क्या कहूं इसे प्यार या हवस-3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

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अभी तक मेरी मामी की सेक्स कहानी के पहले भाग में आपने पढ़ा कि मैं मामी के पीछे लेटा हुआ टीवी देख रहा था और ममी के कामुक बदना का मजा ले रहा था.

अब आगे:

अब मेरे रगड़ने में तेजी आने लगी क्योंकि ये मेरा पहला सेक्सुअल अनुभव था तो मेरा ज्यादा ही उत्तेजित होना लाजमी था। अब मैं अपना हाथ उनके बूब्स की ओर ले जाने लगा. जैसे ही मेरा हाथ उनके बूब्स पर लगा, मैंने उसे जोर से दबा दिया.

इससे पहले कि मैं और दबाता, उन्होंने मेरे हाथ को धकेल के हटा दिया। मेरी दुबारा कोशिश पर भी उन्होंने मुझे बूब्स दबाने नहीं दिए। मेरे धक्कों में तेजी आने लगी थी पर मैं बाकी लोगों के डर से थोड़ा कण्ट्रोल भी कर रहा था।

अब जबकि वो मुझे वक्ष पर हाथ नहीं रखने दे रही थी, मैंने थोड़ा सा नीचे होकर चादर के अंदर से ही उनकी साड़ी को ऊपर खींच दिया. इससे पहले वो कुछ समझती, उनकी साड़ी और पेटीकोट पीछे से कमर तक आ गए।

मामी ने अपने हाथ से मुझे रोकने की कोशिश की पर बुआ की नजर उन पर पड़ते ही वो संभल गयी और टीवी पर चल रही वीडियो की बातों में शामिल होने लगी।

यह देख मैं और भी कॉन्फिडेंट हो गया।
अब मैं थोड़ा पीछे हो गया तो मामी को थोड़ा सा सुकून मिला. यह मैं उनकी राहत भरी एक सांस से समझ गया था।

शायद मेरा ‘हो गया है’ यह सोच कर उन्होंने अपने हाथ पीछे कर के साड़ी नीचे करने की सोची. पर उन्हें क्या पता था कि मेरा सोचना कुछ और ही था. जैसे ही उन्होंने हाथ पीछे किया, मेरा नंगा लंड उनके हाथ से छू गया. मैंने पीछे होकर अपने लंड को बाहर निकाल दिया था।

उन्होंने झटके से मेरी तरफ देखा. पर मैं तो वासना से इतना गर्म हो गया था कि मेरा लाल चेहरा ही उन्हें दिखा।
उनकी आँखों में देखते हुए ही मैंने उनका हाथ पकड़ के अपने पूरे लंड पर रख दिया।

उनके हाथों के स्पर्श से मेरी आँखें बंद हो गयी. जब मैंने आँखें खोली तो देखा कि वो धीरे से दुबारा टीवी की ओर घूम रही हैं, उनका हाथ अभी तक मेरे लंड पे था। पर वो उसे पकड़ नहीं रही थी और मेरा हाथ उन्हें वहां से हटने भी नहीं दे रहा था।
उन्होंने हार मान कर हाथ हटाने की कोशिश बंद कर दी।

अब तक तो मेरा ‘हो’ जाना चाहिए था. पर शायद 1 घंटा भी नहीं हुआ था मुझे झड़े हुए … इसलिए मैं ‘पिच’ पे इतने मिनट तक टिका हुआ था।

मैंने अपने दूसरे हाथ को हटा के तकिया को मोड़ कर डबल कर के अपने सर के नीचे रख दिया। मामी ने भी ये महसूस कर लिया था तो उन्होंने थोड़ा उठने की कोशिश की पर मैंने अपने हाथ से नीचे दबा दिया।
मामी थोड़ा सा कसमसा के वैसे ही लेट गयी।

मैंने फ़ौरन से उनके लंड पर रखे हाथ को अब फ्री हुए हाथ से पकड़ लिया और अपना बायाँ हाथ उनकी नंगी जांघ पर रख दिया। मामी की सांस एक पल में बढ़ सी गयी। शायद उत्तेजना से या शायद डर से … या दोनों से।

मैं उनकी जांघ को ठीक पैंटी के नीचे गूंथ सा रहा था और उनकी हथेली को अपने पूरे लंड पर और टट्टों पर धीमे से फिरा रहा था. मेरे लंड ने प्रीकम छोड़ना चालू कर दिया था जिसे मैं उनकी पूरी हथेली को भीगा रहा था और उनकी हथेली मेरे पूरे 7.5 इंची डंडे को।

अब तक मामी ने लंड को पकड़ा नहीं था तो मैंने अपनी साँसें काबू में रख के धीरे से उनकी कान में कांपती आवाज़ में ‘प्लीज …’ कहा. इससे आगे मैं कुछ बोल ही नहीं पाया.
पर देखा कि उन्होंने एक सांस ऐसे छोड़ी कि जैसे कोई फैसला किया हो. और उस फैसले का रिजल्ट ये रहा कि मामी के हाथ ने मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़ लिया।

मेरे मुँह से एक साइलेंट आह निकली जो मामी के कानों तक ही पहुंच पायी।

अब मामी ने अपने हाथ को हिलाना शुरू किया। एक झटका देते ही वो रुक गयी और अपना हाथ हटा दिया. इसी एक पल में मेरे हाथ की पकड़ ढीली पड़ गयी थी तो उन्होंने अपना हाथ अपने आगे ले गयी।

मुझे बड़ा गुस्सा आया और मैंने उनकी जांघो को जोर से रगड़ना चालू कर दिया और अपने लंड को उनकी 34” की गांड में दबाने लगा जैसे पैंटी के साथ ही अंदर घुस जाऊं।

तभी मामी ने अपनी जांघों पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए अपनी जाँघें आगे की ओर करने की कोशिश की पर उल्टा ही हो गया और उनकी जाँघे खुल गयी और मेरा लंड उनकी बीच में घुस के सीधा उनकी चूत पर पैंटी के ऊपर से रगड़ने लगा।

मामी की भी सांस उखड़ गयी और मेरे मुँह से ‘मा…मी … आह्ह्ह्ह!’ की आवाज़ उनकी कान में चली गयी।
मैंने हल्के हाथ से उनकी पूरी जांघ और गांड की गोलाइयों को महसूस किया और अपना हाथ कमर से ले जाते हुए बूब्स से साइड पे फिराते हुए धीरे से उनकी बाँहों को सहलाते हुए उनकी कलाई को पकड़ कर धीरे से पीछे को लाना शुरू किया।

इस दौरान मैं अपने लंड को हल्के हल्के उनकी चूत पर रगड़ रहा था। मेरा पूरा लंड अब बहुत गर्म हो गया था, मैं अपने शरीर की गर्मी को खुद ही महसूस कर पा रहा था. ऐसे में कोई भी मुझे देखता तो उसे मेरी उत्तेजना का पूरा आभास हो ही जाता.

शायद मामी को यह समझ आ गया था इसीलिए इस बार उन्होंने हाथ छुड़ाने की ज्यादा कोशिश नहीं की जैसे कि मुझे झड़वा कर वो ये सब जल्द ही ख़त्म करना चाहती हों।
जब मैं उनकी कलाई पकड़ के पीछे लाया तो मैंने गौर किया कि इस बार उनके हाथ में कुछ अलग सा फील है.
मैंने ये सब दिमाग से निकाल कर ‘मुख्य’ काम पर ध्यान केन्द्रित किया। शायद यही इधर उधर की बातें जो दिमाग में आ रही थी, ये भी मुझे झड़ने से रोक पा रही थी. नहीं तो अब तक मेरा फव्वारा बन जाना था।

खैर, मैंने उनके हाथ को दुबारा अपने लंड पर रख लिया और अपने होंठों से उनके कान को हल्का सा चूस लिया। मेरी गर्म सांसें उनकी गर्दन और गालों पर पड़ रही थी मेरे होटों से ‘करो न मामी … अह्ह्ह!’ निकल गया.

उसी पल मामी ने अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ कर धीरे से जड़ से टोपे तक फिरा दिया। अब मैंने उनकी कलाई छोड़ कर उनकी गांड को पकड़ लिया और दो उंगली उनकी पैंटी के भीतर डाल दी। वो कुछ क्षण रुकी और फिर से मेरे पूरे लंड को झटके देने लगी और मैं भी कमर हिला हिला कर उनकी चूत पर रगड़ मारने लगा।

अब मामी की पैंटी भी गीली होनी शुरू हो गयी. शायद मेरा प्रीकम उसे गीला कर रहा था. पर मामी की साँसों के भारीपन और गति से मुझे अंदाजा हो गया कि वो भी पानी छोड़ने लग गयी हैं।
यह मेरे लिए बहुत ज्यादा था और मामी के अनुभवी हाथ कुछ ज्यादा ही तड़पा रहे थे और ऊपर से उनकी चूत की छुवन।

तभी मामी रुकी और मेरे पेट पर हाथ रख दिया.
इससे पहले कि मैं कुछ बोलूं … मामी ने मेड (मीनू) को आवाज़ देकर कॉफी लाने को बोल दिया।

मैं अचरज से मामी को देखने लगा तो मामी बोली- तुझे कुछ और चाहिए तो बोल?
अब मैं क्या बोलता कि मुझे अभी कुछ ‘और’ चाहिए।

मामी फिर से टीवी की ओर देखने लगी और मेरे लंड को दुबारा पकड़ के अपने अंगूठे से प्रीकम को रगड़ के पूरे लंड पर मलने लगी। ऐसे करते हुए मामी लंड को मुठिया रही थी और मैं दुबारा उनकी चूत पे छोटे छोटे पर तेज तेज धक्के मारने लगा.

अब तो उनकी चूत तो पूरी पनिया के उनकी पैंटी को पूरा गीला करने लगी.

तभी मेड आयी और 5 मग कॉफी के रख गयी और बोली- दीदी, हमें पता था कि आप लोग कॉफी मांगोगे, तो पहले ही बनाना शुरू कर ली थी.
और मुस्कुरा के चली गयी।

अब पूरे कमरे में कॉफी की महक उड़ने लगी और मैं अलग ही दुनिया में।
मम्मी और आंटी ने अपनी कॉफी पीनी शुरू भी कर दी थी.

और मैं ऐसे धक्के मारने लगा जैसे कि उनकी चूत को चोद रहा हूँ।

अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था और मामी भी ये समझ गयी थी और लंड को पूरा निचोड़ सी रही थी। मैंने धक्के लगाते हुए उनकी गांड को दबाया जो अब हर धक्के के साथ आगे पीछे हो रही थी।
मैं समझ गया कि अब मेरा काम होने वाला है, मैंने जल्दबाजी में अपना हाथ उनके पेट पर रख कर उन्हें थोड़ा पीछे खींचा और उनके कान में अपनी तेज साँसों को छोड़ने लगा। उनके गाल भी गर्म हो गए थे और वो एक टक टीवी को देख कर मेरा लंड हिला रही थी। मेरा सारा प्रीकम उनके हाथ में लग रहा था.

वो तो भला हो टीवी का … जिसकी आवाज़ से यहाँ से आने वाली पच पच की आवाज़ दब गयी थी।

अब मैंने पूरे जोश में अपने लंड से चूत रगड़ना चालू कर दिया और उसी जोश में उनके पेट पर रखा हाथ सीधे उनके बूब्स पर रख कर दबा दिया. मेरे इस हमले से जहाँ उनके मुँह से छोटी सी एक आह निकली, वहीं मेरे मुँह से छोटी छोटी कई आहें निकलने लगी और मैं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करता हुआ उनकी चूत के मुहाने पर पैंटी के ऊपर झड़ने लगा और इस अंतिम चरण में उनके बूब्स को पूरा पिचका लिया।

मामी मेरा हाथ हटाना चाह रही थी अपने दूसरे हाथ से … पर मुझे झड़ता हुआ महसूस करते ही उन्होंने अपना वो हाथ मेरे हाथ पर ही रख दिया। मेरे लंड से एक के बाद एक धार निकलना चालू हो गयी. 5-6 झटकों के बाद मामी ने लम्बी सांस ली और पलटने को हुई.

पर मैंने रोक लिया.
उन्होंने मुझे देखा, हमारी आँखें मिली और मेरे लंड से एक और पिचकारी निकली जो फिर से उनकी चूत पर लगी. हम दोनों ने एक हल्का से झटका ऊपर की ओर खाया पर हमारी नजरें मिली रही। मुझे पता था कि अभी मेरा ‘खेल’ खत्म नहीं हुआ है.

तभी मेरे ‘खजाने’ से उनके ‘खजाने’ पे एक और टक्कर हुई’ फिर वही … दोनों ने झटका खाया।
मामी अचम्भे से मुझे देखने लगी. तभी वो पलटी और वैसे ही लेटे लेटे टीवी को ओर देखने लगी और अपने हाथों से मेरे अंडे सहलाने लगी जैसे चेक कर रही हो कि कितना भरा पड़ा है और!

अभी मेरा हाथ उनके उरोज पर ही था जिसे मैंने दबाना चालू रखा और 1-1 सेकंड में अपनी धार छोड़ने लगा, हर पिचकारी पे मामी हल्का झटका खा रही थी.
मैंने करीब 10-11 और धार मारी तब जाकर मेरे अंडे खाली हुए और मामी अब भी मेरे अंडों को सहलाना चालू रखे हुए थी. जब उन्हें लग गया कि मैं खाली हो गया तो उन्होंने अपने हाथ को मेरे लंड पर दबा के बचा रस निकालने को नीचे से ऊपर की तरफ ले गयी.
कि तभी लास्ट और फाइनल धार निकली और साथ ही साथ उनकी सिसकारी।

मैं अब वैसे ही लेट गया. उन्होंने मेरे हाथ को अपने बूब्स के ऊपर से झटका दिया। उनका पूरा पिछवाड़ा मेरे वीर्य से गीला हो गया था तो वो कुछ देर वैसे ही रही और फिर उठ करके कॉफी लेकर पीने लगी।
भला हो इस कॉफी का … जिसकी महक ने हमारी महक को दबा दिया था।

मैं कुछ देर अभी हुए सेक्सी अनुभव में डूबा हुआ लेटा रहा फिर उठ कर बाथरूम में चला गया. वापस आकर मैंने अपनी कॉफ़ी पीना शुरू किया और धीरे से मामी की नंगी पीठ पे हाथ फिराने लगा कि तभी मामी झट से उठ कर बाहर चली गई.

मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैं कुछ मिनट बाद सारे मग लेकर बाहर आ गया. तभी मामी मुझे रसोई में मेड से बात करती दिखी. तो मैं भी वही आ गया और मग वाश बेसिन में रख दिए.

तभी मेड घर से बाहर की ओर निकल गयी। मामी को अकेली देख कर मैंने मामी को पीछे से पकड़ लिया और अपने हाथ उनके बूब्स कर रख के अपने आधे खड़े लंड को उनकी गांड पे चिपका लिया और उनके कान में बोला- ओह्ह मामी … आई लव यू!

मामी ने मुझे झटका दिया और पीछे मुड़ के एक जोर का थप्पड़ रसीद कर दिया।
मैं हैरत से उन्हें देखने लगा।

कहानी जारी रहेगी.
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