नमस्ते दोस्तों, कहानी का पहला भाग: खिलने को बेताब कली-1
अभी मैं उसकी बात सुन कर अवाक सी ही बैठी थी कि उसने अपनी पैन्ट की ज़िप खोली और उसमें से अपना लंड बाहर निकाला। हल्के भूरे रंग का, सांवला सा, लंबा और तीखा सा।
मैंने उसे देख कर मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया तो उसने ज़बरदस्ती मेरा मुँह अपनी तरफ घुमाया और मुझे मजबूर किया कि मैं अपने एक हाथ से आईसक्रीम खाऊँ और दूसरे हाथ से उसका लंड पकड़ कर रखूँ।
पहली बार मैंने किसी लड़के का लंड देखा और अपने हाथ में पकड़ा था। जब पकड़ा तो बड़ा अजीब सा फील हुआ। कैसा गंदा सा लगा मुझे, गिलगिला सा! एक बार तो मुझे उबकाई सी आई मगर उसने कहा तो मैंने पकड़ लिया।
हम अभी अपनी अपनी सोफ़्टी खा ही रहे थे मगर मैंने महसूस किया कि उसका लंड पहले की तरह नर्म नहीं रहा, बल्कि सख्त होता जा रहा है। मैं हैरानी से उसे देखने लगी और मेरे देखते देखते उसका लंड ना सिर्फ पत्थर की तरह सख्त हो हो गया बल्कि आकार में भी बड़ा हो गया, लंबा, मोटा और गर्म।
अभिषेक बोला- इसे सिर्फ पकड़ कर नहीं रखते, इसे हिलाते भी हैं।
और उसने बताया कि कैसे हिलाना है, तो मैंने उसका लंड हिलाया और हिलाती रही।
मगर उसके लंड को हिलाते वक्त मुझे भी बहुत कुछ अजीब सा हो रहा था। मेरे मन में क्या चल रहा था, मैं नहीं जानती। मुझे ऐसे लग रहा था, जैसे मेरा बीपी बढ़ गया हो। मेरे तो कानों से सेंक निकलने लगा, दिल की धड़कन बढ़ गई। मुझे महसूस हुआ कि जैसे मेरी फुद्दी भी पानी पानी हो रही है।
मेरे एक हाथ में सोफ़्टी और दूसरे हाथ लंड था, मुझे समझ नहीं आ रहा था, मैं किसे पकड़ के रखूँ, या किसे खाऊँ।
फिर अभिषेक ने मेरी गर्दन के पीछे अपना हाथ रख कर मुझे अपनी तरफ झुकाया। मैं आगे को झुकी और उसने अपने लंड के ऊपर अपनी सोफ़्टी से थोड़ी से आईसक्रीम लगाई, और मेरा मुँह अपने लंड से लगा दिया। मैं जैसे उसको रोक ही नहीं पाई, मैंने उसके लंड से वो आइसक्रीम चाट ली.
और जब आइसक्रीम चाट ली तो भी अभिषेक ने मेरा सर ऊपर नहीं उठाने दिया, फिर से और ज़ोर से नीचे दबाया, इस बार अभिषेक का लंड मेरे मुँह में था। जिसे मैं अभी कुछ देर पहले हाथ में पकड़ कर भी बहुत अजीब महसूस कर रही थी, उस चीज़ को मैंने अपने मुँह में कैसे ले लिया।
अभिषेक तो इससे सुसू करता होगा न … तो मैं उसकी सुसू वाली चीज़ को अपने मुँह में लेकर चूस रही हूँ। यार ये कैसे कर सकती हूँ मैं?
पर देखो कर भी रही थी।
अभिषेक ने कितनी देर मेरा सर नीचे दबा कर रखा और मैं कितनी देर उसकी सुसू वाली चीज़ को अपने मुँह में लेकर चूसती रही।
और जब अभिषेक ने मुझे छोड़ा तो मैंने देखा, उसकी सुसू वाली जगह से गुलाबी रंग की एक बाल सी थी, जो मेरे थूक से गीली हो रही थी, मैंने अभिषेक से पूछा- ये क्या है?
वो बोला- इसे लंड कहते हैं। और जब हम सेक्स करेंगे न तो तब इसे मैं तुम्हारी फुद्दी में डालूँगा।
मैंने कहा- अरे नहीं, देखो तो कितना मोटा है ये! ये मेरे अंदर डालोगे, तो मैं तो मर ही जाऊँगी। नहीं नहीं … कभी नहीं। मुझे नहीं करना तुमसे सेक्स वेक्स … पागल हो क्या!
मैंने उसकी बात का जम कर विरोध किया।
मगर फिर मैंने अपने हाथ में पकड़ी आइसक्रीम को देखा, हालांकि मुझे आइसक्रीम बहुत पसंद है। पर ना जाने क्यों अभिषेक का लंड चूसने के बाद मुझे वो आइसक्रीम अच्छी नहीं लगी और मैंने उसे बाहर फेंक दिया।
उसके बाद मैं घर आ गई।
रात को जब मैं सोने के लिए बेड पे लेटी थी तो मुझे न जाने कहाँ से वही दोपहर वाली बात याद आ गई। वैसे तो घर में मन सलवार कमीज़ ही पहनती हूँ। पर कभी कभी लेगिंग, कैप्री भी पहन लेती हूँ। उस रात मैंने लेगिंग ही पहनी थी।
मुझे बार बार वो याद आ रहा था जब मैं अभिषेक का लंड चूस रही थी। मेरा मन कर रहा था कि अभी भी अभिषेक मेरे पास होता तो मैं अब अपनी मर्ज़ी से उसका लंड चूसती। पहली बार मुझे अहसास हुआ कि गंदी चीज़ भी कभी कभी कितनी टेस्टी लगती है।
मैं अभिषेक के लंड को चूसने के बारे में सोचती रही और अपने आप मेरा हाथ मेरी लेगिंग के अंदर चला गया। लेगिंग और पेंटी में अंदर हाथ डाल कर ना जाने क्यों मैं अपनी ही फुद्दी को सहलाने लगी। और सहलाते सहलाते कब मेरे हाथ की बड़ी उंगली मेरी फुद्दी के अंदर घुस गई, मुझे कुछ ख्याल नहीं नहीं। अंदर ही नहीं, मैं तो उसे अंदर बाहर करने लगी. और इस काम में मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था। एक हाथ अपनी फुद्दी में उंगली कर रही थी और दूसरे हाथ से अपने ही मम्मे दबा रही थी।
अभी मेरे मम्मे छोटे थे, मैंने कोशिश तो की, पर खुद ही अपना निप्पल नहीं चूस पाई। कितनी देर मैं अपनी फुद्दी में उंगली करती रही, मेरी फुद्दी पानी पानी हो रही थी। मुझे एक जोश, एक नशा सा हो रहा था. मगर मुझे ये समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब मुझे हो क्या रहा है। कितनी देर मैं अपने ही जिस्म से खेलती रही और फिर सो गई।
अगले दिन फिर मुझे अभिषेक मिला, आज वो मेरे लिए लोलीपॉप लेकर आया था। मगर आज मैं खुद चाहती थी कि वो मुझे लोलीपॉप नहीं दे अपनी पैन्ट खोल कर अपना लंड दे चूसने को।
उसने लोलीपॉप दिया और मैं खोल कर चूसने लगी।
उसने पूछा- क्या बच्चों की तरह ये बेकार सा लोलीपॉप चूस रही हो, अब तुम जवान हो गई हो, तो जवानों वाला लोलीपॉप चूसो।
मैं उसकी बात समझ तो गई, मैं मुस्कुरा दी।
उसने अपनी पेंट की ज़िप खोली, तो मैंने खुद आगे बढ़ कर उसके अंडरवीअर से उसका ढीला सा लंड पकड़ कर बाहर निकाला।
मैंने कहा- ये तो ढीला सा है।
वो बोला- तू चूस तो सही, अपने आप कड़क हो जाएगा।
और मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया।
ये क्या स्वाद है … क्या मज़ा है! पर फिर मुझे इतना अच्छा क्यों लगता है।
मैंने लंड चूसते चूसते अभिषेक से पूछा- अभी, अगर मैं तुम्हारी सुसू वाली जगह चूस सकती हूँ, तो क्या तुम भी मेरी सुसू वाली जगह चूस सकते हो?
अभी ने मेरी कमीज़ के बटन खोले और अपना हाथ मेरी ब्रा के अंदर डाल कर मेरे मम्मे दबाते हुये बोला- क्यों नहीं, तू बोल तो सही, सब चूस जाऊंगा।
मैंने पूछा- तो कब चूसोगे?
वो बोला- तू बोल, कब चुसवानी है, मगर उस दिन सिर्फ चूसा चासी नहीं होगी, अगर हम मिलेंगे, तो फिर पूरा सेक्स करेंगे।
मैंने कहा- अभी भी तो सेक्स ही कर रहे हैं।
वो बोला- अरे पगली इसे सेक्स नहीं कहते, चल तुझे बताता हूँ।
उसके बाद अभिषेक ने मुझे अपने मोबाइल पर कुछ वीडियो क्लिप्स दिखाई जिनमें लड़के अपनी सुसू वाली जगह यानि के लंड लड़की की सुसू वाली जगह यानि की फुद्दी में डाल कर आगे पीछे कर रह थे। उसने मुझे बड़ी डिटेल से समझाया कि कैसे करते हैं, और क्या करते हैं, और क्या ये सब होता है।
पूरी तरह जानने के बाद मैंने उसे हाँ कर दी- ठीक है, चलो सेक्स करके देखते हैं।
फिर एक दिन जब हमारे एक्जाम से पहले मेरी स्पेशल क्लासें लग रही थी, तो एक दिन उसने मुझे सिर्फ एक क्लास बंक करने को कहा। एक दिन तो मैं बंक कर ही सकती थी।
वो मुझे मेरी क्लास के बाहर से ही अपने किसी दोस्त के घर ले गया। हमारे पास सिर्फ एक घंटा था। घर में अंदर जाते ही वो मुझे एक बेडरूम में ले गया और अंदर से सिटकनी लगा ली। न जाने आज मुझे अभिषेक से शर्म सी क्यों आ रही थी, मैं एक तरफ सिमट कर खड़ी हो गई।
वो मेरे पीछे से आया और मुझे अपनी बांहों में भर लिया। मैं भी उसकी तरफ घूम गई और उस से लिपट गई। उसने मेरा चेहरा अपने सामने किया और मेरे होंटों को चूमा। आज तो मुझे उसे किस करते हुये भी शर्म आ रही थी। मगर वो पूरा बेशर्म हुआ पड़ा था, उसने मुझे बहुत से किस किए, मैंने भी उसका साथ दिया मगर फिर भी मेरी शर्म मुझे बार बार आ कर दबोच लेती थी।
फिर उसने मुझे बेड पे लेटाया और खुद भी मेरे साथ ही लेट गया। मैं फिर सिमट कर उसके सीने में अपना मुँह छुपाने लगी। मगर अभिषेक ने मुझे ऊपर को खींचा और मुझे सीधा कर कर खुद भी मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गया। मैंने भी उसे अपनी बांहों में कस लिया और फिर एक एक बाद एक ना जाने कितने चुम्बनों का दौर चला, कभी वो मुझे चूम रहा है, तो कभी मैं उसे। मेरे होंटों पर लगी सारी लिपस्टिक पता नहीं कहाँ गायब हो गई, वो खा गया, या मैं खा गई।
चूमते चूमते अभिषेक मेरे दोनों मम्मे पकड़े और दबाने लगा। उसके हाथों में जैसे जादू था। मैं उसे ये सब करते हुये देख रही थी। अब क्योंकि मैं तो कोचिंग के लिए आती थी, तो आज मैंने अपनी टी शर्ट के नीचे से अंडर शर्ट नहीं पहनी थी। जैसे ही उसने मेरी टी शर्ट ऊपर उठाई तो नीचे मेरी ब्रा देख कर बोला- वाह मेरी जान, तो मेरा कहना मान ही लिया।
मैं मुस्कुरा दी।
और उसने मेरी टी शर्ट पूरी ही उतार दी। फिर मेरी जीन्स खोली और उतार दी। मैं उसके सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में लेटी थी, शर्म से मैंने अपना चेहरा अपने हाथों में छुपा लिया। मगर अभिषेक ने मेरे दोनों हाथ खोल दिये और बोला- ले अब तू भी देख।
वो मेरे सामने अपने कपड़े उतारने लगा और सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया।
आज मैंने पहली बार अभिषेक को नंगा देखा। आज तो उसका लंड काफी बड़ा लग रहा था। पूरा तना हुआ, आगे को उठा हुआ।
वो आकर मेरी कमर पर बैठ गया और उसने मेरी ब्रा खोली, और मेरी पेंटी भी खींच कर उतार दी। मैं बेशक थोड़ा बहुत नखरा, थोड़ा बहुत विरोध कर रही थी, मगर वो सब एक ड्रामा था। आज तो मेरे मन में भी सेक्स करने की बहुत चाह थी।
मुझे नंगी करके सबसे पहले अभिषेक ने मेरे दोनों मम्मों को पकड़ सहलाया और फिर मेरे निपल अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। न जाने क्यों मेरे हाथ उसके सर पर चला गया और मैं उसके बाल सहलाती उसे ऐसे अपने मम्मे चुसवा रही थी, जैसे कोई माँ अपने बच्चे को दूध पिला रही हो।
मेरे दोनों मम्में चूसने के बाद वो नीचे को खिसका और मेरे पेट और कमर को चूम कर मेरी फुद्दी पर चूमने लगा, मेरी झांट को चूमा, फिर टाँगें खोली और अपने होंठ मेरी फुद्दी पर रख दिये। मुझे तो इतना नशा सा चढ़ा के मैंने अपनी आँखें ही बंद कर लीं।
उसने अपनी जीभ से मेरी फुद्दी को चाटना शुरू किया, पहली बार मुझे पता चला कि फुद्दी को चाटने से इतना मज़ा आता है। वो मेरी फुद्दी चाटता हुआ घूमा और अपनी कमर उसने लाकर मेरे मुँह के ऊपर कर दी। मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा और जैसे ही वो थोड़ा नीचे को हुआ, मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। हम दोनों एक साथ एक दूसरे को चुसाई का मज़ा दे रहे थे, मेरी हालत तो ऐसी थी कि दिल कर रहा था कि ये वक्त यहीं रुक जाए और मैं इस वक्त में यूं ही मज़े करती रहूँ।
फिर अभिषेक ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाला और फिर से सीधा हो गया। मेरी दोनों टाँगें खोल कर बोला- ले पकड़ इसे और रख।
मुझे न जैसे कैसे पता चल गया कि इसके लंड को कहाँ रखना है, मैंने उसका लंड अपनी फुद्दी पर रखा तो उसने ज़ोर लगा कर अपना लंड मेरी फुद्दी में डाल दिया।
उम्म्ह… अहह… हय… याह… सच में उसका लंड मोटा था, मुझे लगा जैसे कोई लकड़ी का बड़ा सा कीला मेरे जिस्म में गाड़ दिया गया हो। मगर मैं फिर भी वो दर्द, वो पीड़ा बर्दाश्त कर गई, ज़ोर लगा लगा कर अभिषेक ने अपना सारा लंड मेरी फुद्दी में डाल दिया।
मैंने उसे कहा भी- सारा डालना जरूरी है क्या, जितना डल गया उसी से कर लो।
मगर वो बोला- अरे मेरी जान, जब लड़की फुद्दी में पूरा लौड़ा न घुसे तब तक साला मज़ा ही नहीं आता।
और जब उसका पूरा लंड मेरी फुद्दी में चला गया तो फिर वो अपनी कमर आगे पीछे करके हिलने लगा।
मैंने पूछा- ये क्या कर रहे हो?
वो बोला- अरे चोद रहा हूँ तुमको! वीडियो में नहीं देखा था, कैसे लड़का अपना लंड लड़की की फुद्दी में डाल कर आगे पीछे करता है। इसी से तो मज़ा आता है!
मैंने कहा- ठीक है।
पहले तो मुझे ये सब तकलीफदेह सा लगा मगर बाद में मुझे मज़ा आने लगा। मैंने अपनी दोनों टाँगें पूरी तरह से खोल कर ऊपर हवा में उठा ली और अपने दोनों हाथ अभिषेक के चूतड़ों पर रख कर उनको दबाने लगी। मैं खुद चाहती थी कि अभिषेक अपना लंड मेरे और अंदर तक घुसा दे।
सेक्स सच में मज़ेदार था। जैसे वीडियो में वो लड़की मज़े ले ले कर हाय हाय कर रही थी, मेरे मुँह से भी अपने आप ‘उफ़्फ़ … हाय आह … आह … उम्म … आह … कम ऑन अभी कम ऑन! और करो, ज़ोर से करो!
और ना जाने क्या क्या निकल रहा था। मुझे ऐसे लग रहा था जैसे मेरे जिस्म से जान ही निकल जाएगी।
कितनी देर वो मुझे ऐसे ही चोदता रहा और फिर मेरे जिस्म से जैसे प्राण ही निकल गए। मैं इतने आनंद को इतने मज़े को बर्दाश्त ही नहीं कर पाई और जब मेरी फुद्दी से जैसे पानी की धार बह निकली तो मैं तो रो ही पड़ी, मेरी आँखों से आँसू निकल पड़े।
अभिषेक बोला- क्या हुआ बेबी, मैं रुकूँ?
मैंने सिर्फ उसे सर हिला कर ना का इशारा किया। वो वैसे ही मुझे चोदता रहा।
कुछ देर बाद जैसे मेरी जान में जान आई। फिर अभिषेक ने भी एकदम से अपना लंड मेरी फुद्दी से बाहर निकाला और मेरे पेट पर सफ़ेद और गाढ़ा गाढ़ा सा लेस सा गिरा दिया। मैंने बड़ा मुँह सा बना कर कहा- अरे ये क्या है?
वो बोला- अरे यही तो है असली चीज़, मर्द का वीर्य। और यदि ये तेरी फुद्दी के अंदर ही गिरा देता न तो तू प्रेग्नेंट हो जाती। मेरे बच्चे की माँ बनती।
मैंने हैरानी से पूछा- इस से बच्चा होता है?
वो बोला- हाँ, इस से बच्चा होता है।
फिर वो भी मेरी बगल में लेट गया। उसके बदन पर मैं पसीने की बूंदे देख रही थी, चिपचिपा बदन। मगर फिर भी मैं उसके साथ लिपट गई। अब मुझे उसकी किसी भी चीज़ से कोई दिक्कत नहीं थी।
कुछ देर हम लेटे रहे, बिल्कुल नंगे। आज मुझे इस बात पर भी कोई हैरानी नहीं हो रही थी कि मैंने किसी गैर इंसान के साथ इस तरह नंगी लेटी हूँ। मगर अभिषेक तो मेरा बॉयफ्रेंड था, अब उससे कैसी शर्म।
खैर कुछ देर बाद मैं भी उठ कर तैयार हुई, अपने कपड़े पहने और अभिषेक मुझे वापिस घर छोड़ गया।
रात को बहुत गहरी नींद आई। सुबह उठी तो फुद्दी में हल्का सा दर्द था। कोई ज़ख्म घाव नहीं था, मगर दर्द ऐसा था, जैसे कोई चोट लगी हो। उस दिन मैंने आराम ही किया। सारा दिन किताबें ले कर बैठी रही क्योंकि चलने फिरने में मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी।
अगले दिन मैं ठीक थी। और मेरी ज़िंदगी फिर आगे की ओर चल पड़ी। मगर उस दिन के बाद अभिषेक में न एक बदलाव सा आ गया है। अब वो अक्सर मुझे रूम में चलने की ज़िद करता है। जब भी मिलता है, मेरे मम्मे दबाता है, मुझे अपना लंड चूसने को मजबूर करता है। मतलब अब हर बार वो सेक्स की ही बात करता है।
मैं चाहती हूँ कि वो मुझे पहले की तरह ही प्यार करे मगर वो अब सिर्फ सेक्स के बारे में ही सोचता है।
मुझे लगता है कि मैंने उसके साथ सेक्स करके गलती की। ऐसा नहीं है कि मेरा दिल सेक्स के लिये नहीं करता। मैं भी अब सेक्स करना चाहती हूँ। मगर जब सेक्स करना है तब सेक्स करना है, पर बाकी टाइम तो अभिषेक मुझे प्यार करे।
मगर नहीं, अब उसे सिर्फ सेक्स चाहिए।
समझ में नहीं आ रहा, मैं क्या करूँ?!
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