यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
मेरी मजेदार सेक्स कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि दिलिया के साथ झूले पर हुई घमासान चुदाई के बाद मेरे लंड की नसें दब गईं. मेरा लंड हर वक्त तना हुआ रहने लगा. लंड पर नील पड़ गए और सूज भी गया था. डॉक्टर जूली ने चेक-अप के बाद प्राथमिक जांच में बताया था कि चुदाई करते वक्त लंड की नसें नीचे दबी रह गई होंगी शायद इसीलिए लंड सामान्य स्थिति में नहीं आ रहा है.
उसके बाद मैंने अपनी दो बीवियों गुलाबो और सारा के साथ दिल्ली जाकर चेक-अप करवाने का प्लान बनाया. डॉक्टर जूली की दिल्ली में जान-पहचान थी और उसने मेरे सारे टेस्ट जल्दी ही करवा दिये.
हम जब अपने दिल्ली वाले घर में थे तो एक दिन जब मैं नहाने के लिए तौलिया लपेट कर बाथरूम में घुसने ही वाला था कि उसी वक्त जूली घर आ पहुंची. उसकी सैंडिल मुड़ गई और उसके चूचे मेरे सामने नंगे हो गए जिसके बाद मैंने डॉक्टर जूली को सारा के बेडरूम में ले जाकर चोद दिया.
अब आगे:
थोड़ी देर बाद गुलाबो और सारा कमरे में चाय ले कर आयीं और हमें उठाया. वो दोनों एक स्वर में बोलीं- बना लिया जूली के साथ सुहाग दिन आमिर मियाँ! जहाँ जाते हो हसीनाओं को अपने बीवी बना लेते हो. एक और नयी बेगम मुबारक हो.
उन्होंने जूली से लिपट कर उसे मुबारकबाद दी.
जूली शरमा कर अपने बदन को चादर से ढकने लगी तो सारा बोली- मुझसे क्यों शर्मा रही हो जूली आपा? मैंने और गुलाबो ने आपका पूरा सुहागदिन दरवाजे पर खड़े होकर चोरी-छिपे देखा है. तुम दोनों तो एक दूसरे में इतना खोये हुए थे कि कुछ होश ही नहीं था तुम्हें!
फिर वो जूली को पकड़ कर वॉशरूम में ले गयी और उसे नहलाया. नहलाने के बाद उन्होंने जूली को अच्छी तरह साफ़ किया. मैं भी अंदर चला गया और खुद को साफ़ किया. मेरा लंड अभी भी तना हुआ था. सारा ने भी कोई कपड़ा नहीं पहना हुआ था.
सारा ने जूली की झाटें साफ़ कर दीं. फिर हम तीनों ने एक साथ शावर लिया और मैंने शावर में ही जूली को किस करना शुरू कर दिया. ऊपर से शावर का पानी जैसे बदन में आग लगा रहा था. जूली के गीले बदन से चिपकने के बाद मेरी वासना भड़कने लगी थी, जूली भी मुझसे लिपट गयी.
मैंने पूछा- कैसा लगा मेरे साथ चुदाई करके मेरी जान?
वो बोली- शुरू में तो दर्द हुआ. लेकिन फिर बहुत मजा आया. आई लव यू आमिर … (मैं तुमसे प्यार करती हूँ आमिर)। तुमने मुझे वह सुख दिया जिससे मैं आज तक महरूम रही.
हम तीनों बाहर आ गए और एक दूसरे के भीगे हुए बदनों को चाट-चाट कर सुखाने लगे. तीनों पूरे गर्म हो गए थे.
जूली बोली- आमिर, मैंने तुम्हारे जैसा लंड नहीं देखा. डॉक्टरी पढ़ने में मैंने कई शरीर देखे. मगर इतना लम्बा और तगड़ा लंड नहीं देखा.
सारा बोली- आमिर, तुम जूली को फिर से चोदो. लगता है इसको तुम्हारे लंड से कुछ ज्यादा ही लगाव हो गया है. जब से इसने तुमको नंगा देखा है इसकी आंखें तुम पर ही लगी रहती हैं. इसकी प्यास अच्छे से बुझाओ मेरे शौहर!
सारा की बात सुन कर मैंने जूली को चूमना शुरू कर दिया. उसकी चूत पर हाथ रखा तो उसकी चूत सूजी हुई थी और गीली भी लग रही थी. मैंने धीरे-धीरे उसके चूचे दबाये और निप्पल से खेलने लगा. उसके बूब्स और निप्पल कड़े हो गए. सारा भी उसकी नाभि को चूम रही थी. जूली ने भी सारा के चूचों से खेलना शुरू कर दिया.
मैं घूम कर उसके पीछे गया और उसके कंधे पर अपनी ठोड़ी टिकाकर उसके गाल से अपने गाल सटाकर बोला- जूली, तुम बहुत सुन्दर लग रही हो मेरी जान! तुम्हारे अन्दर से आती हुई महक मुझे और भी ज्यादा मदहोश करके तुम्हारा दीवाना बना रही है।
जूली भी मेरे गालों को सहला रही थी। मैं पीछे से ही उसकी तनी हुई चूचियों को दबाने लगा.
उसने अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाते हुए उनकी माला बनाकर मेरी गर्दन के पिछले हिस्से पर डाल दी. मेरे हाथ जब उसकी चूचियों को सहलाते हुए उसकी बगल में गये तो वहां बिल्कुल भी बाल नहीं थे. मुझे उसकी बगलों को सहलाने में बड़ा मजा आ रहा था।
थोड़ा सा और आगे झुकने के बाद मेरी नजर जब उसकी चिकनी चूत पर पड़ी तो मुझे लगा कि वास्तविक खजाना तो अब दिखाई पड़ रहा है। क्या उभारदार गुलाबी रंग की चूत थी उसकी!
अब मैं आगे की तरफ आया और अपने घुटनों पर बैठ गया. मेरी उंगलियाँ उसकी चिकनी और सफाचट चूत को केवल सहला रही थीं। अब बाल का नामोनिशान नहीं था उसकी चूत पर. झाटें साफ होने के बाद क्या मुलायम चूत लग रही थी!
मैंने जूली से कुर्सी पर बैठने के लिये कहा. मैं उसकी चूत को अच्छे से देखना चाहता था. पहली बार की चुदाई के समय तो कुछ समझ में भी नहीं आया था।
मैंने उसकी चूत की फांकों को फैलाया. उसकी लाल-लाल गहराई में उसकी चॉकलेटी रंग की पत्तियां छुपी हुई थी। मैंने एक बार प्रशंसा भरी नज़र से जूली को देखा और फिर बिना उसके उत्तर का इंतजार किये ही मेरे होंठ उस मदहोश कर देने वाली चूत से टच हो गये।
शुरू में तो मैं उसकी कोमल चॉकलेटी चूत को बस चूमने के इरादे से ही छू रहा था. मगर उसकी चूत की मदहोशी ऐसी थी कि पता नहीं कब मेरी जीभ उसकी चूत पर चलने लगी. उसके दाने को होंठों के बीच फंसा कर लॉलीपॉप की तरह चूस रहा था मैं।
मुझे तो पता ही नहीं चला कि कब मेरे दांत उसकी चूत के उभारों को काटने लगे, वासना इतनी प्रबल हो रही थी कि मैं उसकी चूत को खा जाना चाहता था.
वो मेरे बालों को सहला रही थी. मगर जूली की उत्तेजना शायद मुझसे भी ज्यादा थी. इसी उत्तेजना का परिणाम था कि वो जल्दी ही खल्लास हो गई और उसका पानी मेरे मुंह में गिरने लगा। वो शायद संकोचवश मेरे मुंह को अपनी चूत से अलग करना चाह रही थी लेकिन वो असफल रही. कुछ पल की कोशिश के बाद उसने प्रयास करना बंद कर दिया।
उसकी चूत के रस को चाटते हुए, नाभि से होते हुए उसके दूध को पीते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए. उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया.
मैंने होंठ चूमने के बाद पूछा- जूली मैंने तुम्हारी मलाई चखी. मुझे बहुत पसंद आई. क्या तुम मेरी मलाई चखोगी?
वो खड़ी हुई और मुझे अपनी जगह बैठाकर खुद नीचे बैठ गई और मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया। मेरे लौड़े को मुंह में प्यार से भरने के बाद उसने अपने होंठों को भींचते हुए मेरे लंड की मैथुन शुरू की. जूली बहुत प्यार से मेरे लंड को चूस रही थी.
उसके मुंह में लंड जाते ही मेरे मुंह से काम की ज्वाला सिसकारियों के साथ आनंद के रूप में आवाज बनकर मेरे होंठों से फूटने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्स् … आह्ह … जूली … मेरी जान! उफ्फ ओह्ह …
कभी वो लंड को पूरा मुंह में भर लेती तो कभी सुपाड़े की खोल को खींचकर अग्रभाग पर अपनी जीभ चला देती.
वो मुझे दीवाना बना रही थी. कभी टट्टों को भी बारी-बारी से मुंह में भर लेती तो कभी फिर से पूरे लंड को मुंह गलप जाती. इधर मैं भी उसकी दोनों चूचियों से खेल रहा था।
जब उसने काफी देर मेरा लंड चूस लिया तो मैंने उसे अपनी गोदी में उठाया और बेड पर लेटा दिया और उसकी दोनों जांघों के बीच बैठकर उसकी चूत पर लंड सेट किया. उसकी चूत अभी भी धधक रही थी. मैंने एक जोर का झटका दिया.
“आह्ह … बस!” जूली के मुंह से निकला।
मैंने तुरन्त ही अपने आपको काबू में किया और रुक गया और फिर धीरे-धीरे करके लंड को उसकी चूत के अन्दर पेवस्त किया। मैं उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूची को अपने मुंह में भर लिया।
“आमिर, तुम बहुत अच्छे हो। मैं आज दुनिया के सब सुख पा गई!” जूली के मुंह से आनंद के सीत्कार बहने लगे.
मुझे लगा कि ये उसके इमोशन हैं. मैंने अपना काम चालू रखा। अब मैं धीरे-धीरे अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा और धक्के की स्पीड भी धीरे-धीरे बढ़ाने लगा।
एक जैसी पोजिशन में धक्के मारते-मारते मैं थकने लगा तो मैं चित लेट गया और जूली को अपने ऊपर कर लिया और फिर उसकी चूत में लंड डालकर नीचे से अपनी कमर उठा-उठाकर उसको चोदने लगा।
जूली भी अब समझ चुकी थी. वो भी मुझे चोदने की कोशिश कर रही थी. हालांकि उसके इस प्रयास से उसकी चूत से लंड बाहर आ जा रहा था।
लेकिन एक बार जब वो समझ गई तो एक एक्सपर्ट की तरह वो भी मुझसे खेलने लगी।
कई मिनट तक जूली मेरे लंड पर कूदती रही और मैं आनंद में गोते लगाता रहा. मगर मेरे लौड़े की चुदाई से जूली जल्दी ही स्खलित होने के कगार पर पहुंच गई. उसके मुंह से तेजी के साथ जोर की आवाजें निकलने लगीं. आह्ह .. आह्ह … उम्म … ओ … आमिर … आह्ह … मजा आ रहा है बहुत!
कुछ ही पल के बाद जूली की चूत से एक बार फिर उसकी मलाई मेरे लंड पर फैलकर उसको चिकना कर गई. जूली एक तरफ जाकर गिर गई. लंड अभी भी टॉवर की तरह तना हुआ था तो सारा मेरे ऊपर चढ़ कर लंड को अपने अन्दर ले कर ऊपर-नीचे उछलने लगी.
जब तक सारा भी झड़ नहीं गयी तब तक वह भी मेरे लौड़े पर बैठ कर उछलती रही. सारा को चोदते हुए मैं जूली की चूचियां भी साथ के साथ ही सहलाता रहा और उसे लिप-किस करता रहा.
मेरे इन प्रयासों से कुछ देर में जूली फिर गर्म हो गयी और सारा को एक तरफ हटा कर मेरे ऊपर आ गयी. उसका मुंह मेरे पैरों की तरफ था और उसकी पीठ मेरे मुंह की तरफ. मेरे लंड को उसने अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पर सेट करके उसने अपने शरीर का भार मेरे लंड पर छोड़ना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे मेरा लंड उसकी चूत के अंदर समा गया. वह फिर से उछल-उछल कर मुझे चोदने लगी. मैंने भी उसकी चूत में लंड को अंदर-बाहर करते हुए उसका पूरा साथ देना शुरू कर दिया.
कुछ देर इसी पोजीशन में चुदने के बाद वो मेरे कहने से उठी और उठ कर सीधी बैठ गई. अब उसका मुंह मेरी छाती की ओर आ गया था और उसकी गांड मेरे पैरों की ओर थी.
कई बार उसने ऐसे ही पोजीशन बदली. जब भी वह उठती तो उसकी तनी हुई चूचियां देख कर मेरे लंड में वासना की एक लहर सी उठ पड़ती. मन करता कि उसको पटक-पटक चोद दूं लेकिन मैं नीचे लेटा हुआ था और जूली को अपने मन की हसरत पूरी करने का पूरा मौका दे रहा था.
उसके इस तरह के प्रयास में ही मेरा लंड जवाब देने लगा था. दो-तीन बार पोजीशन बदलने के बाद मैंने जूली को नीचे उतारा और उससे बोला- अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी चूत के बाहर अपना पानी निकाल सकता हूँ और अगर तुम चाहो तो मेरी मलाई को अपने मुंह में ले सकती हो!
मेरी बात सुनने के बाद उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया.
वह मेरे लंड को मुंह में लेकर तेजी से चूसने लगी. चूंकि मैं अपने आनंद की परम सीमा पर पहुंच चुका था इसलिए उसके सिर को पकड़ कर अपने लंड पर जोर से दबाते हुए उसके मुंह को चोदने लगा. उसको खांसी हुई तो मैंने उसके सिर को आजाद कर दिया.
उसके बाद फिर से मैं उसके मुँह में धक्के लगाने लगा और आखिरकार मेरा वीर्य मेरे टट्टों से चलकर मेरे लंड से होता हुआ बाहर आने को हुआ तो मैंने जूली के मुंह को पीछे की तरफ करके अपने लंड को हाथ में ले लिया.
मेरी बीवी सारा मंझी हुई खिलाड़ी थी तो मेरी हालत समझ गई. उसने तुरंत ही जूली के मुंह के साथ ही अपना मुंह भी सटा कर मेरे लंड के सुपाड़े की तरफ वीर्य की आस में लगा लिया. हा..ह …आह्ह… होफ… ओ… हह्ह … की आवाजों के साथ मेरा बदन अकड़ने लगा और मेरे लंड ने वीर्य की पिचकारियां दोनों के मुंह पर बरसानी शुरू कर दीं. उन दोनों ने मेरे वीर्य की हर एक बूंद को चाट लिया.
जूली की चूत फूल कर लाल हो गई थी. वहीं सारा ने भी वीर्य की बहती नदी में चूत को धो लिया था. दोनों की दोनों खुश लग रही थीं. मैं भी उन दोनों को खुश करने के बाद थक सा गया था. यूँ तो तीनों ही थके हुए थे मगर मैं अब कुछ देर लेटना चाहता था. लंड की तरफ देखा तो वो पहले से ज्यादा मोटा लग रहा था.
जूली की टाइट चूत को चोदने के बाद उसकी मोटाई शायद और बढ़ गई थी. कुछ पहले से ही सूजन थी ऊपर से जूली की कसी हुई चूत और साथ में सारा की चुदाई करके लंड लाल गाजर के जैसा हो गया था. मगर एक कहावत है कि रस्सी जल गई मगर बल नहीं गया. मेरे लंड के साथ भी यही हो रहा था. दो बार झड़ चुका था मगर अकड़ यूं की यूं बनी हुई थी.
खैर, इस सामूहिक स्खलन के बाद हम तीनों के तीनों थोड़ी देर तक एक-दूसरे के साथ चिपक कर लेटे रहे।
पहली बार तो जूली के साथ सब कुछ जल्दी जल्दी में हुआ था मगर दूसरी बार में जूली भी अपने पूरे रंग में आ गई थी. इस दूसरी बार में जूली की चूत को चोद कर लंड को अबकी बार कुछ ज्यादा सुकून सा मिला. जूली भी पहले से ज्यादा संतुष्ट दिखाई दे रही थी.
मगर लंड महाराज ज्यों के त्यों तने हुए खड़े थे.
दोस्तो, खड़े लंड की अजीब दास्तां अभी जारी रहेगी.
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