नमस्कार मित्रों, क्या हाल हैं आप सबके? मैं उम्मीद करता हूँ, सब चूत और गांड की चुदाई करके मस्त होंगे.
मेरा नाम मैक है, ये मेरा बदला हुआ नाम है. मैं सूरत के नजदीक की जगह बारडोली का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र अभी इक्कीस साल है और मेरे लंड का साइज़ सवा छह इंच है, लंड की मोटाई तीन इंच है.
ये मेरी और मेरी बेस्ट फ्रेंड की चुदाई की कहानी है जो पिछले महीने की बात है.
शुरूआत में वैसे तो मेरे मन में उसके लिए कोई खराब विचार नहीं थे, पर ये सिलसिला उसके ब्वॉयफ्रेंड की वजह से शुरू हुआ. वो अक्सर ये कहती थी कि उसका बीएफ रोमांटिक नहीं है. थोड़े दिन ऐसी ही बातों का दौर चला. चूंकि वो मेरी अच्छी दोस्त थी, तो एक बार वो मुझसे मेरी सेक्स लाइफ के बारे में पूछने लगी.
पहले तो मैंने भी उसे वैसे ही समझते हुए बताया, जैसे दो दोस्त आपस में बात करते हैं. मैंने उसे मेरा पहला सेक्स अनुभव बता दिया. मैंने इस सबको बड़ी ही साधारण तरीके से बताया था, पर वो मेरी बात को बड़ी तफसील से जानना चाहती थी. वो मेरी इस पहली चुदाई की एक एक बात के बारे में बड़ी गहराई से पूछ रही थी. जैसे मैंने लड़की के ब्रेस्ट कैसे चूसे थे … फिर चूत कैसे लिक की … वग़ैरह वग़ैरह!
उसके ऐसे बर्ताव की वजह से मुझे शक हुआ कि कहीं ये सेक्स की बातों के बहाने मुझसे सेक्स तो नहीं करवाना चाहती.
मैं आपको अपनी इस फ्रेंड के बार बता देता हूँ. उसका नाम स्नेहा है. (ये उसका बदला हुआ नाम है) उसका फिगर 34-26-36 का है. स्नेहा हर रोज जिम जाती है, तो फिगर काफी अच्छा संवारा हुआ है. वो कहीं से भी ढीली पोली नहीं लगती. उसके बदन का हर हिस्सा एकदम चुस्त और मस्त लगता था.
उसकी सेक्स की बात को लेकर मैंने उससे ज्यादा तो कुछ नहीं कहा बस उसकी जानकारी को जितना खुल कर बता सकता था, उतना मैंने उसको बता दिया.
खैर … बात आई गई हो गई. लेकिन मैं अब उसकी कामना को समझने की कोशिश करने लगा था.
दो दिन बाद हम दोनों साथ में बाइक से कॉलेज जा रहे थे, तो मैंने चैक करने के लिए जानबूझकर जोर से ब्रेक मारा. जिससे उसकी मनोदशा मालूम की जा सके कि वो मुझमें किधर तक इंटरेस्टेड है.
झटका लगा तो वो उछल कर आगे को आ गई और मेरे बम्प से सट कर बैठ गयी. उसने झटके के बाद अपनी पोजीशन को भी नहीं बदला. उस टाइम उसके कड़क मम्मे मेरी पीठ से टच कर रहे थे. मैंने पीठ पीछे करके उसके मम्मों की सख्ती का मजा लिया. लेकिन इस पर भी वो पीछे को नहीं हुई. जब वो पीछे नहीं खिसकी तो इससे मेरा शक यकीन में बदल गया. मैं पीठ उसकी चूचियों से ही सटाए. मैंने महसूस किया कि उसके निप्पल एकदम कड़क हो गए थे और मम्मे भी तन गए थे.
मैं अपनी पीठ से उसके मम्मों को रगड़ रहा था, फिर भी वो मजे से उसी स्थिति में बैठी रही.
बस उस दिन इतना ही हो पाया. अब मैं ये तो समझ गया था कि वो चुदने को बेताब है, पर मैं उसे तड़पाना चाहता था, इसलिए दूसरे दिन मैं उसकी स्कूटी से गया. फिर जब एक स्पीड ब्रेकर आया तो उसने भी ब्रेक लगे और स्कूटी उछलने से हम दोनों भी उछले. इस झटके से मैं जानबूझ कर आगे को खिसक कर उससे चिपक गया. मैं इस तरह से बैठ गया ताकि मेरा कड़क लंड उसकी गांड को टच होने लगे.
जब मेरा लंड उसकी गांड को टच हुआ तो आह … मजा ही आ गया. क्या बताउं आपको कि मुझे इस वक्त कितना मजा आ रहा था. उसकी एकदम मुलायम रुई जैसी गांड और ऊपर से गांड की गर्माहट मिली, तो मेरा लंड तो एक ही झटके में पूरा तन गया. मेरा लंड गांड का स्पर्श पाकर झटके मारने लगा था.
जब मेरा कड़क लंड उसकी गांड की दरार को छूने लगा, तो शायद उसको भी पता लगा गया. पर आश्चर्य कि वो वैसे ही गांड से लंड दबाए बैठी रही. मेरा लंड गांड में गड़ने से भी उसने कोई विरोध भी नहीं किया था, जिससे मुझे लंड को झटके देने का मजा मिलना शुरू हो गया था.
वो भी मस्ती से लंड का अहसास करते हुए आराम से अपनी स्कूटी चला रही थी. स्कूटी के झटकों से वो मेरे लंड पर अपनी मस्त गर्म गर्म और नर्म नर्म गांड भी घिस रही थी. इस सबसे मेरा लंड इतना कड़क हो गया था कि जैसे लोहे का लंड हो गया हो. उस पर ऊपर से उसकी गांड का घिसाव भी मेरा लंड चरम की अवस्था में आ गया था और लावा उगलने को तैयार हो गया था. वो तो अच्छा हुआ कि कॉलेज आ गया और मेरा पैन्ट गीला होने से बच गया.
जब वो स्कूटी रख कर आयी, तो उसने मेरी पेन्ट में बना तंबू देखा. वो मुस्कराने लगी … ये सब उसने जानबूझ कर जो किया था.
उसने उसी दिन अपने बीएफ से ब्रेकअप कर लिया. वैसे भी वो स्नेहा के साथ ओरल शुरू करते ही झड़ जाता था, ऐसा स्नेहा ने मुझे बताया था.
ब्रेकअप के बाद स्नेहा मेरे और करीब आ गयी थी. मेरे साथ में चिपक कर बैठना, फिर स्कूटी वाला खेल खेलना, ये सब आम बात हो गई थी.
मैं जब रिसपोन्स नहीं देता था, तो भी वो अपने मम्मे मेरी पीठ से टच कराने लगती थी, मेरे लंड से अपनी गांड घिसना, ये सब करने का मजा लेती रहती थी. मैं सब समझ रहा था, लेकिन उसके बोलने का इन्तजार कर रहा था. वो भी खुल कर नहीं बोल रही थी कि मुझे तुमसे चुदवाना है.
फिर एक दिन कि बात है, जब मैंने आगे बढ़ने की सोची और एक योजना बनाई. योजना के मुताबिक मैं उसको लांग ड्राइव पर ले गया. फिर एक गुप्त सी लगने वाली सुनसान जगह पर ले जाकर गाड़ी को रोक दिया. इधर अक्सर मैं अपनी जीएफ के साथ चुदाई करता रहता था. उस जगह की खास बात ये थी कि शाम को 7 बजे के बाद वहां कोई नहीं आता जाता है. ये जगह मेरे दोस्त के खेत पर बना एक फार्म हाउस का कमरा था, इसलिए कोई आ भी जाए, तब भी किसी तरह का बवाल होने जैसी सम्भावना नहीं थी.
वहां पहुंच कर जब स्नेहा ने सुनसान एरिया देखा तो वो बोली- बाप रे इतना सुनसान इलाका … यहां क्या काम है … मुझे इधर क्यों ले कर आए?
मैं- इरादा तो नेक ही है, बस तुमसे अकेले में बात करनी थी तो ले आया.
स्नेहा- अकेले में? तो फिर फोन से भी तो हो सकती थी ना?
मैं- जो मजा मिलके बात करने में आता है … वो मजा फोन में कहां?
स्नेहा- बातें बनाना तो कोई तुमसे सीखे … चलो अब आ ही गए हैं तो बताइए जनाब अकेले में क्या गुफ्तगूं करनी है आपको?
मैं उससे पीछे से जाकर चिपक गया. जैसे कि मैंने पहले बताया था कि ऐसे चिपकना हमारे बीच आम बात थी. तो उसको कुछ अजीब नहीं लगा. पर मैंने इस तरह उसके कंधे पर अपना सिर रखा कि मेरी गर्म सांसें उसकी कान की लौ और गरदन को छूने लगीं.
यह बात तो आप जानते ही होंगे कि नारी का ये हिस्सा कितना सम्वेदनशील होता है. मैंने जैसे ही ये किया और मेरी गर्म सांसों ने उसकी गरदन को छुआ, वो एकदम से सिहर उठी.
चूंकि हम खड़े थे, उसके ठीक सामने लगभग चार पांच कदम की दूरी पर गन्ने का खेत था, जो पानी से भरा हुआ था. तो उस तरफ से बह कर आने वाली हवा एकदम ठंडी थी, जो हम दोनों को छू कर जा रही थी. इस स्थिति की आप कल्पना कर सकते हो, जब मेरी गर्म सांसें उसकी गरदन को छू रही होंगी और सामने से ठंडी हवा उसको सिहरा रही होगी, तो सेक्स उसपर किस कदर हावी हुआ होगा.
वो इस माहौल से एकदम से कांप उठी और एक बार फिर से उसकी थिरकती हुई गांड मेरे लंड को छूने लगी. मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया और उसकी गांड को छूने लगा, जिससे उसकी चुदास और बढ़ गयी. इसी के साथ उसकी गांड मेरे लंड पर रगड़ने की वजह से मेरा लंड भी खड़ा हो गया था.
चूंकि मेरा लंड उसकी गांड में चुभ रहा था, जिससे उसकी हालत खराब हो रही थी और मुझे भी अब रहा नहीं जा रहा था. तभी मैंने उसकी गरदन पर कई किस कर दिए, जिससे वो चिहुंक उठी और मुझसे और भी सट कर चिपक गयी.
मैंने धीरे से उसके कान में कहा- मुझे इस तरह की बात करनी है. क्या आपकी इजाजत है मेरी प्यारी स्नेहा रानी?
वो शरमा गयी, फिर मीठी स्माइल करके उसने हां में सिर हिला दिया. वो एकदम से घूम कर मुझसे कसके गले लग गयी.
आह … उस वक्त वो अहसास को मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता.
उसक़ी गर्म सांसें मेरी गर्दन को लग रही थीं, उसके सख्त मम्मे मेरे सीने से टच हो रहे थे. फिर मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में ले लिया और उसके माथे पर, गालों पे किस करता चला गया. आखिर में मैंने उसके कोमल रसीले होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और उसके होंठों से बह रहे अमृत को पीने लगा.
सच में आज जब मैं ये कहानी लिख रहा हूँ, वो एहसास मुझे अभी भी हो रहा है. क्या मस्त स्वाद था उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे नर्म और रसभरे होंठों का …
फिर ये किस से शुरू हुआ कब लम्बे स्मूच में बदल गया, पता ही नहीं चला. मैं उसकी जुबान चूस रहा था और वो मेरी जीभ चूसे जा रही थी.
जबरदस्त किसिंग का यह दौर लगभग 15-20 मिनटों तक चला होगा. उस दरमियान में उसके मम्मे भी दबा रहा था. उसके मम्मे इतने कड़क हो गए थे … मानो अभी ब्रा फाड़ कर बाहर आ जाएंगे.
फिर मैंने उसको उठा लिया और अपनी कार के बोनट पर बिठा दिया. किसिंग फिर से शुरू हुई और इस बार मैं उसे एक स्मूच करते करते नीचे को आने लगा. मैंने उसके गले को किस किया, जिससे वो अपनी आंखों को बंद करके मेरे गर्म होंठों को अपनी गर्दन को चूमता हुआ महसूस कर रही थी. इसके साथ ही स्नेहा और भी ज्यादा गर्म हो रही थी.
फिर मैंने उसे उठा कर कार की पिछली सीट पर सीधा लिटा दिया.
इसके बाद मैंने ‘दे दनादन’ फ़िल्म का वो गाना ‘गले लग जा …’ को स्लो वोल्यूम पे लगा दिया और फिर से उसके होंठों को चूसने लगा. उसको अपनी ओर घुमा कर अपनी गोद में बिठा लिया. उससे ये हुआ कि उसकी चुत मेरे लंड पर घिस रही थी. चूंकि मेरा लंड एकदम कड़क था, तो उसकी चुत की गर्मी महसूस कर रहा था. वैसे ही मेरे लंड की गर्मी वो भी महसूस कर रही थी.
फिर मैंने उसकी टी-शर्ट धीरे से निकाली. उसने भी बिना वक्त गंवाए तुरंत हाथ ऊपर करके मेरी मदद की.
उसने टी-शर्ट के नीचे जालीदार ब्रा पहन रखी थी जिसमें उसके मम्मे बहुत ही सुंदर लग रहे थे. चूंकि उसके जिस्म की खुशबू से मैं पहले ही पागल हो चुका था. ऊपर से मेरे सामने उसके दो तने हुए मम्मे मुझे ललचा रहे थे, जिनके ऊपर जालीदार ब्रा उसके आमों की खूबसूरती में चार चांद लगा रही थी.
बस मुझसे रहा नहीं गया और मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को पीने लगा. स्नेहा भी अत्यंत चुदासी थी, वो मेरे सिर को अपने मम्मों पर दबाने लगी. मैंने मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही चूसते हुए उसकी ब्रा निकाल दी. उसके दो तने हुए मम्मे हवा में फुदकते हुए आजाद हो गए. उसके मम्मे एकदम गोल थे, उनके ऊपर गुलाबी निप्पल जैसे मुझे चूसने के लिए बुला रहे थे कि आओ हमारा रस पी लो.
मैं तो पागलों की तरह बारी बारी से उसके दोनों मम्मों को चुसकने लगा. मैं उसके एक आम को चूसता, तो दूसरे को दबा कर मजा ले रहा था. स्नेहा खुद पागल हो गई थी. वो चुदास में कामुक सीत्कार निकाल रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… ये क्या कर दिया … हां बस ऐसे ही यस यस बेबी चूस लो इन्हें … आह … न जाने ये इस पल के लिए कब से तड़प रहे थे’
वो अपनी चुदास में न जाने क्या क्या बड़बड़ाती रही और मैं भी उसके मम्मों को चूसता और मसलता रहा.
मैंने दस पन्द्रह मिनट तक उसके आम खूब दबा दबा कर चूसे. फिर किस करते करते उसकी नाभि तक जा पहुंचा. चूंकि उसने एकदम टाइट जीन्स पहन रखी थी, तो मैंने उसे खींच कर उतार दिया. अब वो सिर्फ एक ब्लैक कलर की पेन्टी में रह गई थी. वो इस वक्त ऐसी लग रही थी मानो जन्नत की कोई हूर खड़ी हो.
उसके लम्बे खुले हुए काले बाल … लाली से सजे हुए होंठ … गुलाबी गाल … तीखे नयननक्श … एकदम उठे हुए एकदम गोल मम्मे … पतली कमर. पेट पे गहरी नाभि … भरी हुई चिकनी जांघों से दमकता हुआ उसका शरीर मेरी कामवासना को अधिकता की हद से भी ज्यादा भड़का रहा था. इस लाजबाव यौवन से लदी स्नेहा के तन पर सुंदर झांझर और नेल पॉलिश से सजे हुए पैर उसकी कामुकता को किसी प्लेब्वॉय की मॉडल सा झलका रहे थे. शायद रब ने भी उसे बहुत मेहनत और समय देकर बनाया होगा.
उसका हर अंग एकदम बराबर था. फिर मैंने उसे यूं ही सिर्फ पेंटी पहने हुए अपनी गोद में उठाया और फार्म हाउस के कमरे के अन्दर ले गया. कमरे के अन्दर ले आकर उसकी उफान मारती जवानी को चूसने का समय आ गया था.
उसने बिस्तर पर आने से पहले खुद ही अपनी पेंटी को उतार दिया. मैं उसकी चिकनी चमेली चूत को देख कर मदमस्त हो गया और एकदम से उसके ऊपर चढ़ने को हो गया.
वो भी मुझसे कपड़े उतारने को कहने लगी. मैंने झट से खुद को मादरजात नंगा किया और लंड हिलाते हुए उसकी चूत को निहारने लगा. उसने अपनी टांगों को फैला कर मुझे आमंत्रित किया. मैंने देर नहीं लगाई और उसके ऊपर आ गया. मैंने उसकी टांगों को फैला कर उनके बीच में खुद को सैट किया और लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसकी चुत की फांकों में लगा दिया.
लंड के सुपारे से टपकता प्रीकम उसकी चूत के रिसते पानी से मिला, तो हम दोनों गनगना उठे. बस मैंने फांकों में सुपारा फंसाया और उसके ऊपर झुकते हुए उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया. हालांकि वो चुदी हुई थी, तब भी मुझे लगा कि इसके बताए अनुसार इसके पुराने ठोकू का लंड जल्दी झड़ने के साथ साथ शायद मुझसे छोटा भी हो, तो ये मेरे लंड से चिल्ला न दे.
मैंने होंठ जकड़ कर उसकी चूची को जोर से दबाया तो उसने एकदम से अपनी गांड उठा दी. इधर मैंने लंड का दबाव उसकी चूत में दे दिया. बस मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर धंस गया.
उसकी चीख निकलने को हुई, वो तड़फने लगी. मैंने बाज की तरह उसको चिरैया सा दबोचा हुआ था. वो हिल भी न सकी और मेरा लंड उसकी चूत के अंतिम सिरे तक घुसता चला गया. इसके बाद मैं एक मिनट के लिए यूं ही रुक गया. उसकी सांस तेज हो गई थीं. वो बिन पानी मछली सी तड़फ रही थी.
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों दबाए रखा और हाथ से उसके मम्मों को सहलाने लगा, उसके निप्पल मींजने लगा. कुछ ही देर में मेरे लंड ने उसकी चूत में जगह बना ली थी और उसका दर्द कम होता चला गया. उसने नीचे से अपनी कमर को हल्का सा उठाया तो मैंने उसके होंठ छोड़ दिए.
वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी. मैंने भी एक झटका मार दिया. बस चुदाई का खेल शुरू हो गया. पूरे बीस मिनट तक ताबड़तोड़ चुदाई का मंजर चला. इस बीच वो एक बार झड़ भी गई. बाद में मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और उसके ऊपर ही लम्बलेट हो गया.
झड़ने के चूमाचाटी होने लगी और कुछ ही देर में मैं फिर से चार्ज हो गया और दुबारा चुदाई का खेल शुरू हो गया.
इस चुदाई से उसे खूब मजा आया था और वो मुझसे बहुत खुश हो गई थी और अब तो गाहे बगाहे उसकी चुदास को मेरा लंड शांत करने लगा था.
यह मेरी मीठी चुदाई की कहानी थी. मुझे आपके ईमेल का इंतजार रहेगा.
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तब तक के लिए बाय.