यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैंने सोनू से फ्रेंडशिप कर ली थी. वह भी मुझसे हमबदन होने के लिए उतनी ही बेताब थी जितना कि मैं था. फिर उस दिन मैंने जब उसकी चूत को छुआ तो उसने मुझे मना कर दिया.
अब आगे:
सोनू पूछने लगी- नाराज़ हो गए क्या?
मैंने कहा- नहीं सोनू! फ्रेंडशिप वह होती है जिसमें दोनों की सहमति हो और मेरा यह उसूल है कि मैं कभी भी ज्यादती नहीं करता.
सोनू कहने लगी- मुझे आपकी यह बात बहुत अच्छी लगी, आप बहुत अच्छे हो.
मैंने सोनू से कहा- चलो और कोई बात करते हैं.
मैं उससे उसकी सहेलियों के बारे में फिर बातें करने लगा, उसने बताया कि उसकी सहेलियां यह सब कुछ करती हैं, परंतु यह ठीक नहीं है.
मैंने कहा- हां सोनू, यह सब ठीक नहीं है, लेकिन आजकल तो लड़कियां इतनी एडवांस हो गई हैं कि वे इन बातों की परवाह नहीं करती और शादी से पहले सब कुछ इंजॉय कर लेती हैं.
सोनू कुछ नहीं बोली.
हम दोनों को कमरे में लगभग एक घंटा हो गया था.
मैंने सोनू से कहा- अब तुम जाओ और तुम्हें अच्छा लगा हो तो कल इसी वक्त आ जाना.
सोनू कहने लगी- नाराज़ तो नहीं हो न?
मैंने सोनू को दोबारा बांहों में लिया और उसके होंठों पर एक लंबा किस किया और कहा- चिंता मत करो, मैं नाराज़ नहीं हूँ.
सोनू खुश हो गयी लेकिन उसका ध्यान बार-बार मेरे लोअर में उठे लंड की तरफ जा रहा था. मैंने उसके लिए कमरे का दरवाजा खोला और उसको बाय बोल कर विदा कर दिया.
सोनू अपने घर चली गई.
मैं सोनू की बेताबी समझ चुका था लेकिन कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. मैंने सोचा देखता हूं घर जाकर सोनू अपने पिछले आंगन में आकर ऊपर देखने के लिए कब आती है? मेरा अंदाजा सही निकला. सोनू अपने मकान में जाते ही पिछले आंगन में आई और ऊपर देखने लगी. मैं भी खिड़की में खड़ा था, मैंने उसे अपने हाथ को चूम कर किस का इशारा किया, उसने भी धीरे से अपने हाथ को अपने होंठों पर लगा कर किस किया.
उस दिन मैं सारी रात सोनू और उसके यौवन के बारे में सोचता रहा और सोचता रहा कि वह मेरा इतना मोटा लंड अपनी चूत में कैसे लेगी?
अगले रोज शाम के 6:00 बजे आकाश में काली घटाएं छाई हुई थीं. बारिश आने वाली थी. मैंने सोचा कि आज सोनू नहीं आएगी. लेकिन ठीक 6:10 पर सोनू अपनी किताब और नोटबुक के साथ मेरे कमरे में आई. मैं उसका इंतजार कर रहा था.
मैंने उससे किताब लेकर बेड पर रखी और उसे बांहों में भर लिया. सोनू फिर दरवाजे की कुंडी की तरफ देखने लगी. मैं समझ गया और मैंने कुंडी लगा ली.
कुंडी लगाने के बाद मैंने सोनू को गोद में उठा लिया और ताबड़तोड़ उसके होठों और गालों पर किस करने लगा. सोनू भी वासना की आग में जल रही थी.
उसी वक्त बारिश शुरू हो गई.
मैंने सोनू से कहा- सोनू, आज बहुत अच्छा मौसम है.
वह कहने लगी- ऐसा मौसम मुझे बहुत अच्छा लगता है.
मैं और सोनू कमरे में एक दूसरे की बांहों में खड़े रहे और एक दूसरे को चूमते चाटते रहे. मेरे हाथों के स्पर्श और किस करने से सोनू उत्तेजित हो गई. मैंने उसके टॉप के अंदर से उसकी ब्रा को ऊपर करके उसके मम्मों को हाथों से सहलाना शुरू किया. उसके मम्मों का साइज इतना बड़ा था कि मेरे हाथों में नहीं आ रहे थे. धीरे-धीरे उसके मम्मों के निप्पल को हाथ और उंगली से रगड़ना शुरू किया.
मैंने सोनू से कहा- सोनू, प्लीज मुझे अपने मम्मे देखने दो?
वह कुछ नहीं बोली तो मैंने सोनू का टॉप ऊपर उठाया और उसके दोनों मम्मों को बाहर देखते ही मुंह में ले लिया. मैं कुर्सी के ऊपर बैठ गया और सोनू को अपने सामने खड़ा कर लिया. मैंने अपनी दोनों टांगों के बीच में सोनू की दोनों टांगों को जकड़ लिया और एक हाथ से उसके एक मम्मे को पीने लगा और दूसरे हाथ से उसकी कमर को सहलाता रहा.
सोनू आंख बंद करके यह सब कुछ करवाती रही. मैंने बारी-बारी से उसकी दोनों चूचियों को लगभग 10 मिनट तक पीया.
इसी दौरान मैंने एक हाथ से उसकी स्कर्ट के नीचे से उसके चूतड़ों को सहलाना शुरु किया. उसने स्कर्ट के नीचे बड़ी सुंदर छोटी सी पेंटी पहनी हुई थी. कुछ तो मौसम और बारिश का असर था और कुछ पहले दिन का बढ़िया एक्सपीरियंस था जिसके कारण सोनू मेरा साथ देने लगी.
सोनू बार-बार मेरे लोअर में मेरे लंड की ओर देख रही थी. लेकिन मैं उसे इतनी जल्दी अपना लंड नहीं दिखाना चाहता था क्योंकि इससे हो सकता था सोनू डर कर भाग जाती.
मैंने धीरे से सोनू की टांगें चौड़ी कीं और अपने दोनों पांव को सोनू की टांगों के बीच ले जाकर उसे अपनी गोद में बैठा लिया. चूंकि मैं कुर्सी पर बैठा था इसलिए सोनू आराम से मेरे लंड के उभार के ऊपर बैठ गई. मेरा तना हुआ लंड मेरे लोअर में मेरे पेट की तरफ था जिससे सोनू की चूत मेरे लंड के उल्टे भाग पर रगड़ खा रही थी.
मैंने सोनू को उसके दोनों चूतड़ों से पकड़ा और चूतड़ों पर दबाव देकर उसकी चूत को लण्ड पर दबा दिया. सोनू की सांसें तेज हो गई थी.
जब मैं सोनू की चूची पीता या उसकी चूत पर अपने लंड का दबाव बढ़ाता तो सोनू के मुंह से सिसकारी की आवाज़ निकलती थी. मैं बेहताशा सोनू को जगह-जगह से मसल रहा था.
सोनू चूचियां दिखाने पर राजी तो हो गई थी लेकिन उसके गले में उसकी ब्रा और उसका टॉप फंसा हुआ था.
मैंने सोनू के कान में कहा- थोड़ी देर के लिए इस ब्रा और टॉप को निकाल दो.
सोनू कुछ नहीं बोली तो मैंने नीचे से टॉप और ब्रा को अपने हाथों से उठाकर उसके सिर और बाजू से निकाल दिया. सोनू अब मेरे कमरे में केवल स्कर्ट में थी. उसका ऊपर का नंगा बदन इतना सुंदर था कि कोई भी अपने होश खो सकता था, परंतु मैंने अपने ऊपर काबू रखा. मैंने सोनू को गोद से उतारा, उसके पीछे गया और पीछे से उसकी कमर को अपनी छाती से लगाकर उसके मम्मों से खेलने लगा.
मैं धीरे-धीरे सोनू के पेट पर हाथ फिराने लगा, पेट पर हाथ फिराते फिराते मैं अपनी उंगलियों को थोड़ा स्कर्ट के इलास्टिक के अंदर तक डालकर फिराने लगा. सोनू सिसकारियां भरे जा रही थी. मैं सोनू को ले कर बेड पर लेट गया और उसे अपने ऊपर लिटा लिया. सोनू चुपचाप मेरा साथ देती रही.
जब काफी देर हमने आपस में प्यार कर लिया और सोनू उत्तेजित हो गई तो मैंने सोनू से कहा- सोनू, जरा नीचे हाथ लगा लूं.
सोनू कुछ नहीं बोली और मैं समझ गया था कि वह मुझे परमिशन दे चुकी है. मैंने अपना हाथ सोनू की स्कर्ट से अंदर डाल कर पहले उसके चूतड़ों पर फिराया और कुछ देर चूतड़ों पर हाथ फिराने के बाद मैंने सोनू को सीधा किया और उसकी चूचियां पीने लगा.
चूचियां पीते-पीते मैं सोनू के पटों और जांघों में हाथ मारने लगा. मैंने धीरे-धीरे सोनू के पेट के निचले हिस्से पर हाथ फिराना चालू रखा. सोनू आंखें बंद करने लगी. मैंने मौका देख कर सोनू की पैंटी में हाथ डाला और सीधा हाथ चूत के ऊपर टिका दिया. मेरे हाथ को उसकी चूत बहुत गर्म लगी और साफ पता लग रहा था कि उसकी पानी छोड़ चुकी थी.
चूत पर जैसे ही मेरा हाथ गया सोनू ने मदहोशी की हालत में मुझसे कहा- नहीं, यह मत करो.
मैंने सोनू की बात नहीं सुनी और धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी चूत के ऊपर फिराता रहा. मैं बेड के ऊपर लेट कर सोनू की चूत का क्लिटोरिस मसलने लगा और धीरे-धीरे एक उंगली उसकी चूत के छेद में भी चलाने लगा था. सोनू के मुंह से आह … आह … उई … मत करो … की आवाज निकालने लगी थी.
उसी वक्त मैंने सोनू की पैंटी नीचे करके उसकी चूत को देखा. बहुत ही शानदार गोरी उभरी हुई छोटी सी चूत थी. चूत के ऊपर हल्के हल्के रोयें से थे. मैंने सोनू की पेंटी को उसके पांव में से निकाल दिया और साथ ही उसकी स्कर्ट को भी निकाल कर उसको बिल्कुल नंगी कर लिया. सोनू ने अपने हाथों से अपनी आंखें बंद कर ली.
सोनू का नंगा बदन मेरे बेड पर मेरी आंखों के सामने था. धीरे-धीरे मैंने उसकी टांगों को खोला और देखा कि उसकी चूत का छेद इतना छोटा था कि उसमें मेरी एक उंगली ही जा सकती थी. मैंने धीरे-धीरे अपनी एक उंगली उसमें डाली और अंगूठे से सोनू की चूत का क्लिटोरिस रगड़ने लगा. मैं अपने बायें हाथ से सोनू के मम्मे दबाता रहा और दायें से उसकी चूत में उंगली करता रहा.
उसी वक्त मैंने सोनू का एक हाथ पकड़ा और अपने लोअर के अंदर डाल दिया. लोवर में सोनू का हाथ जैसे ही मेरे लंड पर टच हुआ तो सोनू ने उसे पकड़ लिया और पकड़ते ही वह उठकर बैठ गई.
मैंने सोनू से पूछा- क्या हुआ?
सोनू कहने लगी- मैंने नहीं करना.
मैंने पूछा- क्या नहीं करना है?
वह कहने लगी- आपका यह बहुत मोटा है.
उसने मेरे लोअर को नीचे कर दिया, और उसके सामने मेरा 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड लहराने लगा. सोनू उठकर कपड़े पहनने लगी.
मैंने कहा- सोनू क्या बात है?
वह कहने लगी- मुझे जाने दो, मैंने नहीं करना.
मैंने सोनू से कहा- मैंने कब कहा है कि करना है? तुम इतनी क्यों घबरा रही हो? क्या तुमने पहले कभी किसी आदमी का लंड नहीं देखा है?
उसने बताया कि उसने लंड देखा है.
मैंने भी पूछ लिया कि किसका देखा है?
सोनू ने बताया कि उसके पापा रात को 10.00 बजे घर आते हैं और खाना खाने के बाद मम्मी के साथ अपने बेडरुम में सो जाते हैं. मम्मी के बेडरूम के साथ ही हम दोनों बहन भाई का बेडरूम है. भाई जल्दी सो जाता है. एक दिन रात 11 बजे के करीब मम्मी के कमरे से अजीब सी आवाजें आ रही थीं. मम्मी के कमरे की लाइट जल रही थी. हमारा दरवाजा थोड़ा खुला था. जब मैंने उठकर दरवाजे में से देखा तो मम्मी पापा बिलकुल नंगे थे. मम्मी नीचे लेटी थी और पापा उनको ऊपर चढ़ कर चोद रहे थे.
वह बोली- मैं मम्मी पापा को यह काम करते हुए अक्सर देखती हूं. लेकिन मेरे पापा का लंड तो आपके लंड के आधे साइज से भी छोटा और पतला है.
मैंने सोनू से पूछा- तुम्हारी मम्मी कैसी हैं?
सोनू ने बताया- मेरी मम्मी बहुत सुंदर हैं और बहुत सेक्सी हैं, उनकी चूत तो बहुत सुन्दर और फूली हुई है. मम्मी चुदते वक्त बहुत सारी आवाजें निकालती हैं.
मैंने पूछा- क्या उनको नहीं पता कि तुम जागती रहती हो और उनको देखती रहती हो?
सोनू ने कहा- नहीं, मैं पिछले एक साल से यह सब देख रही हूँ और जब देखती हूँ तो मेरा भी बहुत दिल करता है.
मैंने पूछा- तुम्हारी मम्मी की ऐज क्या है?
सोनू ने कहा- 37 वर्ष है और पापा 44 के हैं.
मैंने पूछा- फिर तुम क्या करती हो?
सोनू ने कहा- एक बार मैंने अपने साथ सोए हुए भाई का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया. मेरा भाई बड़ी गहरी नींद में सोता है. मम्मी पापा का बेड हमारे कमरे के दरवाजे से केवल चार-पांच फुट की दूरी पर ही है. जब मैंने पहली बार देखा तो देखा कि मेरी मम्मी नंगी नीचे लेटी हुई थी और मेरे पापा बिल्कुल नंगे मम्मी की चूत में लंड डालकर उसे आगे पीछे कर रहे थे. मैं एकदम यह देख कर पीछे हट गई और अपने बेड पर लेट गई, लेकिन कमरे से लगातार आवाजें आती रहीं. मैंने दोबारा उठकर देखा तो मेरे पापा नीचे लेटे हुए थे और मेरी मम्मी उनके ऊपर लेटी हुई थी और मम्मी की चूत में पापा का लंड आ जा रहा था. चूंकि मम्मी पापा के मुझे केवल चूतड़ ही दिखाई दे रहे थे इसलिए वह मुझे नहीं देख सकते थे. उस रात उनका वह काम देख कर मुझे नींद नहीं आई और मैं दिन में भी सारा दिन उदास रही क्योंकि मुझे अच्छा नहीं लगा था.
सोनू अपनी मम्मी और पापा की चुदाई बताती रही- अगली रात जब पापा आए तो खाना खाकर मम्मी पापा लेट गए. कुछ देर बाद मैं उठी और देखा कि मम्मी बेड के नीचे टांगे लटकाए बैठी थी और पापा ने अपनी पैंट और अंडरवियर निकाल रखा था तथा मम्मी को अपना लंड मुंह में देकर चुसवा रहे थे. मैंने देखा पापा का लंड लगभग 3 इंच का था. उसके बाद पापा ने मम्मी का गाउन निकाला और उनको नंगी कर दिया. पापा मम्मी की चूचियां पीने लगे, मम्मी को किस करने लगे, मैं खड़ी-खड़ी देखती रही, मुझे उस दिन कुछ अच्छा लगा.
मैंने देखा मम्मी पापा बेड पर लेटे थे. पापा करवट लेकर अपनी एक टांग को मम्मी के पट पर रखकर कभी मम्मी का चूचा सहला रहे थे तो कभी मम्मी की चूत पर हाथ फिरा रहे थे. कुछ देर बाद पापा नीचे की तरफ आए और मम्मी की टांगों को थोड़ा ऊपर करके मम्मी की चूत को चाटने लगे.
जब पापा मेरी मम्मी की चूत चाट रहे थे तो मम्मी के मुंह से अजीब सी आवाजें आ रही थी और मम्मी अपना सिर इधर उधर मार रही थी. कुछ देर बाद मम्मी ने पापा से कहा- अब अंदर डालो, मेरा होने वाला है.
पापा ने उठकर मम्मी की टांगों को मोड़ा और अपना लंड मम्मी की सुंदर चूत के अंदर दे दिया और ऊपर नीचे अपने चूतड़ों को करते हुए मम्मी को चोदने लगे.
मम्मी पापा दोनों एक दूसरे को चूम चाट रहे थे और तरह-तरह की आवाजें निकाल रहे थे. मैं यह सब आखिर तक देखती रही और न जाने कब मेरा अपना हाथ मेरी चूत को सहलाने लगा. कुछ देर बाद मैंने देखा कि पापा ने बहुत जोर से मम्मी को चोदना शुरू किया और लंड को जोर-जोर से अंदर घुसा कर मम्मी से चिपक गए. कुछ देर तक दोनों चिपके रहे.
फिर मैंने देखा जब मम्मी उठी तो उनकी चूत से सफेद सफेद गाढ़ा सा कुछ निकल रहा था, जिसे मम्मी ने पास में रखे हैंड टॉवल से साफ किया. मम्मी पापा दोनों बाथरूम में इकट्ठे चले गए. उनका यह काम लगभग दो-चार दिन के बाद मैं देख लेती थी और मुझे उस में मज़ा आने लगा था.
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
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