जल्दी उठ गई. तब तक पवन सो रहा था, रजाई में घुसा हुआ था. मैंने रजाई हटाई तो उसका लंड पूरा अकड़ा हुआ था, मेरी भी नियत दुबारा से खराब हो गई और मैंने जैसे ही उसके लंड को टच किया तो पवन ने एकदम मुझे दबोच लिया और अपने नीचे ले लिया और सुबह सुबह एक बार और अपने लंड की सवारी मुझे करवा दी.
चुदाई ख़त्म करके मैंने उसको गाड़ी की रिपेयर करने को कहा तो वो बोला- गाड़ी तो ठीक है. कार्बूरेटर में थोड़ा कचरा था जो मैंने पहले ही साफ़ कर दिया था. बाकी सब तो ड्रामा था.
मैं पवन की चतुराई पर मुस्कुरा उठी. मैंने उसका मेहनताना दो हजार रूपये पकड़ाये तो उसने पैसे वापस मेरे बूब्स के बीच में डाल दिये और बोला- कीमत मैंने रात में ही वसूल कर ली.
और मेरे बूब्स को जोर से मसल दिया अपने हाथों से!
मैंने अपने बैग से दूसरे कपड़े निकाल कर पहने और कार स्टार्ट करके उससे विदा ले अपने मायके को निकल गई और शादी में बिजी हो गई.
आपको मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताना!
मेरी मेल आईडी और हैंगआउट आईडी तो याद है ना [email protected]
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