नमस्कार दोस्तो, आज मैं आपको मेरी सच्ची गरम चुत चुदाई कहानी भेज रही हूँ, ये चुदाई खुले आसमान के नीचे खेत में हुई थी.
दोस्तो, मेरा वास्तविक नाम अनीता है, मैं 28 साल की देशी पढ़ी लिखी औरत हूँ. पर 8 साल पहले मेरी शादी एक छोटे गांव में अनपढ़ रवि के साथ हुई. रवि मुझसे 10 साल बड़ा है. यह बात उस समय की है, जब मेरी शादी को 2 साल हो चुके थे.
मेरी खेती में मोहन पड़ोसी है जो मेरे 4 साल छोटा है, पर दिखने में बड़ा सांड है. मैं थोड़ी पतली हूँ, एकदम बारीक कमर और मोटी गांड वाली परी हूँ, दिखने में बड़ी सेक्सी और कटीली माल लगती हूँ. मैं हमेशा सेक्सी साड़ी और लोकट गले और छोटी आस्तीन का ब्लाउज पहनती हूँ, जिस कारण मेरा पेट और नाभि और चिकने हाथ हमेशा रंडी के जैसे खुले रहते हैं. ऊपर से पतले कपड़े के ब्लाऊज से तो मेरे मम्मों के निप्पल जो एकदम काले अंगूर की तरह हैं, ऊपर से ही साफ दिखते हैं. इसलिए जो भी मुझे देखता है, उसका लंड खड़ा हो जाता है.
मैं रोज ऐसा ही मेकअप करके मोहन के खेत में काम पर जाती हूँ और मोहन को पटाने की कोशिश करती हूँ. पर मोहन मेरे पर ध्यान ही नहीं देता था, शायद वो लोक लाज के कारण डरता था.
मैं रोज ही निराश होकर घर लौट आती थी. पर आज मेरा सपना पूरा होने की घड़ी आ गई थी, आज मोहन के बड़े भाई की शादी थी और मैं अपने पति रवि के साथ शादी में जाने वाली थी. इसलिए आज मैंने नेट की नई साड़ी और कट ब्लाउज पहना था, जिस कारण मैं पूरी छिनाल लग रही थी.
बारात वाला ट्रक पूरी तरह से भरा हुआ था, उसमें आदमियों की संख्या के हिसाब से जगह बहुत कम थी. इसलिए मैं ट्रक के फाल्के की बाजू में बैठी थी. फाल्के के ऊपर मेरे पति रवि और मोहन चिपक के बैठे थे. मैं दोनों के पांव के बीच में फिट हो गई थी. इस वक्त मुझे मालूम था कि मेरा पल्लू सरका हुआ था और मेरे मम्मे, निप्पल ऊपर से ही एकदम साफ दिख रहे थे.. तब भी मैंने अपने पल्लू को ठीक करने की कोशिश नहीं की.
रास्ता थोड़ा खराब था, इसलिए जब भी ट्रक किसी गड्डे में आने से हिलता तो मेरे मम्मों के काले निप्पल तक ब्लाऊज के बाहर निकल आते थे. पर दोस्तो इससे भी कुछ फायदा नहीं हो रहा था.. क्योंकि मोहन कुछ भी रिस्पॉन्स नहीं दे रहा था.
जैसे तैसे इस हालत में ही हम सभी शादी वाले गांव पहुंच गए. फिर शादी में पूरा दिन निकल गया, पर मोहन ने मेरी गांड को हाथ तक नहीं लगाया. जबकि मैं उसके आस पास ही रही.
दोस्तो अब वक्त आ गया था मेरे सपने पूरे होने का.. रात हो गई थी और शादी भी हो चुकी थी. हम सभी वापस अपने गांव जाने के लिए निकल पड़े थे.
इस बार मेरे पति रवि मोहन से दूर बैठे थे और मोहन फाल्के पे बैठा था. मैं जानबूझ कर मोहन के पांव के पास बैठ गई थी और ट्रक के चलने का इंतजार कर रही थी.
कुछ देर बाद ट्रक चल पड़ा था, रात के दस बजे थे.. हमारे गांव तक 250 किलोमीटर सफर लंबा था, इसमें पूरी रात लगने वाली थी. कुछ ही देर में ट्रक में पूरा अंधेरा हो गया था, किसी को कुछ नहीं दिख रहा था. चूंकि सब लोग थके हुए थे, सो सोने लगे थे.
मैं अंधेरे का फायदा उठा कर मोहन के दोनों पांवों के बीच में घुस गई. मोहन फाल्के पे था और मैं नीचे बैठी थी इसलिए मेरा सर सीधा मोहन की जाँघों में घुस गया था. मैं भी सोने का नाटक कर रही थी और मुझे पूरा यकीन था कि अब मोहन कुछ भी नहीं कर सकता. मैंने अपना मुँह सीधा मोहन के लंड पे रख दिया और सोने का नाटक करके अपने गाल से उसके मस्त लंड को दबाने लगी. मोहन को लगा कि मैं नींद में हूँ, इसलिए गलती से मेरा सर उसके लंड पर आ गया होगा.
पर मेरा गाल का स्पर्श होते ही मोहन सोया हुआ लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. मैं भी खुद को रोक नहीं रही थी. मैंने सीधा मेरे होंठ मोहन के गधे जैसे बड़े लंड पे रख दिए. मुझे पेंट के ऊपर से मोहन के लंड का फूलना पता चल रहा था. आज मैंने जाना कि मोहन का लंड मेरे पति रवि से दो गुना बड़ा था.
अब मोहन भी खुद को रोक नहीं सकता था. मेरे होंठ के स्पर्श ने मोहन के डर को भगा दिया था. मोहन ने अंधेरे का फायदा उठा कर धीरे-धीरे पांव निकाल कर सीधा मेरी जाँघों पर रख दिया और साड़ी के ऊपर से अंगूठा चलाते हुए धीरे-धीरे मेरी चुत पर रगड़ने लगा.
अब मैं समझ गई थी कि मोहन भी गरम हो गया है. मैं इस मौके को छोड़ने वाली नहीं थी. अब मैंने सीधा मोहन का पांव पकड़ कर सीधा अपनी चुत पे दबा दिया. इससे मोहन समझ गया था कि मैं सब जानबूझ कर कर रही हूँ.
मोहन ने बिंदास साड़ी के साथ पूरा अंगूठा मेरी चुत में डाल दिया.
“हूँ हू हूँ हू हूँ हू..” क्या बताऊं दोस्तो, मैं बहुत गरम हो गई थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था. फिर मैंने अपनी साड़ी का पल्लू मोहन की जाँघों पे डाल दिया ताकि किसी को पता ना चले और मैंने सीधा मोहन की चैन खोलकर उसका गधे जैसा नौ इंच का लंबा लंड बाहर निकाल लिया.
ट्रक में पूरा अंधेरा हुआ था, किसी को कुछ पता नहीं चल रहा था. मैं लंड को हिला रही थी.
अब मोहन ने बेधड़क मेरी चुत से अंगूठा निकाल कर मेरी नाभि पर लगा दिया और नाभि के छेद को रगड़ने लगा. मुझे बहुत मजा आने लगा था.
मोहन ने सीधा मेरा सर अपने लंड पे दबा दिया. मुझे बहुत डर भी लग रहा था कि कोई देख ना ले, पर उसका गधे जैसा बड़ा लंड को देखकर मैं खुद को रोक नहीं सकती थी. मैंने सीधा पल्लू के अन्दर सर डाल के लंड का टोपा मुँह में ले लिया. मोहन को अपने लंड पर मेरे मुँह के अहसास ने गरम कर दिया और उसने जोर से मेरा सर दबा कर अपना पूरा लंड मेरे मुँह में पेल दिया. उसका मूसल लंड मेरे गले तक घुस गया था और मैं जोर से लंड चूसने लगी.
मोहन भी जोर से मेरा मुँह चोदने लगा था और मैं भी मोहन को पूरा साथ दे रही थी. मैं उसका पूरा लंड अपने मुँह में अन्दर बाहर कर रही थी. मैंने ब्लाउज के बटन खोलकर मोहन का पांव पकड़ कर अपने मम्मों पर टिका दिया, वो अपने पांवों से मेरे मम्मों को रगड़ने लगा. मैं जोर जोर से लंड चूस रही थी, बड़ा मजा आ रहा था.
तभी मोहन का संयम छूट गया और लंड ने जोर की पिचकारी मेरी मुँह में मार दी.
“अह अह अह… अअह..” उसका पूरा माल पेट में चला गया था. लंड झड़ जाने से मोहन थोड़ा ठंडा हो गया था, पर मैं तो एकदम गरम हुई पड़ी थी. मेरी चुत में जबरदस्त खुजली हो रही थी.
मोहन ने मुँह से लंड निकाल कर मेरे गाल से रगड़ कर साफ किया और पेंट में डाल कर चैन बंद कर ली.
अब उसने अपने पांव से मुझे धकेल दिया. उसकी इस हरकत पर मुझे बहुत गुस्सा आ गया, पर मैं कुछ कर नहीं सकती थी. मैं भी अपनी साड़ी ठीक करके घर पहुंचने का इंतजार कर रही थी
अब सुबह के 6 बजे थे और ट्रक गांव में आ गया था. दिन निकल आया था और मोहन मुझसे आँखें नहीं मिला रहा था, वो शर्मा रहा था. पर मैंने सब की नजर बचा के मुस्कुरा के मोहन को आँख मार दी, मोहन डरता हुआ हल्के से मुस्कुराता हुआ निकल गया.
मैं भी पति रवि के साथ घर चली गई थी. दूसरे दिन सुबह दस बजे रवि दूसरे खेत में काम पर गया था और मैं आज छिनाल जैसी नई साड़ी और कट ब्लाउज पहन कर मोहन के खेत की ओर निकल पड़ी. मोहन का गधे जैसा मोटा लंड मेरी नजर से हट ही नहीं रहा था.
मुझे बहुत खुशी हो रही थी कि आज उसका गधे जैसा लंड मेरी कोमल चुत में घुसकर हाहाकार मचा देगा क्योंकि इतना बड़ा लंड मेरी चुत ने पहले कभी नहीं देखा था. मेरे पति रवि का लंड तो बिल्कुल किसी दस साल के बच्चे के जैसा लुल्लीनुमा है. उसका टुन्नू सा लंड मेरी प्यासी जवान काली झांटों में छिपी हुई चुत का लाल दाना देखते ही फेल हो जाता है. साले का पानी निकल जाता है और मुझे तड़पता छोड़ देता है. पर आज मेरी भूख मिटने वाली थी, ऐसे सपने देखते हुए मैं खेत में आ गई.
मोहन खेत में मेरा रास्ता ही देख रहा था. मेरे सर पर रोटी की टोकरी थी. मोहन ने जैसे मुझे देखा, खुद झटके से मेरे सर से टोकरी को नीचे रख दिया और मुझे बांहों में लेकर चुम्बन लेने लगा. वो दोनों हाथ पीछे डाल के मेरी गांड के गोले किसी आवारा जानवर की तरह दबाने लगा.
मैं डर गई थी और मैंने धीरे से कहा- मोहन जी, रूको ना किसी ने देख लिया तो बहुत लोचा होगा.
इस बात से मोहन को गुस्सा आ गया और मोहन बोला- चुप कर छिनाल.. साली रात में पूरे भरे ट्रक भर में लोगों के बीच में मेरा लंड चूसते हुए तुझे डर नहीं लगा.. और इधर खाली खेत में डरने का नाटक कर रही है रंडी… यहां मेरे अलावा तुझे चोदने कोई भी नहीं आएगा साली.. आज से तू मेरी रखैल है समझी.
इस तरह की बातों के दौरान ही मोहन ने मेरी साड़ी को खोलकर फेंक दिया. अब मैं सिर्फ ब्लाऊज लहंगे पर मोहन की बांहों में थी.
मैं हंसते हुए बोली- मोहन जी, मैं तो कबसे आपकी रखैल बनने के लिए तड़प रही हूँ.
बस इतने में मोहन ने मुझे पीछे धकेल दिया, मैं जमीन पर गिर गई और मेरा लहंगा पूरा ऊपर हो गया. मोहन मेरी सांवली जाँघों और काली चड्डी को देख कर गर्म हो गया. मोहन भी पूरा नंगा हो कर नीचे बैठ कर कुत्ते जैसे मेरी पेंटी को खींचने लगा.
अगले ही पल मैं मोहन के सामने नंगी हो गई थी. मेरी बड़ी बड़ी काली झांटों में छिपी हुई चुत सामने थी.
मोहन ने झांटों में उंगली डाल कर चुत का लाल दाना सहलाया और दो उंगली से पकड़ कर जोर से दबा दिया.
जैसे ही मेरी चुत का दाना खींचा, वैसे ही मेरे मुँह से आवाज निकल पड़ी- उन्म्म… मोहन जी प्यार से प्लीज!
पर मोहन मेरी बात सुनने के मूड में नहीं था, उसने मेरी टांगों को फैला कर चुत में मुँह डाल दिया और कुत्ते के जैसे मेरी चुत पर टूट पड़ा. मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैं एक हाथ से मोहन का सर चुत पे दबा रही थी और उसी वक्त दूसरे हाथ से अपने ब्लाउज के बटन खोल कर अपनी चूचियों को आजाद कर दिया. मैं उत्तेजित हो गई थी और अपनी उंगली से अपनी काली निप्पल दबाने लगी.
मेरे मुँह से आवाज निकल रही थी- आह.. मोहन जी.. आप कितना अच्छे से चुत चाटते हो.. और चाटो.. अंदर तक जीभ पेल दो.. आह..
इससे मोहन का हौसला बढ़ने लगा था. मोहन अपनी पूरी जुबान से मेरी चुत को लगभग चोदने सा लगा था. इसी के साथ वो अपना एक हाथ ऊपर करके बारी बारी से दोनों मम्मों को भी दबाने लगा.
मुझे इस वक्त बहुत मजा आ रहा था. मैं गांड उठा कर उसका साथ दे रही थी और बोल रही थी- आह.. मोहन जी पूरी जुबान घुसेड़ दो ना प्लीज.. आज अपनी इस रखैल को पूरी रंडी बना दो जान..
अब मोहन सीधा मेरे ऊपर चढ़ गया और उसने अपना लंबा लंड मेरे मुँह में ठोक दिया. वो 69 की पोजीशन में होकर मेरी चुत चाटने लगा और बड़ा लंड मेरे गले से भी आगे जाने की सोच रहा था.
मोहन की बड़ी बड़ी काली झांटें मेरी नाक में घुस रही थीं, तो कुछ गाल पर चुभ रही थीं. मुझे बहुत मजा आ रहा था. मेरे मुँह से कामुक आवाज निकल रही थीं. कुछ ही देर में मोहन ने मेरी चुत को पूरी तरह से गीली कर दिया था और मैंने लंड को लसलसा बना दिया था. फिर मोहन ने सीधा होकर मुझे सीधा लेटा दिया और मेरे जाँघों को खोल कर अपने लंड पे थूक लगा दिया. उसने कुछ थूक मेरी चुत पर भी टपका दिया.
मोहन मुझसे बोला- साली रंडी, आज मैं तुझे चोद कर मेरे बच्चे की माँ बना दूँगा.
मैं हंसते हुए बोली- मेरे मालिक मैं कब से माँ बनने के लिए तड़प रही हूँ. आज अपना पठानी लंड पेल कर मेरी कुंवारी चुत को औरत का दर्जा दे दो मोहन जी.
मोहन हंसते हुए बोला- हां छिनाल, आज तुझे चोद के मेरी रखैल बना लूँगा और मेरे बच्चे की माँ भी बना दूँगा.
मोहन ने लंड को चुत की फांकों पर रगड़ा और एक जोर का झटका मार दिया. एक ही झटके में उसके लंड का टोपा मेरी चुत में घुस गया.
मैं जोर से चिल्लाने लगी- उई माँ मर गई मालिक.. धीरे धीरे करो प्लीज नहीं तो मेरी चुत फट जाएगी.
पर मोहन ने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया और दोनों हाथों से मेरे मम्मों को पकड़ा और बेदर्दी से मींजने लगा. इसी के साथ मोहन ने जब दूसरा झटका लगाया, तब उसका पूरा लंड मेरी चुत में घुस गया.
मैं जोर से चिल्लाने लगी- मालिक धीरे धीरे करो.. प्लीज मर गई अह अह अह.. अअह अअह..
मोहन मेरी बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था और जोर जोर से लंड को झटका लगा कर मेरी चुत फाड़ने में लगा हुआ था.
आठ दस धक्कों के बाद मुझे भी बहुत मजा आने लगा था और मैं भी गांड उठा उठाके उसका पूरा लंड अन्दर बाहर करने लगी थी.
अब मैं बोले जा रही थी- आह.. मोहन जी आज अपनी रखैल की चुत की वाट लगा दो.
मेरी बात सुन कर मोहन का हौसला बढ़ रहा था और जोर से झटके देकर पूरा मजा देने लगा. मोहन मेरे मम्मों पर झुक कर मेरे शहद से भरे होंठों पे अपने होंठ रख कर चूसने लगा. उसने मेरे मुँह में थूक गिरा दिया और अपनी जुबान घुसेड़ कर अंदर खलबली मचाने लगा. उसकी जीभ घुसी तो मेरे मुँह में थी लेकिन मुझे नीचे चुत में बहुत मजा आ रहा था. नीचे वो अपने गधे जैसे मोटे काले पठानी लंड से मेरी चुत चोद रहा था और ऊपर मेरा मुँह को उसकी जुबान चोदने लगी थी.
मैंने मोहन को बांहों में लिया था और मोहन मुझे बाजारू रंडी के जैसे चोद रहा था. मैं पूरा मजा ले रही थी, मेरी चुत पूरी लाल हो गई थी.
इसी तरह मोहन ने बिना रूके 15 मिनट तक हचक कर चोदा और जोर की गरमागरम लंड की पिचकारी मेरी चुत में मार दी. उसकी गरम धार मेरी चुत में घुसते ही मेरी 8 साल की प्यासी चुत एकदम से तृप्त हो गई थी.
मैंने मोहन को टांगों में जकड़ लिया था. दो मिनट के बाद मोहन ने लंड को निकाल लिया. अब उसने मेरे चूचों पर बैठ कर लंड होंठों पे रख दिया और बोला- ले अनीता रंडी, लंड चाट कर जल्दी साफ कर साली… मुझे घर जाना है.
मैं अपनी कुतिया जैसी जुबान निकाल कर उसका लंड मजे चाटने लगी. फिर मोहन ने प्यार से गाल पर थप्पड़ मार के कहा- सुन री रंडी… आज से तू मेरी रखैल है समझी.
मैंने भी सर हिला कर ‘हां’ कर दिया. फिर मोहन कपड़े पहन कर काम पे निकल गया और मैं भी कपड़े पहन कर घर चली गई.