यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
यह कटु सत्य घटना है। मौसी की बेटी की शादी में शादी से पन्द्रह दिन पहले पहली बार एक साथ पांच बुड्ढों ने और एक जवान लड़का रिश्ते के भाई ने मेरी बेदम चुदाई की, इनमें दो मेरे सगे रिश्तेदार हैं।
मेरा नाम वन्द्या है मैं रामपुर के पास तपा गांव की रहने वाली हूं मेरी उम्र उन्नीस साल है। मेरा गांव तपा सतना से पच्चीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मेरे घर में मम्मी रहती है पापा मुंबई में मजदूरी का काम करने चले जाते हैं तो साल भर बाद ही वापिस आते हैं. भाई इधर उधर घूमता रहता है कभी भी घर पर नहीं रहता। मुझसे बड़ी दो बहनें हैं जिनकी शादी हो चुकी है.
मैं अभी कक्षा बारहवीं की छात्रा हूं, पर सब कहते हैं कि मैं जवान हो गई हूं और मेरे सामने फिल्मों की हिरोइनें भी फेल हैं। यह बात मुझे भी पता है कि कुछ तो ऐसा है मुझमें जिस कारण मर्द मेरे आगे पीछे मक्खियों की तरह आस पास रहते हैं; जैसे मिठाई में मक्खियां भिनभिनाती हैं. ऐसे ही मेरे आस पास मर्द होते हैं। चाहे मेरे सगे रिलेटिव हो, चाहे स्कूल के टीचर हों या पापा, के भाई के दोस्त हों या कोई अजनबी सबकी निगाहें मुझमें इसी तरह से रहती है कि कब मौका मिले और वो कैसे भी मेरे साथ सो जायें।
मेरे फिगर; कमर 26″ की है, सीना मेरा 32″ का है और हिप्स मेरे 36″ के हैं। मेरी सहेलियां भी कहती हैं कि कोई मर्द तुम्हारे पिछवाड़े को देख ले तो पागल हो जायेगा, फिर कभी वो चैन से सो नहीं पायेगा।
मैं सच में बहुत गर्म लड़की हूं और सब सहेलियों से बात करती हूं, पूछती हूं तो खुद अहसास करती हूं कि उनसे बहुत ज्यादा मेरा मन करता है कि मर्द मुझे मिलें और मुझे बहुत करें।
अब आती हूं अपने जीवन की सच्चाई पर … मैंने इसमें एक भी शब्द झूठ नहीं लिखा, एक एक शब्द सच है. मैंने नाम और हर चीज सच ही लिखी है, मुझे भगवान की कसम है अगर एक भी शब्द झूठ निकले।
बात उस समय की है जब नवंबर महीने में मेरी मौसी की बेटी की शादी होने वाली थी, मेरी मौसी मम्मी को हर दिन चार बार फोन लगाया करती थी, कि जल्दी से जल्दी मेरे पास आ जाओ यहां कोई काम करने वाला नहीं है.
तभी मम्मी मुझे लेकर शादी के 15 दिन पहले मौसी के गांव मनका चली गई, वहां शादी का माहौल था पर मेरे लिए वहां कई लोग अजनबी थे जिन्हें पहली बार देख रही थी.
परंतु सभी लोग मेरी मम्मी को बहुत अच्छे से जानते थे, मुझे देखकर बोलते थे कि यह तुम्हारी बेटी बड़ी हो गई.
तब मम्मी कहती- यह अभी तो छोटी है. बस यह बड़ी दिखने लगी है.
मौसी के घर में जितने मर्द थे, सभी मेरी तरफ एकटक देखते रहते, कोई मेरा नाम पूछता, कोई मुझे बस घूरकर देखता ही रहता, वहां बूढ़े या जवान सब … पता नहीं क्यों मेरी तरफ एक अजीब सी नजर से मुझे देखते थे, मैं भी सोचूं कि पता नहीं ऐसी क्या बात है मुझमें जो सभी बस घूरे ही जाते हैं जैसे कभी लड़की ही ना देखी हो.
पर फिर मैंने सोचा कि जाने दो जैसे भी हैं.
वहां मेरे मौसी का बेटा था उसका नाम लालजी और उसके सगे ताऊ जी का बेटा अंकित था, वे दोनों घर का पूरा काम किया करते थे, दोनों ही मेरे रिश्ते में भाई लगते थे, अंकित मुझसे दो-तीन साल उम्र में बड़ा था, जबकि लालजी मुझ से 1 साल छोटा था, मैं लालजी से बहुत घुली मिली थी और अंकित से बस एक दो बार छोटे में मिली थी, इसलिए उससे ज्यादा बात नहीं करती थी.
दो दिन बाद मम्मी ने कहा- सोनू, खाना तू परोसा कर आज से!
तो मैं खाना परोस रही थी, जैसे ही झुक के खाना देने लगी तब मैंने देखा कि वहां बैठे सभी मर्द, एक दो को छोड़कर, सब मेरी तरफ घूरे जा रहे थे.
जब मैंने इसका कारण देखा तो समझ आया कि मैंने जो टॉप पहना था वह झुकने पर गले से बिल्कुल नीचे तरफ पूरा खुल जाता था जिससे मेरे पूरे बूब्स सीधे नजर आते थे.
मैं अंकित को जब दोबारा दाल देने गई तो वह बोला- बहुत मस्त हैं!
मैं देखने लगी तो पाया कि वह एकदम मेरे बूब्स तरफ देखे जा रहा था. तो मैं शरमा कर खड़ी हो गई पर उसकी नजरें अब बिल्कुल अलग ही तरह से मेरे बदन पर थी.
उसके बाद मुझे उसी दिन शाम को दरवाजे पर मैं खड़ी थी, अंकित कहीं बाहर से आया, आस पास कोई नहीं था तो वो वहीं खड़ा हो गया और इतनी बदतमीजी से बात की कि मैं बता नहीं सकती.
वो बोला- वन्द्या तू बहुत ही खूबसूरत है. बहुत हाट एन्ड सेक्सी लुक है तेरा! तुझे सोच कर ही मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है और तुझे देख लेता हूं तो कन्ट्रोल ही नहीं होता. लगता है तुझे सीधे चोद दूं, और कोई भी मर्द जाति का तुझे देख लेगा उसका तुझे चोदने का मन करेगा ही! वन्द्या चल दे ही दे … बुरा मत मानना जब से तू आई है मेरा बुरा हाल है!
मैं बोली- तुम बहुत कमीने हो! मैं तुम्हारी मम्मी और पापा मतलब मौसी और मौसा को यह सब बता दूंगी कि तू ऐसी गन्दी बात मुझसे करता है. मैं तेरी छोटी बहन लगती हूं रिश्ते में, तू मेरे बारे में ऐसा सोचता है.
अंकित बोला- तू जा अभी बता दे सबसे कि मैं तुमसे चोदने को मांगता हूं, जा अभी बता वन्द्या!
मैं बोली- बताऊंगी ही!
और वहां से चली गई.
उस समय उसके पापा मम्मी नहीं मिले, एक घंटे के बाद लगभग जब अंकित के पापा मम्मी मुझे दिखे, मैंने सोचा कि बता दूं अंकित की बदतमीजी!
लेकिन उनके सामने जैसे ही गई, मेरी हिम्मत टूट गई, सोचने लगी कि क्या बताऊं कि मुझे अंकित चोदने को बोलता है?
मैं टाल गयी.
उसकी मम्मी मुझे बोली- सोनू तू तो बड़ी दिखने लगी है पढ़ाई ठीक चल रही है तेरी?
मैं बोली- जी मौसी जी!
और चली गई.
वो फिर रात के भोजन के समय एक मिनट के लिए सामने आया. वहीं पास में कुछ लोग और खड़े थे, फिर भी अंकित पास आकर बोला- वन्द्या मान जा और चुदाई करवा ले! मुझसे अच्छा लन्ड और कहीं नहीं पायेगी.
फिर मुझे गुस्सा आया पर कुछ नहीं बोली.
वो बोला- तू किसी से कुछ नहीं बतायेगी क्योंकि तू अंदर से चुदासी है, मैं तुझे चोदूंगा जरूर वन्द्या … चाहे कुछ भी हो जाये!
इतना बोल कर चला गया।
मैं एकदम उसी की बात सोच रही थी बिस्तर पर लेट कर कि क्या क्या बोल रहा था और उसकी बात सोचकर सच में जाने कैसे गर्म हो गई और मेरा मन करने लगा कि काश अभी आकर अंकित मुझे मसल दे; मुझे अपनी बांहों में भर कर रगड़ डाले!
ऐसा सोचते सोचते मेरी पैंटी गीली हो गई.
सुबह सुबह करीब 5:00 बजे मैं मूतने के लिए टॉयलेट गई, जैसे ही मैं अंदर घुसी और टायलेट का दरवाजा बंद करने लगी कि थोड़ा धक्का सा लगा और बाथरूम के अन्दर अंकित घुस गया और बोला- मुझे बहुत जोर से लगी है, पहले मैं करूंगा!
और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और खिटकिल्ली लगा कर बंद कर दिया।
मैं बोली- मुझे बाहर जाने दो, तुम्हीं कर लो पहले! गेट खोलो!
और मैं गेट खोलने को बढ़ी तो अंकित ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला- मरवायेगी क्या? बाहर दो तीन लोग खड़े हैं लाइन में और आवाज भी जोर से मत कर! वरना लोग तो यही सोचेंगे कि तू मुझसे बाथरूम में चुदवा रही थी, कुछ अभी करवायी भी नहीं और सूखा इल्ज़ाम लगवा देगी.
अंकित का इतना कहना हुआ कि किसी ने बाहर से दरवाजा खटखटाया और बोला- कौन है जरा जल्दी करो?
अंदर से अंकित ने बोला- मैं अंकित हूं! अभी अभी अंदर आया हूं मुझे समय लगता है, या तो इंतजार करिए नहीं तो डब्बा लेकर मैदान चले जाओ!
इतना कहकर अंकित धीमे से बोला- मेरे पीछे ही एक दो लोग आ रहे थे. अगर बाहर गयी तो आज तू खुद भी फंसेगी और मुझे भी फंसायेगी. इसलिए तू मेरी बात मान और कुछ करके ही बदनाम होते हैं।
बहुत ही जोर से सू-सू लगी थी मुझे और बहुत तेजी से प्रेशर बना था. मुझे अंकित बोला- शरमा मत, तू अपना काम कर ले, मैं पीछे घूम जाता हूं.
मुझे शर्म आ रही थी तो अंकित बोला- मजबूरी में सब करना पड़ता है, ये एक ऐसी चीज है कि वन्द्या इसे तुम रोक नहीं सकती.
सच बोला ये बात अंकित ने!
और वहीं टायलेट में वो पीछे घूम गया, मैंने हिम्मत की और तब तक अपना लोवर नीचे खिसका कर उतार दी. अब पैंटी बस बची थी उसे भी खिसका कर नीचे घुटनों तक कर दी, अंकित एकदम मेरी तरफ घूमा, मुझे उसी हालत में देखा और बिल्कुल पकड़ के लिपट गया मुझसे और बोला- बहुत मस्त हो वन्द्या!
मैंने जोर से उसे एक थप्पड़ मार दिया, थप्पड़ पड़ते ही वह वहीं टॉयलेट में में पूरी ताकत से मुझसे लिपट गया और मेरे होठों को चूम लिया, फिर मेरी तरफ घूम गया और मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया.
मैं पता नहीं क्यों … पर चिल्लाई नहीं, ना आवाज की.
उसका फायदा वह उठाने लगा और सीधे मेरी चूत में अपना हाथ रख कर मेरी चूत में अपनी उंगली जल्दी-जल्दी डालने लगा, निकालने लगा और ऐसे जकड़ लिया था कि मैं कुछ कर नहीं सकती थी, और जोर दो-तीन मिनट ऐसे रगड़ा मेरी चूत को कि जो मुझे गुस्सा आ रहा था जिसके कारण मैंने उसके कंधे पर अपने दांतों से काट भी दी थी, वह गुस्सा अब मेरा न जाने कहां गायब होने लगा, मुझे इस खेल में मजा सा आने लगा.
इतने में फिर से किसी ने दरवाजा खटखटाया तो अंकित अंदर से बोला- मैं लेट्रिन कर रहा हूं 15 मिनट बाद आना!
मैं बिल्कुल डर गई कि अब क्या होगा? अंदर हम दोनों को कोई देख लेगा तो मैं तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं बचूंगी.
मैं बिल्कुल घबराकर चुप हो गई.
तभी बाहर से आवाज आई, वो भी किसी पुरुष की- जल्दी फ्री हो जाओ, मुझे भी जोर से लगी है!
इतने में अंकित धीरे से मुझसे बोला- अब अगर तुमने कोई हरकत की तो मैं सबको बोल दूंगा कि तुमने मुझे यहां बुलाया है और मेरा तुम्हारा पहले से ही सब होता है।
मैं कुछ नहीं बोली और एकदम शांत हो गई जिससे अंकित मेरी पैंटी को नीचे खिसका कर सीधे मेरे पैर से उतारने लगा मैं उसे मना करने लगी पर नहीं माना और पैंटी उतार करके वहीं रख दी. अब मेरी टांग खोल कर मुझे बोला- झुक जाओ!
मैं नहीं झुकी तो पकड़ के झुका दिया और सीधे मेरी दोनों टांगों के बीच बैठकर मेरी चूत को चाटने लगा और जोर से जीभ चलाने लगा.
इतने में अब मुझे कुछ कुछ होने लगा.
तभी वह बोला- अब शोर नहीं मचाना वन्द्या, तुम क्या मस्त माल हो! जब से आई हो, मेरे ही नहीं यहां सभी मर्दों के होश उड़े हुए हैं, तुम तो मुझसे छोटी हो पर मुझसे बहुत बड़ी लगने लगी हो, यह जादू तभी होता है लड़कियों में जब वो जमकर चुदाई करवाती हैं. कितनी भी छोटी उम्र की लड़की हो, उसकी शादी कर दो, फिर देखो वह पांच छः महीने में पूरी औरत बन जाती है. सिर्फ इस कारण कि वो हर दिन में हर रात में दो तीन राउंड चुदाई करवाती है। वैसे ही वन्द्या तुम भी इतनी उम्र में बिल्कुल मस्त माल बन गई हो, हर औरत तेरे सामने फेल है. सच बता कितने लोगों से अब तक में चुदवा चुकी हो? कितने लन्ड ले चुकी हो वन्द्या? बताओ वन्द्या?
यह कहते हुए अंकित जोर-जोर से मेरी चूत को चाटने लगा.
अब मेरी हालत खराब होने लगी, मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं?
मुझसे अंकित ने एक अजीब सा सवाल किया जो सुनकर मैं सन्न रह गई, वो बोला- वन्द्या, मैं बहुत अच्छे से जान गया हूं कि तुम बहुत चुदाई करवा चुकी हो. पर एक सवाल का जवाब इमानदारी से देना, क्या तुम कभी पैसे लेकर चुदी हो? या किसी मर्द ने तुम्हें पैसे दिया है चोदने के बाद? अगर सच बोलेगी तो मैं तुझे बहुत पैसे दिला दूंगा अपने ही गांव में!
फिर बोला- चल अच्छा एक बात बता खुल कर संकोच मत करना; अगर मैं तुझे पैसे दिलवाऊं तो तू चुदवायेगी? मेरे दो अंकल हैं, एक नेता हैं, दूसरे रिटायर इंजीनियर; दोनों बहुत पैसे वाले हैं, उन्हें नया नया माल चाहिए. दोनों एक साथ करते हैं, और लड़की पसंद आयी तो बहुत पैसे देते हैं। बता वन्द्या, सच बोल दे … तेरा ही फायदा है, यहाँ से बीस किलोमीटर दूर मानिकपुर शहर है, वहां ले चलकर शापिंग वो लोग करवा देंगे, तेरी ऐश हो जायेगी। सच सच बता दे वन्द्या, बात कर लूं?
मैं बोली- तू बहुत कमीना है! मैं इस तरह की लड़की नहीं हूं, समझे और न मैं करती हूं न करूंगी!
मुझे जोर से सू-सू आ रही थी, मैं बोली- छोड़ मुझे … बहुत सू सू आ रही है.
पर इतना गन्दा था अंकित, बोला- कर दे … मुझे तेरी सेक्सी टेस्टी सू-सू पीनी है.
अंकित नहीं हटा और मेरी सू-सू छूट गई, अंकित बिल्कुल मुंह नहीं हटाया मेरी चूत से और पूरी मेरी सू-सू गटक गया. वो इतना गन्दा होगा, मैं सोच नहीं सकती थी. अजीब ही लड़का है, पर उसकी यह हरकत मुझे उत्तेजित कर गयी और जाने मुझे क्या अजीब सी फीलिंग हुई.
इतने में अंकित बोला- वन्द्या, तेरी पेशाब बहुत टेस्टी है, पीके मजा आ गया! वन्द्या अब तू सीधे घूम जा!
और कमर पकड़ के मेरी मुझे सीधे घुमा दिया.
मैंने सोची जाने क्या करेगा यह! मुझे नहीं पता था.
इसके बाद जैसे ही मैं सामने हुई तो मेरी पूरी चूत खुल गई, मेरी खुली चूत अंकित के आंखों के सामने थी, वह खा जाने वाली नजरों से उसे देख रहा था.
उसके बाद अपनी हथेली से मेरी चूत को रगड़ने लगा और बोला- वन्द्या, तू बहुत गजब की माल है, क्या मस्त तेरी चूत है बिल्कुल लाल सुर्ख पड़ी हुई है, बहुत मजा आएगा! मैं तुझे जो बोला हूं, सोच ले. तुझे यहां दस से पंद्रह दिन रहना है मैं तुझे मालामाल करवा दूंगा। तू किसी ना किसी से तो चुदवाएगी ही और पहले भी चुदाई करवाती ही रही होगी, पर मेरी एक बात मान ले तू कभी भी किसी से फ्री में मत चुदवाना, सब करना पर उसके लिए कुछ पैसे बोल दिया कर, तुझे मजा भी मिलेगा और कुछ पैसे भी आ जाएंगे. आज कल सभी लड़कियां यही करती हैं, इसमें कोई बुराई नहीं … जो चीज करना ही है उसमें कुछ पैसे मिल जाएं तो क्या बुरी बात है।
मुझे अंकित की यह बात सच में पसंद आई और अच्छी लगी पर मैं उसे अभी कुछ नहीं बोली.
इतने में अंकित मुझे बोला- वन्द्या, तू अपनी टॉप थोड़ा ऊपर कर ले! तेरे दूध भी देख लूं!
उस टॉयलेट में जहां हम दोनों घुसे थे, उसमें बिल्कुल जगह नहीं थी. छोटे से गांव का टॉयलेट था, तो मैं सिर्फ खड़ी रह सकती थी, उसमें लेटने की जगह नहीं थी, इतने में अंकित ने खुद मेरे टॉप को अपने हाथों से चढ़ा के गर्दन तक किया और नीचे जो समीज पहनी थी, उसे भी ऊपर किया, अब अंकित को जैसे ही मेरे बूब्स दिखे तो बिल्कुल पागल सा हो गया और अंकित ने अपने एक हाथ से मेरे नंगे दूध पर अपना हाथ लगाया और जोर से दबा दिया. और फिर दोनों बूब्स को बारी-बारी से जमकर दबाने लगा.
फिर अचानक उसने इतने जोर से दूध को कस कर दबाया कि मेरी चीख निकल गई.
वो मेरी चुची मसलते हुए बोला- वन्द्या, तू कब से चुदवाना शुरू करवा चुकी है, इतने मस्त तेरे फीचर्स हैं इतना जबरदस्त फिगर है वो भी इतनी छोटी उम्र में! वन्द्या तू लाजवाब है, इतनी छोटी उम्र में किसी भी लड़की का इतना मस्त फिगर नहीं होता है, तुम वन्द्या बहुत ज्यादा चुदाई करवा चुकी हो, सच बता मुझे भी!
परन्तु मैं आज सच में कुछ नहीं बोल रही थी.
तभी उसने मेरे एक दूध को पकड़ के मुंह में भर लिया, और जैसे ही चूसना शुरू किया, जाने मुझे क्या होने लगा, मैं बहुत जोर से सांस लेने लगी.
इतने में उसने अपना लोअर और अपनी अंडर वियर को खींचकर एक हाथ से नीचे कर दिया और मेरी जांघों पर अपने लन्ड को मेरी चूत के पास रगड़ने लगा, चूत के अगल बगल और ऊपर नीचे लन्ड टच करता रहा और मैं मदहोश होती चली गई.
अंकित की इस अजीब सी हरकत से मेरी हालत लगातार खराब होती जा रही थी.
तभी उसने अपने लन्ड को पकड़ कर वहीं खड़े खड़े मेरी चूत में फिट करने लगा, पर अंकित से नहीं बन रहा था, बस चूत के उपर ही उसका लन्ड मेरी जांघों में रगड़ने लगा.
अब वो मेरे बूब्स को पीने लगा, साथ ही अपनी उंगली एक ले जाकर मेरी चूत में जोर से घुसा दी और उंगली को जैसे अंदर घुसाई, अपने आप मैंने उसे कस के पकड़ लिया और बोली- मार डालेगा अंकित क्या? अब मुझसे नहीं रहा जा रहा, तुझे अभी जो करना है कर ले … क्योंकि मैं अब अपने बस में नहीं हूं.
मेरे मुंह से कुछ भी अपने आप निकल रहा था- अंकित, तू बहुत मस्त लड़का है, चल जो तेरा मन है अभी कर ले!
तब अंकित बोला- वन्द्या तू बहुत मस्त है, बहुत सेक्सी है और तू सच में बहुत गर्म चुदासी लड़की है, लाखों करोड़ों में कोई एक तेरे जैसी होती है, तू इसका फायदा उठा, मैं तुझे उन दोनों अंकल से मिलाना चाहता हूं, तुझे उन दोनों से चुदवाना चाहता हूं, बस तू मान जा वन्द्या … तू बहुत फायदे में रहेगी और बहुत मजा आयेगा.
ऐसा कह कर अंकित ने पूरी जीभ मेरी चूत में घुसा दी और इतना ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत को चाटने लगा कि मैं अंकित का सर पकड़ के अपनी चूत में दबाने लगी और अब मैं जाने किस नशे में हो गई थी, मैं बोली- अगर हिम्मत है अंकित तो अभी बुलवा दे अपने दोनों अंकल को … अभी जो करना है कर ले! मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी है, जल्दी बुला अपने अंकलों को!
मैं ऊंहहह आहहहह करने लगी.
अंकित बोला- तू साली बहुत मस्त चीज़ है वन्द्या … अब रूक जा, तुझे अभी तो नहीं पर दो दिन के अंदर इतने अमीर बड़े लोगों के साथ सुलवाऊंगा कि तेरी लाइफ बन जाएगी.
और अंकित बोला- वन्द्या ले मेरा लौड़ा जमकर चूस!
और अंकित खड़ा हो गया, अपने लन्ड को अपने हाथ से पकड़ा और मेरे सर को झुका कर मेरे मुंह में लन्ड अपना रख दिया.
जैसे ही मेरे होंठों में लन्ड छुआ, उसकी एक अजीब सी महक मेरे नाक में समा गई, इतना गर्म था अंकित का लन्ड कि लगा जैसे मेरे होंठ जल जायेंगे.
तभी अंकित ने मेरी चूत में एक साथ दो उंगलियां डाल दी.
मैं तड़प उठी और सीधे अंकित का लन्ड कस कर पकड़ लिया और मुंह में डालने लगी. पर उसका लौड़ा आठ इंच से भी बड़ा और बहुत मोटा था इसलिए मेरे मुंह में घुस नहीं रहा था, नार्मल लड़कों से बहुत बड़ा था, मैं अपने जीभ से अंकित का लन्ड चाटने लगी और चूसने लगी.
उधर नीचे मेरे चूत में अंकित अपनी दो उंगलियां घुसाये हुआ था और उन्हें चूत में अंदर बाहर करने लगा.
अब मैं बिल्कुल मदहोश हो गई थी, मैं अपनी कमर उठा उठा कर उंगलियां और अंदर बाहर करवाने लगी.
अब पूरा का पूरा मुंह खोला तो अंकित ने अपना लन्ड मेरे मुंह में घुसा दिया और बोला- वन्द्या, तू साली कुतिया … तुझे जो चोदेगा वो दुनिया का सबसे लकी इंसान होगा। क्या मस्त लन्ड चूसती है रे ! इतनी कम उम्र में तूने एक नंबर की रंडियों को भी फेल कर दिया. गजब है तू … और चूस ले मेरा लौड़ा … आहहहह वोहहहह मेरी डार्लिंग ऊंहहह उंहहह!
सिसकारियों की आवाज लगातार अंकित के मुंह से निकल रही थी कि तभी अचानक जोर से टायलेट का दरवाजा किसी ने खटखटाया और बोला- अंकित, निकल जल्दी … तू वहीं सो गया क्या?
जो आवाज आई, उसे सुनते ही अंकित ने जल्दी से अपना लन्ड मेरे मुंह से बाहर निकाला, मुझे छोड़ा, अपने कपड़े पहन कर बोला- लगता है पिटूंगा आज! ये मेरे पापा हैं।
इतना सुनते ही मैं बहुत डर गई और घबराने लगी, मैंने भी जल्दी से अपने कपड़े पहने और खड़ी हुई, अंकित से बोली- प्लीज़ मुझे बचा लो! ऐसे हम दोनों को टायलेट में अंदर देख लेंगे तो मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं बचूंगी।
अंकित बोला- तू डर मत, कुछ नहीं होगा बस अंदर रहना, जब मैं बोलूं तभी बाहर आना! पहले मैं बाहर जाता हूं!
मैं बहुत डर रही थी.
मेरी सच्चाई आप अन्तर्वासना के पाठकों को कैसी लग रही है, मुझे मेरी मेल आईडी में जरूर बतायें।
[email protected]