हाई दोस्तो, अब तक की इस बहन की चुदाई की सेक्स स्टोरी के पहले भाग
कैसे हासिल की छोटी बहन की चूत हॉट स्टोरी-1
में आप सभी ने जाना कि मैं अपनी छोटी बहन को सिड्यूस करके किस तरह चोदने की फिराक में था।
अब इसके आगे..
मंगलवार की शाम को जब मैं घर आया तो उसने आज स्कूल ड्रेस ही पहन कर रखी थी, उसके स्कूल ड्रेस में सफ़ेद टॉप और ब्लू स्कर्ट होता है। उसका सफ़ेद टॉप आज मुझे कुछ ज़्यादा ही टाइट लग रहा था। नीनू के चूचे भी कुछ ज़्यादा बड़े भी दिख रहे थे।
मैंने ध्यान से देखा कि उसकी पिंक ब्रा की पट्टी भी दिख रही थी।
शाम को हम खाना ख़ाकर टीवी देखने लगे। दादी माँ तो 9 बजे सो जाती हैं तो किसी का डर नहीं रहता है।
मैं टीवी देख रहा था.. नीनू मेरे सामने बैठ गई और उसने अपने पैर ऐसे रखे कि उसकी पेंटी मुझे दिखे। इस सबका उसको पता ही नहीं है वो ऐसे अंजान बनने की कोशिश करती रही।
उसकी रेड पेंटी मुझे दिख रही थी।
वो न्यूज़ पेपर लेकर पढ़ने लगी और अचानक उसने न्यूज़ पेपर अपने चेहरे के सामने से हटा लिया। मैं उसकी पेंटी देखते पकड़ा गया तो वो थोड़ी मुस्कुरा दी.. और वो अपने पैर ठीक करने लगी ताकि मैं उसकी पेंटी ना देख पाऊं।
वो भोली बनाने की कोशिश करने लगी।
एक बार मेरे लंड के उभार को देख कर वो खड़ी हो कर बाथरूम में चली गई। मैं भी दूसरे टॉयलेट में जाकर मुठ मारने लगा। बाद में मैं कमरे में आ कर सो गया.. वो भी आ कर नीचे मेरी दादी माँ के साथ सो गई।
अगले दिन उसके स्कूल में कोई फिक्स ड्रेस नहीं रहती थी.. तो आज उसने डीप कट वाला कुर्ता और सलवार पहना हुआ था। शाम को जब खाना ख़त्म होने के बाद वो झाड़ू लगाने लगी तो उसके डीप कट वाले कुर्ते में से मुझे उसके आधे चूचे दिखने लगे.. और वो ज्यादा झुक कर झाड़ू लगाने लगी ताकि मुझे उसके चूचे दिख सकें।
उसने अचानक मेरी तरफ देखा तो आज भी मैं उसके चूचे देखते हुए पकड़ा गया। वो फिर थोड़ी मुस्कुराकर चली गई।
अब वो एक सेक्सी सी पिंक नाइटी पहन कर आई.. जिसमें से मुझे उसकी ब्रा और पेंटी दिख रही थी। आज हम दोनों ने थोड़ी ऐसे ही मस्ती की बात की और सो गए। अगले दिन वो मेरी शाम को मेरी राह ऐसे देखने लगी थी कि मैं कब घर आऊं। आज भी वो सेक्सी नाइटी पहन कर दादी माँ के साथ लेट गई। करीब 11 बजे वो खड़ी हुई और नाइटी ऐसे झटकारने लगी और कूदने लगी जैसे कोई कीड़ा घुसा हो।
वो धीमे से चिल्लाने लगी- भैया, मेरी नाइटी में काकरोच घुस गया है।
मैं भी खड़ा हुआ तो वो अपनी नाइटी ऊपर को करने लगी।
इस तरह से उसने अपनी पूरी नाइटी ऊपर को कर दी.. और वो सफ़ेद ब्रा और पेंटी में रह गई थी।
चूंकि कमरे में नाइट बल्ब जल रहा था तो दादी माँ भी कुछ नहीं दिखा।
वो बोलीं- नीनू, क्या हुआ क्यों चिल्ला रही हो?
नीनू बोली- दादी माँ मेरी नाइटी में काकरोच घुस गया है।
वो कुछ नहीं बोलीं और फिर से सो गईं।
मैं नीनू को ब्लैक ब्रा-पेंटी में घूर रहा था.. वो शर्मा गई और मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी।
फिर वो नीचे ही सो गई.. लेकिन कुछ देर बाद मैं पेशाब करने उठा तो मैंने देखा कि वो जाग रही थी।
तो मैंने पूछा- नीनू क्यों जाग रही हो?
वो बोली- भैया मुझे डर लग रहा है कि वापिस काकरोच ना आ जाए।
मैंने कहा- कोई बात नहीं.. तू मेरे साथ बिस्तर पर सो जा। ये डबलबेड तो है.. हम दोनों इस पर आराम से सो जाएँगे।
वो बोली- ठीक है।
अब वो बिस्तर पर मेरे साथ सो गई और वो उल्टा सोई.. मतलब मेरे सर की साइड उसने पैर रखे और मेरे पैर के साइड उसने अपना सर रखा। उसने अपना एक पाँव सीधा रखा और एक पाँव मोड़ कर रखा। अब मुझे नाइट लैम्प में से भी उसकी पेंटी दिख रही थी और मेरा लंड पूरा टाइट हो गया था। लंड मेरे बरमूडा में से साफ़ उभर दिख रहा था।
थोड़ी देर बाद मैं टॉयलेट में गया और सिस्टर की पेंटी याद करके हस्तमैथुन करने लगा। मैं टॉयलेट में से वापिस आया तो वो सो गई थी।
आज मैंने भी कुछ ना करना ही मुनासिब समझा और मैं भी सो गया।
सुबह मेरी नींद 5.45 बजे खुल गई.. तब मैंने अपना तना हुआ लंड बरमूडा में ऐसे रखा कि लंड का उभार ज़्यादा दिखे।
अब मैं आँख बंद करके सोने का नाटक करने लगा। कुछ देर बाद नीनू उठी तो वो मेरे लंड के उभार को देखती रही लेकिन उसकी लंड को टच करने की हिम्मत ना हुई। वो काफ़ी देर तक लंड देखती रही। फिर वो स्कूल चली गई और शाम को हम सबने खाना ख़ाकर थोड़ी देर टीवी देखा और सब सो गए।
आज भी वो मेरे साथ बिस्तर पर ही सो गई लेकिन आज वो ऐसे सोई कि मेरा सर और उसका सर एक ही साइड में था। परन्तु वो मेरी तरफ पीठ करके सो गई.. उसकी नाइटी में से उसकी ब्रा के स्ट्रीप दिख रही थीं।
रात 11 बज रहे थे.. आज मुझसे रहा ना गया। मैंने धीरे से उसकी पीठ पर हाथ रखा और सहलाने लगा। वो सोने का नाटक कर रही थी। मैंने 15 मिनट सिर्फ़ उसकी पीठ सहलाई.. और जब उसका कुछ रिएक्श्न नहीं हुआ तो मैं अपना हाथ थोड़ा नीचे ले गया और नाइटी के ऊपर से ही उसकी आजू-बाजू सहलाने लगा।
मेरा लंड भी खड़ा हो गया था।
थोड़ी देर सहलाने के बाद मैंने मेरा हाथ आगे उसके मम्मों पर रख दिया और धीरे से मम्मों को दबाया तो वो बोली- भैया प्लीज़ नाइट लैम्प ऑफ कर दीजिए।
मैंने नाइट लैम्प ऑफ कर दिया और अब पूरा अंधेरा हो गया। अब मैंने उसको मेरी तरफ खींच लिया और उसको किस करने लगा। कुछ मिनट किस करने के बाद उसकी सांस फूलने लगी और वो काफ़ी उत्तेजित हो गई।
अब मैं दोनों हाथों से उसके मम्मों को भर के सहलाने लगा। वो कुछ बोल नहीं पा रही थी.. बस आँख बंद करके सिर्फ़ धीरे से ‘ओह.. भैया..’ कर रही थी।
थोड़ी देर बाद वो बोली- भैया धीरे से दबाओ ना.. दर्द होता है।
बाद में मैं धीरे-धीरे उसकी नाइटी के ऊपर से ही उसके मम्मों को मस्ती से सहलाने लगा और उसको किस करने लगा। वो अब हल्के स्वर में सीत्कार करने लगी थी। मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर मेरे बरमूडा पे रखा तो उसने हटा लिया। मैंने फिर से पकड़ कर रखा तो भी उसने अपना हाथ वापिस ले लिया.. शायद वो लंड पकड़ने में शर्मा रही थी।
उसके मम्मों का नाप 28 इंच का था.. बहुत ज़्यादा बड़े नहीं थे लेकिन मुझे उनको सहलाने में बहुत मज़ा आ रहा था। मुझे लग रहा था कि अभी मेरा पानी निकल जाएगा। मैंने धीरे से अपना एक हाथ नाइटी के ऊपर से ही बहन की बुर पर रखा और बुर को सहलाने लगा।
अब वो तेज़ी से सांस लेने लगी और उसने मुझे जोर से पकड़ कर पूरी तरह से मेरी बांहों में आ गई। अब मैंने फिर से उसका एक हाथ पकड़ कर बरमूडा के ऊपर से ही मेरे लंड पर रखा। इस बार उसने मेरा लंड पकड़ लिया। जब मैं अपनी बहन की बुर को सहला रहा था तो वो जोर से मेरे लंड को दबा रही थी। नाइटी के ऊपर से ही मैं महसूस करने लगा कि उसकी पेंटी और नाइटी दोनों गीली हो गई थीं।
मेरा अपने पर ही काबू नहीं रहा.. मैंने उसकी नाइटी कमर तक ऊपर की और उसकी नंगी जाँघों को सहलाने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी पूरी नाइटी निकाल दी और अपना बरमूडा भी निकाल दिया।
अब वो सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी और मैं सिर्फ़ फ्रेंची में था। मैंने पूरे उसके बदन पर हर जगह किस किया। बाद में मैंने उसकी ब्रा निकाल फेंकी और उसके चीकू साइज़ की चूचियों को चूसने लगा।
वो भी बहुत उत्तेजित हो गई और मेरे लंड पर जोर से हाथों से दबाव बनाने लगी। मैंने काफ़ी देर तक उसेके मम्मों को सक किया। फिर मैं उसकी पेंटी उतारने लगा.. लेकिन उसने अपनी पेंटी पकड़ के रखी.. वो उतारने नहीं दे रही थी।
मैंने वापिस अपना हाथ उसकी पेंटी के ऊपर से ही बुर पर रखा और बुर को सहलाने लगा। फिर धीरे से उसकी पेंटी की साइड में से उंगली डालकर उसकी बुर को सहलाने लगा.. वो मजे लेने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ तो मैं फिर से उसकी पेंटी उतारने लगा। इस बार उसने उसकी पेंटी उतर जाने दी।
अब मेरी बहन पूरी नंगी मेरी बांहों में थी और मैं उसको सब जगह चूमने लगा।
मैंने अपनी फ्रेंची भी निकाल दी, अब मेरी बहन मेरे नंगे लंड को सहला रही थी. वैसे भी मेरा लंड बहुत बड़ा नहीं है.. बस 5 इंच का है।
बहन की चुत चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैं नीचे को होकर अपनी बहन की बुर को चाटने लगा तो वो बहुत पानी छोड़ने लगी।
मैं समझ गया कि उसका पानी निकल गया है। अब मैं अपना लंड उसकी बुर में डालने लगा तो वो बोली- भैया, क्या तुम्हारे पास कंडोम है?
तो मैं बोला- नहीं..
वो बोली- भाई प्लीज़ आज अन्दर मत डालना.. मुझे प्रेगनेंसी से बहुत डर लग रहा है।
मैं उसकी बात टाल नहीं सका और मैंने अपना लंड उसके मुँह के पास रख कर बोला- लो तुम मेरे लंड को चूसो।
तो वो बोली- भैया, नहीं मुझे मुँह में लेना पसंद नहीं है।
मैं बोला- उसमें क्या प्राब्लम है?
तो वो बोली- मुझे गंदा लगता है।
मैंने जबदस्ती नहीं की और मेरा लंड उसके हाथ में देकर ऊपर-नीचे करने को बोला और मैं उसके मम्मों को सक करने लगा।
कोई 5 मिनट बाद मेरा वीर्य भी निकल गया। बाद में हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए और एक-दूसरे की बांहों में लिपट कर सो गए।
फिर धीरे से मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हें मज़ा आया?
तो वो बोली- हाँ भैया मुझे बहुत मजा आया.. कल तुम कंडोम ले आना.. मैं तुम्हें अन्दर भी डालने दूँगी लेकिन आज बिना कंडोम के नहीं.. प्लीज़।
मैं बोला- ठीक है।
हम दोनों सो गए।
शनिवार की सुबह जब दादी माँ बाथरूम में गईं तो उसने मुझे आज किस करके उठाया।
वो स्कूल ड्रेस में थी.. दो मिनट किस करने के बाद मैंने उसके स्कर्ट में हाथ डाला।
तो उसने हटा दिया और बोली- भैया पेंटी गीली हो जाएगी.. अभी मुझे स्कूल जाना है प्लीज़।
मैं बोला- ठीक है।
हम दोनों ने वापिस एक लंबी किस की और वो स्कूल चली गई। आज मैं बहुत खुश था कि आज मैं पहली बार सेक्स करूँगा और वो भी मेरी बहन के साथ.. मतलब अपनी बहन की चूत चुदाई!
मैंने दोपहर ही कंडोम के 10 पीस के 5 पैकेट ले लिए ताकि एक महीने तक चुदाई का मजा लिया जा सके।
इसी के साथ में मैंने जैली भी ले ली और नीनू के लिए गर्भनिरोधक गोलियां भी ले लीं। आज मेरा दिन काटे नहीं कट रहा था.. हर पांच मिनट के बाद घड़ी में टाइम देखता रहता था। उसकी छुट्टी का समय मुझे बड़ा कष्ट दे रहा था और कोई काम भी ठीक तरह से नहीं हो रहा था।
आज मैं शाम का ही वेट करने लगा। बाद में शाम को मैं घर आया तो नीनू भी आज बहुत खुश दिख रही थी। हम दोनों ने खाना खाया और बाद मैं वो बाथरूम में नहाने चली गई। नीनू रोज शाम को नहाती नहीं थी.. लेकिन आज उसने ऐसा किया।
बाथरूम से आकर उसने मुझसे भी बोला- भैया कितनी गर्मी है.. आज तुम भी नहा लो ना!
मैं भी बाथरूम में चला गया और मैं भी नहा लिया। अभी दस बजे थे और दादी माँ भी सोई नहीं थीं।
हम दोनों टीवी देखने लगे। करीब 10.30 बजे दादी माँ सो गईं तो हम भी सोने की तैयारी करने लगे।
लगभग 11 बजे हम दोनों बिस्तर पर सोने के लिए आ गए।
पहले नीनू ने मुझसे पूछा- क्या आज आप कंडोम लाए हो?
तो मैं बोला- हाँ पूरे महीने भर के लिए ले आया हूँ।
वो हंस कर बोली- आप भी ना..
अब हम दोनों बिस्तर पर आ गए और दादी माँ की तरफ़ देखा तो वो हमारे बिस्तर के दूसरी तरफ मुँह करके सो गई थीं।
बस अब मुझे अपनी बहन की चुत की सील तोड़नी थी बहन की चुदाई करके.. वो सब कहानी इसके अगले भाग में लिखूंगा।
तब तक आप मेरी इस बहन की चुत चुदाई की कहानी पर अपने विचार मुझे लिख सकते हैं।
[email protected]