अन्तर्वासना में मेरी पहली कहानी
जिगोलो बन कर भाभी की जवानी की प्यास बुझाई
में आपने पढ़ा ही होगा की कैसे मैंने झूठी आईडी बना कर एक भाभी की प्यास बुझाई।
इसी तरह मेरी ग्रेजुएशन भी पूरी हो गयी और में अपने घर आ गया।
एक महीना भी नहीं बीत पाया पर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने छाया को फ़ोन किया तो उसने बताया कि उसे किसी शादी में जाना है इसीलिए आज नहीं कर पायेगी और न ही आज उसकी कोई सहेली से मिलवा पाएगी।
मैं दुखी मन से हाथ से करने के लिए बाथरूम में जा रहा था तो देखा कि मेरी माँ सज रही थी कहीं जाने के लिए। मेरी माँ बिल्कुल घरेलू महिला थी। सिर्फ घर के काम करती थी और दिन में सोया करती थी। मुझे अपने बाप से जलन हो रही थी कि इस क़यामत औरत को बेकार कर दिया। ऐसी औरत तो दिन रात चुदाई के लिए होती है पता नहीं मेरे पापा खुद को कैसे रोकते होंगे।
खैर ये सब सोचते हुए मैंने माँ से पूछा- कहाँ जा रही हो?
वो बोली कि हर रोज़ किसी न किसी रिश्तेदार की शादी है तो आज तुम्हारे पापा नहीं जा पाएंगे इसीलिए उन्होंने हम दोनों को साथ जाने के लिए बोला है।
मेरा मन नहीं था पर कार मुझे ही चलानी थी इसीलिए मैं भी तैयार हो गया माँ के साथ जाने के लिए।
शादी रोहिणी में मेरी बुआ की लड़की पूजा की थी। मैं अपने ज़्यादा रिश्तेदारों को नहीं जानता था इसीलिए मैं वहाँ पर एक साइड में बैठ गया और मेरी माँ सब लोगों से मिलने लगी।
अचानक पीछे से किसी ने मेरी आँखों को बंद कर दिया। वो मुलायम हाथ इतने खुशबूदार थे कि मेरे शरीर में गुदगुदाहट होने लगी। मैं नहीं जानता था कि किसने मेरी आँखें बंद की थी पर मैं जल्दी से जल्दी उस मुलायम हाथों की मालकिन को देखना चाहता था।
तभी आवाज़ आयी- मेरा पीछा करते करते यहाँ तक क्यों आ गए?
छाया!
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
यह छाया थी जिसने मेरी आँखें बंद की थी। मैं खड़ा हुआ उसे गले लगाने के लिए पर उसने बोला- यहाँ सब जानते हैं, बाहर चलते हैं।
मैं उसे लेकर अपनी कार में आ गया और उसके होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया।
पर उसने कहा- यह सही वक्त और सही जगह नहीं है. और तुम्हारे लिए खुशखबरी है। मेरे दूर के रिश्ते की भाभी तुमसे चुदने के लिए बेताब है पर वो 5000 से ज़्यादा रुपये नहीं दे पाएगी। जब लन्ड में आग लगती है तो पैसा दिखता ही नहीं और वैसे भी मैं किस्मत वाला हूँ जिसे चूत मारने के पैसे मिलते हैं। नहीं तो लोग तो पैसे देकर भी ठीक से नहीं चोद पाते।
मैं तैयार था तो उसने बोला कि वो उसे लेकर एक घंटे बाद अपने घर पर मिलेगी।
मैंने मम्मी को फ़ोन किया और बताया कि मेरे कॉलेज के दोस्त यहाँ पास में रहते है उनके पास जा रहा हूँ थोड़ी देर में आऊंगा।
मम्मी भी किसी रिश्तेदार के साथ मार्किट जा रही थी तो उन्होंने भी मना नहीं किया।
मैं जब एक घंटे उसके घर पहुँचा तो छाया ने गेट खोला और मुझसे कहा कि तेरी आज की बेगम बैडरूम में तेरा इंतज़ार कर रही है। पर उसने आज तक अपने पति के अलावा किसी से नहीं किया तो शर्माती है और बोल रही है कि लाइट न नहीं करेंगे अंधेरे में करना होगा।
पहले तो गुस्सा आया- कौन इतनी शर्त मानेगा. उसे भगाते हैं, हम दोनों करते हैं.
तो छाया बोलने लगी- हम तो हमेशा करते ही हैं. भाभी पहली बार बोल रही है तो आज कर लो।
मैं बैडरूम में गया तो लाइट बन्द थी। मैं ऊपरी मन से उसकी भाभी की बगल में लेटा और साड़ी उठा कर सीधा उसकी चूत छेड़ने लगा। वो कोई भाव नहीं दे रही थी, बस चूत छूते ही उन्होंने अपनी टाँगों को चिपका लिया जिससे मैं ठीक से चूत का नाप नहीं ले पाया।
मेरा मन नहीं कर रहा था उसके साथ करने का इसीलिए मैंने समय बर्बाद न कर के सीधा लौड़ा उनकी चूत में डालने की सोची और अपने कपड़े उतारने लगा कि जल्दी से इसे चोद कर भेज दूंगा फिर छाया को चोदूँगा।
मैंने अपना लौड़ा उस भाभी की गीली चूत पे लगाया और धक्का दिया। उसकी गीली चिकनी चूत बहुत टाइट थी इसलिए मुझे थोड़ी ताकत लगानी पड़ी। अभी सिर्फ टोपा ही अंदर गया था कि वो भाभी दर्द से चिल्ला उठी।
मेरे हाथ उसके गाल सहला रहे थे जो मुझे उनके आंखों से निकलने वाले आंसुओं का अहसास करवा रहे थे। मुझे लगा नई शादीशुदा लड़की है जिसका पति ठीक से संतुष्ट नहीं कर पाता इसीलिए इतनी टाइट चूत है।
मैंने थोड़ा सा सहलाते हुए उनके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और सोच रहा था कि मैं फालतू में छाया की चूत के बारे में सोच रहा था। इतनी टाइट चूत रोज़ मिलने लगे तो छाया का क्या करूँगा।
उसके मम्मे मेरी छाती को छू रहे थे और मैं उनकी गोलाई और मोटाई दिमाग में नाप रहा था। मैं उनके बदन की गर्मी और आकार को महसूस कर रहा था जो मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था।
मैंने दोबारा धक्का दिया और इस बार आधे से ज़्यादा लन्ड अंदर चला गया।
उम्म्ह… अहह… हय… याह…
पहली बार उसकी आवाज़ सुनाई दी मुझे … वो दर्द से चिल्लाने की आवाज़ थी। वह दर्द में भी बहुत मादक आवाज़ थी। पर आवाज़ इतनी तेज थी कि छाया बैडरूम में आ गयी और गेट खटखटाने लगी- भाभी ठीक हो न? क्या हुआ?
उन्होंने मुझे धक्का दिया और गेट के पास जाकर धीरे से कहा- मैं ठीक हूँ, आप जाओ।
खिड़की से निकली हल्की रोशनी में मुझे चेहरा तो नहीं दिखा पर उसके शरीर के उभार समझ में आ रहे थे। छाया से बहुत खूबसूरत शरीर था उसका और उतनी ही मादक आवाज़ थी। खैर, मुझे यह तो पता चल चुका था कि भाभी जी खुश हैं मेरे लौड़े से!
तो मैं उनके पास गया और उनके होंठों को चूसने लगा। वो भी पूरी तरह गर्म थी जो उनकी सांसें मुझे मुझे बता रही थी।
अचानक से वो नीचे बैठी और मेरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी। पर वो ठीक से मुंह में नहीं ले पा रही थी क्योंकि मेरा लौड़ा उनकी उम्मीद से बड़ा था। मैंने उन्हें खड़ी किया और दीवार के सहारे लगा दिया।
इस बार मैंने कोई रहम न दिखाते हुए पूरा लौड़ा एक बार में डाल दिया।
वो काँप उठी पर चिल्लाने की जगह अपनी चूत आगे करके मेरा साथ देने लगी। इतनी टाइट चूत होने की वजह से मैं जल्दी ही चरम सीमा पर पहुंच गया और पानी छोड़ने के लिए जैसे ही अपना लौड़ा बाहर निकाला तो वह समझ गयी और मुँह में पानी लेने के लिए झुक गयी।
दिखा तो नहीं पर पहली धार उसकी छाती पर गिरी होगी और अगली धार तक वह मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले चुकी थी।
अब वो पहले से ज़्यादा खुल चुकी थी और आधे से ज़्यादा लन्ड को मुँह में ले रही थी। उसके मुँह की गर्मी ने तुरंत ही मेरे किंग को किंग साइज का बना दिया। मैंने उसे खड़ा किया और फिर से दीवार पे लगा दिया. पर इस बार मैंने उसकी पीठ अपनी तरफ की, पीछे की तरफ से उसकी चूत में अपना लौड़ा डालने लगा।
वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, वो दबी आवाज़ में आह … आ…ह की आवाज़ निकाल रही थी। उसकी गोल मोटी गांड मेरे शरीर से टकरा कर मुझे और तेज़ धक्के लगाने के लिए मजबूर कर रही थी।
मैंने एक हाथ में उसके बाल पकड़े हुए थे और मेरा दूसरा हाथ उसके चुचों को गोलाई नाप रहा था कि तभी भाभी की शरीर अकड़ने लगा। उन्होंने अपनी गांड मेरी तरफ तेज़ी से धकेली। ऐसा लग लन्ड के साथ दोनो गोटियां भी अपने अंदर ले लेंगी। इतनी टाइट चूत और उनकी इस हरकत ने मुझे भी पानी छोड़ने को मजबूर कर दिया। मैं उनकी पीठ से चिपक गया और उनको दोनो चुचे अपने हाथ में कैद कर लिए।
फिर वो कपड़े पहनने लगी। मेरा मन अभी और कर रहा था, मैं इस भाभी को जाने नहीं देना चाहता था। पर उनकी शायद छाया से सिर्फ एक बार पानी निकालने की बात हुई थी। मैं भी कपड़े पहन रहा था.
इतनी देर में वो गेट खोल कर बाहर चली गयी।
तब तक छाया आ गयी और बोली- मैं भाभी को छोड़ने जा रही हूँ। तुम जहाँ शादी है, वहाँ ही मिलना।
मैंने टाइम देखा शाम के 6:30 बज चुके थे। मम्मी का फ़ोन भी आ सकता था तो मैंने छाया के होंठ चूमते हुए कहा- हम कल ही मिल पाएंगे अब।
पर छाया भी उत्तेजित हो चुकी थी हमारी चुदाई की आवाज़ सुन कर … तो मैंने कहा- रात में टाइम मिला तो आ जाऊँगा।
जब शादी में पहुँचा तो माँ अभी तक मार्किट से नहीं आई थी। मैंने मम्मी को फ़ोन किया तो उन्होंने बताया कि मेरी किसी दूर की बुआ के साथ अभी भी मार्किट में है, आधा घंटा लगेगा अभी।
तो मैंने आस पास लड़कियां देख कर टाइम पास करने का निर्णय लिया।
मैं वहाँ खूबसूरत लड़कियों को निहार रहा था कि थोड़ी देर में मम्मी भी आ गयी। वो थोड़ा लंगड़ा रही थी तो मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो कहने लगी- इतने दिन बाद ऑटो में बैठी थी, उतरते वक़्त जांघ की नस खिंच गयी।
मैं बोला- आप आराम करो, मैं आपकी मालिश कर देता हूं।
इतने में छाया भी वहाँ आ गई। वह मुझे नहीं देख पायी पर मैं मम्मी को कुर्सी पर बैठा कर छाया के पास गया।
मुझे देख वह बोला- तुम अंदर क्यों आये? मैंने बोला था न शाम को मिलेंगे।
तो मैंने बताया- मेरी बुआ की लड़की की शादी है और मैं अपनी मम्मी के साथ आया हूँ।
उसने पूछा- कौन है तुम्हारी मम्मी?
तो मैंने मम्मी की तरफ इशारा किया और बताया कि वो है पर आज उनके पैर में चोट लग गयी।
तो वो मुझे लेकर मेरी मम्मी के पास आ गयी और मज़ाक में हँसते हुए पूछने लगी- कहाँ टांग खिंचवा कर आ रही हो भाभी जी?
“भाभी जी? मतलब छाया और मेरी मम्मी जानती है एक दूसरे को?”
“क्या दीदी आपको तो सब पता है फिर भी हमेशा मज़ाक करती रहती हो बच्चो के सामने।” मम्मी ने नज़र झुका के जबाव दिया और मेरी तरफ देख कर बोली- बुआ जी के पैर छुए तूने?
छाया मेरी बुआ?? मैं सकपका गया.
पर छाया खुश थी, बोलने लगी- जब आपके पैर में चोट लगी ही है तो आप मेरे घर ही आराम कर लो। मेरा घर पास ही है, इस बहाने मनोज भी घर घूम लेगा।
मैंने भी मम्मी से कहा- हाँ मम्मी, बुआ के घर ही चलते हैं. वैसे भी यहाँ पर इतनी भीड़ है कि कुछ अच्छा नहीं लग रहा। रात को संगीत ही होगा. आपकी तबियत भी ठीक नहीं है।
मम्मी को भी मेरा विचार ठीक लगा और हम कार में बैठकर छाया(बुआ) के घर चलने लगे।
घर पहुंच कर चाय नाश्ता करने के बाद छाया(बुआ) ने मम्मी से कहा- भाभी, आप आराम करो. तब तक मैं मनोज को घर दिखा देती हूँ।
मैं और छाया ऊपर रूम में आये तो छाया ने मुझे पकड़ लिया और मेरे होंठों को चूमते हुए बोली- कैसी लगी मेरी भाभी की चूत?
मैंने भी उसके निचले होंठ पे काटते हुए कहा- रात को तेरे पास रुका हूँ तो अपनी उन भाभी को भी बुला लो। आज रात को तीनों लोग साथ में करते हैं।
मेरी गर्दन पर जीभ फेरते हुए छाया बोली- क्या मेरी भाभी मेरे से भी अच्छी है?
मैंने भी छाया की चूची दबाते हुए कहा- तुझसे अच्छा तो कुछ नहीं है. पर मैं उसे ठीक से नहीं चोद पाया।
छाया बोली- ठीक है, मैं दोबारा भाभी से मिलवा दूंगी पर वो पैसे नहीं देंगी और शर्त ये है कि मैं तुम दोनों की चुदाई देखूँगी।
हमने रात को खाना खाया और मम्मी को सोने के लिए बोल दिया।
छाया ने मुझसे बताया- तुम्हारी मम्मी सो गई है और तुम भी ऊपर वाले रूम में सो जाओ। मैं उन भाभी को बुला के ला रही हूँ, रात में तुम्हारे साथ लिटा दूंगी।
मैं ऊपर रूम में गया और उनका इंतज़ार करने लगा।
लगभग 15 मिनट बाद वो भाभी मेरे कमरे में आ गयी। मैं बैचेन था उनके लिए … उनके आते ही मैंने उन्हें बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया और अपने कपड़े उतारने लगा। वो भी शायद घर जाने की जल्दी में भी तो उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिए। मैंने उनकी गांड के नीचे तकिया लगाया और ज़ोर से धक्का मारा क्योंकि उनकी दर्द भरी आवाज़ मुझे और भी ज़्यादा उत्तेजित करती है। मैं भूल गया था नीचे मम्मी सो रही है।
अचानक लौड़ा अंदर जाने से उनकी दर्द भरी आवाज़ निकल गयी जिससे मेरे रूम में कोई आ गया। मैं जानता था कि छाया ने बोला था कि वो मुझे चुदाई करते हुए देखना चाहती है तो वो ही आयी होगी।
और उसने कमरे की लाइट जला दी।
“मम्मी … !?!” और मैंने मेरे नंगे शरीर को चादर से ढकने की कोशिश की।
छाया दूर खड़ी हँस रही थी। मतलब सुबह भी हम तीनों को नहीं पता था पर वो भाभी मेरी माँ पूनम थी। अब भी मैं अपनी माँ को चोद रहा था। मेरी इतनी अच्छी प्यारी माँ को ऐसा करने की क्या ज़रूरत पड़ गयी।
जो भाव मेरे थे, वो ही भाव मेरी माँ के थे। वो रोते हुए छाया को गाली दे रही थी- तेरे सारे भाई कम थे क्या जो मुझे मेरे बेटे से चुदवा दिया। मतलब सुबह भी तेरा किंग मेरा बेटा ही था?
और रोये जा रही थी।
पर छाया हँस रही थी और मैं सोच में था कि जिस माँ को मैं इतना अच्छा समझता था वो मेरे दोनों चाचा से चुद चुकी है?
तो छाया हमारे पास आई और बोलने लगी- भाभी, मैं और राहुल मेरा मतलब मनोज पिछले 4 साल से रोज़ सेक्स करते थे। मुझे आज तक नहीं पता था कि राहुल ही आपका मनोज है। आपको उदास देख कर मैंने आपको अपने किंग से मिलवाया था। उसके बाद जब शादी वाले घर में मिले तब मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ। पर आपको भी शरीर की ज़रूरत थी और राहुल भी आपके बारे में पूछ रहा था। तो मैंने सोचा जो एक बार हो सकता है वो तो बार बार भी हो सकता है। मनोज बड़ा हो गया है जब घर में ही चुदाई मिल जाएगी तो बाहर क्यों जाएगा? ये तो अच्छी बात है कि इसने मेरी आग भी बुझा दी और आपकी भी। नहीं तो शायद हम तीनों बाहर किसी से सेक्स करते और पकड़े जाने पर बदनाम होते।
मम्मी को भी बात ठीक लगी और लगती भी क्यों नहीं, बेटे के सामने पोल खुल चुकी थी तो अब तो चुदने के सिवा कोई रास्ता भी नहीं बचा था।
उस पूरी रात हमने चुदाई की और तीनों लोग तीन तीन बार झड़े।
माँ ने ही बताया कि मेरे पापा बेकार है वो कुछ नहीं कर पाते। मैं दोनो में से किसी चाचा का लड़का हूँ पर कौन से चाचा का ये तो वो भी नहीं जानती।
अब रोज़ मेरे घर में चुदाई होती है और मेरी माँ भी मुझे किंग बोलने लगी। मुझे लगता था मेरे अंदर कुछ भी खास नहीं है पर मेरी माँ और छाया ने बताया ऐसा लौड़ा सिर्फ पोर्न मूवीज में होता है और हमारी चूत टाइट नहीं है तुम्हारा लौड़ा ज़्यादा बड़ा है। कभी कभी छाया भी घर आती है और हम तीनों एक साथ करते हैं।
तो दोस्तो, यह मेरे जीवन की बिल्कुल सच्ची घटना है। अगर सच में पसंद आये तो मेल ज़रूर करना जिससे मैं आगे की कहानी भी आप तक पहुंचा सकूँ।
धन्यवाद.
आपकी मेल के इंतज़ार में,
किंग मनोज कुमार
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