नमस्कार मित्रों, मेरा नाम राहुल श्रीवास्तव है. आप तो जानते ही हैं कि मेरी कहानी मेरे अपने अनुभव या मेरे साथ घटित घटनाओं पर आधारित होती हैं.
मैं अपनी नौकरी की वजह से सम्पूर्ण भारत का भ्रमण करता रहता हूं. अनगिनत लोगों से मिलता हूं, उनके किस्से सुनता हूं. कुछ किस्से मेरे साथ भी यात्रा के दौरान घटित होते हैं, जिसको मैं आपके सामने कहानी के रूप में लेकर आता हूं.
इधर मैं एक बात बता दूं कि मैं कोई लेखक नहीं हूं. इस मंच की कहानी पढ़ कर कोशिश करता हूं कि मैं भी कुछ लिख सकूं. बस आप मुझे ऐसे ही दुआएं और सहयोग देते रहिए.
आज मैं एक बार फिर से आपके सामने एक नई कहानी के साथ हूं. मैं मूल रूप से प्रयागराज और लखनऊ का रहने वाला हूं. कुछ समय पहले जब मैं लखनऊ गया था, तब मेरे बंगले के बगल के दुकानदार से दोस्ती हो गई थी. उसी ने बातों बातों में सारा किस्सा मुझे बताया था. जो आज मैं आपके सामने कहानी के रूप में लाया हूं. मुझे आशा है कि आपको पसंद आएगी. आप अपने अच्छे या बुरे विचार से मुझे अवश्य अवगत कराएं.
यदि आप नए पाठक हैं, तो आप ऊपर मेरे नाम पर क्लिक करके मेरी सभी कहानियों को पढ़ सकते हैं.
आगे की कहानी आप सैम के द्वारा सुन लीजिए.
दोस्तो, मेरा नाम सैम है. मैं लखनऊ से हूं. गोमती नगर में मेरी कोठी है. मैं 37 साल का जवान मर्द हूं. मेरा गोमती नगर में एक शानदार रिटेल स्टोर है, जिसमें महिलाओं और जनरल उपभोग की सभी वस्तुएं मिलती हैं.
मैं पिछले कई सालों से यहां प्रकाशित सेक्स कहानी पढ़ता आया हूं. फिर एक दिन मेरी राहुल जी से मुलाकात हुई. मैंने उनसे अनुरोध किया कि वो मेरी आपबीती भी आप तक पंहुचा दें.
ये कहानी मेरे और एक जवान वर्जिन लड़की के बीच की है, जिसको मैंने बहला फुसला कर उस वक्त चोदा था, जब वो सिर्फ 19-20 साल की थी. यानि मेरे बहुत कम उम्र की थी. मैंने उस लड़की को कैसे चोदा, ये आप इस सेक्स कहानी को पढ़ कर जान जाएंगे.
मीता मेरे दुकान के पास में ही रहती थी. उसने अभी लखनऊ यूनिवर्सिटी में एड्मिशन लिया ही था. वो कमसिन उम्र की लौंडिया थी. उसका गेहुआं सा रंग, करीब 32 इंच की चूचियां थीं. आप समझ सकते हो कि एक जवान होती लौंडिया की छोटी छोटी उभरती चूचियां हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं.
वो मेरे दुकान पर अक्सर आती थी, मुझसे अक्सर बात किया करती थी. पर मुझे कभी ऐसा लगा नहीं कि उसमें भी जवानी भर गई है … उसको भी लंड की जरूरत है.
खैर … एक दिन लखनऊ यूनिवर्सिटी के पास ही मैंने उसको एक लड़के के साथ देखा … जो बिल्कुल घोंचू सा था. वो एक काले रंग का मरियल सा लौंडा था. पर उन दोनों के बैठने के ढंग से लग रहा था कि वो दोनों रिलेशन में हैं.
उसने भी अचानक तब मुझको देखा, जब मैं ब्रिज पार करके उतर रहा था. जैसे ही उसने मुझे देखा, तो उसके चेहरे का रंग मानो उड़ गया था. वो घबराई हुई सी लगने लगी थी. पर मैंने उसको एक बार देख कर नजरअंदाज कर दिया और वहां से चला आया.
मेरी दुकान में दोपहर दो बजे से तीन बजे तक सभी कर्मचारियों की खाना खाने की छुट्टी रहती है. उस समय कोई भी कर्मचारी अपने पर्सनल काम करने के लिए फ्री रहते थे. उस वक़्त मैं ज्यादतर अकेला ही दुकान में रहता हूं. इसके बाद मेरी दुकान करीब रात 11 बजे तक खुली रहती है.
करीब रात को 9 बजे वो मेरी दुकान में आई. रात को भी 8 बजे के बाद मैं अकेला ही दुकान में रहता हूं. मेरा खाना भी घर से इसी समय आता है.
वो मेरी दुकान से सामान लेकर कुछ देर रुकी रही. मैं समझ गया कि वो दिन के बारे में बात करना चाहती है, तो मैंने ही शुरूआत कर दी.
मैं- क्या तुमको सुबह की बात को लेकर कुछ कहना है?
मीता- सॉरी वो बहुत ज़िद कर रहा था तो क्लास बंक करके मैं उसके साथ चली गई थी.
मैं- कोई बात नहीं, पर लड़का तो अच्छा सा ढूंढ लेती.
मीता- मतलब?
मैं- मेरा मतलब तुम इतनी सुन्दर हो और तुम्हारा दोस्त तुम्हारे सामने कुछ भी नहीं है.
मीता- आपको मैं सुन्दर लगती हूँ?
मैं- हां.
मीता- अच्छा किस तरफ से?
मैं- हर तरफ से … ऊपर से नीचे तक तुम बहुत ही सुन्दर हो.
मीता- थैंक्स … आप किसी को बोलोगे तो नहीं ना!
मैं- नहीं … इस उम्र में ऐसा होता है. और तुम सिर्फ होटल में बैठी थीं … कुछ और तो नहीं करने गई थी ना!
मीता- नहीं, मैं उससे सिर्फ बात करने गई थी … थैंक्स.
इस बातचीत के बाद मेरी और मीता की बातें कुछ ज्यादा बढ़ गई थीं. वो अब मुझसे कई तरह की बात करने लगी थी और अपनी और उस लड़के की मुलाकात के बारे में और उस लड़के के बारे में भी बताने लगी थी.
ऐसे एक दिन में की दोपहर में वो कुछ सामान लेने आई. तब गर्मी की वजह से रोड में और दुकान में सन्नाटा था. मेरी दुकान में AC लगा था, तो काफी ठंडक थी.
मीता- आपकी दुकान तो बिल्कुल ठंडी है.
मैं- मेरी दुकान ही ठंडी है … मैं नहीं.
मैंने भी थोड़ा फ्लर्ट करने की सोच कर बोला.
मीता- मतलब!
मैं- कुछ नहीं … तुम बताओ, पढ़ाई कैसी चल रही है?
मीता- ठीक बिल्कुल अच्छी.
मैं- और तुम्हारा वो फ्रेंड … कहां तक बात पहुंची!
मीता- कुछ खास नहीं.
मैं- क्यों क्या हुआ … वो कुछ करता नहीं कर दिया … या रोमांटिक नहीं है वो!
मीता- नहीं … वैसी बात नहीं है.
मैं- मतलब उसने तुमको किस किया ना!
इस पर मीता बहुत धीरे से बोली- हां!
मैं- क्यों तुमको अच्छा नहीं लगा क्या?
मैं समझ गया कि लड़की जवान हो गई है और इसको एक लंड की जरूरत है. पर लखनऊ जैसे शहर में होटल में जाना रिस्क का काम था … कोई भी देख सकता था, जैसे मैंने देख लिया था.
मीता- नहीं, वो बात नहीं है. बस डर लगता है कि कोई देख ना ले.
मैं- क्या उसके पास रूम वगैरह नहीं है?
मीता- नहीं नहीं … मैं उसके रूम में नहीं जाऊंगी.
मैं- क्यों?
मीता- मुझे डर लगता है. कहीं कुछ उल्टा सीधा हो गया तो … और मुझे अभी तक उस पर विश्वास भी नहीं हो पाया है.
मैं- हम्म …
मैं समझ गया कि लड़की चुदना चाहती है, पर इसे लड़के पर विश्वास नहीं है और इसे डर भी लग रहा है.
मैं- मैं तुम्हारी मदद करूं क्या?
मीता- आप और मदद कैसी मदद? और आप क्यों करोगे मदद?
मैं- देखो, तुम मेरी अच्छी कस्टमर हो और फिर मेरी दोस्त जैसी भी हो … और मैं तुम्हारे राज को राज भी रखता हूँ. फिर तुमको मुझसे कोई डर भी नहीं होगा.
मीता- ठीक है, पर आप क्या मदद करोगे?
मैं- यदि तुम चाहो, तो मैं तुम दोनों के लिए एकांत की व्यवस्था कर सकता हूं.
मीता- पर आप?
मैं बीच में ही बोल पड़ा- देखो इस उम्र में नए नए अनुभवों को लेने का मन करता है. मैंने भी तुम्हारी उम्र में मौज मस्ती की है, सो इसमें कोई बुराई नहीं है. पर मुझे नहीं लगता कि वो दोस्त तुमको कुछ खास ज्यादा तुमको एक्सपीरियंस दे पाएगा.
मीता- आप ऐसा क्यों कह रहे हो?
मैं- तुम वो सब छोड़ो, तुम ये बताओ कि तुमको मदद चाहिए या नहीं. मेरा मक़ान कल से एक महीने के लिए खाली है. मेरी पत्नी बेटे के साथ अपनी मायके जा रही है. तुम चाहो तो वीकली ऑफ वाले दिन तुम मेरे घर आ सकती हो.
यहां मैं बता दूं कि मेरा घर विराज खंड गोमती नगर के एक कोने में है. अभी मेरे घर के आस-पास सिर्फ तीन मक़ान हैं … सो किसी के आने-जाने पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं देता.
मीता- पर आप तो रहोगे ना!
मैं- हां, पर मैं दूसरे कमरे में रहूंगा. तुम रूम लॉक कर लेना. मेरे रहने से तुम दोनों पर कोई शक भी नहीं करेगा और तुम सेफ भी रहोगी.
मीता- हम्म … पर …
मैं- देखो … मुझे पता है कि तुम मेरे घर क्यों आ रही हो … और वहां क्या करोगी. पर ये बात मेरे और तुम्हारे बीच रहेगी, सो तुम इस बात को लेकर हमेशा बेफिक्र रहना कि तुम्हारा राज हम दोनों का राज रहेगा.
मीता- आपको बुरा नहीं लगेगा.
मैं- मुझे बुरा क्यों लगेगा. अब तुम मेरे जैसे अपने से दस साल बड़े इंसान के साथ तो वो सब करोगी नहीं … तुमको अपनी ही उम्र के साथ वाले के साथ करना है, सो मुझे कुछ बुरा नहीं लगेगा.
अब तक हम दोनों ही समझ चुके थे कि मैं उसको सेक्स की मौज मस्ती के लिए अपना घर उसको दे रहा हूं.
मीता- ओह्ह … बहुत देर हो गई. … अब मैं चलती हूँ.
मैं- ये मेरा मोबाइल नंबर है … कोई बात हो, तो बात कर लेना.
ये कह कर मैंने उसको एक कागज पर मोबाइल नंबर दे दिया.
मीता के जाने के मैंने सोचा कि दाना तो डाल दिया है, अब इसको खिलाया कैसे जाए. क्योंकि ये मुझे समझ ही गया था कि मीता की चूत बहुत गर्म हो रही है और ऐसी गर्म चूत को वो मरियल सा लड़का सम्भाल नहीं सकता … जल्दी ही ढेर हो जाएगा.
अगली सुबह मेरा परिवार मेरी ससुराल चला गया था. अब मैं अकेला था.
तभी मीता का फ़ोन आया- आप कहां हो?
मैं- मैं घर पर ही हूं, बाइक की चाभी नहीं मिल रही है … तो लेट हो गया.
मीता- ओह्ह … मैं आ जाऊं आपको लेने!
मैं- आ जाओ, यदि तुमको कोई दिक्कत ना हो.
मीता- ओके … मैं बस आ रही हूं.
मैंने उसको घर की लोकेशन समझाई और उसका इंतज़ार करने लगा. थोड़ी ही देर में मीता आ गई.
मैं- हैलो.
मीता- हैलो … चलें?
मीता ने आज ब्लैक जींस और एक पीले रंग की टाइट सी शर्ट पहनी थी. उसकी ब्रा की लाइन बाहर से ही साफ नजर आ रही थी. टाईट जींस में उसकी गांड भी मस्त लग रही थी.
मैं- अरे अन्दर तो आओ. … पहली बार आई हो, कुछ पी कर तो जाओ … बाहर बहुत धूप भी है.
मीता जब अन्दर आई, तो मैंने तेज डीओ की महक महसूस की. मैंने उसको जूस दिया और अपना घर दिखाने लगा.
मैं उसको बच्चों का कमरा दिखा कर बोला- ये कमरा मैंने तुम्हारे लिए बुक कर दिया है. तुम जब चाहो, आ सकती हो. इस कमरे सब कुछ है. … तुम जैसे चाहो एन्जॉय कर सकती हो. तुम्हें कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा.
मीता- मैं अभी वर्जिन हूँ, आपको लगता है कि मुझे ये सब अभी इस उम्र में एन्जॉय करना चाहिए?
मैं- देखो यदि तुमको लगता है कि तुमको सेक्स की जरूरत है, तो जरूर करो. हां अगर कोई डर है तो अलग बात है.
मैंने आज जानबूझ कर मीता से बात कहते हुए सेक्स शब्द का इस्तेमाल किया था. ये उसको ओपन करने के लिए मेरा सोच था.
मीता चौंक कर बोली- सेक्स..!
फिर कुछ रुक कर वो बोली- मेरा तो मन करता है … पर डर लगता है कि कुछ गड़बड़ ना हो जाए.
एक बात जरूर समझ में आई कि मीता सेक्स की बात पर कहीं से शर्मा नहीं रही थी. इस बात से ये तो मुझे समझ में आ रहा था कि उसको एक अदद लंड की कितनी जरूरत है.
मैं- देखो, वर्जिन गर्ल को पहली बार में तो दर्द होता है … पर बाद में सब ठीक हो जाता है. अब ये सब तुम्हारे दोस्त पर निर्भर है कि वो तुम्हारे साथ कैसे सेक्स करता है. हां कोई गड़बड़ न हो, इसके लिए सेक्स करते समय कंडोम जरूर यूज करना.
अब मैं खुल कर सब बात करने लगा था. मेरी कोशिश थी कि वो मुझसे खुल जाए और मेरी कोशिश कामयाब भी रही. मीता मुझसे सेक्स के विषय में बात करने लगी थी.
मीता- बहुत दर्द होता है क्या. … वो लड़का मुझे धोखा तो नहीं देगा … या मेरे साथ बाद में ब्लैकमेल तो नहीं करेगा … या फिर मुझे अपने दोस्तों में या कॉलेज में बदनाम तो नहीं करेगा? जैसा कि लड़कों की आदत होती है, वो अपने दोस्तों में डींग मारते हुए सब खोल देता है.
मैं- हां दर्द तो होता है … पर सेक्स को आराम से किया जाए, तो दर्द बहुत कम होता है. रही बात उस लड़के की कि धोखा देगा या नहीं … मुझे नहीं पता. पर ब्लैकमेल नहीं कर पाएगा. ये मैं कह सकता हूं. क्या उसका भी पहली बार है?
मीता- हां
मैं- उसने कभी किस करते हुए तुम्हारी चूची दबाई है और तुमने उसका लंड पकड़ा है?
मैंने जानबूझ कर एक कदम आगे जाकर लंड चूची जैसे शब्द बोले. मुझे देखना था कि मीता कैसे रियेक्ट करती है. मीता ये सब सुन कर मेरी तरफ से आंखें चुराने लगी. उसका मुँह शर्म लाल हो गया था. वो बहुत देर तक कुछ नहीं बोली.
फिर मैंने बोला- मीता बोलो न … क्या तुमने उसका लंड देखा है? या उसने तुम्हारी चूचियों को दबाया है?
मीता फिर भी चुप रही. फिर उसने मेरी तरफ देखा और शरमाते हुए बोली- हां उसने मेरे दबाए है, पर मैंने उसका न ही देखा है … न छुआ है.
मैं- जब उसने पहली बार तुम्हारी चूची छुई थी, तो तुमको कैसा लगा था?
मीता- बहुत अजीब सा लगा था … पर अच्छा भी लगा था. एक सिहरन सी हो रही थी. कई दिन तक ऐसा लगता रहा था कि उसका हाथ मेरे उसको छू रहे हैं.
मैं- उसको किसको?
मीता- अरे आप समझो न … क्यों आप परेशान कर रहे हो, जैसे आपको पता नहीं है.
मैं- देखो मीता ये सब शब्द सेक्स के आनन्द को दुगना कर देते हैं. सो शरमाओगी तो दोस्त के साथ मज़ा कैसे लोगी. हम दोनों को पता है कि तुम मेरे घर में क्या करना चाहती हो. अब तो वैसे भी मैं तुम्हारा राज जानने वाला दोस्त बन गया हूं, सो अगर मुझसे फ्री हो कर बात नहीं करोगी, तो फिर सेक्स कैसे करोगी.
मीता फिर भी चुप रही. मैंने उसका हाथ पकड़ कर पूछा- डर लग रहा है क्या?
जैसे ही उसका हाथ पकड़ा … मेरे लंड में तीखा करेंट दौड़ गया. मीता के बदन की सिरहन और कंपकंपाहट भी मुझे तुरंत महसूस हो गई.
मीता- हां.
मैं- किससे … दोस्त से या सेक्स से या मुझसे!
मीता- दोस्त से … मुझे उस पर विश्वास नहीं हो रहा है. मैं बहुत कंफ्यूज हूँ.
मैं- तो उसके साथ मत करो.
मीता- फिर किसके साथ करूं?
मैं- हूँ … तुम मुझे एक बात बताओ कि क्या तुम्हारा मन सेक्स करने का है … और तुम कितना डिस्प्रेट (बेताब) हो सेक्स के लिए?
मीता- मेरा सेक्स करने का बहुत मन है. मैं रात भर सो नहीं पाती, पर किसके साथ करूं … मुझे ये समझ में नहीं आता. मुझे कॉलेज के लड़कों पर भरोसा नहीं है.
मैं- एक बात बोलूं … तुम मेरे साथ सेक्स कर लो. तुमको कभी भी किसी भी बात का डर नहीं रहेगा … और मैं तुमको कभी नुकसान भी नहीं पहुंचाऊंगा.
मीता- आपके साथ?
मैंने सीधे सीधे उससे चुदाई की बात कह तो दी थी. मगर मेरी गांड फट रही थी कि लौंडिया उखड़ न जाए. अब कह तो दिया ही था, जो होना होगा सो देखा जाएगा.
उससे चुदाई की बात कहने के बाद क्या होता है, ये आप इस सेक्स कहानी के अगले भाग में जानेंगे.
आप मुझे मेल करने के लिए राहुल जी की मेल आईडी पर मेल कर सकते हैं.
[email protected]
वर्जिन गर्ल की सेक्स कहानी जारी है.