नमस्ते सेक्स के प्यासे दोस्तों! मैं आर.जे. जाट आप सबका अन्तर्वासना में स्वागत करता हूँ, मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 27 साल है और मेरे लंड का साइज़ 9 अंगुल के करीब है. मैं राजस्थान पुलिस में ही काम करता हूँ. मैं अपने जीवन की एक बिल्कुल सच्ची घटना आप लोगों को बताना चाहता हूँ. यह बात उस वक्त की है जब मैं पढ़ता था और एक बार अपने बड़े भाई के ससुराल में गया हुआ था. वहाँ पर मेरी भाभी की बहन भी आई हुई थी. उसका नाम रेखा था और वह भी पढ़ती थी। लेकिन मैंने नोटिस किया कि वो किसी न किसी बहाने से बार-बार मेरे पास आने की कोशिश करती थी. इस तरह मैं भी धीरे-धीरे उसको पसंद करने लग गया था. वह मुझे अच्छी लगने लगी थी.
रेखा भी जाटनी थी, देखने में भी काफी सुंदर थी. उसकी आंखें काली और गोल थीं. गोल सा चेहरा था. उसकी चूचियाँ अभी ज्यादा बड़ी नहीं हुई थीं. वह किसी फिल्म की हिरोइन से कम नहीं लगती थी देखने में. मेरे भाई ने मज़ाक में अपने साले से हमारी शादी की बात भी कर डाली. मेरे मन तो लड्डू फूटने लगे थे. अगर मेरी शादी इस लड़की से हो जाए तो मुझे मज़ा आ जाए. लेकिन मेरे भाई के साले ने यह कहकर मना कर दिया कि रेखा तो अभी छोटी है, इन दोनों को शादी लायक तो हो जाने दो. तब इनकी शादी करवा देंगे. उसके बाद हम दोनों अपने गांव वापस आ गए.
धीरे-धीरे समय गुज़रता गया. मैंने एम.सी.ए. के कोर्स में दिल्ली शहर में एडमिशन ले लिया. मेरा जब तीसरा ही सेमेस्टर चल रहा था तो मेरे घरवालों ने मेरी शादी भी फिक्स कर दी थी.
जब मेरी शादी फिक्स हो गई तो मैं बड़ा निराश रहने लगा. मुझे बहुत दुख हुआ. मैं तो रेखा से शादी के सपने देख रहा था. मैं उसे बहुत पसंद करता था. मैं किसी भी तरह बस उसी से शादी करना चाहता था. मैं उस दिन बहुत रोया. मैंने अपने घरवालों से भी इस बारे में बात की. मैंने उनको समझाने की भी बहुत कोशिश की कि मैं पढ़ाई पूरी होने से पहले शादी नहीं करना चाहता. इस बहाने शायद रेखा से मेरी शादी हो सकती थी. लेकिन मेरे पिता जी लड़की वालों को ज़बान दे चुके थे और मुझे अपने बापू की चौधर व परिवार की इज्जत के सामने झुकना ही पड़ा. मेरी शादी मेरे न चाहते हुए भी पक्की कर दी गई.
मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था इसलिए मैंने बेमन से वह शादी कर ली. जब मेरी शादी हो रही थी तो रेखा भी मेरी शादी में आई थी. वह कई बार मुझसे कहती कि तू तो मुझसे शादी करने वाला था न? तूने अपने वादा तोड़ दिया.
मैं भी मन ही मन बहुत रोया. लेकिन मेरे बस में कुछ नहीं था. शादी के एक दिन पहले रेखा से मेरी बात भी हुई, हम दोनों ही रोने लगे. रेखा ने कहा कि अब हमें एक-दूसरे को भूल जाना चाहिए क्योंकि अब इन सब बातों का कोई फायदा नहीं है. जो होना था वह तो हो गया है.
मैंने उसे बहुत समझाया कि मैंने सिर्फ और सिर्फ उसे ही चाहा है. जब पहली बार उसको देखा था तब से ही उससे इतना लगाव हो गया था और मैं इसी इंतज़ार में था कि एक दिन हमारे घर वाले हमारी शादी भी करवा देंगे। हम दोनों बातें करके सो गए.
जब मेंहदी की रस्म हो रही थी तो रेखा ने मेरे हाथों पर मेंहदी से अपना नाम भी लिख दिया.
बात उस रात की है जब रिश्तेदार ज्यादा होने की वजह से मैं मेरी बहनों के पास आँगन के बाहर खुली जगह में सोया हुआ था. वहां पर 4 तख्त डले हुए थे. उन पर एक पर मैं और मेरी छोटी भान्जी, एक पर रेखा और उसके मामा की लड़की और उनकी बगल में मेरी बहनें सोई हुई थीं. मैं बाहर की तरफ था. मेरे और रेखा के बीच में मेरी भान्जी और रेखा के मामा की लड़की सोई हुई थी.
मुझे तो वैसे ही नींद नहीं आ रही थी. समय देखा तो रात के 2 बज रहे थे. जब मैंने रेखा की तरफ ध्यान दिया तो पता चला कि वो भी जग रही है. उसे भी शायद नींद नहीं आ रही है. मैंने रेखा को हाथ मारा तो उसने मेरी तरफ देखा और इशारे में मुझसे पूछा- क्या है?
मैंने थोड़ा उठकर देखा तो सभी लोग सो रहे थे. मैंने अपनी भान्जी को अपनी दूसरी तरफ सुला दिया. साथ ही रेखा को मेरे नज़दीक आने के लिए इशारा किया. रेखा ने भी अपने मामा की लड़की को दूसरी तरफ सुला दिया और रेखा सरक कर मेरे पास आ गई. मैंने उसकी आंखों में देखा और वह मेरी आंखों में देख रही थी. मैं धीरे से उसके बालों में हाथ फिराने लगा.
वो मेरी किसी भी हरकत पर नाराज़ नहीं हो रही थी. मैंने धीरे से उसके माथे पर किस कर दिया. फिर भी उसने कुछ नहीं कहा. फिर मैंने उसके होठों पर एक हल्का सा किस कर दिया. वह मुस्करा दी, साथ ही थोड़ा सा शरमा भी गई. मैंने उसको अपनी तरफ खींचते हुए उसको अपनी बाजुओं में भर लिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा. वह भी मुझे अपनी बाजुओं में लेकर मेरी गर्दन पर किस करने लगी.
मेरा लंड भी अचानक खड़ा होना शुरू हो गया. मैंने रेखा को और ज़ोर से किस किया और उसको ज्यादा जोश के साथ अपनी बाजुओं में कसने लगा. वह भी मेरे आगोश में समाती जा रही थी. मुझे मस्ती सी चढ़ने लगी थी.
फिर जब मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ तो मैंने रेखा के कुर्ते के ऊपर से ही उसके चूचों को भी दबाना शुरू कर दिया।
अब वह धीरे-धीरे कामुक सिसकारियाँ भरने लगी. मैंने फिर से उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया क्योंकि उसकी सिसकारियों की आवाज़ से आस-पास सोए हुए मेहमानों के उठ जाने का डर था, इसलिए मैंने उसके होठों का रस पीते हुए उसको चुप करवा दिया. वह भी मस्ती में भरने लगी थी. जब मैं उसके मम्मों को दबा रहा था तो मुझे महसूस हुआ कि उसके चूचे धीरे-धीरे टाइट हो रहे हैं. इसलिए मैंने उनको और ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया. साथ ही उसके होठों को भी चूसता रहा.
मुझे पहली बार किसी जाटनी लड़की के बदन का स्पर्श मिल रहा था. इसलिए मुझे खुद पर कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था. वैसे भी मैं रेखा को पहले से पसंद करता था. वह भी मुझे पसंद करती थी. इसलिए रेखा भी मेरा पूरी तरह से साथ दे रही थी.
फिर मैंने रेखा के कुर्ते में हाथ डाल दिया और उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. इधर मेरे पजामे में मेरा लंड तन गया था और उसकी जांघों में घुसने के लिए जिद कर रहा था. मैंने रेखा का हाथ पकड़ा और उसको अपने तने हुए लौड़े पर रखवा दिया। रेखा मेरे पजामे में तने हुए लौड़े को ऊपर से ही सहलाने लगी। वो भी पूरे जोश में आ चुकी थी और मेरे लंड को पकड़ कर मसल रही थी।
मैं उसके चूचों को दबाते हुए उसके होठों का रस चूसने में लगा हुआ था. कुछ मिनट बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने रेखा का हाथ अपने लंड से हटवा दिया और उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा. नाड़ा खोलकर मुझे पता चला कि उसने अंदर पैंटी भी नहीं पहनी थी. मैंने उसकी चूत को मसलना शुरू कर दिया.
जब वह तड़पने लगी तो मैंने अपनी उंगली को उसकी चूत में डाल दिया और अपनी उंगली उसकी चूत के अंदर-बाहर करने लगा. वो फिर से कामुक सिसकारियाँ लेने लगी. मैंने दोबारा से उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और उसकी चूत में उंगली को अंदर बाहर करना चालू रखा. जब मैं अपनी उंगली उसकी चूत में अंदर-बाहर कर रहा था तो मुझे महसूस हुआ कि मेरी उंगली पर कुछ गीला पदार्थ लगने लगा है।
रेखा ने मेरा हाथ हटवा दिया.
मैंने पूछा- क्या हुआ..
वह बोली- मेरी सलवार खराब हो जाएगी.
मैंने उसके कान में चुपके से कह दिया कि चलो टॉयलेट में चलते हैं. हम दोनों चुपके से बिना शोर किए उठकर टॉयलेट में जाने के लिए उठ गए लेकिन तभी मेरे ताऊ का लड़का आ गया और उसने सबको उठा दिया. फिर हम दोनों वहां से किसी तरह तितर-बितर हो गए.
अगले दिन मौका पाकर मैंने रेखा से कहा कि मैं तुमसे अकेले में मिलना चाहता हूँ।
वह भी जल्दी ही मान गई. वह भी शायद मेरे साथ सेक्स करने के मूड में लग रही थी.
फिर मैंने अपने एक दोस्त को फोन किया तो उसने अपने खाली प्लॉट पर हम दोनों के लिए जगह का जुगाड़ भी कर दिया. रेखा साथ में अपने मामा की लड़की को भी लेकर आ गई.
मैंने उससे पूछा कि वह अपने मामा की लड़की को साथ में लेकर क्यों आई है तो उसने बताया कि वह रखवाली करने के लिए उसको साथ में लेकर आई है, इसलिए उसने मामा की लड़की को कमरे के बाहर ही खड़ी कर दिया.
हमने अंदर जाकर रूम लॉक कर लिया और मैंने रेखा को चूमना शुरू कर दिया. मैंने बिना देर किए हुए रेखा को नंगी कर दिया. फिर मैंने उसको वहीं फर्श पर लेटा लिया अपने कपड़े भी उतार फेंके. मैंने उसके ऊपर लेटकर अपना लंड उसकी चूत के मुंह पर लगाया और एक धक्का दे दिया. मेरा लंड उसकी चूत में अंदर जा घुसा. लेकिन उसे ज्यादा कुछ दर्द नहीं हुआ. मैं समझ गया था कि यह पहले भी चुद चुकी है. इसलिए मैंने उसको चोदना शुरू कर दिया.
मैंने उसकी चूत में लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और उसकी जाटनी चूत को चोदते हुए उसके होठों को भी साथ ही चूसने लगा. बीच-बीच में मैं उसके चूचों को भी दबा देता था. वह भी पूरा मज़ा लेकर मेरे लंड के साथ चुद रही थी.
15 मिनट की चुदाई के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकालना चाहा लेकिन उसने मुझे अपनी तरफ दोबारा खींच लिया. मेरा लंड उसकी चूत में फिर से जा घुसा और दो-तीन धक्के देने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया.
मैं भी हैरान था कि उसने अपनी चूत में ही मेरा माल गिरवा लिया. उसे थो़ड़ा सा भी डर नहीं लगा प्रेग्नेंट होने के लिए. कुछ देर तक मैं उसके ऊपर गिरकर ऐसे ही हाँफता रहा.
जब हम दोनों शांत हो गए तो मैंने उसकी चूत में से अपना लंड बाहर निकाल लिया. रेखा काफी खुश लग रही थी. उसके चेहरे पर संतुष्टि का एक भाव मुझे साफ-साफ दिखाई दे रहा था. इसलिए मैं अपनी जिज्ञासा को शांत करना चाहता था.
उसकी चूत मारने के बाद मैंने उससे पूछा कि उसने पहले भी किसी के साथ सेक्स किया हुआ है क्या?
रेखा ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया.
लेकिन मैं जान गया था कि वह पहले भी किसी और के साथ सेक्स कर चुकी है. इसलिए उसने मेरी बात को कोई जवाब नहीं दिया.
उसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और वहां से निकल लिए. उसी दिन शाम को मेरी शादी हो गई. कुछ दिन के बाद मुझे पता चला कि रेखा की शादी भी हो चुकी है.
फिर एक दिन अचानक वह हॉस्पिटल में मुझे दिख गई. वह बार-बार मेरे करीब आने की कोशिश कर रही थी. वैसे तो मैं भी अपनी बीवी की चूत मारकर बोर हो चुका था और मन कर रहा था कि कोई नई चूत मिल जाए. मैं सोच रहा था कि क्यों न रेखा की ही चूत मार लूँ लेकिन उस वक्त वह अपने पति के साथ थी. इसलिए मैंने ज्यादा कुछ करने की कोशिश नहीं की.
लेकिन अब मैं पछता रहा हूँ कि उस दिन अगर उससे कुछ बात हो जाती तो मुझे उसकी चूत फिर से मारने के लिए मिल जाती. उसके बाद वह मुझसे कभी नहीं मिली.
मैंने कई बार कोशिश की कि उससे कुछ बात हो जाए. लेकिन बात नहीं बन पाई. लेकिन मैंने तय कर रखा है कि अगली बार वो जब भी मिलेगी तो मैं उसकी चूत में अपना लंड डाल कर ही रहूंगा.
मुझे अलग-अलग चूतों को चोदने में बहुत मज़ा आता है, मैं जिगोलो बनना चाहता हूँ, इसलिए मैं पाठकों से पूछना चाहता हूँ कि मुझे जिगोलो बनने के लिए क्या करना होगा, जिगोलो बनने के पीछे मेरा मकसद सिर्फ चूत मारना नहीं है, चूत मारने के साथ-साथ कुछ आमदनी भी हो जाएगी. इसलिए मुझे बताएँ कि जिगोलो कैसे बना जाता है.
आप मुझे मेल पर बता सकते हैं. साथ ही मैं पाठकों से यह भी जानना चाहता हूँ कि आपको मेरी यह पहली कहानी कैसी लगी. मुझे आप सब के मेल का इंतज़ार रहेगा. आप मुझे नीचे दी गई आई-डी पर मेल कर सकते हैं. अगर आपके इस जाट भाई से कुछ ग़लती हो गई हो तो प्लीज़ मुझे माफ कर देना. जल्दी ही मैं रेखा की चूत की चुदाई की एक और कहानी लेकर आऊंगा.
उससे पहले मैं जिगोलो बनने की प्रैक्टिस कर रहा हूँ। आप लोग मुझे प्लीज़ बताएं कि जिगोलो बनने के लिए मुझे क्या करना होगा.
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