होटल सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरी पिछली कहानी से मुझे एक बहुत अच्छा दोस्त मिला. वो मुझसे मिलना चाहता था. मैंने उससे होटल में मिलने का तय किया.
हाई फ्रेंड्स! आप सभी को अक्षिता का नमस्कार। तो दोस्तो, अब मैं आपके सामने दूसरा किस्सा शेयर करने जा रही हूँ जो मेरे साथ घटित हुआ। मजा लीजिये इस दोस्त सेक्स चुदाई कहानी का!
जब अंतर्वासना पर मैंने अपनी पहली कहानी लिखी तो उसके रेस्पोंस में मुझे बहुत सारे ईमेल आए थे।
उन्हीं में मुझे मध्यप्रदेश के एक बंदे का ईमेल आया था।
उसने मुझसे कहा- भाभी, मैं आपसे मिलना चाहता हूं और आपसे फ्रेंडशिप करना चाहता हूं। आप जो बोलेंगी, मैं आपके लिए करने के लिए तैयार हूं।
मुझे उसकी बातें इंप्रेसिव लगी। मुझे लगा यह बंदा अच्छा है।
तो मेरी उससे बातें होने लगी। पहले हमने हैंग आउट और फिर भरोसा होने पर मैंने उसको अपना नंबर भी दे दिया।
जब भरोसा हो जाता है तो इंसान एक दूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है।
जब वह मुझसे बात करते थे और मुझे देखते थे तो हमेशा कहते थे कि बस मुझे आपसे मिलना है एक बार मुझसे मिल लीजिए। मैं आपके लिए कुछ भी कर सकता हूं।
मैं भी उनसे कहती थी कि मैं टाइम निकालकर आपसे जरूर मिलूंगी।
एक बार ऐसा संयोग हुआ कि मेरे हस्बैंड को किसी काम से बाहर जाना पड़ा। तो अब मैं अपने उस अंतर्वासना से बने दोस्त से मिल सकती थी।
मैंने उनको पहले ही बता दिया था कि मेरे हस्बैंड इस दिन बाहर जाने वाले हैं तो आप उस दिन आ जाना.
तो उन्होंने मुझसे पूछा- भाभीजान, आप मुझसे कहां पर मिलोगी?
मैंने उनसे कहा- हम सिर्फ होटल में मिल सकते हैं. और कहीं नहीं!
तो उन्होंने मुझसे कहा- ठीक है, मैं होटल बुक कर दूंगा. आपको रूम नंबर और होटल भी बता दूंगा।
फिर वह वक्त भी आ गया जब मेरे पति तय दिन पर अपने काम से चले गए.
उस बन्दे ने मुझे होटल का नाम और रूम नम्बर ड़े दिया था. मैं उनसे मिलने के लिए होटल में गई।
मैंने उनसे मिलने के लिए एक सिंपल ब्लैक और रेड कलर की कॉन्बिनेशन की साड़ी पहनी थी। जो मुझ पर बहुत अच्छी लग रही थी।
तो मैं उनसे मिलने के लिए होटल में पहुंच गई।
वे होटल की लॉबी में ही मेरी प्रतीक्षा कर रहे थे. हम दोनों ने एक दूसरे की तस्वीर देख रखी थी तो मैं उनको पहचान गयी.
मुझे देखते ही वे भी मुझे पहचान गए. उनकी आंखों में चमक सी आ गई।
फिर वे मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रूम में ले गए और मेरे पास आकर बैठ गए.
बिना कुछ ख़ास बात किये वे सीधा मेरे होठों पर चुम्बन करने लगे.
लाजवश मैंने उनको रोकना चाहा.
पर वे नहीं रुके.
वे मुझसे कहने लगे- जान, तुम बहुत खूबसूरत हो। मैं तुम्हें कुछ देर के लिए अपनी दुल्हन बनाना चाहता हूं!
मैंने उनसे कहा- यह कैसे होगा?
उन्होंने मुझसे कहा- मैं दुल्हन का सारा सामान अपने साथ लाया हूं. बस तुम सज संवरकर तैयार हो जाओ।
मुझे बहुत तेज हंसी आ गई।
तो वे मेरा चेहरे की तरफ देखने लगे और मुझसे कहने लगे- क्या हुआ? मुझ पर भरोसा नहीं है क्या?
मैंने उनसे कहा- नहीं, ऐसी बात नहीं है. तुम पर भरोसा करके तो इस होटल रूम में आ गई हूं.
फिर मैं मुस्कुराती हुई वह सारा सामान लेकर शीशे की तरफ चली गई।
और वहां अपनी पहले से पहनी साड़ी को निकाल कर उनके लिए वह दुल्हन का सारा सामान पहनने लगी।
कुछ ही देर में मैं पूरी तैयार हो गई।
जब मैं पूरी तैयार हो गई तो मैंने उनसे कहा- बताओ मैं कैसी लग रही हूं?
तो उन्होंने मुझसे कहा- यार … तुम तो बला की खूबसूरत लग रही हो मेरी जान! आ जाओ … मेरी बांहों में आ जाओ! मुझसे दूर मत खड़ी रहो!
फिर उन्होंने मुझे बेड पर लेटा लिया और मेरे साथ सुहागरात मनाने की तैयारी करने लगे।
उन्होंने पहले मेरे सर को ऊपर करके मेरे बाल खोल दिए। फिर वह धीरे-धीरे मुझे किस करने लगे।
और फिर एक एक करके सारे सुहागरात के जोड़े मेरे ऊपर से उतारने लगे।
उनके हाथों के स्पर्श मेरे नंगे जिस्म पर मुझे तो एकदम पागल सा कर रहे थे।
थोड़ी देर में उन्होंने मेरे सारे कपड़ों को निकाल दिया और मैं सिर्फ उनके सामने अब नंगी पड़ी थी।
मेरा गोरा जिस्म उनके सामने था.
फिर उन्होंने मेरे पैर से मुझे किस करना शुरू किया और मेरी जांघों पर किस करते हुए मेरी चूत को चूमने और चाटने लगे।
कुछ देर उसे चूमने और चाटने के बाद फिर वह मेरे बूब्स पर आ गए उन्हें भी दबाने और चूसने लगे।
मेरी चूत ने तो अपना पानी छोड़ दिया था।
और वे मुझे चूसते हुए बोल रहे थे- तुम बहुत सेक्सी हो, बहुत ज्यादा गरम माल हो।
मैंने उनसे कहा- जैसी भी हूं आपकी हूं।
फिर उन्होंने मुझसे अपना लंड चूसने को कहा और बेड पर सीधे लेट गए.
तो मैं डॉगी स्टाइल में होकर उनके लंड को चूसने लगी।
मैंने उनके लंड को पूरा अपने मुंह में अंदर तक ले लिया था और पूरा गीला कर दिया था।
सच बताऊं तो बहुत ज्यादा आनंद आ रहा था … लंड की खुशबू मुझे एकदम मादक लग रही थी।
मैं बहुत देर तक उनके लंड को चूसती रही.
फिर उन्होंने मुझे बेड पर सीधा लेटा लिया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया.
मैंने उनसे कहा- आपने तो कंडोम भी नहीं लगाया?
तो उन्होंने मुझसे कहा- कोई बात नहीं बेबी, मुझे कोई बीमारी नहीं है. और वैसे भी मुझे कंडोम से मजा नहीं आता.
मन ही मन मैंने भी सोचा कि सही बात है कंडोम लगाकर तो मुझे भी मजा नहीं आता अपनी कूट की चुदाई करवाने में.
और फिर बहुत तेज तेज धक्के लगाने लगे.
मैंने पूरा उनको अपनी बांहों में भर लिया था.
मुझे बहुत मजा आ रहा था, मेरे मुंह से बहुत तेज से सिसकारियां निकल रही थी.
उनका लंड मेरी चूत में एकदम अंदर तक जा रहा था। वो मुझे बहुत बुरी तरह से चूम और चाट रहे थे।
वह मुझे खा जाना चाहते थे.
फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बना लिया और पीछे से मेरी गांड और चूत को चाटने लगे मेरे बाल खुले हुए थे।
और मैं मजे के आनंद में अपनी आंखें बंद किए हुए बस अपनी गांड और चूत को चाटने का मजा ले रही थी।
वे अपनी जीभ को अंदर तक मेरी गांड में डालने की कोशिश कर रहे थे।
मेरी चूत से सफेद सफेद पानी निकल कर बह रहा था।
फिर कुछ देर तक ऐसे ही चाटने के बाद उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया।
मेरे हिप्स उनकी जांघों से लग रहे थे और वह मुझे कमर पर से पकड़ कर अपने पीछे की तरफ धक्का लगा रहे थे।
वे डॉगी स्टाइल में मुझे बहुत मस्त चोद रहे थे।
उन्होंने मेरी चूत और गांड को चाट चाट कर इतना गीला कर दिया था कि बहुत ज्यादा मजा आ रहा था।
फिर वे मेरे बालों को पकड़कर बहुत तेज तेज धक्के लगाने लगे और मेरे बूब्स पर थप्पड़ मारने लगे.
मुझे दर्द हो रहा था तो मैं चिल्लाने लगी।
लेकिन वे नहीं रुके और तेज तेज धक्के लगाने लगे।
मैं उनसे कहती रही- मरो नहीं … रुक जाइए! प्लीज स्टॉप … प्लीज स्टॉप।
लेकिन वे नहीं रुके; उन्होंने सारा वीर्य मेरी चूत में निकाल दिया।
इस बीच में मैं दो बार झड़ गई थी। मेरी तो जैसे जान ही निकल गई थी.
फिर मैं थक कर लेट गई।
करीब 10-15 मिनट तक हम एक दूसरे से बातें करते रहे।
कुछ देर बाद उनका लंड फिर से खड़ा हो गया।
तो वे मुझसे कहने लगे- बेबी, मेरे ऊपर आ जाओ.
मैं उनके नंगे बदन के ऊपर चढ़ गई नीचे से उन्होंने मेरे बूब्स अपने मुंह में ले लिए और लंड मेरी चूत में डाल दिया।
मैं अपनी गर्म चूत को उनके लंड पर रगड़ रही थी।
वे मेरी नंगी कमर पर बहुत हाथ फिरा रहे थे और मुझसे कह रहे थे- बेबी, मेरी जान … मैं तुम्हारा और तुम्हारे कामुक बदन का हर तरह से भोग लगाना चाहता हूं।
मैं भी मजाक में कहने लगी- और कितना भोग लगाओगे? आपने मुझे सारा तो खा लिया।
तो वे मुझसे कहने लगे- नहीं, मैं तुम्हें बिल्कुल अपनी बनाना चाहता हूं. तुम्हें कभी किसी भी चीज की जरूरत हो तो तुम मुझसे कह दिया करना; मैं हमेशा तुम्हारे लिए खड़ा हूं.
मैंने उनसे कहा- मैं जानती हूं डियर कि तुम बहुत अच्छे हो।
और फिर वो अपने सख्त लंड से मेरी गीली चूत में धक्के लगाने लगे।
फिर मैं उनके ऊपर से हटी और उनके लंड को अपने मुंह में ले लिया और अपने हाथों से उनके टट्टों को सहलाने लगी।
तो मेरे मुंह की गर्मी के कारण उन्हें जल्दी मजा आ गया और वे अपनी चरम सीमा पर जाने लगे।
थोड़ी ही देर में उनके लंड से सफेद सफेद पिचकारी निकली जिससे मेरा मुंह पूरा भर गया। मैं उनके लंड का पूरा रस गटक गयी.
और फिर मैं उनके पेट पर ही अपना सर रखकर लेट गई।
तो दोस्तो, यह थी मेरे अंतर्वासना दोस्त सेक्स चुदाई कहानी! यह एकदम सच्ची घटना है। इसे सेक्सी आवाज में सुन कर मजा लें.
जो लोग हमेशा मेरी दोस्ती के लिए खड़े रहते हैं, मैं हमेशा उनकी परवाह करती हूँ।
मैं अपनी ईमेल आईडी नीचे दे रही हूं आप वहां मुझे ईमेल करके बता सकते हैं कि मेरी दोस्त सेक्स चुदाई कहानी आपको कैसी लगी?
आप कमेंट्स करके भी अपने विचार प्रकट कर सकते हैं.
धन्यवाद.
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