अन्तर्वासना के सभी पाठकों को आपकी अपनी रंडी शाहीन शेख का सलाम.
अब जब मैं पेशेवर रंडी का काम कमीने कर रही हूँ, तो खुद को रंडी कहने में कहने में कैसी शर्म.
हां मैं रंडी हूँ, गश्ती हूँ, वेश्या हूँ. पैसे देकर लोग सेक्सी रंडी की चुदाई करते हैं, मैं अपनी चूत चुदवाती हूँ. अपने ग्राहकों को अपनी भोसड़ी चोदने देती हूँ. यही मेरा काम है और इस काम में मुझे खूब मज़ा आ रहा है.
बेशक मेरे पति को इस बात का शक हो चुका है कि मैं उनकी गैर हाजिरी में कोई गलत काम करती हूँ. और वो एक दो बारे मुझे इस बात का ताना भी मार चुके हैं.
मुझे भी लगता है कि किसी न किसी दिन मैं पकड़ी भी जाऊंगी. मगर मुझे कोई परवाह नहीं.
पकड़ी गई तो क्या होगा? ज़्यादा से ज़्यादा वो मुझे तलाक दे देगा.
तो दे दे और मां चुदाए अपनी.
मेरे लिंक्स अब बहुत से लोगों से बन चुके हैं. बहुत सी लड़कियां हैं, जो मेरे अंडर काम करती हैं. अगर मेरे शौहर ने मुझे छोड़ भी दिया तो कोई बात नहीं मैं अपना खुद का बिज़नेस चला लूंगी. मतलब तो समझ गए न … मेरी भोसड़ी पसंद करने वालों … मैं अपना खुद का रंडीखाना खोल लूंगी.
पर एक बात आप भी सोच रहे होंगे कि मेरे शौहर तो अक्सर बिज़नेस के सिलसिले में घर से बाहर रहते हैं, फिर उन्हें शक कैसे हुआ कि मैं कोई गलत काम कर रही हूँ. ये सवाल मेरे दिमाग में भी आया था, मगर इसका जवाब भी मुझे खुद ब खुद ही मिल गया.
कैसे?
लीजिये आप भी सेक्सी रंडी की चुदाई कहानी पढ़िए और मेरे नाम से अपना लंड हिलाइए.
अगर नहीं हिलाना हो, तो मेरी ईमेल आईडी पर अपने मैसेज भेजिए और मेरे गोरे गदराए हुए जिस्म का लुत्फ उठाइए.
तो हुआ यूं कि मिस्टर शाहनवाज़ मेरे एक पुराने कस्टमर थे. उनकी बीवी का तीन साल पहले इंतकाल हो चुका था और उन्होंने दूसरी शादी नहीं की थी. खास बात ये थी कि वो मुझे शाहीन की जगह शाही कह कर बुलाते थे. और मैं भी उनको शाहनवाज़ से शाही कह कर बुलाती थी.
वो मेरे रेगुलर ग्राहक थे.
वरना आम तौर पर तो लोग सोचते हैं कि गश्ती की चुत एक बार मार ली, अगली बार किसी और गश्ती की लेंगे.
मगर कुछ लोग और तरह से सोचते हैं कि अगर कोई गश्ती पसंद आ गई, तो वे उसके साथ दोस्ती कर लेते हैं और पूरी तरह से उसके साथ प्यार मोहब्बत के मज़े लेते हैं.
अब शाही सर अक्सर मुझे बुलाते और चुदाई का मजा लेते.
जब हम दोनों की दोस्ती और गहरी हुई, तो मैं भी उन्हें अपने घर ही बुला लेती. शाम को आते, हम दोनों मिल कर खाना बनाते, क्योंकि शाही सर खाना बहुत अच्छा बनाते हैं. वेज, नॉनवेज कुछ भी हो, इतना लज़ीज़ खाना पकाते हैं कि अगर आप खाओगे, तो उंगलियां चाटने पर मजबूर हो जाओ.
एक और आदत शाही सर की है, जब भी मेरे घर आते हैं, तो पहला काम ये होता है कि हम दोनों में से कोई भी कपड़े नहीं पहनेगा. जितना वक्त वो मेरे साथ रहते हैं, हम दोनों अल्फ नंगे रहते हैं.
यहां तक कि अगर कोई लेट्रिन या बाथरूम में भी जाएगा, तो दरवाजे बंद नहीं करेगा. ताकि अगर कोई चाहे तो अपने पार्टनर को हगते मूतते हुए भी देख सके और साथ में नहाना तो लाजिमी है.
बिना मेरे साथ नहाए वो कभी नहीं गए. जब इस हद तक एक दूसरे से प्यार हो, तो क्या कहना.
मैं अक्सर उनसे और वो मुझसे अपने घर परिवार की बातें करते हैं. उनकी एक बेटी है, जो कॉलेज में पढ़ती है और बेटा है जो स्कूल में पढ़ता है. दोनों बच्चे इनके साथ ही रहते हैं. एक दो बार मैं भी शाही सर के बच्चों से मिली हूँ. मैं शाही सर की दोस्त के हैसियत से बच्चों से मिली थी.
खैर … एक बार हुआ ये कि शाही सर ने मुझे बताया कि उनके सर्कल में उनके कुछ खास दोस्त हैं, जो एक दिन कह रहे थे कि यार किसी दिन ऐसा प्रोग्राम बनाओ कि सभी यार दोस्त ग्रुप में सेक्स करें.
चाहे तो अपनी अपनी बीवियों को वाइफ स्वैपिंग के लिए मना लो. या फिर कहीं और प्रोग्राम बनाओ, जिसमें सारी औरतें बाहर की हों.
मगर सेक्स एक साथ ही करना है और सबके सामने करना है.
इस बात पर काफी सोच विचार के बाद इस बात पर सहमति बनी कि दोस्त तो सभी छह के छह ही होंगे, मगर औरत एक ही होगी.
उन्होंने कई प्रोफेशनल औरतों से इस बारे में बात की. मगर छह बंदों की बात सुन कर हर रंडी बिदक जाती थी.
एक साथ छह मर्दों से चुदवाना कोई छोटी बात नहीं है … कोई खाला जी बाड़ा तो है नहीं कि सबके लंड ले लिए जाएं.
जब भी मर्द बाहर मुँह मारने जाते हैं, तो कुछ ने कुछ ऐसा इंतजाम करके जाते हैं कि जल्दी जल्दी उनका माल ना झड़े. वो तो लंबी चुदाई का मज़ा लेते हैं, मगर गश्ती की तो चूत का बाजा बजा देते हैं.
काफी सोच विचार के बाद शाही सर ने मुझसे पूछा कि क्या मैं ये काम कर सकती हूँ.
वैसे तो मेरे लिए भी यह एक नया तजुर्बा था.
मैंने हां करते हुए सिर्फ एक शर्त रखी कि सेक्स तो मैं सभी से करूंगी, मगर बस लाईन बना कर मत आना, मुझे भी हर सेक्स के बाद थोड़ा रेस्ट चाहिए.
शाही सर ने मेरी ख़्वाहिश अपने दोस्तों को बताई. तो सबने मान लिया.
अब मुद्दा आया कि ये सब लुच्चपना किया कहां जाए?
होटल में या किसी के घर में.
अपने घर में कोई भी ये करना नहीं चाहता था. होटल में सबको डर लगता था कि कहीं बुरी किस्मत से छापा पड़ गया, तो सबकी वाट लग जाएगी और घर समाज में बदनामी होगी वो अलग.
मैंने शाही सर को मशवरा दिया कि अगर वो सभी चाहें, तो मेरे घर आ सकते हैं. अभी तो मेरे शौहर घर पर ही हैं, मगर बहुत जल्द वो अपने बिज़नेस टूर पर विदेश जाने वाले हैं. उनके जाने के बाद मैं घर में अकेली ही होती हूँ. फिर तो चाहे हम दो तीन दिन लगातार ज़िंदगी का ये लुत्फ उठा सकते हैं.
मेरा घर वैसे तो शाही सर ने देखा था, उनके बाकी दोस्तों ने नहीं.
मगर शाही सर के कहने पर सब मान गए.
फिर जिस दिन मेरे शौहर ने फ़्लाइट पकड़ी, उसके अगले ही दिन का हमने प्रोग्राम फिक्स कर लिया. समय रखा, दिन के बारह बजे. क्योंकि तक तक मेरी काम वाली बाई भी आकर अपना काम करके चली जाती है. उस दिन शाही सर सुबह ही मेरे घर आ गए और उन्होंने मेरे साथ मिल कर खाने पीने का सारा इंतजाम किया.
अपनी आदत के अनुसार हम दोनों नंगे ही थे. उनकी तो आदत है, घर में घुसते ही सबसे पहले अपने और मेरे कपड़े उतरवाते हैं.
मैं भी नंगी थी, मेरी नाईटी बाहर हाल में सोफ़े पर रखी थी और एक गाउन शाही सर के लिए भी था कि अगर कोई आ गया तो पहन सकें.
वैसे ज़्यादा चांस तो काम वाली बाई के ही आने के थे, तो हम दोनों अपने अपने गाउन और नाईटी पहन लेंगे और उसके जाते ही, हम फिर से नंगे हो जाएंगे.
सुबह से किचन में मैंने और शाही सर ने कई सारी चीज़ें पकाईं. मैंने 10 बजे के करीब अपनी बाई को फोन करके पूछा कि वो क्यों नहीं आई, तो वो बोली कि उसको कोई काम है, आज वो नहीं आएगी.
इसके बाद हम दोनों निश्चिंत हो गए कि अब तो किसी ने भी नहीं आना, चलो खूब खुल कर मस्ती होगी.
दिन में 12 बजे के करीब तय समय पर शाही सर के दोस्त आ गए. जब दरवाजे की घंटी बजी, तो मैंने पहले नाईटी पहनी और और शाही सर ने अपना गाउन पहन लिया. मैंने ही दरवाजा खोला.
हैलो हैलो करते सब अन्दर आ गए. सब की उम्र 45-50 के करीब ही रही होगी. अब शाही सर के दोस्त उनकी ही उम्र के ही होंगे. सबको हॉल में बैठाया गया. शाही सर भी आकर उनके साथ बैठ गए.
उनके एक दोस्त ने चुटकी ली- अरे शाहनवाज़ तुम तो पहले से ही मूड में लग रहे हो. कहीं हमारे आने से पहले ही तो सारा मामला निबटा तो नहीं दिया. वरना पता चले कि हम सबका नंबर ही कट गया.
मैं हंसती हुई उन सबके लिए ड्रिंक्स लेने किचन में चली गई.
शाही सर अपने उस दोस्त से बोले- अरे नहीं यार, अकेला नहीं … सब मिल बांट कर ही खाएंगे. हां शाहीन मेरी बड़ी पुरानी दोस्त है, तो मैं इसकी हेल्प के लिए पहले ही आ गया. आप सबके लिए हम दोनों ने सुबह से लग कर बहुत कुछ लज़ीज़ चीज़ें पकाई हैं.
दूसरा दोस्त बोला- कौन सी खिचड़ी पकाई है आप दोनों ने … हमें भी तो पता चले.
सब हंस पड़े.
इतने में मैं ट्रे में गिलास रखे सबको कोल्ड ड्रिंक देने लगी. जिसको भी कोल्ड ड्रिंक देती, वो मेरी नाईटी के गहरे गले के अन्दर मेरे झूलते मम्मों को बड़ी हसरत से देखता.
एक ने पूछा- अरे शाहनवाज़, हमने तो सोचा था कि हम सबकी दोस्त होगी. मगर ये तो आपकी दोस्त है. मतलब हम मोहतरमा को छूकर देखना चाहें, तो ये आपकी दोस्त कोई ऐतराज तो नहीं करेंगी.
शाही सर ने कहा- अरे नहीं, शाहीन बड़ी दिलदार औरत हैं … ये सिर्फ मेरी नहीं, आज हम सबकी दोस्त हैं. आप बेतकल्लुफ़ होकर इन्हें छूकर देख सकते हो.
शाही सर ने कहा और अगले बंदे को मैंने जैसे कोल्ड ड्रिंक सर्व की, उसने बड़े इत्मीनान से मेरी नाईटी के गले के अन्दर देखा, फिर मुझसे नज़रें मिलाईं और फिर गिलास उठाते उठाते एक हाथ से मेरे एक मम्मा भी पकड़ कर दबा दिया. उसने मम्मा क्या दबाया, फिर तो सबने मेरे मम्मे और गांड को सहला कर देखा.
शाही सर बोले- अरे हवस के भूखों, ये कहीं नहीं भागी जा रही … ये यहीं है, हमारे पास ही रहने वाली है. आज सारा दिन और सारी रात हमारी सेवा के लिए है. जितना जी चाहे, उतना छू छू कर देख लेना.
मगर सबकी आंखों में मेरे लिए एक अजब से भूख दिख रही थी. ड्रिंक्स देने के बाद मैं भी उनके बीच में ही बैठ गई.
सब मुझसे अपने अपने ढंग से बात करके दोस्ताना हो रहे थे, बातों में हंसी मज़ाक, चुटकुले चल रहे थे. सब मुझे हंसा हंसा कर खुश करना चाहते थे ताकि मैं भी उनको अच्छे से खुश करूं.
कुछ देर की बातों के बाद शराब का दौर शुरू हो गया. पहले तो सबने एक एक पैग लगाया, मैंने भी लगाया.
फिर दूसरे पैग पीते हुए एक ने आइडिया दिया- यार यूं ढके ढके से रह कर शराब पीने में कोई मज़ा नहीं है, क्यों न खुल्लम खुल्ला होकर शराब पी जाए.
उसका आइडिया सबको पसंद आया. मगर उसके लिए एक बगल वाला कमरा चुना गया क्योंकि वहां पर फर्श पर सिर्फ एक कालीन बिछा था.
बस उसके बाद सबने अपने अपने कपड़े उतारे और मुझे भी नंगी कर दिया. सब अपना अपना गिलास और खाने का सामान उठाया और उस कमरे की ओर चल दिए.
कपड़े सबने ड्राइंग रूम में ही छोड़ दिए. अब किसने आना था और जो भी आता, वो पहले बेल बजाता. बस एक कामवाली शमा ही थी जिसके पास घर की चाभी रहती थी, सो उसने आने से मना ही कर दिया था.
हम सब पूरी तरह नंग धड़ंग होकर पीछे वाले कमरे में बैठे शराब और कवाब के मज़े ले रहे थे.
एक साहब बोले- अरे मैंने एक किताब पढ़ी थी, महाराजा. उसमें लिखा था कि राजा महाराजा लोग, एक औरत को बीच में खड़ा कर लेते और फिर उसके सर पर शराब उड़ेलते और जब शराब उसके बदन से होकर नीचे को बहती, तो सब अपना अपना मुँह लगा कर शराब पीते.
सबने इस बात की तारीफ की और मुझे एक बड़ा सा बर्तन लाने को कहा, जिसमें मैं खड़ी हो सकूं. मैं किचन से एक बड़ा टब ले आई और उसके बीच में खड़ी हो गई. तब किसी ने मेरे सर पर शराब का एक गिलास धीरे धीरे से उड़ेला और जैसे ही शराब मेरे सर से होकर नीचे को बही, किसी ने मेरी गर्दन पर किसी ने मम्मों पर, किसी ने कमर पर किसी ने चूत पर और किसी ने मेरी जांघों पर मुँह लगा लिया … और जिसको जहां से पीने को मिली, वहां से मेरे बदन को चूस चूस कर शराब पी.
मगर उनके इस तरह से मेरे बदन को चूसने से मुझे बहुत गुदगुदी हुई. छह मदमस्त और नंगे मर्दों के बीच में मैं एक अकेली रांड उन सबको अपने जिस्म के जादू से बांधे हुई थी. सबके सब मुझे कभी यहां से, तो कभी वहां से चाट कर चूस कर शराब का मज़ा ले रहे थे.
तभी अचानक मेरी निगाह बाहर दरवाजे पर गई. मैंने देखा, वहां मेरी काम वाली बाई शमा खड़ी खड़ी ये सब कुछ देख रही थी.
उसे देख कर मैं तो एकदम से घबरा गई. मैंने कहा- शमा तू कब आई?
तो सभी मर्द मुझे छोड़ कर शमा की तरफ देखने लगे.
शमा को भी लगा कि शायद वो गलत वक्त और गलत जगह पर आ गई है. वो एकदम से बाहर की तरफ भागी.
तो शाही सर बिजली की तेज़ी से दौड़ कर गए और उन्होंने आगे जा कर दरवाजा बंद कर दिया. शमा घिर गई. हम सब भी उसके पास आ गए.
शमा गिड़गिड़ाने लगी- छोड़ दो साहब. जाने दो मुझे. मुझे माफ कर दो, मैंने कुछ नहीं देखा. मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी. आपको कसम है, अगर किसी ने मुझे हाथ लगाया.
मगर शाही सर बोले- देखो देखो शमा … घबराओ नहीं, इधर आओ बैठो.
उन्होंने शमा को एक कुर्सी पर बैठाया और बोले- देखो हम यहां सब मज़े करने आए हैं … और शाहीन हमारी बहुत अच्छी दोस्त है. इसके साथ हम अक्सर मज़े करते हैं और ये सब फ्री में नहीं होता. हम तुम्हारी मेम साहब को पैसे देते हैं.
ये कहते हुए शाही सर ने अपनी पेंट की जेब से 2000 के 5-6 नोट निकाल कर शमा के सामने टेबल पर रखे और बोले- आज सिर्फ एक दिन में ये मैडम 60000/- रुपये कमा लेगी … वो भी सिर्फ आज शाम तक.
शाही सर ने बड़ी पारखी नज़र से शमा की आंखों में देखा, जो चमक उसकी आंखों में 60000/- सुन कर आई थी.
फिर शाही सर बोले- अगर तुम चाहो तो तुम भी पैसा कमा सकती हो. बिना किसी को पता चले. तुम जवान हो खूबसूरत हो. मैडम जितनी न सही, थोड़ी कम सही … मगर कमा सकती हो. अगर तुम सिर्फ मेरी बात को समझ गई हो. तो सिर्फ मेरी समझने के मैं तुम्हें 500 रुपये दे सकता हूँ. क्या मेरी बात समझ में आई तुम्हें?
शमा ने हां में सर हिलाया, तो शाही सर ने अपने बटुए से 500 का एक नोट निकाला और बड़ी बेतकल्लुफ़ी से शमा के ब्लाउज़ में फंसा दिया.
फिर शाही सर बोले- अब मेरी बात ध्यान से सुनो. दुनिया में हर इंसान पैसा कमाना चाहता है, चाहे कैसे भी हो, बस पैसा आए. तुम्हारे साहब बाहर मुल्क में जाते हैं, तुम्हारी मेमसाहब हमसे चुदवाती हैं. क्यों? पैसे के लिए न! तुम लोगों के झूठे बर्तन साफ करती हो, झाड़ू फटका करती हो, क्यों? पैसे के लिए न. अगर कोई ऐसा तरीका हो कि मेहनत भी कम हो, मज़ा भी आए और पैसा भी, तो क्या शमा वो काम करेगी.
शमा ने हां में सर हिलाया, तो शाही सर ने एक 500 का नोट और शमा को दिया और इस बारे बड़े अच्छे से उसकी चूचियों की क्लीवेज में फंसाया.
फिर शाही सर बोले- अगर हमारी शमा भी हमारे साथ आ जाए और मज़ा आ जाएगा. फिर शमा भी आज शाम को घर जाते समय जेब भर करके जाएगी.
शमा बड़े पशोपेश में थी कि क्या करे, क्या न करे!
मगर शाही सर ने 200 का एक नोट अपने मुँह में पकड़ा और शमा की कमर पर बंधा उसका दुपट्टा खोलने लगे.
शमा थोड़ा घबराई, तो शाही सर ने अपना चेहरा शमा के पास किया और उसे नोट लेने को कहा. किसी मशीन की तरह से ही शमा ने शाही सर के मुँह में फंसा 200 का नोट अपने मुँह में पकड़ लिया. इसी बीच शाही सर ने उसका दुपट्टा खोल दिया और उसके दोनों मम्मे पकड़ लिए.
शमा के मम्मों की झलक कपड़ों के ऊपर से ही दिखने लगी थी. उसका कसा हुआ बदन बड़ा मस्त था.
इस चुदाई की कहानी में आगे मजा आएगा इसलिए मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहें.
आपके मेल का इन्तजार रहेगा.
शाहीन शेख
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आपकी सेक्सी रंडी की चुदाई कहानी का अगला भाग: हॉट रंडी की चुदाई का गेम-2