जीजा साली सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि लॉकडाउन के दौरान मैंने अपने ससुराल में अपनी साली को उसके यार के साथ डर्टी काम सेक्स करते देखा तो ….
नमस्कार मित्रों! मैं अमित अपनी साली की चुदाई की कहानी के पिछले भाग
लॉकडॉउन में साली की चूत का तोहफा-1
में आपको बता रहा था कि किस तरह से लॉकडाउन में मैं अपनी ससुराल में फंस गया था और एक दिन मेरी साली मेरे लंड को चूसने लगी थी. वो सब कैसे हुआ था ये आपने इस सेक्स कहानी के पिछले भाग में पढ़ा था.
अब आगे:
अब मेरी साली रश्मि मेरे लंड को चूसने के साथ ही मेरे खड़े लौड़े सुपारे पर जीभ का फिरा देती. फिर मेरी गांड के छेद तक अपनी जीभ फिरा देती.
वो मेरे लंड को चूसने के साथ ही मेरी गांड को भी चाट रही थी और बीच-बीच में मेरी गांड के अन्दर अपनी उंगली भी डालने का असफल प्रयास कर रही थी.
उंगली अन्दर न जा पाने पर नाखून से मेरी गांड कुरेद देती.
थोड़ी देर बाद मेरे देखते ही देखते रश्मि ने गप्प से मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर ले लिया और अपने जिस्म को ग्राईंडर की तरह चलाने लगी.
मैं मस्त हो गया.
कुछ देर के बाद उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ा और बोली- जीजा, मुझे अपनी बांहों में जकड़ लो.
मैंने भी उसे बांहों में जकड़ते हुए कहा- क्यों साली साहिबा … बहुत जल्दी चुदाई शुरू कर दी.
वो कंपकपाती आवाज से बोली- जीजा अभी कुछ न बोलो … पहले मैं एक बार अपनी चूत की प्यास बुझा लूं, फिर बात करूंगी.
ये कहते हुए उसने अपनी थापों की स्पीड को लगातार बढ़ाते हुए सीत्कार करना शुरू कर दी थी.
वो मस्ती में ‘आह आह …’ करती जा रही थी. मैं हैरान था कि साली रूकने का तो नाम भी नहीं ले रही थी.
रश्मि के इस तरह से चुदाई का मजा लेने से और उसकी चूत के भीतरी दीवारों से मेरे लंड पर होने वाला घर्षण के कारण मेरे लंड ने हार मान ली और वीर्य का फव्वारा उसकी चूत के अन्दर छूटने लगा.
गर्म वीर्य की धार पड़ी तो रश्मि भी ढीली पड़ गयी और हांफते हुए मेरे सीने से चिपक कर अपने धकाधक चलते जिस्म को शांत कर लिया.
मुझे भी उसकी चुत से रिसते रज का अहसास मेरे लंड पर होने लगा.
उसकी सांस अभी भी बहुत तेज-तेज चल रही थी. उसकी चूचियों के निप्पल और मेरे निप्पल दोनों एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे.
मेरे हाथ उसके पीठ सहलाते हुए उसके चूतड़ों को भी सहलाने लगे. जबकि वो अभी भी मेरे ऊपर निढाल सी पड़ी हुयी थी.
इस बीच उसके चूत ने मेरे लंड को अपनी कैद से मुक्त कर दिया और वो फिसलकर बाहर आ गया.
रश्मि ने भी अपनी सांसों को काबू में कर लिया. उसने थोड़ा सा अपने वजन को मेरे जिस्म से हल्का करते हुए एक तरफ को सरक गई.
वो मेरे होंठों पर उंगलियों को सहलाने के बाद मेरे बगल में चित लेट गयी.
थोड़ी देर तक हम दोनों ही निढाल अवस्था में पड़े रहे. केवल हमारे पंजे ही एक दूसरे से लड़ाई कर रहे थे.
कुछ देर ही बीती होगी कि रश्मि ने अपने पैर को मेरे पैर पर चढ़ा दिया और पंजे को पंजे से मुक्त करके अपने कैदी, मतलब मेरे ढीले और मुरझा कर लटक चुके लंड को उसने अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया.
वो लंड के ऊपरी आवरण के साथ खेलने लगी. कभी वो सुपारे की चमड़ी को नीचे करती, तो कभी लंड के मुख मंडल पर अपने अंगूठे को चलाने लगती.
फिर हम दोनों ने ही एक साथ करवट बदली और एक दूसरे से कस कर चिपक गए. लेकिन मेरा बेचारा लंड अभी भी उसकी कैद में था. मैं उसकी पीठ और चूतड़ों को सहला रहा था और उसके चूतड़ों की दरार के बीच उंगली डाल रहा था.
रश्मि शायद मेरी चाहत को समझ गयी थी, इसलिए उसने अपनी टांग को मेरे कमर पर रख दी … इससे वो मेरे और करीब आ गयी. मेरी भी उंगलियों को उसके मनमाने स्थान पर जाने व छूने की मानो जैसे अनुमति मिल गयी थी. मेरी उंगलियां स्वतंत्र होकर कभी उसकी गांड के अन्दर घुस जातीं, तो कभी उसकी चुत की पुत्तियों को मसल देती.
इधर मेरा लंड भी उसके हाथ में कैद होने के साथ ही साथ उसकी चूत से निकलती हुयी गर्म हवाओं को झेलने पर मजबूर थी.
इसके परिणाम स्वरूप लंड ने तनाव लेना शुरू कर दिया था.
मेरा लंड अब उसकी चूत से टच होने लगा था.
इस बीच हम दोनों ही एक-दूसरे की आंखों में आंखें डाले हुए थे.
मैं उसके जिस्म की तपन को … और मेरा लौड़ा उसकी चूत से निकलती हुयी गर्मी को महसूस कर रहा था.
मेरी उंगलियां अभी भी निरन्तर उसकी गांड की गहराईयों को नाप रही थीं … तो कभी उसकी दोनों कलियों को मसल कर इठला रही थीं.
और तो और मेरी बेशर्म उंगलियां तो उसकी गीली और गर्म चूत की गहराई में भी घूम आयी थीं.
अब उंगली भी जब उसकी गीली चूत के अन्दर हो ही आयी थी … तो उंगली का गीला होना भी स्वाभाविक था.
थोड़ी देर तक तो उंगली अन्दर रही, पर मुझे न जाने किया सूझा कि मैंने उंगली को बाहर किया और सीधा लेटकर उन उंगलियों को निहारने लगा.
फिर अक्समात मेरी जीभ ने उस गीली उंगली को अपने अन्दर भर लिया.
रश्मि मेरी इस हरकत को देख रही थी. रश्मि मेरी इस हरकत को देखकर मुस्कुरा दी और बदले में उसने भी अभी उन उंगलियों को जो अभी तक मेरे सुपारे को खोद रही थीं … या उसके ऊपर चल रही थीं, को अपने मुँह में भर कर चूसने लगी.
फिर अचानक से वो उठकर मेरी जांघों के ऊपर बैठ गयी और मेरे ऊपर झुकते हुए मेरे होंठों पर चुंबनों की बौछार कर दी.
इसके साथ ही उसने अपनी जीभ को मेरे मुँह के अन्दर डाल दिया.
अब हम एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे और रश्मि मेरे निप्पल को जोर-जोर से मसल रही थी.
मैं रश्मि के गोल-गोल मम्मों के साथ-साथ उसके तने हुए दोनों निप्पलों को मसल रहा था.
इस वजह से हम दोनों के मुँह से एक मादक सिसकारियां निकल रही थीं.
कुछ देर बाद रश्मि ने मेरे निप्पल को मसलना छोड़ दिया.
अब वो थोड़ा नीचे झुक गई और मेरे निप्पल पर बारी-बारी थूक कर उसी पर अपनी जीभ चलाने लगी.
रश्मि एक खेली खाई लौंडिया थी, उसे अच्छी तरह से पता था कि मर्द को कैसे खुश करना होता है.
मैं खुद ही उसका प्रमाण था.
मैंने खुद की आंखों से देखा था कि उसने अपने ब्वॉयफ्रेंड के कहने भर से ही अपना मूत खुद ही पी लिया था.
उसने मेरे जिस्म के किसी कोने को छोड़ा ही नहीं और न ही एक जगह ज्यादा देर रूकी.
मेरे निप्पल चूसने के बाद वो अपनी जीभ चलाती हुयी नाभि तक आ पहुंची.
वहां पर उसने जीभ चलायी और फिर अपने प्रियतम (लंड) के पास पहुंचते ही उसने अपने को गप्प से मुँह के अन्दर ले लिया.
लंड को चूसने के साथ-साथ वो मेरे अंडों को दबाती जाती.
मेरा जिस्म अकड़ रहा था.
कुछ देर लंड और जांघ के आस-पास चूमने चाटने के बाद वो मेरी जांघों पर बैठ गयी. अपनी चूत को मेरे जिस्म से रगड़ते हुए ऊपर मेरे मुँह की तरफ आने लगी. उसकी चूत की गर्मी का अहसास मुझे एक अलग तरह के आनन्द की अनुभूति प्रदान करवा रहा था.
एक बार तो रश्मि ने अपनी चूत से मेरी टुड्डी को भी रगड़ दिया और मेरे मुँह पर बैठ गयी.
अब भला मेरी जीभ की इतनी मजाल कहां थी कि वो चूत को अपने इतने समीप पाकर खामोश रहती. जीभ बाहर निकली और चूत के मुहाने और पुत्तियों पर चलने लगी.
रश्मि ने अपनी फांकों को फैला दिया और मेरी जीभ भी उन फांकों के बीच चलने लगी.
थोड़ी देर तक अपनी चूत चटवाने के बाद वो 69 की अवस्था में होकर मेरे लंड को अपने मुँह में भरकर चूसते हुए अपनी कमर को मटकाकर मुझे इशारा कर रही थी कि मेरी चूत और गांड तुम्हारी लपलपाती हुयी जीभ से चुदने को बेकरार है.
बस इस सहारे को पाते ही मैं चालू हो गया.
उधर उसकी जीभ लंड पर चल रही थी और इधर मेरी उसके दोनों छेदों पर घूमने लगी.
मगर बिना लंड चुत के ये सब कितनी देर तक मजा देता!
अब मुझे रश्मि की चूत को चोदना ही था. इसलिए मैंने रश्मि को पलंग पर चित किया और उसके ऊपर चढ़ गया.
मेरा लंड तो पहले से ही चूत की गहराई में खो जाने को बेकरार था.
उसने आव देखा न ताव, झट से अन्दर अंधेरी गुफा रूपी चूत के अन्दर घुस गया.
बस अब क्या था … झटके पर झटके लगना शुरू हो गए. फच फच की आवाज आना शुरू हो गई और रश्मि की चुचियां भी हिलने-डुलने लगीं. हम दोनों ही एक दूसरे की बांहों में कैद हो चुके थे, लेकिन धक्कों की स्पीड में कोई कमी न थी.
इन धक्कों के बीच-बीच में मैं उसे चूम लेता था, तो वो भी मुझे चूम लेती थी.
तभी अचानक मुझे महसूस हुआ कि गर्मी कुछ ज्यादा ही बढ़ चली है और लंड महाराज कभी भी धोखा दे सकते हैं.
मेरा जिस्म अकड़ रहा था, लग रहा था कि अब रस निकलने वाला है. इधर रश्मि के जिस्म में की अकड़न भी मुझे समझ में आ रही थी.
तभी रश्मि बोली- जीजू 69 में हो लो.
मैं तुरन्त उसकी छाती पर चढ़ गया, रश्मि ने भी अपनी टांगें सिकोड़ लीं.
मेरा सिर उसकी जांघों के बीच था और जीभ उसकी चूत के अन्दर चल रही थी.
बहुत ज्यादा देर नहीं हुआ था कि रश्मि ने अपनी कमर को हल्का सा ऊपर उठाया और रिलेक्श पोजिशन पर निढाल होकर मेरे लंड को चूसने लगी.
इसी बीच मेरी भी अकड़ ढीली हो गयी और वीर्य की धार उसके मुँह के अन्दर छूटने लगी.
इधर रश्मि की चूत का रस मेरी जीभ में चढ़ चुका था.
मैं रश्मि के जिस्म से उतरकर उसके बगल में आ गया और रश्मि ने करवट बदल ली. उसने अब अपनी एक टांग मुझ पर चढ़ा दी और मुझसे चिपट गयी.
थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही पड़े सोचता रहा कि लॉक डॉउन न होता, तो साली की चूत कभी न मिलती.
दस मिनट बाद रश्मि उठी और बलखाती हुयी गांड के साथ बाथरूम में घुस गयी.
मैं उसको जाते हुए देख रहा था.
बाथरूम में जाकर वो खड़े होकर मूत रही थी, मूतने के बाद पानी से उसने अपनी चूत को गीला किया और वापिस आ गयी.
मुझे भी पेशाब लगी थी, मैं भी उठकर पेशाब करके आकर बिस्तर पर लेट गया.
रश्मि एक बार फिर मुझसे चिपककर सो गयी.
सुबह मैं अपने समय पर उठा, तो रश्मि बिल्कुल सीधी लेटी हुयी थी और उसकी फूली हुयी चूत मेरे लंड को एक बार फिर उकसा रही थी और लंड महाराज चूत को देख-देखकर फुदकने लगे थे.
इस तरह खुला यौवन देखकर मन मेरे वश में नहीं था.
मुझे यह तो नहीं पता कि अगर रश्मि मुझसे पहले सोकर उठती और मेरे तने हुए लंड को देखती, तो वो क्या करती.
पर मैंने बहुत ही धीरे से उसकी चूत को चूमा और लंड को उसकी चूत के मुहाने से टिकाते हुए धक्का दे दिया.
बस फिर क्या था … रश्मि की आंख खुल गयी.
वो बोली- जीजू चोद लो, लेकिन माल इस बार भी मेरी चूत के ऊपर ही छोड़ना.
मैंने उसके होंठों को चूमते हुए कहा- साली चिन्ता मत कर, मुझे मालूम है कि माल कहां गिराना है.
ये कहकर मैंने अपने धक्कों की स्पीड को बढ़ा दिया और उसे ताबड़तोड़ चोदने लगा.
मैं धक्के पर धक्के पेले जा रहा था, रश्मि की आह-ओह, आह-ओह की आवाज मुझमें एनर्जी भर रही थी.
थोड़ी देर बाद अपने होंठों को दांतों से चबाते हुए बोली- जीजू, मेरा निकलने वाला है.
निकलने वाला तो मेरा भी था. मैंने तुरन्त लंड को चूत से बाहर किया और रश्मि के ऊपर लेट गया.
लंड से माल निकलकर रश्मि की चूत के ऊपर गिरने लगा.
जब मेरा पूरा माल निकल गया, तो रश्मि ने अपनी उंगलियां वीर्य पर चलाकर उसे अपनी चूत के चारों ओर फैला दिया.
मैं उसकी आंखों को, होंठों को चूमते हुए बोला- आज सुबह की सबसे प्यारी विश है.
रश्मि भी मुस्कुरा दी.
मैं फ्रेश और नहाने-धोने के लिए चल दिया.
इस 12-14 घंटे ने दोनों के दरम्यान की दूरी को काफी पास कर दिया. सब लोग नाश्ता करने के लिए बैठे.
करीब 11 बज रहे थे. मेरा कोई काम होने वाला नहीं था. बस सुबह-दोपहर-शाम खाओ और सो जाओ.
सास-ससुर के पास ज्यादा देर बैठा नहीं जा सकता था.
फिर कल रात और आज सुबह से पहले साली भी इतनी मतवाली नहीं थी.
इसलिए मैं वापिस अपने कमरे में आया और अपनी जानेमन को फोन लगाया.
मैं कपड़े उतार चुका था.
बात हो ही रही थी कि रश्मि उसी दरवाजे से अन्दर आयी और लौड़े को मुँह में भर कर चूसती जा रही थी.
उसकी इस हरकत से धीरे-धीरे मेरा काबू खुद मेरे ऊपर से खत्म होता जा रहा था और हालत यह होने लगी कि मेरी जानेमन को भी अहसास होने लगा था.
बीवी पूछ बैठी- क्या कर रहे हो?
मैंने झूठ बोल दिया कि तेरी चूत की याद आ रही थी तो वही सोच-सोच कर मेरा लंड फड़फड़ा रहा था.
रश्मि मेरे लंड को, अंडों को, जांघों को यहां तक की गांड तक चाट-चाट कर मेरी हालत खराब कर चुकी थी.
मैंने फोन काटना ही मुनासिब समझा और उसके बाद पलंग तोड़ चुदाई शुरू हो गयी.
कभी रश्मि मेरे ऊपर … तो मैं कभी रश्मि के ऊपर, पोजिशन बदल बदल कर हम लोग चुदाई का आनन्द ले रहे थे.
ये सतत चलता रहा. इस लॉकडाउन में जब भी मौका मिलता, तो हम दोनों एक दूसरे के अन्दर समा जाने के लिए बेताब हो जाते. कई दिनों तक ऐसा चलता रहा.
फिर एक रात जब मैं रश्मि की आगोश में था, तभी मेरी जानेमन का फोन आ गया.
उसने पूछ लिया- क्या हो रहा है?
मैंने कहा- कुछ नहीं, बस साली जी की सेवा का आनन्द ले रहा हूं.
मुझे लगा कि मेरी जानेमन सुनकर थोड़ा नखरे करेगी, पर उसने तो मुझे ही सकते में डाल दिया.
वो बोली- इस लॉक डाउन में मेरा देवर भी मेरी बहुत सेवा कर रहा है.
मैंने कहा- मतलब!
वो बोली- जिस तरह मेरी बहन तुम्हारी सेवा कर रही है, उसी तरह तुम्हारा भाई मेरी सेवा कर रहा है.
उसकी बात सुनकर मैं बस यही बोला- जानेमन, अपनी सेवा अच्छे से करवाना, क्योंकि मैं तो यह अपने मन की सेवा करवा रहा हूं.
ये कहकर हम दोनों ही हंसने लगे, क्योंकि लॉकडाउन में फंसे होने के कारण ख्वाहिशें तो पूरी करनी ही थी.
तो दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी? आपके मेल का इंतजार रहेगा.
आपका शरद सक्सेना
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