अन्तर्वासना के पाठकों के मोठे लंडों को मेरी गद्देदार गांड का प्रणाम. आज की इस कहानी में मैं आपको बताना चाहता’ हूँ कैसे मैंने अपनी गांड में एक बहुत मोटा लंड लिया.
मैं फैमिली के साथ पुणे में रहता हूँ. मैं दिखने में मोटा हूँ मगर लंड चूसने में मेरा हाथ कोई नहीं पकड़ सकता. मुझे अक्सर नए लंड की तलाश रहती है. शुरू से ही जवान लंड को चूसने का, सहलाने का, उससे चुदवाने का शौक लगा हुआ था. वैसे मैं लंड से चुदवाता कम हूँ, लंड को चूसता ज्यादा हूँ. लंड चूसते समय मुझे हमेशा कुछ अलग करने की आदत है.
मेरे इसी चुदक्कड़पन की वजह से मैं पुणे में घर होने के बावजूद रूम खोज रहा था, ताकि मैं पढ़ाई के साथ साथ हर रोज कोई नया लंड चूस सकूं. मैं यदि घर में ही रहता, तो लंड चूसना सम्भव नहीं था.
बहुत कोशिशों के बावजूद भी मुझे रूम मिल ही नहीं रहा था. दरअसल मुझे रूम सिर्फ किसी प्रायवेट हॉस्टल में चाहिए था जहां मुझे लंड की कमी न हो और 24 घंटे रूम देने वाला मकान मालिक भी मौजूद न हो.
ऐसे ही खोजते हुए मैं एक हॉस्टल में आया. वहां थोड़ी सी गंदगी थी, लेकिन मुझे अच्छी जगह लग रही थी. उधर जवान मर्दों के अंडरवियर्स की मदहोश कर देने वाली महक थी.
वहां पे 20-25 कमरे थे. लड़कों से हॉस्टल खचाखच भरा था. आधे नंगे, सिर्फ अंडरवियर पहने हुए लड़के देखकर मेरा मन उनके लंड चूसने को उछला जा रहा था.
कई लड़के तो जॉकी पहने बैठे थे. उनके उभार वाले लंड सूंघने का मन कर रहा था. रूम पर रहने वाला कोई लड़का पूरे कपड़े पहने बैठा हो, ऐसा कभी हो नहीं सकता. लंड खुजाने की आदत तो सबको होती ही है.. सो ज्यादातर लड़के लंड खुजा रहे थे.
मैं हर एक रूम में जाकर खाली स्थान के बारे में पूछ रहा था. वैसे मुझे तो सिंगल रूम सिर्फ अकेले रहने के लिए चाहिए था मगर फिर भी मैं पूछ रहा था. बगल वाले रूम में जगह है या नहीं, यह तो सबको पता होता ही है लेकिन फिर भी मैं हरएक रूम में झांककर जगह के बारे में पूछ रहा था. क्योंकि सिर्फ रूम लेना ही मेरा मकसद नहीं था, बल्कि मैं अपनी आंखों से हरेक रूम में रहने वाले लड़के के लंड नापना चाहता था और अपनी आंखें सेंकना चाहता था.
कुछ लड़के अपने काम करते करते बोलते थे, तो कुछ लंड खुजाते खुजाते मुझे मेरी बात का उत्तर दे रहे थे. मैं तो समझो उनके लंड चूसने के लिए मरा ही जा रहा था.
यह कहानी आप अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं.
इस हॉस्टल के सेकंड फ्लोर पर सिर्फ तीन कमरे थे. मैं वहा चला गया. दो दो बेडवाले तीन रूम थे. दो रूम बंद थे, एक ही खुला था. मैं वहां गया और अन्दर झांककर देखा. उसमें दो बेड थे लेकिन एक ही लड़का सोता हुआ दिखा. वो लड़का मस्त जवान और बिहारी लग रहा था. वो सोया हुआ था, इसलिए मैं उसको उठाना नहीं चाहता था. वो सिर्फ जॉकी पहने सो रहा था.
कुछ देर तक मैं उसको सिर्फ ताकता रहा. अपनी आंखों की हवस पूरी कर रहा था. शायद उसने देर रात तक पी रखी थी. वहीं कोने में ऑफिसर्स चॉइस की बोतल भी खाली पड़ी थी. मैं देर तक उसे यूं ही एकटक देखता रहा. उसने दरवाजा बिना कुंडी लगाए खुला रखा था. इसलिए आसानी से खुल गया. दरवाजे के नजदीक ही वो बेड पर सो रहा था. मैंने थोड़ी सी शरारत करने की हिम्मत की. दरवाजे के बाहर से ही झुकते हुए मैंने उसके अंडरवियर को सूँघने की कोशिश की.
आहाह … क्या खुशबू थी. शायद कोई परफ्यूम लगाया था.
तभी अचानक उसकी नींद खुल गयी. मैं झट से पीछे हट गया और दरवाजा खटखटा दिया. उसे कोई शक भी नहीं हुआ. ऐसी परिस्थितियों से निपटने में मैं शुरू से माहिर रहा हूँ.
मैंने उससे खाली जगह के बारे में पूछा.
उसने कहा- यहां कोई जगह खाली नहीं है, सब कमरे फुल हैं.
मैं- यहां कितने लोग रहते हैं?
वो- हम दो लोग रहते हैं?
मैं- क्या आप मुझे एडजस्ट कर सकते हो? रेन्ट भी शेयर हो जाएगा, तो पर हैड कम लगेगा.
वो- नहीं यार, हम दो लोग ही बड़े मुश्किल से रह रहे हैं.
मैं- अच्छा ठीक है.. वैसे आप क्या करते हो?
वो- रेल्वे में जॉब है.
मैं- और आपका पार्टनर?
वो- वो भी.
मैं- ओके. मतलब आपकी रात में ड्यूटी है इसीलिए आप रूम पर हो और उनकी दिन में ड्यूटी है.
वो- हाँ.
मैं कुछ देर तक ऐसी ही बातें करके मैं टाईमपास कर रहा था. वो नींद से जागा हुआ था, इसलिए उसकी जॉकी से लंड का उभार साफ दिखाई दे रहा था. ऐसा लग रहा था, जैसे अभी लिपट जाऊं. लेकिन मैंने कन्ट्रोल किया. मैं ब़ोलते बोलते सिर्फ उसके लंड के उभार पर नजर टिकाए हुए था.
मैं बोलते बोलते ही उसके बारे में बहुत कुछ समझ गया था. वे दोनों बिहार से थे, रेल्वे में जॉब करते थे और रूम पर ही खाना वगैरह बना कर खाते थे. शादी हुयी थी, लेकिन नयी नयी नौकरी लगी है, इसलिए फैमिली को साथ नहीं ला सका.
वैसे मुझे इन सबमें कोई इन्टरेस्ट नहीं था. मेरा दिल तो सिर्फ उसका लंड माँग रहा था. अब बहुत बातें कर चुका था. लेकिन शुरुआत कहां से करूं, समझ में नहीं आ रहा था. आखिरकार कोई बहाना मिल नहीं रहा था, तो कब तक वहां बाहर खड़ा रहता.
मैं मोबाईल हाथ में लिए वहां कुछ देर बिना बोले ही खड़ा रहा और फिर जाने लगा. लेकिन पैर निकल नहीं रहे थे.. वो भी कुछ रिएक्ट नहीं कर रहा था. पता नहीं क्यों.. ऐसा क्या हो रहा था.
मैं जा भी नहीं रहा था.. देर तक कुछ बोल भी नहीं रहा था, फिर भी वो चुप था. फिर मैं जाने लगा.. तभी मेरे दिमाग की घंटी बजी.
मैं- पानी मिलेगा?
वो- हां लो ना.
वो मुझे बोतल देने लगा. उससे बोतल लेने के बहाने मैं अन्दर आ गया. बोतल लेने के लिए उसने हाथ आगे बढ़ाया.. तो मैंने उसे हल्का सा टच करते हुए बोतल ले ली. अब मैं धीरे धीरे उसके लंड के उभार को ताकते हुए पानी पीने लगा.
मैं इतना स्लोली पानी क्यों पी रहा हूँ? उसके समझ में नहीं आ रहा था. पानी पीने के बाद मैं बोतल उसको वापस कर रहा ही था कि मुझसे रहा न गया और उसके उभार को मैंने हल्का सा टच किया. वो बिल्कुल मेरे नजदीक ही खड़ा था. मेरे लंड छूने से वो हड़बड़ा गया और पीछे को हटा.
मैंने सोचा अब हुआ, सो हुआ और हिम्मत बढ़ाते हुए झट से नीचे बैठ गया. उसके लंड को पकड़ा और डायरेक्टली मुँह में ले लिया. वो ज्यादा कुछ समझ पाता, उसके पहले ही मैंने उसके लंड का एन्काऊंटर कर डाला.
यह सब उसकी समझ के बाहर था कि क्या हो रहा है. वो कुछ समझता, उसके पहले ही उसकी सिसकारियां शुरू हो गईं. एक बार सिसकारी निकल गयी, तो फिर बचा ही क्या था, जो वो मना कर दे.
मैं करीब पन्द्रह मिनट तक उस तने हुए रॉड को चूसता रहा था. ऐसा लग रहा था, जैसे कोई बरसों पुरानी मन्नत आज पूरी हो रही है. मैं हमेशा मेरे पास चॉकलेट रखता हूँ. अभी मुझे भूख भी लग आई थी. अचानक मुझे याद आया. मैंने जेब से चॉकलेट निकाली और चॉकलेट के साथ लंड चूसता रहा.
वो तो बस देखता ही रह गया. उसे भी कहां इतना मजा मिलने वाला था. बीवियां तो बस चुत ही में लेती हैं. लंड चूसने की बात बहुत दूर की बात है.
कुछ देर बाद उसका लंड झटके देने लगा और अब वो झड़ने जा रहा था. वो लंड बाहर निकालना चाहता था मगर मैं कहां उसकी सुनने वाला था. इतने बड़े लंड का अमृत मैं क्या वेस्ट जाने देता! मैंने एक बूंद भी नहीं जाया होने दिया … पूरा का पूरा माल निगल गया.
आहाह … आज मैं तृप्त हो गया था.
लंड आसानी से मिले, तो उसमें मजा नहीं आता. रिस्क उठाकर कड़ी मेहनत करके जो लंड पटा लिया जाए, उससे जो अमृत मिले, उसी में असल मजा आता है.
उस दिन सारे दिन मैं उसी के पास रहा. उसने 3 बार मुझे चोदा और गांड में भी रसमलाई भर दी. उसके लंड के ब्रांडेड अमृत से मैं असीम सुख पाया, मैंने दिन भर में उसके माल से खुद को अन्दर तक नहा लिया. उसने भी मेरे बड़े बड़े मम्मों को चूस चूसकर और दबा-दबा कर लाल कर दिया.
उसके पास दूध पावडर था … तो मैंने उससे मेरे मम्मों पर लगाने को बोला.
उसे चाटने में ऐसा फील हुआ, जैसे मेरे मम्मों का दूध हो. वो तो बस पगला गया. मेरे मम्मों का आकार इतना बड़ा है कि एक बार जो कोई इनको चूस ले, तो बस दीवाना बन जाता है.
जब वो मुझे चोद रहा था, तब मैं उछल उछल कर अपने मम्मों को हिला रहा था. इस तरह से मैं उसे और उत्तेजित कर रहा था. हम दोनों के बीच किसिंग तो इतनी अधिक हुई कि बस पूछो ही मत. उसने मुझे हर जगह किस किया. मुझे पीठ पर ज्यादा किसिंग पसंद है. उसने वो सब किया, जो मैंने कहा.
तीन बार सेक्स होने के बाद मैं थक गया था. लेकिन वो नहीं थका था. उसका मजबूत लंड अभी भी सलामी दे रहा था. करता भी क्या बेचारा, बीवी होने के बावजूद उसका सूखा चल रहा था. पता नहीं कितने दिनों की प्यास थी जो आज मिट रही थी.
लेकिन मैं अब थक चुका था. मैं उसको अपना नंबर देकर और उसका नंबर लेकर उधर से वापस निकल आया. मुझे रूम तो नहीं मिला, लेकिन अगले कुछ दिनों तक गांड की खुजली का मुफ्त इलाज मिल गया था.
जब भी उसे प्यास लगती है, वो मुझे बुला लेता है. लेकिन अब उसमें पहले जितना मजा नहीं आता इसलिए मुझे नए लंड की तलाश जारी है.
आपको मेरी इस गांड चुदाई की कहानी पर क्या कुछ कहना है, प्लीज़ कमेंट्स कीजिएगा.
लेखक के अनुरोध पर इमले आईडी नहीं दिया जा रहा है.