यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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अब तक की मेरी इस मस्त सेक्स कहानी में आपने पढ़ा कि मेरी बहन चित्रा और उसके पति ने अपनी अदला बदली की कल्पना को साकार करने के लिए मुझे और जीजाजी की बहन आलिया को राजी कर लिया था और हम सब आपस में चुदाई कर चुके थे.
मैं जीजा जी से उन दोनों के द्वारा दिए काम की वजह से थक गए थे और इसका बदला लेने के लिए आज की रात उन दोनों लड़कियों की जबरदस्त चुदाई को लेकर जीजा जी से बात कर रहा था.
अब आगे:
मैं- जीजा जी, दीदी को सेक्स के मामले में ऐसी कौन सी चीज है, जो पसंद नहीं है.
जीजा जी- आज तक तुम्हारी दीदी ने कभी भी गांड नहीं मरवाई है. कोई भी लड़की पहले तो अपनी गांड मरवाने में डरती ही है. हां तुम्हारी दीदी को मुँह में लंड लेना भी पंसद नहीं है.
मैं- हम्म … तो आज रात को होगा असली खेल.
अविनाश- मैं तुम्हारी दीदी की बैंड बजाऊंगा और तुम मेरी बहन की बजाना.
इसी तरह चुदाई की बातों के साथ हम दोनों ने खाना बनाया और बाहर डाइनिंग टेबल पर सजा दिया. फिर हम चारों ने साथ में खाना खाया.
खाना खत्म करने के बाद वो दोनों अपने कमरे में चली गईं. लेकिन हमारे लिए कमरे में प्रवेश निषेध था. इसीलिए दीदी और आलिया ने हम दोनों को कई सारे काम सौंप दिए थे. यहां तक की उन दोनों ने हमसे दुबारा भी घर की सफाई करवाई. आज उन दोनों ने हमें आराम ही नहीं करने दिया.
जब रात को हम खाना खा रहे थे. तब बात होने लगी.
अविनाश- चलो आखिरकार आज का दिन खत्म हुआ. अब हमारा हुक्म चलेगा.
मैं- तुम दोनों ने बहुत परेशान किया है. अब हमारी बारी है.
अविनाश- अपना टाइम आ गया. सुनो खाना खाने के बाद तुम दोनों, हमारा रूम में इन्तजार करना … हम दोनों अपना आखिरी काम करके जल्द ही आ जाएंगे.
वो दोनों खिलखिलाती हुई कमरे में चली गईं और हम दोनों बर्तन साफ करने में लग गए.
आलिया- भाभी आपको क्या लगता है कि वो दोनों आज क्या करेंगे?
चित्रा- डोन्ट वरी, वो दोनों चोदने के अलावा और कुछ नहीं करेंगे.
इस समय दोनों बहुत हॉट लग रही थीं. दीदी ने इस समय लोवर और टी-शर्ट पहना हुआ था और आलिया ने पेन्ट और शर्ट पहना था.
तभी हम दोनों व्हिस्की की बोटल लेकर अन्दर आ गए. जीजा जी ने पैग बनाए और चारों चियर्स करके पैग मारने लगे.
अविनाश- चलो, तुम दोनों जल्दी से अपने अपने कपड़े निकाल दो.
दोनों ने अपने कपड़े उतार दिए. इस समय दोनों सिर्फ ब्रा और पैंटी में रह गई थीं.
उनको देख कर हम दोनों ने भी अपने कपड़े निकाल दिए. उसके बाद हम दोनों एक दूसरे की बहन के साथ चिपक कर किस करने लगे. मैं आलिया की गांड को सहलाते हुए किस कर रहा था और जीजा जी दीदी के कमर पर हाथ रखकर किस कर रहे थे.
जीजा जी- चित्रा, घुटने के बल बैठ जाओ.
दीदी के साथ मैंने भी आलिया को घुटने के बल बैठा दिया.
मैं- अब लंड को मुँह में लो.
आलिया- क्या अह फक … मैं मुँह में नहीं लूंगी.
अविनाश- अभी तुम दोनों को हमारी हर बात माननी पड़ेगी.
चित्रा- सीरयसली!
अविनाश- यस.
आलिया- नो वे!
मैं- नो वे … अब ये करना ही पड़ेगा.
फिर दीदी ने आलिया तरफ देखकर जीजा जी का लंड हाथ में ले लिया और धीमे से मुँह में डालने लगीं. वो धीमे धीमे लंड को मुँह में अन्दर बाहर करने लगी थीं.
पहली बार दीदी को बहुत अजीब फीलिंग हो रही थी, लेकिन उनके पास कोई चॉइस नहीं थी.
फिर आलिया भी दीदी को देखकर हाथ में लंड पकड़कर मुँह में डालने लगी, लेकिन उसने एक बार चूस कर लंड बाहर निकाल दिया.
मैंने उसका मुँह पकड़ कर मुँह में लंड घुसा दिया. पहले तो उन दोनों के लिए मजबूरी वाला काम था, लेकिन फिर वो सही वाला ब्लोजॉब करने लगीं.
मैं लंड चुसवाता हुआ एक हाथ से आलिया के मम्मों को मसल रहा था. दूसरे हाथ से उसके बाल पकड़ कर लंड पेलते हुए सीत्कार कर रहा था. उधर जीजा जी दीदी के बाल पकड़ कर सीत्कार कर रहे थे.
मैंने मजाक करते हुए कहा- जीजा जी, आपकी बहन ब्लोजॉब जोरदार करती है.
जीजा जी- हां … आह इधर तुम्हारी दीदी तो लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही है.
तभी दीदी ने जीजा जी की जांघ पर चमाट लगा दी. जीजा जी उंह करते हुए हंसने लगे.
हम दोनों कामुक आवाजें कर रहे थे- आहह आह उह आह बेब.
अब जीजा जी से कन्ट्रोल नहीं हो रहा था. उन्होंने दीदी को खड़ा करके बेड पर लेटा दिया और मैंने भी दीदी के बाजू में ही आलिया को बेड पर लेटा दिया.
वे दोनों ही चुदने के लिए रेडी हो गई थीं.
हम दोनों अपने अपने लंड पर कंडोम चढ़ाकर एक बार एक दूसरे को देखा और उन दोनों के ऊपर चढ़ गए. हम दोनों ने एक साथ चुत पर लंड सैट करके सीटी मारी और पूरी ताकत से झटका मार दिया, इससे वो दोनों एक साथ जोरों से चिल्ला उठीं.
हम दोनों ने उनकी चीख पर कोई ध्यान नहीं दिया और बिना रुके चोदना चालू कर दिया. कुछ ही झटकों के बाद उन दोनों के गले से कामुक आवाजें कमरे में गूँजने लगीं. उनकी मदमस्त आवाजों के साथ फच फच की आवाजें भी गूंजने लगी थीं.
चित्रा दीदी- आहह … ओह मेरी जान … यू आर सो हार्ड … आहह … कितना अन्दर तक पेल रहे हो.
उधर आलिया भी किलकिला रही थी- ओह मर गई आह राज … धीरे चोदो … मुझे दर्द हो रहा है … आंह राज तुम्हारा बहुत बड़ा है..
कोई पांच मिनट तक लगातार चुत चोदने के बाद हम दोनों जीजा साले ने अपनी अपनी जगह बदल ली और अब हम दोनों ही अपनी-अपनी बहनों को घोड़ी बना कर चुत में लंड डालने लगे.
दीदी- राज तुम ये क्या कर रहे हो … आह मार ही डालोगे क्या?
उसी समय जीजा जी ने आलिया की गांड पर एक जोर की चपत लगा दी.
आलिया- ओह भाई … लगती है यार!
दीदी- ओह!
अब तक वो दोनों जान गई थीं कि हम दोनों उनकी गांड मारने वाले हैं. इसलिए वो दोनों छटपटाने लगी थीं. लेकिन वो बच नहीं सकती थीं.
तभी मैंने एक जोर का झटका मार दिया, जिससे मेरा आधा लंड दीदी की गांड में घुस गया. दीदी दर्द के मारे जोरों से चिल्लाने लगीं.
ठीक उसके अगले पल आलिया की भी चीखने की आवाजें सुनाई देने लगीं. मैं समझ गया कि जीजा जी ने अपनी बहन आलिया की गांड में लंड पेल दिया है.
वो दोनों इतनी जोर से चिल्लाने लगी थीं. मानो घोड़े ने अपना लंड घुसा दिया हो. लेकिन हम रुकने वाले नहीं थे.
हम दोनों अपनी बहन को बेरहमी से चोदने में लगे थे और वो दोनों जोर से चिल्लाते हुए गांड मारने के लिए मना कर रही थीं.
आलिया की आंख में आंसू आ गए थे- भाई उन्हह … स्टॉप इट … मुझे बहुत दर्द हो रहा है … क्या अपनी बहन को मार ही डालोगे?
दीदी- आहह राज … प्लीज़ रुको.
आलिया- आहह मां मर गई … भाई दर्द हो रहा है … प्लीज़ स्टॉप इट.
दीदी- ओह राज सो हार्ड … प्लीज़ स्टॉप इट … आहह उह आ.
हम दोनों ने अपनी स्पीड और बढ़ा दी थी. कोई पांच मिनट तक उन दोनों ननद भौजाई की गांड में लंड चलते रहे.
तभी जीजा जी झड़ गए और वे रुक गए. जीजा जी ने कंडोम निकालकर बाहर डस्टबिन में डाला और व्हिस्की का गिलास लेने चले गए.
आलिया बेड पर पट हो कर लेट गई. मैं अभी भी हांफते हुए दीदी की गांड मार रहा था. दीदी की कराहें कम होने लगी थीं. शायद उनकी चुत ने पानी छोड़ दिया था.
तभी मैं भी दीदी की गांड में झड़ गया. मैंने लंड बाहर खींचा और खड़ा होकर कंडोम को डस्टबिन में डालकर बाथरूम में पेशाब करने के लिए चला गया.
वो दोनों निढाल होकर धीमे स्वर में दर्द भरी सीत्कार कर रही थीं.
कुछ देर बाद मैं वापस आकर दीदी के पास बैठ गया. तभी जीजा जी भी दारू की बोतल और गिलास लेकर उधर ही बिस्तर पर आ गए.
दीदी- तुम दोनों एकदम पागल इंसान हो क्या?
मैं हंसते हुए दीदी के मम्मों को सहलाने लगा.
जीजा जी ने सबको व्हिस्की का पैग बनाकर दिए. लेकिन आलिया की हालत इतनी पतली हो गई थी कि वो पैग भी नहीं मार पाई … बस ऐसे ही लेटी रही. उसने अपना गिलास बगल के स्टूल पर रख देने का कह दिया.
अविनाश- ज्यादा दर्द तो नहीं रहा न बहना.
आलिया- अब आपको अपनी बहन याद आ रही है.
चित्रा- तुम दोनों सही में बहुत कमीने हो.
अविनाश- तुम दोनों ने जितना दिन भर हमें परेशान किया था … उसका मजा हमारी बारी ने चुका दिया है.
मैं- अभी तो पार्टी शुरू हुई है.
दीदी- शटअप.
अविनाश- आलिया मालिश कर दूं?
आलिया- नहीं रहने दो, मुझ पर कृपा करो.
मैंने हंसते हुए दीदी से कहा- दीदी आपको तो मालिश की जरूरत नहीं है न.
दीदी ने एक घूँट लेते हुए मुँह बनाया और नहीं कहते हुए एक सिगरेट जलाने का कहा.
मैंने जल्दी से एक सिगरेट जला कर दीदी को दे दी.
दीदी ने सिगरेट का कश खींचते हुए अपने मुँह का स्वाद ठीक किया और दारू का मजा लेने लगीं. कुछ ही देर में हम तीनों ने अपने पैग खत्म कर दिए.
दीदी ने अपनी गांड सहलाते हुए कहा- तुम्हारे पागलपन में हमारी बैंड बज गई. आइन्दा मेरी गांड कभी मत मारना.
अविनाश- अभी तो तुम्हारे भाई ने तेरी गांड मारी है, अभी तुम्हारे पति को तेरी गांड मारना बाकी है मेरी जान.
चित्रा ने चिढ़ कहा- तुम अपनी खुद की गांड मरवाओ, तब दर्द का पता चलेगा.
अविनाश- तो तैयार हो न … दूसरे राउंड के लिए?
आलिया- भाई इस समय में बहुत थक चुकी हूँ. प्लीज़ मेरी गांड अब मत मारना.
अविनाश- कोई बात नहीं, मैं तुम्हारी थकावट दूर कर देता हूँ.
फिर जीजा जी ने आलिया के होंठों से गिलास लगाया और धीरे धीरे उसे पूरी पिला दी. तभी आलिया ने दीदी के हाथ से सिगरेट ले कर अपने मुँह का स्वाद लिया. जीजा जी अपनी बहन आलिया के मम्मों को सहलाते हुए उसके गालों को चूमने लगे. इधर मैंने भी अपनी दीदी के होंठों को चूम कर उन्हें लेटा दिया.
अब हम जीजा-साले दोनों अपनी अपनी बहनों के हॉट फिगर को चूम रहे थे. मेरा रॉड फिर से दीदी को चोदने के तैयार था, मैं बस दीदी को गर्म कर रहा था.
इस बार मैंने बिना कंडोम लगाए दीदी को चोदना चालू कर दिया. कुछ ही देर में लंड की चमड़ी की रगड़ से दीदी गर्म हो गईं. उन पर दारू ने मस्ती चढ़ा दी थी. नीचे से दीदी भी अपनी गांड उछाल कर चुदाई का मजा ले रही थीं और साथ में कामुक आवाजें कर रही थीं.
दीदी- आहह राज … कितना मजा देते ही भाई … कम ऑन फक मी फास्ट … आंह फाड़ डाल अपनी दीदी की चुत. आज मैं तुम्हारी हूँ … चोद डाल … या ओह गॉड आहह या या..
मैं तेजी से दीदी को चोद रहा था. उधर जीजा जी अभी भी आलिया के बदन से खेल रहे थे. फिर बिना देर किए जीजा जी ने भी आलिया को चोदना शुरू कर दिया. आलिया भी कामुक आवाजें करते हुए अपने भाई के लंड से चुदाई का आनन्द ले रही थी.
इस बार हम दोनों जल्दी झड़ गए. मैंने सारा माल दीदी की चुत में डाल दिया और उनके बाजू में लेट गया. उधर वो दोनों भाई बहन चुदाई का मजा ले रहे थे.
दीदी उनकी चुदाई को देखते हुए खड़ी होकर बाथरूम चली गईं.
जीजा जी भी इस बार जल्द ही झड़ गए थे, उन्होंने लंड पर कंडोम लगाया हुआ था. अपनी बहन की चुत चोदने के बाद जीजा जी ने कंडोम को लंड से निकाला और डस्टबिन में फेंक कर आलिया के पास लेट गए.
मैं आलिया के पास आकर उसके मम्मों को सहलाते हुए किस करने लगा. शायद आलिया अभी झड़ी नहीं थी … इसलिए वो मेरे लंड से चुदने को जल्दी मचाने लगी.
कुछ ही देर मैं फिर से गर्म हो गया और आलिया के ऊपर चढ़कर उसको चोदने लगा. जीजा जी मेरी ओर देखकर मुस्कराने लगे.
तभी दीदी जीजा जी के पास आकर उनके लंड को सहलाते हुए उन्हें किस करने लगीं.
ऐसे ही चुत चुदाई का मजा करते हुए रात के करीबन एक बजे तक हम चुदाई का खेल खेलते रहे. फिर सब थक गए और सो गए. मैं उन दोनों के बीच सोया था. जीजा जी दीदी के दूसरी तरफ लेटे थे.
जब सुबह जीजा जी उठे, तो वो देखने लगे कि हम दोनों भाई-बहन चुदाई करने में लगे थे.
जीजा जी- तुम दोनों सुबह ही शुरू हो गए.
मैं- क्या करूं जीजा जी आपकी बीवी है ही इतनी हॉट माल कि मेरे लंड से कन्ट्रोल ही नहीं हुआ.
जीजा जी- ये बात तो है. चित्रा माल तो जबरदस्त है.
दीदी ने चुदते हुए मुझे सेक्सी स्माइल दी. जीजा जी खड़े होकर लंड हिलाते हुए अपने कमरे में चले गए.
कुछ देर बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए और मैं दीदी के पास लेट गया. आलिया अभी भी सो रही थी.
मैं अपनी आंखें बंद करके आराम करने लगा. दीदी खड़ी होकर अपने कपड़े लेकर अपने कमरे में चली गईं
मेरी आंख लग गई और मैं सो गया. जब मैं उठा, तब आलिया भी जा चुकी थी.
दोस्तों इस मस्त सेक्स कहानी को अगले कई भागों में पूरे विस्तार से लिख कर आपके लंड चुत गर्म करूंगा. तब तक आप मुझे मेल कीजिएगा.
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कहानी जारी है.