मेरे प्यारे पाठको, आज मैं आप सभी को सुनाने जा रहा हूँ कि अपने जीवन में देसी लड़की की चूत का मजा कैसे लिया.
यह बात तब की है, जब मेरी बारहवीं का परिणाम घोषित हुआ था.
मैं 89 प्रतिशत नंबरों के साथ पूरे विद्यालय में तीसरे स्थान पर आया था.
सभी ने मुझे बधाई दी.
मैं आगे की इंजीनियरिंग की परीक्षा की तैयारी के लिए पटना अपनी बुआ के यहां आ गया.
पटना में बुआ का घर एक पॉश इलाक़े में था.
उनका घर बहुत बड़ा और आलीशान था मगर मुझे मिलाकर घर में सिर्फ़ तीन ही सदस्य थे. मैं, फूफा जी और बुआ जी.
घर तीन तल्ले का था और अभी कुछ ही साल पहले घर से सटे हिस्से में एक और घर बना था. जो घर पहले वाला था, वो किरायेदारों के लिए बना दिया गया था और नए घर का उपयोग हम सब करने लगे थे.
मैंने यहां गणित और रसायन विज्ञान की तैयारी के लिए एक कोचिंग में दाखिला ले लिया. मैं बुआ के घर से साइकिल से ही कोचिंग आने जाने लगा.
ये बात गर्मियों की है. मई का महीना था.
रात को जब मैं दिन भर की कोचिंग करके वापस आया तो इतना थक चुका था कि मैं बिना खाए ही सिर्फ़ दूध पीकर सोने चला गया.
सीढ़ियों से ऊपर चढ़ कर मैं अपने कमरे में आ गया और चादर ओढ़ कर एसी चला कर सो गया.
मेरी आंख अभी लगी ही थी कि बाथरूम का दरवाज़ा खुला.
मैं डर कर उठ गया और देखा कि एक औरत पेटीकोट और ब्लाउज में थी और अपने बाल पौंछते हुए बाहर निकल रही थी.
मैं उसे देखकर भौंचक्का रह गया कि ये कौन है?
मैंने उससे पूछा, तो उसने बताया कि बाबू जी मैं यहां की नई नौकरानी हूँ. आज ही गांव से आई हूँ. चाची जी ने मुझे यहीं रहने के लिए बोला है. उन्होंने मुझे आपके बारे में भी बताया है. आप घबराइए नहीं, मैं यहीं नीचे सो लूँगी, मेरा बिस्तर लगा हुआ है.
पहले तो मुझे थोड़ा अजीब सा लगा लेकिन धीरे धीरे आदत सी हो गई.
यही नहीं, अब वो घर के हर काम के साथ साथ मेरा भी हर तरीके से ख्याल रखने लगी थी.
उस वक़्त इंटरनेट नया नया चलन में आया था और साइबर कैफे में लड़कों लड़कियों की होड़ सी लगी रहती थी.
मेरे कुछ कोचिंग के दोस्तों ने मुझे इंटरनेट के बारे में बताया.
वैसे मैं पहले ही बता दूं कि उस वक़्त तक मुझे सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं पता था.
हां वो बात अलग है कि मेरे ही स्कूल की एक लड़की पर मैं स्कूल टाइम से ही मरता था.
वो मेरी अच्छी दोस्त भी थी लेकिन मैं उससे प्यार करता हूँ … ये कभी कहने की हिम्मत नहीं हुई.
एक मर्तबा मेरे दोस्त अरुण के साथ ये तय हुआ था कि संडे को एक्सट्रा क्लास के बहाने कैफे जाएंगे.
मैंने संडे को किताबें उठाईं और गेट पर रखी साइकल लेकर चल दिया.
मेरा दोस्त अरुण पहले से ही इंतज़ार कर रहा था.
हम दोनों ने एक सिस्टम लिया और परदा लगा कर बैठ गए.
अरुण ने तुरंत एक सेक्स साईट को मेरी आंखों के सामने खोल दिया और मैं एकटक देखता रहा गया.
नंगी लड़कियों को मैंने पहली बार देखा था.
कुछ देर बाद लगा कि मेरा पप्पू भी दहाड़ मारने लगा है.
एक घंटे बाद मैं घर आया और बाथरूम में जाकर पहली बार हस्तमैथुन किया.
क्या कहूँ कैसा महसूस हो रहा था.
मेरा माल बाथरूम में ही गिर गया और मैं हाथ धोकर बेड पर सो गया.
इस कशमकश में याद ही नहीं रहा कि हमारी नौकरानी पूजा भी मेरे ही कमरे में सोती थी.
मैं अचानक से जब एक घंटे बाद उठा तो याद आया कि बाथरूम साफ़ करना है.
मैंने बाथरूम का दरवाज़ा खोला तो देखा की बाथरूम पहले से साफ़ था.
मैं सोच में पड़ गया कि किसने बाथरूम साफ़ किया.
जब कुछ समझ नहीं आया तो वापस मुड़ा और बाहर आ गया.
बाहर देखा कि पूजा मेरे बिस्तर के बगल में नीचे चटाई पर लेटी हुई थी. उसकी सांसों के साथ उसका सीना उठ बैठ रहा था.
मैं सेक्स साईट की नंगी लड़कियों को याद करते हुए पूजा की चूचियों को देखने लगा.
क्या मम्मे थे उसके … देख कर ही मुँह में पानी आ गया.
उसका पेटीकोट घुटने तक उठा हुआ था.
मैं दबे पांव उसके पैरों के पास गया तो देखा कि उसने पैंटी भी नहीं पहनी थी और उसकी गुलाबी बुर मुझे साफ़ दिख रहा था.
उसकी चुत को देखते ही मेरे मुँह से आहह निकल गई और मेरी आवाज़ से उसकी आंख खुल गयी.
मैं हड़बड़ा कर पलंग के नीचे ऐसे देखने लगा, जैसे मैं कुछ खोज रहा होऊं.
उसने पूछा- क्या खोज रहे हो छोटे बाबू?
मैंने कहा कि मेरी एक किताब नहीं मिल रही. पता नहीं कहां रख दी मैंने.
तो वो उठी और ‘मस्त राम की हसीन रातें …’ नामक किताब रैक पर से उतार कर मुस्कुराती हुई मेरी तरफ देखने लगी.
उसकी इस नशीली मुस्कान से मेरे तो होश ही उड़ गए कि अब तो मेरी चोरी पकड़ी गयी.
मैं रात को अकेले में ये कहानियां पढ़ने के लिए अरुण से लेकर आज ही आया था लेकिन जब मैं बाथरूम से निकल कर सोया था … शायद तभी मेरे बस्ते से पूजा ने निकाल ली होगी.
मैंने उससे कहा- ये मेरी किताब नहीं है, एक दोस्त ने दी है.
मैं हाथ जोड़ कर विनती करने लगा कि इसके बारे में किसी को ना बताना. तुम जो बोलेगी, मैं करूंगा.
वो मान गयी लेकिन उसने बोला- माना कि आप बड़े हो रहे हैं लेकिन ये सब गंदी बातें होती हैं.
उसके बाद कुछ दिन मैं डर के मारे शांत रहा लेकिन फिर भी अब पूजा की बुर देखने के बाद मेरा बार बार मन करता कि काश एक बार मुझे फिर से बुर दिख जाए.
लेकिन मैं उससे ये सब कैसे बोल सकता था.
इस बात को धीरे धीरे छह महीने बीत गए. इस बीच मैंने पूजा को हर तरह से देखने का मजा लिया.
वो शायद मुझे खुद ही दिखाती थी.
नहाती हुई पूजा को मैंने नंगी भी देखा था और उसको चुत में उंगली करते हुए भी देखा था.
पर मेरी गांड फटती थी कि उससे चुदाई के लिए कुछ कहूँ.
एक दिन जब मैं सुबह उठा तो देखा कि ड्राइवर गाड़ी निकाल कर बाहर खड़ा था और फूफा बुआ दोनों कुछ सामान बाहर रख रहे थे.
मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने फूफा से पूछा- आप लोग कहीं जा रहे हैं?
तो उन्होंने बताया कि गांव पर कुछ दिक्कत आई है इसलिए लगभग एक हफ्ते के लिए गांव जा रहे हैं. तुम चिंता मत करो, पूजा को सारा कुछ पता है. वो खाने पीने का ध्यान रखेगी. तुम नीचे हम लोगों के कमरे में ही रहना. पूजा तुम्हारे कमरे में सो जाया करेगी.
मैंने कहा- ठीक है.
कुछ देर बाद वो लोग निकल गए.
मैं अन्दर आ गया और नाश्ते की मेज़ पर बैठ गया.
पूजा आज कुछ बदली बदली लग रही थी.
मैंने जब ध्यान से देखा तो पाया कि उसने गहरे गले का ब्लाउज पहना है, जिसमें से लग रहा था कि उसके तीन तीन किलो के चुचे बाहर आने को मचल रहे हों. पूर्णतः दूध के कलश लग रहे थे एकदम गोरे से.
मैं सुध बुध खोकर उसकी तरफ देखता रहा और वो कब मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी, कुछ पता ही नहीं चला.
जब उसने कहा- छोटे बाबू इतने गौर से देख रहे हो कि लगता है कि आंखों से ही दूध पी लोगे क्या?
मैं उसकी इस बात से एकदम से हड़बड़ा गया और नाश्ता करने लगा.
वो खिलखिलाती हुई गांड मटकाती हुई अन्दर चली गई.
तभी बाहर अचानक से बारिश होने लगी तो मैंने भी कोचिंग जाना रद्द कर दिया.
प्लेट जब किचन में रख कर मैं बाहर निकल ही रहा था कि अचानक जोर की आवाज़ के साथ बिजली की गर्जना हुई.
बस इतनी आवाज में पूजा मुझसे जोर से लिपट गयी.
मुझे भी कुछ समझ नहीं आया और मैंने भी उसे जोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया.
उसके दूध के कलश जब मेरे सीने से दबने लगे तो क्या बोलें कि मुझे कैसा लगा.
मेरा सीना उसकी चूचियों पर और मेरे दोनों हथेलियां उसके बड़े बड़े गोल गोल चूतड़ों पर जम गए थे.
लगभग पांच मिनट तक हम लोग लिपटे रहे.
थोड़ी देर में पूजा ने कहा- बाबूजी … अब तो छोड़ दो.
मैंने तुरंत उसे छोड़ दिया.
उसने मेरी तरफ प्यार से देखते हुए कहा- मुझे पता है आप मुझ पर फिदा हो और आपने मेरी बुर को देखा है. ये भी मुझे पता है. लेकिन शायद आपको नहीं पता कि पिछले छह महीने से मैं आपको नहाते हुए देखती हूँ और आपके लंड को भी. फिर भी मैं कुछ नहीं बोलती थी क्योंकि अगर किसी को कुछ पता चल जाता, तो दिक्कत हो जाती. बस आज ऊपर वाले ने शायद मेरी सुन ली है और आज आप मेरे सामने हो. फिर आज घर में भी कोई नहीं है. बाबूजी अगर आप चाहो तो अपनी और मेरी दोनों की प्यास बुझा सकते हो.
इतनी बेबाक बात सुनकर मैं अवाक हो गया और खड़ा खड़ा उसे देखता रहा.
फिर जब उसने बोला- बाबूजी ओ बाबूजी!
तब जाकर मुझे होश आया.
मैं उसे लेकर हॉल में बैठ गया.
उससे पूछा- आख़िर मैं ही क्यों? तुम तो शादीशुदा लगती हो.
तब उसने रोना शुरू कर दिया.
मैंने पूछा तो उसने अपनी आपबीती बताई कि उसकी शादी के तीन महीने बाद ही उसका मर्द उसे छोड़ कर चला गया था. उसे किसी और लड़की से प्यार था.
मैंने सोचा कि इसका पति अजीब भोसड़ था. चूतिया इतने गोल मटोल बदन को छोड़ कर किसके पीछे पड़ा हुआ था.
फिर उसने बताया कि सुहागरात के दिन भी वो उसके साथ नहीं था.
ये सब बता कर पूजा रोने लगी.
मैंने सीधा उसके होंठों पर अपने होंठों को लगा दिया और जोर जोर से चूसने लगा.
वो भी मेरा साथ देने लगी.
फिर लगभग पांच मिनट के बाद वो मुझसे अलग हुई और बाहर की ओर भाग गयी.
मुझे लगा कि शायद वो घबरा गयी होगी लेकिन वो बाहर सारे दरवाज़े बंद करने गयी थी.
सब में ताला बंद करके वो वापस आ गयी लेकिन इस बार उसके बदन पर उसकी साड़ी नहीं थी.
वो आते ही मुझसे लिपट गयी और आहें भरने लगी.
मैंने उसको पीछे से पकड़ लिया और उसके बड़े बड़े चुचों को हाथों में भरकर मसलने लगा.
उसका हाथ मेरे लंड पर चला गया.
मैंने उसके ब्लाउज का हुक खोल दिया. उसकी चूचिया नंगी होकर मेरे हाथों में आ गईं.
उसकी आंखें पूरी तरह बंद थीं और वो मज़े ले रही थी.
मैंने उसे सामने पड़े सोफे पर सुला दिया और उसके पेटीकोट के नाड़े को खोल कर एक झटके में उसके शरीर से अलग कर दिया.
आह उसका बदन पूरा चमक रहा था.
मैंने अपने भी सारे कपड़े उतार दिए और साथ ही साथ अपने लंड को सहलाने लगा.
अब वो बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी.
मैं उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूचियों को पीने लगा.
इतनी नर्म चूचियां थीं कि सारी पॉर्न स्टार भी इसके सामने कुछ नहीं थीं.
वो मज़े से दूध चुसवा रही थी और मेरे सर को अपने मम्मों पर दबाए हुई थी.
उसकी चूचियां पीते पीते मैं नीचे आ गया और उसकी नाभि को किस कर दिया.
वो सिहर उठी तो मैंने उसकी टांगें फैलाते हुए उसकी बुर पर अपने होंठों को रख दिया.
एकदम से वो मचल उठी और उसकी मादक सिसकारियां निकलने लगीं.
मैंने उसकी बुर को जीभ से चूसना और चाटना शुरू कर दिया.
सच में पहली बार किसी की चुत चाट रहा था.
शुरू में तो कुछ खट्टा सा लगा मगर उसकी चुत की मादक महक मेरे तन बदन में आग लगाने लगी थी तो बेहद मज़ा आ रहा था.
उसे तो अपनी चुत चटवाने में इतना सुख मिल रहा था कि वो आह पर आह बोलती हुई मेरे सर को अपनी चुत पर दबा रही थी और चिल्ला रही थी- आंह चूसो बाबू और चूसो.
इधर मैं अपने हाथ ऊपर करके उसकी चूचियों को ऐसे मसल रहा था जैसे अब इनमें से दूध निकल ही आएगा.
मेरा लंड पूरा तन्ना गया था.
मैंने वीडियो में देखा था कि पेलने के पहले चूत पर थूक लगा कर ही पेलते हैं. ताकि आसानी से लंड अन्दर घुस जाए.
मैंने जैसे ही थूक लगाया, उसने कहा- रूको बाबू … आज थूक से काम नहीं चलेगा … मेरा पहली बार का मामला है.
वो रसोई से तेल का डब्बा ले आई और कहा- इसे लगाओ और पेलो. आपको भी मज़ा आएगा और मुझे भी.
अभी वो बिल्कुल अप्सरा लग रही थी.
मैंने लंड पर तेल लगाया और चुत में मल दिया.
फिर मैं उसे चित लिटा कर ऊपर चढ़ गया.
मैंने धीरे से लंड देसी लड़की की चूत में घुसाया.
तो उसे दर्द हुआ लेकिन वो सहन किए जा रही थी.
मैंने पूछा तो बोली- आप बस डालो बाबू … जितना दर्द होगा, उतना मज़ा आएगा.
फिर जब पूरा लौड़ा घुस गया तो मैंने बाहर लंड को निकाला और इस बार एक झटके में अन्दर डाल दिया.
वो अभी कुछ सम्भल पाती कि मैंने झटके लगाने शुरू कर दिए.
उसने तड़फते हुए कहा- आंह दर्द हो रहा है मगर आप करते रहो बाबू … मज़ा आ रहा है.
कुछ ही देर बाद वो अपनी मोटी गांड उठा उठा कर चुदाई करवाने लगी.
बड़ा मज़ा आ रहा था.
मेरा पहली बार था फिर भी लगभग बीस मिनट के बाद मेरा रस निकल गया.
मैं झड़ कर उसके ऊपर लेट गया.
उसने भी मुझे पकड़ लिया.
पांच मिनट के बाद ही फिर से उसकी बुर में मेरा लंड खड़ा हो गया और इस बार लम्बी चुदाई हुई, वो भी घमासान.
इस बार मैंने उसकी गांड में भी घुसाया मगर वो देर तक सफल नहीं हुआ.
फिर उसने मेरा लंड चूस कर उसके रस को पिया.
अब हम दोनों थक गए थे तो एक दूसरे से लिपट कर नंगे ही सो गए.
लगभग दो घंटे बाद उठा तो देखा सामने पूजा रसोई में खाना बना रही थी, वो भी नंगी.
मुझे देख कर बड़ा मज़ा आया.
मैं उठा और पीछे से उसकी गांड में लंड पेलने लगा.
वो भी मज़े से चुदने लगी थी और खाना भी बना रही थी.
फिर हम दोनों ने साथ बैठ कर खाया और थोड़ी देर बाद नहाने भी गए.
वहां हम दोनों ने एक दूसरे को पूरा साफ़ किया और फिर बाहर निकलने पर तो वो लग ही नहीं रही थी कि कोई नौकरानी हो.
वो बिल्कुल अप्सरा लग रही थी.
मैंने उसको बुआ का एक सूट दिया जिसको उसने पहना.
मुझसे कुछ पैसे लेकर वो मेडिकल स्टोर से गर्भनिरोधक दवा ले आई.
मैंने बोला- कंडोम भी ले आता हूँ.
उसने ये बोल कर मना कर दिया कि कंडोम लगा कर मज़ा नहीं आएगा.
फिर रात को हम लोग एक साथ सोए और अगले सात दिन हमने कुछ नहीं पहना.
वो जितना तड़प रही थी, उसकी सारी तड़प निकल गयी.
उसने कहा- भले आपकी शादी हो जाए … लेकिन आपकी पहली बीवी मैं ही रहूंगी. मेरे इस शरीर पर अब सिर्फ़ आपका अधिकार है.
सिर्फ़ महीने के माहवारी के कुछ दिन छोड़ कर अब हर दोपहर और रात को हम दोनों एक दूसरे से अपनी प्यास बुझाते थे.
मेरा पढ़ाई में भी मन लगने लगा था और जब कम्पटीशन दिया तो मेरा रिज़ल्ट भी अच्छा आया.
मुझे एनआईटी जालंधर में दाखिला मिल गया था.
आज मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ.
पूजा अब अपने गांव चली गयी है लेकिन आज भी उससे फोन पर बातें होती हैं.
अगर ऊपर वाले ने चाहा तो एक बार फिर वो मेरा लंड … और मैं उसकी चूचियां ज़रूर चूसूंगा, उसकी देसी चूत का मजा लूंगा.