मेरी ज़िन्दगी में एक और लड़की आई. यह उसी मोटी लड़की की चुदाई कहानी है. वो लड़की मेरे जीजाजी की बहन थी. उसका नाम नंदिनी था.
नंदिनी दिखने में काफी सेक्सी थी. मुझे वो थोड़ी सी मोटी लगती थी.
अगर उसकी मोटेपन वाली कमी को हटा दूँ, तो वो भी मस्त माल से कम नहीं थी.
उसकी शादी हो चुकी थी. शादी को दो साल हो चुके थे, पर उसको अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था.
नंदिनी का फिगर साइज 38-32-40 का था. मतलब मैं जो कह रहा हूँ कि जरा मोटी सी थी … वो आपको उसकी फिगर को पढ़कर समझ आ गया होगा.
बाकी माल एकदम गोरा और गदराया हुआ था.
नंदिनी मुझे जीजाजी की शादी से ही कुछ अलग तरह से देख रही थी. फिर उसने मेरी और स्नेहा की चुदाई भी देख ली थी. ये बात मुझे बाद में पता चली.
एक बार हम दोनों किसी फंक्शन में मिले. वहां मैंने नंदिनी से कम ही बात की.
क्योंकि वो मेरे सम्मानित रिश्ते में से थी तो मैंने उसे चुदाई की नजर से नहीं देखा था.
मगर वहां पर ये मुझे बहुत घूर रही थी. उसकी नजरों से मुझे वासना साफ़ नजर आ रही थी.
वहां से आने के बाद एक दिन मेरी बहन का कॉल आया और उसने मुझे बताया कि नंदिनी मुझसे बात करना चाहती है.
मैंने पूछा- क्यों?
तो बहन ने कहा कि उसे कुछ पढ़ाई के बारे में बात करनी है.
मैंने कह दिया कि ओके आप उसे मेरा नंबर दे देना.
दूसरे दिन उसका कॉल आया, तो मुझे लगा कि उसी पढ़ाई के सिलसिले में फोन किया होगा. मैंने कॉल अटेंड किया.
मैं- हैलो.
नंदिनी- हाई संदीप जी!
मैं- हां नंदिनी दी, कहिए आपको मुझसे कुछ काम था.
नंदिनी- पहले तो आप मुझे दी ना कहिए … कुछ अजीब सा लगता है.
मैं- ठीक है नंदिनी जी, अब कहिए.
नंदिनी- वो मुझे आपसे थोड़ा गाइडेंस चाहिए थी … तो क्या हम मिल सकते हैं!
मैंने कहा- हां ठीक है … बताइए हम कहां मिलेंगे!
नंदिनी- मैं सैटरडे को इंदौर आ रही हूं … तो आपसे मिलती हूं … बाकी वहीं मिल कर बताऊंगी.
मैं- ठीक है … जैसा भी आपको ठीक लगे. आप जैसे ही आएं, तो मुझे कॉल कर दीजिएगा.
नंदिनी- जी ठीक है.
ये सब मैंने सिर्फ मदद करने की वजह से कहा था.
फिर दो दिन बाद शनिवार को वो इंदौर आई. मुझे बिना कॉल किए … वो सीधे मेरे रूम पर ही आ गई.
उस दिन दोपहर के तीन बजे थे. मैं उस समय स्नेहा से बात कर रहा था. हमारी वीडियो सेक्स चैट चल रही थी. मैं उस समय केवल अपने लोअर में था और लंड हिला रहा था.
अचानक से दरवाजे पर दस्तक हुई तो मैंने कॉल डिस्कनेक्ट की और बिना टी-शर्ट पहने ही दरवाजा ओपन कर दिया.
नंदिनी सामने खड़ी थी. कसम से मेरी गांड फट गई थी कि मैं बिना टी-शर्ट के एक मादक लड़की मेरे सामने खड़ा था.
मेरा लंड पहले से ही खड़ा था और मुझे नंदिनी की उम्मीद नहीं थी.
उसने मुझे देखा, फिर मेरे लंड को ओर देखा.
इतने में मैं उससे बिना कुछ कहे ही अन्दर भागा और टी-शर्ट पहन कर अपने लंड को सही करने लगा. तब तक वो कमरे में अन्दर आ चुकी थी.
मैं थोड़ा घबरा गया कि ये सब क्या हो गया.
मैंने उससे कहा- आप आने से पहले कॉल करने वाली थी ना?
नंदिनी- आप इस हालत में किसी ओर का इन्तजार कर रहे थे क्या?
मैं- अरे नहीं तो!
नंदिनी इठलाई- शायद स्नेहा का?
मैं शर्म से लाल हो गया कि भैनचोद ये क्या बोल गई … इसे स्नेहा का कैसे पता!
मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने कहा- मुझे आप दोनों के बारे में सब पता है.
मैं- क्या सब!
नंदिनी- चलिए छोड़िए.
मैंने कहा- हां ठीक है.
फिर मैं उसके लिए पानी लेकर आया और उसके सामने बैठ गया.
मैंने पूछा- आपको मुझसे क्या काम था?
नंदिनी- मुझे इंदौर घूमना है.
मैं- बस इतना सा … उसके लिए तो आपको कम से कम दो दिन तो लगेंगे.
नंदिनी- तभी तो मैं आज आई हूं. अब से दो दिन मैं आपकी ही हूं.
उसके मुंह से ये सुन कमरे कान और लंड दोनों में सनसनी फैल गई.
मैंने उसकी और सवालिया नजरों से देखा तो वो बोली- मेरा मतलब है कि आपके साथ ही हूं.
मैं- ठीक है … फिर हम अभी ही निकलते हैं.
नंदिनी मुस्काई- वैसे मेरे आने से पहले आप इस हालत में स्नेहा से ही बात कर रहे थे ना!
मैं- हां आपको कैसे पता!
नंदिनी- मैंने भाभी के कमरे में आपको और स्नेहा को देखा था.
मेरी गांड फट गई कि उस कमरे में तो हम चुदाई कर रहे थे. मैंने आश्चर्य से उसकी ओर देखा. उसकी आंखें मेरे लंड पर ही टिकी थीं.
मैंने उससे अपना लंड थोड़ा सा छुपाने का प्रयास किया. उसने मेरी तरफ देखा.
नंदिनी- हम्म … उधर मैंने सब कुछ देखा था.
मैंने शरारत से कहा- अच्छा … सब कुछ क्या देखा था?
नंदिनी- वही … जो आप दोनों करते थे. मैंने सब देखा भी और सुना भी.
मैंने थोड़ी नजर झुका ली.
नंदिनी- वैसे काफी बड़ा है आपका.
इस बात को सुनकर मेरी नज़रें उसकी और उठ गईं.
मैंने देखा कि उसकी आंखें चुदासी हो रही थीं.
उसने मेरी तरफ देख कर आंख दबा दी और उंगली से करीब आने का इशारा कर दिया.
मैं मौके का फायदा उठा कर आगे बढ़ा और उसके गालों पर किस कर दिया.
उसने मेरी ओर देखा और हम दोनों के होंठ एक दूसरे से लग गए. बिना रुके हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे.
मैंने बारी बारी उसके दोनों होंठों को चूसा और साथ ही उसकी जीभ भी चूसने लगा.
अब हमारी लार भी एक दूसरे के मुंह में जाने लगी.
उसके मुंह से ‘आहहहह उम्म्म हम्मम …’ की मादक आवाजें निकल रही थीं.
हम दोनों बिना किसी रिश्ते की परवाह किए एक दूसरे को चूमे जा रहे थे.
मैने धीरे धीरे उसके मम्मे सहलाने चालू कर दिए. उसके मम्मे इतने बड़े थे कि मेरे दोनों हाथ में भी नहीं आ रहे थे.
वो सुरसुराई- कपड़े नहीं उतारोगे?
मैंने बिना कुछ कहे उसका कमीज निकाल दिया. अब वो मेरे सामने ऊपर हिस्से में सिर्फ ब्रा में बैठी थी.
मैंने उसे खड़ा किया और उसका पजामा भी खोल दिया.
पजामा नीचे गिरा तो वो ब्रा पैंटी में हो गई.
मैंने उसे दीवार से सटाया और उसके होंठों पर किस करने लगा और धीरे धीरे उसके बूब्स दबाने लगा.
वो कामुक सीत्कार भरने लगी.
मैंने उसके गले पर किस करने के साथ मम्मों की घाटी को अपनी से चाटा और चुम्बन लेने लगा.
‘आआ आहह … हम्मम … उम्मम मर गई … बड़ा मस्त चूमते हो.’
उसकी इस तरह की आवाज मेरा संतुलन बिगाड़ रही थीं. लंड हद से ज्यादा सख्त हो गया था.
मैंने अब उसके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही चूसना चालू कर दिया. उसके बूब्स उसकी सांसों के साथ ब्रा से बाहर आने की कोशिश कर रहे थे.
मैंने उन्हें आजाद कर दिया और बारी बारी से दोनों निप्पलों को खींचते हुए चूसना चालू कर दिया. उसके गोरे बड़े मम्मों पर काले काले अंगूर से कड़क निप्पल ऐसे मस्त लग रहे थे, जैसे रस से लबालब भरे हों. उसके चूचुकों से वैसा ही स्वाद भी आ रहा था.
तभी उसका एक हाथ मेरे लंड पर आ गया और लंड को सहलाने लगा.
वो मेरा लंड हिलाने के साथ ही मेरे कंधों पर किस किए जा रही थी. मेरा हाथ भी उसकी चूत के पास जाने लगा.
मैंने अपना एक हाथ पैंटी की बगल से उसकी चूत में डाल दिया. उसकी चूत एकदम चिकनी थी, साली चुदवाने के लिए एकदम रेडी होकर आई थी.
मेरी उंगली सीधी उसकी चूत के अन्दर चली गई, तो नंदिनी की चीख निकल गई. उसे शायद अहसास ही नहीं था कि इतनी जल्दी चुत में उंगली चली जाएगी.
चुत में उंगली के साथ ही उसकी मीठी कराह निकल गई- आहह धीरे …
मैं उसके पेट को चूमते हुए उसकी चूत पर आ गया.
उसकी पैंटी सेंट से महक रही थी.
मैंने झटके से अपनी उंगलियां पैंटी की इलास्टिक में फंसाईं और उसे नीचे कर दिया.
उसने खुद अपनी पैंटी को अपनी एक तनग उठाकर नीचे से निकाल दिया.
मैं उसकी चूत चाटने में लग गया. मैं बिना कुछ सोचे उसकी चूत की फांकों को चाटने लगा.
उसकी रसमलाई सी मुलायम चुत का सारा रस नीचे ही भरा था.
सच में वो बड़े दिनों से मेरे लंड की प्यासी थी. उसकी मादक आवाज से ही पता चल रहा था.
‘आआ हहह याहह हहह उम्म … कितने दिन से तुम्हारा वेट कर रही थी.’
मैं उसकी चूत चाटने में लगा रहा और वो मेरा सर अपनी चुत में घुसाए अपनी गांड से मेरे मुँह पर धक्का देने में लगी रही.
थोड़ी देर में ही उसने पानी छोड़ दिया. मैंने सारा पानी चाट कर चुत साफ़ कर दी.
वो शिथिल हो गई थी. मैंने उसे गोद में उठाया और बेड पर लेटा दिया.
मैं नंदिनी के होंठों पर किस करने लगा. वो मेरे होंठों में लगे अपनी चुत की मलाई का स्वाद लेने लगी.
फिर मैं उससे थोड़ा दूर हो गया.
वो थोड़ी अजीब सी नजरों से मेरी तरफ देखने लगी.
फिर वो बिना कुछ कहे मेरे पास आई और मेरे लंड पर टूट पड़ी. उसने मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसना चालू कर दिया और थोड़ी देर में ही पानी निकाल दिया.
हम दोनों झड़ चुके थे.
थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड फिर से पकड़ लिया और सहलाने लगी.
मेरा लंड खड़ा हो गया.
अब वो अपनी टांगें चौड़ी करके मेरे सामने लेट गई और बोली- ये आज सिर्फ तुम्हारी ही है.
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर सैट किया और धीरे से अन्दर कर दिया.
अभी मेरा सिर्फ ऊपर का हिस्सा ही अन्दर गया था कि उसकी आवाज और आंसू दोनों निकल पड़े- आआह … संदीप … फक मी … आआह!
मैंने चुदाई के साथ साथ उसके मम्मों को मसलना चालू कर दिया ताकि उसे थोड़ा आराम मिले.
नंदिनी ने बड़े दिनों बाद लंड लिया था.
अब वो अपनी गांड उठाने लगी. मैंने अपने लंड को और अन्दर कर दिया.
इस बार उसे थोड़ा कम दर्द हुआ. फिर धीरे धीरे मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया.
मैंने अपनी स्पीड से नंदिनी को चोदने लगा और उसके मम्मों भी चूसने लगा.
उसकी मादक आवाजें पूरे कमरे में गूंजने लगीं.
‘आहाहह … संदीप कम इन … धीरे करो थोड़ा … पूरी तुम्हारी हूं अब … आह बस अब नहीं होता. तुम सच में मज़ेदार हो. आआह्ह यूम्म्म … आआहह.’
मैंने नंदिनी को करीब बीस मिनट तक चोदा.
फिर उसकी चूत ऐंठने लगी. वो झड़ गई थी.
मेरा भी होने ही वाला था. मैं उससे बिना पूछे ही उसकी चूत में झड़ गया.
नंदिनी के चेहरे पर आज मैंने अपार संतुष्टि देखी थी. मैं उसके पास में ही लेट गया.
मैंने हिम्मत करके नंदिनी से पूछा- उस दिन तुमने मुझे सही में स्नेहा के साथ देख लिया था?
नंदिनी- हां, अगर सच कहूं तो मैंने जब से तुम्हारा लंड देखा है … तब से तुमसे चूत चुदवाना चाहती थी. उस दिन से मैंने पूरी फिल्म देखी थी और मैं तुम्हारे दमदार शॉट्स की दीवानी हो गई थी. मुझे तुमसे अभी बहुत बार चुदना है.
मैं- अब तुम बेफिक्र रहो … मैं तुम्हें सारी जन्नत दिखाऊंगा.
नंदिनी- आज से मैं तुम्हारी ही हूं. दो दिनों तक हम बेपनाह प्यार करेंगे.
मैं- तुम्हारे इसे प्यार को तो मैं रोज पाने को तैयार हूं.
मैंने उसे फिर किस करना शुरू कर दिया.
वो बोली- ज़रा देर रुक जाओ फिर करूंगी.
मैंने उसे गले लगा लिया और हम दोनों साथ ही सो गए.
एक घंटे बाद मैंने उसे फिर से गर्म किया और इस बार अपने लंड पर उसे कुदाया.
इसके बाद उसे घोड़ी बना कर चोदा.
इन दो दिनों में हमने कई बार चुदाई की.
फिर नंदिनी चली गई. अब वो जब भी इंदौर आती है, मेरे रूम पर एक रात जरूर रुकती है.