बॉस की बीवी की चूत चोदी
पढ़ी थी. यह चूत चोदने की कहानी उस कहानी से भी ज्यादा मजेदार होने वाली है. इस कहानी की पात्र दीप्ति मेरी ही हमउम्र है और वह मेरे घर के बगल वाले घर में रहती है.
शुरूआत में तो हम दोनों की काफी लड़ाई होती थी मगर यह लड़ाई धीरे धीरे चुदाई में कब बदल गई मुझे कुछ पता नहीं चला. अब हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं और हम दोनों की ये रासलीला काफी समय से चल रही है.
इस कहानी में मैं आपको हमारी चुदाई की शुरूआत के बारे में ही बताने वाला हूं. मगर उससे पहले मैं आपको दीप्ति के बारे में बता देता हूं. वो देखने में काफी गोरी है और उसके होंठ एकदम से गुलाबी हैं, जैसे गुलाब की पंखुड़ियां हों.
देखने में कैटरीना कैफ की तरह दिखती है वो. उसका फीगर करीब 34-28-32 का होगा और बदन ऐसा चिकना कि जिसकी नजर भी पड़े उसी की नजर फिसल जाये. चूंकि वह मेरे साथ ही पढ़ रही थी इसलिए हम दोनों एक दूसरे को पहले से जानते थे. लेकिन उस वक्त हमारे बीच में बहुत लड़ाई होती थी.
फिर जब हम कॉलेज के दिनों में आए तो थोड़े समझदार हो गये थे. हमारे बीच में अब लड़ाई कम हो गई थी. उन दिनों दीप्ति की जवानी कली से फूल बनने की तरफ अग्रसर हो रही थी. उसकी चूचियां अब उसके कमीज में अलग से उभर कर अपना आकार बयां करने लगी थीं.
मैंने उसको कभी सेक्स या चूत चुदाई की नजर से नहीं देखा था मगर फिर भी उसके बदन में एक आकर्षण अब मुझे नजर आने लगा था. हालांकि हम दोनों एक दूसरे को स्कूल के समय से ही जानते थे मगर चूंकि अब मैं भी जवान था और वो भी जवान हो रही थी तो इसलिए इन सब बातों की तरफ अनायास ही मेरा ध्यान चला जाता था.
दीप्ति की गांड उसकी पजामी में कई बार ऐसी मस्त लगती थी कि अचंभित हो जाता था. देखते-देखते ही वो पटाखा बनती जा रही थी. मेरे मन में हवस के चलते ये सब ख्याल नहीं आ रहे थे. हम दोनों सिर्फ अच्छे सहपाठी थे और अक्सर पढ़ाई के बारे में बातें किया करते थे. मगर सेक्स जैसी कोई बात अभी तक हमारे बीच में नहीं थी.
हम दोनों के घर की छत एक दूसरे से सटी हुई थी. गर्मियों की रात में घर परिवार वाले ऊपर ही सोते थे. मगर कई बार जब मौसम खराब होता था तो घर वाले नीचे सो जाते थे मगर दीप्ति और मैं ऊपर ही सोते थे. हम दोनों को ठंडी हवाओं का सुहावनापन बहुत पसंद था.
ऐसे ही एक बार दोनों साथ में बातें कर रहे थे और हमारा किसी बात को लेकर आपस में झगड़ा हो गया. मैंने उससे बात करना बंद कर दिया था. एक दो दिन तक तो उसने भी मुझसे बात नहीं की. मगर आप लोग तो जानते ही हो कि लड़कियों को बात किये बिना खाना हजम नहीं होता है.
दो दिन की नाराजगी के बाद वो बोर होने लगी और फिर मुझे मनाने लगी. इस दौरान वो मुझे कंधे और पेट पर छूकर मनाने की कोशिश करती थी. कभी मेरा हाथ पकड़ लेती थी. अनजाने में ही सही लेकिन मेरे अंदर एक अजीब सी फीलिंग आ जाती थी.
कई बार जब वो मुझे छेड़ती थी तो मेरे लंड से प्रीकम अपने आप निकलना शुरू हो जाता था. ऐसे ही करते-करते मेरे मन में उसके लिए सेक्स के ख्याल भी आने लगे. मगर अभी तक मैंने उसको ये बात जाहिर नहीं होने दी थी.
उसने मुझे मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन मैं अभी भी जिद पर अड़ा हुआ था. मैं नहीं मान रहा था. दरअसल मैं देखना चाह रहा था कि जो आग मेरे अंदर लगी हुई है, क्या वो आग उसके अंदर भी लगी हुई है या नहीं?
दीप्ति जिस तरीके से मुझे छेड़ती थी उससे मुझे थोड़ा विश्वास तो होने लगा था कि शायद उसके अंदर भी वही भावनाएं जन्म ले चुकी हैं जो मेरे अंदर हैं. कई बार वो मेरे हाथ को पकड़ कर सहला देती थी. मेरी उंगलियों को अपनी उंगलियों में फंसा देती थी.
मेरा लंड अब मेरी जवान पड़ोसन के स्पर्श को पाते ही तन जाता था लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल करके रखा हुआ था.
एक दिन मैं छत पर लेटा हुआ था. दीप्ति अभी तक नहीं आई थी. मैं ऐसे ही सोच विचार कर रहा था. मुझे कब नींद लगी मुझे पता नहीं चला. कुछ देर के बाद मुझे दीप्ति के कदमों की आहट सुनाई दी.
छत पर अंधेरा था मगर फिर भी मैं उसके कदमों की आहट को पहचान लेता था. मेरी नींद तो खुल गई थी मगर मैं अभी भी आंख बंद करके लेटा हुआ था. वो आकर मुझे जगाने लगी. उसको लगा कि मैं सो गया हूं. वो मुझे उठाने लगी. उसने मेरी छाती पर हाथ रखा तो मुझे करंट सा लगा.
उसके कोमल हाथों के स्पर्श से ही मेरा लंड तनाव में आ गया. मगर मैंने आंखें बंद ही रखीं. पजामा पहना हुआ था इसलिए लंड के तनाव का आभास नहीं हो पा रहा होगा उसको. फिर उसने मेरे गालों को छेड़ते हुए मुझे जगाने की कोशिश की.
कई बार आवाज देने के बाद भी जब मैंने कोई हरकत नहीं की तो वो मेरे साथ ही लेट गयी. उसके लेटने के बाद मैंने हल्के से आंख खोल कर देखा तो उसने मेरी तरफ पीठ की हुई थी. उसने अपना नाइट सूट पहना हुआ था जिसकी कुर्ती उसकी कमर के ऊपर तक आ गयी थी.
आस-पास की लाइटों की चमक में उसका गोरा बदन दूध के जैसा दिख रहा था कुर्ती के अंदर. मेरा लंड तो पहले से ही तना हुआ था. बार-बार झटके दे रहा था. मैंने लंड को सहलाया तो हवस और भड़क गई. मैं बार-बार दीप्ति की चिकनी कमर को देख कर लंड पर हाथ फिरा रहा था.
कुछ देर के बाद जब मेरी हवस बेकाबू हो गई तो मैंने उसकी तरफ करवट लेते हुए उसकी कमर में हाथ डाल दिया. मैंने यह सब इस तरीके से किया कि जैसे मैंने नींद में किया हो. मैं नहीं चाहता था कि उसको मेरे मंसूबों के बारे में पता चले.
जब मैं उसकी तरफ करवट करके लेट गया तो शायद उसकी आंख खुल गई थी. लेकिन वो लेटी रही. मुझे लगा कि वो सो चुकी है. मैंने अपना हाथ उसकी चिकनी कमर पर फिराना शुरू कर दिया. वो कोई हरकत नहीं कर रही थी.
उसको भी ये सब शायद अच्छा लग रहा था. जब मैंने हाथ फिराना जारी रखा तो वो पलटते हुए मेरी तरफ मुंह करके लेट गयी. एकदम से उसने मेरी तरफ मुंह किया तो मेरी खुली हुई आंखें उसने देख लीं और उसको पता लग गया कि मैं पूरे होश में ये सब कर रहा हूं.
मुझे जागा हुआ देख कर वो सुबकने लगी. मैं हैरान था. इससे पहले कि मैं कुछ समझता या पूछता, उससे पहले ही उसने कह दिया- जय, तुम मुझसे ऐसे नाराज मत हुआ करो. इतने दिन से तुम बात भी नहीं कर रहे थे. मुझे बहुत बुरा लग रहा था.
इतना कहते हुए उसने मेरे गाल पर किस कर दिया. मैं कुछ करता इससे पहले ही उसने मेरे होंठों पर अपने होंठों को रखते हुए मुझे प्यार से कस कर एक चुम्बन कर दिया. मैं तो झन्ना गया. समझ नहीं पा रहा था कि ये सब इतनी जल्दी कैसे हो रहा है!
अब मैंने भी उसके आंसू पौंछे और उसके गालों को सहलाते हुए उसके होंठों से अपने होंठों को मिला दिया. हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे और एक दूसरे में खोने लगे. हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों को ऐसे चूस रहे थे जैसे होंठों के रस से हम एक दूसरे की प्यास बुझाना चाह रहे हों.
वो भी उतनी ही प्यासी लग रही थी जितना कि मैं. मैंने उसको बांहों में भर लिया और उसको अपने आगोश में लेते हुए अपने जिस्म से चिपका कर उसके होंठों को जोर से चूसने लगा. मेरा लंड एकदम से फनफना उठा था.
अब हवस की आग दोनों के अंदर ही जल उठी थी. मैंने उसकी कुर्ती में हाथ डाल कर सीधा उसकी चूचियों को पकड़ लिया. मैं उसकी एक चूची को दबाने लगा. मेरी पड़ोसन की मस्त मुलायम और नर्म चूचियां दबाने में मुझे अलग ही आनंद आ रहा था.
मैंने उसकी चूची को जोर से दबाना शुरू कर दिया. मेरा लंड उसकी जांघ में छेद करने के लिए मचल रहा था. मैं अपने लंड को बार-बार उसकी जांघ पर घिस रहा था. फिर मैंने उसको सीधी कर दिया और उसकी दोनों को चूचियों को अपने हाथों में भर लिया.
अब मेरे हाथ दीप्ति की दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर से दबा रहे थे. उसने नीचे ब्रा पहनी हुई थी. मगर जोश इतना था कि मैंने ब्रा को निकालने की जहमत भी नहीं उठाई. कुछ देर तक मैं उसकी चूचियों को मसलता रहा. उसके बाद मैंने उसकी कुर्ती को निकलवा दिया.
कुर्ती को निकलवाने के बाद मैंने उसको दूसरी तरफ पलट दिया और उसकी ब्रा के हुक को टटोलते हुए उनको खोलने लगा. मिनट भर के अंदर ही उसकी ब्रा को मैंने खोल लिया और उसकी ब्रा को उसकी छाती से अलग कर दिया.
फिर उसको मैंने अपनी तरफ घुमाया तो देखा कि उसकी गोरी-गोरी दूध जैसी सफेद चूचियां रात की रोशनी में चमक उठी थीं. मैंने उसकी चूचियों को नंगी करने के बाद अपने हाथ में भर कर खूब जोर से भींचा तो उसके मुंह से कराहना सी निकल गई.
अब मेरा जोश सातवें आसमान पर था. मैंने उसकी चूचियों पर अपने होंठों को रखा और बारी-बारी से उसके दूधों को पीने लगा. वो भी बिना किसी विरोध के मुझे स्तनपान करवा रही थी जैसे कि मैं कोई दूध पीता हुआ बच्चा हूं. उसके हाथ मेरे सिर के बालों को सहला रहे थे.
मैं अब उसके ऊपर आ गया था और वो नीचे थी. मेरा हाथ उसकी लोअर की तरफ बढ़ने लगा. मैंने उसकी लोअर की इलास्टिक में हाथ डाल कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को छूकर देखा तो उसकी चूत का स्पर्श पाते ही मैंने चूचियों का मोह छोड़ दिया. अब मेरा सारा ध्यान उसकी चूत की तरफ चला गया.
चूचियों को चूसते हुए मैंने उसकी पैन्टी को रगड़ना शुरू किया तो पाया कि उसकी चूत के कामरस ने उसकी पैन्टी को भिगो दिया था. छत पर अंधेरा था जिसके कारण हम दोनों इस रासलीला का पूरा मजा नहीं ले पा रहे थे.
पूरा मजा लेने के लिए मैंने दीप्ति को अपनी गोद में उठाया और उसको छत वाले कमरे में लेकर चला गया. मैंने अन्दर जाकर कमरे को पहले अन्दर से बन्द किया और फिर लाइट जला कर दीप्ति को बेड पर लेटा दिया.
मेरा लंड मेरे पजामे में तंबू बना रहा था. उससे जो प्रीकम निकल रहा था उसने मेरे अंडरवियर को भिगोने के बाद मेरे पजामे पर भी अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी थी. मैंने दीप्ति को बेड पर लेटा दिया और उसको ध्यान से देखने लगा.
अपनी जवान पड़ोसन की नंगी चूचियां मैंने पहली बार देखी थीं. मैं उस पर टूट पड़ा. उसकी नंगी चूचियों को अपने हाथों में दबाते हुए उसके निप्पलों को मुंह में लेकर काटने लगा. दीप्ति के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं.
उसकी चूचियां लाइट की रोशनी में अब बिल्कुल गोरी और सफेद दिख रही थीं. उसके निप्पल हल्के भूरे रंग के थे. मैं कई मिनट तक उसकी चूचियों को पीता रहा तो वो कहने लगी कि तुमने तो कपड़े उतारे ही नहीं.
मैंने कहा- तुम खुद ही उतार दो.
दीप्ति ने मेरे कुर्ते के बटन खोले और मैंने हाथ ऊपर कर दिये तो उसने मेरे कुर्ते को निकाल दिया. फिर उसने मेरे बनियान को भी निकाल दिया. वो मेरी छाती को चूमने लगी. मेरे निप्पलों को चूसने लगी. मुझे अजब सा मजा आ रहा था.
फिर उसने मुझे नीचे लिटा दिया और मेरे पजामे को खोलने लगी. उसने मेरे पजामे को निकलवा दिया. मेरे लंड ने मेरे अंडरवियर को गीला कर रखा था. उसने मेरे अंडरवियर को भी निकलवा दिया. मेरे लंड का टोपा प्रीकम से भीग चुका था.
उसने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया. मेरे लंड में झनझनाहट सी होने लगी. शायद उसको लंड हाथ में लेने में मजा आ रहा था. वो मेरे लंड के साथ खेलने लगी. उसने किसी मर्द के लंड को पहली बार हाथ में लिया था. कुछ देर तक वो मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर उसका नाप लेती रही. मेरा लंड काफी बड़ा था.
फिर जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने दीप्ति को दोबारा से नीचे लिटा दिया. उसकी लोअर को खींच कर उसकी जांघों को नंगी कर दिया. उसकी चूत पर जो पैन्टी थी वो उसकी चूत के प्रीकम से भीग चुकी थी. मैंने उसकी चूत को सूंघ कर देखा तो उसकी चूत से मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी.
दीप्ति की चूत से मैंने पैन्टी को हटा दिया. जब उसकी चूत को नंगी किया तो मैं देखता ही रह गया. उसकी चूत एकदम से गुलाबी पंखुड़ियों वाली थी. ऐसी चूत मैंने पोर्न फिल्मों में अंग्रेजन लड़कियों की ही देखी थी. उसकी चूत को देख कर मैं पागल हो उठा.
मेरी पड़ोसन की चिकनी चूत पर एक भी बाल नहीं था. दीप्ति की नजर मेरे लंड पर थी और मेरी नजर उसकी चूत से नहीं हट रही थी. हम दोनों ने पहली बार एक दूसरे को इस तरह से नंगे देखा था.
दोनों ने ही एक दूसरे को बांहों में भर लिया. हमारे जिस्म एक दूसरे जिस्मों में आग लगाने लगे. मैंने उसकी टांगों को फैलाया और उसकी चूत पर अपने होंठों को रख दिया. उसकी चूत की मनमोहक खुशबू में मैं खो गया.
मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. उसकी चूत इतनी चिकनी थी कि लग रहा था कि वो सिर्फ चाटने के लिए ही बनी है. मैंने उसकी चूत में जीभ देकर उसको चाटना शुरू कर दिया और वो तड़पने लगी. आह्ह … जय … इस्स … अम्म … आह्ह … जय … बहुत मजा आ रहा है.
कुछ देर तक उसकी चूत को चाटने के बाद मैं घूम गया और उसके मुंह के करीब लंड को ले गया. उसने बिना कहे ही मेरे लंड को मुंह में ले लिया. हम दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरे के सेक्स अंगों के साथ मजा लेने लगे.
कुछ देर में ही दीप्ति की चूत से पानी छूट गया और मैंने उसकी चूत का पानी पीना शुरू कर दिया. उसकी चूत का पानी इतना मजेदार था कि मन कर रहा था इसको दिन-रात पीता ही रहूं.
अब न तो मुझसे बर्दाश्त हो रहा था और न ही उससे. मैंने उसकी टांगों को चौड़ी किया और उसकी लार लगा लंड उसकी चूत पर रख दिया. मैंने एक जोरदार झटका मारा और उसकी चूत में आधा लंड घुसा दिया. वो चीख पड़ी उम्म्ह… अहह… हय… याह… मगर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया.
उसको दर्द हो रहा था इसलिए वो लंड को वापस बाहर निकालने के लिए कहने लगी. उसकी चूत की सील शायद टूट गयी थी. उसकी चूत से खून निकल रहा था. मगर मैंने लंड को बाहर नहीं निकाला और उसकी चूत को चोदने लगा.
कुछ देर के बाद वो भी मेरा साथ देने लगी. मैं उसके गुलाबी होंठों को चूस रहा था. उसकी गुलाबी चूत को चोद रहा था. मैं भी ज्यादा देर तक उसकी टाइट चूत के सामने टिक नहीं पाया और पांच-सात मिनट की चुदाई के बाद ही मैंने दीप्ति की चूत में लंड का पानी छोड़ दिया.
मेरा लंड अभी भी मेरी नंगी पड़ोसन की चूत में ही था और मैं उसके ऊपर लेट कर हांफ रहा था. लंड को अंदर डाले हुए ही मैं उसकी चूचियों को फिर से पीने लगा.
मैंने उसके शरीर के एक-एक अंग को चाटा. फिर रात भर अलग-अलग पोजीशन में उसकी गुलाबी चूत की चुदाई की. रात भर हम दोनों नंगे ही पड़े रहे. इस तरह से हम दोनों की इस रासलीला की, चूत चोदने की कहानी की शुरूआत हुई.
आज भी हम दोनों को जब भी मौका मिलता है हम एक दूसरे के साथ मजे लेते हैं. मैं अपनी पड़ोसन की गुलाबी चूत की चुदाई का एक भी मौका हाथ से नहीं जाने देता हूं. वो भी मौका मिलते ही मेरे लंड को पकड़ लेती है.
दोस्तो, मेरी पड़ोसन की चूत चोदने की कहानी को मैंने आपके साथ साझा किया, उम्मीद है आपको मेरी सेक्स स्टोरी में मजा आया होगा. अगर आप अपने विचार मेरे साथ बांटना चाहते हैं तो मुझे नीचे दी गई ई-मेल आइडी पर मेल करें अथवा कहानी पर कमेंट भी कर सकते हैं.
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