यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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अभी तक आपने पढ़ा था कि अंकल ने मेरी कच्ची जवानी को एकदम गरम कर दिया था. मुझे खुद उनसे ये सब करवाने में मजा आने लगा था. आज मेरी चूत के इलाके की चुम्मी लेने का दिन था.
अब आगे:
“अंकल आज भी कल की तरह रिवीजन करेंगे या सीधे आगे के चैप्टर पर जाएंगे?” यह कहते हुए आज के खेल की शुरूआत मैंने खुद ही की.
“अरे वाह नीतू … तुम आज पूरी रेडी हो कर आई हो.
यह कहकर उन्होंने मुझे अपनी बांहों में पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर मुझे चूमने लगे. अंकल ने डिरेक्टली रिवीजन शुरू कर दी थी, मैंने भी अपने होंठ खोल कर अंकल की जीभ को रास्ता दिया. अंकल ने एक हाथ मेरी पीठ पर रखा, तो दूसरा मेरे चूतड़ पर रखा और मुझे और करीब खींचा. मुझे मेरे पेट पर एक सख्त चीज चुभने लगी थी. ये अंकल का कड़क लंड था. अंकल भी मजे से मेरे होंठ चूसने लगे थे.
“चलो नीतू … कल की तरह बेड पर लेट जाओ.”
मुझे बेड पर लिटाने के बाद उन्होंने मेरे स्तनों को शर्ट के ऊपर से ही सहलाया, उनके सहलाने से मेरा अंग भड़क उठा.
“नीतू आज तुम्हारी शर्ट पूरी उतार दूँ?”
“हां अंकल, पूरी उतार दो.” मैंने आज अंकल को पूरी आजादी देने की सोची थी.
“तो नीतू तुम ही उतार दो ना.”
मैं उठकर बैठ गई, शर्म को बाजू में रख कर मैंने खुद ही मेरी शर्ट को उतार दिया और ब्रा भी उतार दी. मेरी फुर्ती देख कर अंकल का मुँह खुला ही रह गया.
अब अंकल मेरे एक निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे, उनके हाथ मेरी नंगी पीठ पर घूम रहे थे. उन्होंने मेरा चेहरा, छाती, पेट पर चुम्मियों की बारिश कर दी.
“नीतू अब पेट के बल लेट जाओ, कल तुम्हारी पीठ की चुम्मी लेना ही भूल गया.”
“ईशशश … अंकल, आप भी अजीब अजीब तरीके ढूंढ निकालते हो … आपको यह सब कैसे सूझता है?”
“अब तुम्हारे जैसी हूर की परी सामने अधनंगी लेटी हो, तो मेरे जैसे कलाकार को यह सब सूझेगा ही ना.”
अंकल के कहने के मुताबिक मैं पेट के बल लेट गयी, अंकल भी मेरे पास बैठ गए. मेरे बाल साइड में कर के उन्होंने अपने होंठ मेरी गर्दन पर रखे और हाथों से मेरी पीठ को सहलाने लगे.
“उम्म … अंकल … मत सताओ ना … मुझे गुदगुदी हो रही है.”
“नीतू इधर तुम अपनी जवानी के जलवे बिखेर कर मुझे सता रही हो और उल्टा मुझे ही कह रही हो कि मत सताओ.”
अंकल ने मेरी पीठ की मालिश करनी शुरू कर दी, अपना हाथ मेरी गर्दन से कमर तक घुमा रहे थे और वही प्रक्रिया अपने होंठों से भी दोहरा रहे थे. उनके चुम्बन से मेरी पीठ अच्छे से गीली हो गई थी, बीच बीच में वह अपने हाथ मेरी बग़लों से ले जाते हुए मेरे स्तनों को दबोच लेते. थोड़ी देर सहलाने के बाद अंकल ने मेरे पेट के नीचे हाथ ले जाकर मुझे पलट दिया.
“नीतू … अब जरा नीचे खिसको और अपने पैर बेड के नीचे ले आओ.”
“क्यों अंकल?”
“आखिरी चैप्टर शुरू करना है ना!”
मैं नीचे खिसकी और पैर नीचे छोड़ दिए, अब मैं सिर से कमर तक बेड पर लेटी थी और पैर घुटनों से फोल्ड करके जमीन पर रखे हुए थे. जिस पल का मैं बेसब्री से इंतजार कर रही थी, वो पल पास आ रहा था.
अंकल- नीतू अब मुझे तुम्हारी स्कर्ट उतारनी होगी और..
उन्होंने बात आधे में ही रोक दी.
मैंने उत्तेजना वश पूछा- और क्या अंकल?
“और तुमने अन्दर जो पहना है वो … अगर पहना हो तो … वो भी उतारना पड़ेगा.”
अंकल मेरी तरफ देख कर मेरे रिएक्शन का इंतजार कर रहे थे.
मैंने भी उनको तड़पाने की सोची- अंकल आपका कहना है कि मैंने अन्दर कुछ भी नहीं पहना?
“मुझे नहीं पता?..कल तो तुमने मुझे उतार कर दी थी.”
“आपको क्या लगता है, मेरे पास एक ही पैंटी है?”
“अच्छा बाबा माफ करो, पर स्कर्ट और पैंटी उतारने दे रही हो या नहीं?”
“पर मेरी एक शर्त है, उन्हें उतारने पर मैं आंखें बंद कर लूंगी … मुझे शर्म आ रही है.”
“नीतू तुम आराम से आंखें बंद कर लो, जो कुछ खोलना है, मैं खोल लूंगा.”
अंकल बहुत ही नॉटी बातें कर रहे थे और अब तो मेरी तरफ से भी उन्हें ग्रीन सिग्नल मिला था. अंकल मेरे पैरों के करीब बैठ गए और मेरी स्कर्ट ऊपर उठाने लगे और उसे एक जगह मेरी पेट पर इकठ्ठा किया. पर उनका इरादा मेरी स्कर्ट उतारने का बिल्कुल नहीं था. मेरे बदन पर सिर्फ नाम के लिए स्कर्ट और पैंटी बची हुई थी. अंकल ने अपना हाथ मेरी पैंटी पर रखा, यह एक तूफान की शुरूवात थी, जो मेरे अन्दर पैदा होने वाला था.
अंकल ने उंगली से पैंटी के ऊपर से ही मेरी चुत मसलनी शुरू कर दी, मेरी चुत भी गीली होने लगी. अंकल ने अपनी उंगली चुत की दरार पर रख कर अन्दर दबाई. पैंटी थोड़ी लूज़ ही थी, तो पैंटी उंगली के साथ चुत के अन्दर चली गयी और मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चुत के होंठों का फूला हुआ आकार दिखने लगा. अब अंकल उस होंठों के आकार को पैंटी के ऊपर से ही मसलने लगे.
“अंकल मत कर..रो ना … कुछ तो … हो रहा है.”
“नीतू … इधर भी बाल हैं क्या?”
“मैं नहीं बताऊंगी … आप खुद ही पता कर लो..”
मैं शर्म से लाल हो रही थी, अंकल भी मस्ती के मूड में थे. मेरी परमिशन मिलते ही उन्होंने मेरी पैंटी खींच कर मेरे पैरों से उतार भी दी, मैंने शर्म से अपनी जांघें भींच लीं.
अंकल ने मेरे पैर खोलने की कोशिश की पर खोल नहीं सके, पता नहीं मेरे अन्दर कौन सी ताकत आ गयी थी. दो तीन बार प्रयास करने के बाद अंकल ने मुझे गुदगुदी करनी शुरू कर दी, उसकी वजह से मेरी पकड़ ढीली पड़ गयी, तो अंकल झट से मेरे पैरों के बीच आ कर पैरों को अलग किया. अब मेरे पैर खुलने से मेरी चुत भी थोड़ी खुल गई.
अंकल मंत्रमुग्ध हो कर मेरी चुत को देख रहे थे. उसी अवस्था में आगे झुककर अंकल ने मेरी चुत के होंठों पर चुम्मी ली.
“नीतू … तुम यहां भी कितनी खूबसूरत हो, रियली ब्यूटीफुल..!”
मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी, पहली बार कोई मेरी चुत को नंगी देख रहा था, वो भी इतने करीब से. उन्हें क्या बोलूँ मुझे सूझ नहीं रहा था. अचानक मुझे कल उनको दी हुई पैंटी की याद आयी- अंकल वो मेरी कल दी हुई पैंटी कहां है?
अंकल ने अपना हाथ गद्दे के नीचे डाला और मेरी पैंटी बाहर निकाली, पर मुझे देने की बजाय उन्होंने उसे अपने नाक के पास ले जाकर उसे सूंघने लगे.
“ईशश … अंकल क्या कर रहे हो?”
“नीतू तुम्हारी चुत की खुशबू सूंघ रहा हूँ.”
“आप भी ना पूरे बेवकूफ हो.” मेरे जवाब पर अंकल के चेहरे पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया.
“क्या बेवकूफी की मैंने?”
“जिस जगह की गंध आप डायरेक्टली ले सकते हो, उसकी गंध आप इंडिरेक्टली ले रहे हो..”
मैं मेरी चुत की तरफ इशारा कर के बोली. मेरा जवाब सुनकर अंकल को शॉक सा लगा- नीतू मान गए तुमको … कितनी बिंदास बातें करती हो … कहां से सीखा यह सब?
“अंकल आपसे ही तो पिछले दो दिन से ट्यूशन ले रही हूँ.”
“सच में नीतू दो दिन में बहुत अच्छा सीख गई हो, तुम्हें तो इनाम मिलना चाहिए.”
अंकल फ्रिज की तरफ गए और दो टॉफी ले कर मेरे पास आए, उसमें से एक मुझे देखर बोले- ये लो, ये तुम खाओ … जब मैं तुम्हारी चुम्मी लूंगा, तो मुझे मीठा स्वाद आना चाहिए …
मैंने उस टॉफी को खोल कर मेरी मुँह में डाला, चॉकलेट मेरी सबसे फेवरेट चीज है.
“अंकल आप नहीं खाओगे टॉफी?” मैंने उनके हाथ में टॉफी देखकर बोला.
“खाऊंगा ना … पर थोड़ा अलग तरीके से … तुम देखती तो जाओ.”
अंकल ने टॉफी का कवर निकालकर टॉफ़ी को झट से मेरी चुत में घुसाया, थोड़ी देर तो मुझे कुछ समझ नहीं आया, पर टॉफी की ठंडक चुत में महसूस होते ही मेरे शरीर में रोंगटे खड़े हो गए.
“उफ … अंकल, ठंडा है … बाहर निकालो उसे.”
“नीतू थोड़ी देर रुको, तुम्हारी चुत की गर्मी से वह पिघल जाएगी, तो मुझे तुम्हारी चुत की मिठास भी चखने को मिलेगी.” ऐसा बोलकर अंकल मेरी टांगों के बीच बैठ गए और मेरी चुत की पंखुड़ियों पर एक किस किया. अंकल ने मेरी चुत के दाने को अपने उंगलियों में पकड़ा. चुत के दाने को छूते ही मेरे पूरे बदन के तार बजने लगे. अंकल ने धीरे धीरे दाने को मसलना शुरू कर दिया, तो मेरे अन्दर की अग्नि भड़क उठी.
अब अंकल ने आगे की तरफ झुककर मेरे दाने को अपने मुँह में पकड़ा और हल्के से खींचते हुए काटा, फिर उसे होंठों में पकड़ कर मस्ती से चूसने लगे, अपनी जीभ से छेड़ने लगे. फिर उनकी जीभ मेरी चुत की पंखुड़ियों पर चलने लगी.
मुझे भी मेरी चुत के अन्दर चिपचिपापन महसूस होने लगा था, क्योंकि उसमें मेरी चुत के रस के साथ चॉकलेट था.
मैंने अपने हाथों से चुत की पंखुड़ियों को खोला और अंकल के मुँह को वहां पर दबाया. प्यासे को मानो कुआँ मिल गया हो, अंकल बरसों से प्यासे आदमी की तरह मेरी चुत के अन्दर के चॉकलेटी रस को पीने लगे.
“उम्म … नीतू इतना डेलिशियस चॉकलेट मैंने आजतक नहीं खाया … उम्म…” अंकल ने चाट चाट कर मेरी चुत के अन्दर का चॉकलेट खत्म कर दिया और अपनी जीभ मेरी चुत के अन्दर बाहर करने लगे.
मैं व्याकुल होकर बोली- आह … अंकल … बहुत अच्छा … लग रहा है … और अन्दर घुसाऽऽऽओ आप अपनी … जीभ..
“जीभ से कुछ नहीं होने वाला..” अंकल बोले.
“फिर … मुझे तो कुछ कुछ होने लगा है.”
“नीतू बेटा … जब ऐसा होता है तो जीभ नहीं, इसे अन्दर डालते हैं..”
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी लुंगी पर रखा, उस वक्त मुझे करंट सा लगा. मेरे हाथों में उनका तना हुआ लंड था.
“लुंगी निकालूँ क्या?” अंकल ने पूछा.
मैं कुछ भी नहीं बोली. मेरे मौन को मेरी सहमति समझकर उन्होंने अपनी लुंगी उतारी, तो मैं देखती ही रह गई. अंकल ने लुंगी के अन्दर कुछ भी नहीं पहना था. अंकल का तना हुआ लंड देख कर मेरे शरीर पर रोंगटे खड़े हो गए. उनके लंड के सामने की चमड़ी पीछे सरक गयी थी और उनका लाल लाल सुपारा साफ़ दिख रहा था, मानो इतनी देर कैद कर रखने की वजह से वो ग़ुस्से से लाल हो गया था.
“अंकल ये क्या कर रहे हो?”
“नीतू बेटा, अब तुम्हारी चुत को इसी की जरूरत है, उंगली जीभ से अब कुछ नहीं होने वाला है.”
“अंकल … मुझे डर लग रहा है … आप ये सब मत करो.”
“नीतू … तुम डरो मत, मैं सब आराम से और बड़े प्यार से करूँगा. तुम्हारा पहली बार है, इसलिए तुम्हें शुरू में थोड़ी तकलीफ होगी, पर बाद में तुम भी एन्जॉय करने लगोगी.”
ये कहकर अंकल मेरे पैरों के बीच में आकर खड़े हो गए. अंकल ने मेरे पैरों को घुटनों में फोल्ड किया और घुटनों को पकड़ कर मेरे कंधे तक ले आए. अब मेरे चूतड़ ऊपर हो गए और चुत की पंखुड़ियां खुल कर लंड के स्वागत के लिए तैयार हो गईं.
अंकल ने अपने लंड को पकड़ कर मेरी चुत पर रख दिया.
“आह..” मेरी चुत को लंड का पहला स्पर्श हुआ. उस गर्म स्पर्श से ही मैं पिघलने लगी. अंकल भी देर ना करते हुए अपना लंड चुत के अन्दर घुसाने लगे.
उनका इतना बड़ा लंड मेरी चुत में कैसे घुसेगा? मेरी चुत फट तो नहीं जाएगी? ऐसे सवाल मेरे मन में चल रहे थे, पर अंकल बहुत ही प्यार से लंड को अन्दर डाल रहे थे.
“नीतू दर्द होगा … तो बोलना … मैं बाहर निकाल लूंगा.”
वैसे तो मैंने बहुत सेक्स कहानियां पढ़ी थीं, उन कहानियों में पहले संभोग के दरम्यान स्त्री को होने वाले दर्द को हमेशा लिखा जाता था. पर अंकल मुझे दर्द ना हो, इसका पूरा ध्यान रख रहे थे. पहली बार होने की वजह से और चुत के मसल्स संभोग के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं होने की वजह से दर्द तो हो रहा था, पर वह दर्द भी मीठा लग रहा था.
अब अंकल के चौड़े मूसल ने चुत के अन्दर की खाली जगह को पूरी तरह से भर दिया था. चुत के मसल्स किसी इलास्टिक की तरह खुल रहे थे और लंड को अपनी बांहों में कस कर पकड़े हुए थे.
उनका लंड मेरी चूत में अन्दर तक आ जा रहा था.
“नीतू … कैसा लग रहा है … तकलीफ हो रही हो तो बोलना … मैं बाहर निकाल लूंगा.”
अंकल ने मेरे चेहरे पर हल्के दर्द के भाव को देखकर बोला, सच में उनको मेरी कितनी फिक्र थी. मैंने भी आज दर्द को सहने की सोच ली थी.
दस मिनट की चुसाई के बाद मेरी चुत तो वैसे ही चिपचिपी हो गयी थी, तो अंकल के लंड को अन्दर बाहर होने में मदद ही हो रही थी. अंकल अब मेरे शरीर पर झुके और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर मुझे किस करने लगे. मुझे उनके लंड से चुदवाने में मजा आने लगा था.
उनका एक हाथ मेरे छाती पर था और वह मेरे स्तन मसल रहे थे, दूसरा हाथ मेरी चुत पर रख कर मेरी चुत के दाने को छेड़ रहे थे.
मैंने अपना पूरा तन मन अंकल को समर्पित कर दिया था, अंकल बड़े आराम से मेरी चुत में लंड से पम्पिंग कर रहे थे. योनिमार्ग के साथ मेरा दाना भी रगड़ खाने की वजह से मेरी चुत फुरफुराने लगी थी. उसने अंकल के लंड पर अपनी पकड़ अब और टाइट कर दी.
“नीतू … देखो कैसे अच्छे से पकड़ा है तुम्हारी फुद्दी ने मेरे लंड को, आहहहह … बहुत टाइट है तुम्हारी चुत..”
चुत लंड के संगम से ‘पच..पच…’ की आवाजें निकलने लगी थीं. अंकल भी अब जोश में आ गए थे. अपने धक्कों की स्पीड डबल कर दी थी. मैं भी सब कुछ भूल कर चुत लंड के मिलन का आनन्द ले रही थी.
“अंकल अब. … सहन नहीं हो रहा … आप जोर से करो … और जोर से चोदो मेरी चुत को, चोद चोद कर पूरी हेकड़ी उतार दो साली की.”
“नीतू, अब देखो कैसी चुत चौड़ी करता हूँ.” यह बोलकर अंकल ने मेरी टांगें और फैला दीं और एक जोर का धक्का दे दिया. लंड अन्दर बच्चेदानी तक जाके लगा. मेरी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गई लेकिन मुझे इस वक्त लंड इतना मजा दे रहा था कि बस मेरी आंखें मस्ती से बंद होकर लंड का मजा ले रही थीं. मेरी हालत एकदम से अकड़कर मस्त होती जा रही थी. मेरा शरीर मानो कटने के कगार पर था.
कुछ ही देर बाद अंकल के लंड से गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी मेरी चुत में गिरी, वीर्य मेरी चुत में उगलते हुए अंकल पागलों की तरह धक्के लगा रहे थे. अंकल के गर्म वीर्य की वजह से और उनके आखिरी धक्कों की वजह से मेरा भी बांध छूट गया और उनके साथ मैं भी झड़ने लगी.
पूरा वीर्य मेरी चुत में निचोड़कर अंकल थक कर मेरे ऊपर लेट गए, मैं भी सेक्स की वजह से चूर हो गयी थी. मैंने अंकल को मेरी बांहों में जकड़ लिया. मेरे पैर अभी भी बेड के नीचे लटक रहे थे. मैंने उनको अंकल की कमर के इर्द गिर्द लपेट लिया. अंकल के मुँह को चूम कर पूरा गीला किया था.
थोड़ी देर के बाद अंकल मेरे ऊपर से हटे और बेड पर मेरे साथ लेट गए. मैं भी ऊपर सरकते हुए अपना सिर अंकल के हाथ पर रखा. पैर अंकल के पैरों पर रखे और मेरी उंगलियां उनके सीने के बालों में घुमाते हुए उनसे पूछा.
“अंकल एक बात पूछूँ? सही सही जवाब देना हां.”
“हां पूछो ना..!”
“आपने यह सब करने के लिए जो आर्टिकल लिखने की बात की थी, वह सब सच था? देखो सच सच बोलना.”
अंकल अभी भी मेरे स्तन से खेल रहे थे.
“थोड़ा सच था, थोड़ा नहीं था..” अंकल बोले.
“क्या..” मैं चिल्लाई.
“वो क्या है ना नीतू, लिखने वाली बात सही थी. पर जवान लड़की से चुम्बन … इस विषय पर आर्टिकल नहीं था बल्कि मुझे ‘कुंवारी लड़की के साथ संभोग..” इस विषय पर कहानी लिखनी थी.
अंकल ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ा और अपने होंठों से मेरे होंठ बंद कर दिए.
मेरी कुंवारी चूत की पहली चुदाई कैसी लगी, मुझे मेल कर के बताएं, मेरा मेल आईडी है.
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