देसी भाभी ने जेठ के लंड से खुजली मिटाई

दोस्तो, मेरा नाम इनाया है. मेरी उम्र अभी 40 साल है. मेरा रंग कुछ ज्यादा ही गोरा है और फिगर 40-34-38 है. मेरे बाल बहुत लंबे हैं.

मेरे फिगर से आप समझ गए होंगे कि मैं मोटी हूं. दिखने में मैं विद्या बालन जैसी दिखती हूं. मेरे शौहर अब नहीं रहे. 7 साल पहले गुजर गए थे.

आप समझ सकते हैं कि एक औरत की जिन्दगी बिना सेक्स के कैसी हो जाती है.

एक दो साल तो मुझे ज्यादा जरूरत महसूस नहीं हुई क्योंकि मैं शौहर की मौत के गम से निकलने की कोशिश कर रही थी.

फिर जब जिन्दगी धीरे धीरे सामान्य होने लगी तो मेरे अंदर की शारीरिक इच्छाएं भी जागने लगीं.
मुझे लगने लगा था कि मैं सेक्स के बिना नहीं रह पाऊंगी.
इसलिए अब मुझे ऐसे आदमी की तलाश थी जो मेरी जरूरत को पूरी कर सके.

मेरी नज़र मेरे जेठ जी अंसार पर पड़ी.
वो मुझसे 7 साल बड़े थे और उनकी बीवी का भी देहांत हो चुका था.
अंसार दिखने में अच्छे थे.

हम लोग एक ही घर में रहते थे तो उनके और मेरे बीच के जिस्मानी सम्बंधों पर कोई शक भी नहीं कर सकता था.

हमारे बच्चे भी सुबह काम पर निकल जाते थे. जेठ जी सरकारी नौकरी पर थे और नौकरी शिफ्ट में थी तो उनके पास काफी समय होता था.

मैं सोचने लगी कि आखिर उनको पटाया कैसे जाए? इसके लिए मैं योजना बनाने लगी.
पहले तो मैं उनके सामने पर्दा करके रहती थी.

अब मैं उनके सामने बिना परदे के ही घूमने लगी थी. मैं उन पर लगातार नजर बनाए हुए थी कि वो मुझे देखते हैं कि नहीं.
और अगर देखते हैं तो मेरे बदन में क्या देखते हैं.

मैंने पाया कि वो मेरी तरफ देखते तो थे लेकिन मुझे ऐसा कुछ नजर नहीं आया जिससे मैं उनकी ओर से किसी इशारे को समझूं.
ये सब करते करते दो हफ्ते बीत गए.

फिर एक दिन जेठजी नाइट शिफ्ट करके आ गये और अगले दिन उनका ऑफ़ था.
हमारे बच्चों को दो दिन के लिये बाहर जाना था.

मेरे लिए इससे अच्छा मौका नहीं आ सकता था.
मैंने सोच लिया था कि अब मुझे जेठजी को पटाना ही होगा.

इन दो दिनों में मैं उनको तड़पाना चाहती थी ताकि वो खुद ही मुझे चोदने पर मजबूर हो जाएं.

अगली सुबह बच्चे 7 बजे निकल गए.
जेठ जी नहाकर टीवी देखने लगे और नाश्ते का इन्तज़ार करने लगे.

मैंने उस दिन साड़ी पहन ली.

उस दिन जानबूझकर मैं देर कर रही थी ताकि वो किचन तक आयें.

वो जैसे ही किचन की ओर बढ़े तो मैं नाश्ता प्लेट में लगाने लगी.

मैंने अपनी साड़ी पीछे से थोड़ा खोल कर रखी ताकि मेरी कमर और पीठ के दर्शन उन्हें हों!
और हुआ भी यही … वो किचन के दरवाज़े पर आकर रुक गए और मुझे एकटक देखने लगे.

मैं यह महसूस कर रही थी इसलिए टाईम लगा रही थी.
फिर मैं आचनक पलटी और जेठजी को कहा- भाई जी, आप चलिए, बस मैं नाश्ता ला रही हूं.
वो चले गये तो फिर मैंने अपने बूब्स की क्लीवज को सेट किया और नाश्ता ले गई.

मैंने प्लेट रख दी. मैंने सिर तो ढका हुआ था लेकिन बूब्स की क्लीवेज दिख रही थी.
वो मेरी ओर देखने लगे.

दो-चार सेकेंड के बाद मैंने उनकी तरफ देखा और बोली- और कुछ चाहिए क्या आपको?
वो एकदम से हिचके और बोले- नहीं नहीं.
फिर मैं गांड मटकाती हुई किचन में वापस चली गई.

सुबह से शाम तक यही चलता रहा.
मैं अपने शरीर की नुमाईश जेठजी के सामने करती रही और वो मुझे देखते रहे.

रात आठ बजे जब मैं रोटी बना रही थी तब वो किचन में आये और मेरे पीछे खडे़ होकर पूछने लगे- खाना बना या नहीं?
उस समय वो बिल्कुल मेरे पीछे खड़े थे.
मैं जानबूझकर पलटी और उनसे टकरा गई.

मेरे बूब्स उनके सीने से टकरा गए और मैं वहां से जल्दी से चली गई.
वो भी जल्दी से टीवी वाले रूम में गए और टीवी देखने लगे.

फिर हमने खाना खाया.

मैंने अपना काम खत्म किया और अपने रुम में चली गई.
मैंने सोच रखा था कि आज मुझे जेठजी को मजबूर करना ही है.

मैंने अपनी गाजरी रंग की साड़ी पहनी और बालों का जूड़ा बनाया.
तैयार होकर मैं बेड पर लेट गई. मैंने साड़ी को अपने घुटनों तक किया और ब्लाउज़ का एक बटन खोल लिया ताकि मेरे बूब्स उनको दिखें.

मैं जानती थी कि जेठ जी सोने से पहले बाथरूम जाते हैं.

मेरा अनुमान सही था.
वो बाथरूम के लिए आये.
मैं उनकी आहट सुन चुकी थी.

उनके आने की आहट तो हुई लेकिन जाने की नहीं हुई.
दरवाजा मैंने खुला रखा हुआ था और आंखें बंद करके लेटी हुई थी.

मैं समझ गई कि जेठजी दरवाजे पर खड़े हैं. मैं वैसे ही लेटी रही.
फिर वो मेरे बेड तक आये और बैठ गए.

कुछ देर बाद उन्होंने मेरी साड़ी के पल्लू को हटाया और मेरी ओर देखने लगे.
मेरी आखें तो बंद थीं लेकिन मैं सब कुछ महसूस कर रही थी.

फिर उन्होंने अपना हाथ मेरी कमर पर रखा.
मेरी चूत तो मानो पानी पानी हो गई.

वो धीरे धीरे अपना हाथ ऊपर की ओर ले जाने लगे.
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने अपनी आखें अचानक खोल लीं.

वो मुझे जगी देखकर उठ गए और जल्दी से बाहर जाने लगे.
मेरा सारा खेल मुझे बिगड़ता दिखा तो मैं भी उठी और उनके पीछे चली गई.

वो हॉल में खड़े थे और मैं जाकर उनकी पीठ से चिपक गई.
मैंने कहा- क्या हुआ अंसार जी? आप चले क्यों आये? अब शुरू कर ही दिया है तो रुकिये मत! मैं जानती हूं कि आपके मन में भी मेरे लिए प्यार है. इस रिश्ते के बारे में किसी को पता नहीं चलेगा.

वो थोड़ा आगे हुए और मेरी तरफ पलटकर देखने लगे.
मैंने खुद को देखा तो मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ था.
मैंने बूब्स को उनके सामने ही रखा और उनकी आंखों में देखती रही.

जेठजी मेरी चूचियों को निहार रहे थे.

फिर जेठजी ने अपनी बनियान उतारी और मेरी तरफ आकर एक हाथ मेरी पीठ में डाला और दूसरा हाथ झुककर मेरे पैरों में डाला और मुझे गोद में उठाकर मुझे बेडरूम में ले आए.

रूम में आकर उन्होंने मुझे बेड पर बिठाया और खुद भी मेरे पास बैठकर मेरे होंठों पर होंठ रख दिए.
वो मेरे होंठों को चूमने लगे और मैंने उनके गले में बांहें डाल दीं.

अब हम दोनों की जीभ एक दूसरे के मुंह में जाकर लड़ाई करने लगीं.
वो मेरे चहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़े हुए थे.

फिर आचनक वो मेरे गालों पर किस करने लगे.
मैं भी उन्हें मेरे सारे चहरे पर किस करने का मौका दे रही थी.

उन्होंने मुझे अपने से दूर किया और मेरी साड़ी अलग कर दी.
अब मैं सिर्फ ब्लाउज़ और पेटीकोट में थी.

मैं बिस्तर पर लेट गई और बांहें फैला दीं उनके सामने!
वो भी मेरे ऊपर आ गये और मेरे चहरे से होते हुए गले पर किस करने लगे.
अब वो और नीचे गए और मेरे पेट कर किस की.

फिर आखिर वो मेरे पैरों पर आ गये और पेटीकोट को मेरे घुटनों के ऊपर सरकाने लगे.

मैं पलट गई और मेरी पीठ उनके सामने थी.
वो मेरी पीठ पर किस करने लगे.

उनके चुम्बनों से मैं बहुत गर्म हो गई.
इतने दिनों के बाद मर्द के होंठों का स्पर्श मेरे बदन पर मिला था.
मेरी चूत से लगातार पानी निकलने लगा.

मैंने जेठजी से कह दिया- आह्ह … बस कीजिए अब चूमना … अब जल्दी से मेरी चूत की प्यास बुझाइये.
मैं उठी और अपने बचे हुए कपड़े उतारने लगी.

मैंने उनके सामने नंगी हो गई और वो भी अपने कपड़े उतारने लगे.

पजामा खोलकर उन्होंने अपनी अंडरवियर भी उतार दी.
मैं बेड पर लेट गई और अपनी टाँगें फैला दीं.

जेठजी का लंड पहले से ही पूरा तना हुआ था.
मन तो कर रहा था कि उनका लंड चूसकर देखूं लेकिन फिर सोचा कि वो मुझे बिल्कुल ही रंडी समझ लेंगे.

इसलिए मैंने खुद को रोक लिया.
उन्होंने मेरी चूत पर लंड को रख दिया और फिर उसको ऊपर नीचे घिसने लगे.
मेरी चूत में जोर की खुजली होने लगी.

मैं बोली- बस करो ना जेठजी … अब डाल भी दो.
फिर उन्होंने मेरी चूत में लंड का धक्का दे दिया.

उनके मोटे लंड से मेरी चूत चरमरा गई.
इतने दिनों के बाद जो लंड ले रही थी.

वो मेरा दर्द देखकर रुक गए और फिर मेरे बूब्स को पीने लगे.

थोड़ी ही देर में मेरी चूत खुलने लगी.
फिर मैंने उनको पीठ पर से दबाया तो वो मेरा इशारा समझ गए.

उन्होंने चूत में लंड का एक और धक्का दिया और आधे से ज्यादा लंड मेरी चूत में घुस गया.
लेकिन इस बार वो रुके नहीं बल्कि अपने झटके चालू रखे और 8-10 झटके देने के बाद रुके.
फिर बोले- कैसा लग रहा है?

मैंने उनको अपने पास खींचते हुए उनके होंठों पर किस किया और कहा- अब रुको मत, जैसा करना है करते रहो.
उन्होंने फिर से मेरी चूत में लंड ठोकना शुरू कर दिया.

उनके धक्के का जोर बहुत ज्यादा था और मेरी चूत अंदर तक चौड़ी हो रही थी.
मुझे जेठ के लंड से चुदने में आनंद आने लगा.

मैं उनके हर झटके पर उनकी पीठ को कसकर पकड़ लेती और उन्हें इशारा करती ताकि वह अपने झटके और जोर से मारें.
वह भी मेरे इशारे को समझ लेते और अपनी झटकों की स्पीड बढ़ा देते.

वह एक असली मर्द थे.
चोदते हुए वो इतने उत्तेजित हो गए कि मेरे दोनों हाथों को पकड़कर मुझे जोर जोर से ठोकने लगे.
मैं अपनी गांड उठाकर उनके लंड का स्वागत अपनी चूत में लगातार कर रही थी.

फिर ऐसा भी समय आया कि उन्होंने मेरे बालों को पकड़ लिया और चेहरे को पकड़ कर झटके मारने लगे.
मुझे मजा बहुत आ रहा था.

फिर 20 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद वो कहने लगे कि उनका माल गिरने वाला है.
मैंने भी कह दिया कि अंदर ही गिराना.

फिर दो चार झटकों के बाद उन्होंने अपना माल यानि वीर्य मेरी चूत में गिरा दिया.
मेरा पानी भी 3 बार निकल चुका था और वो मेरे ऊपर निढाल होकर लेट गए.

हम उसी अवस्था में करीबन 20 मिनट तक लेट रहे जिस दौरान उन्होंने कई बार मेरे होंठों को चूसा; मेरे दूध दबा दबा कर लाल कर दिए और मुझे शांत किया.
मैं उनकी इस अदा पर फिदा हो गई.

फिर जेठ जी उठे और बाथरूम में जाकर फ्रेश हुए.
मैं भी उनके पीछे पीछे ही गांड हिलाते हुए गई और बाथरूम में फ्रेश होकर वापस आई.

एक बार फिरमैं जाकर उनकी बांहों में लेट गई. मैं उनके लंड के साथ खेलने लगी.

कुछ ही समय में उनका लंड महाराज फिर से दूसरे राउंड के लिए तैयार हो गया.
मैं भी चुदने के लिए तैयार थी.

जेठजी ने मुझे पलटा और मेरी पीठ के ऊपर आ गए.
वो पीछे से मेरे पूरे बदन को किस करते हुए मेरी गांड पर आ गए और गांड पर भी चुम्बन देने लगे.
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

अब हम दोनों दूसरे राउंड के लिए तैयार थे तो मैंने उनको पलटकर इशारा किया जिस पर उन्होंने अपने लंड को मेरी गांड में सेट किया और मेरी गांड चुदाई करने के लिए तैयार हो गए.

मेरी गांड में बहुत दिनों से लंड नहीं गया था और मैं थोड़ी घबरा रही थी.
मैंने गांड को ढीली छोड़ दिया ताकि उनका मोटा लंड मैं बर्दाश्त कर पाऊं.

फिर उन्होंने मेरी गांड पर लंड का टोपा लगाया और धक्का देकर उसको अंदर घुसाने लगे.

जब पहली बार में नहीं गया तो उन्होंने मेरी गांड को थाम लिया और पूरा जोर लगाकर लंड को मेरी गांड के छेद में घुसा दिया.
मुझे काफी दर्द हुआ लेकिन चुदने का भी अरमान था तो दर्द सह लिया.

अब वो मेरे चूतड़ों के छेद के चोदने लगे.
मुझे मजा आने लगा.
इतने दिनों के बाद मैं गांड चुदवा रही थी.

मेरी गांड मारते वक्त वह मेरे बालों को पकड़कर जोर जोर से धक्के दे रहे थे.
कभी बीच बीच में मेरे ऊपर झुककर मेरे चूचियों को जोर से दबा देते थे.
फिर उन्होंने मेरा हाथ दीवार पर रखवा दिया.

अब मेरी गांड की पोजीशन और अच्छी हो गई और वो फिर से मेरी गांड में लौड़ा पेलने लगे.
मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी.

बीच बीच में मैं अपनी चूत को भी अपनी उंगिलयों से मसल रही थी.
वो मुझे ताबड़तोड़ चोदते जा रहे थे.

15 मिनट की चुदाई में उनका वीर्य मेरी गांड में निकल गया.

हम दोनों फिर से थक कर लेट गए.

वैसे ही बिना कपड़ों के ही हम लोग बेड पर लेटे हुए एक दूसरे को सहलाते हुए सो गए.

उस रात बीच में जब उनकी नींद खुली तो उन्होंने मेरी चूत में एक बार और लंड पेला.

सुबह जब हमारी नींद खुली तब 5:30 बज चुके थे जो कि हमारा उठने का रोज का समय हो गया था.

फिर जेठ जी मुझसे प्यार करते रहे.
करीब आधा घंटा मुझे सहलाते रहे.

फिर हम दोनों एक साथ नहाने गए.
हमने एक साथ बाथरूम में एक दूसरे के जिस्मों को छेड़ना शुरू कर दिया.

नहाते वक्त वो मेरे जिस्म को सहला रहे थे और मुझे काफी अच्छा लग रहा था.

बाथरूम में उन्होंने मेरी चूत एक बार और मारी.
उसके बाद हम लोग बाहर आए.

बाहर आने के बाद मैंने अपने कपड़े पहने और उन्होंने अपने कपड़े पहन लिए.
अब हम लोग आपस में एक दूसरे के प्रति खुल चुके थे.
हमारे बीच में किसी प्रकार की कोई शर्म नहीं बची थी.

जब भी वो मुझे अकेली पाते तो मेरे पास आकर मेरी साड़ी उठाकर चूत को सहलाने लगते और फिर पैंटी हटाकर ऐसे ही खड़ी खड़ी को चोदने लगते.

मैं भी बहुत मजा ले रही थी. जेठ का लंड मुझे भरपूर मिल रहा था.

हम दोनों के बीच में अभी भी सेक्स जमकर होता है.
मैं भी पूरा मजा ले रही हूं और जेठजी भी मेरी चूत रगड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं.

इस तरह से मैंने अपने जेठजी को पटाकर उनका लंड अपने नाम कर लिया.