प्रिय पाठकों, मेरा नाम अमित है. मैं दिल्ली में रह कर पढ़ाई और नौकरी कर रहा हूँ. ये अन्तर्वासना पर मेरी पहली सेक्स कहानी है. कृपया आंटी लव स्टोरी की गलतियों को नजरअंदाज करते हुए मजा लें.
मैं छब्बीस वर्ष का पुरुष हूँ. मेरी लम्बाई 6 फुट 5 इंच है, मेरा शरीर मांसल है, मैं नियमित रूप से दौड़ लगाना और वज़न उठाने वाले व्यायाम करता हूँ.
एक दिन मैं अपनी कुर्सी पर बैठा झूल रहा था, तभी मेज़ पर रखा फ़ोन एक बार बजा. शायद कोई नोटिफिकेशन आया था.
देखा तो स्क्रीन पर ‘One new message.’ लिखा हुआ आया.
मैंने फ़ोन उठा कर उसको अनलॉक किया और देखा कि मेरे मकान मालिक का मैसेज है. उसमें अंग्रेजी में लिखा था, जिसको मैं हिंदी में लिख रहा हूँ. मैसेज था कि कृपया मार्च 2020 का किराया मेरे बैंक खाते में आज शाम तक डिपोजिट कर देवें.
मुझे इस मैसेज को पढ़ कर एकदम से गुस्सा आया और दिमाग में चलने के साथ ही मैं बुदबुदाने लगा कि इस भोसड़ीवाले का अलग रंडी रोना है.
मैंने फ़ोन लॉक करके अपनी जेब में रखा और कंप्यूटर शटडाउन कर दिया. अब मैं अपना बैग और हेलमेट उठा कर चल दिया.
‘अमित, तुम्हारा प्रपोजल लेट होता जा रहा है, ऐसे नहीं चलेगा.’
पीछे से सहारन सर की आवाज़ आयी.
इस आवाज को सुनकर मैं फिर मन में ही खुद से बोला- अबे यार … ये साला घर से बाहर निकलते टाइम क्यों टोकता है.
मैं अपनी मुट्ठियां भींचता हुआ रुक गया.
‘सर, प्रपोजल ऑलमोस्ट रेडी है, मैं कल शाम 4 बजे तक आपको दिखाता हूँ.’ मैं सहारन सर की तरफ देख कर बोला.
‘ठीक है, देखते हैं … कल शाम को क्या बना कर लाते हो तुम!’
‘यस सर … गुड इवनिंग सर.’ मैं अपनी चूतिया सी शक्ल बना कर वहां से चल दिया.
मुझे इंटर्नशिप करते हुए चार महीने हो चुके थे और अब आखिरी महीने से पहले मुझे अपनी रिपोर्ट और प्रपोजल सबमिट करना था.
मेरा मैसेज वाला काम वीकेंड तक सिमट कर रह गया था, जो कि काफी था. लेकिन अब कोरोना वायरस के शुरू होते ही उस काम पर भी लात लग गई थी. और होना भी चाहिए … आखिरकार मोदी जी ने बोला ही था कि सभी देशवासियों को जनता कर्फ्यू का पालन करना ही होगा.
मैंने पंच आउट किया और लिफ्ट से निकल कर पार्किंग में पहुंचा. अपना हेलमेट पहन कर बाइक स्टार्ट की और अपने फ्लैट की तरफ चल दिया.
मुझे बाइक चलाने का बहुत शौक है. मेरे पास फिलहाल दो बाइक हैं. एक अपाचे 200 और दूसरी पल्सर 220.
मैं सोसाइटी में घुसा तो गार्ड चिल्लाया- ग्लव्स पहन कर रखो अमित भाई, वायरस लग जाएगा आपको.’
‘जी डॉक्टर साहब.’ मैंने मज़ाक के मूड में बोला और बिल्डिंग की तरफ बढ़ गया.
बाइक को फ्लैट की पार्किंग में लगा कर मैं फिर से लिफ्ट में चढ़ा और 5 नंबर प्रेस किया.
‘इसका पेमेंट करता हूँ पहले, बाकी काम होता रहेगा.’ मैंने अपने आपसे बोला.
मैंने उसके फ्लैट की घंटी बजाई और वेट किया. दरवाज़ा एक 20-21 साल की लड़की ने खोला.
वो देखने में अच्छी थी, पर मैंने ध्यान नहीं दिया क्योंकि मैं भी काफी थका हुआ महसूस कर रहा था.
‘परीक्षित जी अन्दर हैं क्या, मैं 11 / 8 में रहता हूँ.’ मैंने मोहतरमा को बोला.
‘पापा, आपसे मिलने आया है कोई!’ वो चिल्लाई और दरवाज़ा खुला छोड़ कर अन्दर चली गई.
‘अरे अमित बेटा, क्या हुआ?’ परीक्षित जी मुस्कुराते हुए बोले.
‘अंकल वो पेमेंट करना है, कैश नहीं है, आप गूगल पे के थ्रू ले लो प्लीज.’ मैंने परीक्षित जी से बोला.
‘बेटा … मैं तो ये पे-वे नहीं चलाता, एक काम करो कल ATM से निकाल कर दे देना.’ अंकल जी ने हल्का सा किलसते हुए बोला.
‘अंकल आप अरेंज कर लो प्लीज, मेरी जॉब के चक्कर में मेरे पास टाइम नहीं मिलता है … और ऊपर से लाइन में लगना आजकल रिस्की सा मैटर है.’ मैं भी झल्लाते हुए बोला.
‘देख लो बेटा कैसे देना है, एक-दो दिन में कैश आएगा, तो दे देना. ये फ़ोन में पैसे का पंगा नहीं समझ आता मुझे.’ अंकल जी भी तनिक गुस्से से बोले.
‘ठीक है अंकल, मैं पेमेंट कल करता हूँ.’ मैंने भी तिड़क के जवाब दिया और वापस लिफ्ट की तरफ चल दिया.
अपने फ्लैट में पहुंच कर मैंने सबसे पहले नहा-धो कर चेंज किया, फ्रिज में से बियर निकली, बालकनी में खड़े हो कर तीन- चार घूंट भरी और सोचने लगा.
‘अब इसे कैश ही चाहिए … गांडू बहनचोद.’
मैं बालकनी में खड़ा खड़ा दो बियर पी चुका था. इस बीच मैं चार-पांच फ़ोन किए. घर पर, दोस्तों से बात की और फिर रिलैक्स होने के लिए हैडफ़ोन लगा कर अमेज़न प्राइम पर हॉस्टल डेज देखने लगा.
तभी घंटी बजी.
मैंने फटाफट भाग कर दरवाज़ा खोला, तो परीक्षित की वाइफ निर्मला जी खड़ी थीं.
कुछ नमस्ते-वमस्ते हुई और हाल-चाल पूछने के बाद आंटी बोलीं- अमित, मेरे फ़ोन में है गूगल पे, तुम उसमें पेमेंट कर दो. इन्हें तो आदत है … बेकार में बात बढ़ाने की. सब मालूम है कि आजकल सब कितना रिस्की हो गया है, तुम लाइन में कैसे लगोगे.
‘ठीक है आंटी.’
मैंने उन्हें सोलह हज़ार ट्रांसफर करे.
आंटी बोलीं- थैंक्यू अमित, कोई प्रॉब्लम हो … तो बताना. मेरा नंबर है ही तुम्हारे पास.
‘जी बिल्कुल आंटी जी, आप ही अपना ख्याल रखिए.’ मैंने बोला और उनके जाने के बाद गेट बंद करके फिर से अमेज़न प्राइम देखने लगा.
रात को करीब ग्यारह बजे टेलीग्राम पर मैसेज आया- थैंक्यू अमित, पेमेंट दिखा दिया तुम्हारे अंकल को. वो बोल रहे हैं कि ठीक है. निर्मला
‘अरे वाह निर्मला जी भी टेलीग्राम चला रही हैं? अब भाई देखो टेलीग्राम ज़्यादातर लोग प्राइवेट चैट्स के लिए यूज करते हैं. मेरी जान पहचान में जितने लोग हैं वो इसीलिए इसे ही यूज करते हैं.
मैंने लिखा- ठीक है आंटी जी, थैंक्यू बताने के लिए.
मैंने रिप्लाई भेजा.
तो निर्मला जी फिर से लिखा- वेलकम अमित … और अभी क्या कर रहे हो?
भैंस की आंख, अब निर्मला जी ये क्यों पूछ रही थीं कि मैं क्या कर रहा हूँ!
मैंने- कुछ नहीं आंटी जी, कल एक प्रपोजल देना है, उसी को बना रहा हूँ. आप बताएं, क्यों पूछा?
निर्मला- ऐसे ही, कुछ ख़ास नहीं … मैं भी बैठी बोर हो रही थी.
मैंने- अच्छा, आप बोर हो रही हैं? आ जाइए ऊपर. मैं आपके लिए चाय बनाता हूँ.
निर्मला- ठीक है, आती हूँ. प्राची ने ब्राउनी बनाई हैं … वो भी लाती हूँ.
मैंने सोचा कि मतलब जिस लड़की ने दरवाज़ा खोला था उसका नाम प्राची होगा, खैर जाने दो.
मैं उठा और रसोई में जा कर चाय बनाने लगा. तभी घंटी बजी और निर्मला जी को मैंने अन्दर आमंत्रित करते हुए सोफे पर बैठने को बोला.
निर्मला जी के बारे में कुछ बताऊंगा; निर्मला जी बयालीस साल की महिला हैं, जो परीक्षित जी की दूसरी पत्नी हैं.
उनकी पहली पत्नी का उनसे तलाक हुआ था, जब वो बहादुरगढ़ रहते थे.
निर्मला जी सुन्दर महिला हैं, वो सोसाइटी के मार्किट में ब्यूटी प्रोडक्ट्स की शॉप चलाती हैं. वे पांच फुट तीन इंच लम्बी है, एकदम छरहरा शरीर है, बड़े और गोल चुचे, भोली सी मुस्कराहट और गोल गांड है. जिन्हें वो काफी अच्छे से मटकाना जानती हैं.
उनके काले घने लम्बे बाल उनकी सुंदरता को और बढ़ा देते हैं. मैं उनके फ्लैट में पिछले एक साल से रह रहा हूँ और उनको याद करके मैंने कई बार मुठ भी मारी है. लेकिन आज से पहले इतनी बात उनसे कभी नहीं हुई थी. कभी कभी उनके कहने पर सब्ज़ी, दूध, पनीर या अन्य घरेलू सामान ला दिया करता था, लेकिन इस तरह से कभी उनको चाय के लिए नहीं बुलाया था … वो भी इतनी रात में.
आज भी मैंने भी मज़ाक ही किया था कि आ जाओ … अब मुझे क्या पता था कि वो आ ही जाएंगी.
खैर … मैंने चाय बना कर उनके सामने रखी और मैं अपनी बियर ले आया. मैं धीरे धीरे करके उनकी लाई हुई आधी से ज़्यादा ब्राउनी खा गया, जो कि सच में बहुत स्वादिष्ट बनी थी.
निर्मला जी से कुछ देर बातें करके ये पता चला कि ये भी निर्मला जी सेकंड मैरिज है … और उनके पहले पति बाइक एक्सीडेंट में गुज़र गए थे.
परीक्षित जी उनके घर के पास सुनार का काम करते थे, उनके घरवालों ने उनसे ब्याह करवा दिया और वो दिल्ली शिफ्ट हो गए जहां अब परीक्षित जी किराया लेते हैं और निर्मला जी दुकान करती हैं. प्राची, परीक्षित जी पहली बीवी की बेटी है, जो बाहर रह कर इंजीनियरिंग कर रही है.
आजकल एक तो बहनचोद, सबको इंजीनियरिंग करनी है, पता नहीं क्या नशा चढ़ा है सबको, इंजीनियरिंग,चार्टर्ड अकांउटेन्ट और डाक्टरी को लेकर.
निर्मला जी बातें चोदे जा रही थीं और मैं बस ‘हां, अच्छा, ठीक है.’ कर रहा था.
जैसे मशहूर कॉमेडियन ज़ाकिर खान जी ने कहा हो. ऊपर से मैं था नशे में, पांच बियर खींचने के बाद मैं निर्मला जी को सुन रहा था और यही सोच रहा था कि क्या किस्मत है परीक्षित की, ऐसी गज़ब शरीर और आवाज़ वाली बीवी पाई है.
पैसा है तो बहनचोद सब मुमकिन है. सलमान भाई रिहा हो गए, तो पैसे की वजह से, भगवान सही में अपने गधों को हलवा खिलाता है.
अभी करीब सवा बारह बज गए थे. मैंने चौंक कर बोला- आंटी जी, आधी रात हो गई है, आपके पति पूछेंगे नहीं कि कहां थीं आप?
निर्मला- नहीं, वो हमारे फ्लोर पर नौ नंबर में मास्टरनी हैं न एक, मलयाली है वो, मिसेज मधुसूधन, मैं रात को उनके पास जाती हूँ … पता है इन्हें, बोल दूंगी वहीं थी.
मैंने- सही है … फिर भी निर्मला जी, आज यहां कैसे आना हुआ!
अब मैंने आंटी जी की जगह निर्मला जी कहना शुरू कर दिया था. बियर के नशे के साथ साथ, उनकी चूचियां भी मुझे मदहोश करने लगी थीं
‘बस अमित, तुमसे मिलने ऐसे ही … ये भी देखने कि मेरा फ्लैट तुमने कैसी कंडीशन में रखा हुआ है.’ निर्मला जी मुस्कुरा कर आंख दबाते बोलीं और हो हो करके हंस दीं.
‘अरे कैसी बात कर दी आपने, आइए न अन्दर से भी देख लीजिए, बिल्कुल सही ढंग से रखा हुआ है.’ मैं खड़ा होते हुए बोला.
निर्मला जी भी खड़ी हुईं और पहले किचन, फिर स्टोर रूम और अंत में बेडरूम का मुयाअना किया.
मैं उनके पीछे पीछे चल रहा था.
बेडरूम में मेरे पलंग के पास मेज़ पर रखे कंडोम के पैकेट को देख कर बोलीं- अच्छा, ये सब भी होता है यहां!
‘निर्मला जी, प्रोटेक्शन तो ज़रूरी है ही. प्रेगनेंसी और बीमारी से बचाव रहता है.’ मैं भी मुस्कुरा कर बिंदास बोला.
‘डुरेक्स एक्सेल, बड़ी किस्मत वाली गर्लफ्रेंड है तुम्हारी.’ निर्मला जी कंडोम के पैकेट को हाथ में ले कर बोलीं.
‘हां निर्मला जी, सुना तो … सुना तो मैंने भी ऐसा ही है.’ मैं आगे बढ़ा और निर्मला जी के बिल्कुल पास जा कर खड़ा हो गया.
फिर जिस हाथ में उन्होंने कंडोम का पैकेट पकड़ा हुआ था, उस हाथ को मैंने पकड़ लिया.
अब जो होगा सो देखा जाएगा, मां की लौड़ी खुद ही कह रही है कि इसे खसम की चिंता नहीं है … अपनी चुत में लंड की आग की चिंता है. ज्यादा कुछ गड़बड़ हुई तो पैर पकड़ लूंगा, या ज्यादा से ज्यादा घर से निकालेगी और क्या करेगी.
तो दोस्तो, इधर तक का सफ़र यहीं रोक रहा हूँ. इस आंटी लव स्टोरी के अगले भाग में इससे आगे के किस्से को लिखूंगा. आप मुझे इस सेक्स कहानी के लिए क्या लिखना चाहेंगे. प्लीज़ मेल कीजिएगा.
आपका अमित
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आंटी लव स्टोरी जारी है… लैंडलॉर्ड की हॉट बीबी की चुदाई-2