नमस्ते मित्रो, मैं देव कुमार अपनी कहानी लण्ड की दीवानी आंटी की जवानी-1 का अगला भाग आपके लिए लेकर आया हूँ.
पिछले भाग को पढ़कर आप सभी ने जो प्रतिक्रिया दी उस सबके लिए आप सबका तहे दिल से आभार. आगे का भाग भी आप लोग पढ़िए और मुझे मेल के जरिये अपना मत, राय दें.
जिन लोगों ने पिछले भाग को नहीं पढ़ा, पहले वो पढ़ लें और कहानी को पढ़कर लंड हिलाएं, चुत चोदें. चुत वालियां अपनी चुत चुदाई करवाएं और चुत चोदने वाला नहीं है, तो मुझे मेल करके मुझसे राय लें … मैं उनकी चूत की खाज मिटाने के हजारों तरीके बता सकता हूँ.
अब तक आपने पढ़ा कि मैंने आंटी की चूत से लेकर गांड तक को अपनी जीभ से बड़ी देर तक चाटा, जिससे आंटी की हालत बड़ी खराब हो गई थी.
अब आगे:
आंटी- आह … आह इ इ … खा जा रे भोसड़ी के … खा जा मेरी इस भोसड़ी को. काट इसको … निगोड़ी बड़ा सताती है … साली … निगोड़ी ने मुझे परेशान कर रखा है.
मैं भी पूरे जोश में आंटी की चुत को पैंटी के ऊपर से ही चूमता और काटता गया.
बस 5 मिनट में ही चुत का पानी निकल गया. ऐसा झरना सा बह निकला, जैसे मूत की धार हो. मैं आंटी की चूत का पूरा रस चूसते हुए पी गया. आंटी भी हांफते हुए जोर जोर से सांसें लेते हुए वहीं नीचे कारपेट पर लेट गईं.
मैं भी आंटी के बाजू में लेट गया.
कोई 5 मिनट ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैं उठा अपने सारे कपड़े उतार कर आंटी के पैरों के बीच में आ गया. मैंने आंटी की झुमरी तलैया, जन्नत के द्वार के ऊपर की कच्छी को अपने मुँह से पकड़ा और नीचे खींचते हुए आंटी को भी पूरा नंगा कर दिया. मैंने आंटी की चुत रस से गीली पैंटी को आंटी के मुँह में दे दिया. आंटी उसे बड़े प्यार से मुँह में लेकर चूसने लगीं.
मैं आंटी के पैरों की उंगलियों और अंगूठे को चूमता हुआ ऊपर बढ़ा. उनके पैरों से घुटने, घुटने से आंटी की मदमस्त जांघों को चूमा. फिर जांघों से जन्नत के द्वार तक आ गया.
आंटी की कच्छी के ऊपर से काटने और चूमने से लाल हुयी चूत, लंड लेने को तरसती हुयी दिख रही थीं. उनकी चुत आग की भट्टी की तरह तप कर गोल्डन रंग सी चमकती हुई दिख रही थी.
मैंने आंटी की चिकनी चुत पर अपना मुँह रखा और चुत के दाने को चूमने, चूसने लगा. साथ ही साथ चुत को अपनी जीभ से चोदने लगा. चूत के साथ ही मैंने आंटी के पैर ऊपर उठा कर फैला दिए और आंटी की गांड के छेद पर जीभ रखकर चाटने लगा. मैं अपनी लम्बी जीभ निकाल कर आंटी की गांड से चाटते हुए चुत तक आता और चुत से गांड तक जाता. मेरी इस हरकत से आंटी बहुत उत्तेजित हो गईं और मादक सिसकारी लेते हुए हांफने लगीं.
आंटी तड़फ कर चिल्लाने लगीं- आह इ इ … मुझे और न तड़पा मादरचोद, साले अपना लौड़ा अब तो ठोक दे मेरी भोसड़ी में, बना ले इसे अपने लौड़े की गुलाम … आह मुझे ऐसे ही बिना लंड दिए शांत करेगा क्या!
मैं- साली छिनाल … तेरी इस चुत में बहुत गर्मी है, इसे और तड़पने दे … लोहा जितना गर्म होता है, ठोकने में उतना ही ज्यादा मजा आता है मेरी रानी.
मैं जोर से चाटते हुए चुत की फांकों को फैला कर बहुत तेजी से चुत के दाने को जीभ से चाटने लगा. आंटी मेरे बाल पकड़ कर खींचने लगीं, अपने पैर पटकने लगीं.
आंटी अब जोरों से कंपते हुए चिल्लाने लगी थीं- बहनचोद अब क्या जानलेकर रहेगा … चोद दे कमीने … फाड़ दे मेरी चुत … आह लौड़ा ठोक इसमें … अपनी कुतिया रांड पर लौड़े की दया कर … मेरे देव राजा, मेरे मालिक … चोद दे प्लीज़.
मैं समझ गया कि आंटी अब पूरे चुदाई के जोश में आ गई हैं. मैंने सोफे पर से एक तकिया उठाया और आंटी की गांड की नीचे रख दिया. फिर उनके दोनों पैरों को ऊपर उठाकर अपने कंधों पर रखा. इस अवस्था में आंटी की चुत बिल्कुल लौड़े के निशाने पर आ गई थी.
मैंने चुत पर अपना 6 इंची लौड़ा रखकर थोड़ा चुत पर रगड़ा और एक ही झटके में पूरा का पूरा आंटी की भोसड़ी में ठोक दिया.
साली रांड के मुँह से क्या चीख निकली … मजा आ गया. आंटी की आंखों से आंसू निकल आए. पर बहन की लौड़ी … अपनी चुत की चुदाई की आग में सब कुछ सहन करते हुए बोली.
आंटी- आह आ आह … मादरचोद, भड़वे, बहन के लौड़े … ठोक मेरी चुत को … आह निचोड़ कर रख दे इसको … आ आ आ इ … मुझे रंडी बना ले. मैं आज से तेरी पर्सनल रांड हूँ. तू जो कहे वो मैं इस घर का करूंगी. इस घर में रहने वाली मैं टीना रांड का आज से तू मालिक है … चोद दे चोद दे … ठोक दे उइ इ इ आह..
टीना आंटी की ‘आह ऊह..’ के साथ चुदाई की धकापेल चालू हो गई.
मैंने आंटी की आंखों में देखा, तो वो बिल्कुल लाल हो रही थीं, जैसे कि उन्होंने पूरी बोतल का नशा कर रखा हो.
आंटी की चुदास बता रही थी कि वो चुदाई की ललक में कितनी अधिक बेबस थीं. मैंने अपने हाथ आंटी के बोबों पर रखे और जोर जोर से दबाने, मसलने लगा. साथ साथ उनके दोनों निप्पलों को बारी बारी उंगलियों में दबा कर जोर से मींज भी देता था, जिससे टीना आंटी की चीख निकल जाती थी.
आंटी की चुदाई में बड़ा मस्त मजा आ रहा था. पूरे हॉल में आंटी की कामुक सिसकारियां ‘सी सी उम्म्ह… अहह… हय… याह… उई..’ की मधुर आवाज के साथ लंड और चुत की घमासान चुदाई चल रही थी.
मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे किसी सुलगती, जलती भट्ठी में मैंने अपना लौड़ा दे दिया हो. मुझे आंटी की चूत की तपिश जलाए दे रही थी. औसा प्रतीत हो रहा था कि इस साली छिनाल, हरामजादी की भोसड़ी में यदि आलू डाल दूँ, तो वो भी उबल कर बाहर आ जाएगा.
दस मिनट की लगातार चुदाई और चूचों की रगड़ाई से आंटी की सिसकारियां और तेज हो गईं और छटपटाने लगीं. तभी टीना आंटी का शरीर अकड़ने लगा.
टीना आंटी- चोद मादरचोद … आह भड़वे … ठोक भैन के लंड … लौड़ा अन्दर तक पेल … आ आह ठोक दे इस चुत में … आह … बना दे इसे भोसड़ा … आह साले और तेज़ ठोक मादरचोद … जोर लगा के ठोक … निकाल दे इस निगोड़ी झुमरी तलैया बुर का रस … निचोड़ के रख दे इसे.
मैं- ले साली वेश्या, छिनाल खा मेरा लौड़ा अपनी बुर में.
मैं और जोर जोर से लौड़ा आंटी की चुत में ठोकने लगा.
तभी साली जोर की चीख के साथ क्या झड़ी दोस्तो … नीचे ऐसा लगा जैसे पूरे जोर के साथ आंटी मूत रही हो. मेरे लंड पर टीना आंटी की चुत से बिल्कुल उबलता हुआ लावा फूट पड़ा था.
लेकिन मैंने अपनी चुदाई की स्पीड कम नहीं की, जिससे अब आंटी तड़प उठीं, वे बोलीं- रुक जा मादरचोद … थोड़ा सांस तो लेने दे … क्या मेरी जान ले लेगा इस भोसड़ी के चक्कर में.
मैंने आंटी की बुर से लौड़ा निकाला और आंटी के पेट पर बैठ कर दोनों चूचों के बीच में आंटी की चुत रस से भीगे लौड़े से चूचों की चुदाई करने लगा.
साली आंटी को बहुत ही मजा आ रहा था. आंटी बोलीं- वाओ … क्या मस्त चुदाई करता है … मेरा राजा … कहां से सीखा ऐसा तरीका. मुझे तो आज तूने पक्का अपनी रांड बना लिया रे … बोल तेरे लिए क्या करूं. अपनी इस रांड को … कुतिया को, ऐसे ही प्यार करते रहना मेरे देव राजा.
मैंने चूचों की चुदाई छोड़कर वापिस आंटी की बुर में लंड डाल दिया. दो मिनट चुत को लंड से ठोका, फिर चुत रस से गीले लंड को आंटी के होंठों पर रख दिया. आंटी बड़े प्यार से अपनी जीभ निकाल कर लंड के टोपे को किसी लॉलीपॉप की तरह चाटने लगीं.
फिर मैंने थोड़ी देर आंटी के मुँह की दुबारा से चुदाई की. मैं आंटी के मुँह में गले तक लंड डाल देता, जिससे केवल ‘गूं गोऊं गु गुऊँ …’ की आवाज आ रही थी. लंड चूसने के साथ ही आंटी के मुँह से लार टपक रही थी.
फर थोड़ी देर बाद लंड मुँह से बाहर निकालकर मैंने लंड से आंटी के चेहरे की अच्छे से मालिश की. फिर अपने हाथ से आंटी के मुँह से निकले लार और थूक को आंटी के बोबों पर अच्छे से रगड़ने लगा. इतने में साली रांड चुदाई के लिए दुबारा तैयार हो गयी.
टीना आंटी- बोल मेरे देव राजा, मालिक अब कौन सी पोजीशन लूँ. अपनी रांड को किस पोजीशन में चोदना पसंद करोगे.
मैं- चल साली अपने आपको बड़ी वाली कुतिया बोल ही रही है, तो चल अब कुतिया ही बन जा. तुझे कुतिया बनाकर ही चोदता हूँ. बड़ा मजा आएगा इस पोजीशन में, साथ में तेरे चूतड़ों पर हाथ से चाटें मार कर भी मजा लूँगा.
आंटी कुतिया की पोजीशन में आ गईं और अपने चूतड़ मटकाने लगीं- लो मेरे मालिक आपके लंड के लिए पेश है इस कुतिया की भोसड़ी, ठोक दो इसमें अपना लौड़ा और भर दो इसे अपने काम रस से.
मैं कुतिया बनी आंटी के पीछे आया और चुत रस से भीगी आंटी की चुत और गांड को अपनी जीभ से चाटने लगा. साली की गांड का छल्ला भी क्या मस्त था. एकदम गोल और गुलाबी रंग का छेद था.
मैं- आंटी, आपकी गांड के छल्ले को देखकर लग रहा है कि आपने शायद अपनी गांड की ठुकाई, चुदाई नहीं करवाई. एकदम कोरी लग रही है. बहुत ही प्यारी गांड है. इस पर तेरे देव का दिल आ गया. देव के लौड़े को आपकी गांड चाहिए.
आंटी- साले भड़वे, कुत्ते … इस चुत को ठोकने के लिए लंड तो मिलता नहीं और तू गांड मरवाने की बात करता है. तेरा अंकल एक साल में एक महीने के लिए आता है. उसमें भी वो अच्छे से इस बुर की आग ही शांत नहीं कर पाता, तो गांड क्या खाक मारेगा मादरचोद. और हां … तू इसकी तो सोचना भी मत … मैंने कभी गांड नहीं मरवाई है.
मैं- ओहो आंटी … अब मेरी रांड और कुतिया बनी हो, तो अपने इस यार से अपनी गांड का भी उद्घाटन करवाना ही पड़ेगा. मेरी रंडी छिनाल, गुलाम बनी है, तो फिर तुझे अपने मालिक का हुकुम तो मानना ही पड़ेगा ना.
मैं जोर से चुत के अन्दर तक जीभ डालकर दुबारा आंटी को चुदाई के लिए तड़पाने लगा. उसकी चुत पर जीभ रखकर गांड के छल्ले तक लगातार चाटने लगा. मुझे आज जन्नत का अहसास हो रहा था.
आंटी- आ आ सी सी इ इ. मादरचोद, आ आह सीई सीस … बहन के लौड़े क्यों तड़पा रहा है … जो चाहे कर लेना अपनी रांड के साथ … पर पहले लंड को चुत में पेल दे. एक बार और इसको अच्छे से रगड़ दे, फिर मार लेना गांड, पर प्यार से मारना … एकदम कोरी है तेरी इस कुतिया रांड की गांड मेरे राजा. अब ठोक भी दे लौड़ा अपनी कुतिया की बुर में.
मैं लगातार आंटी की चुत से लेकर गांड के गोल गोल गुलाबी छेद तक चटाई कर रहा था और बीच बीच में कभी टीना आंटी की बुर में और कभी गांड के छेद में जीभ भी अन्दर कर देता. मुझे आंटी की तड़प से बड़ा मजा आ रहा था.
टीना आंटी मादक सिसकारियां ले रही थीं. पूरा हॉल चुत और गांड की चटायी से गूंज रहा था.
फिर मैं आंटी की तड़प को देखकर उठा और अपने लौड़े को आंटी की चुत पर रगड़ते हुए घप से ठोक दिया. एक बार फिर घमासान चुदाई का दौर चालू हो गया. मैं कुतिया बनी टीना आंटी को 20 मिनट तक लगातार चोदता रहा. आंटी चीखती चिल्लाती गालियां देती हुई चुदाई का मजा लेती रहीं.
अंत में मैं आंटी की चुत में अपना लावा उगल दिया और आंटी के ऊपर ही ढेर हो गया.
दोस्तो, एक तूफान आकर रुकने के बाद जैसे सन्नाटा छाता है, वैसे ही एक घमासान चुदाई के बाद पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया. आंटी के चेहरे पर एक असीम सुख महसूस हो रहा था.
आंटी- मेरे देव राजा जब तक तू यहां है, तब तक ये रंडी तेरी गुलाम है. पर मुझ पर ये प्यार कम मत करना.
मैंने भी आंटी को किस किया और कहा कि देव आपको कभी निराश नहीं करेगा.
इस तरह दोस्तों हमारी चुदाई चलती रही.
मैंने आंटी की गोरी चिकनी गुलाबी गांड भी बड़े प्यार से … आंटी के बिस्तर पर ही, आंटी की इच्छा से मारी.
ये गांड चुदाई की कहानी कभी और बताऊंगा.
तब तक दोस्तो, आप अन्तर्वासना की कहानी पढ़ते रहें और अपने सेक्स जीवन का आनन्द लेते रहें. मुझे अपने सुझाव मेल करना न भूलें.
आपका अपना देव कुमार
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