हाई फ्रेंड्स! मेरा नाम बिंदु है. आज फिर से मैं अपनी सेक्स कहानी लेकर आई हूं. मेरी पिछली कहानी
पडोसी से मिली चुदाई की मस्ती
विक्की जी ने लिखी थी. अब मैं अपनी कहानी खुद लिखूंगी.
जैसा कि आप लोग पिछली कहानी में पढ़ चुके हैं कि मैंने अपने पड़ोसी संतोष जी से खुल के ऐश की. अब मैं अपनी नए पड़ोसी के साथ की चुदाई की कहानी बता रही हूँ. ये मेरे जिंदगी का चौथा लंड था.
पति के टूर एंड ट्रेवल बिजिनेस होने के कारण मैं अकेली ही रहती थी. इसी बीच मैंने संतोष जी से खूब चुदाई करवाई. लेकिन फिर मेरी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया कि क्या बताऊँ.
संतोष जी को अपने गांव में कुछ काम होने के वजह से एक महीने के लिए जाना पड़ गया. सात दिन तो जैसे तैसे निकल गए, उसके बाद मेरी चूत और गांड लंड के लिए तड़फने लगी. पति से कुछ होता नहीं था. वो तो बस लंड चूत में डाल कर 4 से 5 मिनट चोद कर शांत हो कर सो जाते थे. फिर उनको अपने काम के वजह से काफी दिन के लिए बाहर भी जाना पड़ता था. इसी बीच वो भी 15 दिन के लिए बाहर चले गए. मैं रोज कभी चूत में खीरा या बैंगन डाल कर खुद को शांत करती, पर लंड की कमी खलती रहती.
मेरे पड़ोस में सुषमा रहती थी, उसको एक महीने पहले ही बेबी हुआ था. हम दोनों एक दूसरे के यहां आती जाती रहती थी. सुषमा ज्यादा सुंदर नहीं थी. वो मोटी थी. उनके पति का नाम शुभम था. उनसे भी मिलना जुलना लगा ही रहता. मेरे घर में बस मैं और मेरी एक साल की बेटी थी.
एक ऐसे ही मैं दिन का काम निपटा कर उसके घर गयी हुई थी. उसके बेड पर बैठ कर हम लोगों बातें कर रहे थे. मेरी बेटी मेरी गोद में ही थी.
सुषमा बोली- मैं अभी चाय बना के लाती हूँ, फिर हम दोनों बातें करेंगी.
वो किचन में चाय बनाने चली गयी. मैं वहीं बैठी रही. तभी मेरे पैर में कुछ चुभा, तो मैं नीचे झुकी. मैं पैर को झुक कर सहला रही थी, तो मेरी नजर बेड के नीचे पड़े कंडोम पे पड़ी. वो इस्तेमाल किया हुआ कंडोम था और उसमें वीर्य भी भरा हुआ था.
मेरी तो चूत में जैसे कुलबुलाहट शुरू हो गयी. मैंने सोची चलो सुषमा को छेड़ा जाए. मैंने वो कंडोम उठा लिया. उफ्फ … कंडोम को देख के लग रहा था कि लंड की साइज़ कम से कम 9 इंच से कम नहीं होगी. सुषमा सच में किस्मत वाली थी कि उसको इतना बड़ा लंड मिला.
मैं कंडोम ऐसे ही हाथ में लिए ले के किचन में चली गई.
सुषमा ने देखा तो वो बोली- ये क्या है?
मैंने हंसते हुए बाहर निकली. तभी शुभम जी हॉल में सोफे बैठे हुए थे और मैं वो कंडोम हाथ में हिलाते हुए जा रही थी. शुभम जी मुझे देख रहे थे.
जब मेरी नजर उनपे पड़ी, तो वो भी शर्मा गए और मैं भी. मैंने कंडोम को हाथों में छुपा लिया और फिर सुषमा के बेडरूम में चली गयी.
दो मिनट बाद सुषमा चाय ले के आयी. हम दोनों में कुछ देर बातें हुईं और मैं अपने घर चली आई. मैं वो कंडोम भी उठा लाई थी. मेरी चूत मानो लंड के लिए तड़पने लगी. तब मैंने सोचा क्यों न दूसरे लंड का जुगाड़ शुभम से ही कर लूं. उस रात को मैंने अपनी चूत में खीरा डाल कर अपने आप को शांत किया.
मैं दूसरे दिन सुषमा के घर गई, तो थोड़ा बन ठन कर गई, ताकि उसके पति की नजर मुझपे पड़े. मैं गहरे गले का ब्लाउज पहन कर गई थी ताकि शुभम की नजर मेरे चूचियों पर हो.
अब वो मेरी चूचियों को अच्छे से ताड़ने लगे थे. मेरी चूत भी अब लंड के लिए बेहद गर्म होकर मचलने लगी थी. इसलिए मुझे ही पहल करनी पड़ी.
एक दिन जब सुषमा के यहां शाम को घर गयी, तो शुभम भी वहीं थे. सुषमा किचन में कुछ काम के लिए गयी. शुभम जी अपनी बेबी के साथ सोफे पे बैठे हुए थे. मैं सोफे पे शुभम जी के सामने बैठ गयी. मैंने अपनी बेटी मैंने सोफे पे लिटाया और जानबूझ कर पल्लू गिरा दिया ताकि मामला अब आर या पार हो ही जाए.
मैं उनको देख कर मुस्कुरा दी, बदले में वो भी मुस्कुरा दिए. फिर उन्होंने आंख मारी … बदले में मैंने भी वही किया. मतलब बात पक्की हो गयी कि दोनों एक दूसरे को भोगना चाहते हैं. उन्होंने मुझसे मेरा नंबर मांगा. मैंने उन्हें अपना नंबर दे दिया. मुझे उसे पटाने में करीब 3 दिन लगे.
तभी सुषमा आ गयी, उससे कुछ देर बातें हुईं. फिर मैं घर चली आयी.
थोड़ी देर में एक कॉल आया. ये शुभम जी थे … उन्होंने कहा- यार मैं तुम्हें सच्चे दिल से चाहता हूँ, मेरी बीवी तुम्हारे सामने कुछ भी नहीं है.
वो पूरी तरह बहक कर बोले- आप मेरे साथ कभी समय बिताओ. आपका पति आपके साथ नहीं रहता. आप कैसे रात गुजारती होंगी. मुझे सेवा का मौका दीजिये.
मैंने भी साफ साफ कह दिया- आपको मैंने नंबर क्यों दिया.. क्या सिर्फ बात करने के लिए दिया?
कुछ देर ऐसे बात हुई, तो उन्होंने कहा कि तो आज रात मिलते हैं.
मैं बोली- कैसे? आपकी बीबी मिलने देगी क्या?
उन्होंने कहा- उसकी चिंता आप मत करो, मैं 11 बजे दरवाजे पे खड़ा रहूंगा. आप बस दरवाजा भर खोल देना.
मैं बोली- ठीक है देखती हूं.
मैं भी घर का सारा काम करके के खुद को तैयार करने लगी. मैंने सोचा कि सेक्स ही तो करना है, ज्यादा कपड़े पहन कर क्या करना. मैंने रेड कलर की नई ब्रा पैंटी पहन ली और ऊपर से नाईटी पहन ली.
रात को 11 बजे कॉल आया कि भाभी जी आप दरवाजा खोल के रखो, मैं आ रहा हूँ.
मैंने जैसे ही दरवाजा खोला, शुभम जी तुरंत अन्दर चले आए. फिर दरवाजा बंद कर दिया.
दरवाजे को बंद करते ही वो मुझ पर टूट पड़े. शुभम मेरे होंठों को चूसने लगे. चूचियों को दबाने लगे. उनका लौड़ा मेरे नाभि पर ठोकर मार रहा था. मैं उनका साथ देने लगी. पांच मिनट दरवाजे पर चूमा चाटी के बाद उन्होंने मुझे गोद में उठाया और सीधे बेडरूम में ले गए. वहां उन्होंने मेरी नाइटी को निकाल दिया और मेरी चूचियों को ऊपर से दबाने लगे. फिर मेरी ब्रा को एक झटके में उतार कर एक तरफ फेंक दिया. वो मेरी चूचियों को पीने लगे. मैं मस्ती के उफान में गोते लगाने लगी. मेरे मुँह से चुदास वासना से भरी सिसकारियां निकलने लगीं. मैं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करने लगी.
वो मेरी चूचियों को बहुत जोरों से निचोड़ निचोड़ कर मेरा दूध पी रहे थे. मैं अपने एक हाथ से उनके बाल सहला रही थी और दूसरे हाथ से उनके लंड को मुट्ठी में भर कर दबा रही थी.
फिर शुभम जी ने अचानक से मेरी पैंटी को एक झटके में उतार फेंका और मेरी चूत को चाटने लगे. वो अपनी जीभ मेरी चूत के छेद में घुसाते निकालते हुए मजा देने लगे. साथ ही अपनी एक उंगली से मेरी चुत की दाने को छेड़ते जा रहे थे.
‘उफ्फ हाय …’ मैं मचलने लगी. काफी दिनों के बाद किसी ने मेरी चूत को छुआ था. कुछ मिनट की चूत चुसाई में ही मैं कांपते हुए झड़ने लगी. वो मेरी चूत का सारा रस पी गए. फिर वो उठे और अपने कपड़े उतार कर फेंक दिए.
शुभम जी बोले- जब भी तुम्हें देखता था … तो मेरा लंड तुझे सलामी देने लगता था. तुमको पटाने के लिए कब से सोच रहा था, लेकिन मुझे मालूम ही नहीं था कि तुम खुद ही पटने को मचल रही हो.
अब वो सिर्फ अंडरवियर में थे. मैं बिस्तर से उठ घुटनों के बल बैठ गयी. मैंने जैसे ही उनका अंडरवियर नीचे किया, वैसे ही उनका लंड हुंकार मारते हुए मेरे सामने खड़ा फनफना रहा था. शुभम जी का लंड लगभग 9 इंच लंबा 2 इंच के पाइप जितना मोटा था. उनका थोड़ा केले जैसा टेढ़ा था.
मैं लपक कर लंड को मुँह में लेकर किसी लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. मैं अपने मुँह में सुपारे को लेकर चूस रही थी और एक हाथ से लंड को पकड़ कर गोल गोल घुमा रही थी.
वो बड़बड़ाये जा रहे थे- आह.. चूस चूस और चूस.. तेरी सहेली कभी नहीं चूसती.. आह खा जा मेरे लंड को.
मैं भी मस्ती से इस दमदार लंड को चूसे जा रही थी. फिर उन्होंने मेरे सर को पकड़ कर लंड को गले तक उतार दिया और मेरे मुँह को चोदने लगे. मैं सिर्फ उम्मम उम्मम की आवाज निकल रही थी.
थोड़ी ही देर में उन्होंने अपना लावा मेरे गले में छोड़ दिया. अपने लंड को पूरे गले तक उतार कर सारा रस मेरे अन्दर छोड़ दिया.
जहां तक मुझसे बन पाया, मैं उस वीर्य को पी गयी. फिर मुझे उबकाई सी आने लगी, तो मैं दौड़ कर बाथरूम में गयी और फिर वापस आ गयी.
वो बिस्तर पे बैठे हुए थे. हम दोनों थोड़े से थक गए थे, इसलिए मैं उनके पास बैठ गयी. मैंने उनसे पूछा- आप रात को सुषमा को छोड़ कर कैसे चले आए?
तो उन्होंने जवाब दिया- मैं उसको नींद की गोली दे कर आया हूँ. बेबी रात को करीब 3 बजे हमेशा उठता है. इसलिए कोई टेंशन वाली बात नहीं है.
मैं कुछ नहीं बोली.
वो बोले- सच में तुम्हारे साथ मजा आ गया.
फिर मैंने उनके लंड को हाथ लगाया, तो वो तुरंत फुफकारने लगा.
मैं बोली- अब इस लंड को मेरी चूत में डालो … और मुझे चोदो.
वो बोले- आप घोड़ी बनो, मुझे ऐसे करने में बहुत मजा आता है … लेकिन मेरी बीवी करने नहीं देती.
मैं बोली- ठीक है.
मैं झट से घोड़ी बन गयी. उन्होंने अपने लंड पर थूक लगाया और चुत के मुँह में लंड रख कर उसको अन्दर की ओर धकेल दिया. चुत गीली होने की वजह से लंड पूरा का पूरा अन्दर चला गया.
लंड बड़ा था, सो मेरी चीख निकल गयी. उन्होंने मेरी परवाह किये बिना चोदना शुरू कर दिया. मैं भी मस्ती में आकर आआहह करते हुए उनके मोटे लंड से चुदवा रही थी.
वो भी लगातार धक्के देते हुए बोल रहे थे- ले साली मेरा लंड खा.
मैं भी बोल रही थी- हां चोदो … और जोर से चोदो … चोदते रहो … मेरी चूत को आज भोसड़ा बना दो.
दस मिनट के चुदाई मैं झड़ गयी. उन्होंने अपना लंड निकाल कर मुझे आराम से झड़ जाने दिया. मेरा सर तकिये पर था, गांड पीछे तरफ उठी हुई थी. मेरी गांड का छेद खुल और बंद हो रहा था. वो मेरी गांड के छेद की हरकत को देख रहे थे.
फिर उन्होंने अपना लंड चूत में डाल कर नितंबों को फैला दिया, जिससे मेरी गांड का छेद खुल गया. उसमें उन्होंने अपना गांड के छेद पर थूक गिरा कर उंगली से अन्दर करने लगे.
शुभम जी बोले- मुझे आपकी गांड बहुत अच्छी लग रही है.. क्या मुझे आप गांड मारने दोगी?
मैं भी तो कब से यही चाह रही थी कि ये अब मेरी गांड मार दें. फिर भी मैं नखरा करते हुए बोली- नहीं नहीं … वहां दुखेगा.
तो वो बोले- बिल्कुल नहीं दुखेगा.. मैं बड़े आराम से अन्दर बाहर करूँगा. मैं मना करने लगी.
उन्होंने मुझे अपने मोबाइल में एक फिल्म दिखाई जिसमें लड़की गांड मरवाती है और जब लड़का लंड बाहर निकालता है, तो गांड का छेद बड़ा नजर आता है. वो मुझे वीडियो चोदते हुए दिखा रहे थे थे. उन्होंने मेज पर रखा बेबी आयल लिया और मेरे छेद में डाल कर उंगली से गांड चोदने लगे.
जब मेरा छेद अच्छे से तैयार हो गया तो एक झटके में सुपारे को मेरी गांड में डाल दिया. नौ इंच के मोटे लंड के घुसते ही मेरी चीख निकल गयी.
धीरे धीरे अन्दर करते हुए शुभम जी ने अपना पूरा लंड मेरी गांड में डालकर मुझे चोदना शुरू कर दिया. मैं तकिये पर सर रख कर दोनों हाथों से गांड खोल कर चुदवा रही थी. बीच बीच में शुभम जी लंड निकाल देते, जिससे गांड का छेद खुला का खुला रह जाता.
लंड निकलने से मेरी गांड के खुले छेद से अन्दर हवा जाती.. तो अन्दर ठंडक महसूस होती. जब शुभम जी लंड गांड के अन्दर डालते, तब मेरी पाद निकल जाती.
इसी तरह करीब 30 मिनट की लम्बी चुदाई मैं 3 बार झड़ी. अब शुभम जी ने अपनी स्पीड बढ़ा दी, जिससे मैं समझ गयी कि अब इनका भी होने वाला है. तभी वो कराहते हुए मेरी गांड में झड़ गए. हम दोनों वहीं बिस्तर पर निढाल पड़े रहे.
मैं उठ कर बाथरूम गयी. उनका वीर्य मेरी गांड से निकल कर टपक रहा था. हम दोनों ने एक दूसरे को साफ किया. फिर शुभम जी अपने कपड़े पहन अपने घर चले गए. मैंने नंगी पड़ी सो गई.
शुभम जी ये बोलकर गए थे कि किसी दिन और अच्छे से चुदाई करूँगा, अभी मेरा मन नहीं भरा है.
मैंने भी बोल दिया कि हां मेरा मन भी अभी प्यासा है.
यह मेरी सच्ची चुदाई की कहानी है. आप मुझे मेल कर सकते हैं.
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