नमस्ते दोस्तों, मेरी इस सेक्स कहानी मैं आपका स्वागत है. यह सब तब की बात है जब मेरे बड़े भैया की शादी के आठ महीने बाद ही एक मार्ग दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई. पूजा भाभी उस समय गर्भवती थीं तो दोनों परिवारों की इच्छा तथा मेरी व पूजा की सहमति से एक सादे कार्यक्रम में हमारी शादी हो गई.
इसके महीने भर बाद हमारे बेटे प्रियांशु का जन्म हुआ. प्रियांशु के जन्म के दो महीने बाद करवाचौथ का व्रत पड़ा और उस दिन हमने सुहागरात मनाई. इसके बाद मैं, पूजा व प्रियांशु पूजा के मायके गये.
पूजा के बड़े भाई का नाम मनोज है, उसकी दो बेटियां हैं, इक्कीस साल की रीना व उन्नीस साल की मीना. रीना बीकॉम कर रही थी और मीना कक्षा बारह में थी.
एक सप्ताह वहां रुकने के बाद हम लोग वापस लौट आये लेकिन रीना और मीना ने मुझ पर जादू कर दिया था. रह रहकर दोनों का चेहरा और जिस्म मेरी आँखों के सामने आ जाता. जहां रीना दुबली पतली थी, वहीं मीना हष्ट पुष्ट और गदरायी हुई थी.
अन्ततः मेरे दिल ने फैसला किया कि मीना को चोदने का जुगाड़ करना है.
एक रात खाना खाते समय पूजा ने न जाने क्यों पूछा- मुझसे शादी करके आप खुश तो हैं ना?
“हाँ … लेकिन तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो?”
“बस ऐसे ही बहुत दिन से सोच रही थी कि आपको एक से बढ़कर एक लड़कियां मिल सकती थीं लेकिन आपने मुझे अपना लिया.”
“तुम किसी से कम हो क्या?”
“कुछ भी हो कुंवारी लड़की कुंवारी ही होती है.”
मैं समझ रहा था कि मेरी बीवी को भी दुःख है कि मुझे पुरानी चुदी हुई चूत मिली. मैंने भी उसकी भावनाओं का फ़ायदा उठाने की सोची. मैंने यह दिखाया उसके सामने कि जैसे मैं अपने जीवन में जिस बड़ी चीज का हकदार था, उससे वंचित रह गया उसके कारण.
“सो तो है. तुमको अपनाकर एक कुंवारी लड़की को बांहों में लेने के सुख से मैं वंचित तो हुआ हूँ लेकिन अगर तुम चाहो तो इसकी भरपायी कर सकती हो.”
“कैसे?”
“अगले महीने मीना के एग्जाम ओवर हो जायेंगे, उसको पन्द्रह दिन के लिए यहां बुला लो.”
“उससे क्या होगा?”
“मेरे भाग्य में होगा तो एक कुंवारी लड़की को छूने चोदने का मेरा सपना पूरा हो जायेगा.”
“कैसे हो जायेगा? कोई हंसी खेल है क्या?”
“तुम उसे बुलाओ तो सही, हंसी हंसी में ही हो जायेगा.”
कई दिन तक चली बातचीत के बाद आखिरकार मेरी बीवी पूजा अपनी भतीजी मीना को हमारे घर बुलाने पर राजी हो गई.
मीना के एग्जाम खत्म होने के बाद एक दिन मनोज ने मीना को फ्लाइट में बैठा दिया और उसे रिसीव करने के लिए मैं एयरपोर्ट पहुंच गया.
जींस और लाल रंग के टॉप में जैसे ही मीना एयरपोर्ट से बाहर निकली, उसे देखते ही मेरा लण्ड उछल उछलकर सैल्यूट करने लगा.
मैंने आगे बढ़ कर उसे अपनी बांहों में ले लिया. वो भी हंसती हुई खुशी खुशी मेरे गले से लग गयी. मैंने उसे अपनी छाती पर भींच लिया और उसकी जवान कड़क चूचियां मेरी छाती पर दब गयी. मजा आ गया कसम से! मेरा दिल बाग़ बाग़ हो गया.
मैं 3-4 मिनट तक उसे ऐसे ही अपनी बांहों में दबोचे खड़ा रहा. मैं कमसिन जवान गर्म जिस्म का आनन्द ले रहा था. जवान बदन की खुशबू से मेरा लंड पूरी जोश में आ चुका था और मुझे पूरी उम्मीद थी कि मीना ने भी मेरा लंड अपनी जांधों के बीच में जरूर महसूस किया होगा.
जब मुझे लगा कि अब ये ज्यादा होने लगा है तो मैंने अपने साले की बेटी को अपनी बांहों की गिरफ्त से आजाद किया.
हम दोनों घर पहुंचे, खाना खाया और सो गये. शाम को हम लोग घूमने गए, बाहर खाना खाया और आकर सो गये.
बेड पर सबसे किनारे मैं लेटा, फिर प्रियांशु, पूजा और सबसे किनारे मीना.
तय योजना के अनुसार रात करीब बारह बजे कमरे में जल रहे नाइट लैम्प की रोशनी में मैंने अपनी पत्नी पूजा का गाउन ऊपर खिसकाया और पैन्टी उतारकर उसकी चूत को थोड़ा सहलाया. मेरी बीवी गर्म होने लगी और उसकी हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी.
मैंने अपना लोअर उतारा, फिर अपना अंडरवीयर उतारा और चढ़ गया अपने साले की बेटी की बुआ पर … यानि अपनी बीवी पर और अपना लण्ड उसकी चूत में पेल दिया.
मैं उचक उचक कर अपनी बीवी को चोदने लगा और साथ ही मैंने अपना पैर जानबूझकर मीना को मारा ताकि उसकी नींद खुल जाये और वो हमारी चुदाई देखे.
इसके बाद हमारी योजना के अनुसार पूजा बोली- धीरे धीरे करो, नहीं तो मीना जाग जायेगी.
“पुहा यार … तुम अपना मजा लो, मीना सो रही है, उसके जागने की चिन्ता न करो.”
“इसमें क्या अलग मजा है, ये मजा तो रोज का काम है.”
“अच्छा ये बताओ, जब मेरा लण्ड तुम्हारी चूत के अन्दर जाता है तो कैसा लगता है?”
“बहुत अच्छा लगता है, ऐसा लगता है जैसे सारी जन्नत मेरे करीब आ गई हो. लेकिन धीरे बोलो, मीना जाग गई तो गड़बड़ हो जायेगी.”
“क्या गड़बड़ हो जायेगी? दो साल बाद इसकी भी शादी होगी तो ये भी अपनी चूत चुदवायेगी, लंड के मजे लेगी.”
ये सारी बातचीत मीना सुन रही थी और उसे सुनाने के लिए ही हम लोग कर रहे थे.
साथ साथ में मेरा लण्ड पूजा की चूत के अन्दर बाहर हो रहा था. थोड़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड गया और हम लोग आराम से लेट गए.
अगले दिन सुबह पूजा ने कहा- मुझे दो घंटे के लिए स्कूल जाना है, प्रिन्सिपल मैम ने सब टीचर्स को बुलाया है. पूजा से मेरा तय था कि जब मैं कॉल करूंगा, तभी लौटेगी.
पूजा के जाने के बाद मीना नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई. बाथरूम में एक झिरी ऐसी थी जहाँ से अन्दर का नजारा दिखाई देता था. जब मीना अपने बालों में शैम्पू लगा रही थी, मैंने बाहर से पानी बंद कर दिया.
थोड़़ी देर में मीना की आवाज आई- फूफा जी, पानी चला गया.
“नहीं आ रहा है क्या?”
“बिल्कुल नहीं आ रहा है.”
“रुको, मैं किचन से एक बाल्टी पानी लाता हूँ.”
इतना कहकर किचन से एक बाल्टी पानी लिया और बाथरूम के दरवाजे को खटखटाया.
मीना ने दरवाजा थोड़ा सा खोला और खुद दरवाजे की आड़ में हो गई. वो सोच रही थी कि मैं बाहर खड़े खड़े बाल्टी अन्दर रख दूं. लेकिन मैं बाल्टी लेकर अन्दर घुस गया तो वो घबरा गई और अपनी दोनों टांगें जोड़कर चूत छिपा ली व दोनों हाथों से अपनी चूचियां छिपा लीं.
मैंने कहा- घबराओ नहीं बेटी, तुम मेरी तरफ पीठ करके बैठ जाओ, मैं मग से पानी डालता हूँ, तुम आराम से नहा लो!
वो मजबूर थी और करती भी क्या?
मीना बैठ गई और मैंने मग से पानी डाल डालकर उसे नहला दिया और वो अपने नंगे जिस्म को हाथों से मल मल कर साबुन उतार कर नहाने लगी.
जब वो नहा चुकी तो मैं उसे तौलिया पकड़ाकर बाहर आ गया.
तौलिया लपेटकर जैसे ही मीना बाहर निकली, मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया. उसने छूटने की नाकाम कोशिश जरूर की लेकिन बोली कुछ नहीं.
मैंने मीना के होठों पर होंठ रख दिये और उसके चूतड़ दबाने लगा जिससे वो मदहोश होने लगी.
पर मीना शर्माती हुई बोली- फूफा जी, आप ये क्या कर रहे हो? मुझे शर्म आ रही है.
मैंने मीना को पूछा- तुम्हें अच्छा लग रहा है ना?
वो कुछ ना बोली और हंसने लगी.
मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया और बेडरूम में लाकर बेड पर लिटा दिया.
मीना के जिस्म से तौलिया अलग किया तो नंगी मीना को देखकर मेरा लण्ड फुदकने लगा.
लेकिन मुझे इतनी जल्दी नहीं करना था इसलिए मैं अपनी टीशर्ट उतारकर मीना के बगल में लेट गया और उसकी एक चूची मुंह में ले ली तथा दूसरी मसलने लगा.
मीना कसमसाते हुए मजे ले रही थी.
अब मैं अपनी उंगलियां उसकी चूत पर फेरने लगा. मेरा लण्ड टनटना रहा था. उसकी चूत पर छोटे छोटे बाल थे जैसे 4-5 दिन पहले शेव की हो या क्रीम से साफ़ किये हों.
मैंने उससे पूछ ही लिया, मीना, तुमने यहाँ के बाल कब साफ़ किये थे?
वो शर्माती हुई बोली- मैंने और मेरी एक सहेली ने एक दूसरी के बाल पिछले सप्ताह ही क्रीम से साफ़ किये थे.
सहेली की चूत की बात सुन कर मेरे लंड ने एक और झटका मारा.
मैं मीना की टांगों के बीच आकर उसकी कमसिन चूत चाटने लगा तो मीना मदमस्त हो गई.
मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था. मैंने अपना लोअर उतार दिया और लण्ड पर तेल लगा लिया. मीना के चूतड़ों के नीचे तकिया रखकर मैं अपना लण्ड उसकी चूत पर फेरने लगा.
मैंने लण्ड का सुपारा मीना की चूत के द्वार पर रखा और मीना से कहा- मीना, मेरा लण्ड तुम्हारी चूत में जाने को बेताब है, अगर इजाजत हो तो डाल दूं?
“डाल दो फूफू … अब तुम्हारी पनाह में हूँ.”
मैंने लण्ड अन्दर की ओर ठोंका तो टप्प की आवाज के साथ लण्ड का सुपारा चूत के अन्दर चला गया. मैं मीना पर लेट गया और उसकी चूचियां चूसने लगा. धीरे धीरे मैंने दबाव बनाकर आधा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया.
ऐसा लगने लगा जैसे आगे कोई बैरियर लगा है. मैं उठा और अन्दर घुसे आधे लण्ड को अन्दर बाहर करने लगा.
मेरी उम्मीद के अनुसार मीना की चूत कुंवारी थी. नहीं तो आजकल की लड़कियों का कुछ पता नहीं चलता कि कब अपनी बुर की सील तुड़वा लें.
धीरे धीरे हो रही चुदाई से मीना मस्त हो रही थी, तभी एक बार लण्ड अन्दर पेलते समय मैंने जोर लगाया तो पूरा लण्ड मीना की चूत में चला गया, वो चिल्लाने ही वाली थी कि मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये और चोदना शुरू कर दिया.
थोड़़ी देर में मीना नार्मल हुई तो मैंने स्पीड बढ़ा दी. स्पीड बढ़ाते ही लण्ड की मोटाई बढ़ना शुरू हो गई जिससे फंसकर चलने लगा.
“आह फूफू! उम्म्ह… अहह… हय… याह…” कहकर मीना मेरा जोश बढ़ा रही थी.
मीना को चोदते चोदते वो समय आ गया कि मेरा सुपारा फूलकर संतरे जैसा हो गया और मीना की चूत में मैंने अपने लंड का फव्वारा छोड़ दिया. गर्भ रोकने वाली गोली का इन्तजाम मैंने पहले से कर रखा था.
इस तरह से कुंवारी चूत चोदने मेरा सपना मेरी बीवी की मदद से उसकी ही कुंवारी भतीजी को चोद कर पूरा हुआ.
मीना उस दिन से लेकर आज तक जब मौका मिलता है, मेरा लण्ड अपनी चूत में ले लेती है. मेरी बीवी भी इसमें हमारा पूरा सहयोग करती है.
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