दोस्तो, यह इंडियन साली जीजा Xxx कहानी उस समय की है जब मेरी दीदी गर्भवती थी और उनको बच्चा होने वाला था.
उस समय जीजू ने दीदी से कहा कि कुछ दिन के लिए नीलम को बुला लो तो कुछ मदद मिल जायेगीं. और वैसे भी तुमको अब घर का काम करने के लिए डाक्टर ने मना कर दिया है.
इस पर दीदी ने अगले दिन मम्मी को फोन किया और मुझे कुछ दिन के लिए भेजने को बोल दिया.
फिर भैया और मम्मी मुझे लेकर दीदी के घर छोड़ने आ गए.
उस दिन जब मैं घर पहुंची तो शाम को जीजू आफिस से घर आये और मुझे देखते ही बोले- आ गयी साली साहिबा! कैसी हो नीलम?
मैंने नमस्ते की और कहा- मैं ठीक हूँ जीजू, आप बताइये.
जीजू मेरे स्तनों को देख रहे थे.
फिर हम सब लोग बैठकर बाते करने लगे.
तब सर्दियों के दिन थे और ठंड बहुत ज्यादा थी.
रात को सोने की तैयारी होने लगी.
एक कमरे में दीदी जीजू और मैं सोई और दूसरे कमरे में मम्मी भैया सो गये.
अगले दिन मम्मी और भैया दीदी से मिलकर चले गये और मैं दीदी के घर ही रुक गयी.
अब मैं घर के काम करती.
जीजू सुबह आफिस चले जाते थे और शाम को आते थे, अब जीजू मुझसे बहुत बाते करते थे और मुझे छेड़ते भी रहते थे.
दोस्तो, पिछली कहानियों में आपने पढ़ा होगा कि जीजू मुझसे कैसे मज़ाक करते हैं.
मैंने जीजू से कहा- जीजू, आपने ऐसा क्या किया जो दीदी की ऐसी हालत हो गयी?
तो जीजू बोले- साली जी, तुम कहो तो तुम्हें भी ऐसा कर दें?
यह बोलकर जीजू हँसते हुए अपने लिंग के ऊपर से खुजलाने लगे.
मुझे बहुत शर्म आयीं.
जब मैं किचिन में काम करती तो जीजू आकर पीछे से पकड़ लेते और किस करते.
कई बार तो मेरे टापॅ कमीज के अंदर हाथ डाल कर स्तनों को दबाते सहलाते.
मैं उनसे कहती- हट जाओ, दीदी आ जायेंगी.
तो वे कहते- नहीं आयेगी. बस तुम काम करती रहो.
दोस्तो, दीदी के घर में नीचे दीदी की सास और दीदी के देवर रहते थे.
दीदी की सास अधिकतर नीचे ही रहती थी क्योंकि उनके घुटनों में दर्द रहता था इसलिए वे ऊपर नहीं आती थी.
लेकिन अगर मैं सामने पड़ जाती या आसपास कोई नहीं होता तब दीदी के देवर मुझसे बात करने की कोशिश करते थे.
दीदी के घर में किराये पर कमरा लेकर रहने वाले लड़के, आस पड़ोस के लड़के और रिश्तेदारी के बहुत से लड़के मुझे चोदने की जुगाड़ में रहते थे.
पर मैं किसी को ज्यादा घास नही डालती थी.
और दीदी को भी ये सब पसंद नहीं था.
मेरी दीदी कहती है कि आजकल तो लड़के बस चूत के प्यासे होते हैं. हर लड़का चूत का मज़ा लेना चाहता है. और उसमें भी अगर कुँवारी सीलबन्द चूत मिल जाये फिर तो कहना ही क्या है.
क्योंकि यह तो दीदी को भी अच्छे से पता था कि अगर किसी लड़के ने नीलम को पटा लिया तो बिना चोदे तो छोड़ेगा नहीं.
एक रात हम खाना खा कर लेटे ही थे कि अचानक 11 बजे दीदी के पेट में डिलीवरी का दर्द शुरू हो गया.
उनकी हालत बिगड़ने लगी तो जीजू ने गाड़ी निकाली, दीदी को अस्पताल ले गये और भर्ती करा दिया.
दीदी के साथ उनकी सास भी गयी थी.
मैं और दीदी के देवर घर में अकेले थे, मुझे बहुत डर लग रहा था कि कहीं दीदी के देवर ऊपर आकर मुझे चोद ना दें.
पूरी रात मैं ठीक से सो भी नहीं पायी.
लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
सुबह जीजू घर आये और बोले- साली साहिबा, अब तुम मौसी बन गयी हो. तुम्हारी दीदी को बेटा हुआ है.
मैंने भी जीजू को बधाई दी.
यह सब कहते कहते जीजू पीछे से मेरे स्तन दबाने लगे और मेरी कमीज उतारने लगे.
मैंने मना किया लेकिन वो नहीं माने और किस करने लगे.
फिर उन्होंने मेरी कमीज निकाल दी और मेरे स्तन ब्रा के ऊपर से दबाने लगे.
मैं कसमसाने लगी.
मेरे स्तन सख्त होने लगे थे और निप्पल तन गए थे, मैं छोड़ने के लिए बोली.
तो जीजू कहने लगे- साली साहिबा, मेरा चूत लेने का बहुत मन कर रहा है. पिछले आठ महीने से मुझे चूत नहीं मिली है. तुम्हारी दीदी ने हाथ भी लगाने नहीं दिया था इसलिए अब मना मत करो.
मैंने कहा- जीजू नहीं, प्लीज छोड़ो. दीदी को पता चल जायेगा.
इतना कहकर मैंने अपने आप को छुड़ाया और बाथरूम में नहाने के लिए भाग गयी.
तभी जीजू आये और बाथरूम का दरवाजा खोलने के लिए कहने लगे.
लेकिन मैंने नहीं खोला.
मैं नहा कर बाहर आयी तो जीजू मुझे देखकर हॅस रहे थे.
तभी दीदी का फोन आ गया, वे कहने लगी कि नर्स ने बाजार से कुछ दवाइयाँ लाने के लिए बोला है.
जीजू बोले- नीलम, जल्दी से खाना बना दो. तुम्हारी दीदी के लिए खाना भी लेकर जाना है.
फिर मैंने खाना बनाया, जीजू ने खाना खाया और दीदी के लिए भी लेकर अस्पताल चले गये.
फिर मैं सो गयी.
शाम को जीजू अस्पताल से घर आये और बताया कि अभी नर्स ने दो तीन दिन तुम्हारी दीदी को भर्ती रहने के लिए कहा है क्योंकि उनको बहुत ज्यादा कमजोरी हो गयी है. इसलिए अभी अस्पताल से उनकीं छुट्टी नहीं कर सकते हैं.
जीजू कहने लगे- साली जी, चाय बना लो.
मैंने चाय बनाई और हम दोनों साथ बैठकर चाय पीने लगे और बातें भी करते जा रहे थे.
बातों बातों में जीजू ने मुझे बताया कि कल तुम्हारी दीदी की शादी को एक साल हो जायेगा.
तभी मुझे याद आया- अरे हाँ जीजू, कल तो आपकी शादी की सालगिरह है, मैं तो भूल ही गयी थी.
लेकिन जीजू थोड़ा उदास हो गए क्योंकि दीदी अस्पताल में थी.
मैं बोली- कोई बात नहीं जीजू, कल दीदी से मिलने चलेंगे.
अगले दिन मैं जीजू के साथ दीदी से मिलनें अस्पताल गयी तो दीदी मुस्कुरा रही थी.
जीजू बोले- जान, तुम्हें याद है आज हमारी शादी की सालगिरह है.
तो दीदी कहने लगी- हाँ मुझे याद है.
जीजू ने ‘हैप्पी मैरिज एनिवरसरी’ कहते हुए दीदी के माथे किस कर दिया.
जीजू कहने लगे- जान, अगर तुम घर पर होती तो पार्टी करते और खूब इन्जायॅ करते!
तो दीदी मज़ाक में बोली- मैं घर पर नहीं हूँ तो क्या हुआ? आधी घरवाली तो है ना घर पर! कोई बात नहीं, जब मैं घर आ जाऊंगी तब हम बाद में कर लेंगे.
जीजू अपने बेटे को गोदी में उठाकर खिलाने लगे और बोले- देखो नीलम, तुम्हारी दीदी ने शादी की सालगिरह पर मुझे कितना बड़ा गिफ्ट दिया है. साली जी, आज तुम क्या गिफ्ट दोगी मुझे?
यह सुनते ही जीजू मेरी तरफ देखकर हंसने लगे.
मैं तभी जीजू के इरादे समझ गयी थी, उनका इशारा मेरी चूत के लिए था.
वे मुझे चोदना चाहते थे.
शाम को मैं और जीजू घर आ गये.
मैं रसोई में गयी काम करने … तो जीजू ने पीछे से आकर पकड़ लिया और गर्दन पर किस करने लगे, मेरे स्तनों को दबाने लगे.
मेरी उह आहह निकलने लगी.
मैंने जीजू को हटाया.
तो जीजू बोले- नहीं नीलम, आज मत रोको.
इतना कहकर उन्होंने मुझे पल्टा और गले से लगाकर कसके चिपका लिया और हम दोनों एक मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे से चिपके खड़े रहे.
फिर जीजू ने अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए और चूसने लगे.
करीब पाँच मिनट बाद वे अलग हुए, मेरी आँखों में देखते हुए जीजू बोले- जान, आज मेरी शादी की पहली सालगिरह है. तुम्हारी दीदी नहीं है तो क्या हुआ, तुम तो हो. मैं तुम्हारे साथ इसे यादगार बनाना चाहता हूँ. चलो, अब तैयार हो जाओ.
मैंने शरमा कर सिर नीचे कर लिया.
जीजू बोले- नीलम जल्दी से खाना बना लो, मैं तुम्हारी दीदी को दे आऊँ!
मैंने जल्दी से खाना बनाया.
हम दोनों ने साथ बैठकर खाया और पैक करके जीजू को दे दिया.
वे अस्पताल में दीदी को देने चले गये.
दीदी के लिए खाना घर से ही जाता था.
जब जीजू वापस आये तो उनके साथ एक आदमी आया था.
जीजू उसको कमरा सजाने के लिए साथ लेकर आये थे.
वह हमारे लिए कमरा सजाने लगा.
उस रात घर पर कोई नहीं था. दीदी की सास और दीदी के देवर अस्पताल में दीदी के पास रूके हुए थे.
जीजू बोले- जान, अब तुम भी तैयार हो जाओ.
उन्होंने मुझे दीदी की शादी का लंहगा और गहने सब दे दिये थे.
मैं थोड़ी देर में तैयार हो गयी.
वह आदमी भी कमरा सजा कर जा चुका था.
तो जीजू मुझे गोदी में उठाकर कमरे में ले गये और बिस्तर पर बैठा दिया.
पूरे कमरे में गुलाब के फूलों की खुशबू आ रही थी.
दोस्तो, कसम से मैं किसी दुल्हन से कम नहीं लग रही थी.
मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे आज मेरी ही सुहागरात है.
मुझे बैठाकर जीजू खुद भी तैयार होने चले गए.
दस मिनट बाद जीजू आये. उन्होंने कुर्ता पायजामा पहन रखा था. वे बिल्कुल दूल्हा लग रहे थे.
अब जीजू मेरे पास आये और मेरा घूंघट उठा कर मेरी आखों में आँखें डालकर देखने लगे.
मैं शर्माने लगी और जीजू से कसकर लिपटी रही.
कुछ देर बाद वे अलग हुए और मुझे घुमाकर पीछे से मेरी नंगी पीठ, कान, गर्दन, कान की लौ पर किस करने लगे; मेरे ब्लाउज की डोरी खींचने लगे.
फिर जीजू ने मेरा ब्लाउज उतार दिया.
अब में ब्रा में थी.
जीजू एक-एक करके मेरे गहने उतारने लगे और किस करते जाते.
मैं तो उत्तेजित होती जा रही थी, मुझे कुछ-कुछ होने लगा था.
फिर जीजू ने अपना कुर्ता पायजामा उतार दिया.
अब वे फ्रेंची अंडरवियर और बनियान में थे.
फ्रेंची में उनका लिंग तन गया था.
उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपने लिंग पर रखवा दिया.
अब जीजू ने मेरे लंहगे का नाड़ा पकड़कर खींच दिया और लंहगा उतार कर अलग रख दिया.
अब मैं ब्रा पैन्टी में थी और जीजू अंडरवियर बनियान में वो मुझे किस कर रहे थे, पीठ सहला रहे थे.
फिर उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और कन्धे पर से ब्रा की स्ट्रैप उतारते हुए ब्रा निकल कर फेंक दी.
मैं ऊपर से नंगी हो गयी थी.
मैंने जीजू की बनियान उतार दी.
अब जीजू मेरे स्तनों को बुरी तरह से दबाने लगे.
फिर उन्होंने मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर लेट कर स्तनों के निप्पलों को चूसने लगे.
मेरी आह … आह … आह की आवाज़ निकलने लगी थी.
पन्द्रह मिनट तक जीजू मेरे स्तनों से खेलते रहे जिससे मेरी चूत में कुछ कुछ होने लगा था.
अब जीजू उठे और मेरी पैंटी की इलासटिक पकड़कर उतारने लगे तो मैंने अपनी पैन्टी को कसकर पकड़ लिया और बोली- नहीं जीजू, प्लीज छोड़ दो.
लेकिन अब जीजू कहाँ मानने वाले थे … उन्होंने पैंटी भी उतार कर निकाल दी और अपनी भी फ्रेंची अंडरवियर को उतार कर फेंक दिया.
अब मैं और जीजू पूरी तरह नंगे थे.
जीजू मुझे देखने लगे तो मुझे बहुत शर्म आयी.
हाय रे … हाय दईया … जीजू ने तो मेरा सब कुछ देख लिया.
मैं अपने हाथों से चूत को छुपाने लगी.
तभी जीजू ने मेरे हाथों को पकड़ लिया और मुझे उठाकर अपने नंगे बदन से चिपका लिया.
जीजू की चौड़ी छाती मेरे नंगे स्तनों को दबा रही थी.
मेरे नंगे स्तन जीजू की छाती से रगड़ रहे थे.
फिर वे मुझे होठों पर किस करने लगे और जीभ चूसने लगे.
मैं उत्तेजित होने लगी थी.
करीब दस मिनट तक हम एक दूसरे की जीभ चूसते रहे.
फिर जीजू ने मुझे उठाया और अपना लिंग चुसाने के लिए मेरे होठों के आगे कर दिया और बोले- चूसो मेरी जान!
मैंने ना में सिर हिलाया तो जीजू ने मेरे बाल पकड़ लिये और बोले- अच्छा सुपारे पर किस कर दो.
मैं लिंग के आगे वाले भाग पर किस करने लगी और जीभ फिराने लगी.
तभी जीजू ने अपना लिंग मेरे मुंह में डाल दिया और चुसाने लगे और कहने लगे- आह … चूसो साली साहिबा … आह … चूसो मेरी जान … साली जी … आह … बहुत अच्छा चूसती हो साली साहिबा!
जीजू अपना पूरा लिंग मेरे हलक़ तक डाल कर मज़े से चुसा रहे थे.
पता नहीं यार लड़कों को लिंग चुसवाने में कितना मज़ा आता है.
जीजू के गधे जैसे लडं का सुपारा मेरे मुंह के तालू से टकरा रहा था.
करीब दस मिनट तक लिंग चुसवाने के बाद जीजू ने अपना गाढ़ा गाढ़ा माल मेरे मुंह में ही छोड़ दिया.
जो मुझे बहुत खराब लगा और मैंने थूक दिया.
तो जीजू बोले- साली जी पी लो इसे … इसमें कैल्शियम, प्रोटीन होता है जो लड़कियों के लिए फायदेमंद है.
फिर जीजू ने मुझे उठाया और 69 वाली पोजीशन में कर दिया.
अब जीजू ने अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी जिससे मुझे गुदगुदी होने लगी- आहह ह … सीईई … ऊईई … आआह आहह … हाय जीईईजूजूजू … अई … प्लीज चोदो!
ऐसी आवाजें निकालने लगी.
दूसरी तरफ जीजू का लिंग डंडे की तरह सीधा खड़ा हुआ था जो मेरे होठों से टकरा रहा था.
उन्होंने अपना लिंग फिर से मेरे मुंह में डाल दिया और चुसाने लगे.
दोस्तो, आप कल्पना कर सकते हो कि उस समय कैसी स्थिति रही होगी.
मैं बस गूउ … ऊं ऊ गोंउ … गू कर रही थी और दूसरी तरफ जीजू अपनी जीभ से मेरी भग्नासा को कुरेदने में लगे थे.
बीच बीच में जीजू बोलते- आहह साली जी, तुम्हारी चूत बहुत अच्छी है, साली साहिबा आज तो कसम से खा जाऊंगा तुम्हारी चूत.
जीजू कभी चूत पर किस करते कभी हल्के से काटते जिससे मेरी सिसकारी और तेज हो जाती.
इस तरह लगभग बीस मिनट तक जीजू ने मेरे साथ ये खेल खेला.
जिसकी वजह मेरी उत्तेजना बढ़ गयी और मुझे पेशाब लगने लगी.
फिर जीजू अलग हुए और बोले- कसम से नीलम, तुम्हारी चूत बहुत मस्त है.
मैं बोली- जीजू, मुझे पेशाब लगी है.
तो जीजू ने मुझे गोदी में उठाया और बाथरूम में ले गये, बोले- करो पेशाब!
मुझे शर्म आने लगी, मैं बोली- जीजू, आप जाओ, मैं कर लूंगी.
जीजू बोले- क्यों मेरे सामने क्या बात है!
और दूसरी तरफ जीजू अपना गधे जैसा मोटा लिंग पकड़कर पेशाब करने लगे.
फिर उन्होंने अपना लिंग धोया और बोले- अच्छा साली जी, एक बात बताओ कि ये लड़कियों की चूत से पेशाब करते समय सीटी जैसी आवाज क्यों आती है?
और हंसने लगे.
मुझे भी हंसी आ गयी.
मैं बोली- मुझे नहीं पता जीजू … प्लीज आप जाओ ना!
जीजू बोले- मैं नहीं जाऊंगा, मैं आज यही देखूँगा, तुम्हारी दीदी तो बहुत तेज आवाज करती है.
तभी मेरी पेशाब की धार निकल पड़ी सीटी जैसी आवाज के साथ!
जीजू बहुत ध्यान से देख रहे थे.
फिर जीजू ने मुझे उठाया और मेरी चूत धोने लगे और मुझे गोदी में उठाकर कमरे में ले गये.
मेरी लम्बाई छोटी है इसका पूरा फायदा जीजू उठाते हैं.
जीजू ने मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर देखने लगे.
मुझे बहुत शर्म आयी- हाय रे जीजू … आपने तो अपनी साली का सब कुछ देख लिया.
जीजू बोले- और क्या … साली पर जीजू का हक होता है.
और उन्होंने अपना लिंग चूत पर लगा दिया.
मैं कसमसाई- नहीं जीजू!
लेकिन इतने में ही जीजू ने अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए और नीचे से धक्का लगा दिया.
मैं संभल पाती … इससे पहले ही जीजू ने तेजी से दूसरा धक्का लगा दिया.
दर्द के मारे मैं तड़प उठी, मैं रूआसी हो गयी. मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे.
मैं छटपटाने लगी.
फिर जीजू मेरे आंसू पीने लगें और चेहरे पर किस करने लगे.
जीजू का लिंग मेरी चूत में ऐसे फंसा हुआ था जैसे उँगली में अँगूठी फंस जाती है.
तब जीजू ने लगातार आठ दस धक्के लगाये, फिर रूके.
मेरी तो हालत खराब हो गयी थी.
मैं बोली- प्लीज जीजू, अब छोड़ दो. मुझे नहीं करना कुछ भी!
तो जीजू बोले- साली साहिबा, अभी तो चुदाई शुरू हुई है, तुम अभी से हार मान गयी.
मैं उठने लगी,
तभी जीजू ने हाथ पकड़कर खींच लिया और फिर से चुदाई शुरू कर दी.
इस बार जीजू बिना रूके धक्के पर धक्के लगा रहे थे, उनका लिंग मेरी बच्चेदानी से छू रहा था और मेरी लगातार सिसकियाँ निकल रहीं थीं- आहह … जीजू … उई … आआ … हह मममईई … नहीं सीसीईई ईउई!
जीजू भी ‘आह … सालीईई साहिबा … आह … मेरी जान नीलम … साली जीईईई … कसम से बडी कसी हुई चूत है तुम्हारी मज़ा आ गया!’ बोल रहे थे.
फिर जीजू ने मुझे उठाया और घोड़ी बना दिया लेकिन जीजू का अभी झड़ा नहीं था.
उन्होंने पीछे से अपनी साली की चूत में लिंग डाल दिया और दनादन चोदने लगे.
लगभग बीस मिनट तक लगातार चोदने के बाद अब जीजू का झड़ने वाला था तो उन्होंने अपनी स्पीड और तेज कर दी और हाम्फने लगे.
फिर मुझे गर्म गर्म माल झडता हुआ महसूस हुआ.
दोस्तो, बहुत गाढ़ा गाढ़ा माल था क्योंकि जीजू को आठ महीने से चूत नहीं मिली थी और ना जीजू हस्तमैथुन करते हैं.
वीर्य की पिचकारी लगातार निकल रही थी.
फिर जीजू अलग हुए और माल साफ करके मुझे बाहों में लेकर लेट गये और प्यार करने लगे.
जीजू कभी मेरी पीठ पर हाथ फिराते, कभी बालों को सहलाते, कभी स्तनों को दबाते और साथ में गाल पर, होठों पर, स्तनों के बीच में किस कर देते.
ऐसे करते करते पता नहीं कब नींद आ गयी और जीजू मुझे अपनी बाहों में लेकर सो गये.
फिर सुबह के समय जीजू उठे और मुझे फिर से रगड़ने लगे.
दो बार जमकर चुदाई हुई मेरी!
दोस्तो, सुबह की चुदाई में कितना जोश होता है, यह आपको भी पता होगा.
सुबह-सुबह लिंग में बहुत अधिक तनाव होता है.
दोस्तो, कसम से उस रात मेरी तीन बार चुदाई हुई.
सुबह जब जीजू उठे तो बहुत खुश थे क्योंकि उनकी पिछले आठ महीनों की तमन्ना पूरी हो गयी थी.
उन्होंने मेरे माथे पर किस किया और बोले- गुड मार्निग साली जी, कसम से रात तुमने मुझे जो सम्भोग सुख दिया, उसे मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा. मैं आठ महीने से चूत के लिए तरस रहा था, उसकी कमी तुमने पूरी कर दी.
दोस्तो, इस समय जीजू को चूत मिलना मतलब जैसे किसी प्यासे को पानी मिल गया हो.
फिर जीजू उठे और बोले- चलो साली जी, आज साथ ही नहाएंगे.
इतना कहकर उन्होंने मुझे गोदी में उठाया और बाथरूम में ले गये.
जीजू ने शावर चालू कर दिया.
हम दोनों बिल्कुल नंगे शावर के नीचे नहा रहे थे.
मुझे बहुत शर्म आ रही थी- हाय जीजू … अपनी साली के साथ कौन नहाता है?
तो जीजू बोले- साली साहिबा, मेरी पीठ पर साबुन लगा दो वैसे तो तुम्हारी दीदी लगाती हैं.
मैं जीजू की पीठ पर साबुन लगाने लगी.
फिर मैंने लिंग पर भी साबुन लगाया.
लिंग में अभी भी कड़ापन था.
फिर जीजू ने मेरी पीठ पर साबुन लगाया और स्तनों पर पीछे से जीजू मेरे साबुन लगे स्तन दबाने लगे.
जीजू ने मेरी चूत पर भी साबुन लगाया.
तभी जीजू ने मुझे दीवार के सहारे झुका दिया.
मैं बोली- नहीं जीजू, अब नहीं!
जीजू ने नहीं सुना और पीछे से लिंग चूत में डाल कर चोदने लगे.
दोस्तो, ऊपर से पानी की बौछार गिर रही थी और पीछे से जीजू का लिंग बच्चेदानी पर लग रहा था जिसे मैं ज्यादा देर तक नहीं सह पायी और झड़ गयी.
लेकिन जीजू का अभी नहीं झड़ा था.
फिर उन्होंने अपना लिंग निकाला और मेरे मुंह में डाल कर चुसाने लगे.
मैं मना करने लगी, मैंने ना में सिर हिलाया तो जीजू बोले- साली चूस इसे!
और जीजू मेरा सिर पकड कर अपना लिंग आगे पीछे करके चुसाने लगे.
पाँच मिनट बाद उनके लिंग ने मेरे मुंह में ही वीर्य की पिचकारी छोड़ दी.
तब जीजू ने अपना लिंग बाहर निकाला.
मैंने तुरंत उठकर कुल्ला किया और जीजू अपना लिंग धोने लगे.
फिर हम दोनों नहा कर तैयार हुए और नाश्ता करके दीदी से मिलने अस्पताल चले गये.
पाँच दिन बाद दीदी की अस्पताल से छुट्टी हो गयी और उन पाँच दिनों में मेरी दिन-रात चुदाई हुई.
फिर जब दीदी घर आ गयी तो जीजू मुझे ऊपर वाले कमरे में ले जाकर मेरी चुदाई करते जब दीदी सो जाती थी.
दोस्तो, मैं वहां एक महीने रही और एक महीने में मेरी पता नहीं कितनी बार जमकर चुदाई हुई.
फिर मम्मी ने दीदी को फोन करके बोला कि अब नीलम को घर भेज दो.
एक दिन दीदी कहने लगी- सुनो जी, नीलम इतने दिनों से यहाँ रूकी है, नीलम को शापिंग तो करा दो!
तो जीजू मुझे बाजार ले गये और अच्छा सा सूट कुर्ती दिला दिया और अपनी पसंद की ब्रा पैन्टी जीजू ने मुझे दिलवायी.
घर आकर मैंने सूट कुर्ती दीदी को दिखाया जो कि उन्हें भी अच्छा लगा.
लेकिन मैंने ब्रा पैन्टी नहीं दिखाई.
इंडियन साली जीजा Xxx मजा लेकर मैं अपने घर आ गयी.
जब जीजू फोन पर बात करते हैं तो बोलते हैं- साली जी यहाँ कब आ रही हो? यहाँ आ जाओ, फिर तुम्हारी ढंग से कसरत करूँगा.
इसके बाद और भी मौकों पर मेरी चुदाई हुई जिसकी कहानी मैं बाद में लिखूंगी.