सभी दोस्तों को नमस्कार! मैं आपका स्वागत करता हूं मेरी हिन्दी सेक्स कहानी में जो मेरे साथ घटी हुई एक सच्ची घटना है.
यह वाकया मेरे और मेरी सगी भांजी के बीच हुआ था.
भानजी की हॉट बुर Xxx कहानी शुरू करने से पहले मैं अपने बारे में बता दूं कि मेरा नाम आर्यन कुमार है और मैं राजस्थान के एक छोटे से गांव में रहता हूं.
मेरी उम्र 25 साल है लेकिन अभी तक शादी नहीं हुई है.
इस वजह से मैं बुर का काफी दीवाना हूं.
मेरी भांजी का नाम सलोनी है. वह उभरती हुई एक दिलकश हसीना है.
उसने अभी अभी जवानी में कदम रखा है और 19वां बसंत पार किया है.
उसके घने काले लम्बे बाल उसकी गांड पर पहरा देते हैं.
सलोनी का रंग दूध सा सफेद है और होंठ गुलाब की पंखुड़ियों जैसे हैं. निचले होंठ पर तिल उसकी सुंदरता को और बढ़ाता है.
भरे हुए गुलाबी गाल, लंबी गर्दन, उभरे और पुष्ट वक्ष, गहरी नाभि और उसके नीचे उसकी पतली कमर.
उसकी कमसिन कमर के नीचे उसकी उठी हुई गांड एकदम से बाहर को दिखती है.
उसकी गदराई एवं केले के तने जैसी चिकनी, भरी हुई जांघें उसे बहुत ही सेक्सी माल बनाती हैं.
जब वो चलती है तो उसकी चूचियां बहुत ही मादक अंदाज में ऊपर नीचे हिलती हैं.
साथ में उसकी उभरी हुई गांड ऐसी कयामत ढहाती है कि जो भी उसे देख ले तुरंत उसका लौड़ा खड़ा हो जाए.
उसे देखकर मन करे कि तुरंत वहीं पर पकड़कर उसकी गांड में लौंडा डाल दें और उसकी बुर फाड़ दें.
तो घटना कुछ ऐसे हुई थी कि गर्मियों में मेरा मेरी जीजी (दीदी) के यहां उनके गांव में जाना हुआ.
उस वक्त लॉकडाउन कुछ खुला ही था.
जब मैं वहां पर पहुंचा तो मुझे घर के सामने ही मेरी जीजी मिल गई.
मेरी जीजी की उम्र यही कोई 40 साल के करीब है. जीजी ने मेरा हालचाल पूछा और हम फिर घर आ गए.
हमने नाश्ता किया और उसके बाद जीजी खेत पर चली गई.
अब मैं घर पर अकेला रह गया.
फिर मेरा कुछ मन नहीं लगा लेकिन आधे घंटे बाद ही जीजी के साथ सलोनी खेत से घर पर आ गई.
जब मैंने उसे देखा तो देखता ही रह गया.
क्या क़यामत लग रही थी मेरी भांजी … उसका गदराया हुआ जिस्म देख कर मेरा लन्ड खड़ा हो गया.
उसने सफेद लेगिंग्स और टीशर्ट पहन रखी थी.
उसने मुझे नमस्ते बोला तो मैंने उठकर उसे कसकर गले से लगा लिया.
उसकी उभरी हुई छाती मेरे सीने से भिड़ गई और मैंने उसके गाल पर चूम लिया.
मेरे अंदर करंट सा दौड़ गया.
मेरा लौड़ा एकदम से टनटना गया. लंड का स्पर्श उसकी बुर पर हो गया.
लंड लगता देख मैंने खुद को उससे अलग किया तो उसकी नजर मेरे लंड पर गई.
यह देखकर वो थोड़ी असहज हो गई.
फिर हम पास में खाट पर बैठकर बातें करने लगे.
घर पर मैं, जीजी और मेरी भांजी ही थे.
मेरे जीजाजी कोरोना के कारण बाहर फंस गए थे.
जीजा से फोन पर बात हुई थी तो उन्होंने कहा था कि वह शायद 15-20 दिन बाद आएंगे.
फिर बातों बातों में पता चला कि जीजी को रात को ठीक से नींद नहीं आती है इसलिए वो दवाई खाकर सोती हैं.
फिर उस रात को जीजी दवाई लेकर सो गई और हमें कह दिया कि दूध पीकर सो जाना.
सलोनी और मेरा बिस्तर एक ही कमरे में लगा था.
कमरे में हम दोनों देर रात तक टीवी देखते रहे.
मेरी नजर बार बार उसकी चूचियों पर जा रही थी.
रात के कारण मेरे ऊपर हवस भारी होने लगी और अब मेरे मन में खुराफात आने लगी.
उसे देख कर मेरा लंड बार-बार हिचकोले खा रहा था.
सलोनी की जवानी देख मेरा मन कर रहा था कि अभी पकड़ कर उसकी गांड मार लूं.
तभी मेरी नजर नींद की दवाइयों पर पड़ी. मेरे मन में योजनाओं घोड़े दौड़ने लगे.
जब उसको हल्की नींद आने लगी तो वो उठकर जाने लगी.
मैं समझ गया कि शायद वो पेशाब करने जा रही है.
मैंने इसी समय का फायदा उठाया और नींद की गोली जल्दी से कूटकर उसके दूध में मिला दी.
फिर वो वापस आ गई. उसने लोटे से दूध पिया और अपने बिस्तर पर जाकर सो गई.
मैं बहुत खुश था क्योंकि मेरा प्लान सफल होने वाला था.
अब मुझे टीवी देखना अच्छा नहीं लग रहा था.
मेरे दिल की धड़कन बढ़ रही थी और एक एक पल मुझे बहुत ही ज्यादा भारी लग रहा था.
ऊपर से मेरा लन्ड कच्छा फाड़ कर बाहर आने के लिए आतुर हो रहा था.
मुश्किल से मैंने आधा घंटा काटा और फिर टीवी बंद कर दिया.
अभी मैं सलोनी को छूने का रिस्क नहीं लेना चाह रहा था क्योंकि वो जवान थी और हो सकता था कि गोली का पूरा असर हुए बिना वो नींद से जाग जाती.
इसलिए मैं उठकर बाहर निकल गया.
बाहर निकलते ही वहां जीजी अपनी खाट पर सोती हुई दिखाई दी.
उसका पेटीकोट उसके घुटनों तक सरक चुका था.
मेरे मन में जीजी की चूत के ख्याल आने लगे.
मैंने देखा कि जीजी गहरी नींद में सो रही है तो मैंने जीजी का पेटिकोट ऊपर उठाना शुरू किया.
उसकी गोरी चिकनी मखमली जांघों को देखकर मेरा जिस्म भी गर्म होने लगा.
जीजी करवट के बल लेटी थी तो मैं जीजी के चूतड़ देखकर पागल हो गया.
मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा.
मैं मुंह को उसकी गांड के पास ले गया, फिर उसके चूतड़ों को चाटने लगा.
मैं जीजी की गांड के साथ खेलने लगा.
फिर मैंने धीरे से उसको सीधा किया और पैरों को फैला दिया.
अब मुझे जीजी की चूत के साफ साफ दर्शन हो रहे थे.
पहली बार इतनी नजदीक से चूत को देख कर मेरी हालत खराब हो रही थी.
अब मैं उसकी चूत को चाटने लगा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मैंने अपने दो उंगलियों को जीजी की बुर में घुसा दिया.
बेहद आनंद आ रहा था मुझे उसकी चूत में उंगली चलाते हुए.
नींद की गोलियां खाने की वजह से जीजी बिल्कुल भी होश में नहीं थी.
उसे कुछ भी पता नहीं चल रहा था कि उसकी चूत में उंगली जा रही है.
अब मेरा पूरा मूड बन चुका था और मुझसे रहा नहीं जा रहा था. सेक्स मुझ पर इतना हावी हो चुका था कि मुझे यह भी ध्यान नहीं रहा कि मैं सलोनी की बुर मारना चाहता हूँ.
फिर जब मैं अपना लंड निकालने लगा तो याद आया कि सलोनी भी तो है. मैंने जीजी की चूत में लंड घुसाने का विचार टाल दिया और मेरा ध्यान सलोनी पर चला गया.
मैं आकर उसके पास लेट गया.
गर्मी की वजह से उसने कुछ भी औढ़ा नहीं था.
मैंने उसके गाल पर किस किया और मेरी हवस एकदम से कई गुना बढ़ गई.
अब तक सलोनी सो चुकी थी, वो कोई हरकत नहीं कर रही थी.
उसको देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कि वो एकदम बेसुध सो रही है.
मैं उसके निचले होंठ को चूसने लगा. मन कर रहा था कि इसका सारा रस पी जाऊं.
फिर मैंने नीचे आते हुए उसकी गर्दन पर एक किस कर दिया.
उसकी चूचियां समीज को फाड़कर बाहर आने के लिए बेताब हो रही थीं.
मैंने उसकी समीज को ऊपर सरका दिया और उन्नत उभारों को कैद से आजाद कर दिया.
वाकई में धड़कन को रोक देने वाला नजारा था वो!
मैंने दोनों हाथों से उसके कबूतरों को छुआ और उन्हें मुंह में लेकर चूसने लगा.
मुझे बहुत ही आनंद आ रहा था और साथ ही मेरा लन्ड सलामी दे रहा था.
कुछ देर उसकी चूची पीने का मजा लेकर मैंने उसकी लेगिंग्स को नीचे खींचना शुरू कर दिया.
उसने नीचे पैंटी पहनी हुई थी.
पैंटी को भी मैंने लेग्गिंस के साथ खींचना शुरू कर दिया.
मैंने उसकी लैगी को उतारकर एक तरफ़ रख दिया.
अब वह पूरी नंगी थी.
उसके नंगे बदन को देखकर मैं अब किसी हाल में नहीं रुक सकता था.
अब मैं देरी ना करते हुए उसके पैरों के बीच में आ गया.
एकदम चिकनी, उठी हुई और पावरोटी की तरफ फूली बुर को देखकर मेरा लन्ड सलामी देने लगा.
मैंने उसके पैरों को मोड़कर अपने मुंह को उसकी बुर पर लगा दिया और उसकी बुर को चाटने लगा.
मुझे स्वर्ग सा आनंद आ रहा था.
अब सब कुछ मेरे बर्दाश्त से बाहर था. अब मैंने अपने लंड को उसकी बुर के ऊपर रखकर दवाब बनाया तो कोरी और टाइट बुर होने के कारण मेरा लन्ड फिसल गया.
मैंने दोबारा से ट्राई किया लेकिन कई बार ऐसा ही हुआ. तब मैं रसोई में से सरसों का तेल लाया और उसमें से थोड़ा सा उसकी बुर पर लगा दिया और अपने लंड पर लगा लिया.
फिर से मैंने लंड को उसकी बुर पर सटाया.
काफी प्रयास के बाद मेरे लंड का सुपारा उसकी बुर में घुसा.
उसकी बुर गर्म भट्टी की तरह तप रही थी.
मैंने थोड़ा और जोर लगाया और मेरा लंड 2 इंच तक उसकी बुर में घुस गया.
तभी सलोनी ने चीख कर आँखें खोल दी- आह मर गयी … मामा … बहुत दर्द हो रहा है.
मैं एकदम से घबरा गया … ये तो जाग गयी.
मैंने डर कर सलोनी के नंगे बदन से उठना चाहा.
पर उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया, उठने नहीं दिया.
मैं समझ गया कि मेरी बहन की जवान बेटी भी वही चाहती है, जो मैं चाहता हूँ.
मेरे लंड का अगला भाग मेरी भानजी की बुर में जा चुका था … अब मैं उसके ऊपर लेटकर उसकी चूचियों को मुंह में लेकर चूसने लगा.
मुझे बहुत ही ज्यादा आनंद आ रहा था.
फिर मैंने एक धक्का और मारा तो मेरा लगभग 5 इंच लंड अंदर चला गया.
लगभग 2 इंच लंड अभी बाहर था.
मैंने उसकी बुर को देखा तो उसमें मेरा लंड फंसा हुआ था. उसकी चिकनी कमसिन बुर में खुद का लंड देख कर मुझे और जोश आ गया.
मैं फिर से उसे चोदने लगा और मुझे असीम आनंद की प्राप्ति होने लगी.
मुझे लगा जैसे मैं स्वर्ग में हूं.
मैं धीरे-धीरे लंड को आगे पीछे करता रहा.
अब उसकी बुर में लगभग पूरा लंड ही जा चुका था.
चुदते हुए वो थोड़ा हिल रही थी और कसमसा रही थी कराह रही थी लेकिन उसने मुझे रोका नहीं.
सलोनी के नाखून मेरी पीठ में गड़ रहे थे. शायद वो अपनी पहली चुदाई के दर्द का मजा ले रही थी.
सलोनी की बुर मारने का वो आनंद मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता.
उसको चोदते हुए मैं बीच बीच में उसकी चूचियों को भी पी रहा था, उसके मुंह में उंगली दे रहा था.
मैं उसके जिस्म का पूरा मजा ले रहा था, हर जगह से उसको किस कर रहा था, उसको चूम चाट और काट रहा था.
मैंने उसके जिस्म के हर अंग पर अपनी मोहब्बत का निशान छोड़ा.
काफी देर तक मैंने उसकी बुर को बजाया. उसके बाद मैंने उसकी बुर की गहराई में ही अपने लंड का फव्वारा छोड़ दिया और वैसे ही उसके ऊपर लेट गया.
मुझे नहीं पता कि उसे इस चुदाई में मजा आया या नहीं … लेकिन वो दोबारा सो चुकी थी.
10 मिनट के बाद मैं उठा और अपना लंड साफ किया.
मैंने उसकी बुर को भी साफ किया.
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि अपने खुराफाती दिमाग की बदौलत मैं अपनी जवान भांजी की बुर मार चुका हूं.
मैं उसको नंगी लेटी हुई देखता रहा. वो थकी हुई सी लग रही थी.
उसकी बुर लाल हो चुकी थी.
मेरा फिर से मन डोलने लगा और मैंने उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया.
फिर से उसकी बुर में उंगली से चोदा.
मेरी इन हरकतों से वो फिर जाग गयी. पर वो थकी हुई सी लग रही थी, उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की.
अब मेरा ध्यान उसकी गांड पर चला गया.
मैंने उसकी गांड को छेड़ना शुरू किया. मैंने उसकी गांड के छेद पर तेल लगाया और उसमें उंगली चलाने लगा.
धीरे धीरे मैं उसकी गांड में उंगली अंदर बाहर करने लगा.
मेरा मन तो कर रहा था कि उसकी गांड भी चोद दूं लेकिन उसमें मुझे रिस्क लगा.
सलोनी की बुर पहले ही चुदकर लाल हो चुकी थी.
लेकिन मेरा लंड अब चुदाई के लिए तैयार हो चुका था.
इसलिए मैंने फिर से उसकी बुर में लंड डाला और चोदने लगा.
मैंने दूसरे राउंड में भी काफी देर तक उसकी बुर मारी और फिर से उसमें खाली होकर पड़ गया.
मैं बहुत थका हुआ महसूस कर रहा था इसलिए मैं अब सोना चाहता था.
मैंने सलोनी को वापस कपड़े पहनाए और फिर सब कुछ ठीक करके लेट गया.
उसके बाद मुझे नींद आ गई.
जब मैं उठा तो सलोनी बिस्तर पर नहीं थी और सब कुछ पहले जैसा था.
मैं बाहर गया तो मेरी जीजी शायद रसोई में नाश्ता बना रही थी और सलोनी जीजी वाली चारपाई पर लेटी थी.
मुझे देख कर सलोनी मुस्कुरा दी.
मैं उसके पास गया तो वो बोली- मामा, अभी भी दर्द हो रहा है.
उसकी बात सुनकर मैं खुश हो गया कि मेरी भानजी मुझसे नाराज नहीं है.
मैंने उसे उसके होंठों पर चुम्बन किया और बोला- यह दर्द बार बार नहीं होगा. आज रात भी तैयार रहना. बहुत मजा आयेगा.
उसने मुस्कुरा कर मेरी छाती में दोनों हाथ से हल्के हल्के मुक्के मारे.
दोस्तो, यह भानजी की हॉट बुर Xxx कहानी यहीं पर समाप्त करता हूं.