यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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आरुषि और आकाश की चुदाई का किस्सा पूरी क्लास में फैल गया था।
एक दिन रात को मुझे सचिन का फोन आया और उसने छूटते ही कहा- सुहानी, तू बुरा क्यूँ मान रही है? वो ऐसे ही कह रहा था उस दिन फोन पे! तू प्लीज बुरा मत मान। बात भी नहीं कर रही है आजकल ढंग से। यार मुझे माफ कर दे प्लीज!
मैंने कहा- नहीं यार, मैं गुस्सा नहीं हूँ, तू चिंता मत कर।
सचिन ने कहा- नहीं यार, मुझे चिंता हो रही है, तू बुरा मान गयी है, मैं सच कह रहा हूँ ऐसा कोई इरादा नहीं है मेरा तेरे बारे में! मैं तो ऐसा सोच भी नहीं सकता तेरे बारे में!
इधर भावना में मेरे मुंह से निकल गया- क्यूँ नहीं सोच सकते ऐसा तुम?
सचिन और कन्फ्यूज हो गया और कहा- मतलब?
मैंने कहा- हाँ, सही सुना तुमने, यार हम इतने अच्छे दोस्त है, कितने ही काम साथ में किए हैं, बचपन से एक दूसरे को जानाते है, फिर क्यूँ नहीं कर सकते हम ये आपस में?
मैं अक्सर सचिन से बिना झिझके सब कुछ बोल दिया करती थी और उस दिन भी बोलती चली गयी।
सचिन ने कहा- पर … !?!
तो मैंने बात को बीच में ही काटते हुए कहा- क्या मैं सुंदर नहीं हूँ, कोई कमी है मेरे में?
सचिन बोला- नहीं नहीं यार, तू बहुत सुंदर है, क्लास के बहुत से लड़कों की लार टपकती है तुझ पे, यहाँ तक कि क्लास की तो क्या … स्कूल की सबसे सुंदर लड़की है तू।
मैंने कहा- बस फिर, क्या दिक्कत है?
अब फोन पे सन्नाटा छा गया, लगभग एक मिनट तक हम दोनों ही एक दूसरे की साँसें सुनते रहे। मेरा सचिन से कोई प्रेमभाव नहीं था और ना ही उसका मेरे से कोई!
पर फिर भी मैं उसके साथ सेक्स करना चाहती थी, मेरे पास कोई वजह नहीं थी बस एक जुनून था एक जवान होती लड़की का।
एक मिनट बाद सचिन ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा- हैलो हैलो हैलो!
मैंने कहा- हाँ सुन रही हूँ, तुम कमरे में आओ मेरे, दरवाजा खुला हुआ है।
सचिन अगले ही पल मेरे कमरे में था।
उसने आते ही कहा- क्या जो कुछ भी तुमने फोन पे कहा वो सब??
मैंने उसकी बात काटते हुए कहा- हाँ सच है! क्या हम आपस में ही सेक्स नही कर सकते? क्योंकि अब स्कूल खत्म होने वाला है, बॉयफ्रेंड भी नहीं है और बनाने का मन भी नहीं है अभी, पर मन करने लगा है सेक्स का बहुत।
आखिरकार एक मिनट तक सोचने के बाद सचिन ने कहा- ठीक है, हम कर सकते हैं पर किसी को नहीं बताएँगे।
मैं एकदम खुशी से खिल गयी और मैंने उसे ज़ोर से गले लगा लिया।
फिर हम बैठ के आगे की बात करने लगे क्योंकि घर में उस वक़्त सभी लोग थे इसलिए हम उस वक़्त तो सेक्स नहीं कर सकते थे।
उसने कहा- यार मेरा पहली बार होगा, मुझे तो पता भी नहीं है कि कैसे करते होंगे।
मैं बोली- अब मुझसे मत छुपाओ, मैंने तुम्हारे कम्प्यूटर में वो गंदी फिल्मों वाला फोल्डर देखा है, तुम्हें सब पता है।
उसने मुस्कुराते हुए कहा- हाँ वो तो पता है. पर फिल्म में देखना और खुद करने में फर्क होता होगा थोड़ा सा।
मैंने कहा- कोई नहीं … हम सब संभाल लेंगे आपस में! कुछ फिल्में मुझे भी दे देना, मैं भी सीख लूँगी थोड़ा बहुत। मैं चाहती हूँ कि पहली बार करें तो बहुत खास हो, बहुत अच्छे से हो।
सचिन ने कहा- मैं भी यहीं चाहता हूँ, जैसे ही मौका मिलेगा, कर लेंगे।
मैंने उसको अपने कम्प्यूटर टेबल के दराज में से पेनड्राइव निकाल के दे दी और फिर वो चला गया।
अगले दिन उसने मुझे पेनड्राइव वापस कर दी उसमें ढेर सारी ब्लू फिल्में भर के।
अब मैंने 3-4 दिन तक सेक्स के बारे में और जाना सेक्सी फिल्मों से। अब क्योंकि हमारे देश में सेक्स के बारे में खुल के बात नहीं होती और जवान होते बच्चों को ज्यादा पता नहीं होता तो मुझे सेक्स की सारी जानकारी मुझे उन फिल्मों से ही लेनी थी।
एक दिन सचिन ने मुझे स्कूल में बताया कि आने वाले शनिवार को उसके सब घरवाले बाहर जा रहे हैं 2-3 दिन के लिए … पर वो नहीं जा रहा, बोर्ड के पेपर का बहाना बना दिया है। चाहो तो हम लोग अब सेक्स कर सकते हैं।
मैंने फौरन हामी भर दी।
उसने बोला- हम दोनों का ही पहली बार है, स्पेशल करेंगे। अच्छे से तैयार होकर आना शनिवार की रात को मेरे कमरे में चुपचाप!
मैंने कहा- ठीक है, ऐसे तैयार होके आऊँगी कि तुम देखते रह जाओगे पर तुम भी शेव वगैरह कर लेना वहाँ सब।
फिर मैं मुसकुराती हुई अपनी सीट पे जा के बैठ गयी।
मैंने उस खास दिन की तैयारी शुरू कर दी जिस दिन मैं एक कली से फूल बनने वाली थी।
स्कूल से घर जा के नए स्टाइल से बाल कटवाए, पर किसी को पता ना चले इसलिए चोटी बना के रखती थी। एक काफी सेक्सी ड्रेस भी खरीद ली और बाकी सामान भी! मुझे शनिवार को सिर्फ अपने छज्जे की दीवार कूद के उसके कमरे तक ही जाना था पर मैं तैयारी ऐसे कर रही थी जैसे हनीमून पे विदेश जाना हो।
शुक्रवार को ही मैंने अपनी चूत, टाँगों, हाथ सब जगह की वैक्सिंग कर के सारे बाल उतार दिये और उन्हें बिल्कुल चिकना बना लिया जैसे ब्लू फिल्मों में हीरोइन होतीं हैं।
हमारी इस योजना की भनक किसी को भी नहीं थी।
आखिरकार शनिवार का दिन भी आ गया पर दिन से किसे मतलब था। मैं तो रात होने का इंतज़ार कर रही थी।
जब हम दोनों में से किसी के घरवाले बहार जाते थे तो हम अच्छे पड़ोसी होने के नाते खाना भिजवाया करते थे एक दूसरे के यहाँ … अगर कोई सदस्य घर पे ही रुकता था तो।
शाम को मम्मी ने मुझे खाने की थाली थी और बोली- ये ले, सचिन को दे आ, वो भी खा लेगा।
मैं मुख्य दरवाजे से सचिन के यहाँ गयी और उसे खाना दे दिया।
सचिन ने कहा- तुम भी खाओ ना मेरे साथ।
मैंने कहा- अभी नहीं, तुम खा लो, मैं घर जा के खाऊँगी। जब सब सो जाएंगे तब आऊँगी तुम्हारे कमरे में, तैयार रहना।
सचिन बोला- अरे सुहानी, मैं तो कब से इंतज़ार कर रहा हूँ आज रात का।
फिर मैं घर आ गयी और खाना खा के अपने कमरे में चली गयी पढ़ाई का बहाना कर के।
रात को 11:30 बजे तक मेरे घर में सब सो गए थे। मैंने सचिन को फोन किया और बताया कि सब सो गए हैं, दरवाजा खुला रखना छज्जे का।
फिर मैंने अपने कमरे की कुंडी लगाई और तैयार होने लगी।
मैंने अपने घर के कपड़े उतारे और हाथो पैरों पे लोशन लगाया जिससे वो और नर्म और चिकने हो के चमकने लगे। फिर अपनी नयी वाली पिंक ब्रा और पैंटी पहन ली। उसके ऊपर अपनी वही सेक्सी वाली ड्रेस पहन ली और ऐसे एडजस्ट कर लिया कि मेरे बूब्स के क्लीवेज बाहर झलक जाएँ।
वैसे तो ड्रेस का नाम स्पाघेट्टी होता है, बाकी आप गूगल पे सर्च कर सकते है अच्छे से समझने के लिए।
फिर मैंने बाल खोल लिए और स्टाइल से बना लिए. करीना कपूर की तरह आँखों में काजल लगाया क्योंकि आकाश को करीना कपूर की आँखें बहुत पसंद थी और बिल्कुल चमकती हुई यानि गहरी लाल लिपस्टिक लगा के हल्का मेकअप कर लिया।
मैं तैयार होते हुए खुश भी हो रही थी, हल्का हल्का शरमा भी रही थी ये सोचते हुये कि आज क्या क्या होगा मेरे साथ … मैं और सचिन आखिरकार सेक्स करेंगे! कितना मजा आएगा वगैरा वगैरा।
12 बजे तक तैयार होकर मैंने अपने कमरे की लाइट बंद कर दी और नीचे झुकते हुए छज्जे पे आ गयी। पहले मैंने सुनिश्चित किया कि कोई नहीं है देखने वाला!
और फिर सैंडल उतार के चुपचाप दीवार पे चढ़ के सचिन की तरफ उतर गयी और वापस सैंडल पहन ली।
सचिन बेसब्री से मेरा इंतज़ार कर रहा था, मैंने हल्के से दरवाजा खोला और उसके कमरे में घुस गयी। सचिन उस वक़्त कम्प्यूटर पर मेरी ही स्कूल की फोटो देख रहा था और टी-शर्ट और लोअर में बैठा था।
उसका हाथ उसके लंड को ऊपर से सहला रहा था।
मैं उसके कमरे की अलमारी पे कंधे से टेक लगते हुए टाँगें क्रॉस करते हुए स्टाइल से खड़ी हो गयी और मेरे बाल आगे को गिरते हुए पंखे की हवा में लहरा रहे थे।
सचिन को इस बात की भनक भी नहीं थी कि मैं उसके कमरे में आ चुकी हूँ।
मैंने उसका ध्यान तोड़ते हुए कहा- सिर्फ फोटो देख के ही काम चलाओगे क्या?
सचिन एक दम से घबरा गया और पलट के देखने लगा।
वो आँखें फाड़ फाड़ के मुझे देख रहा था।
आज तक उसने मुझे ज़्यादातर स्कूल के कपड़ों में या घर के साधारण कपड़ों में ही देखा था पर आज देख के ऐसे हैरान था जैसे पता नहीं कौन आ गया हो उसके कमरे में।
सचिन आश्चर्य से मुंह खोल के मुझे देखता ही रहा कुछ पल तो फिर बोला- वाह सुहानी … मुझे तो पता ही नहीं था मेरी बेस्ट फ्रेंड इतनी हॉट और खूबसूरत है।
मैंने उसको एक बड़ी सी स्माइल देते हुए कहा- वो तो मैं हूँ ही!
और उसके पास जा के बैठ गयी बेड पे।
कहानी जारी रहेगी.
आपकी प्यारी सुहानी चौधरी
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